नवाचारों को बढ़ावा देने में अग्रणी एमपीयूएटी : उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के साथ हुआ समझौता

उदयपुर : 21 नवंबर, 2024. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि सौर ऊर्जा दोहन, पेटेंट्स, आईएसओ प्रमाणित लैब, आईएसओ प्रमाणित केवीके, कालेज, स्कूप्स एच इंडेक्स, क्राप केफेटेरिया, सभी केवीके में मिलेट वाटिका विकसित करने जैसी दर्जनों गतिविधियां एमपीयूएटी को प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों में शीर्ष पर रेखांकित करती है.

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने पिछले दिनों हल्द्वानी, उत्तराखंड में कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए यह बात कही. कार्यक्रम में राजस्थान के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के बीच शोध व नवाचार को ले कर एक समझौतापत्र पर हस्ताक्षर हुए, जिस में यह तय किया गया कि दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शोध व नए प्रयोगों का आदानप्रदान होगा. इस से दोनों विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को लाभ मिल सकेगा.

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने इस मौके पर विस्तारपूर्वक देश के कृषि परिदृश्य पर बात रखी और कहा कि बीजों से पैदावार बढ़ाने को ले कर देशभर में बहुत काम हो रहा है, लेकिन कीटनाशकों के अधिक इस्तेमाल को हमें रोकना होगा. यही नहीं, हमें हरित क्रांति के दुष्प्रभावों को देखना होगा और उसी के अनुरूप रणनीतियां बनानी होंगी.

उन्होंने आगे कहा कि एमपीयूएटी ने 14 से अधिक विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ करार किया हुआ है, जिस का लाभ विद्यार्थियों को मिल रहा है. एमपीयूएटी ने वर्ष 2024 में 25 पेटेंट हासिल किए व कुल पेटेंट 54 हैं. एमपीयूएटी ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है. एमपीयूएटी में सौर ऊर्जा से हर साल एक करोड़ रुपए से ज्यादा के बिजली बिल का खर्च बचाया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के 5 महाविद्यालयों और एक विभाग को मिला कर 1100 किलोवाट (1.1 मेगावाट) का औन ग्रिड प्लांट लगा हुआ है. यह प्रदेश के सभी विश्वविद्यालया में लगा सब से बड़ा प्लांट है. राजस्थान कृषि महाविद्यालय में 500 किलोवाट, जबकि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में 465 किलोवाट का प्लांट लगा है.

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि मोटा अनाज व आईएसओ के क्षेत्र में बेतहरीन कार्य के लिए उन के विश्वविद्यालय को राज्यपाल अवार्ड से सम्मानित किया गया है. उन्होंने कहा कि देश की 65 फीसदी आबादी आज भी सीधेतौर पर खेती से जुड़ी है. ऐसे में कृषि के क्षेत्र में शोध एवं नवाचार की बहुत आवश्यकता है.

उन्होंने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि यहां पर आईसीटी व शिक्षार्थियों के लिए पाठ्य सामग्री बहुत अच्छी गुणवत्तायुक्त तैयार की जा रही है, जिस का लाभ निश्चय ही उन के विश्वविद्यालय के विद्यार्थी ले पाएंगे.

कार्यक्रम में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी ने विश्वविद्यालय के कार्यों को निरूपित करते हुए एक पीपीटी प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया.

विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी ने कहा कि इस तरह के करार से शिक्षार्थियों को एक बड़ा फलक मिल पाएगा, जिस से उन के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में विज्ञान शाखा के निदेशक प्रो. पीडी पंत ने व विश्वविद्यालय कुलसचिव खीमराज भट्ट ने सभी का आभार व्यक्त किया.

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रो. मंजरी अग्रवाल, प्रो. डिगर सिंह फरस्वाण, डा. कल्पना लखेड़ा पाटनी, डा. रंजू जोशी, प्रो. राकेश चंद्र रयाल आदि ने भी विचार रखे.

फलासिया के किसान करेंगे उन्नत कृषि यंत्रों का उपयोग

नई दिल्ली : महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविध्यालय के फार्म मशीनरी विभाग में कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा संचालित कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में श्रम विज्ञान एवं सुरक्षा पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना द्वारा फलासिया की ग्राम पंचायत पानरवा, में कृषि कार्यों में सुरक्षा पर एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल से परियोजना समन्वयक डा. सुखबीर सिंह द्वारा परियोजना की तरफ से क्षेत्र की 40 महिला किसानों को उन्नत कृषि यंत्र भी प्रदान किए गए.

डा. सुखबीर सिंह ने बताया कि खेती में किसानों की रुचि जगाने के लिए कृषि कार्यों को सुगम एवं आरामदायक बनाने के लिए उन्नत एवं श्रम साध्य कृषि यंत्रों को अपनाना अति आवश्यक है. कृषि कार्यों के दौरान उड़ने वाले धूलकणों, रसायनों से बचने के लिए स्प्रे सेफ्टी किट का उपयोग करना बहुत जरूरी है. अरावली के इस सुंदर पहाड़ी क्षेत्र में किसानों के छोटेछोटे खेत हैं, जिन में बड़े कृषि यंत्रों का उपयोग संभव नहीं है. इसलिए यहां के किसानों को एकदूसरे से जुड़ कर खेती करनी होगी.

खेती में उपलब्ध हैं अनेक छोटे कृषि यंत्र

फार्म मशीनरी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं परियोजना प्रभारी डा. सांवल सिंह मीना ने बताया कि परियोजना के उदयपुर केंद्र द्वारा विकसित प्रताप व्हील हो एक ऐसा यंत्र है, जिस से किसान बहुत ही आसान तरीके से फसलों से खरपतवार निकाल सकते हैं. इस यंत्र की सहायता से किसान निराई का काम भी कर सकते हैं.

परियोजना के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सोलर मक्का थ्रैशर भी छोटे किसानों के लिए बहुत लाभदायक है, क्योंकि इस मशीन द्वारा भुट्टे से छिलका एवं दाना निकालने के दोनों काम एकसाथ हो जाते हैं. परियोजना की तरफ से अनुसूचित जाति के 40 किसानों को प्रताप व्हील हो, स्प्रे सुरक्षा किट एवं उन्नत दरांत के साथसाथ 20 किसानों को नेपसैक स्प्रयेर प्रदान किए गए.

फार्म मशीनरी विभाग से डा. सीपी दोशी ने किसानों को खेती के दौरान तेज धूप से बचने के लिए परियोजना द्वारा बनाई गई सोलर टोपी की जानकारी देते हुए बताया कि इस टोपी में सोलर से चलने वाला एक पंखा लगा हुआ है, जिस से किसान तेज धूप में भी आराम से खेती के काम कर सकते हैं.

तनिक सहायक रेखा धाकड़ ने महिला किसानों को स्प्रे सुरक्षा किट को पहना कर बताया कि कैसे यह किट स्प्रे काम के दौरान कीटनाशकों को सांस एवं आंख में जाने से रोकता है.

कार्यक्रम में कृषि विभाग, फलासिया के प्रभारी कृषि अधिकारी शिवदयाल मीना ने किसानों को सरकार द्वारा कृषि यंत्रों पर चलाई जा रही विभिन्न अनुदान योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि सरकार यंत्रीकरण को बढ़ाने के प्रयास कर रही है. वास्तव में कृषि में लागत कम करने के लिए यंत्रीकरण बहुत ही आवश्यक है.

प्रशिक्षण के दौरान फार्म मशीनरी विभाग से डा. नवीन कुमार सी., नरेंद्र कुमार यादव और भरत कुमार ने भी किसानों को आधुनिक तकनीकी के बारे में बताया एवं परियोजना में विकसित मक्का थ्रैशर को प्रदर्शित किया गया. उन्नत कृषि यंत्र पा कर किसानों के चेहरे खिल उठे और कहने लगे कि अब हम भी खेत में आधुनिक किसान बन कर काम करेंगे.

दलहन, तिलहन व फलफूल ( Pulses, Oilseeds and Fruit Crops) के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता जरूरी 

उदयपुर :  कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि खाद्यान्न में तो हम संपन्न हैं, लेकिन दलहन, तिलहन और फलफूल उत्पादन के क्षेत्र में अभी बहुतकुछ करने की जरूरत है. दलहन, तिलहन में हम आत्मनिर्भर ही नहीं, बल्कि निर्यातक बन सकें, इस के लिए भरसक प्रयास करने होंगे.

राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी चौधरी पिछले दिनों राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में आयोजित पूर्व छात्र परिषद के 23वें राष्ट्रीय सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जब तक किसान के घर में समृद्धि नहीं होगी, देश में खुशहाली नहीं आ सकती.

उन्होंने आगे कहा कि दलहन व तिलहन उत्पादन में कृषि विज्ञान केंद्र महती भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने आश्वस्त किया कि कृषि विश्वविद्यालय संज्ञान में लाए, तो दलहन व तिलहन, फल एवं फूल उत्पादन में बेहतरी के लिए भारत सरकार हर संभव मदद को तैयार है.

मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान देश की 145 करोड़ की आबादी को हमारे अन्नदाता किसान ने अविस्मरणीय संबल दिया. यही कारण रहा कि आज देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिल रहा है. किसानों की आय बढ़ाने के प्रधानमंत्री के सपने को मूर्त रूप देने के लिए देशभर के कृषि विज्ञान केंद्र किसानों के लिए जनजागृति का काम करे.

उन्होंने कहा कि खासकर उदयपुर संभाग जनजाति बहुल इलाका है, ऐसे में यहां के विधार्थियों को कृषि शिक्षा ले कर किसानों की आय बढ़ाने में मददगार बनना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज धरती को बचाने की आवश्यकता है. डीएपी यूरिया के अनियंत्रित प्रयोग और अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से धरती की सेहत काफी बिगड़ चुकी है. इस पर चिंतन के साथसाथ जनजागरण की जरूरत है. धरती स्वस्थ रहेगी, तो मनुष्य भी स्वस्थ रहेगा. पानी को भी बचाना होगा. उन्नत बीज उत्पादन के साथसाथ कम पानी से पैदावारी कृषि वैज्ञानिकों का मूल मंत्र होना चाहिए. पहले बाजरा फसल 120 दिन में तैयार होती थी, लेकिन वैज्ञानिकों ने उन्नत बीज तैयार किए तो अब 70 दिन में फसल पक रही है.

Pulses Oilseeds and Fruit Crops

समारोह के विशिष्ट अतिथि सांसद मन्नालाल रावत ने देशभर से आए राजस्थान कृषि महाविद्यालय के पूर्व छात्रों को अनुभव का खजाना बताते हुए कहा कि वे कृषि से जुड़े सभी सैक्टर में अपने अनुभव साझा करें, ताकि 2047 में विकसित भारत के सपने को साकार रूप दिया जा सके.

कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि देवनारायण बोर्ड के चेयरमैन ओम बढाना व जिलाध्यक्ष भगवती प्रसाद सारस्वत ने भी विचार रखे.  उन्होंने कहा कि खेती में लागत बढ़ने से किसान विचलित है.

गांव ढ़ोलीखेड़ा बनेगा स्मार्ट गांव 

उदयपुर : 30 नवंबर, 2024. कृषि विज्ञान केंद्र, भीलवाड़ा द्वारा राज्यपाल स्मार्ट विलेज पहल कार्यक्रम के तहत एकदिवसीय वरिष्ठ नागरिक सेवार्थ शिविर का आयोजन चयनित गांव ढ़ोलीखेड़ा में किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि राज्यपाल स्मार्ट विलेज के तहत चयनित गांव ढ़ोलीखेड़ा को अब स्मार्ट गांव बनाया जाएगा.

उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत कृषि के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी का समावेश कर गांव में फसल उत्पादन, पशुपालन, मुरगीपालन, बागबानी द्वारा किसानों को अधिक आमदानी अर्जित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि एमपीयूएटी ने स्मार्ट विलेज योजना के अंतर्गत पूरे सेवा क्षेत्र में 5 गांवों का चयन किया है और उन्हें उसी तरह स्मार्ट गांवों में परिवर्तित किया जाएगा, जैसा कि हम ने पिछले 3 सालों में मदार में किया था.

डा. आरएल सोनी, निदेशक, प्रसार शिक्षा ने बताया कि कृषि में कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों को औषधीय फसलों एवं व्यापारिक फसलों की उन्नत खेती करने की आवश्यकता है. केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. सीएम यादव ने बताया कि इस शिविर में 165 वरिष्ठ नागरिकों ने भाग लिया, जिन्हें निःशुल्क स्वास्थ्य जांच और वृद्धावस्था पेंशन, ईकेवाईसी खाते की नकल, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, उन्नत कृषि यंत्रों पर अनुदान, वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना आदि जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी के साथ ही आ रही समस्याओं का निवारण किया गया. शिविर में वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य की जांच कर दवाई भी उपलब्ध करवाई गई.

इस अवसर पर टीएसपी कैपिटल योजना के तहत मिनी औयल मिल और सोलर थ्रैशर का उद्घाटन कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक द्वारा किया गया. इस दौरान सरपंच बद्री लाल जाट, डीन सीओए, भीलवाड़ा, मुख्य वैज्ञानिक डीएफआरएस, भीलवाड़ा, केवीके के अन्य कर्मचारी और बड़ी संख्या में किसान उपस्थिति थे.

66 मीटर लंबी पगड़ी बांध कर कुलपति का किया सम्मान

कृषि विज्ञान केंद्र, शाहपुरा के सेवा क्षेत्र के बोरानी गांव के लोगों द्वारा कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक को सम्मानित किया गया. वहां 6 गांवों के 66 किसानों ने 66 मीटर लंबी पगड़ी बांध कर उन के 66वें साल के जीवन की शुरुआत की व बधाई दी.

हकृवि में मशरूम (Mushroom) उत्पादन तकनीक पर प्रशिक्षण कार्यक्रम

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान द्वारा पिछले दिनों तीनदिवसीय मशरूम उत्पादन तकनीक पर 2 प्रशिक्षण आयोजित किए गए. पहले प्रशिक्षण में मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा राज्य के विभिन्न जिलों से प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया. इन में कई महिलाएं भी शामिल थीं, जबकि दूसरे प्रशिक्षण में गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय, हिसार के विज्ञान संकाय के छात्रों ने हिस्सा लिया.

संस्थान के सहनिदेशक डा. अशोक कुमार गोदारा ने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज के मार्गदर्शन में आयोजित किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रम में मशरूम उत्पादन तकनीक के बारे में प्रशिक्षणार्थियों को विस्तृत जानकारी दी गई. मशरूम के उत्पादन के लिए कृषि अवशेषों को ही इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए मशरूम उत्पादन के लिए इन का इस्तेमाल होना स्वच्छ पर्यावरण के लिए एक अच्छा विकल्प है.

प्रशिक्षण के संयोजक डा. सतीश मेहता ने बताया कि मशरूम उत्पादन को शुरू में एक व्यवसाय के रूप में छोटे स्तर पर शुरू किया जाना चाहिए.

इस प्रशिक्षण में पौध रोग विभाग के सहायक वैज्ञानिक डा. जगदीप सिंह ने सफेद बटन खुम्ब की छोटी और लंबी विधि से खाद तैयार करने, केसिंग तैयार करने की विधि इत्यादि विषयों पर प्रकाश डाला.

सब्जी विभाग के सहवैज्ञानिक डा. विकास कंबोज ने वातानुकूलित कक्ष में मशरूम उत्पादन और स्पेंट मशरूम खाद की विशेषताओं पर प्रकाश डाला. वहीं डा. राकेश कुमार चुघ ने ढींगरी, मिल्क और कीड़ा जड़ी/कोर्डीसैप मिलिटेरिस मशरूम को उगाने कि विधि के बारे में बताया. डा. अमोघवर्षा ने शिटाके मशरूम की उत्पादन तकनीक पर व्याख्यान दिया.

डा. संदीप भाकर ने बताया कि सफेद बटन खुम्ब उगाने पर लगभग 50 रुपए प्रति किलोग्राम लागत आती है और बाजार में लगभग 100 रुपए प्रति किलोग्राम इस का भाव मिल जाता है. प्रशिक्षणार्थियों का विश्वविद्यालय की मशरूम टैक्नोलौजी प्रयोगशाला का भ्रमण करवाया और व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण जानकारियां दे कर उन का कौशल विकास किया.

ग्लोबल गैप प्रमाणन कृषि उत्पादों के लिए समर्पित

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि ग्लोबल गैप प्रमाणन कृषि उत्पादों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक मान्यताप्राप्त प्रमाणन है, जो कि पर्यावरण के अनुकूल कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के लिए है. इस से कृषि उपजों में रसायनों के प्रयोग को कम करने को बढ़ावा मिलेगा, किसानों की आय में वृद्धि होगी और लोगों के स्वास्थ्य व सुरक्षा को मजबूती मिलेगी, जिस से आने वाली पीढ़ी को भी स्वास्थ्यवर्धक व सुरक्षित भोजन मिलेगा.

मंत्री दिनेश प्रताप सिंह पिछले दिनों गोमती नगर के मंडी परिषद सभागार में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लागू अच्छी कृषि पद्धतियों ग्लोबल गैप (गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिसेज) प्रमाणीकरण का हाईब्रिड मोड में आयोजित एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदेश के प्रमुख कृषि निर्यातोन्मुखी एफपीओ/एफपीसी, कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय एवं उद्यान विभाग के अधिकारियों के लिए आयोजित किया गया था, जिस में लगभग 125 प्रतिभागियों द्वारा औनलाइन भी प्रतिभाग किया गया. यह प्रशिक्षण भारत में ग्लोबल गैप की अधिकृत संस्था एसजीएस इंडिया प्रा. लि., मुंबई के नैशनल मैनेजर फूड एंड एग्रीकल्चर नीरज पुरी द्वारा प्रदान किया गया.

इस अवसर पर मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि ग्लोबल गैप मिशन का उद्देश्य सुरक्षित और अधिक प्रभावी कृषि पद्धतियों को वैश्विक रूप से अपनाना है, जिस से खाद्य और अन्य कृ़षि उत्पादों का उत्पादन वर्तमान की आवश्यकताओं और भविष्य की मांगों को पूरा करने की क्षमता के साथ संतुलित हो सके. ग्लोबल गैप प्रमाणन सब से सम्मानित और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यताप्राप्त मानक है. दुनियाभर के लगभग 2 लाख उत्पादक इस में सम्मिलित हैं.

कार्यक्रम के दौरान उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदेश के कृषि, उद्यान और कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय/विभाग के मंडलीय अधिकारियों को ग्लोबल गैप के मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण कराया जाए और इन मानकों का हिंदी भाषा में एक सरलीकृत पंपलेट तैयार कर बांटा जाए, जिस से प्रदेश के किसानों में यूरोपीय देशों में निर्यात के लिए आवश्यक इस अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणीकरण को सरलता से जागरूक किया जा सके. प्रदेश के प्रत्येक ब्लौक में एक निर्यात योग्य उत्पाद का प्रगतिशील किसान/एफपीओ, एफपीसी को उक्त उत्पाद के लिए ग्लोबल गैप का प्रशिक्षण दिलाया जाना सुनिश्चित किया जाए.

उन्होंने कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय का दूरभाष नंबर 0522-2707587 और उपनिदेशक, उद्यान का दूरभाष नंबर 9415130984 नोट कराया, जिस पर कृषि निर्यात से संबंधित किसी भी समस्या का समाधान प्राप्त किया जा सकेगा.

कार्यक्रम में ग्लोबल गैप के जर्मनी स्थित मुख्यालय की प्रोग्राम कोआर्डिनेटर गैबरीला कोरल एलानिस ने कार्यक्रम में औनलाइन प्रतिभाग करते हुए प्रदेश में ग्लोबल गैप मास्टर ट्रेनर तैयार करने के लिए संस्था द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया.

प्रशिक्षण में अपर मुख्य सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण बीएल मीणा, कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशक टीके शिबु, उपनिदेशक डा. सुग्रीव शुक्ल, इंडोजर्मन प्रोजैक्ट जयपुर के डिप्टी टीम लीडर प्रत्यूश रंजन सिंह, ग्लोबल गैप मुंबई के एडवाइजर संदीप मधुकर सोनकूल सहित उद्यान एवं कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.

सूत्रकृमियों (Nematodes) के जैव नियंत्रण से फसलों की सुरक्षा (Protection of Crops)

हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत ‘कृषि में सूत्रकृमियों का महत्व’ विषय पर आयोजित दोदिवसीय वार्षिक समीक्षा बैठक का समापन हुआ. इस बैठक में देशभर के 24 केंद्रों वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों ने भाग लिया.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अतिरिक्त महानिदेशक डा. पूनम जसरोटिया ने कहा कि सूत्रकृमियों के जैव नियंत्रण से फसलों को बचाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि सूत्रकृमियों की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है और किसानों को इस समस्या से निदान करने में सूत्रकृमि वैज्ञानिकों का योगदान महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. सूत्रकृमि की समस्या का निदान करने के लिए वैज्ञानिकों को और अधिक बेहतर ढंग से काम करना होगा.

प्रोग्राम कोआर्डिनेटर डा. गौतम चावला ने विभिन्न केंद्रों द्वारा सूत्रकृमियों को ले कर किए गए कामों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की. उन्होंने सभी वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं से इस क्षेत्र में आपसी तालमेल के साथ काम करने पर बल दिया.

बैठक में जैव विविधता, सूत्रकृमियों से उत्पादन में कमी, विभिन्न फसलों, सब्जियों, तिलहन, संरक्षित खेती और जैव नियंत्रण के साथ सूत्रकृमि में नियंत्रण के परिणाम साझा किए गए और भविष्य की योजना बनाई गई.

डा. आरके जैन ने सूत्रकृमि वैज्ञानिकों के पदों की संख्या बढ़ाए जाने पर जोर दिया, ताकि देश में बढ़ती जा रही इस समस्या से निबटने के लिए योजनाबद्ध ढंग से काम किया जा सके.

डा. एचएस गौड ने बताया कि भूतकाल के अनुभव से भविष्य की योजना बना कर सूत्रकृमि का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है, वहीं डा. क्रांति ने संरक्षित खेती में सूत्रकृमि नियंत्रण के बारे में बताया.

बैठक में डा. हेमराज, डा. निशी केसरी, डा. होसागुदार, डा. प्रहलाद, डा. आशीष कुमार व डा. मंजुनाथ ने गत वर्ष के दौरान किए गए कार्यों की जानकारी दी. डा. अनिल कुमार ने बैठक में धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया. मंच का संचालन डा. चेत्रा भट्ट ने किया.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक माहौल से कृषि विद्यार्थी हो रहे लाभान्वित

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय सभागार में पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बीएससी, एमएससी, एग्रीबिजनैस और पीएचडी परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने पुरस्कार वितरित किए.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने अपने संबोधन में कहा कि हकृवि के विद्यार्थियों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. विद्यार्थियों ने कड़ी मेहनत एवं लगन के साथ पढ़ाई कर के अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया है. विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने यूपीएससी, एआरएस, एचसीएस, एचपीएससी सहित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर के उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि यहां के विद्यार्थी देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी प्रदेश एवं देश का नाम रोशन कर रहे हैं. इस का श्रेय विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत, शिक्षकों के मार्गदर्शन और विश्वविद्यालय के शैक्षणिक माहौल को जाता है. हकृवि के विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ समझौते होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर का शैक्षणिक माहौल है, जिस से विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं व कैरियर में नित नई ऊंचाइयां छू रहे हैं. विद्यार्थियों ने अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर परिश्रम किया, जिस के लिए वे बधाई के पात्र हैं.

उन्होंने बताया कि हकृवि का कृषि महाविद्यालय कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा के क्षेत्र में देश के सब से बड़े कालेजों में से एक है. प्रतिस्पर्धा के इस दौर में विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए. विद्यार्थियों को देश का उज्ज्वल भविष्य बताते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए शिक्षा का प्रचारप्रसार बहुत जरूरी है.

Agriculture students

कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि महाविद्यालय में विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया गया है. कार्यक्रम में बीएससी एग्रीकल्चर (4 साल) के 101 छात्र, बीएससी एग्रीकल्चर (6 साल) 65 विद्यार्थी, बीएससी एग्रीबिजनैस मैनेजमेंट के 9 विद्यार्थी, स्नातकोत्तर और पीएचडी के 572 विद्यार्थियों को पुरस्कार प्रदान किए गए.

उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए स्मार्ट क्लासरूम, आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, कंप्यूटर सैक्शन, परीक्षा हाल, सैमिनार हाल आदि सुविधाएं उपलब्ध हैं.

स्नातकोत्तर शिक्षा अधिष्ठाता डा. केडी शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया. मंच का संचालन डा. रीना चौहान व डा. शुभम लांबा ने किया. इस अवसर पर सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी, शिक्षक एवं विद्यार्थी व अभिभावक उपस्थित रहे.

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना है लाभकारी

खंडवा : प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना के अंतर्गत शासकीय उद्यान रोपणी बोरगांव खुर्द विकासखंड खंडवा में जिला स्तरीय कार्यशाला (डीआरपी एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों आदि) की संगोष्ठी का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि के रूप में ग्राम पंचायत बोरगांव खुर्द की महिला सरपंच नन्नी बाई पांडे उपस्थित हुईं.

उपसंचालक, उद्यान, अजय चौहान ने बताया कि कार्यशाला में 35 उद्यमियों/किसानों ने भाग लिया, जिस में मुख्य प्रवक्ता के रूप में बैंक औफ इंडिया, जिला खंडवा के लीड बैंक मैनेजर संजय करोड़ी एवं चीफ मैनेजर डेविड डोंगरे द्वारा मार्केटिंग स्किल एवं बैंक लोन स्वीकृति के बारे में बताया गया कि आवेदन करने के पश्चात 2 दिन के भीतर हार्ड कौपी बैंक में भी प्रस्तुत करें, जिस से तत्काल सिविल स्कोर देखा जा सकें. सिविल स्कोर सही पाए जाने पर 10 फीसदी मार्जिन मनी जमा कर 1 लाख, 60 हजार रुपए तक का लोन स्वीकृत बैंक ब्रांच से ही किया जाता है एवं इस से अधिक की राशि होने पर लोन स्वीकृति खंडवा से होती है, जिस में अधिकतक 6 से 7 दिन का समय लगता है.

इस के बाद कृषि विज्ञान केंद्र से उपस्थित डा. रश्मि शुक्ला द्वारा बताया गया कि प्याज पाउडर एवं पेस्ट बना कर वेल्यु एडिशन कर अच्छे मूल्य पर बेच कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. मशरूम, बेकरी प्रोडक्ट, मल्टीग्रेन आटे के बिसकुट, टमाटर, मिर्च की प्रोसैसिंग भी पीएमएफएमई योजना के तहत इकाई लगा कर लाभ प्राप्त किया जा रहा है. सोयाबीन से सोया पनीर एवं सोया दूध की विधि को विस्तार से बताया गया. इस के पश्चात जिला रिसोर्स पर्सन सिद्धार्थ राठौर ने पीएमएफएमई योजना के अंतर्गत आवश्यक दस्तावेज आधारकार्ड, पेनकार्ड, बैंक की पासबुक, कोटेशन एवं मशीनों की जानकारी दी.

सफलता की कहानी : ‘मां की बगिया’ योजना से तरक्की कर रही महिलाएं

मुरैना : ‘मां की बगिया शासकीय योजना’ एक ऐसी योजना है, जिस का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन की माली स्थिति में सुधार करने के लिए कृषि और बागबानी में प्रशिक्षण और समर्थन प्रदान करना है.

यह योजना महिलाओं को अपने घरों के पास बगिया बनाने और उस में फल, सब्जियां और फूल उगाने के लिए प्रोत्साहित करती है. इस योजना के तहत, महिलाओं को बीज, उर्वरक और अन्य आवश्यक सामग्री प्रदान की जाती है, साथ ही, उन्हें बागबानी और कृषि के बारे में प्रशिक्षण भी दिया जाता है.

‘मां की बगिया शासकीय योजना’ के उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, महिलाओं की माली स्थिति में सुधार करना, कृषि और बागबानी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करना मां  की बगिया शासकीय योजना के लाभ महिलाओं को आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करना, महिलाओं को अपने परिवार की माली स्थिति में सुधार करने में मदद करना, ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और बागबानी को बढ़ावा देना, महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में मदद करना है.

ऐसी ही एक मां की बगिया का निर्माण ग्राम पंचायत भौनपुरा, जनपद पंचायत अम्बाह, जिला मुरैना में पंचायत भवन एवं आंगनबाड़ी के पास करवाया गया है. इस मां की बगिया से आंगनबाड़ी में बच्चों के लिए जो खाना बनता है, उस के लिए ताजा सब्ज़ियों की पूर्ति की जाती हैं. सब्जियों के अलावा मां की बगिया में फलदार एवं फूलदार पेड़ भी लगाए गए हैं, जो कि इस की खूबसूरती बढ़ाते हैं. मां की बगिया बनने से कई लोगों को रोज़गार भी मिला है एवं बच्चों को ताजा सब्जियां मिलने से उन की सेहत में भी सुधार हो रहा है.