कृषि स्टार्टअप्स को सशक्त बनाने के लिए SABAGRIs वेबसाइट लांच

भागलपुर: कृषि नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए, बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर के कुलपति ने आज SABAGRIs (सबौर एग्री इनक्यूबेटर्स) की आधिकारिक वेबसाइट www.sabagris.com को लांच किया. यह वेबसाइट कृषि स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं और कृषि नवाचारकर्ताओं को संसाधन, समर्थन और सहयोग के अवसर प्रदान करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगी.

SABAGRIs, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर की एक एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन पहल है,जिस का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में नवाचार, उद्यमिता और शोध को प्रोत्साहित करना है. यह इनक्यूबेटर कृषि स्टार्टअप्स को विचार विकास से लेकर व्यवसाय के विस्तार तक संपूर्ण समर्थन प्रदान करता है, जिस में आधुनिक कृषि के लिए स्थायी और तकनीकी समाधान पर विशेष ध्यान दिया जाता है.

वेबसाइट लांच का आयोजन बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के निदेशालय अनुसंधान में किया गया. इस अवसर पर SABAGRIs के परियोजना अन्वेषक और निदेशक अनुसंधान डा. एके सिंह और उन की टीम के सदस्य उपस्थित रहे.

यह पहल कृषि क्षेत्र में विकास को गति देने और नवोन्मेषी विचारों को व्यवसायिक रूप देने के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी.

काला नमक चावल (Black Salt Rice) की पहचान पूरी दुनिया में पहुंची

सिद्धार्थनगर: जिला प्रशासन सिद्धार्थनगर द्वारा आयोजित बुद्धा राइस क्रेता विक्रेता सम्मेलन कार्यक्रम के समापन एवं पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर किसान सम्मान दिवस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंत्री श्रम एवं सेवायोजन, समन्वय विभाग उत्तर प्रदेश अनिल राजभर द्वारा सांसद डुमरियागंज जगदंबिका पाल, विधायक शोहरतगढ़ विनय वर्मा, जिलाध्यक्ष भाजपा कन्हैया पासवान, पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी व जिलाधिकारी डा. राजा गणपति आर, पुलिस अधीक्षक अभिषेक महाजन, मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार आदि की उपस्थिति में किया गया.

मुख्य अतिथि मंत्री श्रम एवं सेवायोजन, समन्वय विभाग उत्तर प्रदेश अनिल राजभर द्वारा जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में बुद्धा रत्ना कंपनी के कालानमक के उत्पाद का विमोचन किया गया. किसान सम्मान दिवस के मौके पर कृषि में बेहतरीन कार्य करने वाले किसानों को भी सम्मानित किया गया. नव चयनित आशाबहुओं को प्रशिक्षण के लिए प्रमाण पत्र एवं ओडीओपी योजना के लाभार्थियों को टूल किट का प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया.

कालानमक के प्रचार प्रसार हेतु ब्रांड एम्बेसडर महेंद्र नाथ पाण्डेय को शाल एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. मुख्य अतिथि मंत्री श्रम एवं सेवायोजन, समन्वय विभाग उत्तर प्रदेश अनिल राजभर ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर याद करते हुए सभी किसानों को किसान सम्मान दिवस की शुभकामनाएं दी.

उन्होंने आगे कहा कि महात्मा गौतम बुद्ध की धरती पर जनपद के प्रभारी मंत्री के रूप में पहली बार सभी अन्नदाता किसानों से मुलाकात हो रही है. मुख्यमंत्री जी द्वारा ओडीओपी के अंतर्गत सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल और चंदौली के ब्लैक राइस को चुना गया है. इस क्रेता विक्रेता सम्मेलन के कार्यक्रम की चर्चा अन्य जनपदों में भी हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है कि किसानों की आय दोगुनी हो उन के इस संकल्प को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश द्वारा निरंतर प्रयास किया जा रहा है.

श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि उत्पादन को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अनुदान देकर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. किसानों को उपज का उचित मूल्य प्राप्त हो इस के लिए कार्य योजना भी बनाई जा रही है.

इस के साथ ही, पूर्वांचल के 500 किसानों को विदेशों में भ्रमण कर अच्छी तकनीकियों का प्रयोग कर खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 6000 मजदूरों को इसराइल भेजा गया है. साथ ही 25000 श्रमिकों को इसराइल भेजने का लक्ष्य भी है उत्तर प्रदेश से जो श्रमिक इसराइल गए हैं, उन को आज अच्छी आय प्राप्त हो रही है. साथ ही, आज क्रेता विक्रेता सम्मेलन के माध्यम से किसान उद्यमियों को काला नमक के उत्पादन को बढ़ाने व उस के निर्यात के लिए जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है, जिस से उनको उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त हो सके.

जिलाधिकारी डाक्टर राजा गणपति आर एवं मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार के निर्देशन में जिला प्रशासन के अधिकारियों एवं कृषि विभाग के प्रयास से आज जनपद में काला नमक की पहचान पूरी दुनिया में पहुंचने के लिए क्रेता विक्रेता सम्मेलन का कार्यक्रम दो दिनों तक आयोजित किया गया. जिलाधिकारी का यह प्रयास है, कि जनपद के किसानों को काला नमक चावल के उत्पादन की अच्छी कीमत मिल सके.

सांसद डुमरियागंज जगदंबिका पाल ने कहा कि यह तथागत गौतम बुद्ध की जन्मस्थली है. जनपद प्रभारी मंत्री को जनपद में प्रथम आगमन पर बधाई दी गई. सांसद डुमरियागंज ने इतने बड़े कार्यक्रम के आयोजन को मूर्तरूप देने वाले जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी व कृषि विभाग को बधाई दी.

उन्होंने आगे कहा कि यह क्रेता विक्रेता सम्मेलन नये प्रयोग के साथ काला नमक चावल के ब्रांडिंग एवं निर्यात के लिए आयोजित किया गया है. जिला प्रशासन द्वारा कालानमक चावल को विश्व में पहचान दिलाने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है. कालानमक चावल की क्वालिटी का चावल पूरी दुनिया में नहीं मिल रहा है. काला नमक चावल को शुगर का मरीज भी सेवन कर सकता है.

आज जापान के चावल का मुकाबला हमारे जनपद का काला नमक चावल कर रहा है. जनपद में काला नमक भवन बनाने के लिए भारत सरकार से सीएसआर मद व्यय कर काम करने का प्रयास किया जा रहा है. इस भवन के बनने से बाहर से आने वाले लोगों को कालानमक चावल आसानी से प्राप्त हो जाएगा और वहीं से ही इस की मार्केटिंग भी हो सकेगी.

काला नमक चावल (Black Salt Rice)

सांसद डुमरियागंज जगदंबिका पाल ने कहा कि कालानमक चावल विभिन्न कर्मशियल प्लेटफार्म के माध्यम से आज देश विदेश में अपनी सुगंध फैला रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जी 20 की बैठक में भी अतिथियों को भेंट किया गया था. साथ ही, उन्होंने जिला प्रशासन, कृषि वैज्ञानिकों एवं किसान भाइयों को भी शुभकामनाएं दी.

विधायक शोहरतगढ़ विनय वर्मा ने कहा कि कालानमक चावल को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग द्वारा इस के निर्यात के लिए अच्छा प्रयास किया जा रहा है जिस से किसानों को उन के उत्पाद का अच्छा मूल्य प्राप्त हो सके और महात्मा बुद्ध का प्रसाद कालानमक की खुशबू देशविदेश तक पहुंच सके.

पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने कहा कि कालानमक चावल के उत्पादन एवं निर्यात के लिए क्रेता विक्रेता सम्मेलन के माध्यम से जिला प्रशासन द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है, जिस से किसानों को कालानमक चावल का अच्छा मूल्य प्राप्त होगा.

जिलाध्यक्ष भाजपा कन्हैया पासवान ने कहा कि भगवान गौतम बुद्ध का प्रसाद, कालानमक चावल के लिए जिला प्रशासन द्वारा क्रेता विक्रेता सम्मेलन का कार्यक्रम हो रहा है. जनपद के किसानों द्वारा अधिक मात्रा में कालानमक की खेती की जा रही है. इस के निर्यात के लिए विकल्प हो जाने पर जनपद के किसान और अधिक मात्रा में काला नमक की खेती कर अच्छी आय प्राप्त कर सकेंगे.

बुद्धा राइस क्रेता विक्रेता सम्मेलन कार्यक्रम के द्वितीय दिवस पर दो चरणों में वैज्ञानिको द्वारा किसानों को कालानमक चावल के प्रसंस्करण एवं विपणन के बारे में पूरी जानकारी दी गई. प्रसंस्करण सत्र के दौरान डा. रितेश शर्मा बासमती एक्सपोर्ट बोर्ड, डा. एमएस अनंथा आईआईआरआर हैदराबाद, केके अग्रवाल आई.आई.ए द्वारा किसानों को कालानमक चावल के प्रसंस्करण के बारे में सभी जानकारी दी गई.

विपणन सत्र के दौरान डा. मंजुल प्रताप सिंह निदेशक ओराइजो राइस घर एग्रो वर्ल्ड प्रा.लि. वाराणसी, सुरेश गुप्ता प्रदेश सचिव, लघु उद्योग भारती उत्तर प्रदेश, अविनाश चंद्र तिवारी संयुक्त कृषि निदेशक मंडल बस्ती, डा. मार्कण्डेय सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र सोहना द्वारा कालानमक चावल के प्रसंस्करण के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई.

इस अवसर पर उपरोक्त के अतिरिक्त उप कृषि निदेशक अरविंद विश्वकर्मा, जिला कृषि अधिकारी मो. मुजम्मिल, जिला कृषि रक्षा अधिकारी विवेक दूबे, जिला भूमि संरक्षण अधिकारी कृषि रवि शंकर पाण्डेय, उपायुक्त उद्योग उदय प्रकाश, जिला उद्यान अधिकारी नन्हे लाल वर्मा, जिला पूर्ति अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी तन्मय व अन्य संबंधित अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे.

हाईटेक कृषि ज्ञान वाहनों से मिल रहा हर सवाल का जवाब

सबौर: बिहार कृषि विश्वविद्यालय, द्वारा संचालित “सवालजवाब” कार्यक्रम अब किसानों तक और भी प्रभावी ढंग से पहुंच रहा है. सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर लोकप्रिय इस कार्यक्रम का प्रसारण आज से कृषि ज्ञान वाहनों के माध्यम से भी किया गया.

समस्तीपुर, पूर्णिया और पटना जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद इन कृषि ज्ञान वाहनों पर किसानों ने विश्वविद्यालय के मीडिया सेंटर से प्रसारित सवालजवाब कार्यक्रम को देखा और वैज्ञानिकों से सीधे प्रश्न पूछे. आज के कार्यक्रम में “जाड़े के मौसम में पशुओं के रखरखाव” विषय पर चर्चा की गई.

इस अवसर पर प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरके सोहाने, पशु विज्ञान विशेषज्ञ डा. राजेश कुमार, डा. एमज़ेड होदा और डा. ज्योतिमला ने किसानों के सवालों के उत्तर दिए. कार्यक्रम का संचालन अन्नू द्वारा किया गया.

यह कार्यक्रम हर शनिवार को प्रसारित होता है. साथ ही, अब बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कृषि ज्ञान वाहनों के साथसाथ बामेती, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना और डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के वाहनों में भी उपलब्ध है. इन वाहनों में बड़े टीवी स्क्रीन पर कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया.

इस नई पहल पर खुशी जाहिर करते हुए कुलपति डा. डीआर सिंह ने कहा ” इस कदम से दूरदराज के किसानों को खेती और पशुपालन से जुड़ी समस्याओं का समाधान रियल टाइम में मिल सकेगा. यह पहल किसानों के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.”

हाईटेक कृषि ज्ञान वाहन

गौरतलब है कि इस वर्ष बिहार कृषि विश्वविद्यालय के नेतृत्व में हाईटेक कृषि ज्ञान वाहनों का निर्माण किया गया था, जिस का लोकार्पण बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था. ये वाहन किसानों को कृषि और पशुपालन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं.

किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण

यह कार्यक्रम न केवल किसानों के दरवाजे तक पहुंच कर उन्हें जागरूक कर रहा है, बल्कि उन की समस्याओं का तुरंत समाधान भी प्रदान कर रहा है. इस से राज्य में कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में प्रगति को नई गति मिलेगी.

लेमन मैन (Lemon Man) को किया कृषि मंत्री ने सम्मानित

लखनऊ: चौधरी चरण सिंह किसान सम्मान दिवस के अवसर पर विधानसभा लखनऊ के प्रांगण में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही सहित अनेक अधिकारी गण उद्यान विभाग, कृषि विभाग उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों का हौसला बढ़ाया और किसानों को सम्मानित किया.

इस मौके पर रायबरेली के किसान आनंद मिश्रा, जिन्हें लेमन मैन के नाम से जाना जाता है. उन्हें प्रदेश स्तरीय द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पुरस्कार स्वरूप लेमन मैन को 50000 रुपए मिले.

लेमन मैन ने इस मौके पर कहा कि उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने हमें कई मौकों पर आगे बढ़ने और अच्छा काम करने के लिए प्रेरित किया. साथ ही, उद्यान विभाग के वैज्ञानिकों ने हमारा समयसमय पर मार्गदर्शन किया, हमारी बाग में विजिट किया और आज उत्तर प्रदेश का द्वितीय पुरस्कार फलस्वरूप मिला. हम आज सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हैं.

आपको जानकारी के लिए बता दें कि राज्यस्तरीय फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड 2024 लखनऊ में आयोजित हुआ था जिस में मुख्य अतिथि दिनेश प्रताप सिंह रहे. उन्होंने उस समय भी किसानों का हौसला बढ़ाया था, उस समय वहां पर लेमन मैन भी मौजूद थे. आज के समय में लेमन मैन रायबरेली के प्रमुख नीबू उत्पादक बागवान हैं.

लेमन मैन आनंद मिश्रा यूपी के रायबरेली जनपद के रहने वाले हैं. उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर नीबू की बागवानी की शुरुआत कर, एक ऐसी मिसाल पेश की, जिस को देख कर दूसरे किसान भी नीबू की खेती करने लगे. नीबू की बागवानी में मिली अदभुत सफलता से जिले में आनंद मिश्रा को लेमन मैन (lemon man) के नाम से पुकारा जाने लगा है.

लेमन मैन के बारे में हमने पढ़ा तो बहुत था लेकिन, उन से हमारी मुलाकात फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड 2024 के दौरान लखनऊ में हुई थी. उन्होंने बातचीत में बताया कि नीबू की बागवानी मुनाफे की खेती है. इस बागवानी में किसान को एक बार जमीन पर पौधे लगाने हैं और 25 सालों तक मुनाफे की फसल काटनी है. मतलब खर्चा कम आमदनी ज्यादा.

आनंद मिश्रा ने 2016 में नौकरी छोड़कर नीबू की बागवानी शुरु की. हालांकि उन्होंने खेती की शुरुआत गेहूं, धान की खेती से ही शुरू की थी. लेकिन सफलता नहीं मिली. फिर 1 साल तक वह अलगअलग तरह की खेती करते रहे. लेकिन जुनून नीबू की बागवानी करने का ही था. आखिर उन का यह जुनून परवान चढ़ा और नीबू की बागवानी करने में बड़े पैमाने पर सफलता प्राप्त की. आज जिले में उन की पहचान उन के नाम से अधिक लेमन मैन के नाम से है.

कृषि कार्य में काम आने वाले ट्रैक्टरचालित उपयोगी यंत्र

सवाल : खेती की तैयारी और अन्य प्रमुख कृषि कार्य में काम आने वाले ट्रैक्टरचालित कौन से उपयोगी यंत्र हैं?

– दिनेश यादव, मथुरा

जवाब : आज खेती कृषि यंत्रों पर आधारित है. ज्यादातर किसानों के पास अपनी सुविधा के  अनुसार छोटेबड़े कृषि यंत्र भी हैं. लेकिन ट्रैक्टर सभी किसानों की पहुंच में नहीं हैं. यहां हम उन्हीं कृषि यंत्रों की बात करने जा रहे हैं, जो ट्रैक्टर द्वारा चालित हैं.

खेती की तैयारी के लिए ट्रैक्टरचालित उपयोगी यंत्र हैरो/कल्टीवेटर,  हैप्पी सीडर, रिवर्सेबल प्लाऊ, रीपर, रोटावेटर, रीपर कम बाइंडर, जीरो ट्रिल/सीड ड्रिल कम फर्टिलाइजर ड्रिल, थ्रेशर, मल्टीक्राप थ्रेशर, राइस ट्रांसप्लांटर, पोटैटो प्लांटर, पोटैटो डिगर आदि.

इन में कल्टीवेटर, रोटावेटर जैसे यंत्र खेत को तैयार करने यानी खेत की जुताई करने के काम आते हैं. रिवर्सेबल प्लाऊ खेत की मिट्टी में गहराई तक पहुंच कर काम करता है. रीपर यंत्र गेहूंधान जैसी फसलों की कटाई का काम करता है. इसी का अत्याधुनिक यंत्र है, रीपर कम बाइंडर. यह यंत्र फसल की कटाई करने के साथसाथ उन के गट्ठर भी बनाता चलता है.

happy_seeder

जीरो ट्रिल यंत्र से खेत में बिना जुताई किए सीधे ही बीज की बोआई की जाती है. इसी का   आधुनिक कृषि यंत्र जीरो कम फर्टिलाइजर ड्रिल है. यह यंत्र भी बिना जुताई किए खेत में बीज की बोआई करने के साथसाथ खेत में उर्वरक भी डालता है. इस यंत्र के इस्तेमाल से खेत की जुताई का खर्च बचता है. साथ ही, समय की भी बचत होती है. उदाहरण के लिए गेहूं व धान की कटाई के बाद आप सीधे ही बोआई कर सकते हैं.

थ्रेशर यंत्र की बात करें, तो यह बहुत ही आम यंत्र है. यह यंत्र तैयार फसल की गहाई करने के काम आता है, जिस से तैयार उपज से अनाज अलग हो जाता है और भूसा अलग हो जाता है.

thresser

मल्टीक्राप थ्रेशर के बारे में जैसा नाम से ही पता चल रहा है कि इस अकेले यंत्र से कई अलगअलग फसलों की गहाई की जा सकती है. इस में गहाई करने वाली खास फसलें हैं. जैसे गेहूं, धान, मक्का, दलहनी और तिलहनी फसलें आदि.

अब बात करते हैं राइस प्लांटर की. राइस प्लांटर धान की बोआई करने वाला यंत्र है. इस के अलावा धान की रोपाई करने वाला पैडी प्लांटर भी होता है, जिस से धान पौध की बोआई की जाती है. इस यंत्र में ट्रैक्टर की आवश्यकता नहीं होती. यह इंजन फिटेड यंत्र है, जिस को एक व्यक्ति द्वारा खेत में चलाया जाता है. इस यंत्र के इस्तेमाल से धान की रोपाई में अधिक मजदूरों की जरूरत नहीं होती और कम समय में अधिक रकबे में धान की रोपाई की जा सकती है.

potato_digger

ट्रैक्टर से चलने वाले पोटैटो प्लांटर यंत्र द्वारा आलू कंद की बोआई की जाती है, जो उचित दूरी और गहराई में आलू बीज गिराता है. इस यंत्र के इस्तेमाल से आलू की अच्छी पैदावार मिलती है.

आलू फसल तैयार होने के बाद उस की खुदाई के लिए पोटैटो डिगर यंत्र है. आलू खुदाई करने वाले इस यंत्र को भी ट्रैक्टर द्वारा चलाया जाता है. इस यंत्र से आलू खुदाई के बाद मजदूरों द्वारा आलू को चुन लिया जाता है. इस के अलावा अनेक कृषि यंत्र हैं, जो किसानों के लिए खेती में खासा मददगार हैं.

उत्तर प्रदेश में ये हैं कृषि यंत्रीकरण योजनाएं

सवाल : उत्तर प्रदेश में कृषि यंत्रीकरण की कौन सी योजनाएं संचालित हैं?
– राम किशन, गांव कोटकी, टूंडला

जवाब : किसानों के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा समयसमय पर अनेक योजनाएं संचालित होती रहती हैं. इन योजनाओं के जरीए ज्यादातर किसानों को कृषि यंत्र खरीद पर सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है, जिस से किसानों को अच्छीखासी आर्थिक मदद मिलती है.

इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए कृषि यंत्रीकरण की सबमिशन औन एग्रीकल्चर मेकैनाइजेशन अंडर नैशनल मिशन औन एग्रीकल्चर ऐक्सटेंशन एंड टैक्नोलौजी योजना संचालित है. इस योजना के जरीए किसान कृषि यंत्रों का फायदा ले सकते हैं.

इस के लिए आप अपने नजदीक कृषि संस्थान से संपर्क कर सकते हैं. साथ ही, इन योजनाओं की जानकारी बड़े कृषि यंत्र विक्रेताओं को भी होती है, वे भी इस बारे में आप की मदद कर सकते हैं.

प्राकृतिक आपदा से किसान की उपज बरबाद , कैसे हो भरपाई?

सवाल : मैं बाराबंकी, उत्तर प्रदेश का किसान हूं. मैं जानना चाहता हूं कि प्राकृतिक आपदा से किसान की उपज बरबाद हो जाती है, तो उस की फसल की भरपाई के लिए क्या पैमाना है और किस तरह से फसल की क्षति का आकलन किया जाता है?

– रामजीवन मिश्रा

जवाब : सरकार द्वारा किसानों के लिए अनेक लाभांवित योजनाएं हैं. उन्हीं योजनाओं में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना है, जो किसानों की प्राकृतिक आपदा से होने वाली फसल नुकसान की भरपाई करती है.

आप के सवाल के जवाब में हम बताना चाहते हैं कि अधिसूचित फसलों पर मौसम के अंत में संपादित फसल कटाई प्रयोगों से प्राप्त उपज के आधार पर फसल की क्षति का आकलन किया जाता है और संबंधित किसानों को उपज में कमी के अनुरूप क्षतिपूर्ति प्रदान की जाती है.

योजना के नियमों के अनुरूप क्षतिपूर्ति देय होने पर बीमा कंपनी द्वारा किसानों के बैंक खाते में क्षतिपूर्ति की धनराशि जमा करा दी जाती है. इसलिए क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए किसानों को व्यक्तिगत दावा प्रस्तुत करना आवश्यक नहीं है.

ग्राम पंचायत में अधिसूचित फसल के अधिकांश किसानों द्वारा फसल की बोआई न कर पाने/असफल बोआई की स्थिति में क्षति का आकलन ग्राम पंचायत स्तर पर करते हुए प्राथमिकता पर क्षतिपूर्ति देय होती है. योजना में स्थानिक आपदाओं, ओला, भूस्खलन व जलभराव और फसल की कटाई के उपरांत आगामी 14 दिन की अवधि तक फसल नष्ट होने की स्थिति में फसल की क्षति का आकलन व्यक्तिगत बीमित किसान के स्तर पर करते हुए किसानों को प्राथमिकता पर आंशिक क्षतिपूर्ति प्रदान की जाती है, जिस को मौसम के अंत में फसल कटाई प्रयोगों से प्राप्त उपज के आधार पर देय कुल क्षतिपूर्ति की धनराशि में समायोजित किया जाता है.

इसी प्रकार फसल की मध्य अवस्था तक ग्राम पंचायत में फसल की संभावित उपज सामान्य उपज से 50 फीसदी कम होने की स्थिति में भी किसानों को आपदा की स्थिति तक उत्पादन लागत में व्यय के अनुरूप तात्कालिक सहायता प्रदान की जाती है, जिसे मौसम के अंत में फसल कटाई प्रयोगों से प्राप्त उपज के आधार पर देय कुल क्षतिपूर्ति की धनराशि में समायोजित किया जाता है.

पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना में फसल की क्षति का आकलन ब्लौक में स्थापित स्वचालित मौसम केंद्र स्तर पर मौसम के प्रतिदिन के आंकड़ों के आधार पर किया जाता है. फसल की बोआई से कटाई के प्रत्येक महत्वपूर्ण चरणों में फसल की आवश्यकतानुसार निर्धारित मौसमीय स्थितियों एवं मौसम की वास्तविक स्थिति में अंतर के अनुरूप फसल की संभावित क्षति को दृष्टिगत रखते हुए किसानों को क्षतिपूर्ति प्रदान की जाती है.

क्या है फसल बीमा योजना (Crop insurance scheme)?

सवाल : फसल बीमा योजना क्या है और इस योजना में कौनकौन से जोखिम कवर होते हैं?
– रामप्रकाश, अलीगढ़

जवाब : केंद्र सरकार द्वारा वर्तमान में उपज गारंटी योजना के रूप में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए चलाई जा रही है, जिस के अंतर्गत प्रतिकूल मौसमीय स्थितियों के कारण फसल की बोआई न कर पाने/असफल बोआई, फसल की बोआई से कटाई की अवधि में प्राकृतिक आपदाओं, रोगों व कीटों से फसल नष्ट होने की स्थिति एवं फसल कटाई के बाद खेत में कटी हुई फसलों को बेमौसम/चक्रवाती वर्षा, चक्रवात से फसल नुकसान की स्थिति में फसल पैदा करने वाले किसानों, जिन के द्वारा फसल का बीमा कराया गया है, को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.

चयनित जनपदों में पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को लागू किया गया है, जिस में प्रतिकूल मौसमीय स्थितियों कम व अधिक तापमान, कम व अधिक वर्षा आदि से फसल नष्ट होने की संभावना के आधार पर फसल के उत्पादक किसानों, जिन के द्वारा फसल का बीमा कराया गया है, को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता दी जाती है.

किसान दिवस पर खास (Special on Farmer’s Day): 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदेगी हरियाणा सरकार

हिसार : किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग को हरियाणा सरकार ने पूरा कर दिया है. अब प्रदेश सरकार किसानों की 24 फसलों को शतप्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदेगीं.

ये विचार प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन मंत्री श्याम सिंह राणा ने व्यक्त किए. वे चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ‘किसान दिवस’ के मौके पर आयोजित समारोह में बतौर मुख्यातिथि प्रगतिशील किसानों एवं वैज्ञानिकों को संबोधित कर रहे थे.

नलवा के विधायक रणधीर पनिहार विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे, जबकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.

कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि प्रदेश की सरकार ने किसानों की माली हालत को सुधारने के लिए एमएसपी की गांरटी दे दी है, जिस से किसानों की आय बढ़ाने मे मदद मिलेगी. किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथसाथ हमें मिट्टी की सेहत बनाए रखने के लिए खेत को भी आत्मनिर्भर बनाना होगा, जो कि संबंधित खेत में पराली प्रबधंन, फसल अवशेषों को उसी खेत में समाहित करने व अन्य जैविक प्रबधंन करने से संभव है.

उन्होंने प्रदेश के सभी जिलों में कृषि विज्ञान केंद्रों के जरीए किसानों को स्वस्थ पौध, बीज व फलदार पौधे उपलब्ध करवाने पर भी जोर दिया और किसानों से कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानों की आय बढाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करते हुए 24 फसलों पर एमएसपी की गांरटी देने के इस फैसले के साथ हरियाणा 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने वाला देश का पहला राज्य बन गया है.

उन्होंने आगे बताया कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए भी किसानों को जागरूक किया जा रहा है. खेती में अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक दवाओं के प्रयोग करने से जमीन खराब होती जा रही है.

उन्होंने यह भी कहा कि किसान को परंपरागत तरीके से खेती करने व रसायनों की सिफारिश के मुताबिक उपयोग करने की जरूरत है. किसानों को कृषि में आधुनिक तकनीकों को अपना कर अपनी आमदनी बढ़ानी चाहिए. किसानों को परंपरागत फसलों के साथसाथ पशुपालन, मत्स्यपालन, मधुमक्खीपालन और खुम्ब उत्पादन को भी प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि उन की माली हालत मजबूत हो सके.

जल, जमीन व पर्यावरण भावी पीढ़ी की धरोहर, उन्हें बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी : प्रो. बीआर कंबोज

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने किसानों से आह्वान किया कि जल, जमीन व पर्यावरण भावी पीढ़ी की धरोहर है, उन्हें बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है. हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को सही तरीके से उपयोग करने की जरूरत है. साथ ही, हमें अपने लाभ के लिए उन का अत्यधिक दोहन करने से बचना चाहिए. कृषि में विविधीकरण को अपनाएं और उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाएं, ताकि विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा का मुकाबला किया जा सके.

उन्होंने आगे कहा कि हर हाथ को रोजगार उपलब्ध करवा कर ही हम भारत को साल 2047 तक स्वावलंबी, आत्मनिर्भर एवं विकसित राष्ट्र बना सकते हैं. विश्वविद्यालय द्वारा प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को कृषि से संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण देने के साथसाथ संबंधित सामग्री भी उपलब्ध करवाई जा रही है, ताकि वे स्वरोजगार स्थापित कर के आत्मनिर्भर बन सकें. विश्वविद्यालय टिश्यू कल्चर तकनीक के माध्यम से गन्ने, केले व अन्य तरह की रोगरहित पौध विकसित कर के किसानों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. जल संसाधनों का बेहतर प्रयोग, वाटरशेड विकास, वर्षा जल संचय और उन्नत तकनीकों को अपना कर पानी का उचित प्रबंधन करने की बहुत ही जरूरत है.

kisaan divas haryana1

नलवा के विधायक रणधीर पनिहार ने सरकार द्वारा फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गांरटी देने पर प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे शोध के कामों एवं उन्नत किस्म के बीजों के कारण प्रदेश के कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है.

विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल ने सभी का स्वागत किया, जबकि कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया.

इस अवसर पर मुख्यातिथि श्याम सिंह राणा ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया. इस अवसर पर मुख्यातिथि ने विश्वविद्यालय व कृषि क्षेत्र में स्वरोजगार स्थापित करने वाले किसानों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया. कार्यक्रम में किसान रत्न सम्मान गांव कनावली, जिला रेवाड़ी के प्रगतिशील किसान यशपाल को प्रदान किया गया. इस के अतिरिक्त प्रत्येक जिले के एक महिला एवं एक पुरुष प्रगतिशील किसान को भी सम्मानित किया गया.

मुख्यातिथि ने खरीफ एवं रबी फसलों की समग्र सिफारिशों पर आधारित पुस्तकों का भी विमोचन किया. इस अवसर पर प्रदेश के सभी जिलों के किसान खासतौर पर महिला किसान उपस्थित रहीं.

‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ (National Farmers Day) : किसानों को सम्मानित करने का दिवस

सबौर (भागलपुर): राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), सबौर में एक विशेष किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसानों, जीविका दीदियों, कृषि छात्रों और अलगअलग राज्यों से आए हुए विशेषज्ञों डा. संजय कुमार राय (पश्चिम बंगाल), डा. वी. प्लानास्वामी (तमिलनाडु), डा. जी. प्रसाद बाबू (आंध्र प्रदेश), डा. चंद्रकांत एमएच (हैदराबाद), डा. रंजन मोहंता (ओडिशा) ने भाग लिया.

कार्यक्रम का शुभारंभ कृषि विज्ञान केंद्र, सबौर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. राजेश कुमार संबोधन के साथ शुरू हुआ. उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में किसानों के योगदान को सराहा और कहा, “हमारा उद्देश्य किसानों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना है, ताकि वे नई चुनौतियों का सामना कर सकें और कृषि को एक लाभदायक व्यवसाय बना सकें.”

उन्होंने आगे कहा, “किसान देश की रीढ़ हैं. हमें कृषि में वैज्ञानिक तरीकों को अपना कर उत्पादन को बढ़ाने और किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में काम करना चाहिए.”

sabour

कार्यक्रम में उपस्थित कृषि छात्रों ने किसानों के साथ संवाद किया और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए जागरूकता फैलाने की प्रतिबद्धता जताई. केंद्र के वैज्ञानिक द्वारा संगोष्ठी में किसानों को नई फसल पद्धतियों, मिट्टी परीक्षण, जल प्रबंधन और बागबानी के महत्व पर जानकारी दी गई. इस के अलावा जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और उस से निबटने के तरीकों पर भी चर्चा की गई.

कार्यक्रम के अंत में उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों और जीविका दीदियों को सम्मानित किया गया. इस आयोजन ने किसानों को नई जानकारी और प्रोत्साहन प्रदान करते हुए उन के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया.

डा. होदा ने कार्यक्रम के समापन पर कहा, “राष्ट्रीय किसान दिवस हमारे देश के किसानों की मेहनत और समर्पण को सम्मानित करने का दिन है. हमें गर्व है कि केवीके, सबौर ने इस अवसर पर किसानों के सशक्तीकरण के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया.”

उन्होंने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए आश्वासन दिया कि केवीके भविष्य में भी किसानों की बेहतरी के लिए ऐसे प्रयास करता रहेगा.