विद्यार्थी पढ़ाई के साथ ही उद्योग लगाने की सोचें

सागर : कलक्टर संदीप जीआर के मार्गदर्शन में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस जागरूकता अभियान 2-11 अक्तूबर के दूसरे दिवस की गतिविधि के रुप में बालिकाओं की जीवन कौशल कार्यशाला आर्ट्स एंड कौमर्स कालेज में आयोजित की गई.

जिला कार्यक्रम अधिकारी बृजेश त्रिपाठी के मुख्य आतिथ्य में कालेज प्राचार्य सरोज गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यशाला में बालिकाओं को जीवन कौशल उन्नयन सबंधी जानकारी दी गई.

इस अवसर पर जिला उद्योग केंद्र के समन्वयक महेश पाल ने उद्योग विभाग की विभिन्न रोजगारमूलक योजनाओं के लाभ की योग्यता आवेदन की प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी गई.

बृजेश त्रिपाठी ने अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस जागरूकता अभियान की जानकारी देते हुए महिला एवं बाल विकास की स्वसहायता समूह एवं कौशल उन्नयन कार्यक्रमों की जानकारी दे कर बेटियों से आह्वान किया कि मोबाइल फोन पर फिल्मों की जानकारी न ले कर एआई से रोजगार की जानकारी मांगें.

प्राचार्य डा. सरोज गुप्ता ने महाविद्यालय की ओर से ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान एवं ‘कौशल उन्नयन शिक्षा’ कार्यक्रमों के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि महिलाओं के लिए रोजगार की अनेक योजनाएं शासन स्तर पर चलाई जा रही हैं और उद्योग विभाग उन्हें ऋण उपलब्ध करा रहे हैं. महाविद्यालय जन भागीदारी समिति’ के अध्यक्ष नितिन शर्मा ने महिला सशक्तीकरण के इस प्रयास को सतत रूप से चलाए जाने पर जोर दिया.

प्रो. अमर कुमार जैन ने अपने संचालन उद्बोधन में महाविद्यालयीन शिक्षा के रोजगारपरक कौशल उन्नयन पाठ्यक्रमों की जानकारी बेटियों को देते हुए कहा कि कौशलयुक्त हाथ कभी बेरोजगार नहीं रहते हैं.

उल्लेखनीय है कि महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, स्थानीय निकायों के समन्वय एवं सहयोग से 2 -11 अक्तूबर तक विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कलक्टर संदीप जीआर के मार्गदर्शन में किया जा रहा है. कार्यक्रम में डा. प्रतिभा जैन, अभिलाषा जैन, दीपक जौनसन, प्रतीक्षा जैन और राखी गौर उपस्थित रहीं.

सोयाबीन फसल नुकसान का मिलेगा मुआवजा

सीहोर : कलक्टर प्रवीण सिंह ने जिले में वर्षा के कारण सोयाबीन की फसल को हुए नुकसान के संबंध मे कृषि अधिकारियों की बैठक आयोजित की. बैठक में कृषि विभाग के उपसंचालक केके पांडे तथा फसल बीमा कंपनी एआईसी के प्रतिनिधि बीएल वर्मा सहित कृ‍षि विभाग के अन्य कृ‍षि अधिकारी उपस्थित थे.

बैठक में कलक्टर प्रवीण सिंह ने निर्देश दिए‍ कि वर्षा के कारण जिन स्थानों पर किसानों की सोयाबीन की फसलें खराब हुई हैं, उन खेतों का कृषि अधिकारी व फसल बीमा कंपनी के कर्मचारी सर्वे करें और फसल नुकसान का आंकलन कर किसानों को फसल बीमा का लाभ दिलाएं.

कलक्टर प्रवीण सिंह सिंह ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि यह काम पूरी गंभीरता से किया जाए. साथ ही, किसानों से भी फसल बीमा कंपनी के मोबाइल नंबरों और मोबाइल एप पर फसल नुकसानी की जानकारी दर्ज कराने के लिए कहा.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि फसल बीमा की शिकायत के लिए फसल बीमा कंपनी यानी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी के टोल फ्री नंबर और मोबाइल एप की जानकारी का व्यापक स्तर पर प्रचारप्रसार किया जाए.

बीमित किसान वर्षा एवं बाढ़ से प्रभावित फसलों के सर्वे के लिए टोल फ्री नंबर 14447 और मोबाइल एप से करें शिकायत

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत जिले के बीमित किसान वर्षा एंव बाढ़ से प्रभावित फसलों के सर्वे के लिए टोल फ्री नंबर 14447 और मोबाइल एप से शिकायत कर सकते हैं. किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के उपसंचालक ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत जिले के वे किसान जिन का बीमा है, वे वर्षा एंव बाढ़ से प्रभावित फसलों के सर्वे के लिए शिकायत अधिकृत टोल फ्री नंबर 14447 के माध्यम से सीधे बीमा कंपनी को शिकायत कर के प्रभावित फसल का सर्वे करने की सूचना दे सकते हैं.

टोल फ्री नंबर की अधिक व्यस्तता के करण जिन किसानों की शिकायत दर्ज नहीं हो रही हो, वे किसान मोबाइल से प्रभावित खेत के व्यक्तिगत फोटो, वीडियो अपलोड कर शिकायत दर्ज करा कर फसलों में हुई क्षति से फसल बीमा के लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

कृषि विभाग के उपसंचालक ने जानकारी दी कि प्ले स्टोर से मोबाइल पर Crop Insurance एप डाउनलोड करें. इस के बाद Continue Without Login में क्लिक करें. इस के बाद क्राप लास में जा कर शिकायतकर्ता द्वारा बेसिक जानकारी दे कर कंप्लेंट दर्ज कर सकते हैं.

किसान अधिक जानकारी के लिए अधिकृत एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी के जिला स्तरीय प्रतिनिधि के मोबाइल नंबर 8827530270 पर बात कर सकते हैं.

किसान डीएपी और यूरिया पर निर्भरता करें कम

झाबुआ : कलक्टर नेहा मीना के मार्गदर्शन में उपसंचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास एनएस रावत के द्वारा निरंतर प्रयास से जिले के किसानों को उन की आवश्यकता के अनुरूप उर्वरक की आपूर्ति भी की जा रही है और उर्वरक भंडारण एवं वितरण कार्य गतिशील है. अद्यतन स्थिति में जिले में 8927 मीट्रिक टन यूरिया, डीएपी, 2488 मीट्रिक टन, एनपीके 3040 मीट्रिक टन, एमओपी 521 मीट्रिक टन और एसएसपी 1624 मीट्रिक टन भंडारित हो कर जिले के किसानों के लिए उपलब्ध है.

रबी के सीजन में किसानों के द्वारा बोनी के समय आधार डोज के लिए उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है. विगत कई वर्षों से यह देखने में आया है कि किसानों द्वारा एक ही प्रकार के उर्वरक जैसे यूरिया, डीएपी, सुपर फास्फेट का ही प्रयोग किया जा रहा है. इस से एक ही प्रकार के उर्वरक के प्रति किसानों की निर्भरता बनी हुई है, जिस की पूर्ति अन्य उर्वरक जैसे 12:32:16 एवं 10:26:26 मिश्रित उर्वरकों का उपयोग कर किसान डीएपी एवं यूरिया पर निर्भरता कम कर सकते हैं. ये मिश्रित उर्वरक समितियों एवं बाजारों में निजी विक्रेताओं के पास भी आसानी से उपलब्ध रहते हैं.

रबी फसल गेहूं के लिए प्रति हेक्टेयर 120:60:40 किलोग्राम पोषक तत्व नत्रजन, सिंगल सुपर फास्फेट, पोटाश की आवश्यकता होती है. इन पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए किसान पहले विकल्प के रूप में 260 किलोग्राम यूरिया, 375 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 67 किलोग्राम पोटाश उर्वरक का उपयोग कर सकते है.

गेहूं फसल के लिए दूसरे विकल्प के रूप में किसान 168 किलोग्राम यूरिया, 188 किलोग्राम मिश्रित उर्वरक 12:32:16 एवं पोटाश 27 किलोग्राम उर्वरक का उपयोग कर सकते है, वहीं तीसरे विकल्प के रूप में किसान 150 किलोग्राम यूरिया, 20 किलोग्राम मिश्रित उर्वरक 10:26:26 एवं पोटाश 25 किलोग्राम उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं. इन तीनों विकल्पों से गेहूं फसल के लिए जरूरी तत्वों की पूर्ति की जा सकती है.

चना फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 20:60:00 किलोग्राम पोषक तत्व नत्रजन एवं सिंगल सुपर फास्फेट की आवश्यकता होती है. इन पोषक तत्वों की पूर्ति करने के लिए पहले विकल्प के रूप में 43 किलोग्राम यूरिया के साथ 375 किलोग्राम सिंगल सुपर फस्फेट का प्रयोग किया जा सकता है. दूसरे विकल्प के रूप में किसान 192 किलोग्राम मिश्रित उर्वरक 12:32:16 का उपयोग कर सकते है. वहीं तीसरे विकल्प के रूप में किसान 100 किलोग्राम यूरिया के साथ 100 मिश्रित उर्वरक 10:26:26 का उपयोग कर सकते है.

कृषि विभाग किसानों से आग्रह करता है कि उच्च गुणवत्ता वाले कृषि आदान उचित मुल्य पर अधिकृत विक्रेताओं से ही खरीदें और पक्का बिल अवश्य लें. अधिक जानकारी के लिए नजदीकी क्षेत्र के मैदानी अमलों, कृषि कार्यालय व कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं.

घटिया खादबीज की रोकथाम के लिए बनेगा कड़ा कानून

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रत्येक मंगलवार किसान और किसान संगठनों से संवाद के क्रम में पिछले दिनों नई दिल्ली में किसान संगठनों के सदस्यों से चर्चा की. उन्होंने किसान संगठनों के आए सभी अध्यक्ष, संयोजक व किसानों का स्वागत किया. किसान संगठनों ने कृषि की लागत कम करना, लाभकारी मूल्य देना, फसलों को पानी के भराव से बचाना, कीटनाशक व अच्छा बीज मिल सके और फसल को पशुओं से कैसे बचा सकें आदि के संबंध में चर्चा की व कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए.

उन्होंने आगे बताया कि किसान अनियंत्रित कीटनाशकों व उर्वरकों के उपयोग से धरती के स्वास्थ्य के खराब होने को ले कर भी चिंतित हैं और सरकारी योजनाओं की जानकारी सभी तक कैसे पहुंचे, ताकि सभी किसान उस का लाभ उठा पाएं.

किसानों ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा कि जानकारी के अभाव में कई बार किसान योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं. फसल बीमा योजना अच्छी योजना है, लेकिन सभी किसानों का बीमा नहीं हो पाता है. किसान क्रेडिट कार्ड पर पैसा मिलने के संबंध में भी किसानों ने सुझाव दिए हैं.

किसानों ने कई व्यावहारिक समस्याएं सामने रखी हैं, जैसे कि ट्रांफार्मर के जलने पर उसे समय सीमा में बदला जाए, ताकि फसल की सिंचाई प्रभावित न हो. किसानों ने फैक्टरियों से दूषित पानी निकलने और उस से फसलें या भूमिगत जल खराब होने की समस्या पर भी चर्चा की. यह चर्चा उन के लिए बहुत ही उपयोगी है, क्योंकि किसानों की सेवा ही देश की सच्ची सेवा है.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों की समस्याएं ऐसी हैं कि दिखने में छोटी लगती हैं, लेकिन इन का समाधान हो जाए तो किसानों की 10 से 20 फीसदी आमदनी बढ़ जाएगी. इसलिए हम ने तय किया है कि जो केंद्र सरकार से संबंधित समस्याएं हैं, जैसे किसानों को घटिया कीटनाशक व बीज न मिलें, इस के लिए कानून को और कड़ा बनाने आदि को ले कर केंद्र सरकार विचार करेगी.

उन्होंने यह भी कहा कि कई चीजें ऐसी हैं, जो राज्य सरकारों को करनी हैं. किसानों के राज्यों से संबंधित सुझाव हम राज्य सरकारों को भेजेंगे.

fertilizer seeds

उन्होंने बताया कि किसानों ने मैनुअल सर्वे से रिकौर्ड को मेंटेन करने से होने वाली परेशानी से बचने को ले कर भी सुझाव दिए हैं, जो कि बहुत ही उपयोगी हैं. किसानों को धन्यवाद देता हूं कि वे चर्चा के लिए आए और उन्होंने अपने बहुमूल्य सुझाव दिए. हमें जो सुझाव मिले हैं, उन पर मिल कर काम करेंगे और समस्याओं के समाधान पर राज्य सरकारों के साथ मिल कर भी प्रयास करेंगे.

अमरूद की खेती से हो रही बंपर आमदनी

विदिशा : जिले के प्रगतिशील किसान थान सिंह यादव उद्यानिकी फसलों के प्रेरणास्रोत बने हैं. उन्होंने अपने खेतो में नवाचारों की फसल कर के दूसरे किसानों को इस ओर बढ़ने की लालसा बढ़ाई है. उदयगिरि गुफाओं के पास ही थान सिंह के खेतों में उद्यानिकी फसलें पर्यटकों का ध्यानाकर्षण कर रही हैं.

पर्यावरण में प्रत्यक्ष रूप से योगदान करने वाले किसान थान सिंह यादव ने जब से उद्यानिकी फसलों का दामन पकड़ा है, तब से आमदनी में चौगुना मुनाफा हो रहा है. उद्यानिकी विभाग की योजनाएं, प्रशिक्षण भ्रमण कार्यक्रमों से प्राप्त जानकारियों को सीधे खेतों में उतार कर प्रगतिशील किसान का ओहदा हासिल करने वाले सुनपुरा के किसान शासन की किसान हितैषी योजनाओं से पृथकपृथक प्रगति हासिल की गई है.

किसान थान सिंह यादव द्वारा साल 2017-18 मे उद्यान विभाग की सहायता से अनुदान पर अमरूद की एल-49, इलाहबादी सफेदा किस्म का चयन कर फल अनुसंधान केंद्र, ईटखेडी, भोपाल से पौधे लाए गए और इन को उच्च घनत्व मे 6 बाई 3 मीटर की दूरी पर रोपा गया. विभाग द्वारा अनुदान पर 0.500 हेक्टेयर में अमरूद फलोद्यान एवं ड्रिप लगाई गई. वर्ष 2021-22 से किसान को फलोद्यान से उत्पादन प्राप्त होने लगा. साल 2023 में तकरीबन 1.80 लाख रुपए की आमदनी प्राप्त की गई.

थान सिंह यादव बताते हैं कि ड्रिप लगाने से फलोद्यान मे 25-30 फीसदी उत्पादन बढ़ा. साथ ही, सभी पौधों को समान रूप से पानी उपलब्ध हो पाया, जिस से शतप्रतिशत पौधे जीवित रहे. फलोद्यान के रखरखाव में हर साल 50,000 रुपए खर्च आता है. इस प्रकार 1.20 लाख रुपए की शुद्ध आय प्राप्त करते हैं, जो कि कृषि फसलों की अपेक्षा दोगुना लाभ दे रही है. प्रगतिशील किसान थान सिंह यादव ने किसान हितैषी योजनाओं का लाभ उठाने का आह्वान किसानों से किया गया.

नैनो डीएपी से मिल रही अधिक पैदावार

शिवपुरी : किसान कप्तान धाकड़ ने कृषि वैज्ञानिकों से फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए आवश्यक सलाह ली. सलाह लेने के उपरांत उन्होंने अपने खेत में होने वाली फसलों में नैनो डीएपी का उपयोग करना शुरू किया. परिणामस्वरूप, अब वे नैनो डीएपी के उपयोग से अच्छी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने किसानों को भी सलाह दी है कि वे भी नैनो डीएपी का उपयोग कर सकते हैं.

तहसील शिवपुरी के ग्राम पिपरसमां निवासी कप्तान धाकड़ ने बताया कि उन्होंने नैनो डीएपी का उपयोग बीजोपचार में किया. बीजोपचार के बाद उन्हें इस के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए, तो उन्होंने दानेदार खाद्य की मात्रा कम कर दी, जिस से पौधे का अंकुरण सही ढंग से हुआ. अभी वर्तमान में भी वे अपने खेत में नैनो डीएपी का उपयोग कर रहे हैं, जिस से आज उन की फसल बिलकुल ठीक हुई है. जिस फसल में उन्होंने दानेदार का उपयोग नहीं किया और नैनो डीएपी का उपयोग किया, उस फसल में उन्हें अच्छा फायदा हुआ है. उन्होंने नैनो डीएपी का उपयोग टमाटर में भी किया. टमाटर में भी इस के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं.

उन्होंने किसानों को यही सलाह दी है कि गेहूं, सोयाबीन, चना आदि के लिए नैनो डीएपी का ही उपयोग करें. क्योंकि इस के उपयोग से बीज में सही अंकुरण होता है. पौधा भी सही रूप से विकसित होता है.

किसान योजनाओ का कैसे लें फायदा

राजगढ़़ : कृषि विभाग की विभिन्न योजना के अंतर्गत बीज,सिंचाई, यंत्र एवं आदान सामग्री का लाभ लेने के लिए जिले के किसान “एमपी किसान” पोर्टल पर औनलाइन पंजीयन कराएं. पंजीयन के लिए वैब ब्राउजर पर kisan.mp.gov.in  के माध्यम से स्वयं या नजदीकी एमपी औनलाइन पर जा कर आवेदन करें.

जिले के किसान कृषि विभाग से संबंधित योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए वैब ब्राउजर पर जा कर kisan.mp.gov.in यूआरएल के माध्यम से किसान खुद ही पंजीयन कर सकते हैं. किसान पोर्टल पर जाने के लिए दिए गए यूआरएल kisan.mp.gov.in वैब ब्राउजर पर अंकित करें.

कृषि योजना में पंजीयन करने के लिए पंजीयन पर क्लिक करें. लिंक पर क्लिक करने बाद नए टैब मे पंजीयन पेज ओपन हो जाता है और पंजीयन के लिए जरूरी दस्तावेज के संलग्न होने की जानकारी दी जाती है, जैसे किसान का आधारकार्ड, किसान की भूमि से संबंधित जानकारी, किसान की समग्र आईडी, किसान का जाति प्रमाणपत्र. यदि आवेदक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का हो, तो जानकारी ध्यानपूर्वक पढ़ें और आगे बढ़ें.

बटन पर क्लिक करने के बाद किसान का पंजीयन फार्म प्रदर्शित हो जाता है, जहां दो औप्शन प्रदर्शित होते हैं. आधार नंबर द्वारा पंजीयन अथवा भूअभिलेख द्वारा पंजीयन करें. औप्शन में से किसी एक औप्शन के माध्यम से अपना पंजीयन कर सकते हैं अथवा नजदीकी एमपी औनलाइन पर जा कर भी अपना पंजीयन यानी आवेदन करा सकते हैं.

इस वर्ष कृषि विभाग के औनलाइन पोर्टल एमपी किसान पर आवेदन के पंजीयन के उपरांत ही किसानों को कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सकेगा. इसलिए किसानों से अपील की जाती है कि औनलाइन पोर्टल एमपी किसान पर अपना आवेदन पंजीयन कराएं.

पराली जलाने की रोकथाम के लिए उड़नदस्‍ते तैनात

चंडीगढ़ : सीएक्यूएम के निर्देशों के तहत पंजाब और हरियाणा राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई व्यापक कार्ययोजनाओं का लक्ष्य खरीफ सीजन 2024 में धान की पराली जलाने की घटनाओं को रोकना है.

पंजाब और हरियाणा राज्यों में धान की कटाई के मौसम के दौरान धान की पराली जलाने की घटनाओं की रोकथाम के लिए एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और निगरानी कार्रवाई को तेज करने के लिए सीएक्यूएम की सहायता करने वाले सीपीसीबी के उड़नदस्ते को 01 अक्तूबर, 2024 से 30 नवंबर, 2024 के दौरान पंजाब और हरियाणा के चिन्हित जिलों में तैनात किया गया है, जहां धान की पराली जलाने की घटनाएं आमतौर पर अधिक होती हैं.

इस तरह से तैनात किए गए उड़नदस्ते संबंधित अधिकारियों/जिला स्तर के अधिकारियों/संबंधित राज्य सरकार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारियों के साथ निकट समन्वय में काम करेंगे.

पंजाब के जिन 16 जिलों में उड़नदस्‍ते तैनात किए गए हैं, उन में अमृतसर, बरनाला, बठिंडा, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फाजिल्का, फिरोजपुर, जालंधर, कपूरथला, लुधियाना, मानसा, मोगा, मुक्तसर, पटियाला, संगरूर और तरनतारन शामिल हैं. वहीं हरियाणा के जिन 10 जिलों में उड़नदस्‍ते तैनात किए गए हैं, उन में अंबाला, फतेहाबाद, हिसार, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, सोनीपत और यमुनानगर शामिल हैं.

उड़नदस्‍ते संबंधित अधिकारियों के साथ निकट समन्वय में जमीनी स्तर की स्थिति का आंकलन करेंगे और दैनिक आधार पर आयोग और सीपीसीबी को रिपोर्ट करेंगे. इस रिपोर्ट में आवंटित जिले में धान की पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी. इस के अलावा सीएक्यूएम जल्द ही पंजाब और हरियाणा में कृषि विभाग और अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ निकट समन्वय के लिए धान की कटाई के मौसम के दौरान मोहाली/चंडीगढ़ में “धान की पराली प्रबंधन” सेल स्थापित करेगा. दोनों राज्‍यों के विभिन्‍न जिलों में उड़नदस्‍ते तैनात किए गए हैं.

पाम औयल की खेती (Palm Oil Cultivation) पर कार्यशाला

गुवाहाटी: असम के कृषि विभाग द्वारा भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्लू) के सहयोग से आयोजित सतत तेल पाम खेती पर दोदिवसीय राष्ट्रीय स्तर की समीक्षा और कार्यशाला गुवाहाटी में संपन्न हुई. इस कार्यक्रम में सरकारी निकायों, निजी कंपनियों, किसानों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख हितधारकों को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का आदानप्रदान करने और भारत में सतत तेल पाम खेती को आगे बढ़ाने के लिए एकसाथ लाया गया.

कार्यशाला की अगुआई में, किसानों और तेल पाम उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ एक संवाद सत्र आयोजित किया गया, जिस में तेल पाम उद्योग की चुनौतियों पर चर्चा की और सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचारविमर्श किया गया. देश के विभिन्न हिस्सों से तेल पाम किसानों के साथसाथ उद्योग के प्रतिनिधियों ने संवाद सत्र में भाग लिया. इस के बाद राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ खाद्य तेल, तेल पाम (एनएमईओ-ओपी) पर राष्ट्रीय मिशन के कार्यान्वयन में बाधाओं की पहचान करने के लिए राज्य के प्रदर्शन की भौतिक और वित्तीय समीक्षा की गई, जिस से कार्यान्वयन दक्षता में सुधार के लिए भविष्य की कार्रवाई को आकार देने में मदद मिली.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए असम के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए टिकाऊ तेल पाम की खेती के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया और किसानों को सरकार के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया. उन्होंने असम की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि असम पूरे पूर्वोत्तर और देश में टिकाऊ तेल पाम क्षेत्र को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.

भारत सरकार के डीए एंड एफडब्ल्यू के सचिव डा. देवेश चतुर्वेदी ने देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के राष्ट्रीय उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए पाम औयल की खेती के महत्व पर प्रकाश डाला और सभी हितधारकों से यह सुनिश्चित करने के लिए एकसाथ आने को कहा कि घरेलू स्तर पर उत्पादित पाम औयल का हिस्सा अगले 5-6 वर्षों में मौजूदा 2 फीसदी से बढ़ कर 20 फीसदी हो जाए.

चर्चा की शुरुआत करते हुए, संयुक्त सचिव (तिलहन), डीए एंड एफडब्ल्यू अजीत कुमार साहू ने एनएमईओ-ओपी के कार्यान्वयन के मुद्दों के बारे में विस्तार से बताया, चुनौतियों से निबटने के लिए राज्यों, किसानों और उद्योग के बीच सहयोग पर जोर दिया.

कार्यक्रम की शुरुआत में असम की कृषि उत्पादन आयुक्त अरुणा राजोरिया ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और विशेष रूप से पूर्वोत्तर में टिकाऊ तेल पाम प्रथाओं को बढ़ावा देने में राज्य की अग्रणी भूमिका को रेखांकित किया.

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) के अध्यक्ष विजय पाल शर्मा ने पाम औयल की खेती के आर्थिक प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने प्रौद्योगिकी और टिकाऊ प्रथाओं की भूमिका को बेहतर लाभप्रदता से जोड़ते हुए इस के महत्व पर प्रकाश डाला.

संजय अग्रवाल, पूर्व सचिव डीए एंड एफडब्ल्यू की अध्यक्षता में आयोजित एक महत्वपूर्ण सत्र में एनएमईओ-ओपी के कार्यान्वयन चुनौतियों की जांच की गई. उन्होंने तेल पाम उत्पादन में तेजी लाने के लिए सरकारी निकायों, उद्योग जगत के नेताओं और किसानों के बीच अधिक समन्वय का आग्रह किया, जिस में नीति और कार्यान्वयन की बाधाओं पर चर्चा की गई.

कार्यशाला में पौधों की गुणवत्ता और तेल की पैदावार में सुधार के लिए शेल जीन तकनीक सहित तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन किया गया. उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर मुख्य ध्यान दिया गया, जो तेल पाम की खेती की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है. इस के अतिरिक्त पाम तेल के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी पहलुओं पर चर्चा की गई, गलत धारणाओं को दूर किया गया और इस के लाभों पर प्रकाश डाला गया.

पाम औयल उत्पादक देशों की परिषद (सीपीओपीसी) के प्रतिनिधियों सहित अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने पाम औयल की खेती में वैश्विक रुझानों और विनियामक विकास पर जानकारी प्रदान की. राउंड टेबल सस्टेनेबल पाम औयल (आरएसपीओ) और वर्ल्ड वाइड फंड फौर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने स्थिरता और जलवायु लचीलेपन पर चर्चा में योगदान दिया, भारत के लिए टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने और अन्य क्षेत्रों में अनुभव किए गए पर्यावरणीय नुकसानों से बचने के लिए रणनीतियों को साझा किया.

पाम औयल की खेती (Palm Oil Cultivation)

गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड (जीएवीएल), 3एफ औयल पाम प्राइवेट लिमिटेड, पतंजलि फूड्स लिमिटेड (पीएफएल) और एएके जैसे उद्योग जगत के नेताओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया और औयल पाम मूल्य श्रंखला में अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने भारत में स्थायी औयल पाम उत्पादन को बढ़ाने में निजी क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से.

कार्यक्रम का समापन सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ हुआ, जिस में भारत में, विशेषकर पूर्वोत्तर क्षेत्र में पाम की खेती के भविष्य की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया. चर्चाओं में डाउनस्ट्रीम उद्योगों और सार्वजनिक-निजी सहयोग की भूमिका पर विचार किया गया, जिस से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिल सके.

कार्यशाला से प्राप्त मुख्य बातों से हितधारकों को एनएमईओ-ओपी को लागू करने के लिए अपनी रणनीतियों को परिष्कृत करने में मदद मिलने की उम्मीद है. साथ ही, इस में शामिल सभी लोगों के लिए स्थिरता, लाभप्रदता और आर्थिक विकास सुनिश्चित होगा.

नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं, किसानों और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के सहयोग ने भारत में पाम औयल उत्पादन के भविष्य के लिए एक मजबूत नींव रखी, जिस में पूरे श्रंखला में विकास और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया गया.

खादबीज की कालाबाजारी की तो होगी सख्त कार्यवाही

अशेाक नगर : कलक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी द्वारा निर्देशित किया गया कि सभी लोग इस बात का ध्यान रखें कि आगामी रवि सीजन को देखते हुए किसान भाइयों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसलिए सही प्रकार से उच्च गुणवत्ता के उर्वरकों का निर्धारित दर पर बिक्री किया जाना सुनिश्चित करें. साथ ही, डीएपी के विकल्प के रूप में एनपीके 20 :20 :0 :13 ,12:32:16, 16: 16 : 16, सिंगल सुपर फास्फेट एवं टीएसपी उर्वरकों से पूर्ति करने के लिए किसान भाइयों को तकनीकी रूप से सलाह दी जाएं. साथ ही, समस्‍त डीलरों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षण भी दिया गया. आने वाले समय में किसानों को पर्याप्त मात्रा में खादबीज उपलब्ध रहे.

बैठक में कलक्‍टर सुभाष द्विवेदी ने निर्देश दिए कि जिले में खादबीज की कालाबाजारी न हो, सुनिश्चित किया जाए. साथ ही, उन्होंने निर्देश दिए कि कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.

उन्होंने यह भी कहा कि जिले में पर्याप्त मात्रा में यूरिया है. यूरिया की कोई कमी नहीं है. साथ ही, उन्होंने कृषि विभाग को निर्देशित किया कि किसानों की मांग के अनुसार डीएपी और एनपीके के प्रस्ताव बना कर शासन को भेजा जाए, जिस से जिले में खाद की कमी न रहे.

उन्होंने आगे कहा कि जिले में किसी प्रकार की कोई नकली खाद न बिके, यह सुनिश्चित किया जाए. बैठक उपसंचालक, कृषि, केएस कैन एवं समस्त वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और समस्त थोक एवं रिटेलर खादबीज विक्रेता एवं कृषक उत्‍पादन संगठन उपस्थित रहे.