मोबाइल एप के जरीए उपज का लें अधिक दाम

शाजापुर : कृषि उपज मंडी समिति शाजापुर सचिव भगवान सिंह परिहार ने बताया कि मध्य प्रदेश शासन एवं मंडी बोर्ड द्वारा किसानों को कृषि विपणन के क्षेत्र में अभिनव कदम उठाते हुए मोबाइल एप के माध्यम से अपनी कृषि उपज का विक्रय अपने घर, खलिहान, गोदाम से करने की सुविधा प्रदान की गई है.

कृषि उपज मंडी समिति सचिव भगवान सिंह परिहार ने बताया कि इस का लाभ लेने के लिए किसानों को सर्वप्रथम अपने एंड्राइड मोबाइल पर मंडी बोर्ड भोपाल का मोबाइल एप MPFARMGATE (एमपीफार्मगेट) इंस्टाल करना होगा. इस के बाद किसान एप में किसान पंजीयन की कार्यवाही पूरी करें.

फसल विक्रय के समय किसान अपनी कृषि उपज के संबंध में मंडी फसल ग्रेड, किस्म, मात्रा एवं वांछित भाव की जानकारी दर्ज करें. इस के उपरांत किसान के द्वारा फसल की जानकारी एवं बाजार की स्थिति के अनुसार अपनी दरें औनलाइन दर्ज की जाएगी, जो किसान को एप में औनलाइन प्रदर्शित होगी.

व्यापारी द्वारा प्रस्तुत दरों में उच्चतम दर पर किसान द्वारा अपनी सहमति औनलाइन दर्ज कराने पर संबंधित व्यापारी को एप में गैसेज प्राप्त होगा, जिस के उपरांत आपसी सहमति के आधार पर चयनित स्थल पर कृषि उपज का तौल होगा. तौल कार्य के उपरांत औनलाइन सौदा पत्रक एवं भुगतान पत्रक जारी किया जाएगा और शासन एवं मंडी बोर्ड के नियमानुसार नकद/बैंक खाते में भुगतान किया जाएगा.

इस प्रकार किसान मोबाइल एप के माध्यम से मंडी में आए बिना अपने घर, गोदाम, खलिहान से भी अपनी कृषि उपज का विक्रय कर सकते हैं.

सचिव भगवान सिंह परिहार ने जिले के सभी किसानों से अनुरोध किया है कि वे अपने एंड्राइड मोबाइल में एप  MPFARMGATE (एमपीफार्मगेट) को इंस्टाल कर, राज्य शासन एवं मंडी बोर्ड की इस अभिनव पहल का अधिक से अधिक लाभ उठाएं.

किसानों को समय से मिले बीज व उर्वरक (Seeds and Fertilizers)

भोपाल : रबी फसलों के लिए किसानों को समय से उत्तम उर्वरक और बीज मिलना सुनिश्चित किया जाए. प्रदेश में सभी उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है. डीएपी के समान ही एनपीके भी गुणवत्तायुक्त है. इस में फसलों के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व हैं.

किसान नरवाई न जलाएं, सुपर सीडर का उपयोग करें.

प्रदेश में कहीं भी खाद, बीज का अवैध भंडारण, कालाबाजारी अथवा अमानक विक्रय न हो, यह सुनिश्चित किया जाए. समर्थन मूल्य पर सोयाबीन विक्रय के लिए किसानों को हर आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराई जाए.

एपीसी मोहम्मद सुलेमान ने यह निर्देश पिछले दिनों नर्मदा भवन में संपन्न भोपाल एवं नर्मदापुरम संभागों के लिए खरीफ-2024 की समीक्षा एवं रबी 2024- 25 की तैयारियों के लिए आयोजित समीक्षा बैठक में दिए.

बैठक में कृषि, सहकारिता, पशुपालन, डेयरी, मत्स्यपालन, उद्यानिकी आदि विभागों के कार्यों की समीक्षा की गई.

अपर मुख्य सचिव सहकारिता अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव मत्स्यपालन डीपी आहूजा, प्रमुख सचिव उद्यानिकी अनुपम राजन, सचिव कृषि एम. सेलवेंद्रन, संभागायुक्त भोपाल संजीव सिंह, संभागायुक्त नर्मदापुरम केजी तिवारी, संबंधित जिलों के कलक्टर्स, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे. विभिन्न योजनाओं के सफल हितग्राहियों ने अपने अनुभव भी बैठक में साझा किए.

एपीसी सुलेमान ने कहा कि प्रदेश में सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए किसानों के पंजीयन का कार्य जारी है. आगामी 25 अक्तूबर से सोयाबीन की खरीदी की जाएगी, जो 31 दिसंबर तक चलेगी. खरीदी केंद्रों पर सभी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करें. सोयाबीन खरीदी के लिए किसानों को टोकन दिए जाएं, जिस से उन्हें अनावश्यक इंतजार न करना पड़े. किसानों की सुविधा के लिए आवश्यकतानुसार अतिरिक्त केंद्र 1-2 दिन में खोल दिए जाएंगे. खरीदी में शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों का प्रयोग किया जाए.

सचिव, कृषि, सेलवेंद्रन ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में मध्य प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है. दालों के उत्पादन में मध्य प्रदेश देश में 24 फीसदी उत्पादन के साथ प्रथम है. अनाजों के उत्पादन में 12 फीसदी उत्पादन के साथ देश में द्वितीय और तिलहन के उत्पादन में 20 फीसदी उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है. प्रदेश की कृषि विकास दर 19 फीसदी है. देश में मध्य प्रदेश के सर्वाधिक 16.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती होती है.

उन्होंने बताया कि रबी 2024-25 के लिए प्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है. रबी के लिए प्रदेश में कुल 16.43 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध है, जिस में 6.88 यूरिया, 1.38 डीएपी, 2.70 एनपीके, 4.08 डीएपी +एनपीके, 4.86 एसएसपी और 0.61 लाख मीट्रिक टन एमओपी उर्वरक उपलब्ध है.

प्रदेश में रबी फसलों के अंतर्गत मुख्य रूप से चंबल एवं ग्वालियर संभागों में सरसों 15 अक्तूबर से 15 नवंबर तक, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, सागर संभागों में चना, मसूर 20 अक्तूबर से 10 नवंबर तक, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, चंबल, सागर, नर्मदापुरम में गेहूं 1 नवंबर से 30 नवंबर तक और जबलपुर, रीवा एवं शहडोल संभागों में गेहूं एवं चना की फसलों की बोनी 15 नवंबर से 31 दिसंबर तक की जाती है.

एपीसी सुलेमान ने सभी कलक्टरों को निर्देश दिए गए कि वे सुनिश्चित करें कि उन के जिलों में नरवाई न जलाई जाए. किसानों को सुपर सीडर के प्रयोग के लिए प्रेरित किया जाए. इस के प्रयोग से फसल कटाई के साथ ही बोनी भी हो जाती है. इस से खेतों में बची हुई नमी का अगली फसल में उपयोग हो जाता है, कम बीज लगता है और फसल पहले आ जाती है, जो किसानों के लिए अत्यधिक लाभदायक है. सभी जिलों में सुपर सीडर मशीन की किसानों को उपलब्धता सुनिश्चित कराएं.

अपर मुख्य सचिव सहकारिता अशोक बर्णवाल ने निर्देश दिए कि सभी जिलों में रबी फसलों के लिए भी किसानों को शासन की जीरो फीसदी ब्याज पर फसल ऋण योजना का लाभ दिए जाना सुनिश्चित करें. हर जिले में “वन स्टाप सैंटर” बनाए जाएं, जहां किसानों को सारी सुविधाएं मिल सकें. समिति स्तर पर अल्पावधि ऋणों की वसूली बढ़ाई जाए. जो प्राथमिक सहकारी समितियां ठीक से कार्य नहीं कर रही हैं, उन के खिलाफ कार्रवाई भी की जाए.

उन्होंने निर्देश दिए कि पैक्स के आडिट का कार्य अक्तूबर तक पूरा किया जाए और नवीन पैक्स के गठन की कार्रवाई की जाए.

यह भी बताया गया कि ऋण महोत्सव के अंतर्गत आगामी 6 नवंबर तक किसानों को अ-कृषि ऋण वितरित किए जा रहे हैं.

मत्स्य विभाग की समीक्षा में प्रमुख सचिव डीपी आहूजा ने बताया कि मध्य प्रदेश में 4.42 लाख हेक्टेयर जल क्षेत्र, जिस में से 99 फीसदी भाग में मत्स्यपालन किया जाता है. प्रदेश में 2595 मछुआ समितियां पंजीकृत हैं, जिन से 95417 मत्स्यपालक जुड़े हुए हैं. मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति मत्स्य उपलब्धता 7.5 किलोग्राम है.

प्रदेश का पहला इंटीग्रेटेड एक्वापार्क भदभदा रोड भोपाल में स्थित है. प्रदेश में मुख्य रूप से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना और मछुआ क्रेडिट कार्ड योजना संचालित हैं. सभी योजनाओं में निर्धारित लक्ष्य प्राप्ति के निर्देश कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा दिए गए. मछुआपालन की नई तकनीकी के इस्तेमाल के लिए मत्स्यपालक किसानों को प्रेरित किया जाए.

पशुपालन एवं डेयरी विभाग की समीक्षा में बताया गया कि भारत में दुग्ध उत्पादन में मध्य प्रदेश का तीसरा स्थान है. प्रदेश में 591 लाख किलोग्राम प्रतिदिन दूध का उत्पादन होता है. राष्ट्र का 9 फीसदी दुग्ध उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है. मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता 644 ग्राम प्रतिदिन है, जबकि राष्ट्रीय औसत 459 ग्राम प्रतिदिन का है. प्रदेश में 7.5 फीसदी पशुधन है, जबकि राष्ट्रीय औसत 5.05 का है.

वर्ष 2019 की पशु संगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में गौवंश पशु संख्या देश में तीसरे स्थान पर 187.50 लाख है, वहीं भैंस वंश पशु संख्या चौथे स्थान पर 103.5 लाख है.

प्रदेश में पशुओं के उपचार के लिए चालित पशु चिकित्सा वाहन (1962) संचालित है, जो कि स्थान पर जा कर पशुओं का इलाज करते हैं.

राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश देश में अव्वल है. भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी से गायों के नस्ल सुधार कार्यक्रम में प्रदेश में अच्छा कार्य हो रहा है. पशुपालकों से मात्र 100 रुपए के शुल्क पर गायों का नस्ल सुधार किया जाता है. इस से पशुपालकों को अच्छी आय प्राप्त हो रही है.

सभी कलक्टर को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वे इस योजना का अधिक से अधिक लाभ पशुपालकों को दें. कुक्कुटपालन एवं बकरीपालन से भी पशुपालकों को अच्छी आमदनी होती है, इस के लिए भी उन्हें प्रेरित किया जाए.

उद्यानिकी विभाग की समीक्षा के दौरान बताया गया कि दोनों संभागों में उद्यानिकी फसलों के रकबे में भी वृद्धि हो रही है. यहां के किसान उच्च मूल्य फल जैसे थाई पिंक अमरूद, एवाकाडो एवं ड्रैगन फ्रूट की सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं.

संभाग के सभी जिलों में अमरूद, ड्रैगन फ्रूट एवं संतरा फसल का विपणन दिल्ली, मुंबई आदि बड़े महानगरों में किया जा रहा है. गुलाब, जरबेरा एवं उच्च कोटि की सब्जियों की खेती पौलीहाउस एवं शेड नेटहाउस में उच्च तकनीकी से कर के अधिक उत्पादन एवं आय प्राप्त हो रही है.

सांची का नैचुरल नारियल पानी (Coconut Water) लौंच

भोपाल: पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए दुग्ध उत्पादन से बड़ा कोई रास्ता नहीं है. मध्य प्रदेश सहकारी दुग्ध संघ अपने सांची ब्रांड के माध्यम से नएनए गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बाजार में ला रहा है. हाल ही में सांची ने नैचुरल नारियल पानी लौंच किया है, जो कि अत्यंत गुणवत्तापूर्ण और स्वास्थ्यवर्धक है.भविष्य में दुग्ध संघ की माइनर मिलेट्स कोदोकुटकी के उत्पाद भी बाजार में लाने की योजना है.

मंत्री लखन पटेल ने भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के मुख्य डेयरी प्लांट में सांची के नवीन उत्पाद पाश्चरीकृत नैचुरल नारियल पानी की बिक्री का शुभारंभ किया. इस अवसर पर वेटरनरी कौंसिल औफ इंडिया के अध्यक्ष डा. उमेश शर्मा, संचालक पशुपालन एवं डेयरी डा. पीएस पटेल आदि उपस्थित थे.

मंत्री लखन पटेल ने स्वयं भी नारियल पानी पिया और उस की सराहना की. कार्यक्रम में उपस्थित सभी ने सांची नारियल पानी का सेवन किया और उसे गुणवत्ता एवं स्वादयुक्त बताया.

उन्होंने कहा कि भोपाल दुग्ध संघ की आय निरंतर बढ़ रही है. इस वर्ष अभी तक लगभग 700 करोड़ रुपए का लाभ दुग्ध संघ को हुआ है. दुग्ध संघ निरंतर किसानों के लाभ के लिए कार्य तो कर ही रहा है, संघ के कर्मचारियों के कल्याण में भी पीछे नहीं है. अब किसानों के साथ ही कर्मचारियों का भी बीमा कराया जाएगा.

मंत्री लखन पटेल ने आगे कहा कि सहकारिता का मूल सिद्धांत है पारदर्शिता और जुड़े हुए हर व्यक्ति तक लाभ पहुंचाना. हमारी सरकार इसी सिद्धांत पर कार्य कर रही है. हमारा उद्देश्य है दुग्ध उत्पादक किसानों को अधिक से अधिक आमदनी हो और हम इस के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के नेतृत्व में इस वर्ष हमारी सरकार गौ संरक्षण एवं गौ संवर्धन वर्ष मना रही है. इन कार्यक्रमों में अधिक से अधिक संख्या में भाग लें और अपना योगदान दें.

भोपाल दुग्ध संघ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आरपी तिवारी ने बताया कि दूध, दही, श्रीखंड, बृज पेड़ा, केशव पेड़ा, सांची नीर और सांची खीर के बाद अब सांची दुग्ध संघ अपना नया उत्पाद शुद्ध नैचुरल और पाश्चुरीकृत “सांची नारियल पानी” बाजार में लाया है. इसे नारियल उत्पादन क्षेत्र तमिलनाडु के पोलाची (जिला कोयंबटूर) में 200 एमएल की बोतल में पैक कराया जा रहा है. इस का बाजार मूल्य 50 रुपया प्रति बोतल रखा गया है और इस की उपयोग अवधि 9 माह है. इसे तैयार करने के लिए ताजे नारियल से संयंत्र में हैंड्स फ्री तकनीकी से पानी निकाला जाता है और उसे रिटोर्ट मेथड से 99 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान तक गरम कर पाश्चरीकृत कर बोतल में पैक किया जाता है.

उन्होंने बताया कि भविष्य में दुग्ध संघ की ब्रेड, चाय पत्ती, चिप्स आदि भी बाजार में लाने की योजना है.

धान और मोटा अनाज (Paddy and Coarse Grains) के लिए बनाए गए सैकड़ों उपार्जन केंद्र

भोपाल : खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए धान विक्रय के लिए 1412 और मोटा अनाज (ज्वारबाजरा) के लिए 104 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं. ज्वारबाजरा का उपार्जन 22 नवंबर से और धान का उपार्जन 2 दिसंबर से होगा.

जिला बालाघाट में 185, सतना में 144, जबलपुर में 125, रीवा में 123, सिवनी में 99, कटनी में 84, मंडला में 67, नर्मदापुरम में 65, सिंगरौली में 58, शहडोल में 55, पन्ना में 47, नरसिंहपुर में 45, सीधी में 43, उमरिया में 42, अनूपपुर में 34, दमोह में 33, डिंडोरी में 31, रायसेन में 25, सागर में 24, सीहोर में 17, बैतूल में 17, छिंदवाड़ा में 9, शिवपुरी में 8, भिंड में 7, दतिया में 7, ग्वालियर में 6, हरदा में 3, विदिशा में 2, मुरैना में 2 और अलीराजपुर, झाबुआ, गुना, भोपाल एवं अशोकनगर में एकएक धान उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं.

इसी तरह ज्वारबाजरा के उपार्जन के लिए रीवा में 2, सिंगरौली में 3, भिंड में 20, दतिया में 4, ग्वालियर में 12, मुरैना में 51 और नर्मदापुरम, शहडोल, पन्ना, नरसिंहपुर, सीधी, सागर, बैतूल, शिवपुरी, विदिशा, बड़वानी, बुरहानपुर और श्योपुर में एकएक उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं.

टमाटर (Tomato) के दामों में हुई गिरावट

नई दिल्ली : मंडी में टमाटर की कीमत में कमी के चलते खुदरा कीमत में भी कमी आ रही है. 14 नवंबर, 2024 को अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 52.35 रुपए प्रति किलोग्राम था, जो 14 अक्तूबर, 2024 को 67.50 रुपए प्रति किलोग्राम से 22.4 फीसदी कम है. इसी अवधि के दौरान टमाटर की आवक में वृद्धि होने से आजादपुर मंडी में मौडल कीमतें लगभग 50 फीसदी से घट कर 5,883 रुपए प्रति क्विंटल से 2,969 रुपए प्रति क्विंटल हो गईं.

पिंपलगांव, मदनपल्ले और कोलार जैसे बेंचमार्क बाजारों से भी मंडी की कीमतों में भी इसी तरह की कमी की सूचना मिली है.

कृषि विभाग के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, साल 2023-24 में टमाटर का कुल वार्षिक उत्पादन 213.20 लाख टन है, जो 2022-23 में 204.25 लाख टन से 4 फीसदी अधिक है. हालांकि टमाटर का उत्पादन पूरे वर्ष होता है, लेकिन उत्पादन क्षेत्रों और उत्पादन की मात्रा में मौसमी परिवर्तन होता रहता है. मौसम की प्रतिकूल स्थिति और आपूर्ति में मामूली व्यवधान के कारण टमाटर की फसल की उच्च संवेदनशीलता और फलों के शीघ्र खराब होने की प्रवृत्ति के कारण कीमतों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है. अक्तूबर, 2024 के दौरान टमाटर की कीमतों में उछाल आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में अत्यधिक और लंबे समय तक बारिश के कारण था.

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में टमाटर उत्पादन में सामान्य मौसमी प्रभाव से पता चलता है कि प्रमुख टमाटर उत्पादक राज्यों में अक्तूबर और नवंबर में बोआई होती है. हालांकि, फसल की खेती की कम अवधि और फलों के कई बार तोड़ने के कारण बाजार में टमाटर की निरंतर उपलब्धता रहती है.

हालांकि मदनपप्ले और कोलार के प्रमुख टमाटर केंद्रों पर आवक में कमी हुई है, लेकिन महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों से मौसमी आवक के कारण कीमतों में कमी आई है. यह मौसमी आवक पूरे देश में टमाटर की आपूर्ति में कमी को पूरा कर रही है. अभी तक मौसम भी फसल के लिए अनुकूल रहा है और खेतों से ले कर उपभोक्ताओं तक आपूर्ति में अच्छा प्रवाह बनाए रखने के ठीक रहा है.

800 मीट्रिक टन उत्पादन पशु आहार संयंत्र से मिलेंगे रोजगार (Employment)

साबरकांठा: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर में 800 मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता वाले अत्याधुनिक पशु आहार संयंत्र का उद्घाटन किया. इस अवसर पर गुजरात के विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

मंत्री अमित शाह ने कहा कि साबर डेयरी की स्थापना के रूप में जो बीज बोया गया था, वह आज एक वट वृक्ष बन कर साढ़े 3 लाख से ज्यादा परिवारों की आजीविका का साधन बन चुका है.

अमित शाह ने यह भी कहा कि पशुपालन से जुड़ी कुछ महिलाओं से उन्होंने मुलाकात की. इन महिलाओं ने बताया कि साबर डेयरी और उस के दूध के व्यापार की वजह से ही वे आज सम्मान से जीवन जी रही हैं.

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि दूध उत्पादन के क्षेत्र में अच्छे प्रदर्शन के लिए जिन 2 मंडलियों को सम्मानित किया गया, उन में दूध के व्यापार से एक करोड़ रुपए से अधिक का चैक हासिल करने वाली मंडली भी शामिल है.

उन्होंने आगे कहा कि सहकारी डेयरी आंदोलन ने न सिर्फ महिलाओं का सशक्तिकरण किया, बल्कि गांवों में समृद्धि लाने और पोषण प्रदान का भी काम किया है.

मंत्री अमित शाह ने कहा कि अमूल द्वारा शुरू की गई श्वेत क्रांति के कारण यह सफलता देखने को मिली है.

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि तकरीबन 210 करोड़ रुपए की लागत से साबर डेयरी के पशु आहार संयंत्र स्थापना की गई है, ताकि स्थानीय लोगों के मवेशियों को पोषक आहार मिल सके.

उन्होंने कहा कि 800 मीट्रिक टन क्षमता का यह अत्याधुनिक चारा संयंत्र न केवल साबरकांठा और अरावली के किसानों की चारा संबंधी जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा.

उन्होंने कहा कि वर्ष 1976 में अपनी स्थापना से ले कर पशु आहार संयंत्र के उद्घाटन तक साबर डेयरी ने 2050 मीट्रिक टन पशु आहार क्षमता हासिल की है.

भारत में वर्ष 1970 में प्रतिदिन सिर्फ 40 लिटर प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष दूध उपलब्ध था, जबकि 2023 में देश में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 167 लिटर दूध की उपलब्धता थी. इस का मतलब है कि दुनिया के सभी देशों में प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन की सब से ज्यादा औसत भारत की है और इस में सहकारी आंदोलन का बहुत बड़ा योगदान है.

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने की अपील करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में प्राकृतिक खेती किसान की समृद्धि का कारण बनेगी और देश एवं दुनिया के नागरिकों को कैंसर, डायबिटीज और ब्लडप्रेशर से मुक्त करने का साधन भी बनेगी.

उन्होंने आगे कहा कि प्राकृतिक खेती काफी आसान है और इस से समाज का स्वास्थ्य एवं आय बढ़ाने में काफी मदद मिल सकती है. प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को उन के उत्पाद के लिए अच्छी कीमत दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सहकारी आर्गेनिक लिमिटेड और राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड की स्थापना की है, जो किसानों से प्राकृतिक खेती से उगाए गए उत्पाद खरीद कर उन का निर्यात करेगी.

मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्राकृतिक खेती करने पर पहले साल में फसल थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन दूसरे और तीसरे साल में लाभ होगा.।प्राकृतिक खेती करने पर केंचुए से ही खेत काफी समृद्ध हो जाएगा और कोई कीटनाशक छिड़कने की आवश्यकता नहीं होगी.

उन्होंने कहा कि इस प्रयोग को गुजरात में काफी अपनाया गया है और डेयरी क्षेत्र को अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण को शामिल करना चाहिए.

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी मोदी ने ‘गोबरधन योजना’ की शुरुआत की है. यह योजना उन लोगों के लिए है, जिन के पास ज्यादा पशुधन है. गुजरात की कई डेयरियों ने गोबरधन की अवधारणा पर बहुत अच्छे तरीके से अमल किया है. गोबरधन से बनी खाद खेतों को समृद्ध बनाती है.

उन्होंने आगे कहा कि जब सहकारिता आंदोलन में डेयरी की शुरुआत की गई, उस समय किसी को नहीं पता था कि अमूल 60 हजार करोड़ रुपए का बड़ा तंत्र बन जाएगा.

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती की शुरुआत में भी यह प्रयोग व्यर्थ लग सकता है, लेकिन अंतत: यह भारत के किसानों के लिए 10 लाख करोड़ रुपए का वैश्विक बाजार खोलने और देश में समृद्धि लाने का साधन बनेगी.

मत्स्य योजना (Fishery Scheme) का प्रचार प्रसार जरूरी

भोपाल : मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास (स्वतंत्र प्रभार) राज्यमंत्री नारायण सिंह पवार ने कहा कि समिति सदस्यों को मत्स्य उत्पादन के साथ लक्ष्यों को पूरा करने के लिए योजनाओं का व्यापक प्रचारप्रसार कर अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित करने के लिए प्रेरित करें.

मंत्री नारायण सिंह पवार 27वीं वार्षिक साधारण सभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि खेती के साथ आजीविका के लिए आय के अन्य स्त्रोत का भी होना आवश्यक है. समिति के लोग 10 माह मत्स्य उत्पादन का काम करते हैं. साथ ही, जल संरक्षण के कार्यों को आगे बढ़ाएं. शासन द्वारा रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

राज्य मंत्री नारायण सिंह पवार ने कहा कि शासन द्वारा 70 साल की उम्र से अधिक के सभी वर्ग के लोगों के लिए आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं. 5 लाख तक का नि:शुल्क स्वास्थ्य लाभ मिलता है. अधिक से अधिक लोग आयुष्मान कार्ड बनवा कर शासन की योजनाओं का लाभ उठाएं.

उन्होंने आगे कहा कि योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वास्तविक हितग्राहियों को लाभ मिले, ऐसे प्रयास किए जाएं और अधिक से अधिक समितियों का पंजीयन कराने में सहयोग करें. खूब प्रचारप्रसार करें और गरीब बस्तियों में पंपलेट बंटवा कर अधिक से अधिक लोगों को लाभ दिलाएं और अपने संसाधनों को बढ़ाएं.

उन्होंने मछुआ समिति सदस्यों से चर्चा की और बताया कि मत्स्य महासंघ का मुख्य उद्देश्य शासन द्वारा 1,000 हेक्टेयर से ऊपर से सौंपे गए बड़े एवं मध्यम जलाशयों में आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर मत्स्य विकास करना एवं महासंघ के जलाशयों में कार्यरत मछुआरों और उन के परिवारों की आजीविका सुरक्षित करते हुए सामाजिक, आर्थिक उन्नति करना है. शासन द्वारा महासंघ को 7 वृहद एवं 21 मध्यम सहित कुल 28 जलाशय उपलब्ध कराए गए हैं, जिन का कुल जल क्षेत्र लगभग 2.31 लाख हेक्टेयर है. 31 मार्च, 2024 की स्थिति में महासंघ के अधीन “क” वर्ग की 222 मत्स्य सहकारी समिति के 15,200 पंजीकृत सदस्य हैं.

वर्ष 2023-24 में जलाशयों में निर्धारित लक्ष्य अनुसार, कुल 896.50 लाख के विपक्ष में कुल 494.86 लाख मत्स्य बीज संचय किया गया है.

उन्होंने योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी. इस अवसर पर मत्स्य महासंघ द्वारा संचालित प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाली मछुआ सहकारी समितियों एवं मछुआरों को प्रोत्साहित किया जाता है.

प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के अंतर्गत

गांधी सागर इकाई

      • (अ) उत्कृष्ट मत्स्य सहकारी समिति में प्रथम पुरस्कार नवीन आदर्श म.स.स. बर्डिया को 50 हजार रुपए, द्वितीय पुरस्कार ग्रामीण आदर्श म.स.स. हाड़ाखेड़ी को 40 हजार रुपए, तृतीय पुरस्कार जय भवानी म.स.स. जमालपुरा और चतुर्थ पुरस्कार जय राधा कृष्ण म.स.स. गांधीसागर 20 हजार रुपए
      • (ब) उत्कृष्ट मछुआ प्रथम पुरस्कार गौतम मांझी जय लक्ष्मी म.स.स. 30 हजार रुपए, द्वितीय पुरस्कार भरत नवीन आदर्श म.स.स. बर्डिया 25 हजार रुपए, तृतीय पुरस्कार गिरधारी नवीन आदर्श म.स.स. बर्डिया 20 हजार रुपए, चतुर्थ पुरस्कार श्यामल मंडल जय श्री राधे म.स.स. गांधीसागर 18 हजार रुपए, पंचम पुरस्कार नवीन आदर्श म.स.स. बर्डिया 15 हजार रुपए, छठवां पुरस्कार दिप्तसुंदर जय लक्ष्मी नारायण म.स.स.गांधीसागर,

बाणसागर इकाई

      • (अ) उत्कृष्ट मत्स्य सहकारी समिति प्रथम पुरस्कार कुंदन म.स.स. खजूरी 35 हजार रुपए, द्वितीय पुरस्कार विन्ध्यांचल म.स.स. रामनगर 30 हजार रुपए
      • (ब) उत्कृष्ट मछुआ प्रथम पुरस्कार मो. अजील कुंदन म.स.स. खजूरी 20 हजार रुपए,

जबलपुर

      • (अ) उत्कृष्ट मत्स्य सहकारी समिति प्रथम पुरस्कार आदर्श म.स.स. छपारा 1500 हजार रुपए, द्वितीय पुरस्कार बरमैया म.स.स. झुल्लपुर 10 हजार रुपए
      • (ब) उत्कृष्ट मछुआ प्रथम पुरस्कार कमलू बर्मन आदर्श म.स.स. भीमगढ़ 10 हजार रुपए, द्वितीय अर्जुन बर्मन म.स.स. संकल्प माचागोरा 8 हजार रुपए, तृतीय पुरस्कार नंदलाल बर्मन आदर्श म.स.स. भामगढ़ 7 हजार रुपए,

भोपाल

      • (अ) उत्कृष्ट मत्स्य सहकारी समिति प्रथम पुरस्कार राजीव गांधी म.स.स. नीनोद 25 हजार रुपए, द्वितीय पुरस्कार बूधौरकला म.स.स. बूधौर 15 हजार रुपए, तृतीय पुरस्कार अध्यक्ष संजय सागर म.स.स. शामशाबाद 10 हजार रुपए,
      • (ब) उत्कृष्ट मछुआ तृतीय पुरस्कार रहजीत म.स.स. पोनिया 6 हजार रुपए, सांत्वाना पुरस्कार अनीस खान म.स.स.पोनिया, सीताराम महामई म.स.स. सांगुल, मीराबाई चंद्रशेखर आजाद म.स.स. कायमपुर और सुरैया बाई मछुआ समूह मजूसखर्द को 5-5 हजार रुपए पुरस्कार,

राजगढ़

      • (अ) उत्कृष्ट मत्स्य सहकारी समिति प्रथम पुरस्कार म.स. समिति मुरारिया 10 हजार रुपए
      • (ब) उत्कृष्ट मछुआ प्रथम पुरस्कार देवकरण म.स. समिति तलेन 8 हजार रुपए,

अटलसागर

      • (अ) उत्कृष्ट मत्स्य सहाकारी समिति प्रथम पुरस्कार एकलव्य म.स.स. मगरोनी 40 हजार रुपए, द्वितीय पुरस्कार बुंदेलखंड म.स.स. 15 हजार रुपए,

छतरपुर

      • (अ) उत्कृष्ट सहकारी समिति प्रथम पुरस्कार भोला म.स. समिति 12 हजार रुपए, द्वितीय पुरस्कार म.स. समिति किरवाहा 10 हजार रुपए,
      • (ब) उत्कृष्ट मछुआ प्रथम पुरस्कार समकिशन म.स.स.किरवाह 10 हजार रुपए पुरस्कार वितरित किए.

इस अवसर पर प्रमुख सचिव डीपी आहूजा सहित विभागीय अधिकारी मत्स्य महासंघ के सदस्य उपस्थित थे.

प्याज (Onion) के गिरेंगे दाम, चौथी खेप रेल से पहुंची दिल्ली

नई दिल्ली: सरकार के मूल्य स्थिरीकरण बफर से 840 मीट्रिक टन प्याज महाराष्ट्र में नासिक से रेल रेक के जरीए 17 नवंबर, 2024 की सुबह दिल्ली के किशनगंज रेलवे स्टेशन पर पहुंचा, जिसे नैफेड ने भेजा था. इस प्याज को मदर डेयरी (500 मीट्रिक टन), एनसीसीएफ (190 मीट्रिक टन) और नैफेड (150 मीट्रिक टन) को दिल्ली व एनसीआर में 35 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खुदरा बिक्री के लिए आवंटित किया गया है.

कीमतों में स्थिरता आने के बाद से दिल्ली में प्याज की यह चौथी खेप है. कंडा एक्सप्रैस से 1,600 मीट्रिक टन प्याज की पहली खेप 20 अक्तूबर, 2024 को पहुंची, 840 मीट्रिक टन की दूसरी खेप 30 अक्तूबर, 2024 को पहुंची और 730 मीट्रिक टन की तीसरी खेप 12 नवंबर, 2024 को पहुंची. 720 मीट्रिक टन की एक और खेप भी नासिक से रवाना हो चुकी है और 21 नवंबर तक इस के दिल्ली पहुंचने की संभावना है. यह इस श्रृंखला की 5वीं खेप है.

थोक मात्रा में प्याज की इस आवक से दिल्ली में मंडी और खुदरा दोनों जगहों पर प्याज की कीमतों पर काफी प्रभाव पड़ा. दिल्ली के अलावा चेन्नई और गुवाहाटी के लिए भी प्याज की बड़ी खेप भेजी गई.

23 अक्तूबर, 2024 को नासिक से रेल रेक के जरीए 840 मीट्रिक टन प्याज भेजा गया था, जो 26 अक्तूबर, 2024 को चेन्नई पहुंचा.

वहीं रेल रेक के जरीए 840 मीट्रिक टन प्याज की खेप 5 नवंबर, 2024 को गुवाहाटी के चांगसारी स्टेशन पर पहुंची, जिसे असम, मेघालय, त्रिपुरा और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न जिलों में वितरित किया गया.

इस सप्ताह रेल रेक के जरीए असम के गुवाहाटी के लिए 840 मीट्रिक टन की एक और खेप भेजने की योजना है. गुवाहाटी के लिए थोक खेप भेजने से पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्याज की उपलब्धता बढ़ेगी और क्षेत्र में प्याज की कीमतें स्थिर होंगी.

इस के अलावा लखनऊ में अमौसी के लिए रेल रेक के जरीए 840 मीट्रिक टन की एक और खेप अगले 2-3 दिनों में आने की उम्मीद है.

सरकार ने त्योहारी सीजन और मंडियों के बंद होने के कारण पिछले 2-3 दिनों में कुछ बाजारों में प्याज की आपूर्ति में आई अस्थायी बाधा को दूर करने के लिए प्याज की आपूर्ति को बढ़ाने का निर्णय लिया है.

उपभोक्ता मामले विभाग, एनसीसीएफ और नैफेड के अधिकारियों की एक टीम ने देशभर में प्याज की आपूर्ति में तेजी लाने के लिए हाल ही में नासिक का दौरा किया था.

नैफेड ने इस सप्ताह दिल्ली व एनसीआर के लिए 2 और रेक व गुवाहाटी के लिए एक रेक मंगवाया है. इसी तरह बाजारों में प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सड़क परिवहन के माध्यम से भी प्याज की आपूर्ति बढ़ाई जा रही है. एनसीसीएफ द्वारा रेल और सड़क परिवहन दोनों के माध्यम से अधिक आपूर्ति से प्याज की उपलब्धता और बढ़ेगी. एनसीसीएफ ने आने वाले सप्ताह में एक और रेक मंगवाने की भी योजना बनाई है.

सरकार ने पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मूकश्मीर, दिल्ली आदि की जरूरतों को पूरा करने के लिए सोनीपत के कोल्ड स्टोरेज में रखे प्याज को निकालने का भी निर्णय लिया है. साथ ही, कर्नाटक, महाराष्ट्र, असम आदि में प्याज की आपूर्ति बढ़ाने के लिए आरजेवीएम, सीडब्ल्यूसी कोल्ड स्टोरेज नासिक से भी प्याज भेजने का निर्णय लिया है.

सरकार बाजार के घटनाक्रमों से भलीभांति परिचित है और प्याज की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए कड़ी निगरानी रख रही है.

सरकार ने इस साल मूल्य स्थिरीकरण बफर के लिए 4.7 लाख टन प्याज रबी सीजन में खरीदा था और 5 सितंबर, 2024 से 35 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खुदरा बिक्री के माध्यम से और देशभर की प्रमुख मंडियों में थोक बिक्री के माध्यम से जारी करना शुरू कर दिया था. अब तक बफर में 1.50 लाख टन से अधिक प्याज नासिक और अन्य स्रोत केंद्रों से उपभोग केंद्रों तक भेजा जा चुका है.

पीएसएफ के जरीए पहले से विभिन्न राज्यों में प्याज की कीमतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात, चंडीगढ़, हरियाणा, गोवा जैसे अधिकांश राज्यों में औसत खुदरा कीमतें राष्ट्रीय औसत से कम रही हैं.

उत्पादन के संदर्भ में, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के आकलन के अनुसार, इस वर्ष खरीफ की वास्तविक बोआई रकबा 3.82 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले वर्ष की बोआई रकबा 2.85 लाख हेक्टेयर से 34 फीसदी अधिक है. नवंबर के पहले सप्ताह तक 1.28 लाख हेक्टेयर में बोआई के साथ देर से खरीफ प्याज की बोआई की प्रगति भी सामान्य बताई गई है.

बाजारों में अधिक खरीफ प्याज की आवक के साथसाथ बफर स्टाक से प्याज निकालने में वृद्धि और देर से खरीफ की अच्छी बोआई प्रगति से उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित होगी.

एडीएम की निगरानी में हुई धान खरीद

संत कबीर नगर: महेंद्र सिंह तंवर के निर्देश के क्रम में अपर जिलाधिकारी/जिला खरीद अधिकारी जयप्रकाश की अध्यक्षता में धान खरीद कार्यशाला का आयोजन कलेक्ट्रेट सभागार में हुआ. कार्यशाला में उन्होंने बताया कि जनपद में शासन द्वारा धान खरीद का लक्ष्य 40,000 मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है.

खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 न्यूनतम समर्थन मूल्य (कामन 2300 रुपए प्रति क्विंटल एवं ग्रेड ए 2320 रुपए प्रति क्विंटल) निर्धारित किया गया है. जनपद में कुल 50 खरीद केंद्रों का अनुमोदन किया जा चुका है, जिस में से खाद्य विभाग के 32. पीसीएफ के 11, पीसीयू के 5, मंडी समिति के 1 एवं भाखानि के 1 खरीद केंद्र को अनुमोदित किया गया है, जिस से धान की खरीद शुरू होते ही किसानों का धान सुविधाजनक तरीके से खरीद केंद्रों पर खरीद हो सके.

अपर जिलाधिकारी द्वारा समस्त एजेंसियों के जिला प्रबंधक को निर्देशित किया गया कि केंद्रों पर धान खरीद से संबंधित सभी व्यवस्था पूरी कराते हुए अपने खरीद केंद्र प्रभारियों की उपस्थिति, (सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक) सुनिश्चित करें. प्रत्येक खरीद केंद्र पर अनिवार्य रूप से बांट माप विभाग से सत्यापित कांटे, नमी मापक यंत्र, कांटा, छलना और बोरों की उपलब्धता सुनिश्चित करें. गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी किसानों का भुगतान पीएफएमएस के माध्यम से किया जाना है. अतः समस्त खरीद केंद्र प्रभारी डीएससी बनवा लें, जिस से कि किसानों के भुगतान में कोई समस्या न हो.

जिला खाद्य विपणन अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि धान खरीद वर्ष 2024-25 में जनपद में धान विक्रय हेतु केवल 1,327 किसानों द्वारा खाद्य विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण कराया गया है. पिछले वर्ष कुल 18,300 किसानों द्वारा धान बेचा गया था.

अपर जिलाधिकारी द्वारा यह भी निर्देशित किया गया कि अभियान चला कर पंजीकरण कराया जाए, इस काम में समस्त धान क्रय केंद्र प्रभारी और पर्यवेक्षकीय अधिकारी संपर्क करने वाले किसानों को औनलाइन पंजीकरण कराने हेतु प्रेरित और सहयोग करें. सभी धान क्रय केंद्र प्रभारियों को निर्देशित किया गया है कि जिला पंचायत राज अधिकारी से समन्वय स्थापित करते हुए ग्राम पंचायत में स्थित पंचायत भवन/सार्वजनिक स्थल जैसे साधन सहकारी समिति के भवन, कृषि विपणन केंद्र, बीज व खाद विक्रय केंद्र आदि पर समीपस्थ क्रय केंद्र का नाम व पता, क्रय केंद्र प्रभारी का नाम, मोबाइल नंबर, केंद्र के खुलने व बंद होने का समय, न्यूनतम समर्थन मूल्य, की वालपेटिंग अनिवार्य रूप से कराना सुनिश्चित कराएं.

उन्होंने कहा कि सभी धान क्रय केंद्र प्रभारी अपनेअपने केंद्रों पर बैनर समय से अवश्य प्रदर्शित करें और शासन द्वारा जारी क्रय नीति के प्रस्तर 13.9 के अनुसार, क्रय केंद्रों पर किसानों का धान ‘‘पहले आओ पहले पाओ’’ के आधार पर क्रय किया जाएगा, पर अगर किसी क्रय केंद्र पर उस की दैनिक खरीद क्षमता से अधिक किसान पहुंचते हैं, तो क्रय केंद्र पर किसानों की सुविधा के लिए औफलाइन टोकन की व्यवस्था की जाए, ताकि धान की आवक पर्याप्त होने की दशा में केंद्रों पर किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो.

उन्होंने मंडी के अधिकारियों को निर्देशित किया कि मंडी में कैंप लगा कर खराब उपकरणों जैसे नमी मापक यंत्र, कांटा बांट इत्यादि को सही कराएं.

उन्होंने आगे कहा कि समस्त क्रय केंद्रों पर 2 कांटे रखे जाएं और किसानों की सुविधा के लिए व्यवस्था पूरी करा ली जाए. क्रय केंद्रवार लक्ष्य का निर्धारण कर लिया जाए और समस्त क्रय केंद्र प्रभारी अनिवार्य रूप से दैनिक लक्ष्य का विभाजन करते हुए खरीद का काम सुनिश्चित करेंगे. जिला प्रबंधक, पीसीएफ/पीसीयू को निर्देशित किया कि अपने प्रत्येक क्रय केंद्र पर बोरों की उपलब्धता कर के अवगत कराएं.

अपर जिलाधिकारी ने धान खरीद में शिकायत के त्वरित निस्तारण के लिए कंट्रोल रूम सक्रिय करने के लिए निर्देशित किया है, जो जिला स्तर पर फोन नंबर कार्यालय 05547-227665 एवं मोबाइल नंबर 9454417600 है. जिला खाद्य विपणन अधिकारी कार्यालय स्तर पर शिकायत के त्वरित निस्तारण के लिए कंट्रोल रूम मोबाइल नंबर 7839565081 है.

इस अवसर पर उपजिलाधिकारी, सदर, शैलेश कुमार दूबे, उपजिलाधिकारी धनघटा रमेश चंद्र, उपजिलाधिकारी मेंहदावल उत्कर्ष श्रीवास्तव सहित संबंधित अधिकारी आदि उपस्थित रहे.

तीन दिन में सीखें ‘मशरूम उत्पादन तकनीक’

बस्ती : औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती द्वारा बेरोजगार नौजवानों, नवयुवतियों, किसानों और बागबानों को गांव स्तर पर स्वरोजगार सृजन के उद्देश्य से केंद्र के मशरूम अनुभाग द्वारा मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘मशरूम उत्पादन तकनीक’ विषय पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन आगामी महीनों के विभिन्न तिथियों में किया जाना है, जिस में बस्ती, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, देवरिया, कुशीनगर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, बाराबंकी, अयोध्या, सुल्तानपुर, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र, बलिया, गाजीपुर, मऊ, आजमगढ, जौनपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, चंदौली, अंबेडकरनगर, गोरखपुर जिलों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं.

औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती के संयुक्त निदेशक, उद्यान, वीरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि 3 दिवसीय प्रशिक्षण में भाग लेने के इच्छुक नौजवान, नवयुवती, किसान और बागबान अपने जिले के जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर प्रशिक्षण के लिए अपना नाम केंद्र को भिजवा सकते हैं.

उन्होंने बताया कि औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती में स्थित मशरूम अनुभाग की मंशा है कि गांव स्तर पर मशरूम के जरीए रोजगार मुहैया कराए जाएं, जिस से कि उन के शहरों की ओर बढ़ रहे पलायन को रोका जा सके.

इसी उद्देश्य के तहत आम लोगों को मशरूम उत्पादन तकनीक का प्रशिक्षण औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती में स्थित मशरूम अनुभाग द्वारा आगामी महीनों की विभिन्न तिथियों में किया जाएगा, क्योंकि यह भूमिहीन व गरीब किसानों की आमदनी का जरीया है, इसे अपना कर वे खुद का रोजगार कर सकते हैं.

संयुक्त निदेशक, उद्यान, वीरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान मशरूम की खेती से ले कर कंपोस्ट बनाने, प्रोसैसिंग और मशरूम के विभिन्न उत्पादों को बना कर आमदनी बढ़ाने के सभी पहलुओं पर जानकारी दी जाएगी.

मशरूम अनुभाग प्रभारी विवेक वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि साल 2024-25 में केंद्र के मशरूम अनुभाग द्वारा मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 2024 में 19 नवंबर से 21 नवंबर, 17 दिसंबर से 19 दिसंबर प्रस्तावित है, जबकि 2025 में 7 जनवरी से 9 जनवरी व 20 फरवरी से 22 फरवरी में प्रस्तावित है.

उन्होंने यह भी बताया कि दूरदराज के प्रशिक्षणार्थियों के लिए कृषक छात्रावास में एकसाथ 50 किसानों के ठहरने की निःशुल्क व्यवस्था है, पर भोजन एवं जलपान की व्यवस्था प्रशिक्षणार्थियों को खुद ही करनी होती है. प्रत्येक प्रशिक्षण सत्र के लिए प्रति प्रशिक्षणार्थी 50 रुपए पंजीकरण शुल्क जमा करना होगा.