मोटे अनाज (Coarse Grains) की खेती को बढ़ावा

जयपुर : मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए भारत एवं राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है. मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए बजट घोषणानुसार कृषि विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में किसानों को बाजरा के 7 लाख, 90 हजार और ज्वार के 89 हजार बीज मिनी किट का निःशुल्क वितरण किया गया है, जिस से राज्य में मोटे अनाज के उत्पादन में वृद्धि होगी और किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी.

मोटे अनाज की खेती कम सिंचाई एवं कम उपजाऊ भूमि में आसानी से पैदा की जा सकती है. गौरतलब है कि मोटे अनाज को ऐसी फसल माना जाता है, जो कुपोषण, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करती है.

बता दें कि देश के प्रस्ताव के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बाजरा, ज्वार, कोदो समेत 8 मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया गया था.

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है मोटा अनाज

मोटे अनाज में बाजरा, ज्वार, रागी एवं कोदो जैसे धान्य को शामिल किया गया है. इन में पोषक तत्व प्रोटीन व खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. मोटे अनाज में औषधीय गुणों के कारण इन के सेवन से कुपोषण, मोटापा, हार्ट से संबंधित बीमारियों और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि भोजन थाली में मिलेट्स का सेवन उत्तम स्वस्थ शरीर के रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

राज्य में बाजरा और ज्वार की 49.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की गई बोआई

राज्य में खरीफ 2024 में बाजरा और ज्वार की 49.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोआई की गई है, जिस में से बाजरे की 43.04 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में और ज्वार की 6.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोआई की गई है.

राज्य सरकार को मिला राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस (सिल्वर) पुरस्कार

जयपुर : मुंबई में आयोजित 27वीं राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस कौंफ्रैंस में ‘गवर्नमेंट प्रोसैस रि-इंजीनियरिंग फौर ट्रांसफौर्मेशन: स्टेट लैवल इनिशिएटिव’ के तहत उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए राज्य सरकार के ‘राजकिसान साथी फेज 2’ प्लेटफार्म को ई-गवर्नेंस (सिल्वर) पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है. यह कौंफ्रैंस केंद्र सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग की ओर से 3-4 सितंबर को आयोजित की गई.

सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग की शासन सचिव आरती डोगरा ने इस उपलब्धि के लिए विभाग की टीम को बधाई और शुभकामनाएं दीं. आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने यह पुरस्कार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के हाथों लिया. पुरस्कार के साथ ट्रौफी, प्रशस्तिपत्र और 5 लाख रुपए का कैश अवार्ड भी प्रदान किया गया.

यह पुरस्कार कृषि, बागबानी, कृषि विपणन आदि विभागों की विभिन्न सेवाओं को ‘ईज आफ डुइंग फार्मिंग’ का आयाम प्रदान करने के लिए सिंगल विंडो इंटिग्रेटेड प्लेटफार्म ‘राजकिसान साथी फेज 2’ को दिया गया है.

ईज आफ डुइंग फार्मिंगका आयाम
किसानों को कृषि, उद्यानिकी, कृषि विपणन विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि विपणन बोर्ड, बीज निगम, बीज प्रमाणीकरण संस्था आदि द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ त्वरित व पारदर्शी तरीके से प्रदान करने के लिए यह प्लेटफार्म विकसित किया गया है.

इस प्लेटफार्म के माध्यम से किसानों को विभिन्न योजनाओं की जानकारी व लाभ प्राप्त करने के लिए भिन्नभिन्न पोर्टल का प्रयोग कर आवेदन प्रस्तुत करने के स्थान पर सिंगल विंडो के रूप में केवल एक ही पोर्टल के माध्यम से समस्त सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं. एसएसओ आईडी के माध्यम से एक बार तैयार किए गए प्रोफाइल के माध्यम से किसान किसी भी योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं. उन्हें बारबार अपने आधारभूत दस्तावेजों को अपलोड करने की आवश्यकता नहीं है. किसान ई-मित्र केंद्र के माध्यम से भी आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि ई-गवर्नेंस नवाचारों के कार्यान्वयन में उत्कृष्टता को मान्यता देने और प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा प्रति वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं. ये पुरस्कार ई-गवर्नेंस पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान प्रदान किए जाते हैं.

हाइवे पर नहीं दिखेंगे आवारा पशु (Stray Animals)

जयपुर : पशुपालन एवं गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर निराश्रित पशुओं का विचरण करना काफी गंभीर समस्या है. इन से हाइवे पर वाहनों की गति बाधित होती है और दुर्घटना होने का अंदेशा बना रहता है. उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों को राजमार्गों पर पशुओं का विचरण रोकने की दिशा में गंभीरता से काम करने और पैट्रोलिंग की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

मंत्री जोराराम कुमावत पिछले दिनों सचिवालय के मंत्रालयिक भवन स्थित अपने कक्ष में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और लोक निर्माण विभाग (राष्ट्रीय राजमार्ग) के अधिकारियों के साथ इस संबंध में आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आम आदमी हाइवे पर आवागमन के लिए टोल टैक्स चुकाता है. उन्हें सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने में किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जानी चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि हाइवे पर घूमने वाले आवारा पशुओं के कारण आएदिन दुर्घटनाएं होती हैं, जिन में जन हानि के साथसाथ पशु हानि भी होती है. उन्होंने प्राधिकरण के अधिकारियों को हाइवे पर निराश्रित पशुओं का विचरण बंद करने की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

उन्होंने यह भी कहा कि प्राधिकरण द्वारा पैट्रोलिंग व्यवस्था को और भी सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है. पैट्रोलिंग की गाड़ियां केवल दुर्घटना होने पर ही आती हैं, जबकि दुर्घटना को घटने से रोकने के प्रयास किए जाने चाहिए. इस के लिए प्राधिकरण द्वारा नियमित रूप से पैट्रोलिंग की व्यवस्था की जानी सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि राजमार्गों पर संभावित खतरों से आमजन को सुरक्षा मिले.

पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव विकास सीताराम भाले ने कहा कि निराश्रित पशुओं को राजमार्गों पर विचरण से रोकने के लिए की गई व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए नियमित रूप से बैठक आयोजित की जानी चाहिए.

बैठक में प्रतिमा गुप्ता, प्रतिनिधि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, आशाराम सैनी, प्रतिनिधि, लोक निर्माण विभाग (राष्ट्रीय राजमार्ग), डा. भवानी सिंह राठौड़, निदेशक, पशुपालन विभाग, डा. आनंद सेजरा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राजस्थान पशुधन विकास बोर्ड, शालिनी शर्मा, निदेशक, गोपालन विभाग सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे.

पीएम आवास योजना के लाखों लाभार्थियों को जारी होगी आखिरी किस्त 

नई दिल्ली : 10 सितंबर, 2024 को  केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में राज्यों के ग्रामीण विकास मंत्रियों की वीडियो कौंफ्रैंसिंग के जरीए बैठक ली. इस दौरान उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जमशेदपुर (झारखंड) में 15 सितंबर को महत्वाकांक्षी पीएम आवास योजना के लाखों लाभार्थियों को 2,745 करोड़ रुपए की आखिरी किस्त जारी करेंगे. साथ ही, वित्तीय वर्ष 2024-25 में सभी लक्षित लाभार्थियों को स्वीकृतिपत्रों का वितरण किया जाएगा. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों की सहभागिता होगी, वहीं लाखों लोग औनलाइन माध्यम से कार्यक्रम से जुड़ेंगे.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे, जिन्हें कार्यक्रम की तैयारी के लिए दिशानिर्देश दिए, वहीं राज्यों के ग्रामीण विकास मंत्रियों ने योजना के कार्यक्रम में पूर्ण सहभागिता का संकल्प जताया.

बैठक में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश के हमारे गरीब भाईबहनों का हर तरह से उत्थान मोदी सरकार का परम लक्ष्य है, जिस की प्राप्ति की दिशा में प्रधानमंत्री आवास योजना एक अहम कदम है. यह योजना काफी सफलता के साथ आगे बढ़ी है.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि पीएम आवास योजना-ग्रामीण में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने लक्ष्य हासिल किया है, साथ ही, योजना की सफलता व ग्रामीण घरों की आवश्यकता को महसूस करते हुए योजना का विस्तार किया गया है और गरीब तबके के लिए अगले 5 वर्षों में 2 करोड़ अतिरिक्त घर मोदी सरकार बनाएगी. प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प है कि हर गरीब का अपना घर हो.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मार्च, 2024 तक 2.95 करोड़ आवासों को बनाने का लक्ष्य था, जिस में से लगभग सभी घर स्वीकृत किए जा चुके हैं, 2.65 करोड़ घर पूरे भी हो चुके हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 के दौरान अब तक पूरे किए गए घर वाले 26 लाख लाभार्थियों का गृहप्रवेश प्रधानमंत्री मोदी के मुख्य आतिथ्य में 15 सितंबर को होगा. साथ ही, इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी पीएमएवाई-जी लाभार्थियों के साथ बातचीत भी करेंगे.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे बताया कि कोई भी पात्र परिवार इस महत्वपूर्ण योजना के लाभ से वंचित न रहे, इसलिए योजना के नियमों को आसान करते हुए संशोधित कर दिया गया है. ऐक्सक्लूशन क्राइटेरिया जैसे मोटरचालित दोपहिया और मछली पकड़ने वाली नाव, रेफ्रिजरेटर, लैंडलाइन फोन को हटा दिया गया है. इस के अलावा परिवार के किसी सदस्य की मासिक आय की सीमा को 10,000 रुपए से बढ़ा कर 15.000 रुपए कर दिया गया है.

साथ ही, भूमि के मालिकाना हक से संबंधित ऐक्सक्लूशन क्राइटेरिया को भी आसान बनाया गया है. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों के विचारों एवं सभी सहभागियों से परामर्श कर के निर्णय लिया है कि गैरजरूरी शर्तों को हटाया जाए, जिस से सभी के लिए आवास के उद्देश्य को सही माने में साकार किया जा सके.

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीण भारत के उत्थान की दिशा में ग्रामीण विकास मंत्रालय का लक्ष्य केवल आवास देना ही नहीं, बल्कि आवास के साथ मूलभूत सुविधाएं भी सुनिश्चित करना है. इस के अंतर्गत लाभार्थियों को मनरेगा के तहत अपने घर बनाने के लिए 90-95 दिनों की मजदूरी का भी लाभ दिया जाता है और अन्य कल्याणकारी योजनाओं जैसे स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला योजना और सौभाग्य योजना से तालमेल कर घरों में शौचालय, रसोई गैस और बिजली की सुविधा सुनिश्चित की जा रही है.

साथ ही, ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर : मुफ्त बिजली’ योजना से समन्वय कर के लाभार्थियों को सोलर रूफ टौप का कनैक्शन दे कर उन के बिजली बिल को कम करने की कोशिश की जा रही है. इस योजना के तहत बनने वाला हर घर एक संपूर्ण आवास है, एक सुविधासंपन्न आवास. सही माने में यह योजना गरीबी मुक्त गांव एवं विकसित भारत की आधारशिला साबित होगी.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय किसी भी तरह की सहायता एवं समस्या के निदान के लिए सतत प्रयासरत है, जिस से राज्य बिना देरी किए कामों को सफलतापूर्वक संपादित कर सके.

ग्रामीण महिलाओं (Rural Women) को पशुपालन पर प्रशिक्षण(Training) , बनेगी आत्मनिर्भर

इंदौर : इंदौर जिले के गांवों में मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित किए गए महिला स्वसहायता समूहों के सदस्यों का निरंतर क्षमतावर्धन व सशक्तीकरण का काम किया जा रहा है. जिले में पूर्व में पशुपालन विभाग व नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड आनंद, गुजरात के सहयोग से 49 महिला समूह सदस्यों को ए-हेल्प (A-Help) पशु सखी का प्रशिक्षण दिया गया था.

उपरोक्त प्रशिक्षण के उपरांत यह महिला समूह सदस्य गांवों में पशु चिकित्सक को आवश्यक सहयोग करने व स्थानीय स्तर पर पुशधन के शुरुआती इलाज के लिए दक्ष है.

गांवों में पशुपालकों को त्वरित सहायता उपलब्ध हो सके व पशु चिकित्सा विभाग से और अधिक समन्वय के उद्देश्य से मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सिद्धार्थ जैन के दिशानिर्देशानुसार समूह द्वारा संचालित देवी अहिल्या सामुदायिक प्रशिक्षण केंद्र में 10 सितंबर को एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में पशुपालन विभाग के उपसंचालक डा. शशांक जुमड़े व अन्य विभागीय चिकित्सकों द्वारा उपस्थित रह कर पशु सखियों को विभागीय योजनाओं को ग्राम स्तर पर संचालित पशु चिकित्सकों की विस्तार से जानकारी दी गई.

उपसंचालक डा. शशांक जुमड़े ने पशु चिकित्सा द्वारा पशु सखियों को अवगत कराया कि विभाग द्वारा ग्राम स्तर पर पशुधन में सालाना किए जाने वाले टीकाकरण, डीवर्मिंग व अन्य कार्यक्रमों की जानकारी दी. पशु सखियां इन आयोजनों से जुड़ कर किस तरह गांव लैवल पर अपनी सेवाएं दे सकती हैं के बारे में बताया गया. साथ ही, भविष्य में शुरू होने वाली पंचवर्षीय पशु गणना के बारे में जानकारी दे कर पशु सखियों को मार्गदर्शित किया गया.

कार्यशाला में जिला परियोजना प्रबंधक, आजीविका मिशन द्वारा समूह से जुड़ कर समूह सदस्यों द्वारा की जा रही गतिविधियों व किस तरह पशु सखी के रूप में सेवाएं दे कर अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकती है के बारे में विस्तार से अवगत कराया गया.

किसान समय पर कराएं पंजीयन (Register)

इंदौर : खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर धान, ज्वार एवं बाजरा उपार्जन के लिए किसान पंजीयन प्रक्रिया का निर्धारण कर दिया गया है. किसान 19 सितंबर से 4 अक्तूबर तक पंजीयन करा सकते हैं. खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने किसानों से आग्रह किया है कि निर्धारित समय में पंजीयन करा लें, जिस से किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं हो.

उन्होंने बताया है कि किसान पंजीयन की व्यवस्था को सहज और सुगम बनाया गया है. किसान स्वयं के मोबाइल से घर बैठे पंजीयन कर सकेंगे. किसानों को पंजीयन केंद्रों में लाइन में लग कर पंजीयन कराने की समस्या से नजात मिलेगी.

पंजीयन की नि:शुल्क व्यवस्था
किसानों के मोबाइल फोन से पंजीयन करने की सुविधा के अतिरिक्त अन्य व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की गई हैं. पंजीयन की निःशुल्क व्यवस्था ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत कार्यालयों में स्थापित सुविधा केंद्र पर, तहसील कार्यालयों में स्थापित सुविधा केंद्र पर सहकारी समितियों एवं सहकारी विपणन संस्थाओं द्वारा संचालित पंजीयन केंद्र पर और एमपीकिसान एप पर भी की गई है.

पंजीयन की सशुल्क व्यवस्था
पंजीयन की सशुल्क व्यवस्था एमपी औनलाइन कियोस्क, कौमन सर्विस सैंटर कियोस्क, लोक सेवा केंद्र और निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित साइबर कैफे पर की गई है. इन केंद्रों पर पंजीयन के लिए शुल्क राशि प्राप्त करने के संबंध में कलक्टर ने निर्देश जारी किए. प्रति पंजीयन के लिए 50 रुपए से अधिक शुल्क निर्धारित नहीं किया जाएगा. किसान पंजीयन के लिए भूमि संबंधी दस्तावेज़ एवं किसान के आधारकार्ड एवं अन्य फोटो पहचानपत्रों का समुचित परीक्षण कर उन का रिकौर्ड रखा जाना अनिवार्य होगा.

सिकमी/बंटाईदार/कोटवार एवं वन पट्टाधारी किसान के पंजीयन की सुविधा केवल सहकारी समिति एवं सहकारी विपणन सहकारी संस्था ‌द्वारा संचालित पंजीयन केंद्रों पर उपलब्ध होगी. इस श्रेणी के शतप्रतिशत किसानों का सत्यापन राजस्व विभाग द्वारा किया जाएगा.

उपार्जित फसल के भुगतान के लिए बैंक खाता
किसान द्वारा समर्थन मूल्य पर विक्रय उपज का भुगतान प्राथमिकता के आधार पर किसान के आधार लिंक बैंक खाते में किया जाएगा. किसान के आधार लिंक बैंक खाते में भुगतान करने में किसी कारण से समस्या उत्पन्न होने पर किसान ‌द्वारा पंजीयन में उपलब्ध कराए गए बैंक खाते में भुगतान किया जा सकेगा.

पंजीयन के समय किसान को बैंक खाता नंबर और आईएफएससी (IFSC) कोड की जानकारी उपलब्ध करानी होगी. अक्रियाशील बैंक खाते, संयुक्त बैंक खाते एवं फिनो, एयरटेल, पेटीएम, बैंक खाते पंजीयन में मान्य नहीं होंगे. पंजीयन व्यवस्था में बेहतर सेवा प्राप्त करने के लिए यह जरूरी होगा कि किसान अपने आधार नंबर से बैंक खाता और मोबाइल नंबर को लिंक करा कर उसे अपडेट रखें.

सभी जिला कलक्टरों को निर्देशित किया गया है कि जिला और तहसील स्तर पर स्थापित आधार पंजीयन केंद्रों को क्रियाशील रखा जाए, ताकि किसान वहां जा कर आसानी से अपना मोबाइल नंबर एवं बायोमेट्रिक अपडेट करा सके.

इस काम के लिए पोस्ट औफिस में संचालित आधार सुविधा केंद्र का भी उपयोग किया जा सकता है. आधार नंबर से बैंक खाता लिंक कराने के लिए बैंकों के साथ भी समन्वय आवश्यक होगा. किसान के आधार लिंक बैंक खाते के सत्यापन के लिए पंजीयन के दौरान ही एक रुपए का ट्रांजेक्शन मध्य प्रदेश राज्य आपूर्ति निगम द्वारा ईउपार्जन/जेआईटी (JIT) पोर्टल के माध्यम से कराया जाएगा.

आधार नंबर का वेरीफिकेशन
पंजीयन कराने और फसल बेचने के लिए आधार नंबर का वेरीफिकेशन कराना अनिवार्य होगा. वेरीफिकेशन आधार नंबर से लिंक मोबाइल नंबर पर प्राप्त ओटीपी (OTP) से या बायोमेट्रिक डिवाइस से किया जा सकेगा. किसान का पंजीयन केवल उसी स्थिति में हो सकेगा, जबकि किसान के भूअभिलेख के खाते एवं खसरे में दर्ज नाम का मिलान आधारकार्ड में दर्ज नाम से होगा. भूअभिलेख और आधारकार्ड में दर्ज नाम में विसंगति होने पर पंजीयन का सत्यापन तहसील कार्यालय से कराया जाएगा. सत्यापन होने की स्थिति में ही उक्त पंजीयन मान्य होगा.

किसानों को करें एसएमएस
विगत रबी एवं खरीफ के पंजीयन में जिन किसानों के मोबाइल नंबर उपलब्ध हैं, उन्हें एसएमएस से सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं. गांव में डोडी पिटवा कर ग्राम पंचायतों के सूचना पटल पर पंजीयन सूचना प्रदर्शित कराने और समिति व मंडी स्तर पर बैनर लगवाने के निर्देश भी दिए गए हैं. किसान पंजीयन की सभी प्रक्रियाएं समयसीमा में पूरे करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं.

पशुपालक रामरतन यादव कर रहे अच्छी कमाई

कटनी : आचार्य गौ संवर्धन योजना से लाभान्वित गांव बड़खेड़ा के बाशिंदे पशुपालक रामरतन यादव की डेयरी का भ्रमण उपसंचालक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा किया. रामरतन यादव द्वारा वर्ष 2018 में योजनान्तर्गत स्टेट बैंक औफ इंडिया बहोरीबंद बैंक से 5 पशु के लिए लोन ले कर डेयरी व्यवसाय शुरू किया गया. इस व्यवसाय से इन्हें लगभग 30,000 रुपए प्रतिमाह की आय हो रही है.

व्यवसाय अच्छा चलने के कारण रामरतन द्वारा बैंक का लोन भी समय पर चुका दिया है. समय पर बैंक लोन चुका दने के कारण अब इन्हें बैंक से 1 लाख, 63 हजार रुपए का केसीसी भी लिया गया है, जिस का भुगतान भी रामरतन द्वारा समय पर किया जा रहा है.

पशुओं की संख्या बढ़ने के कारण 60 से 70 लिटर दूध प्रतिदिन उत्पादन होने से डेयरी का व्यवसाय अच्छा चलने के परिणामस्वरूप प्राप्त हाने वाली आय से ही रामरतन द्वारा ढाई एकड़ जमीन भी खरीद ली है और पशुओं की खुराक के लिए इन्हें चारा काटने की मशीन भी पशुपालन विभाग से प्रदान की गई है.

किसानों की सुविधा को देखते हुए उपार्जन केंद्र (Procurement Center) बनाएं

जबलपुर : कलक्‍टर दीपक सक्‍सेना की अध्‍यक्षता में खरीफ फसलों के पंजीयन के संबंध में खाद्य विभाग की बैठक आयोजित की गई. उन्‍होंने कहा कि खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्‍य पर धान, ज्‍वार एवं बाजरा उपार्जन के लिए किसानों के पंजीयन समय पर सुनिश्चित किए जाएं.

बैठक में कहा गया कि धान उपार्जन पंजीयन 19 सितंबर से शुरू हो जाएंगे. बैठक में कहा गया कि ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, तहसील कार्यालय, सहकारी समितियों एवं सहकारी विपणन संस्‍थाओं द्वारा संचालित पंजीयन केंद्र और एमपी किसान एप पर यह सुविधा नि:शुल्‍क रहेगी.
साथ ही, एमपी औनलाइन कियोस्‍क, सीएससी कियोस्‍क, लोक सेवा केंद्र और निजी व्‍यक्तियों द्वारा संचालित साइबर कैफे पर पंजीयन की सशुल्‍क व्‍यवस्‍था रहेगी.

कलक्‍टर दीपक सक्‍सेना ने कहा कि धान पंजीयन में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो, इस की सतत निगरानी भी की जाए. पूरा उपार्जन पारदर्शी तरीके से हो.

उन्‍होंने यह भी कहा कि इस बार वेयरहाउस का चयन लौटरी सिस्‍टम से हो, साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि एक क्षेत्र विशेष में कितने लोग के बीच में एक खरीदी केंद्र हो. यह पहले से ही तय कर लें कि हर विकासखंड में कितने और कौनकौन से केंद्र होंगे. इस में किसानों की आपत्तियों को भी ध्‍यान में रखा जाएगा.

कलक्‍टर दीपक सक्सेना ने कहा कि किसानों की सुविधा को देखते हुए उपार्जन केंद्र बनाएं, धान पंजीयन में उन्‍होंने विशेष रूप से कहा कि बिना एग्रीमेंट के सिकमी पंजीयन नहीं होगा.

मधुमक्खीपालन (Beekeeping) व शहद प्रसंस्करण (Honey Processing) करना हुआ आसान

बालाघाट : जिले में शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार का अवसर दिलाने के लिए जिला खादी ग्रामोद्योग द्वारा एक नई पहल शुरू की गई है, जिस में मधुमक्खी पालन व शहद प्रसंस्करण जैसा कार्य सुनिश्चित किया जा सकता है. हम जानते हैं कि बालाघाट जिले के अधिकांश भूभाग पर वनांच्छादित क्षेत्र उपलब्ध है. ऐसे में यहां मधुमक्खीपालन प्रोजैक्ट सुगमता के साथ संचालित किया जा सकता है. इस के लिए जिला पंचायत द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) योजना के अंतर्गत बैंक से ऋण ले कर मधुमक्खीपालन/शहद प्रसंस्करण की इकाई स्थापित की जा सकती है.

ज्ञात हो कि उत्पादित शहद की बिक्री के लिए मध्य प्रदेश खादी बोर्ड, भोपाल की विन्याश वेली योजना में विक्रय किया जा सकेगा, वहीं योजना में आवश्यकता होने पर शासन द्वारा हितग्राही को मधुमक्खीपालन/शहद प्रसंस्करण के लिए प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव प्रेषित किया जा सकेगा.

आवेदक की अर्हताएं
योजना में आवेदन करने के लिए आवेदक/हितग्राही की उम्र 18 वर्ष से 45 वर्ष तक होनी चाहिए. वहीं आवेदक बालाघाट का मूल निवासी होने के अलावा कम से कम 8वीं या 10वीं पास होना चाहिए. आवेदक द्वारा पूर्व में शासन की किसी भी योजना के अंतर्गत अनुदान राशि का लाभ न लिया हो एवं परिवार का कोई भी सदस्य बैंक का ऋणी नहीं होना चाहिए.

इस योजना में किसी भी वर्ग का हितग्राही आवेदन कर सकता है. योजना से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए जिले में पदस्थर प्रभारी प्रबंधक मध्य प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड जिला पंचायत बालाघाट (9685972679) से प्राप्त की जा सकती है.

खड़ी फसल में करें रोगिंग, मिलेगी अच्छी पैदावार

टीकमगढ़ : कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ के डा. बीएस किरार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख के मार्गदर्शन में केंद्र के वैज्ञानिक डा. सुनील कुमार जाटव, डा. आईडी सिंह एवं बीज प्रमाणीकरण अधिकारी अजय पाटीदार द्वारा ग्राम पठा खास, मोखरा, बडोरा घाट, शिवराजपुर, वीरऊ एवं गोपालपुरा में निरीक्षण किया गया.

केंद्र के वैज्ञानिक डा. सुनील कुमार जाटव द्वारा उड़द फसल का निरीक्षण करते समय किसानों को बताया गया कि रोगिंग क्या होता है, इस से फसल को क्या नुकसान होता है. खड़ी फसल में रोगिंग का मतलब होता है कि अनचाहे पौधों या दोषपूर्ण पौधों को फसल से हटाना. इसे मुख्य रूप से फसल की गुणवत्ता बनाए रखने और रोग या कीट फैलाव को रोकने के लिए किया जाता है.

रोगिंग करने की प्रक्रिया सब से पहले फसल में दोषपूर्ण पौधों, अवांछित किस्मों, रोगग्रस्त पौधों या अन्य अनावश्यक पौधों की पहचान करनी होगी. इस के बाद इन पौधों को जड़ से उखाड़ कर खेत से बाहर निकालें. ध्यान रखें कि हटाए गए पौधे वापस खेत में न गिरें, ताकि वे फिर से जड़ न पकड़ लें.

वैज्ञानिकों ने बताया कि रोगिंग का सब से सही समय तब होता है, जब फसल के पौधे स्पष्ट रूप से पहचाने जा सकते हैं, लेकिन वे परिपक्व नहीं हुए होते. इस से यह सुनिश्चित होगा कि दोषपूर्ण पौधों का प्रभाव न्यूनतम हो.

रोगिंग की प्रक्रिया को एक बार करने के बाद इसे बारबार दोहराना चाहिए, ताकि नए उगे हुए दोषपूर्ण पौधों को भी हटाया जा सके. पौधों को उखाड़ कर हटाना आवश्यक है, ताकि वे किसी भी तरह से वापस खेत में न पहुंच सकें और अन्य पौधों को नुकसान न पहुंचा सकें.

रोगिंग एक महत्वपूर्ण कृषि प्रक्रिया है, जो बीजों की गुणवत्ता को बनाए रखने और उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है.