डा. आरएल सोनी ने निदेशक प्रसार शिक्षा का कार्यभार संभाला

उदयपुर : डा. आरएल सोनी ने अपने पूरे सर्विस काल में कृषि प्रसार क्षेत्र में रहते हुए कृषि एवं किसानों के उत्थान के लिए काम किया. उन के कुशल नेतृत्व के द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र, बांसवाड़ा को 2 बार उत्कृष्ट केंद्र का पुरस्कार भी मिला. साथ ही, नीति आयोग द्वारा बांसवाड़ा केंद्र को अतुलनीय कार्यों के लिए ‘ए’ रेटिंग भी मिला.

कृषि विज्ञान केंद्र, वल्लभनगर के प्रथम प्रभारी रहते हुए केंद्र के भवन, किसानघर, प्रदर्शन इकाइयों की स्थापना की. इस के अलावा किसानों को सर्वोच्च मानते हुए उन की खेती को विज्ञान एवं तकनीकी से जोड़ कर अधिक उत्पादन, लाभकारी व टिकाऊ बनाने के लिए भी जमीनी स्तर पर काम किया. किसान और कृषि क्षेत्र से जुड़ी तकनीकियों को लोगों तक पहुंचाया.

दक्षिणी राजस्थान के अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों की छोटी जोत के लिए संबंधित कृषि प्रणाली के माध्यम से आय में बढ़ोतरी की. साथ ही, प्रसार शिक्षा निदेशालय के अतंर्गत कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्रों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. इस के अलावा उन्होंने लघु व सीमांत किसानों के लिए कम लागत की खेती जैसे जैविक खेती, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया.

डा. आरएल सोनी का कहना है कि किसानों की आय में अधिक वृद्धि करने व कृषि तकनीकियों की अधिक जानकारी दिलाने के लिए आईटी व एआई तकनीकियों के उपयोग को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. किसानों के खेतों को यंत्रीकरण व सौर ऊर्जा के अधिक उपयोग से कृषि लागत में कमी लाने पर जोर दिया जाएगा.

नैशनल फिशरीज डिजिटल प्‍लेटफार्म पर करें पंजीयन

मंदसौर : एसके महाजन, सहायक संचालक, मत्‍स्‍योद्योग द्वारा बताया गया कि भारत सरकार के मत्स्यपालन विभाग द्वारा मत्स्यपालन व्यवसाय से जुड़े मत्स्यपालकों, मत्स्य सहकारी समितियों, मछुआरा समूह के सदस्यों, मत्स्य विक्रेताओं एवं मत्स्य उद्यमियों के लिए नैशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किया गया है, जिस पर मत्स्य व्यवसाय से जुड़े सभी व्यक्तियों का पंजीयन किया जाना है.

नैशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफार्म पर पंजीयन स्वयं के मोबाइल फोन अथवा किसी भी कियोस्क सैंटर, कंप्यूटर सेवा केंद्र से आसानी से कराए जा सकते हैं. पंजीयन करने के लिए आधारकार्ड, बैंक पासबुक, पेनकार्ड, ईमेल आईडी एवं स्वयं का मोबाइल नंबर, जिस पर आधार लिंक हो, की आवश्यकता होगी.

नैशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफार्म पर पंजीयन के लिए वैबसाइट nfdp.dof.gov.in पर पंजीयन कर सकते हैं. व्यक्तिगत पंजीयन के लिए सहकारी समिति/मछुआ समूह के लिए चयन कर सकते हैं. पंजीयन की विस्तृत जानकारी के लिए मोबाइल नंबर 9977442266 या 8349217053 एवं कार्यालय सहायक संचालक, मत्स्योद्योग, पुराना कलेक्ट्रेट खनिज विभाग के पास, मंदसौर मे कार्यालयीन समय में संपर्क कर सकते हैं.

किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडार गृह बनाया

देवास : केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजनाओं का लाभ पा कर किसान बड़ी तादाद में फसलों का उत्पादन कर रहे हैं, वहीं अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं.

किसानों की अच्छी आय होने से वे माली तौर पर भी सुदृढ़ हो रहे हैं. इन्हीं किसानों में खातेगांव विकासखंड के ग्राम बंडी के किसान दशरथ मरकाम पिता श्यामलाल मरकाम हैं, जिन्होंने उद्यानिकी विभाग की महती राष्ट्रीय कृषि विकास योजना का लाभ लिया है, जिस पर उन्हें अनुदान भी प्राप्त हुआ.

कृषक दशरथ मरकाम ने बताया कि वे पिछले 10 सालों से प्याज की खेती करते थे. उन के पास भंडारण की सुविधा न होने के कारण प्याज की उत्पादित फसल निकालते ही बाजार में बेचते थे, जिस से उन्हें प्याज की फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था. इसी बीच उन्हें उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से जुड़ने का अवसर मिला और उन से जुड़ कर उन्हें अपने खेत पर उद्यानिकी विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत साढ़े 3 लाख रुपए की लागत से 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया है. वे उत्पादित प्याज फसल को 4 से 5 माह तक भंडारित करते हैं और बाजार में प्याज की फसल का उचित भाव आने पर ही बेचते हैं. प्याज भंडारगृह निर्माण के लिए उन्हें योजना के अनुसार पौने 2 लाख रुपए अनुदान सहायता भी प्राप्त हुई है.

नई शिक्षा नीति को लागू करने वाला देश का प्रथम कृषि विश्वविद्यालय

उदयपुर, 05 अक्टूबर: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर नवीन शिक्षा नीति की अनुशंसाओं को लागू करने वाला देश का प्रथम विश्वविद्यालय बन गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली में उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. राकेशचंद्र अग्रवाल की मौजूदगी में विश्वविद्यालय के नवप्रवेशित विद्यार्थियों को ’दीक्षा का आरंभ-2024’ कार्यक्रम में छठी डीन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की गई. यानी कृषि विषय में प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाली नई पीढ़ी अब नई शिक्षा नीति के मसौदे के आलोक में नए आयाम व पाठ्यक्रम के साथ अपनी शिक्षा पूर्ण करेंगे.

राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में आयोजित भव्य ’दीक्षा का आरंभ- 2024’ कार्यक्रम में उदयपुर, डूगंरपुर एवं भीलवाड़ा जिलों के विभिन्न संकायों के प्रथम वर्ष के पांच सौ से ज्यादा छात्रछात्राओं ने भाग लिया। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने 2021 में कमेटी का गठन की नई शिक्षा नीति को लगभग चार वर्ष में अंजाम दिया. इसका मुख्य ध्येय कृषि में उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर भारत को ’ज्ञान समाज’ में बदलना जिसमें छात्रों को राष्ट्रीय एवं वैश्विक समस्याओं से सामना करने के लिए तैयार करना है.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) आई.सी.ए.आर. डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने कहा कि छठी डीन कमेटी की सिफारिशों को 1340 पृष्ठों में समाहित किया गया है. ’दीक्षा का आरंभ’ भी इन्ही में से एक सिफारिश है.

उन्होंने कहा कि शिक्षार्थी को कभी भी तनाव में नहीं रहना चाहिए बल्कि आनंद और उल्लासित माहौल में शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए. राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहती है शिक्षा ग्रहण करते समय तन और मन दोनों का स्वस्थ होना जरूरी है. यह जरूरी नहीं है कि आपने कितनी पढ़ाई या डिग्री हासिल की है बल्कि जरूरी है आपमें जुनून कितना है. डॉ. अग्रवाल का कहना था कि कई ऐसे लोग उदाहरण है जिन्होंने बहुत कम शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद अपना नाम शीर्ष पर गिनाया है.

बिल गेट्स, स्टीव जाब्स, उड़ीसा के पद्मश्री कवि हलधर नाग के नाम गिनाते हुए उन्होंने कहा कि बहुत कम पढ़ाई के बावजूद दुनिया में इन लोगों ने कीर्तिमान स्थापित किया. क्योंकि उनमें विजन और जुनून था. आज भारत में 27 प्रतिशत युवा है. दुनिया के सर्वाधिक युवा भारत में होने से हम बहुत कुछ करने में सक्षम हैैं. डॉ. अग्रवाल ने कहा कि कृषि का आसमान असीम है. कई लोगों ने पढ़ाई कुछ और की लेकिन जैविक खेती, प्राकृतिक खेती में अनुकरणीय काम कर रहे हैैं.

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्ष 2024 में हमारे वैज्ञानिकों ने 25 पेटेंट हासिल किए. आगामी तीन माह में इनमें और भी वृद्धि होगी. प्राकृतिक, जैविक खेती में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में विशेष पहचान बनाई है.

आरंभ में विभिन्न संकायों के डीन डायरेक्टर डॉ. आर.बी. दुबे, डॉ. धृति सोलंकी, डॉ. आर.ए. कौशिक, भीलवाड़ा के डॉ. एल.एन. पंवार, डूंगरपुर के डीन डॉ. आर.पी. मीणा आदि ने नई शिक्षा नीति की अनुशंसाओं में महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास निर्माण प्रावधान करने का आग्रह किया. विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के कुल सचिव श्री सुधांशु सिंह थे जबकि संचालन ओएडी डॉ. वीरेन्द्र नेपालिया ने किया. आरंभ में अतिथियों को मेवाड़ी साफा, उपरणा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया.

मोबाइल वेटरिनरी यूनिट को देश में मॉडल बनाएं

जयपुर: शासन सचिव, पशुपालन डॉ. समित शर्मा की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में शासन सचिव ने विभाग के सभी अधिकारियों तथा जिलों में स्थित सभी अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा कर आवश्यक दिशा—निर्देश प्रदान किए.

उन्होंने दवाईयों की आपूर्ति और उपलब्धता को विभाग की पहली प्राथमिकता बताते हुए कहा कि प्रत्येक पशु चिकित्सा संस्थानों में आवश्यक दवाईयों और सर्जिकल आइटम्स की उपलब्धता हर समय सुनिश्चित होनी चाहिए. कोई भी पशुपालक हमारे संस्थानों से खाली हाथ नहीं लौटना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें हमारे संस्थानों में जो भी उपलब्ध संसाधन हैं उनसे पशुपालकों को सर्वश्रेष्ठ सेवा देनी है.

टीकाकरण के काम में तेजी लाने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में टीकाकरण की जो स्थिति है उसका कोई औचित्य नहीं है. केवल टीकाकरण करा देना ही काफी नहीं है संबंधित ऐप पर उसका इंद्राज होना भी बहुत आवश्यक है. उन्होंने निर्देश दिया कि आने वाले पंद्रह दिनों में टीकाकरण की स्थिति साफ हो जानी चाहिए.

पॉलीक्लिनिक पर उपलब्ध उपकरणों के रखरखाव और उसके उपयोग पर चर्चा करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि कई स्थानों पर हमारे उपकरण काम में नहीं लिए जा रहे हैं ऐसी स्थिति ठीक नहीं है. उन्होंने संस्थानों में खराब पड़े उपकरणों को ठीक कराने की व्यवस्था कर उन्हें काम में लेना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि कम पैसे में हमारे संस्थानों को बेहतर बनाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.
शासन सचिव ने कहा कि मोबाइल वेटरनरी यूनिट भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है 2 अक्टूबर से इसका हेल्पलाइन नंबर प्रायोगिक रूप से काम कर रहा है. पशुपालन मंत्री, श्री जोराराम कुमावत 9 अक्टूबर को इसका विधिवत शुभारंभ करेंगे. इसका लाभ अधिकतम पशुपालकों और पशुओं को मिले इसके लिए पूरी निष्पक्षता, ईमानदारी और पारदर्शिता से काम करना होगा. उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर भी एक छोटा आयोजन कर इसका प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों तक इसकी जानकारी पहुंच सके.

उन्होंने कहा कि मोबाइल वेटरनरी यूनिट केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का भी प्रचार प्रसार करेगी. डॉ. शर्मा ने मोबाइल वेटरनरी यूनिट की क्रियान्विति इस तरीके से करने के निर्देश दिए जिससे यह देश में मॉडल के रूप में उभर सके.

डॉ. शर्मा ने जिलों में पशु चिकित्सा संस्थानों की भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए निर्देश देते हुए कहा कि जिला कलक्टर्स के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकाला जाए. पशु चिकित्सा संस्थानों की जगह पर किसी का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए. पशुपालन सम्मान समारोह के लिए सभी जिलों से प्रगतिशील किसानों के नाम जल्द से जल्द मंगाने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने सभी अधिकारियों को समयबद्धता, निष्पक्षता, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से काम करने के निर्देश दिए.

बैठक में निदेशक पशुपालन डॉ. भवानी सिंह राठौड़ सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और जिलों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.

प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को प्रोत्साहन जरूरी

सिंगरौली : मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा है कि उर्वरक की मांग बढ़ने पर डीएपी के स्थान पर एनपीके, एएसपी लिक्विड यूरिया नैनो यूरिया के प्रयोग के लिए किसानों को प्रेरित करें. एनपीके कौम्प्लेक्स के माध्यम से भी खेत में पोटैशियम की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित की जा सकती है. कालाबाजारी, अवैध भंडारण, नकली उर्वरक की संभावना रहती है. पुलिस का सहयोग लेते हुए निरीक्षण और चेकिंग की व्यवस्था को बढ़ाया जाए. कालाबाजारी करने वालों, मिलावट, मिस ब्रांडिंग और नकली उर्वरक खपाने वालों पर कठोरतम कार्रवाई की जाए. उर्वरक अवैध परिवहन पर नियंत्रण के लिए एक जिले से दूसरे जिले में उर्वरक मूवमेंट पर सतत निगरानी रखें.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री निवास से सोयाबीन उपार्जन, खाद उपलब्धता और वितरण की वीडियो कौंफ्रेंसिंग में कलक्टर व कमिश्नर से चर्चा कर उक्त निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि खरीफ 2024-25 के लिए प्रदेश में खाद की पर्याप्त उपलब्धता है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का प्राइस सपोर्ट स्कीम में मध्य प्रदेश को सोयाबीन उपार्जन की दी गई स्वीकृति के लिए आभार व्यक्त करते हुए प्रदेश में उपार्जन के समुचित बेहतर प्रबंध करने के निर्देश अधिकारियों को दिए.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जाए, ताकि आवश्यकतानुसार डीएपी के स्थान पर एनपीके, लिक्विड नैनो यूरिया के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए किसानों को ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जाए.

उन्होंने कलक्टरों को निर्देशित किया कि राजस्व अमला जनप्रतिनिधियों के साथ फसलों की क्षति आंकलन सुनिश्चित करें. खाद भंडारण के लिए डबल लौक की आवश्यकता होने पर कृषि उत्पादन आयुक्त से समन्वय कर आवश्यक कार्रवाई की जाए.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने अमानक स्तर का खादबीज विक्रय, भंडारण और परिवहन करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए. रबी 2024-25 के लिए खरीफ 2024 के अनुसार ही उर्वरक वितरण के लिए पुख्ता प्रबंध सुनिश्चित करें.

उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में रबी 2024-25 के लिए भी पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध हैं. सभी जिला कलक्टर बेहतर तैयारी कर लें, वितरण व्यवस्था में कोई गड़बड़ी न हो, इस के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से समन्वय कर कार्रवाई सुनिश्चित करें.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप प्राकृतिक खेती को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाए. एनपीके और लिक्विड नैनो यूरिया के उपयोग के लिए किसानों को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करें. किसानों द्वारा इन के उपयोग से देश की अन्य राष्ट्रों पर निर्भरता भी कम होगी.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने खरीफ 2024 में एनपीके का उपयोग 45 फीसदी होने पर खुशी जताई, जो कि वर्ष 2023-24 में महज 26 फीसदी था. उन्होंने प्राइस सपोर्ट स्कीम पर सोयाबीन उपार्जन की कार्रवाई संवेदनशीलता से करने को कहा है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मात्रा के अतिरिक्त सोयाबीन का उपार्जन प्रदेश सरकार करेगी. प्रदेश में 25 सितंबर से ई-उपार्जन पोर्टल पर किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. अधिक से अधिक किसानों से पोर्टल पर पंजीयन कराया जाए. आगामी 20 अक्तूबर तक किसानों का पंजीयन होगा. इस के बाद उपार्जन के लिए स्लाट बुकिंग की कार्रवाई 21 दिसंबर तक होगी. किसानों से 25 अक्तूबर से 31 दिसंबर, 2024 तक सोयाबीन का उपार्जन प्रदेश के 1400 केंद्रों पर किया जाएगा.

आवश्यकतानुसार इस में परिवर्तन भी किया जा सकता है. किसानों को भुगतान औनलाइन किया जाएगा. प्रदेश में 7 जिले सिंगरौली, दतिया, भिंड, कटनी, मंडला, बालाघाट, सीधी को छोड़ कर बाकी सभी जगह सोयाबीन का उपार्जन होगा. इन जिलों से प्रस्ताव आने पर सोयाबीन उपार्जन पर विचार किया जाएगा.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में कुछ स्थानों में भारी वर्षा से फसलों को हानि हुई है. कलक्टर क्षतिग्रस्त फसलों का सर्वे करा कर किसानों को फसल बीमा और अन्य लाभ देना सुनिश्चित करें. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत संचालित उचित मूल्य दुकानों से खाद्यान्न वितरण की सतत निगरानी करें. वितरण में गड़बड़ी करने वालों पर कड़ी कार्यवाही करें. सड़कों से निराश्रित गौवंश को हटाने के लिए भी प्रभावी कार्यवाही करें.

मुख्यमंत्री ने वीडियो कौंफ्रेंसिंग के माध्यम से मंत्रियों, सांसद और विधायकों से संवाद किया. वीडियो कौंफ्रेंसिंग के दौरान कलक्ट्रेट के एनआईसी से कलक्टर चंद्रशेखर शुक्ला, पुलिस अधीक्षक निवेदिता गुप्ता, सीईओ जिला पंचायत गजेंद्र सिंह नागेश, आयुक्त नगर निगम डीके शर्मा, डिप्टी कलक्टर माइकेल तिर्की, उपसंचालक, कृषि, आशीष पांडेय, जिला आपूर्ति अधिकारी पीसी चंद्रवंशी, उपायुक्त सहकारिता पीके मिश्रा सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे.

कैदियों ने सीखी मशरूम (Mushroom) उत्पादन की तकनीक

टीकमगढ़ : कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डा. बीएस किरार के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा दोदिवसीय क्षमतावर्धक प्रशिक्षण में बंदियों को मशरूम उत्पादन सिखाया गया. इस अवसर पर डा. आरके प्रजापति (प्रशिक्षण वैज्ञानिक), डा. एसके जाटव और हंसनाथ खान, केंद्र की टीम की तरफ से और जिला जेल प्रशासन के जेल अधीक्षक प्रतीक कुमार जैन, सियाराम यादव (जेल शिक्षक) सहित 40 बंदी उपस्थित रहे.

कैदियों में ज्यादातर लोग कृषि और ग्रामीण पृष्ठभूमि की खेती से जुड़े हुए हैं. बंदी सुधार के लिए जेल अधीक्षक द्वारा यह प्रयास है कि सजा पूरी होने के बाद ये लोग समाज की मुख्यधारा में फिर से वापस आ सकें. कैदियों के अंदर तकनीकी क्षमता पैदा करना है.

जिले में मशरूम उत्पादन बिक्री के लिए अब धीरेधीरे बाजार पैदा हो रहा है. इस को देखते हुए मशरूम आसानी से रोजगार दिलाने वाला नवाचार बनता जा रहा है, क्योंकि मशरूम उत्पादन के लिए जिले की जलवायु अनुकूल है. साथ ही, गांव में उपलब्ध बहुत मात्रा में गेहूं, उड़द, सोयाबीन एवं अन्य फसलों का भूसा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. अभी तक अपने जिले में तकरीबन 30 लोगों ने मशरूम जैसे ढिंगरी मशरूम, बटन मशरूम एवं दूधिया मशरूम का पैदा करना शुरू कर दिया है.

मशरूम एक 10×10 फीट आकार के बंद कमरे में आसानी से किया जा सकता है. मशरूम उत्पादन की तकनीक बेहद आसान और सस्ती है. ढाई सौ रुपए की लागत से 10 किलोग्राम भूसे से मशरूम पैदा करने में लगता है. 10 किलोग्राम भूसे से 8 किलोग्राम तक मशरूम पैदा किया जा सकता है, जिस की कीमत ढाई हजार रुपए तक होती है. मशरूम में कुपोषण को दूर करने की एवं खतरनाक रोगों से शरीर की रक्षा करने की क्षमता होती है.

कैदियों द्वारा प्रशिक्षण ले कर जेल में ही मशरूम लगाया गया है, जो 25 से 30 दिनों के बाद पैदा होने लगेगा. जेल अधीक्षक का कहना है कि मैनपावर यानी मानवशक्ति का उपयोग मशरूम उत्पादन में किया जाएगा, जिस से कैदियों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और तकनीकी क्षमता उन को समाज की मुख्यधारा में लौटा लाएगी. जेल में वैसे तो कई प्रकार के व्यावसायिक प्रशिक्षण होते रहते हैं, मगर टीकमगढ़ में कृषि और ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले कैदियों को देखते हुए उन के हिसाब से ऐसा पहली बार है. जेल अधीक्षक के सहयोग से कृषि विज्ञान केंद्र के साथ यह पहला प्रयोग शुरू किया गया है. आगे इस के अच्छे परिणाम की ओर देखा जा सकता है.

कैदियों ने खुद से भूसे और मशरूम बीज का प्रयोग कर के जेल की खाली पड़ी जगह पर उस को लगाया है और इस की आगे की ट्रेनिंग अन्य कैदियों की सीखे हुए कैदियों द्वारा की जाती रहेगी. तकनीकी मार्गदर्शन के रूप में केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा सहयोग मिलता रहेगा और अभी ढिंगरी मशरूम लगाया गया है, क्योंकि मशरूम की खेती मौसम, तापमान और नमी पर आधारित रहती है, इसलिए इस के बाद बटन और दूधिया मशरूम भी लगाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

सब्सिडी पर खरीदें पराली प्रबंधन यंत्र

दमोह : किसान गेहूं, सोयाबीन, मक्का एवं धान आदि की फसल आने पर हार्वेस्टर चलने के बाद खेत में बचे हुए ठूंठ यानी फसल अवशेष (नरवाई) को जलाते हैं, जिस से पर्यावरण प्रदूषित होता है. मिट्टी के पोषक तत्व एवं लाभदायक जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं. इस के बचाव के लिए फसल के अवशेष (नरवाई) प्रबंधन करना अति आवश्यक है.

सहायक कृषि यंत्री, कृषि अभियांत्रिकी, दमोह ने बताया नरवाई प्रबंधन के लिए नवीन कृषि यंत्रों का प्रयोग करना लाभदायक है जैसे, रोटावेटर, मल्चर, श्रेडर के उपयोग से फसल अवशेष (डंठल) को मिट्टी में मिला देते हैं. सुपर सीडर यंत्र एक ऐसा नवीन कृषि यंत्र है, जिस में धान फसल की कटाई के बाद बिना खेत की तैयारी के रबी फसल की बोनी कर सकते हैं, जिस में समय एवं मेहनत कम लगती है. स्ट्रा रीपर यंत्र से गेहूं की हार्वेस्टर से कटाई करने के बाद खड़ी नरवाई में इस मशीन का उपयोग करने से पशुओं के लिए भूसा तैयार किया जाता है एवं नरवाई को जलाना नहीं पड़ता है.

उन्होंने आगे कहा कि इन यंत्रों के उपयोग से नरवाई प्रबंधन के साथसाथ मिट्टी की जलधारण क्षमता एवं जीवांश की मात्रा बढ़ जाती है. इस से मिट्टी की उपज बढ़ने के साथसाथ पशुओं के आहर की उपलब्धता हो जाती है. उपरोक्त सभी नरवाई प्रबंधन यंत्रों पर कृषि अभियांत्रिकी मध्य प्रदेश द्वारा अनुदान दिया जाता है. कृषि अभियांत्रिकी की वैबसाइट dbt.mpdage.org पर जा कर किसान अपना पंजीयन कर उपरोक्त यंत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं.

तय दर पर ही उर्वरक (Fertilizer) बेचें उर्वरक विक्रेता

नरसिहंपुर : यह जिला कृषि प्रधान है. जिले में खरीफ वर्ष 2024 में धान, सोयाबीन, उड़द, अरहर, मक्‍का, ज्‍वार आदि फसलें 2.20 लाख हेक्‍टेयर में बोनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जो शतप्रतिशत पूरा कर लिया गया है. वर्तमान में खरीफ फसलें पक कर तैयार हैं, जिन की कटाई व गहाई का काम चल रहा है.

जिले में रबी वर्ष 2024-25 में 3.20 लाख हेक्टेयर का लक्ष्‍य प्रस्‍तावित किया गया है. कुछ क्षेत्रों में खेत खाली हो गए हैं, जिन में रबी बोनी के काम के लिए खेत तैयार किए जा रहे हैं.

कलक्टर शीतला पटले के मार्गदर्शन में रबी सीजन के लिए जिले को लगातार उर्वरक (Fertilizer) की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है. वर्तमान में जिले में 37066 मीट्रिक टन यूरिया का भंडारण कर 32630 मीट्रिक टन यूरिया का वितरण किया जा चुका है, जो गत वर्ष इसी अवधि की तुलना में इस वर्ष अधिक है. इसी प्रकार जिले में 6571 मीट्रिक टन डीएपी का भंडारण कर 6514 मीट्रिक टन डीएपी का वितरण किया जा चुका है. कौम्प्लेक्‍स 7805 मीट्रिक टन डीएपी का भंडारण कर 6695 मीट्रिक टन का वितरण किया जा चुका है और एसएसपी 8884 मीट्रिक टन का भंडारण कर 6650 मीट्रिक टन डीएपी का वितरण किया जा चुका है.

जिले के किसान शासन द्वारा निर्धारित 266.50 रुपए यूरिया एवं 1350 रुपए डीएपी पर ही उर्वरक (Fertilizer) की खरीद करें. जिले से रबी वर्ष 2024-25 के लिए 65500 मीट्रिक टन यूरिया की मांग शासन से की गई है, जिस की आपूर्ति की जा रही है. जिले में लगातार उर्वरकों की रैक प्राप्‍त हो रही है.

जिले में डीएपी, एनपीके एवं म्यूरेट औफ पोटाश का भंडारण पर्याप्त मात्रा में है. जिले में डबल लौक को केंद्र से सभी सहकारी समितियों के केंद्रों को यूरिया की आपूर्ति की जा रही है. जो किसान समिति के सदस्य हैं, वे अपनीअपनी समितियों से उर्वरक (Fertilizer) की खरीद करें और बाकी किसान जिले के डबल लौक केंद्रों, विपणन सहकारी समिति, एमपी एग्रो एवं निजी विक्रेताओं के यहां से उर्वरक खरीद सकते हैं.

अधिकांश किसानों द्वारा केवल यूरिया एवं डीएपी उर्वरक (Fertilizer) का ही फसलों में उपयोग किया जा रहा है, जो केवल नाइट्रोजन, फास्फोरस तत्व की ही आपूर्ति करते हैं. पोटाश एक प्रमुख पोषक तत्व है, जिस का फसल के स्वास्थ्य एवं अनाज की गुणवत्ता से सीधा संबंध है. वर्तमान में कौम्प्लेक्स उर्वरक जैसे, 12:32:16, 20:20:0:13 आदि उपलब्ध हैं, जिस में नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश तीनों तत्व पाए जाते हैं, जो जिले में पर्याप्‍त भंडारित हैं. इसलिए किसान कौम्प्लेक्‍स उर्वरकों का उपयोग करें.

उपसंचालक, कृषि ने जिले के किसानों से अपील की है कि वे यूरिया का अनावश्यक भंडारण न करें. जिले में प्राप्त होने वाले उर्वरकों (Fertilizer) को मार्कफेड के डबल लौक, एमपी एग्रो के गोदाम, सहकारी समितियां एवं निजी विक्रेताओं के माध्यम से उर्वरकों (Fertilizer) का वितरण कार्य किया जा रहा है.

जिले के निजी विक्रेताओं के यहां 1580 मीट्रिक टन यूरिया एवं 1110 मीट्रिक टन कौम्प्लेक्‍स भंडारित है. किसान यूरिया उठाव के लिए अपनी भूमि की मूल ऋणपुस्तिका एवं आधारकार्ड साथ ले कर ही जाएं. उर्वरक (Fertilizer) खरीदते समय विक्रेता से कैश मैमो अवश्‍य लें. यदि किसी भी प्रतिष्ठान पर उर्वरक (Fertilizer) अधिक कीमत पर बेची जाती है, तो उस की सूचना संबंधित वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी या संबंधित तहसीलदार को दें. कलक्टर के मार्गदर्शन में जिले में उर्वरकों का औद्योगिक गैरकृषि कार्यो में उपयोग, कालाबाजारी, अवैध भंडारण में परिवहन रोकने के लिए टीम का गठन किया गया है, जो विशेष अभियान चलाया जा रहा है. निरीक्षण के दौरान अनियमितताएं पाए जाने पर उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 एवं आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम, 1955 के तहत ठोस वैधानिक कार्यवाही की जाएगी.

फलदार पेड़ों (Fruit trees) ने बढ़ाई जगत सिंह की आमदनी

सागर : मध्य प्रदेश में सिंचित जमीन और पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. ऐसे में सरकार की कोशिश किसानों को फल का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करने की है. मध्य प्रदेश में नंदन फलोद्यान योजना के तहत पात्र किसानों की निजी जमीन पर उद्यानिकी फलदार पौधों का फ़लोद्यान विकसित किया जाता है.

आज बात कर रहे हैं ग्राम पंचायत नयानगर के निवासी जगत सिंह की. उन्होंने बताया कि पूर्व में उन के खेत पर कुछ ही फलदार पेड़ थे. फिर उन के मन में विचार आया कि उन के खेत में भी बहुत से फलदार पेड़ हों और वे भी अपनी आमदनी बढ़ा सकें. लेकिन उन के पास फलदार पेड़ों (Fruit trees)को खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. तब उन्हें ग्राम पंचायत के द्वारा मध्य प्रदेश सरकार की नंदन फलोद्यान योजना के बारे में पता चला. योजना के तहत फलदार पेड़ों (Fruit trees) की खेती करने के लिए राशि स्वीकृत की जाती है. तब जगत सिंह ने अपने ग्राम पंचायत में आवेदन किया.

हितग्राही जगत सिंह की आजीविका की समस्या को देखते हुए नंदन फलोद्यान योजना के तहत उन्हें 1.67 लाख की राशि स्वीकृत की गई, जिस से जगत सिंह के द्वारा एक एकड़ भूमि पर 50 अमरूद, 10 नीबू, 30 आम एवं 10 आंवलों के पौघौं का रोपण किया गया.

उक्त काम के लिए योजना की राशि का उपयोग लिया गया है. जगत सिंह द्वारा उक्त पौधों की विधिवत देखभाल की गई, जिस से पौधे आज पेड़ के रूप में उन्हें फल देने लगे हैं. आज उन के खेत ने फलों के बागान का रूप ले लिया है, जिस से उन की आय के जरीए बनने लगे. हितग्राही किसान जगत सिंह पूरी तरह से संतुष्ट एवं खुश हैं.