मेहंदी की खेती

भारत में पुराने जमाने से मेहंदी का इस्तेमाल प्रसाधन के रूप में होता आया है. मेहंदी का प्रयोग शादीविवाह, दीवाली, ईद, क्रिसमस औैर दूसरे तीजत्योहार वगैरह पर लड़कियां और सुहागिन औरतें करती हैं.

ऐसा माना जाता है कि मेहंदी का प्रयोग तो प्राचीन मिस्र के लोग भी जानते थे. यह  समझा जाता है कि मेहंदी का प्रयोग शीतकारक पदार्थ के रूप में शुरू हुआ. प्राचीन काल से मेहंदी की पत्तियां तेज बुखार को कम करने और लू व गरमी के असर को दूर करने में इस्तेमाल होती रही है.

यह पौधा छोटीछोटी पत्तियों वाला बहुशाखीय और झाड़ीनुमा होता है और इस का उत्पादन पर्सिया, मेडागास्कर, पाकिस्तान और आस्ट्रेलिया में भी होता है.

भारत में मेहंदी की खेती आमतौर पर पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में होती है. इस के उत्पादन के महत्त्वपूर्ण केंद्र गुड़गांव, हरियाणा में फरीदाबाद व गुजरात के सूरत जिले में बारदोलीर व माधी है, जहां मेहंदी की पत्तियों के कुल उत्पादन का 87 फीसदी हासिल होता है.

राजस्थान में मेहंदी का उत्पादन पाली जिले की सोजत और मारवाड़ जंक्शन तहसीलों में होता है और सोजत कसबे में मेहंदी पाउडर और पैस्ट बनाने का काम होता है. सोजत की मेहंदी देशविदेश में काफी मशहूर है. इस की खेती रंजक प्रदान करने वाली पत्तियों की वजह से ही की जाती है.

कृषि : मेहंदी का पौधा अकसर सभी तरह की मिट्टियों में रोपा जा सकता है, लेकिन आर्द्रताग्राही भारी मिट्टी में यह अच्छी तरह पनपता है. इस की खेती क्षारीय मिट्टी में नहीं की जा सकती है, पर यह जमीन में मौजूद थोड़़ी क्षारीयता सह लेता है. इस का प्रवर्धन बीजों या कलमों द्वारा किया जाता है.

बीजों को नर्सरी में क्यारियों में बोआई करने से पहले कुछ दिन तक पानी से भर कर रखा जाता है. बीजों को 20-25 दिन तक जल्दीजल्दी पानी बदलते हुए भिगोया जाता है. उस के बाद मार्चअपै्रल माह में बोआई करते हैं. एक हेक्टेयर में 7-12 किलोग्राम तक बीजों की जरूरत होती है. पौधों  की ऊंचाई 45-60 सैंटीमीटर हो जाने पर उन्हें जुलाईअगस्त माह में खेतों में प्रतिरोपित कर देते हैं. खेतों में 2 पौधों के मध्य 3 फुट की दूरी रखी जाती है.

बारिश के पानी से इस की पैदावार अच्छी होती है, पर बारिश न होने पर हर दिन सिंचाई करना जरूरी है. ज्यादा बारिश से फसल में कीड़े लग सकते हैं जो मेहंदी की पत्तियों को खा जाते हैं और तेज धूप में यह कीड़ा अपनेआप ही खत्म हो जाता है.

पहले 2-3 सालों में मेहंदी का उत्पादन कम होता है, पर उस के बाद फसल की कटाई साल में 2 बार अपै्रलमई और अक्तूबरनवंबर माह में की जाती है. अक्तूबरनवंबर माह के दौरान गरमी की फसल कटाई करने पर अच्छी और उत्तम किस्म की फसल हासिल होती है, जबकि अपै्रलमई माह में हासिल दूसरी फसल रंग कम देती है.

Hennaमेहंदी की फसल की कटाई आमतौर पर ट्रेंड मजदूरों द्वारा की जाती है. अक्तूबरनवंबर माह की कटाई में मजदूरों की मांग अधिक होने के चलते फसल की कटाई महंगी पड़ती है, जबकि दूसरी कटाई में औफ सीजन होने से मजदूरी अपेक्षाकृत कम लगती है. एक बार लग जाने पर पौधे कई सालों तक लगातार पनपे रह सकते हैं.

फसल में गुड़ाई यानी निदान करने के बाद फसलों में बारिश का पानी अधिक पहुंचाने के लिए गड्ढे बनाए जाते हैं. फसल की कटाई के बाद उस की कुटाई की जाती है और इस के बाद पत्तियों को बडे़बडे़ बोरों में भर देते हैं.

मेहंदी का औसतन भाव प्रति 40 किलोग्राम 800-1,000 रुपए तक होता है. मेहंदी की परंपरागत घुटाई खरल में करने पर बहुत तेज रंग आता है, पर बढ़ते व्यावसायीकरण के चलते इस की क्वालिटी में कमी आई है.

आजकल पत्तियों से पाउडर बनाने के लिए थ्रेशर मशीन में चरणबद्व तरीके से पिराई कर के फिर प्लोवाइजर नाम की मशीन से इस की बारीक पिसाई की जाती है. इस मशीन में पत्तियों का चूरा डालने से पहले प्रति 40 किलोग्राम मेहंदी में 3 किलोग्राम तेल, 300 ग्राम डायमंड व 100 ग्राम मीठा सोडा मिलाते हैं जिस से मेहंदी के रंग को उड़ने से रोका जा सकता है. इसी वजह से इसे रंग तेल प्रक्रिया भी कहते हैं. इस विधि से तैयार मेहंदी को पैक कर सप्लाई की जाती है.

मेहंदी की किस्में

व्यापार में मेहंदी की 3 किस्में हैं, जिन्हें दिल्ली, गुजराती और मालवा मेहंदी कहते हैं. दिल्ली किस्म चूर्ण के रूप में मिलती है, जबकि गुजराती मेहंदी पत्तियों के रूप में मिलती है. मालवा मेहंदी राजस्थान का उत्पाद है. मेहंदी के प्रमुख खरीदार अल्जीरिया, फ्रांस, बहरीन, सऊदी अरब, सिंगापुर व सीरिया हैं. फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम मेहंदी के प्रमुख आयातक देश हैं.

राजस्थान के पाली जिले की सोजत तहसील के बागावास, सोजत, देवली, खोखरा, रूपावास, साडिया वगैरह गांवों में इस की खेती होती है. हर साल एक बड़ी विदेशी मुद्रा इस के निर्यात से हासिल होती है. अगर इस की  शुरुआती मजदूरी कटाई मजदूरी को कम किया जा सकता हो, तो मेहंदी की फसल से करोड़ों रुपए कमाए जा सकते हैं. सोजत की मेहंदी ने देशविदेश में कारोबार के नए आयाम बनाए हैं.