धान (Paddy) की हो रही बंपर खरीद

श्योपुर : कृषि उपज मंडी, श्योपुर में इन दिनों धान (Paddy)  की बंपर आवक हो रही है. जिले के किसानों को अन्य मंडियों की अपेक्षा दाम भी अधिक मिल रहे हैं. प्रतिदिन 20 से 22 हजार क्विंटल धान  (paddy) व्यापारियों द्वारा खरीदा जा रहा है.

कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष खरीफ सीजन में धान का रकबा 88,000 हेक्टेयर के लगभग रहा है. अनुकूल मौसम और जलवायु के चलते धान (Paddy) की बंपर पैदावार हुई है, इस से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं. वर्तमान में श्योपुर मंडी में 700 से 800 ट्रौली के लगभग धान बिकने के लिए आ रहा है.

कलक्टर किशोर कुमार कन्याल के मार्गदर्शन में कृषि उपज मंडी में धान (Paddy) खरीदी का कार्य व्यवस्थित तरीके से चल रहा है. प्रतिदिन आने वाली ट्रौलियों के लिए मंडी में पंजीकृत व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं फर्मो द्वारा धान की खरीदी की जा रही है, वर्तमान में स्थानीय व्यापारियों के अलावा हरियाणा व राजस्थान की फर्में भी धान खरीदी का कार्य कर रही हैं.

इस वर्ष विशेष रूप से धान (Paddy) की किस्म 17-18 बासमती का उत्पादन प्रचुर मात्रा में हुआ है. मंडी सचिव एसडी गुप्ता ने बताया कि इसी धान की सर्वाधिक ट्रौलियाँ नीलामी के लिए आ रही हैं. 20 से 22 हजार क्विंटल धान प्रतिदिन खरीदा जा रहा है. श्योपुर मंडी में आसपास की मंडियों की अपेक्षा धान (Paddy) की कीमत भी अधिक मिल रही है. वर्तमान में औसत भाव 3,400 से 3,550 रुपए तक चल रहा है, गत 19 नवंबर के भाव का आंकलन किया जाए, तो श्योपुर मंडी के धान का भाव 3,450 से 3,600 रहा, जबकि समीपवर्ती राजस्थान की कोटा मंडी में 3,200 से 3,450, बूंदी मंडी में 3,150 से 3,420 और मध्य प्रदेश की डबरा मंडी में 3,250 से 3,400 के भाव रहें.

इसी प्रकार श्योपुर की मंडी में अन्य मंडियों की अपेक्षा किसानों को 100 रुपए प्रति क्विंटल का भाव अधिक मिल रहा है, जो किसानों के लिए फायदेमंद है. साथ ही, श्योपुर मंडी में ही वे अपनी फसल सुविधाजनक तरीके से बेच पा  रहे हैं. बाहर की मंडियो में विक्रय के लिए फसल ले जाने पर उस पर होने वाले व्यय के साथसाथ समय की बचत भी हो रही है.

इस प्रकार श्योपुर के किसानों को 2 तरह से लाभ हो रहा है. पहला तो यह कि यहां अधिक दाम मिल रहे हैं, वहीं दूसरा अन्य मंडियों में फसल ले जाने पर होने वाले खर्च की बचत हो रही है.

विकसित करेंगे एसएमएस सिस्टम   

कलक्टर किशोर कुमार कन्याल का कहना है कि जिले में धान की बंपर आवक को देखते हुए इस के श्योपुर मंडी में विक्रय की व्यवस्था को और अधिक आसान बनाने के उद्देश्य से एसएमएस सिस्टम विकसित किया जाएगा. इस संबंध में मंडी अधिकारियों से बातचीत कर निर्देश दिए गए हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि धान उत्पादन करने वाले किसानों के पूर्व पंजीयन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी, इस के बाद इलैक्ट्रोनिक प्रणाली से उन्हें मंडी में धान बेचने की सूचना प्रदान की जाएगी, जिस से धान बेचने में लगने वाले समय और अन्य संसाधनों की और अधिक बचत हो सकेगी.

बी ग्रेड में नंबर वन है, श्योपुर की मंडी

मंडी सचिव एसडी गुप्ता ने बताया कि बी ग्रेड श्रेणी में श्योपुर की कृषि उपज मंडी पूरे मध्य प्रदेश में नंबर वन है. खरीदफरोख्त के आधार पर श्योपुर मंडी को यह दर्जा मिला है. गत वर्ष 2023 में इस संबंध में श्योपुर मंडी को नबंर वन के लिए पुरस्कार प्राप्त हुआ था.

उन्होंने बताया कि धान की बड़ी मात्रा में खरीदी का काम चल रहा है. डबरा, मुरैना, कोटा, बांरा, बूंदी की मंडियों से अधिक दाम किसानों को श्योपुर मंडी में मिल रहे हैं. बंपर खरीदी से श्योपुर मंडी के राजस्व के भी बढ़ने की उम्मीद है. पिछले साल 12 करोड़ रुपए मंडी टैक्स में मिले थे, इस बार 14 करोड़ रुपए के टैक्स की उम्मीद की जा रही है. अभी तक 5 करोड़ रुपए मंडी टैक्स आ चुका है. खरीदफरोख्त के लिए नवंबर से मार्च माह तक का सीजन रहता है. मार्च तक हम 14 करोड़ रुपए के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे.

उद्यानिकी फसल से किसान की आय में हुआ इजाफा

खंडवा : परंपरागत खेती से हट कर कुछ अलग किया जाए या कृषि में नई तकनीकों को अपना कर खेती की जाए, तो निश्चित ही खेती में मुनाफा बढ़ता है खासकर उद्यानिकी फसलों में यह देखने में आया है कि जिस ने भी इस में काम किया, उसे खेती में पहले से अधिक फायदा हुआ.

इसी बात को ले कर हम यहां किसान आंनद राम पटेल की बात कर रहे हैं. वे गांव धनगांव विकासखंड छैगांवमाखन जिला खंडवा के रहने वाले हैं. अभी तक उन के द्वारा परंपरागत तरीके से कपास की खेती 2.40 हेक्टेयर में की जाती थी, जिस में किसान को शुद्ध मुनाफा मात्र 1.82 लाख रुपए मिलता था.

उपसंचालक, उद्यान, अजय चौहान ने बताया कि उद्यानिकी विभाग द्वारा किसान को खीरा फसल की खेती के बारे में तकनीकी मार्गदर्शन दिया गया, जिस से प्रोत्साहित हो कर किसान ने 2.40 हेक्टेयर में ड्रिप व मल्चिंग पद्धती अपना कर खीरा की फसल लगाई, जिस से किसान को कुल उत्पादन 1100 क्विंटल प्राप्त हुआ, जिस का बाजार मूल्य 15.50 लाख रुपए प्राप्त हुए. इस में किसान को कुल खर्च लगभग 6 लाख रुपए आया. इस प्रकार किसान को शुद्ध लाभ 9.50 लाख रुपए प्राप्त हुआ, जिस से किसान की आय में वृद्धि हुई.

उद्यानिकी फसलों (Horticultural Crops) के उत्पादन में मध्य प्रदेश देश का अग्रणी राज्य

भोपाल : उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह एग्रोविजन राष्ट्रीय कृषि मेले में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में मध्य प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है. मध्य प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए बेहतर माहौल है.

उन्होंने आगे कहा कि खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में काम करने वाली इकाइयों को केंद्र के साथ राज्य सरकार भी विशेष अनुदान मुहैया कराती है.

मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने कृषि मेले में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से भेंट की और मेले के आयोजन को किसानों के हित में बताया. उन्होंने कहा कि एग्रोविजन मेले में स्टार्टअप्स एवं नवीन तकनीकियों, उन्नत खाद्य एवं बीज, कृषि उपकरणों के प्रदर्शन के साथ किसानों और उद्यमियों को नवीन इकाइयों की स्थापना के लिए शासन की योजनाओं की जानकारी दी जा रही है. इस से वे योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकें. उन्होंने कहा कि इस तरह के मेले देश के अन्य राज्यों में भी आयोजित किए जाने चाहिए.

मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने राष्ट्रीय कृषि मेले में शामिल हुई विभिन्न इकाइयों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर, उन्हें मध्य प्रदेश आने का आमंत्रण दिया. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में उद्यानिकी के क्षेत्र में प्रचुर संभावनाएं हैं. वर्ष 2023-24 में 4.30 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में उद्यानिकी फसलों की बोनी की गई, इस में 96 लाख, 11 हजार मीट्रिक टन से अधिक उद्यानिकी फसलों का उत्पादन हुआ है, जो कि एक रिकौर्ड है.

उन्होंने आगे बताया कि मध्य प्रदेश देश में संतरा, टमाटर, धनिया, लहसुन और मसाला फसलों के उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है. राज्य सरकार खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में करने वाली इकाइयों को प्रोत्साहित कर रही है. मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना के अंतर्गत 5 वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है. इस वजह से भारत सरकार द्वारा प्रदेश में इस योजना की अवधि एक वर्ष और बढ़ा दी गई है. अब यह योजना प्रदेश में मार्च, 2025 तक प्रभावी रहेगी. योजना में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में काम करने वाली निजी इकाइयों को 35 फीसदी या अधिकतम 10 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जाता है.

इस अवसर पर प्रमुख सचिव उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण अनुपम राजन, आयुक्त हथकरघा एवं प्रबंध संचालक संत रविदास हस्तशिल्प विकास निगम मदन कुमार सहित विभागीय अधिकारी भी उपस्थित थे.

Milk production: मध्य प्रदेश में बढ़ेगा दूध का उत्पादन

भोपाल : मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश में देश के कुल दूध उत्पादन का 9 फीसदी उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है. इसे 20 फीसदी तक ले जाने के लिए समन्वित प्रयास किए जाएंगे.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव पिछले दिनों मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में संगठित क्षेत्र में दुग्ध संकलन बढ़ाने और सहकारी दुग्ध संघ और महासंघ के सुदृढ़ीकरण के संबंध में उच्च स्तरीय बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर रहे थे.

पशुपालन एवं डेयरी विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल, विधायक हेमंत खंडेलवाल, मुख्य सचिव अनुराग जैन और नैशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के चेयरमेन डा. मीनेश शाह सहित विभागीय अधिकारी भी उपस्थित थे.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि सहकारी क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन के प्रयासों में वृद्धि की जाएगी. प्रदेश के जिन ग्रामों में सहकारी समितियां कार्य कर रही हैं, वहां दूध उत्पादन बढ़ाने में अच्छी सफलता मिलेगी. साथ ही, शेष ग्रामों के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है. इस कार्ययोजना के क्रियान्वयन के लिए जिला स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. राजगढ़ जैसे जिलों में किसान उत्पादक संगठन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से उत्साहपूर्ण पहल कर चुके हैं.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सहकारिता से जुड़े नियमों और अधिनियमों में आवश्यकतानुसार संशोधन की कार्यवाही भी की जाएगी.

बैठक में जानकारी दी गई कि नैशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के साथ हुए अनुबंध के फलस्वरूप प्रदेश में दूध उत्पादन में वृद्धि के प्रयास बढ़ाए गए हैं. प्रारंभ में मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने एनडीडीबी के चेयरमेन मीनेश शाह का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया.

Food Processing: हर जिले में लगेगी फूड प्रोसैसिंग यूनिट

भोपाल : मध्य प्रदेश में “एक जिला एक उत्पाद” की तर्ज पर उद्यानकी फसलों की प्रोसैसिंग के लिए फूड प्रोसैसिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी. इस के लिए राज्य सरकार द्वारा विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाएगी.

यह बात उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने पिछले दिनों नागपुर में आयोजित एग्रोविजन राष्ट्रीय कृषि मेले में आयोजित कार्यशाला में कही. उन्होंने कहा कि फूड प्रोसैसिंग यूनिट की स्थापना जिला और संभाग लैवल पर हो जाने से उत्पादक किसानों को उपज का वाजिब दाम मिल सकेगा.

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में 20 वर्षों में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार किया गया है. खेतीकिसानी को सस्ती दर पर बिजली की आपूर्ति की जा रही है. इस के परिणामस्वरूप प्रदेश में कृषि उत्पादन बढ़ा है. किसान परंपरागत खेती के स्थान पर कैश क्राप के प्रति आकर्षित हुए हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश सरकार का प्रयास है कि उद्यानकी फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को फसल का सही दाम मिल सके. इस के लिए फूड प्रोसैसिंग यूनिट और मार्केटिंग का काम प्राथमिकता के साथ किया जाएगा.

Food Processing

मध्य प्रदेश में नागपुर की तर्ज पर होगी संतरे की खेती

उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने नागपुर में पैदा किए जा रहे हैं और्गेनिक संतरे की फसल का अवलोकन किया. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में भी संतरे का उत्पादन बड़े स्तर पर होता है. संतरे की फसल को और अधिक बेहतर बनाने के लिए प्रदेश के किसानों को नागपुर स्टडी टूर पर भेजा जाएगा, जिस से कि किसान और्गेनिक संतरे की उत्पादन प्रक्रिया को देख और समझ सकेंगे.

Empowered Farmers : सहकारी समितियों के जरीए किसान बनेंगे सशक्त

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) की 91वीं आम परिषद की बैठक को संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सहकारिता क्षेत्र के माध्यम से करोड़ों किसानों के जीवनस्तर को बेहतर बनाने के प्रति कटिबद्ध है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि सरकार सहकारिता आंदोलन के माध्यम से देश के नागरिकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है. मोदी सरकार सहकारिता के माध्यम से देश को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही है और इस दिशा में एनसीडीसी (NCDC) की अहम भूमिका है.

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी आंदोलन में एनसीडीसी (NCDC) के योगदान की सराहना की और लाखों सहकारी समितियों के जीवन को बदलने में इस की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि एनसीडीसी (NCDC) की सफलता न केवल इस के 60,000 करोड़ रुपए के संवितरण से परिलक्षित होती है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सहकारी क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालने की इस की क्षमता से भी परिलक्षित होती है.

श्वेत क्रांति 2.0 के महत्व पर जोर देते हुए अमित शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में दुग्ध सहकारी संघों को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. उन्होंने दूध उत्पादक संघों की स्थापना के लिए एनडीडीबी (NDDB) और एनसीडीसी (NCDC) के बीच सहयोग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.

उन्होंने कहा कि इन संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए मिल कर काम करना चाहिए, जिस में दूध उत्पादन के शुरुआती चरण की देखरेख एनडीडीबी (NDDB) द्वारा की जाए. उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल श्वेत क्रांति को आगे बढ़ाएगी, बल्कि आदिवासी समुदायों और महिलाओं को सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि एक एप आधारित कैब कोआपरेटिव सोसाइटी सेवा स्थापित करनी चाहिए, जिस से लाभ सीधे ड्राइवरों तक पहुंचाना सुनिश्चित किया जा सकेगा. उन्होंने सहकारी समितियों को एकीकृत करने में राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया.

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनसीडीसी (NCDC) और सहकारिता मंत्रालय इन प्रयासों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

मंत्री अमित शाह ने चीनी मिलों की वित्तीय क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से एक व्यापक पंचवर्षीय योजना तैयार करने का भी सुझाव दिया, जिस का लक्ष्य उन की फंडिंग को बढ़ा कर 25,000 करोड़ रुपए करना है. इस पहल से चीनी उद्योग के विकास और स्थिरता को बढ़ाने, बेहतर वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने और क्षेत्र के दीर्घकालिक विकास को समर्थन मिलेगा. उन्होंने ओडिशा, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे तटीय राज्यों में गहरे समुद्र में ट्रौलर की संभावना तलाशने को भी कहा.

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में एनसीडीसी (NCDC) के साथ सहकारी इंटर्न योजना शुरू की है. इस योजना का उद्देश्य राज्य और जिला सहकारी बैंकों को केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ तालमेल बिठाने और पैक्स (PACS) को मजबूत बनाने में मदद करना है. सहकारी इंटर्न योजना प्रतिभागियों को अमूल्य व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने में मदद करेगी और उन्हें सहकारिता के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने और ग्रामीण समुदायों के विकास का समर्थन करने के लिए तैयार करेगी.

मंत्री अमित शाह ने देशभर में सहकारिता क्षेत्र को और मजबूत करने के लिए एक सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना करने का आह्वान किया और सहकारिता के लिए क्षमता विकास कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित किया, जिस से ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.

कृषि में मिलेगी दोहरी डिगरी (Degree in Agriculture)

हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय (डब्ल्यूएसयू), आस्ट्रेलिया के बीच अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. बीआर कंबोज, जबकि वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय, आस्ट्रेलिया की ओर से कुलपति प्रो. जार्ज विलियम्स ने नई दिल्ली में एक समझौते को औपचारिक रूप दिया.

दोनों विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को होगा फायदा

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने बताया कि यह समझौता एक स्नातक दोहरी डिगरी कार्यक्रम की स्थापना पर केंद्रित है, जिस का उद्देश्य शैक्षणिक अवसरों को व्यापक बनाना और दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों के शैक्षिक अनुभवों को समृद्ध करना है.

इस समझौते (3+1) के तहत, वर्तमान में स्नातक (बीएससी कृषि) के छात्र हकृवि में 3 साल का अध्ययन पूरा करेंगे और वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय, आस्ट्रेलिया में एक वर्ष पूरा करेंगे और उन्हें दोनों विश्वविद्यालयों से दोहरी स्नातक की डिगरी प्रदान की जाएगी. इसी प्रकार जो छात्र (3+1+1) के तहत वर्तमान में स्नातक (बीएससी कृषि) हकृवि से 3 साल का अध्ययन पूरा करेंगे और वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय, आस्ट्रेलिया में 2 वर्ष पूरा करेंगे और उन्हें दोनों विश्वविद्यालयों से दोहरी स्नातकोत्तर (एमएससी कृषि) की डिगरी प्रदान की जाएगी.

इस समझौते से विश्वस्तरीय शिक्षा और अनुसंधान के अवसर प्रदान करने के लिए दोनों विश्वविद्यालयों की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा.

गौरतलब है कि हकृवि पहले से ही अनुसंधान और शैक्षणिक क्षेत्रों में डब्ल्यूएसयू के साथ सक्रिय सहयोग कर रहा है. दोहरी एमएससी और पीएचडी डिगरी पहले से ही प्रगति पर है.

हकृवि के छात्र डब्ल्यूएसयू में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं और विश्वविद्यालय को प्रसिद्धि दिला रहे हैं. इस कार्यक्रम ने अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में हकृवि और डब्ल्यूएसयू के बीच सहयोगी प्रतिबद्धता और साझा दृष्टिकोण को रेखांकित किया.

डब्ल्यूएसयू भारत में अपना परिसर खोलने की भी योजना बना रहा है, जिस से दोनों विश्वविद्यालयों में और अधिक सहयोग होगा. इस समझौते के तहत हकृवि के विद्यार्थियों और शोधार्थियों को वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय, आस्ट्रेलिया की अनुसंधान व प्रौद्योगिकी को जानने व शिक्षा ग्रहण करने को बढ़ावा मिलेगा.

इस अनुबंध के तहत दोनों विश्वविद्यालय के विद्यार्थी अपनी शोध को नई तकनीकों के साथ दोनों संस्थानों में निपुणता के साथ पूरा करने में एकदूसरे का सहयोग करेंगे, जिस से शोध की गुणवत्ता में सुधार होगा और विद्यार्थियों को उच्च शैक्षणिक संस्थानों में रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे.

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर शिक्षा अधिष्ठाता डा. केडी शर्मा, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डा. एसके पाहुजा और अंतर्राष्ट्रीय मामलों की प्रभारी डा. आशा कवात्रा भी उपस्थित रहे.

Fertilizer: जिलेभर में खाद का सुचारू वितरण जारी

रीवा : जिले में 7 डबल लाक केंद्रों और सहकारी समितियों के माध्यम से खाद का वितरण किया जा रहा है. जिले को 21 नवंबर को 750 टन डीएपी खाद मिली है. किसानों की मांग को देखते हुए शनिवार और रविवार के अवकाश के दिनों में भी खाद का वितरण किया जा रहा है.

इस संबंध में कलक्टर प्रतिभा पाल ने बताया कि करहिया मंडी में खाद का वितरण 27 नवंबर से किया जाएगा. यहां 4 काउंटरों से खाद की बिक्री की जाएगी. सभी एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार द्वारा खाद बिक्री केंद्रों में खाद वितरण की निगरानी की जा रही है. इस के अलावा कृषि, सहकारिता, विपणन संघ एवं पुलिस विभाग के भी अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है.

कलक्टर प्रतिभा पाल ने बताया कि सेमरिया, गुढ़, जवा और चाकघाट में एसडीएम की निगरानी में खाद का वितरण किया गया है. करहिया मंडी के 4 काउंटरों से सुबह 10 बजे से खाद का वितरण किया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि जिले में कुल 18966.27 टन खाद का वितरण किया जा चुका है. अब तक किसानों को 9175.06 टन यूरिया और 3955.96 टन डीएपी का वितरण किया जा चुका है.

इसी तरह किसानों को 5001.95 टन एनपीके, 24.35 टन पोटाश खाद और 808.95 टन सिंगल सुपर फास्फेट खाद का वितरण किया जा चुका है. किसानों के लिए डीएपी के स्थान पर यूरिया और एनपीके अथवा यूरिया और एसएसपी खाद का उपयोग अधिक लाभकारी है. सिंगल और डबल लाक से प्रतिदिन खाद वितरित की जा रही है. जिस केंद्र में अधिक संख्या में किसान खाद लेने पहुंच रहे हैं, वहां अधिकारियों की निगरानी में टोकन दे कर खाद का वितरण किया जा रहा है. वर्तमान में मार्कफेड, सहकारी समिति और निजी विक्रेताओं के पास खाद उपलब्ध है.

मक्का व गेहूं के बीज (Maize and Wheat seeds) अच्छे ब्रांड के ही खरीदें, एमआरपी का रखें ध्यान

बडवानी : जिलें में रबी की बोवनी शुरू हो चुकी है, निजी बीज विक्रेताओं की दुकानों पर बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. किसान मक्का एवं गेहूं बीज एमआरपी की दर को देख कर ही खरीदें एवं निर्धारित प्रारूप यानी पक्की रसीद में ही बिल लें.

निजी दुकानों पर मक्का बीज कंपनी बायर क्राप साइस की किस्म डीकेसी-9081 का दाम 3,088 रुपए प्रति बेग है, वहीं डीकेसी-9150 का दाम 2,223 रुपए प्रति बेग, डीकेसी-9228 का दाम 2,376 रुपए प्रति बेग है.

सायाजी सीड्स कंपनी की एक किस्म 1012 का दाम 2,400 रुपए प्रति बेग है, वहीं सायाजी 1018 का दाम 2,560 रुपए प्रति बेग है, जबकि सिंजेंटा सीड्स कंपनी की किस्म एनके-6802 का दाम 2,400 रुपए प्रति बेग, एनके -7884 का दाम 2,800 रुपए प्रति बेग, एनके 7750 का दाम 2,300 रुपए प्रति बेग है.

नुजीवीडू सीड्स कंपनी की किस्म एनएमएच 8353 (विनर) का दाम 2,396 रुपए प्रति बेग, प्रभात एग्रीटैक सीड्स  की किस्म राइडर-एम. का दाम 8-1700 रुपए प्रति बेग, राइडर का दाम 1,400 रुपए प्रति बेग, हाईटैक सीड्स की किस्म- 5101 का दाम 1,900 रूपये प्रति बेग, किस्म 5106 का दाम 1,900 रुपए प्रति बेग है.

कावेरी सीड्स की किस्म के-50 का मूल्य 2,400 रुपए प्रति बेग, एल्डोराडो (श्रीकर) सीड्स की किस्म श्रींकर 9459 का मूल्य 2,200 रुपए प्रति बेग, श्रींकर आदी का मूल्य 1,850 रुपए प्रति बेग, श्रींकर ब्लौक का मूल्य 2,200 रुपए प्रति बेग, जो निजी बीज विक्रेताओं द्वारा एमआरपी से अधिक मूल्य पर बेचें, तो उस की शिकायत तत्काल अपने क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी, विकासखंड स्तरीय कृषि अधिकारी या जिला स्तरीय कृषि अधिकारी से करें.

जिन निजी विक्रेताओं द्वारा किसानों को निर्धारित प्रारूप में बिल नहीं दे रहे, उन विक्रेताओं के विरुद्ध गुण नियंत्रण के अंतर्गत वैधानिक कार्यवाही की जाएगी. अधिक जानकारी के लिए क्षेत्रीय कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.

डीएपी के स्थान पर एनपीके का उपयोग है लाभकारी

कटनी : जिले में रबी फसलों का कार्य प्रगति पर है, जिस के चलते बेसल डोज के रूप में किसानों को डीएपी, एनपीके एवं एसएसपी उर्वरक की जरूरत होती है. वर्तमान में शासन द्वारा उर्वरक की आपूर्ति की जा रही है. रबी फसलों के लिए किसान डीएपी उर्वरक का अधिक उपयोग करते हैं.

कृषि विकास विभाग ने बताया कि किसान रबी फसलों के लिए बेसल डोज के रूप में एनपीके उर्वरक जैसे- 12:32:16 एवं 20:20:0:13 आदि डीएपी के स्थान पर एक अच्छा विकल्प है.

एनपीके का उपयोग करने से फसलों में एकसाथ 3 तत्वों नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश की पूर्ति सुनिश्चित करता है, जबकि डीएपी उर्वरक से मात्र 2 ही तत्वों नाइट्रोजन, फास्फोरस की ही पूर्ति होती है. इस प्रकार डीएपी के स्थान पर एनपीके का उपयोग किसानों के लिए लाभकारी है.

इस के अतिरिक्त किसानों से अपील की गई है कि मृदा परीक्षण के आधार पर जारी मृदा स्वास्थ्य कार्ड में की गई अनुशंसा के अनुरूप ही उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें.