कैदियों ने सीखी मशरूम (Mushroom) उत्पादन की तकनीक

टीकमगढ़ : कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डा. बीएस किरार के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा दोदिवसीय क्षमतावर्धक प्रशिक्षण में बंदियों को मशरूम उत्पादन सिखाया गया. इस अवसर पर डा. आरके प्रजापति (प्रशिक्षण वैज्ञानिक), डा. एसके जाटव और हंसनाथ खान, केंद्र की टीम की तरफ से और जिला जेल प्रशासन के जेल अधीक्षक प्रतीक कुमार जैन, सियाराम यादव (जेल शिक्षक) सहित 40 बंदी उपस्थित रहे.

कैदियों में ज्यादातर लोग कृषि और ग्रामीण पृष्ठभूमि की खेती से जुड़े हुए हैं. बंदी सुधार के लिए जेल अधीक्षक द्वारा यह प्रयास है कि सजा पूरी होने के बाद ये लोग समाज की मुख्यधारा में फिर से वापस आ सकें. कैदियों के अंदर तकनीकी क्षमता पैदा करना है.

जिले में मशरूम उत्पादन बिक्री के लिए अब धीरेधीरे बाजार पैदा हो रहा है. इस को देखते हुए मशरूम आसानी से रोजगार दिलाने वाला नवाचार बनता जा रहा है, क्योंकि मशरूम उत्पादन के लिए जिले की जलवायु अनुकूल है. साथ ही, गांव में उपलब्ध बहुत मात्रा में गेहूं, उड़द, सोयाबीन एवं अन्य फसलों का भूसा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. अभी तक अपने जिले में तकरीबन 30 लोगों ने मशरूम जैसे ढिंगरी मशरूम, बटन मशरूम एवं दूधिया मशरूम का पैदा करना शुरू कर दिया है.

मशरूम एक 10×10 फीट आकार के बंद कमरे में आसानी से किया जा सकता है. मशरूम उत्पादन की तकनीक बेहद आसान और सस्ती है. ढाई सौ रुपए की लागत से 10 किलोग्राम भूसे से मशरूम पैदा करने में लगता है. 10 किलोग्राम भूसे से 8 किलोग्राम तक मशरूम पैदा किया जा सकता है, जिस की कीमत ढाई हजार रुपए तक होती है. मशरूम में कुपोषण को दूर करने की एवं खतरनाक रोगों से शरीर की रक्षा करने की क्षमता होती है.

कैदियों द्वारा प्रशिक्षण ले कर जेल में ही मशरूम लगाया गया है, जो 25 से 30 दिनों के बाद पैदा होने लगेगा. जेल अधीक्षक का कहना है कि मैनपावर यानी मानवशक्ति का उपयोग मशरूम उत्पादन में किया जाएगा, जिस से कैदियों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और तकनीकी क्षमता उन को समाज की मुख्यधारा में लौटा लाएगी. जेल में वैसे तो कई प्रकार के व्यावसायिक प्रशिक्षण होते रहते हैं, मगर टीकमगढ़ में कृषि और ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले कैदियों को देखते हुए उन के हिसाब से ऐसा पहली बार है. जेल अधीक्षक के सहयोग से कृषि विज्ञान केंद्र के साथ यह पहला प्रयोग शुरू किया गया है. आगे इस के अच्छे परिणाम की ओर देखा जा सकता है.

कैदियों ने खुद से भूसे और मशरूम बीज का प्रयोग कर के जेल की खाली पड़ी जगह पर उस को लगाया है और इस की आगे की ट्रेनिंग अन्य कैदियों की सीखे हुए कैदियों द्वारा की जाती रहेगी. तकनीकी मार्गदर्शन के रूप में केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा सहयोग मिलता रहेगा और अभी ढिंगरी मशरूम लगाया गया है, क्योंकि मशरूम की खेती मौसम, तापमान और नमी पर आधारित रहती है, इसलिए इस के बाद बटन और दूधिया मशरूम भी लगाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

सब्सिडी पर खरीदें पराली प्रबंधन यंत्र

दमोह : किसान गेहूं, सोयाबीन, मक्का एवं धान आदि की फसल आने पर हार्वेस्टर चलने के बाद खेत में बचे हुए ठूंठ यानी फसल अवशेष (नरवाई) को जलाते हैं, जिस से पर्यावरण प्रदूषित होता है. मिट्टी के पोषक तत्व एवं लाभदायक जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं. इस के बचाव के लिए फसल के अवशेष (नरवाई) प्रबंधन करना अति आवश्यक है.

सहायक कृषि यंत्री, कृषि अभियांत्रिकी, दमोह ने बताया नरवाई प्रबंधन के लिए नवीन कृषि यंत्रों का प्रयोग करना लाभदायक है जैसे, रोटावेटर, मल्चर, श्रेडर के उपयोग से फसल अवशेष (डंठल) को मिट्टी में मिला देते हैं. सुपर सीडर यंत्र एक ऐसा नवीन कृषि यंत्र है, जिस में धान फसल की कटाई के बाद बिना खेत की तैयारी के रबी फसल की बोनी कर सकते हैं, जिस में समय एवं मेहनत कम लगती है. स्ट्रा रीपर यंत्र से गेहूं की हार्वेस्टर से कटाई करने के बाद खड़ी नरवाई में इस मशीन का उपयोग करने से पशुओं के लिए भूसा तैयार किया जाता है एवं नरवाई को जलाना नहीं पड़ता है.

उन्होंने आगे कहा कि इन यंत्रों के उपयोग से नरवाई प्रबंधन के साथसाथ मिट्टी की जलधारण क्षमता एवं जीवांश की मात्रा बढ़ जाती है. इस से मिट्टी की उपज बढ़ने के साथसाथ पशुओं के आहर की उपलब्धता हो जाती है. उपरोक्त सभी नरवाई प्रबंधन यंत्रों पर कृषि अभियांत्रिकी मध्य प्रदेश द्वारा अनुदान दिया जाता है. कृषि अभियांत्रिकी की वैबसाइट dbt.mpdage.org पर जा कर किसान अपना पंजीयन कर उपरोक्त यंत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं.

तय दर पर ही उर्वरक (Fertilizer) बेचें उर्वरक विक्रेता

नरसिहंपुर : यह जिला कृषि प्रधान है. जिले में खरीफ वर्ष 2024 में धान, सोयाबीन, उड़द, अरहर, मक्‍का, ज्‍वार आदि फसलें 2.20 लाख हेक्‍टेयर में बोनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जो शतप्रतिशत पूरा कर लिया गया है. वर्तमान में खरीफ फसलें पक कर तैयार हैं, जिन की कटाई व गहाई का काम चल रहा है.

जिले में रबी वर्ष 2024-25 में 3.20 लाख हेक्टेयर का लक्ष्‍य प्रस्‍तावित किया गया है. कुछ क्षेत्रों में खेत खाली हो गए हैं, जिन में रबी बोनी के काम के लिए खेत तैयार किए जा रहे हैं.

कलक्टर शीतला पटले के मार्गदर्शन में रबी सीजन के लिए जिले को लगातार उर्वरक (Fertilizer) की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है. वर्तमान में जिले में 37066 मीट्रिक टन यूरिया का भंडारण कर 32630 मीट्रिक टन यूरिया का वितरण किया जा चुका है, जो गत वर्ष इसी अवधि की तुलना में इस वर्ष अधिक है. इसी प्रकार जिले में 6571 मीट्रिक टन डीएपी का भंडारण कर 6514 मीट्रिक टन डीएपी का वितरण किया जा चुका है. कौम्प्लेक्‍स 7805 मीट्रिक टन डीएपी का भंडारण कर 6695 मीट्रिक टन का वितरण किया जा चुका है और एसएसपी 8884 मीट्रिक टन का भंडारण कर 6650 मीट्रिक टन डीएपी का वितरण किया जा चुका है.

जिले के किसान शासन द्वारा निर्धारित 266.50 रुपए यूरिया एवं 1350 रुपए डीएपी पर ही उर्वरक (Fertilizer) की खरीद करें. जिले से रबी वर्ष 2024-25 के लिए 65500 मीट्रिक टन यूरिया की मांग शासन से की गई है, जिस की आपूर्ति की जा रही है. जिले में लगातार उर्वरकों की रैक प्राप्‍त हो रही है.

जिले में डीएपी, एनपीके एवं म्यूरेट औफ पोटाश का भंडारण पर्याप्त मात्रा में है. जिले में डबल लौक को केंद्र से सभी सहकारी समितियों के केंद्रों को यूरिया की आपूर्ति की जा रही है. जो किसान समिति के सदस्य हैं, वे अपनीअपनी समितियों से उर्वरक (Fertilizer) की खरीद करें और बाकी किसान जिले के डबल लौक केंद्रों, विपणन सहकारी समिति, एमपी एग्रो एवं निजी विक्रेताओं के यहां से उर्वरक खरीद सकते हैं.

अधिकांश किसानों द्वारा केवल यूरिया एवं डीएपी उर्वरक (Fertilizer) का ही फसलों में उपयोग किया जा रहा है, जो केवल नाइट्रोजन, फास्फोरस तत्व की ही आपूर्ति करते हैं. पोटाश एक प्रमुख पोषक तत्व है, जिस का फसल के स्वास्थ्य एवं अनाज की गुणवत्ता से सीधा संबंध है. वर्तमान में कौम्प्लेक्स उर्वरक जैसे, 12:32:16, 20:20:0:13 आदि उपलब्ध हैं, जिस में नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश तीनों तत्व पाए जाते हैं, जो जिले में पर्याप्‍त भंडारित हैं. इसलिए किसान कौम्प्लेक्‍स उर्वरकों का उपयोग करें.

उपसंचालक, कृषि ने जिले के किसानों से अपील की है कि वे यूरिया का अनावश्यक भंडारण न करें. जिले में प्राप्त होने वाले उर्वरकों (Fertilizer) को मार्कफेड के डबल लौक, एमपी एग्रो के गोदाम, सहकारी समितियां एवं निजी विक्रेताओं के माध्यम से उर्वरकों (Fertilizer) का वितरण कार्य किया जा रहा है.

जिले के निजी विक्रेताओं के यहां 1580 मीट्रिक टन यूरिया एवं 1110 मीट्रिक टन कौम्प्लेक्‍स भंडारित है. किसान यूरिया उठाव के लिए अपनी भूमि की मूल ऋणपुस्तिका एवं आधारकार्ड साथ ले कर ही जाएं. उर्वरक (Fertilizer) खरीदते समय विक्रेता से कैश मैमो अवश्‍य लें. यदि किसी भी प्रतिष्ठान पर उर्वरक (Fertilizer) अधिक कीमत पर बेची जाती है, तो उस की सूचना संबंधित वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी या संबंधित तहसीलदार को दें. कलक्टर के मार्गदर्शन में जिले में उर्वरकों का औद्योगिक गैरकृषि कार्यो में उपयोग, कालाबाजारी, अवैध भंडारण में परिवहन रोकने के लिए टीम का गठन किया गया है, जो विशेष अभियान चलाया जा रहा है. निरीक्षण के दौरान अनियमितताएं पाए जाने पर उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 एवं आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम, 1955 के तहत ठोस वैधानिक कार्यवाही की जाएगी.

फलदार पेड़ों (Fruit trees) ने बढ़ाई जगत सिंह की आमदनी

सागर : मध्य प्रदेश में सिंचित जमीन और पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. ऐसे में सरकार की कोशिश किसानों को फल का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करने की है. मध्य प्रदेश में नंदन फलोद्यान योजना के तहत पात्र किसानों की निजी जमीन पर उद्यानिकी फलदार पौधों का फ़लोद्यान विकसित किया जाता है.

आज बात कर रहे हैं ग्राम पंचायत नयानगर के निवासी जगत सिंह की. उन्होंने बताया कि पूर्व में उन के खेत पर कुछ ही फलदार पेड़ थे. फिर उन के मन में विचार आया कि उन के खेत में भी बहुत से फलदार पेड़ हों और वे भी अपनी आमदनी बढ़ा सकें. लेकिन उन के पास फलदार पेड़ों (Fruit trees)को खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. तब उन्हें ग्राम पंचायत के द्वारा मध्य प्रदेश सरकार की नंदन फलोद्यान योजना के बारे में पता चला. योजना के तहत फलदार पेड़ों (Fruit trees) की खेती करने के लिए राशि स्वीकृत की जाती है. तब जगत सिंह ने अपने ग्राम पंचायत में आवेदन किया.

हितग्राही जगत सिंह की आजीविका की समस्या को देखते हुए नंदन फलोद्यान योजना के तहत उन्हें 1.67 लाख की राशि स्वीकृत की गई, जिस से जगत सिंह के द्वारा एक एकड़ भूमि पर 50 अमरूद, 10 नीबू, 30 आम एवं 10 आंवलों के पौघौं का रोपण किया गया.

उक्त काम के लिए योजना की राशि का उपयोग लिया गया है. जगत सिंह द्वारा उक्त पौधों की विधिवत देखभाल की गई, जिस से पौधे आज पेड़ के रूप में उन्हें फल देने लगे हैं. आज उन के खेत ने फलों के बागान का रूप ले लिया है, जिस से उन की आय के जरीए बनने लगे. हितग्राही किसान जगत सिंह पूरी तरह से संतुष्ट एवं खुश हैं.

विद्यार्थी पढ़ाई के साथ ही उद्योग लगाने की सोचें

सागर : कलक्टर संदीप जीआर के मार्गदर्शन में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस जागरूकता अभियान 2-11 अक्तूबर के दूसरे दिवस की गतिविधि के रुप में बालिकाओं की जीवन कौशल कार्यशाला आर्ट्स एंड कौमर्स कालेज में आयोजित की गई.

जिला कार्यक्रम अधिकारी बृजेश त्रिपाठी के मुख्य आतिथ्य में कालेज प्राचार्य सरोज गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यशाला में बालिकाओं को जीवन कौशल उन्नयन सबंधी जानकारी दी गई.

इस अवसर पर जिला उद्योग केंद्र के समन्वयक महेश पाल ने उद्योग विभाग की विभिन्न रोजगारमूलक योजनाओं के लाभ की योग्यता आवेदन की प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी गई.

बृजेश त्रिपाठी ने अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस जागरूकता अभियान की जानकारी देते हुए महिला एवं बाल विकास की स्वसहायता समूह एवं कौशल उन्नयन कार्यक्रमों की जानकारी दे कर बेटियों से आह्वान किया कि मोबाइल फोन पर फिल्मों की जानकारी न ले कर एआई से रोजगार की जानकारी मांगें.

प्राचार्य डा. सरोज गुप्ता ने महाविद्यालय की ओर से ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान एवं ‘कौशल उन्नयन शिक्षा’ कार्यक्रमों के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि महिलाओं के लिए रोजगार की अनेक योजनाएं शासन स्तर पर चलाई जा रही हैं और उद्योग विभाग उन्हें ऋण उपलब्ध करा रहे हैं. महाविद्यालय जन भागीदारी समिति’ के अध्यक्ष नितिन शर्मा ने महिला सशक्तीकरण के इस प्रयास को सतत रूप से चलाए जाने पर जोर दिया.

प्रो. अमर कुमार जैन ने अपने संचालन उद्बोधन में महाविद्यालयीन शिक्षा के रोजगारपरक कौशल उन्नयन पाठ्यक्रमों की जानकारी बेटियों को देते हुए कहा कि कौशलयुक्त हाथ कभी बेरोजगार नहीं रहते हैं.

उल्लेखनीय है कि महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, स्थानीय निकायों के समन्वय एवं सहयोग से 2 -11 अक्तूबर तक विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कलक्टर संदीप जीआर के मार्गदर्शन में किया जा रहा है. कार्यक्रम में डा. प्रतिभा जैन, अभिलाषा जैन, दीपक जौनसन, प्रतीक्षा जैन और राखी गौर उपस्थित रहीं.

सोयाबीन फसल नुकसान का मिलेगा मुआवजा

सीहोर : कलक्टर प्रवीण सिंह ने जिले में वर्षा के कारण सोयाबीन की फसल को हुए नुकसान के संबंध मे कृषि अधिकारियों की बैठक आयोजित की. बैठक में कृषि विभाग के उपसंचालक केके पांडे तथा फसल बीमा कंपनी एआईसी के प्रतिनिधि बीएल वर्मा सहित कृ‍षि विभाग के अन्य कृ‍षि अधिकारी उपस्थित थे.

बैठक में कलक्टर प्रवीण सिंह ने निर्देश दिए‍ कि वर्षा के कारण जिन स्थानों पर किसानों की सोयाबीन की फसलें खराब हुई हैं, उन खेतों का कृषि अधिकारी व फसल बीमा कंपनी के कर्मचारी सर्वे करें और फसल नुकसान का आंकलन कर किसानों को फसल बीमा का लाभ दिलाएं.

कलक्टर प्रवीण सिंह सिंह ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि यह काम पूरी गंभीरता से किया जाए. साथ ही, किसानों से भी फसल बीमा कंपनी के मोबाइल नंबरों और मोबाइल एप पर फसल नुकसानी की जानकारी दर्ज कराने के लिए कहा.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि फसल बीमा की शिकायत के लिए फसल बीमा कंपनी यानी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी के टोल फ्री नंबर और मोबाइल एप की जानकारी का व्यापक स्तर पर प्रचारप्रसार किया जाए.

बीमित किसान वर्षा एवं बाढ़ से प्रभावित फसलों के सर्वे के लिए टोल फ्री नंबर 14447 और मोबाइल एप से करें शिकायत

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत जिले के बीमित किसान वर्षा एंव बाढ़ से प्रभावित फसलों के सर्वे के लिए टोल फ्री नंबर 14447 और मोबाइल एप से शिकायत कर सकते हैं. किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के उपसंचालक ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत जिले के वे किसान जिन का बीमा है, वे वर्षा एंव बाढ़ से प्रभावित फसलों के सर्वे के लिए शिकायत अधिकृत टोल फ्री नंबर 14447 के माध्यम से सीधे बीमा कंपनी को शिकायत कर के प्रभावित फसल का सर्वे करने की सूचना दे सकते हैं.

टोल फ्री नंबर की अधिक व्यस्तता के करण जिन किसानों की शिकायत दर्ज नहीं हो रही हो, वे किसान मोबाइल से प्रभावित खेत के व्यक्तिगत फोटो, वीडियो अपलोड कर शिकायत दर्ज करा कर फसलों में हुई क्षति से फसल बीमा के लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

कृषि विभाग के उपसंचालक ने जानकारी दी कि प्ले स्टोर से मोबाइल पर Crop Insurance एप डाउनलोड करें. इस के बाद Continue Without Login में क्लिक करें. इस के बाद क्राप लास में जा कर शिकायतकर्ता द्वारा बेसिक जानकारी दे कर कंप्लेंट दर्ज कर सकते हैं.

किसान अधिक जानकारी के लिए अधिकृत एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी के जिला स्तरीय प्रतिनिधि के मोबाइल नंबर 8827530270 पर बात कर सकते हैं.

किसान डीएपी और यूरिया पर निर्भरता करें कम

झाबुआ : कलक्टर नेहा मीना के मार्गदर्शन में उपसंचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास एनएस रावत के द्वारा निरंतर प्रयास से जिले के किसानों को उन की आवश्यकता के अनुरूप उर्वरक की आपूर्ति भी की जा रही है और उर्वरक भंडारण एवं वितरण कार्य गतिशील है. अद्यतन स्थिति में जिले में 8927 मीट्रिक टन यूरिया, डीएपी, 2488 मीट्रिक टन, एनपीके 3040 मीट्रिक टन, एमओपी 521 मीट्रिक टन और एसएसपी 1624 मीट्रिक टन भंडारित हो कर जिले के किसानों के लिए उपलब्ध है.

रबी के सीजन में किसानों के द्वारा बोनी के समय आधार डोज के लिए उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है. विगत कई वर्षों से यह देखने में आया है कि किसानों द्वारा एक ही प्रकार के उर्वरक जैसे यूरिया, डीएपी, सुपर फास्फेट का ही प्रयोग किया जा रहा है. इस से एक ही प्रकार के उर्वरक के प्रति किसानों की निर्भरता बनी हुई है, जिस की पूर्ति अन्य उर्वरक जैसे 12:32:16 एवं 10:26:26 मिश्रित उर्वरकों का उपयोग कर किसान डीएपी एवं यूरिया पर निर्भरता कम कर सकते हैं. ये मिश्रित उर्वरक समितियों एवं बाजारों में निजी विक्रेताओं के पास भी आसानी से उपलब्ध रहते हैं.

रबी फसल गेहूं के लिए प्रति हेक्टेयर 120:60:40 किलोग्राम पोषक तत्व नत्रजन, सिंगल सुपर फास्फेट, पोटाश की आवश्यकता होती है. इन पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए किसान पहले विकल्प के रूप में 260 किलोग्राम यूरिया, 375 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 67 किलोग्राम पोटाश उर्वरक का उपयोग कर सकते है.

गेहूं फसल के लिए दूसरे विकल्प के रूप में किसान 168 किलोग्राम यूरिया, 188 किलोग्राम मिश्रित उर्वरक 12:32:16 एवं पोटाश 27 किलोग्राम उर्वरक का उपयोग कर सकते है, वहीं तीसरे विकल्प के रूप में किसान 150 किलोग्राम यूरिया, 20 किलोग्राम मिश्रित उर्वरक 10:26:26 एवं पोटाश 25 किलोग्राम उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं. इन तीनों विकल्पों से गेहूं फसल के लिए जरूरी तत्वों की पूर्ति की जा सकती है.

चना फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 20:60:00 किलोग्राम पोषक तत्व नत्रजन एवं सिंगल सुपर फास्फेट की आवश्यकता होती है. इन पोषक तत्वों की पूर्ति करने के लिए पहले विकल्प के रूप में 43 किलोग्राम यूरिया के साथ 375 किलोग्राम सिंगल सुपर फस्फेट का प्रयोग किया जा सकता है. दूसरे विकल्प के रूप में किसान 192 किलोग्राम मिश्रित उर्वरक 12:32:16 का उपयोग कर सकते है. वहीं तीसरे विकल्प के रूप में किसान 100 किलोग्राम यूरिया के साथ 100 मिश्रित उर्वरक 10:26:26 का उपयोग कर सकते है.

कृषि विभाग किसानों से आग्रह करता है कि उच्च गुणवत्ता वाले कृषि आदान उचित मुल्य पर अधिकृत विक्रेताओं से ही खरीदें और पक्का बिल अवश्य लें. अधिक जानकारी के लिए नजदीकी क्षेत्र के मैदानी अमलों, कृषि कार्यालय व कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं.

घटिया खादबीज की रोकथाम के लिए बनेगा कड़ा कानून

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रत्येक मंगलवार किसान और किसान संगठनों से संवाद के क्रम में पिछले दिनों नई दिल्ली में किसान संगठनों के सदस्यों से चर्चा की. उन्होंने किसान संगठनों के आए सभी अध्यक्ष, संयोजक व किसानों का स्वागत किया. किसान संगठनों ने कृषि की लागत कम करना, लाभकारी मूल्य देना, फसलों को पानी के भराव से बचाना, कीटनाशक व अच्छा बीज मिल सके और फसल को पशुओं से कैसे बचा सकें आदि के संबंध में चर्चा की व कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए.

उन्होंने आगे बताया कि किसान अनियंत्रित कीटनाशकों व उर्वरकों के उपयोग से धरती के स्वास्थ्य के खराब होने को ले कर भी चिंतित हैं और सरकारी योजनाओं की जानकारी सभी तक कैसे पहुंचे, ताकि सभी किसान उस का लाभ उठा पाएं.

किसानों ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा कि जानकारी के अभाव में कई बार किसान योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं. फसल बीमा योजना अच्छी योजना है, लेकिन सभी किसानों का बीमा नहीं हो पाता है. किसान क्रेडिट कार्ड पर पैसा मिलने के संबंध में भी किसानों ने सुझाव दिए हैं.

किसानों ने कई व्यावहारिक समस्याएं सामने रखी हैं, जैसे कि ट्रांफार्मर के जलने पर उसे समय सीमा में बदला जाए, ताकि फसल की सिंचाई प्रभावित न हो. किसानों ने फैक्टरियों से दूषित पानी निकलने और उस से फसलें या भूमिगत जल खराब होने की समस्या पर भी चर्चा की. यह चर्चा उन के लिए बहुत ही उपयोगी है, क्योंकि किसानों की सेवा ही देश की सच्ची सेवा है.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों की समस्याएं ऐसी हैं कि दिखने में छोटी लगती हैं, लेकिन इन का समाधान हो जाए तो किसानों की 10 से 20 फीसदी आमदनी बढ़ जाएगी. इसलिए हम ने तय किया है कि जो केंद्र सरकार से संबंधित समस्याएं हैं, जैसे किसानों को घटिया कीटनाशक व बीज न मिलें, इस के लिए कानून को और कड़ा बनाने आदि को ले कर केंद्र सरकार विचार करेगी.

उन्होंने यह भी कहा कि कई चीजें ऐसी हैं, जो राज्य सरकारों को करनी हैं. किसानों के राज्यों से संबंधित सुझाव हम राज्य सरकारों को भेजेंगे.

fertilizer seeds

उन्होंने बताया कि किसानों ने मैनुअल सर्वे से रिकौर्ड को मेंटेन करने से होने वाली परेशानी से बचने को ले कर भी सुझाव दिए हैं, जो कि बहुत ही उपयोगी हैं. किसानों को धन्यवाद देता हूं कि वे चर्चा के लिए आए और उन्होंने अपने बहुमूल्य सुझाव दिए. हमें जो सुझाव मिले हैं, उन पर मिल कर काम करेंगे और समस्याओं के समाधान पर राज्य सरकारों के साथ मिल कर भी प्रयास करेंगे.

अमरूद की खेती से हो रही बंपर आमदनी

विदिशा : जिले के प्रगतिशील किसान थान सिंह यादव उद्यानिकी फसलों के प्रेरणास्रोत बने हैं. उन्होंने अपने खेतो में नवाचारों की फसल कर के दूसरे किसानों को इस ओर बढ़ने की लालसा बढ़ाई है. उदयगिरि गुफाओं के पास ही थान सिंह के खेतों में उद्यानिकी फसलें पर्यटकों का ध्यानाकर्षण कर रही हैं.

पर्यावरण में प्रत्यक्ष रूप से योगदान करने वाले किसान थान सिंह यादव ने जब से उद्यानिकी फसलों का दामन पकड़ा है, तब से आमदनी में चौगुना मुनाफा हो रहा है. उद्यानिकी विभाग की योजनाएं, प्रशिक्षण भ्रमण कार्यक्रमों से प्राप्त जानकारियों को सीधे खेतों में उतार कर प्रगतिशील किसान का ओहदा हासिल करने वाले सुनपुरा के किसान शासन की किसान हितैषी योजनाओं से पृथकपृथक प्रगति हासिल की गई है.

किसान थान सिंह यादव द्वारा साल 2017-18 मे उद्यान विभाग की सहायता से अनुदान पर अमरूद की एल-49, इलाहबादी सफेदा किस्म का चयन कर फल अनुसंधान केंद्र, ईटखेडी, भोपाल से पौधे लाए गए और इन को उच्च घनत्व मे 6 बाई 3 मीटर की दूरी पर रोपा गया. विभाग द्वारा अनुदान पर 0.500 हेक्टेयर में अमरूद फलोद्यान एवं ड्रिप लगाई गई. वर्ष 2021-22 से किसान को फलोद्यान से उत्पादन प्राप्त होने लगा. साल 2023 में तकरीबन 1.80 लाख रुपए की आमदनी प्राप्त की गई.

थान सिंह यादव बताते हैं कि ड्रिप लगाने से फलोद्यान मे 25-30 फीसदी उत्पादन बढ़ा. साथ ही, सभी पौधों को समान रूप से पानी उपलब्ध हो पाया, जिस से शतप्रतिशत पौधे जीवित रहे. फलोद्यान के रखरखाव में हर साल 50,000 रुपए खर्च आता है. इस प्रकार 1.20 लाख रुपए की शुद्ध आय प्राप्त करते हैं, जो कि कृषि फसलों की अपेक्षा दोगुना लाभ दे रही है. प्रगतिशील किसान थान सिंह यादव ने किसान हितैषी योजनाओं का लाभ उठाने का आह्वान किसानों से किया गया.

नैनो डीएपी से मिल रही अधिक पैदावार

शिवपुरी : किसान कप्तान धाकड़ ने कृषि वैज्ञानिकों से फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए आवश्यक सलाह ली. सलाह लेने के उपरांत उन्होंने अपने खेत में होने वाली फसलों में नैनो डीएपी का उपयोग करना शुरू किया. परिणामस्वरूप, अब वे नैनो डीएपी के उपयोग से अच्छी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने किसानों को भी सलाह दी है कि वे भी नैनो डीएपी का उपयोग कर सकते हैं.

तहसील शिवपुरी के ग्राम पिपरसमां निवासी कप्तान धाकड़ ने बताया कि उन्होंने नैनो डीएपी का उपयोग बीजोपचार में किया. बीजोपचार के बाद उन्हें इस के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए, तो उन्होंने दानेदार खाद्य की मात्रा कम कर दी, जिस से पौधे का अंकुरण सही ढंग से हुआ. अभी वर्तमान में भी वे अपने खेत में नैनो डीएपी का उपयोग कर रहे हैं, जिस से आज उन की फसल बिलकुल ठीक हुई है. जिस फसल में उन्होंने दानेदार का उपयोग नहीं किया और नैनो डीएपी का उपयोग किया, उस फसल में उन्हें अच्छा फायदा हुआ है. उन्होंने नैनो डीएपी का उपयोग टमाटर में भी किया. टमाटर में भी इस के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं.

उन्होंने किसानों को यही सलाह दी है कि गेहूं, सोयाबीन, चना आदि के लिए नैनो डीएपी का ही उपयोग करें. क्योंकि इस के उपयोग से बीज में सही अंकुरण होता है. पौधा भी सही रूप से विकसित होता है.