Apple Farming : अब मैदानी इलाकों में भी मुमकिन सेब की खेती

Apple Farming : हमें सेब (Apple) का नाम लेते ही बर्फीली वादियों से घिरा हिमाचल प्रदेश का किन्नौर जिला याद आ जाता है जहां के किन्नौरी सेब दुनियाभर में मशहूर हैं. यह बात सही भी है कि सेब (Apple) के पेड़ उगाने के लिए ऐसी आबोहवा की जरूरत होती है जो पहाड़ी इलाकों में ही पाई जाती है. इस के बावजूद वैज्ञानिक ऐसी तकनीक विकसित करने में लगे रहते हैं जिस से सेब (Apple) को किसी तरह मैदानी इलाकों में भी उगाया जा सके.

कुछ प्रगतिशील किसान भी कोशिश कर रहे हैं कि वे सेब (Apple) को मैदानी इलाकों का भी सिरमौर बना दें. इसी कड़ी में हम उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के एक कर्मठ किसान अरविंद कुमार का जिक्र कर सकते हैं. उन्हीं की कोशिशों से अब उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से आने वाला ‘अन्ना’ प्रजाति का हरा सेब अब गोरखपुर की बंजर जमीन पर पैदा होने जा रहा है.

Apple Farming‘शबला सेवा संस्थान’ के संस्थापक अविनाश कुमार ने 3 पहले सेब (Apple) का पौधा लगाया था और अब इस पेड़ में पहली बार फल आने लगे हैं. अविनाश कुमार को उम्मीद है कि इस बार भले ही 15 से 20 किलोग्राम सेब (Apple) ही बच पाएं, लेकिन आने वाले समय में इस इलाके की बंजर जमीन पर सेब (Apple) के बगीचे नजर आएंगे.

उत्तर प्रदेश पुलिस की सरकारी नौकरी छोड़ कर खेतीकिसानी में रम चुके अविनाश कुमार पादरी बाजार, गोरखपुर में रहते हैं. उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में किसानों को औषधीय खेती के लिए प्रेरित कर उन की जिंदगी बदलने वाले अविनाश कुमार ने पूर्वांचल ही नहीं, बल्कि मैदानी इलाकों में भी सेब (Apple) की पैदावार बढ़ाने का बीड़ा उठाया है. अपने खेत (Apple) में लगाने के साथ ही उन्होंने इस की पौधशाला भी तैयार की है. 3 साल पहले लगाए गए पेड़ पर इस बार न केवल फूल आए हैं बल्कि वे फल भी बन गए हैं. फलों की क्वालिटी को देख कर अविनाश कुमार अब सेब (Apple) का बाग लगाने की तैयारी में हैं.

Apple Farming

अविनाश कुमार बताते हैं कि 3 साल पहले वे उत्तराखंड से सेब का पौधा लाए थे. उन का मानना है कि अगर वहां की पथरीली जमीन पर सेब के पेड़ फल देते हैं तो गोरखपुर समेत मैदानी क्षेत्र के कई इलाकों में बंजर पड़ी सैकड़ों एकड़ जमीन पर सेब का बाग लहलहा सकता है. प्रयोग के लिए उन्होंने अपनी पौधशाला में सेब का पेड़ लगाया जो इस बार फल देने को तैयार है.

अविनाश कुमार कहते हैं कि अगर इस इलाके में सेब की पैदावार होने लगे तो उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से सेब मंगाने की जरूरत नहीं होगी. आम लोगों को जहां सस्ते में यह पौष्टिक फल मिल सकेगा, वहीं किसान अपनी बेकार पड़ी बंजर जमीन से भी हर साल अच्छी कमाई कर सकेंगे. इतना ही नहीं, अगर पौलीहाउस के जरीए तापमान को कंट्रोल करने का इंतजाम कर लिया जाए तो सेब का रंग लाल भी हो सकता है.

Apple Farming

अरविंद कुमार के मुताबिक, कोई भी किसान एक एकड़ जमीन में 50,000 रुपए खर्च के सेब की खेती शुरू कर सकता है. पहली फसल में उसे तकरीबन ढाई लाख रुपए की कमाई हो सकती है. एक एकड़ जमीन में सेब की 227 पौध लगाई जा सकती हैं. इन पौधों पर अगर समयसमय पर आर्गेनिक खाद का छिड़काव किया जाए तो पेड़ अच्छे से फलताफूलता है.

उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में किसानों को तुलसी, ब्रह्मी जैसे औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के साथ उन की फसल खरीद कर जीवनशैली बदलने वाले अविनाश कुमार ने अगले साल गोरखपुर और मैदानी क्षेत्रों में बंजर जमीन पर सेब (Apple) के बाग लगाने के लिए दूसरे किसानों से संपर्क करना शुरू कर दिया है.

‘शबला सेवा संस्थान’ के अध्यक्ष किरण यादव का कहना है कि हरे सेब (Apple) की व्यावसायिक खेती कर के किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.