आत्मा सर्वोत्तम कृषक अवार्ड के लिए करें आवेदन

कटनी : राज्य शासन द्वारा कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम ‘आत्मा’ आगामी 26 जनवरी, 2025 को जिले के सभी विकासखंडों से 5-5 सर्वोत्तम किसानों को पुरस्कृत करने की योजना प्रसारित की गई है. इस पुरस्कार के लिए सर्वोत्तम किसान के चयन का आधार उन के द्वारा मूल्यांकन वर्ष 2023-24 में अपनाई गई कृषि तकनीक, उपज एवं उत्पादकता के आधार पर निर्धारित प्रक्रिया के तहत किया जाएगा. इस में विकासखंड स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार के लिए प्रति विकासखंड 5 किसान, जो कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन, कृषि अभियांत्रिकी से संबंधित है, को 10,000 रुपए से पुरस्कृत किया जाएगा. जिला स्तरीय 5 सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार के लिए 25,000 रुपए से सर्वोत्तम कृषक को पुरस्कृत और सर्वोत्तम समूह पुरस्कार राशि 20,000 रुपए प्रत्येक समूह को (कुल 5 समूह) पुरस्कृत किया जाएगा.

इस पुरस्कार के लिए निर्धारित प्रपत्र में किसानों से प्रविष्टियां 14 अक्तूबर, 2024 तक आमंत्रित की गई हैं. किसान आवेदनपत्र अपने विकासखंड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेजर से प्राप्त कर आवेदनपत्र भर कर विकासखंड स्तरीय कार्यालय में जमा कर सकते हैं.

किसानों की प्रविष्टियों का मूल्यांकन कलक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा. सर्वोत्तम अंक पाने वाले किसानों का चयन किया जाएगा. राज्य स्तरीय पुरस्कार का चयन राज्य स्तर से होगा और विकासखंड के लिए चयनित सर्वोत्तम किसान का आवेदन राज्य स्तर पर भेजा जाएगा.

इसी प्रकार आत्मा अंतर्गत कार्यरत कृषक रुचि समूह एवं कमोडिटी रुचि समूहों को भी जिला स्तर पर पुरस्कृत करने के लिए प्रविष्टियों के आवेदनपत्र विकासखंड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेजर से प्राप्त कर निर्धारित समयसीमा में जमा किए जा सकते हैं.

आवेदनपत्र भरने में यदि कोई कठिनाई आए, तो कृषि विभाग, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य, कृषि अभियांत्रिकी के कर्मचारियों, अधिकारियों का निष्पक्ष सहयोग प्राप्त किया जा सकता है. सर्वोत्तम कृषक एवं समूहों के चयन में पूर्ण निष्पक्षता एवं पारदर्शिता बरती जाएगी.

उन्होंने किसानों से अपील की है कि वर्ष 2023-24 में अर्जित प्रगति अपनाई गई तकनीक व प्राप्त उत्पादन एवं उपज की सहीसही जानकारी आवेदनपत्र में भर कर लिफाफाबंद कर 14 अक्तूबर, 2024 तक विकासखंड स्तरीय कार्यालय में जमा किए जा सकते हैं. जिन कृषकों, समूहों को गत वर्ष ऐसे पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, वे आगामी 7 वर्षों तक आवेदन करने के पात्र नहीं रहेंगे.

फूलों की खेती ( Flower Farming) कर लाभ कमा रहे हैं ललित कुमावत

नीमच : फूलों की मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, इसलिए आज फूलों की खेती किसानों को अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है. अगर फूलों की खेती को वैज्ञानिक तरीके से किया जाए, तो मुनाफा कहीं और अधिक बढ़ जाता है. इसी काम को अंजाम दिया है नीमच के एक किसान ललित कुमावत ने.

नीमच जनपद के ग्राम निपानिया के किसान ललित कुमावत, पिता सुरेश कुमावत ने परंपरागत खेती के बजाय उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में फूलों की खेती कर खेती को लाभ का धंधा बना लिया है. ललित कुमावत ने 0.400 हेक्टेयर में गैंदा फूलों की खेती करना प्रारंभ किया और 50,000 रुपए खर्च हुए. गैंदा फूल 40 से 50 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव से बिक रहे हैं. इस से ललित कुमावत को अच्‍छी आय प्राप्‍त हो रही है.

गैंदा फूलों की खेती से ललित कुमावत को कुल 2 लाख रुपए की आय होने की संभावना है. खर्च निकाल कर उन्हें शुद्ध 1.50 लाख रुपए की आय होगी. इस तरह ललित कुमावत ने परंपरागत खेती के बजाय उन्‍नत तकनीकी से गैंदा फूलों की खेती कर खेती को लाभ का धंधा बना लिया है.

खेती के साथ गौपालन: आत्‍मनिर्भर बने किसान निर्मल

नीमच: आचार्य विद्या सागर गौसंवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्‍नत नस्‍ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं. इस योजना ने उन का जीवनस्‍तर काफी बदल दिया है. वे अब प्रगतिशील किसान के रूप में पहचाने जाते हैं.

परंपरागत रूप से खेती करने वाले नीमच जिले की मनासा जनपद के ग्राम चुकनी निवासी निर्मल पाटीदार पहले कृषि‍ कार्य से बमुश्किल अपने परिवार का खर्च चला पाते थे. वर्ष 2005 में निर्मल के पिता रतनलाल पाटीदार की एक प्रगतिशील पशुपालक से मुलाकात हुई और उन से प्रेरित हो कर रतनलाल ने बैंक ऋण ले कर 2 संकर नस्‍ल की गाएं खरीदीं, जिस से उन्‍हें 300 रुपए रोज की आमदनी होने लगी. अपने पिता रतनलाल पाटीदार के पशुपालन कार्य में निर्मल ने भी हाथ बंटाना प्रारंभ किया.

निर्मल कुमार ने वर्ष 2017-18 में पशुपालन अधिकारी डा. राजेश पाटीदार से मार्गदर्शन प्राप्‍त कर आचार्य विद्या सागर गौसंवर्धन योजना के तहत 10 क्रासब्रीड गायों को पालने के लिए ऋण लिया और राजस्‍थान से गाएं खरीद कर, पशुपालन कार्य करने लगे.

पशुपालक निर्मल पाटीदार कहते हैं कि वर्ष 2018 से उनके पास उन्‍नत नस्‍ल की 10 गाएं हो गई हैं. इस से उन्‍हें 900 रुपए प्रतिदिन आय होने लगी और जीवनयापन में सुधार होने लगा. वर्ष 2020-21 में उन्होंने 30 लिटर सुबह व 40 लिटर दूध शाम को कुल 70 लिटर दूध प्रतिदिन सांची दुग्‍ध संघ की डेयरी पर बिक्री किया, जिस से उन्‍हें 1500 रुपए रोजाना की आय हुई. इस प्रकार मासिक रुपए 45,000 और साढ़े 4 लाख से 5 लाख रुपए तक की सालाना आय हुई.

पशुपालन से अरिरिक्‍त (दूध व गोबर की खाद) की आय से वर्ष 2019 में निर्मल ने ट्रैक्टर खरीदा, जिस की किस्त भी दूध बेच कर होने वाली आय से चुका रहे हैं. वर्ष 2021 में पशुओं के लिए 1600 वर्ग फीट का शेड, जिस में फर्श सीसी का बनवाया है. इस शेड में पशुओं के लिए पंखे लगे हैं. चारे की कुट्टी बनाने के लिए विद्युतचलित चैफ कटर लगा लिया है.

इसी तरह आचार्य विद्या सागर गौसंवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्‍नत नस्‍ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं और अब वे प्रगतिशील किसान के रूप में पहचाने जाते हैं.

योजना का लाभ ले कर अजहरूद्दीन ने बकरीपालन को बनाया रोजगार

मंदसौर : जिले के तहसील सुवासरा गांव किशोरपुरा के रहने वाले अजहरूद्दीन मोहम्‍मद हुसैन मध्‍यमवर्गीय पशुपालक हैं. उन के परिवार की माली स्थिति ठीक नहीं होने के कारण इन्‍होंने खुद का व्‍यवसाय करने की सोची और उन्होंने पशुपालन विभाग से जानकारी ली.

अजहरूद्दीन को पशुपालक विभाग से बकरीपालन योजना की जानकारी मिली और इन्‍होंने खुद का बकरीपालन व्‍यवसाय शुरू किया. अजहरूद्दीन ने बकरीपालन योजना के अंतर्गत देशी नस्‍ल की 10 बकरी और एक बकरे को 77,456 रुपए में खरीदा. अजहरूद्दीन को बकरीपालन योजना में खुद का व्‍यवसाय करने के लिए पशुपालन विभाग से 30,982 रुपए का अनुदान मिला. बकरीपालन व्‍यवसाय करने के बाद हर महीने के 8,000 रुपए से अधिक कमा रहे हैं और अब वे अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

डा. आरएल सोनी ने निदेशक प्रसार शिक्षा का कार्यभार संभाला

उदयपुर : डा. आरएल सोनी ने अपने पूरे सर्विस काल में कृषि प्रसार क्षेत्र में रहते हुए कृषि एवं किसानों के उत्थान के लिए काम किया. उन के कुशल नेतृत्व के द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र, बांसवाड़ा को 2 बार उत्कृष्ट केंद्र का पुरस्कार भी मिला. साथ ही, नीति आयोग द्वारा बांसवाड़ा केंद्र को अतुलनीय कार्यों के लिए ‘ए’ रेटिंग भी मिला.

कृषि विज्ञान केंद्र, वल्लभनगर के प्रथम प्रभारी रहते हुए केंद्र के भवन, किसानघर, प्रदर्शन इकाइयों की स्थापना की. इस के अलावा किसानों को सर्वोच्च मानते हुए उन की खेती को विज्ञान एवं तकनीकी से जोड़ कर अधिक उत्पादन, लाभकारी व टिकाऊ बनाने के लिए भी जमीनी स्तर पर काम किया. किसान और कृषि क्षेत्र से जुड़ी तकनीकियों को लोगों तक पहुंचाया.

दक्षिणी राजस्थान के अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों की छोटी जोत के लिए संबंधित कृषि प्रणाली के माध्यम से आय में बढ़ोतरी की. साथ ही, प्रसार शिक्षा निदेशालय के अतंर्गत कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्रों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. इस के अलावा उन्होंने लघु व सीमांत किसानों के लिए कम लागत की खेती जैसे जैविक खेती, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया.

डा. आरएल सोनी का कहना है कि किसानों की आय में अधिक वृद्धि करने व कृषि तकनीकियों की अधिक जानकारी दिलाने के लिए आईटी व एआई तकनीकियों के उपयोग को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. किसानों के खेतों को यंत्रीकरण व सौर ऊर्जा के अधिक उपयोग से कृषि लागत में कमी लाने पर जोर दिया जाएगा.

नैशनल फिशरीज डिजिटल प्‍लेटफार्म पर करें पंजीयन

मंदसौर : एसके महाजन, सहायक संचालक, मत्‍स्‍योद्योग द्वारा बताया गया कि भारत सरकार के मत्स्यपालन विभाग द्वारा मत्स्यपालन व्यवसाय से जुड़े मत्स्यपालकों, मत्स्य सहकारी समितियों, मछुआरा समूह के सदस्यों, मत्स्य विक्रेताओं एवं मत्स्य उद्यमियों के लिए नैशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किया गया है, जिस पर मत्स्य व्यवसाय से जुड़े सभी व्यक्तियों का पंजीयन किया जाना है.

नैशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफार्म पर पंजीयन स्वयं के मोबाइल फोन अथवा किसी भी कियोस्क सैंटर, कंप्यूटर सेवा केंद्र से आसानी से कराए जा सकते हैं. पंजीयन करने के लिए आधारकार्ड, बैंक पासबुक, पेनकार्ड, ईमेल आईडी एवं स्वयं का मोबाइल नंबर, जिस पर आधार लिंक हो, की आवश्यकता होगी.

नैशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफार्म पर पंजीयन के लिए वैबसाइट nfdp.dof.gov.in पर पंजीयन कर सकते हैं. व्यक्तिगत पंजीयन के लिए सहकारी समिति/मछुआ समूह के लिए चयन कर सकते हैं. पंजीयन की विस्तृत जानकारी के लिए मोबाइल नंबर 9977442266 या 8349217053 एवं कार्यालय सहायक संचालक, मत्स्योद्योग, पुराना कलेक्ट्रेट खनिज विभाग के पास, मंदसौर मे कार्यालयीन समय में संपर्क कर सकते हैं.

किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडार गृह बनाया

देवास : केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजनाओं का लाभ पा कर किसान बड़ी तादाद में फसलों का उत्पादन कर रहे हैं, वहीं अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं.

किसानों की अच्छी आय होने से वे माली तौर पर भी सुदृढ़ हो रहे हैं. इन्हीं किसानों में खातेगांव विकासखंड के ग्राम बंडी के किसान दशरथ मरकाम पिता श्यामलाल मरकाम हैं, जिन्होंने उद्यानिकी विभाग की महती राष्ट्रीय कृषि विकास योजना का लाभ लिया है, जिस पर उन्हें अनुदान भी प्राप्त हुआ.

कृषक दशरथ मरकाम ने बताया कि वे पिछले 10 सालों से प्याज की खेती करते थे. उन के पास भंडारण की सुविधा न होने के कारण प्याज की उत्पादित फसल निकालते ही बाजार में बेचते थे, जिस से उन्हें प्याज की फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था. इसी बीच उन्हें उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से जुड़ने का अवसर मिला और उन से जुड़ कर उन्हें अपने खेत पर उद्यानिकी विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत साढ़े 3 लाख रुपए की लागत से 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया है. वे उत्पादित प्याज फसल को 4 से 5 माह तक भंडारित करते हैं और बाजार में प्याज की फसल का उचित भाव आने पर ही बेचते हैं. प्याज भंडारगृह निर्माण के लिए उन्हें योजना के अनुसार पौने 2 लाख रुपए अनुदान सहायता भी प्राप्त हुई है.

नई शिक्षा नीति को लागू करने वाला देश का प्रथम कृषि विश्वविद्यालय

उदयपुर, 05 अक्टूबर: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर नवीन शिक्षा नीति की अनुशंसाओं को लागू करने वाला देश का प्रथम विश्वविद्यालय बन गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली में उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. राकेशचंद्र अग्रवाल की मौजूदगी में विश्वविद्यालय के नवप्रवेशित विद्यार्थियों को ’दीक्षा का आरंभ-2024’ कार्यक्रम में छठी डीन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की गई. यानी कृषि विषय में प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाली नई पीढ़ी अब नई शिक्षा नीति के मसौदे के आलोक में नए आयाम व पाठ्यक्रम के साथ अपनी शिक्षा पूर्ण करेंगे.

राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में आयोजित भव्य ’दीक्षा का आरंभ- 2024’ कार्यक्रम में उदयपुर, डूगंरपुर एवं भीलवाड़ा जिलों के विभिन्न संकायों के प्रथम वर्ष के पांच सौ से ज्यादा छात्रछात्राओं ने भाग लिया। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने 2021 में कमेटी का गठन की नई शिक्षा नीति को लगभग चार वर्ष में अंजाम दिया. इसका मुख्य ध्येय कृषि में उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर भारत को ’ज्ञान समाज’ में बदलना जिसमें छात्रों को राष्ट्रीय एवं वैश्विक समस्याओं से सामना करने के लिए तैयार करना है.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) आई.सी.ए.आर. डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने कहा कि छठी डीन कमेटी की सिफारिशों को 1340 पृष्ठों में समाहित किया गया है. ’दीक्षा का आरंभ’ भी इन्ही में से एक सिफारिश है.

उन्होंने कहा कि शिक्षार्थी को कभी भी तनाव में नहीं रहना चाहिए बल्कि आनंद और उल्लासित माहौल में शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए. राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहती है शिक्षा ग्रहण करते समय तन और मन दोनों का स्वस्थ होना जरूरी है. यह जरूरी नहीं है कि आपने कितनी पढ़ाई या डिग्री हासिल की है बल्कि जरूरी है आपमें जुनून कितना है. डॉ. अग्रवाल का कहना था कि कई ऐसे लोग उदाहरण है जिन्होंने बहुत कम शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद अपना नाम शीर्ष पर गिनाया है.

बिल गेट्स, स्टीव जाब्स, उड़ीसा के पद्मश्री कवि हलधर नाग के नाम गिनाते हुए उन्होंने कहा कि बहुत कम पढ़ाई के बावजूद दुनिया में इन लोगों ने कीर्तिमान स्थापित किया. क्योंकि उनमें विजन और जुनून था. आज भारत में 27 प्रतिशत युवा है. दुनिया के सर्वाधिक युवा भारत में होने से हम बहुत कुछ करने में सक्षम हैैं. डॉ. अग्रवाल ने कहा कि कृषि का आसमान असीम है. कई लोगों ने पढ़ाई कुछ और की लेकिन जैविक खेती, प्राकृतिक खेती में अनुकरणीय काम कर रहे हैैं.

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्ष 2024 में हमारे वैज्ञानिकों ने 25 पेटेंट हासिल किए. आगामी तीन माह में इनमें और भी वृद्धि होगी. प्राकृतिक, जैविक खेती में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में विशेष पहचान बनाई है.

आरंभ में विभिन्न संकायों के डीन डायरेक्टर डॉ. आर.बी. दुबे, डॉ. धृति सोलंकी, डॉ. आर.ए. कौशिक, भीलवाड़ा के डॉ. एल.एन. पंवार, डूंगरपुर के डीन डॉ. आर.पी. मीणा आदि ने नई शिक्षा नीति की अनुशंसाओं में महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास निर्माण प्रावधान करने का आग्रह किया. विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के कुल सचिव श्री सुधांशु सिंह थे जबकि संचालन ओएडी डॉ. वीरेन्द्र नेपालिया ने किया. आरंभ में अतिथियों को मेवाड़ी साफा, उपरणा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया.

मोबाइल वेटरिनरी यूनिट को देश में मॉडल बनाएं

जयपुर: शासन सचिव, पशुपालन डॉ. समित शर्मा की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में शासन सचिव ने विभाग के सभी अधिकारियों तथा जिलों में स्थित सभी अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा कर आवश्यक दिशा—निर्देश प्रदान किए.

उन्होंने दवाईयों की आपूर्ति और उपलब्धता को विभाग की पहली प्राथमिकता बताते हुए कहा कि प्रत्येक पशु चिकित्सा संस्थानों में आवश्यक दवाईयों और सर्जिकल आइटम्स की उपलब्धता हर समय सुनिश्चित होनी चाहिए. कोई भी पशुपालक हमारे संस्थानों से खाली हाथ नहीं लौटना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें हमारे संस्थानों में जो भी उपलब्ध संसाधन हैं उनसे पशुपालकों को सर्वश्रेष्ठ सेवा देनी है.

टीकाकरण के काम में तेजी लाने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में टीकाकरण की जो स्थिति है उसका कोई औचित्य नहीं है. केवल टीकाकरण करा देना ही काफी नहीं है संबंधित ऐप पर उसका इंद्राज होना भी बहुत आवश्यक है. उन्होंने निर्देश दिया कि आने वाले पंद्रह दिनों में टीकाकरण की स्थिति साफ हो जानी चाहिए.

पॉलीक्लिनिक पर उपलब्ध उपकरणों के रखरखाव और उसके उपयोग पर चर्चा करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि कई स्थानों पर हमारे उपकरण काम में नहीं लिए जा रहे हैं ऐसी स्थिति ठीक नहीं है. उन्होंने संस्थानों में खराब पड़े उपकरणों को ठीक कराने की व्यवस्था कर उन्हें काम में लेना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि कम पैसे में हमारे संस्थानों को बेहतर बनाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.
शासन सचिव ने कहा कि मोबाइल वेटरनरी यूनिट भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है 2 अक्टूबर से इसका हेल्पलाइन नंबर प्रायोगिक रूप से काम कर रहा है. पशुपालन मंत्री, श्री जोराराम कुमावत 9 अक्टूबर को इसका विधिवत शुभारंभ करेंगे. इसका लाभ अधिकतम पशुपालकों और पशुओं को मिले इसके लिए पूरी निष्पक्षता, ईमानदारी और पारदर्शिता से काम करना होगा. उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर भी एक छोटा आयोजन कर इसका प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों तक इसकी जानकारी पहुंच सके.

उन्होंने कहा कि मोबाइल वेटरनरी यूनिट केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का भी प्रचार प्रसार करेगी. डॉ. शर्मा ने मोबाइल वेटरनरी यूनिट की क्रियान्विति इस तरीके से करने के निर्देश दिए जिससे यह देश में मॉडल के रूप में उभर सके.

डॉ. शर्मा ने जिलों में पशु चिकित्सा संस्थानों की भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए निर्देश देते हुए कहा कि जिला कलक्टर्स के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकाला जाए. पशु चिकित्सा संस्थानों की जगह पर किसी का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए. पशुपालन सम्मान समारोह के लिए सभी जिलों से प्रगतिशील किसानों के नाम जल्द से जल्द मंगाने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने सभी अधिकारियों को समयबद्धता, निष्पक्षता, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से काम करने के निर्देश दिए.

बैठक में निदेशक पशुपालन डॉ. भवानी सिंह राठौड़ सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और जिलों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.

प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को प्रोत्साहन जरूरी

सिंगरौली : मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा है कि उर्वरक की मांग बढ़ने पर डीएपी के स्थान पर एनपीके, एएसपी लिक्विड यूरिया नैनो यूरिया के प्रयोग के लिए किसानों को प्रेरित करें. एनपीके कौम्प्लेक्स के माध्यम से भी खेत में पोटैशियम की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित की जा सकती है. कालाबाजारी, अवैध भंडारण, नकली उर्वरक की संभावना रहती है. पुलिस का सहयोग लेते हुए निरीक्षण और चेकिंग की व्यवस्था को बढ़ाया जाए. कालाबाजारी करने वालों, मिलावट, मिस ब्रांडिंग और नकली उर्वरक खपाने वालों पर कठोरतम कार्रवाई की जाए. उर्वरक अवैध परिवहन पर नियंत्रण के लिए एक जिले से दूसरे जिले में उर्वरक मूवमेंट पर सतत निगरानी रखें.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री निवास से सोयाबीन उपार्जन, खाद उपलब्धता और वितरण की वीडियो कौंफ्रेंसिंग में कलक्टर व कमिश्नर से चर्चा कर उक्त निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि खरीफ 2024-25 के लिए प्रदेश में खाद की पर्याप्त उपलब्धता है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का प्राइस सपोर्ट स्कीम में मध्य प्रदेश को सोयाबीन उपार्जन की दी गई स्वीकृति के लिए आभार व्यक्त करते हुए प्रदेश में उपार्जन के समुचित बेहतर प्रबंध करने के निर्देश अधिकारियों को दिए.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जाए, ताकि आवश्यकतानुसार डीएपी के स्थान पर एनपीके, लिक्विड नैनो यूरिया के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए किसानों को ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जाए.

उन्होंने कलक्टरों को निर्देशित किया कि राजस्व अमला जनप्रतिनिधियों के साथ फसलों की क्षति आंकलन सुनिश्चित करें. खाद भंडारण के लिए डबल लौक की आवश्यकता होने पर कृषि उत्पादन आयुक्त से समन्वय कर आवश्यक कार्रवाई की जाए.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने अमानक स्तर का खादबीज विक्रय, भंडारण और परिवहन करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए. रबी 2024-25 के लिए खरीफ 2024 के अनुसार ही उर्वरक वितरण के लिए पुख्ता प्रबंध सुनिश्चित करें.

उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में रबी 2024-25 के लिए भी पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध हैं. सभी जिला कलक्टर बेहतर तैयारी कर लें, वितरण व्यवस्था में कोई गड़बड़ी न हो, इस के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से समन्वय कर कार्रवाई सुनिश्चित करें.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप प्राकृतिक खेती को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाए. एनपीके और लिक्विड नैनो यूरिया के उपयोग के लिए किसानों को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करें. किसानों द्वारा इन के उपयोग से देश की अन्य राष्ट्रों पर निर्भरता भी कम होगी.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने खरीफ 2024 में एनपीके का उपयोग 45 फीसदी होने पर खुशी जताई, जो कि वर्ष 2023-24 में महज 26 फीसदी था. उन्होंने प्राइस सपोर्ट स्कीम पर सोयाबीन उपार्जन की कार्रवाई संवेदनशीलता से करने को कहा है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मात्रा के अतिरिक्त सोयाबीन का उपार्जन प्रदेश सरकार करेगी. प्रदेश में 25 सितंबर से ई-उपार्जन पोर्टल पर किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. अधिक से अधिक किसानों से पोर्टल पर पंजीयन कराया जाए. आगामी 20 अक्तूबर तक किसानों का पंजीयन होगा. इस के बाद उपार्जन के लिए स्लाट बुकिंग की कार्रवाई 21 दिसंबर तक होगी. किसानों से 25 अक्तूबर से 31 दिसंबर, 2024 तक सोयाबीन का उपार्जन प्रदेश के 1400 केंद्रों पर किया जाएगा.

आवश्यकतानुसार इस में परिवर्तन भी किया जा सकता है. किसानों को भुगतान औनलाइन किया जाएगा. प्रदेश में 7 जिले सिंगरौली, दतिया, भिंड, कटनी, मंडला, बालाघाट, सीधी को छोड़ कर बाकी सभी जगह सोयाबीन का उपार्जन होगा. इन जिलों से प्रस्ताव आने पर सोयाबीन उपार्जन पर विचार किया जाएगा.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में कुछ स्थानों में भारी वर्षा से फसलों को हानि हुई है. कलक्टर क्षतिग्रस्त फसलों का सर्वे करा कर किसानों को फसल बीमा और अन्य लाभ देना सुनिश्चित करें. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत संचालित उचित मूल्य दुकानों से खाद्यान्न वितरण की सतत निगरानी करें. वितरण में गड़बड़ी करने वालों पर कड़ी कार्यवाही करें. सड़कों से निराश्रित गौवंश को हटाने के लिए भी प्रभावी कार्यवाही करें.

मुख्यमंत्री ने वीडियो कौंफ्रेंसिंग के माध्यम से मंत्रियों, सांसद और विधायकों से संवाद किया. वीडियो कौंफ्रेंसिंग के दौरान कलक्ट्रेट के एनआईसी से कलक्टर चंद्रशेखर शुक्ला, पुलिस अधीक्षक निवेदिता गुप्ता, सीईओ जिला पंचायत गजेंद्र सिंह नागेश, आयुक्त नगर निगम डीके शर्मा, डिप्टी कलक्टर माइकेल तिर्की, उपसंचालक, कृषि, आशीष पांडेय, जिला आपूर्ति अधिकारी पीसी चंद्रवंशी, उपायुक्त सहकारिता पीके मिश्रा सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे.