Rural Women: ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ कर महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर

उमरिया : ग्रामीण आजीविका मिशन से 77,151 महिलाएं जुड़ कर हुई आत्मनिर्भर हुई हैं. घूंघट की आड़ में रहने वाली महिलाएं अब ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ कर आत्मनिर्भरता के पथ पर निरंतर बढ़ रही हैं. समाज में महिलाओं की साख बढ़ी है और स्व-समूहों का गठन कर विभिन्न उत्पादों को तैयार करते हुए उन का विक्रय कर रही हैं एवं परिवार का बेहतर ढंग से संचालन कर रही हैं.

उमरिया जिले की महिलाएं पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम कर रही हैं. मध्य प्रदेश में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन जिला में अप्रैल, 2015 मे प्रारंभ हुआ. इसे चरणबद्ध रूप से जिले के सभी विकासखंडों में लागू किया गया. मिशन का मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा के नीचे गुजरबसर करने वाले परिवारों की संस्थाओं का गठन कर उन की माली एवं सामाजिक स्थिति को मजबूत करना है. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले निर्धन परिवारों का सामाजिक व माली सशक्तीकरण एवं संस्थागत विकास कर आजीविका के संवहनीय अवसर उपलब्ध कराना है. जिले में कुल 6,324 स्व-सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है, जिस के अंतर्गत 77,151 महिलाएं जुड़ चुकी हैं.

समूहों के ग्राम स्तरीय संघ ग्राम संगठन, जो कि ग्राम स्तर पर सभी समूहों को जोड़ कर गठन किया जाता है. जिले में 504 ग्राम संगठन गठित हैं. संकुल स्तरीय संगठन, जिन में 25 से 30 गावों का परिसंघ होता है. कुल 20 संकुल स्तरीय संगठनों का गठन किया गया है. समूह गठन सतत प्रक्रिया है, जिस के तहत जिले के सभी गरीब, बहुत गरीब परिवारों को जोड़ कर उन्हें आर्थिक समृद्धि की ओर ले जाना है. सभी की आय कम से कम 10 से 15 हजार रुपए प्रति माह हो, इस रणनीति के तहत काम किया जा रहा है.

जिले में 4,116 स्व-सहायता समूहों से जुड़े परिवारों को रिवाल्विंग फंड की राशि उपलब्ध कराई गई है, जिस से अपनी छोटीछोटी जरूरतों की पूर्ति ऋण ले कर के करती है. सामुदायिक निवेश निधि के तहत जिले में 2,356 स्व-सहायता समूहों को राशि 1647.70 लाख रुपए सामुदायिक निवेश निधि महिलाओं को ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जा चुकी है, जिस से वे अपनी छोटीछोटी गतिविधियां संचालित कर आय अर्जित कर रही है.

बैंक द्वारा 2,249 स्व-सहायता समूहों के 2,372 लाख रुपए स्वीकृत एवं वितरण किए गए हैं, जिन से महिलाएं विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से अपनी आमदनी बढ़ाने में निरंतर प्रयासरत हैं. सामुदायिक के बीच में ही समूह की अवधारणा के प्रचारप्रसार, समूह के अभिलेख संधारण, समूह बैठकों का आयोजन, संचालन एवं क्षमता निमार्ण, बैंक संयोजन, समूहों की आय अर्जन गतिविधियों में सहयोग आदि कामों के लिए सामुदायिक स्रोत व्यक्तियों का चिन्हांकन एवं उन का क्षमतावर्द्धन किया जाता है. ये सामुदायिक स्रोत व्यक्ति स्थाई रूप से सामुदायिक संस्थाओं के सशक्तीकरण में सहभागी बनते हैं.

जिले के अंतर्गत गठित सभी समूहों उन के लेखा संधारण का काम 3,753 बुककीपर के द्वारा किया जा रहा है. इसी तरह समूहों सदस्यों के बैंक लिंकेज में सहयोग करने के लिए 42 बैंक सखी एवं 56 बीसी सखी कार्यरत हैं. कृषि संबंधी जानकारी एवं प्रशिक्षण के लिए 184 व पशुपालन संबंधी जानकारी एवं प्रशिक्षण के लिए 90 सीआरपी, 40 कौशल सखी और 70 ई-सीआरपी, 64 जेंडर सीआरपी, 74 पोषण सखी कार्यरत हैं, जो कि महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का काम कर रही है.

कृषि आधारित गतिविधियों से बढ़ी आजीविका

मिशन द्वारा प्रारंभ से अब तक 34,915 समूह परिवारों को कृषि गतिविधियां से लाभांवित किया जा चुका है, जिन में मुख्यतः धान की श्रीविधि तकनीक, व्यावसायिक सब्जी उत्पादन, हलदी एवं मसाला की खेती, मुनगा एवं फलदार पौधरोपण एवं पशुपालन गतिविधियों से 5,226 परिवारों को जोड़ा गया है, जिन में मधुमक्खीपालन, कड़कनाथ मुरगीपालन, बकरीपालन, डेयरी, मछलीपालन आदि गतिविधियों से लाभांवित किया गया है.

गैरकृषि आधारित गतिविधियों के अंतर्गत निर्माण, व्यवसाय एवं सेवा प्रदाता जैसी गतिविधियां हैं. निर्माण संबंधी गतिविधियों में सेनेटरी नैपकिन, फिनाइल, गुनाइल, किराना, वाशिंग पाउडर, आटा चक्की, साबुन, हैंडवाश, अगरबत्ती बनाने जैसी गतिविधियों से लाभांवित किया गया है, जिस से 9587 समूह सदस्य गतिविधियों को संचालित कर आय अर्जित कर रहा है.

उमरिया जिले को लखपति का लक्ष्य 12,337 दिया गया है. सभी लक्ष्य के अनुसार, सभी हितग्राहियों का चयन किया गया है. इन की आमदनी बढ़ाने के उदे्दष्य से जिले में 152 लखपति सीआरपी को तैनात किया गया है. लखपति सीआरपियों के द्वारा चिन्हित हितग्राहियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिस से कि उन की 2 साल की अवधि में लखपति परिवारों को सालाना आय एक लाख रुपए से ऊपर आय वृद्धि किया जाएगा. कृषि, पशुपालन, लघु व्यवसाय संबंधी गतिविधियां संचालित की जा रही हैं.

मिशन प्रारंभ से अब तक आरसेटी के माध्यम से 3581 महिलाएं एवं पुरुषों का प्रशिक्षण एवं डीडीयूजेकेवाय के माध्यम से 1007 महिलाएं एवं पुरुषों को प्रशिक्षित कर 648 महिलाएं एवं पुरुषों को नियोजित किया गया है. रोजगार मेले के माध्यम से 2113 युवाओं का चयन एवं विभिन्न कंपनियों में नियोजित कराया गया है.

National Milk Day: राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 2024 के मौके पर बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी 2024 का लेखाजोखा

नई दिल्ली: केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर पशुपालन एवं डेयरी विभाग के ‘बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी 2024’ के वार्षिक प्रकाशन का विमोचन किया. इस अवसर पर मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल और जार्ज कुरियन के साथसाथ पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे.

बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी (बीएएचएस)- 2024 एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो पशुधन और डेयरी क्षेत्र के रुझानों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है. बीएएचएस -2024, 1 मार्च, 2023 से 29 फरवरी, 2024 तक एकीकृत नमूना सर्वेक्षण के परिणामों पर आधारित है.

यह अनूठा सर्वे दूध, अंडे, मांस और ऊन जैसे प्रमुख पशुधन उत्पादों के उत्पादन अनुमानों पर महत्वपूर्ण डेटा उत्पन्न करता है, जो पशुधन क्षेत्र में नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस प्रकाशन में दुधारू पशुओं, पोल्ट्री पालतू पक्षी प्रजातियां, मारे गए जानवरों और ऊन निकाले गए भेड़ों की अनुमानित संख्या सहित प्रमुख पशुधन उत्‍पाद और प्रति व्यक्ति उपलब्धता का राज्यवार अनुमान शामिल है.

इस के अलावा यह पशु चिकित्सा अस्पतालों, पौलीक्लिनिक्स, गौशालाओं, राज्य फार्मों और अन्य बुनियादी ढांचे के विवरणों के साथसाथ कृत्रिम गर्भाधान की संख्या और पशुधन क्षेत्र संबंधित वैश्विक परिप्रेक्ष्य पर बहुमूल्य डेटा प्रस्तुत करता है.

National Milk Day

साल 2023-24 में दूध, अंडा, मांस और ऊन उत्पादन

बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी (बीएएचएस) देश में दूध, अंडे, मांस और ऊन के उत्पादन का सालाना अनुमान जारी करता है. यह एकीकृत नमूना सर्वे (आईएसएस) के परिणामों पर आधारित होता है, जो देशभर में 3 मौसमों यानी गरमी (मार्चजून), बरसात (जुलाईअक्तूबर) और सर्दी (नवंबरफरवरी) में आयोजित किया जाता है. इस सर्वे के नतीजे  इस प्रकार दिए गए हैं:

दूध उत्पादन

बीएएचएस 2024 में जारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2023-24 के दौरान देश में कुल दूध उत्पादन 239.30 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले 10 सालों की तुलना में 5.62 फीसदी ज्‍यादा है. साल 2014-15 में यह 146.3 मिलियन टन था. इस के अलावा, साल 2022-23 के अनुमानों की तुलना में साल 2023-24 के दौरान उत्पादन में 3.78 फीसदी की वृद्धि हुई है.

साल 2023-24 के शीर्ष 5 दूध उत्पादक राज्यों के बारे में बात की जाए तो, उत्तर प्रदेश 16.21 फीसदी के साथ कुल दूध उत्पादन में पहले स्‍थान पर था. उसके बाद राजस्थान (14.51 फीसदी), मध्य प्रदेश (8.91 फीसदी), गुजरात (7.65 फीसदी) और महाराष्ट्र (6.71 फीसदी) का स्‍थान है.

वार्षिक वृद्धि दर के संदर्भ में पिछले वर्ष की तुलना में सब से अधिक वृद्धि पश्चिम बंगाल (9.76 फीसदी) ने दर्ज की. उस के बाद झारखंड (9.04 फीसदी), छत्तीसगढ़ (8.62 फीसदी) और असम (8.53 फीसदी) का स्थान रहा.

अंडा उत्पादन

देश में साल 2023-24 के दौरान कुल अंडा उत्पादन 142.77 बिलियन रहने का अनुमान है. पिछले 10 सालों में साल 2014-15 के दौरान 78.48 बिलियन के अनुमान की तुलना में 6.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. इस के अलावा साल 2022-23 की तुलना में साल 2023-24 के दौरान उत्पादन में सालाना 3.18 फीसदी की वृद्धि हुई है.

कुल अंडा उत्पादन में सब से बड़ा योगदान आंध्र प्रदेश का है, जिस की कुल अंडा उत्पादन में हिस्सेदारी 17.85 फीसदी है. इस के बाद तमिलनाडु (15.64 फीसदी), तेलंगाना (12.88 फीसदी), पश्चिम बंगाल (11.37 फीसदी) और कर्नाटक (6.63 फीसदी) का स्थान है. सब से अधिक वार्षिक वृद्धि दर लद्दाख (75.88 फीसदी) में दर्ज की गई और उस के बाद मणिपुर (33.84 फीसदी) और उत्तर प्रदेश (29.88 फीसदी) का स्थान है.

मांस उत्पादन

देश में 2023-24 के दौरान कुल मांस उत्पादन 10.25 मिलियन टन होने का अनुमान है. साल 2014-15 में 6.69 मिलियन टन के अनुमान की तुलना में पिछले 10 सालों में 4.85 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. इस के अलावा साल 2022-23 की तुलना में साल 2023-24 में उत्पादन में 4.95 फीसदी की वृद्धि हुई.

कुल मांस उत्पादन में मुख्य योगदान पश्चिम बंगाल का है. इस की हिस्सेदारी 12.62 फीसदी है, उस के बाद उत्तर प्रदेश (12.29 फीसदी), महाराष्ट्र (11.28 फीसदी), तेलंगाना (10.85 फीसदी) और आंध्र प्रदेश (10.41 फीसदी) का स्थान है. उच्चतम वार्षिक वृद्धि दर असम (17.93 फीसदी) में दर्ज की गई है, जिस के बाद उत्तराखंड (15.63 फीसदी) और छत्तीसगढ़ (11.70 फीसदी) का स्थान है.

ऊन उत्पादन

देश में साल 2023-24 के दौरान कुल ऊन उत्पादन 33.69 मिलियन किलोग्राम रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 0.22 फीसदी की मामूली वृद्धि दर्शाता है. साल 2019-20 के दौरान यह 36.76 मिलियन किलोग्राम और उस से पिछले साल 33.61 मिलियन किलोग्राम था.

कुल ऊन उत्पादन में सब से बड़ा योगदान राजस्थान का है, जिस की हिस्सेदारी 47.53 फीसदी है. उस के बाद जम्मू और कश्मीर (23.06 फीसदी), गुजरात (6.18 फीसदी), महाराष्ट्र (4.75 फीसदी) और हिमाचल प्रदेश (4.22 फीसदी) का स्थान है. सब से अधिक वार्षिक वृद्धि दर पंजाब (22.04 फीसदी) में दर्ज की गई. उस के बाद तमिलनाडु (17.19 फीसदी) और गुजरात (3.20 फीसदी) का स्थान है.

विश्व परिदृश्य

भारत दूध उत्पादन में विश्व में अग्रणी है, जबकि अंडा उत्पादन में दूसरे स्‍थान पर है.

Energy Based Farming : ऊर्जा पर आधारित होगी भविष्य की खेती

सबौर : अनुसंधान निदेशालय, बिहार कृषि विश्विवद्यालय, सबौर के नेतृत्व एवं बी.ए.यू. सबौर चैप्टर ऑफ़ इंडियन सोसाईटी औफ एग्रोनामी के तत्वावधान में ‘‘बिहार के परिपेक्षय में समेकित कृषि प्रणाली‘‘ विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.

स्वागत भाषण में बिहार के परिप्रेक्ष्य में समेकित कृषि प्रणाली से संबंधित बातों पर विस्तार से चर्चा की और अतिथियों से इस विषय पर अपनाअपना महत्वपूर्ण सुझाव देने का अनुरोध भी किया.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, पीडीएफएसआर, मोदीपुरम के भूतपूर्व निदेशक, डा. बी. गंगवार ने अपने उदबोधन में वैज्ञानिकों को यह संदेश दिया कि आने वाले समय की खेती ऊर्जा पर आधारित होगी. जो फसल ज्यादा ऊर्जा देगा, किसान उसी की खेती करेंगे. उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को लगन, उत्साह और उर्जा के साथ कार्य करने की सलाह दी.

इस कार्यशाला में डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के निदेशक, ईख अनुसंधान, डा. देवेंद्र सिंह ने फसलों के उत्पादन में सस्यविदों की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि सस्य वैज्ञानिकों की मेहनत एवं प्रयास से विकसित तकनीकों के माध्यम से ही फसलों की उत्पादन एवं उत्पादकता में गुणात्मक वृद्धि हुई है.

कृषि महाविद्यालय, जौनपुर, उत्तर प्रदेष से आए अधिष्ठाता कृषि, डा. रमेश सिंह ने कार्यशाला की सार्थकता एवं उपयोगिता पर प्रकाश डाला.

इस कार्यशाला में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के अधिष्ठाता कृषि, कुलसचिव, निदेशक सहित सभी सस्यविद उपस्थित थे. डा. संजय कुमार, सस्य विज्ञान विभाग के अध्यक्ष द्वारा इस एकदिवसीय कार्यशाला में भागीदारी के लिए सभी अतिथियों के प्रति अभार एवं वैज्ञानिकों के प्रति धन्यवाद प्रस्तुत किया.

किसान नरवाई जलाने से बचें, करें फसल अवशेष प्रबंधन

मैहर : कलक्टर अनुराग वर्मा और मैहर कलक्टर रानी बाटड ने अपनेअपने जिले के किसानों से अपील की है कि खेतों की फसल काटने के बाद किसान बचे फसल अवशेष को नष्ट करने व खेत में नरवाई न जलाएं. खेत में नरवाई जलाने से मिट्टी एवं भूउर्वरता, लाभदायक सूक्ष्म जीव के साथसाथ संचित नमी के वाष्पीकरण से अत्यधिक नुकसान होता है. मिट्टी के लाभदायक कीट एवं जीवांश नष्ट हो जाते है एवं अगली फसल का उत्पादन प्रभावित होता है.

ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के क्रम में Air (Prevention & control of Pollution) Act 1981 के अंतर्गत प्रदेश में फसलों विशेषतः धान एवं गेहूं की कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को खेतों में जलाए जाने को प्रतिबंधित किया गया है एवं उल्लंघन किए जाने पर व्यक्ति/निकाय को प्रावधान के अनुसार पर्यावरण क्षतिपूर्ति देय होगी. 2 एकड़ से कम भूमिधारक किसानों द्वारा राशि 2,500 रुपए प्रति घटना, 2 एकड़ से अधिक और 5 एकड़ से कम भूमिधारक किसानों द्वारा राशि 5,000 रुपए प्रति घटना और 5 एकड़ से अधिक भूमिधारकों द्वारा राशि 15,000 रुपए प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति देय होगी.

खेत में फसल अवशेष/नरवाई जलाने से मिट्टी के लाभदायक सूक्ष्मजीव एवं जैविक कार्बन जल कर नष्ट हो जाते हैं, जिस से मिट्टी सख्त एवं कठोर हो कर बंजर हो जाती है एवं फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखा जा रहा है.

किसान फसल अवशेष/नरवाई न जलाएं, बल्कि इस का उपयोग आच्छादन यानी मल्चिंग एवं स्ट्रा रीपर से भूसा बना कर पशुओं के भोजन या भूसे के विपणन से अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं. इस के अतिरिक्त गेहूं एवं चना की बोनी के लिए अधिक से अधिक हैप्पी सीडर/सुपर सीडर का उपयोग करें. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे नरवाई जलाने से बचें.

किसान अपने खेतों की मिट्टी का करा सकेंगे परीक्षण

छतरपुर :मध्य प्रदेश शासन किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग मंत्रालय भोपाल के 22 अगस्त, 2024 से प्राप्त निर्देशानुसार जिले में नवीन निर्मित विकासखंड स्तरीय मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं को युवा उद्यमियों एवं संस्थाओं के माध्यम से प्रारंभ और संचालित किया जाना है. इस के लिए चयन के लिए इच्छुक उम्मीदवारों द्वारा आवेदन किए गए, जिस में जिले में कुल 17 संस्थाओं एवं 85 युवा उद्यमियों के आवेदन प्राप्त हुए.

इस के लिए छतरपुर कलक्टर पार्थ जैसवाल के निर्देश पर संस्थाओं एवं युवा उद्यमियों का चयन के लिए प्राप्त आवेदनों के परीक्षण के लिए जिला स्तर पर एक समिति बनाई गई, जिस के निर्देशन में संस्थाओं एवं युवा उद्यमियों द्वारा प्रस्तुत औनलाइन आवेदनों का परीक्षण किया गया और शासन के निर्देशानुसार उन का विकासखंडों में चयन किया गया.

विकासखंडवार चयनित संस्था एवं युवा उद्यमी

विकासखंडवार चयनित संस्था एवं युवा उद्यमी में बड़ामलहरा से एसआरएच फूड इंडस्ट्रीज प्रा. लि., छतरपुर से आरकेसीटी लेबोरेटरी प्रा. लि., बारीगढ़ से अपूर्वा फूड प्रा. लि., राजनगर से एसएमएजी एजुकेशन एंड सर्विस प्रा. लि., लवकुशनगर से वीरेंद्र कुमार पटेल, बिजावर से सर्वेश गुप्ता, बक्सवाहा से चतुर्भुज पाल का चयन किया गया है.

उपसंचालक, कृषि, डा. केके वैद्य ने कहा कि जिले में विकासखंड स्तर पर मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं का संचालन होने से जिले के किसानों को मिट्टी परीक्षण के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उन्हें शीघ्र ही मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट और रिपोर्ट के अनुसार अनुशंसित पोषक तत्वों की पूर्ति की जानकारी प्राप्त होगी, जिस से कि वे अधिक उत्पादन के लिए सिफारिश की गई उर्वरकों की मात्रा का उपयोग कर सकेंगे. इस के लिए किसान अपने खेतों की मिट्टी जांच अवश्य कराएं.

परंपरागत खेती के साथ उद्यानिकी फसल लेने से बढ़ी आमदनी

जबलपुर : जिले के पाटन विकासखंड के ग्राम मुर्रई के किसान बृजराज सिंह राजपूत पारंपरिक गेहूं और धान की फसल के साथ प्राकृतिक खेती को अपना कर आसपास के किसानों के लिए कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने की मिसाल पेश कर रहे हैं.

कृषि अधिकारियों ने पिछले दिनों बृजराज सिंह के खेत में पहुंच कर उद्यानिकी फसल का अवलोकन किया. बृजराज सिंह अपने 10 एकड़ खेत में फसल विविधीकरण को अपना कर शिमला मिर्च, हरी मिर्च, मूंगफली, अदरक, टमाटर जैसी उद्यानिकी फसलें ले रहे हैं. साथ ही, उन्होंने उद्यानिकी फसलों के किनारे गेंदा भी लगाया है. इस से कीट नियंत्रण में मदद मिलने के साथ ही उन्हें अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त हो रही है.

किसान बृजराज सिंह  ने बताया कि उन्होंने उद्यानिकी फसलों को खेत के उत्तरदक्षिण दिशा में लगाया है. इस से फसल को सूरज की रोशनी सुबह और शाम पर्याप्त मात्रा में मिलती है. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया अच्छी होने के परिणामस्वरूप पौधों का विकास भी अच्छा होता है.

किसान बृजराज सिंह ने आगे बताया कि उन के खेत के चारों ओर नीम के पेड़ भी लगे हुए हैं, जिस से कीटों का नियंत्रण होता है. बृजराज सिंह द्वारा विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक कीटनाशक बनाया जा रहा है. वे इन का उपयोग उद्यानिकी फसलों में कर रहे हैं, जिस से कीटों पर प्रभावी नियंत्रण के साथ उत्पादन लागत में कमी भी आ रही है.

कृषि अधिकारियों के अनुसार, बृजराज सिंह पहले उद्यानिकी फसलों में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों का प्रयोग करते थे, किंतु उन्हें प्रोत्साहित कर प्राकृतिक खेती में रुचि बढ़ाई गई. बृजराज सिंह अब जीवामृत, पांच पर्णी अर्क, नीम कड़ा आदि बना कर उपयोग कर रहे हैं.

इस किसान के खेत में मिनी औटोमैटिक वेदर स्टेशन भी लगाया गया है. इस से मौसम के पूर्वानुमान के साथ आने वाली बीमारी, कीडों का आगमन, मिट्टी में उपलब्ध नमी आदि की पूर्व जानकारी मोबाइल पर उपलब्ध हो जाती है. औटोमैटिक वेदर स्टेशन से मिली पूर्व जानकारी के आधार पर बृजराज सिंह को कृषि कार्य परिवर्तित करने में सहायता मिल रही है.

अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डा. इंदिरा त्रिपाठी ने बताया कि किसान बृजराज सिंह द्वारा प्राकृतिक खेती करना प्रारंभ कर दिया गया है और इन के खेत पर अन्य किसानों को भ्रमण कराया जा रहा है, जिस से वे भी प्रोत्साहित हो कर प्राकृतिक खेती के साथसाथ फसल विविधीकरण की ओर अग्रसर हों.

जिला स्तरीय ‘कृषि स्थायी समिति’ की बैठक हुई संपन्न

बालाघाट : जिला स्तरीय “कृषि स्थायी समिति” की बैठक जिला पंचायत सभाकक्ष में पिछले दिनों सभापति टामेश्वर पटले की अध्यक्षता में संपन्न की गई. बैठक में सहकारिता विभाग, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, “आत्मा समिति”, जिला सहकारी बैंक, कृषि उपज मंडी समिति, मत्स्य विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि अभियांत्रिकी विभाग एवं कृषि से संबंधित अन्य विभागों की योजनाओं की जानकारी, लक्ष्य पूर्ति एवं विभागीय कार्यों की गतिविधियों की समीक्षा की गई.

बैठक में सभापति पटले द्वारा आत्मा परियोजना के अंतर्गत विकासखंड परसवाडा, बालाघाट, लालबर्रा, बिरसा, बैहर, खैरलांजी में स्टाफ के खाली पद को पूरा करने के लिए वरिष्ठालय को पत्र लिखने के निर्देश दिए गए, वहीं उद्यानिकी विभाग द्वारा विभागीय योजनाओं की जानकारी दी गई, जिस में पटले द्वारा पुष्प क्षेत्र विस्तार से संबंधित किसानों की सूची उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया गया. साथ ही, मसाला क्षेत्र विस्तार एवं सब्जी विस्तार से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी ली गई.

इस दौरान सदस्य केसर बिसेन द्वारा केले की फसल के संबंध में जानकारी ली गई, जिस में सहायक संचालक उद्यानिकी द्वारा जानकारी दी गई कि विभाग ‌द्वारा बेरोजगार नौजवानों/युवतियों के लिए लघु उघोग खोलने के लिए विभाग से सब्सिडी प्रदान की जाती है. इच्छुक नौजवान या युवती विभाग के माध्यम से योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

बैठक में सभापति पटले द्वारा सर्राठी जलासय ग्राम तेकाडी (लालबर्रा) के अंतर्गत मत्याखेट के लिए चल रहे समितियों के विवाद के संबंध में 7 दिसंबर के बाद कृषि फार्म मुरझड़ में बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए गए.

उपसंचालक, पशु चिकित्सा द्वारा मुर्रा भैंस योजना, नंदीशाला योजना, बकरीपालन योजना, आचार्य विद्यासागर योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. लंपी बीमारी की रोकथाम के लिए किए जा रहे कार्य के संबंध में विस्तृत चर्चा की गई. साथ ही, पटले द्वारा आगामी बैठक में जिला विपणन अधिकारी को बैठक में आवश्यक रूप से उपस्थित रहने के लिए निर्देशित किया गया.

बैठक में रबी – 2024 के लिए बीज की उपलब्धता की समीक्षा की गई, जिस में सदस्य केशर बिसेन द्वारा फसल चक्रीकरण के संबंध में चर्चा की गई. कृषि विभाग द्वारा सचालित योजनाओं जैसे राखासुमि. औन ईडिबल औयल (तिलहन), राखासुमि (टरफा), राखासुमि (दलहन), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के स्वाइल हैल्थ एंड फर्टिलिटी योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के स्वाइल हैल्थ एंड फर्टिलिटी योजना के अंतर्गत नमूना एकत्रीकरण, राखासुमि (खरीफ) वर्ष 2024-25 के विकासखंडवार, मदवार, घटकवार भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्यों का अनुमोदन लिया गया.

जिले में कृषि उपज मंडी समिति द्वारा निर्मित भवनों की नीलामी की कार्यवाही जल्द से जल्द किए जाने की कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए. सचिव कृषि उपज मंडी द्वारा जानकारी दी गई कि कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. जल्द ही नीलामी की कार्यवाही की जाने वाली है.

उपसंचालक, कृषि द्वारा सुपर सीडर का उपयोग एवं महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई, वहीं बालाघाट में स्थित बीज निगम का कार्यालय बालाघाट से हटा कर सिवनी में शिफ्ट किया जा रहा है एवं उपस्थित कर्मचारी का स्थानांतरण किया जा रहा है, जिस पर सभापति पटले द्वारा वरिष्ठालय को कलक्टर के माध्यम से पत्र प्रेषित करने के लिए निर्देशित किया गया.

बैठक में सदस्य झाम सिंह नागेश्वर, डुलेंद्र ठाकरे, सदस्य मंशाराम मडावी, उपसंचालक, कृषि, राजेश खोबरागड़े, डा. एनडी पुरी (पशुपालन विभाग), पूजा रोडगे (मतस्य विभाग), क्षितिज करहाडे (सहायक संचालक उद्यान), पामेश भगत (सहायक कृषि यंत्री), अर्चना डोंगरे (परि. संचालक आत्मा), सुनील कुमार सोने, पुरुषोत्तम बिसेन (बीज निगम), मनीष मडावी (सचिव, कृषि उपज मंडी) आदि उपस्थित रहे.

एक भी गांव, खेत नहीं बचेगा, सभी जगह पहुंचेगा पानी

दमोह : ब्यारमा नदी पर 14 हजार करोड़ रुपए का प्रोजैक्ट है, जिस का पानी दमोह जिले के पूरे गांवों में पहुंचेगा. जिले का एक भी गांव, खेत नहीं बचेगा, सभी के खेतों पर पानी पहुंचेगा. आने वाले समय में दमोह जिले में पानी की कोई दिक्कत नहीं होगी. डेम बनना बहुत बड़ा काम है. डेम से पूरे जिले में पानी फैलाना और ढाई लाख हेक्टेयर की सिंचाई होना है, बहुत बड़ी बात है.

जिले में सिर्फ 2 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होने के लिए बची है, बाकी में पहले से ही सिंचाई हो रही है, 4 डेम बने हुए हैं. इस आशय की बात प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विभाग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल ने ग्राम नंदरई में प्रथम आगमन पर एक सभा को संबोधित करते हुए कही.

राज्यमंत्री लखन पटेल ने कहा कि 3 महीने पहले मुख्यमंत्री आए थे, हम ने उन से जब बात की कि ब्यारमा नदी पर एक डेम बनाया जाए, तो उन्होंने कहा कि इस की मंजूरी कर देंगे. बताते हुए खुशी है कि उस का टेंडर भी लग गया है, 30 करोड रुपए का सर्वे का टेंडर लग गया है, जिस में आप सभी की जिम्मेदारी है कि जब एजेंसी के लोग आएं तो कोई भी खेत न छूटे, एक बार पूरा एस्टीमेट या पूरी योजना बन गई. फिर कोई छूट गया, तो बहुत दिक्कत होती है.

राज्यमंत्री लखन पटेल ने कहा कि यहां के तालाबों में पानी की आवक नहीं हैं, जो कि सब से बड़ी दिक्कत है, खेतों से पाइपलाइन डल रही है, यह प्रयास किया जा रहा हैं कि साजली नदी से 2-3 किलोमीटर की पाइपलाइन मंजूर हो जाए. नंदरई और बांसा की सब से बडी सिंचाई की समस्या हल हो जाएगी.

उन्होंने कहा कि टंकी का काम शुरू हो जाएगा, इस में भी सालडेढ़ साल लगेगा, लेकिन हर घर तक टोंटी से पानी पहुंचेगा. छूटे हुए गांवों का फिर से सर्वे करा कर उन को जोड़ने का काम किया जा रहा है. खासतौर से नंदरई और बांसा जैसे गांव जो पूरे क्षेत्र में फैले हुए हैं, वहां सब से ज्यादा इस की आवश्यकता है, पानी गांव में तो आ गया है, लेकिन वहां नहीं पहुंचा.

राज्यमंत्री लखन पटेल ने कहा कि 40 फीसदी आबादी गांव में रह रही है, बाकी 60 फीसदी बाहर रह रहे हैं, यही स्थिति है, उस के लिए सर्वे किया जा रहा हैं. सर्वे के बाद आप सभी के घर पानी पहुंचाने का काम होगा.

इस अवसर पर उपाध्यक्ष जिला पंचायत मंजू धर्मेंद्र कटारे, गौरव पटैल, खरगराम पटेल, ललित पटेल, खिलान अहिरवार, नरेश सराफ, सुखई दाऊ, अशोक सिंह सहित अन्य गणमान्य नागरिक, पंचायत प्रतिनिधि, जनप्रतिनिधि मौजूद थे.

पालतू पशुओं की होगी गिनती – जिले में 21वीं पशु संगणना का काम शुरू

नीमच : उपसंचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं ने बताया कि जिले में 21वीं पशु संगणना 2024 का काम प्रारंभ किया जा चुका है. पशु संगणना का यह काम भारत सरकार का राष्ट्रीय कार्यकम है. यह कार्य प्रत्येक 5 साल में किया जाता है.

जिले में 21वीं पशु गणना का काम ग्रामीण क्षेत्रों में 48 प्रगणकों एवं शहरी क्षेत्रों में 17 प्रगणकों और 7 सुपरवाइजरों द्वारा किया जा रहा है. नीमच जिले के तीनों विकासखंडों में पशुगणना का काम 4 माह में पूरा किया जावेगा.

पशु गणना का काम औनलाइन एप के माध्यम से किया जा रहा है. पशु गणना में सभी 16 प्रकार के पालतू पशुओं की गणना घरघर जा कर की जाएगी, जिस में एप पर पशु के प्रकार को दर्ज करने के लिए विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्‍त की जाएगी. साथ ही, क्षेत्र के अंतर्गत पाए जाने वाले सभी प्रकार के पशुओं के नस्लों की जानकारी भी ली जाएगी.

पशु चिकित्‍सा विभाग द्वारा जिले के नागरिकों से अपील की है कि वे अपने पशुओं की सहीसही जानकारी विभागीय अमले को अवगत कराएं, जिस से कि भविष्य में शासन द्वारा पशुपालन विकास की योजनाओं को मूर्त रूप दिया जा सके.

नवाचार देखने टीम के साथ पहुंचे कलक्टर

पांढुरना : कलक्टर अजय देव शर्मा द्वारा एपीसी बैठक के परिप्रेक्ष्य में 6 नवंबर, 2024 को विभाग द्वारा किए जा रहे कामों की समीक्षा की गई. उपसंचालक, कृषि, जितेंद्र कुमार सिंह द्वारा पांढुरना जिले में खरीफ फसल कपास का क्षेत्र विस्तार एवं कपास के साथ अंतरवर्तीय फसल के रूप में अरहर फसल अंतरवर्तीय पद्धति से कपास की खेती, ग्रीष्मकालीन ज्वार, मूंगफली, मक्का फसल को बढावा देने की बात कही गई.

पांढुरना कलक्टर अजय देव शर्मा द्वारा सभी कृषि संबंध विभाग उपसंचालक, पशुपालन, उपसंचालक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण एवं मैदानी अधिकारियों के साथ हिवरासेनाडवार के प्रगतिशील किसान नामदेव रबड़े के खेत में पहुंच कर उन के द्वारा किए जा रहे नवाचार पपीते की खेती, टमाटर, फूलगोभी, केले की खेती का निरीक्षण किया गया.

किसान नामदेव रबड़े द्वारा किए जा रहे नवाचार की सराहना की गई एवं जिले के सभी किसानों को इस तरह की पारंपरिक खेती के साथ ही नवाचार के रूप में अन्य फसलों को अपनाने की अपील की गई, जिस से किसानों को प्रति इकाई क्षेत्रफल से अच्छा लाभ प्राप्त हो सकेगा.

निरीक्षण के क्रम में प्रगतिशील किसान पूरन सिंह खानवे के खेत में पहुंच कर संतरे, पिंक ताइवान अमरूद की फसल का निरीक्षण किया गया.

निरीक्षण के दौरान उपसंचालक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग डा. एचजीएस पक्षवार, सहायक संचालक, कृषि, दीपक चौरसिया, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी सुनील गजभिये, विनोद लोखंडे, नितिन डेहरिया, राहुल सरयाम, साक्षी खरात, उद्यानिकी विभाग के सिध्दार्थ दुपारे, पशु चिकित्सा विभाग के केतन पांडे एवं व्यापारी संघ के निकेश खानवे, आलोक नाहर, संजय, रूपेश कसलीकर, किशोर डाले, रूपेश राजगुरू एवं प्रगतिशील किसान उपस्थित थे.