जबलपुर मंडी में हाथोंहाथ बिक रहे हैं छिंदवाड़ा केले (Chhindwara Bananas)

छिंदवाड़ा : जिले के हर्रई विकासखंड के ग्राम भुमका के आदिवासी किसान पूरनलाल इनवाती प्राकृतिक खेती से एक ओर जहां रसायनमुक्त फल सब्जी मार्केट में पहुंचा रहे हैं, तो वहीं लाखों रुपए का शुध्द मुनाफा भी कमा रहे हैं. किसान पूरनलाल इनवाती ने इस वर्ष एक एकड़ में प्राकृतिक पद्धति से केले की खेती कर 4 लाख रुपए का शुध्द मुनाफा कमाया है.

प्राकृतिक पद्धति से उन के द्वारा उगाए गए केले “छिंदवाड़ा केले” के नाम से जबलपुर मंडी में हाथोंहाथ बिक रहे हैं. केले के अलावा उन के द्वारा प्राकृतिक पद्धति से बैगन, टमाटर, मक्का की फसल भी लगाई गई है और आम, कटहल, आंवला, सेब, एप्पल बेर, ड्रैगन फ्रूट, नीबू, संतरा, काजू के पौधों का रोपण भी किया गया है.

किसान पूरनलाल इनवाती द्वारा ड्रिप पद्धति एवं फसल अवषेश का प्रबंधन कर पूरी तरह प्राकृतिक रूप से केले की टिशु कल्चर के द्वारा तैयार किस्म जी-9 लगाई गई है. साथ ही, फसल अवषेश प्रबंधन कर के मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारा जा रहा है. पिछले वर्ष आधा एकड में केले की प्राकृतिक खेती कर 2 लाख, 7 हजार रुपए का शुध्द मुनाफा प्राप्त किया गया था.

इस वर्ष एक एकड से 4 से 5 लाख रुपए का शुध्द मुनाफा प्राप्त होना बताया है. एक एकड़ में 800 पौधे लगाए हैं, प्रत्येक पौधे से औसतन 45 किलोग्राम फल प्राप्त हो रहे हैं, जिसे किसान द्वारा जबलपुर मंडी में औसतन 25 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव से विक्रय किया जा रहा है.

किसान द्वारा बताया गया कि हमारा प्राकृतिक केला जबलपुर मंडी में छिंदवाड़ा के केले के नाम से प्रसिद्ध है एवं व्यापारियों द्वारा हाथोंहाथ उचित दाम दे कर खरीद लिया जाता है. सामान्यतः जहां सामान्य केले की 15 से 18 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मंडी में खरीदी होती है, वहीं हमारा प्राकृतिक केला 25 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से हाथोंहाथ बिक रहा है.

किसान द्वारा प्राकृतिक विधि से बैगन, टमाटर एवं मक्का की फसल भी लगाई गई हैं, साथ ही आम, कटहल, आंवला, सेब, एप्पल बेर, ड्रेगन फ्रूट, नीबू, संतरा, काजू के पौधों का भी रोपण किया गया है. किसान द्वारा कड़कनाथ मुरगीपालन, बकरीपालन एवं मछलीपालन इकाई भी स्थापित कर समन्वित खेती की जा रही है.

इस प्रकार कुल लगभग 6 एकड़ जमीन से किसान द्वारा वर्ष में लगभग 10 लाख रुपए का शुध्द लाभ प्राप्त किया जा रहा है. इस से प्रेरणा ले कर जिले के अन्य किसान भी प्राकृतिक खेती को अपना कर एवं समन्वित खेती कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं.

किसान द्वारा की जा रही समन्वित खेती के इस उत्कृष्ट उदाहरण का अवलोकन पिछले दिनों जिले के अधिकारियों द्वारा भी किया गया. कलक्टर छिंदवाड़ा शीलेंद्र सिंह के निर्देशानुसार उपसंचालक, कृषि, जितेंद्र कुमार सिंह ने उद्यानिकी महाविद्यालय के डीन एवं सहसंचालक आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र, चंदनगांव के डा. आरसी शर्मा के साथ किसान पूरनलाल इनवाती के खेत मे पहुंच कर प्राकृतिक पद्धति से एक एकड़ में की जा रही केले की खेती का अवलोकन किया. भ्रमण के दौरान सचिन जैन अनुविभागीय कृषि अधिकारी अमरवाड़ा एवं स्थानीय किसान भी उपस्थित थे.

उचित दाम के लिए फसलों की ग्रेडिंग (Grading of Crops) जरूरी

जबलपुर : कलक्टर दीपक सक्सेना की अध्यक्षता में पिछले दिनों आत्मा गवर्निंग बोर्ड की बैठक आयोजित की गई. बैठक में कृषि विस्तार एवं सुधार कार्यक्रम के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई, जिस में कृषि, उद्यानिकी, मत्स्य और पशुपालन विभाग से संबंधित विषयों पर चर्चा कर आवश्यक निर्देश दिए.

बैठक में कलक्‍टर दीपक सक्‍सेना ने कहा कि किसानों को उन की फसल का उचित दाम मिले, इस के लिए फसलों की ग्रेडिंग की व्‍यवस्‍था हर ब्लौक में सुनिश्चित की जाए. मोबाइल ग्रेडिंग के माध्‍यम से किसानों को यह सुविधा उपलब्‍ध हो, ताकि वे अपनी फसल की ग्रेडिंग करें और फसल का सही दाम लें.

उन्‍होंने आगे कहा कि किसानों को एक फसल के बाद दूसरी फसल के लिए राशि की बहुत जरूरत पड़ती है, ऐसी स्थिति में यह बड़े कारगर सिद्ध होंगे. उन्‍होंने यह भी कहा कि किसान भ्रमण व प्रशिक्षण की जगह किसानों की फसल के मार्केटिंग किस प्रकार की जाए, इस बात पर विशेष ध्‍यान दें और अधीनस्‍थ अमला को भी इस बात की प्रशिक्षण दी जाए. सोरटेक्‍स मशीनों का प्रदर्शन करें और इस में वेयरहाउस वालों को भी जोड़ने के लिए कहा. बैठक में खरीफ के रकबा व उत्‍पादन लक्ष्‍य के बारे में भी जानकारी ली गई.

कलक्‍टर दीपक सक्‍सेना ने जानकारी देते हुए कहा कि मध्‍य प्रदेश में सोरटेक्‍स मशीनों के उपयोग की बहुत संभावनाएं हैं, यह मशीन पैट्रोल पंप की भांति जगहजगह होने से किसानों को अपनी फसल की ग्रेडिंग व मार्केटिंग के लिए उपयोगी सिद्ध होगा.

बैठक में उद्यानिकी, मत्‍स्‍य व पशुपालन आदि विषयों पर भी विस्‍तार से चर्चा की गई. बैठक में उपसंचालक, कृषि, एसके निगम, रवि आम्रवंशी, उपसंचालक उद्यानिकी नेहा पटेल, उप चालक पशुपालन मून, कृषि अभियांत्रिकी से एलएन मेहरा सहित अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद थे.

अनाज भंडारण क्षमता (Grain Storage Capacity) बढ़ाए जाने के लिए किया जा रहा प्रोत्साहित

बालाघाट : प्रभारी मंत्री उदय प्रताप सिंह ने 30 अगस्त, 2024 को जिला अधिकारियों के साथ सामूहिक रूप से बैठक आयोजित की. बैठक में उन्होंने जिले में धान भंडारण क्षमता बढ़ाने के निर्देश दिए.

कलक्टर मृणाल मीणा के निर्देशन में जिला पंचायत सभागृह में जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरसवार, उपाध्यक्ष योगेश राजा लिल्हारे एवं जिला पंचायत सीईओ डीएस रणदा द्वारा जिला आपूर्ति अधिकारी, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक नाबार्ड, कृषि विभाग, नागरिक आपूर्ति विकास निगम, मार्कफेड वेयरहाउस कारपोरेशन, एनआरएलएम, विपणन अधिकारी एवं जिले के राइस मिलर्स और वेयरहाउस संचालकों से चर्चा की गई, वहीं वेयरहाउस संचालकों व राइस मिलर्स व्यापारियों से उन के काम में आ रही समस्याओं की जानकारी ली गई, ताकि समस्याओं का जिले एवं शासन स्तर से निदान किए जाने के प्रयास किए जा सकें.

इस दौरान बताया गया कि जिले में अनाज भंडारण क्षमता बढ़ाए जाने के लिए वेयरहाउस निर्माण की आवश्यकता है, जिस के संबंध में बैंक लोन एवं नाबार्ड द्वारा दी जाने वाली अनुदान की जानकारी भी दी गई. जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वार ने कहा कि अधिकारियों एवं व्यापारियों को समन्वय कर अच्छी प्लानिंग करने की आवश्यकता है, जिस से दोनों को लाभ मिल सके.

भंडारण क्षमता बढ़ाना जरूरी
जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वार ने कहा कि भंडारण क्षमता कम होने के कारण अनाज दूसरे जिलों में भी भंडारित किया जाता है, जिस से शासन को ट्रांसपोर्ट का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है. यदि जिले में भंडारण क्षमता बढ़ जाती है, तो राइस मिलर्स को भी साल में 7 महीने मिलिंग का काम समय पर मिलेगा. साथ ही, शासन एवं व्यापारियों को भी नुकसान नहीं होगा.

इस दौरान व्यापारियों द्वारा बताया गया कि जब सोसाइटी में नई धान खरीदी की जाती है, तो उस समय धान उठाव के लिए दबाव रहता है, जबकि उस धान को मापदंड से अधिक नमी होते हुए भी उठाना पड़ता है. बाद में नमी कम होने से धान उठाने से व्यापारियों को नुकसान होता है. बैठक में ऐसे कई विषयों पर चर्चा की गई.

15 राज्यों में 17 लाख से अधिक औयल पाम पौधे (Oil Palm Saplings) रोपे गए

नई दिल्ली : राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-औयल पाम के तहत आयोजित मेगा औयल पाम प्लांटेशन ड्राइव के तहत भारत के 15 राज्यों में 12,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में 17 लाख से अधिक औयल पाम पौधे रोपे गए, जिस से 10,000 से अधिक किसान लाभान्वित हुए.

15 जुलाई, 2024 को शुरू किए गए इस अभियान ने देश में औयल पाम की खेती के विस्तार की दिशा में भारत सरकार, राज्य सरकारों और औयल पाम प्रसंस्करण कंपनियों के सामूहिक प्रयासों को प्रदर्शित करते हुए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. यह अभियान 15 सितंबर, 2024 तक चलेगा. इस में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा सहित कई राज्यों की भागीदारी देखी गई है.

पतंजलि फूड प्राइवेट लिमिटेड, गोदरेज एग्रोवेट और 3एफ औयल पाम लिमिटेड जैसी प्रमुख औयल पाम प्रोसैसिंग कंपनियों के सहयोग से राज्य सरकारों द्वारा आयोजित इस पहल में कई जागरूकता कार्यशालाएं, वृक्षारोपण अभियान और प्रचार कार्यक्रम शामिल हैं. इन गतिविधियों ने सफलतापूर्वक जागरूकता बढ़ाई है और किसान समुदाय को शामिल किया है. इस मिशन को महत्व देने वाले प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों और राजनीतिक नेताओं की उपस्थिति से और अधिक समर्थन मिला है.

भारत सरकार द्वारा अगस्त 2021 में शुरू किए गए खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन-औयल पाम (एनएमईओ-ओपी) का उद्देश्य व्यवहार्यता मूल्य समर्थन सहित औयल पाम क्षेत्र के विकास के लिए एक मूल्य श्रंखला पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित कर के औयल पाम की खेती का विस्तार करना और कच्चे पाम तेल (सीपीओ) के उत्पादन को बढ़ावा देना है. मेगा औयल पाम प्लांटेशन ड्राइव खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने, आयात निर्भरता को कम करने और भारतीय किसानों की आय बढ़ाने के लिए इस व्यापक रणनीति का एक प्रमुख घटक है.

सोयाबीन (Soybean) का भाव 5,000 रुपए से पार

नीमच : कृषि उपज मंडी समिति, नीमच में गांव निलीया (जावद) के किसान रामकिशन (मोबाइल नंबर 9907777510) की कृषि उपज सोयाबीन 5011 रुपए प्रति क्विंटल की दर से विक्रय हुई है, वहीं उपमंडी जीरन के किसान संदीप (मोबाइल नंबर 9770499259) की फसल सोयाबीन 5000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से विक्रय हुई है, जो कि अब तक पिछले 15 दिनों में विक्रय हुई सोयाबीन का सर्वाधिक मूल्य है, जिस से किसानों में प्रसन्नता देखी गई है.

मंडी समिति, नीमच और उपमंडी जीरन में 6 सितंबर, 2024 को कुल 221 किसानों द्वारा कुल 3666.57 क्विंटल सोयाबीन अधिकतम भाव 5011 रुपए और पशु आहार श्रेणी (NON-EAQ) न्यूनतम भाव 3420 रुपए से विक्रय की गई. 1 अप्रैल, 2024 से विगत माह तक लगभग 25,000 किसानों द्वारा 4 लाख क्विंटल सोयाबीन विक्रय की जा चुकी है.

नीमच मंडी सचिव उमेश बसेड़ि‍या ने उक्‍त जानकारी देते हुए बताया कि मंडी समिति, नीमच द्वारा निरंतर किसानों के हित में काम किए जा रहे हैं. अनेकों सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं. अधिक सुविधा के लिए नवीन मंडी डुंगलावदा में वर्तमान में गेहूं एवं प्याज की नीलामी करवाई जा रही हैं और जल्दी ही अन्य उपजों लहसुन, मक्का, सोयाबीन आदि की नीलामी करवाने की प्रक्रिया भी की जाएगी. नवीन मंडी में शेष काम भी शीघ्र ही पूर्ण कराते हुए किसानों और कारोबारियों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रयास कि‍ए जा रहे हैं.

सोयाबीन (Soybean)

कलक्‍टर ने किया जीरन मंडी का औचक निरीक्षण

जिले की कृषि‍ उपज मंडी में विक्रय के लिए आने वाले किसानों की सुविधाओं का पूरा ध्‍यान रखा जाए. उपज विक्रय में कोई असुविधा न हो. किसानों को उन की उपज का वाजिब दाम मिले. इस का मंडी प्रशासन विशेष ध्‍यान रखे.

यह निर्देश कलक्‍टर हिमांशु चंद्रा ने पिछले दिनों जीरन उपमंडी के निरीक्षण दौरान मंडी सचिव उमेश बसेड़िया को दिए. कलक्‍टर ने निर्देश दिए कि मंडी परिसर में स्‍वीकृत काम तेजी से पूरे करवाएं.

उन्‍होंने जीरन मंडी के लहसुन शेड में जा कर लहसुन की नीलामी की प्रक्रिया का अवलोकन भी किया. नीलामी में लहसुन का विक्रय 17,800 रुपए के भाव से होना पाया गया. कलक्‍टर ने मंडी सचिव से मंडी में विक्रय के लिए आने वाली सोयाबीन, लहसुन एवं अन्‍य जिंसों की दैनिक आवक, उन के भाव आदि की जानकारी ली.

कलक्‍टर हिमांशु चंद्रा ने जीरन मंडी के परिसर से लगी अतिरिक्‍त जमीन का अवलोकन किया और मंडी के विस्‍तार के लिए उपयोग करने का प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत करने के निर्देश भी दिए. साथ ही, मंडी में स्‍वीकृत निर्माण कार्यों की जानकारी भी ली.

वर्मी कंपोस्ट इकाई (Vermi Compost Unit) के लिए 50 हजार अनुदान

जयपुर : आधुनिक युग में खेती में रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है, जिस से मिट्टी की उर्वरता में कमी आ रही है. मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा वर्मी कंपोस्ट इकाई निर्माण की शुरुआत की गई है. इस से मिट्टी की जैविक व भौतिक स्थिति में सुधार लाया जा सकेगा. इस से मिट्टी की उर्वरता एवं पर्यावरण संतुलन बना रहेगा.

रासायनिक उर्वरकों से खेती की बढ़ती हुई लागत को कम करने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पारंपरिक खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिस से फसलों को उचित पोषण मिलने पर उन की वृद्धि होगी एवं किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी.

कृषि आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने के लिए किसानों को इकाई लागत का 50 फीसदी या अधिकतम 50 हजार रुपए का अनुदान दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5,000 वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

उन्होंने आगे बताया कि वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने के लिए किसान के पास एक स्थान पर न्यूनतम कृषि योग्य 0.4 हेक्टेयर भूमि का होना आवश्यक है. कृषक ‘राज किसान साथी’ पोर्टल या नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर जा कर जनाधार के माध्यम से औनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इस के लिए किसान के पास न्यूनतम 6 माह पुरानी जमाबंदी होना आवश्यक है.

उल्लेखनीय है कि जैविक खेती कम खर्च में उत्पादन बढ़ाने का साधन है. जैविक खाद द्वारा मिट्टी के साथ मनुष्य की सेहत भी दुरुस्त रहती है. और्गेनिक फार्मिंग से मिट्टी की संरचना बेहतर रहती है और पर्यावरण को भी लाभ होता है. इस से मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या और भूजल स्तर भी ठीक बना रहता है.

कृषि यंत्र (Agricultural Equipment) खरीद पर मिलेगा 50 फीसदी अनुदान

जयपुर: खेती–किसानी में कृषकों द्वारा बुआई, जुताई और बिजाई जैसे कठोर कार्य किये जाते हैं. इन्हीं कार्यो को सुगम बनाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन योजना के प्रावधानों के अन्तर्गत किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों पर अनुदान देकर लाभान्वित किया जायेगा, जिससे किसानों पर आर्थिक भार कम पडेगा और कृषि कार्य आसान हो जायेंगे साथ ही किसानों की आय में भी वृद्धि होगी.

कृषि आयुक्त कन्हैया लाल स्वामी ने बताया कि योजना के अन्तर्गत राज्य में लगभग 66 हजार किसानों को 200 करोड़ रूपये का अनुदान दिये जाने का प्रावधान रखा गया है. इसके लिए कृषक 13 सितम्बर तक ऑनलाईन आवेदन कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि कृषि यंत्रों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु, सीमान्त एवं महिला किसानों को ट्रेक्टर की बीएचपी के आधार पर लागत का अधिकतम 50 प्रतिशत तक तथा अन्य श्रेणी के कृषकों को लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जायेगा. लघु एवं सीमान्त श्रेणी के किसानों को ऑन-लाईन आवेदन से पूर्व जन आधार में लघु एवं सीमान्त श्रेणी जुड़वाना आवश्यक है, आवेदन के दौरान उक्त प्रमाण पत्र संलग्न करना होगा.

कृषि आयुक्त ने बताया कि राज किसान साथी पोर्टल पर ई-मित्र के माध्यम से जनाधार कार्ड, जमाबंदी की नकल, कृषि यंत्र का कोटेशन आदि दस्तावेजों की सहायता से ऑन-लाईन आवेदन कर सकते हैं. किसानों को राज्य में प्रचलित ट्रैक्टर संचालित सभी प्रकार के कृषि यंत्र जैसे रोटावेटर, थ्रेसर, कल्टीवेटर, बंडफार्मर, रीपर, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, डिस्क हेरो, प्लॉउ आदि यंत्रों पर अनुदान दिया जायेगा. किसान द्वारा कृषि यंत्रों को पंजीकृत फर्म से खरीदने तथा सत्यापन के बाद अनुदान उनके जनाधार से जुड़े बैंक खाते में हस्तान्तरित किया जायेगा.

एक जन आधार पर होगा एक आवेदन

एक किसान को एक प्रकार के कृषि यंत्र पर तीन वर्ष की कालावधि में केवल एक बार अनुदान दिया जायेगा. किसानों को वित्तीय वर्ष में एक ही कृषि यंत्र पर अनुदान दिया जायेगा. प्रशासनिक स्वीकृति जारी करने से पूर्व खरीदे गये पुराने कृषि यंत्रों पर अनुदान नही दिया जायेगा.

एक जन आधार द्वारा एक ही आवेदन स्वीकार होगा कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए किसान के नाम भूमि और ट्रेक्टर चलित यंत्र पर अनुदान के लिए ट्रेक्टर का रजिस्ट्रेशन आवेदक किसान के नाम होना आवश्यक है.

फसल की जानकारी MPKISAN App से दर्ज कर सकेंगे किसान

सीहोर : किसान निश्चिंत हो कर अपनी फसल की जानकारी MPKISAN App के माध्यम से दर्ज कर सकेंगे. किसान “मेरी गिरदावरी-मेरा अधिकार” में अब इस जानकारी का उपयोग फसल हानि, न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना, भावांतर योजना, किसान क्रेडिट कार्ड और कृषि ऋण में किया जाएगा. किसान की इस जानकारी का आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एवं पटवारी से सत्यापन होगा.

“मेरी गिरदावरी-मेरा अधिकार” में किसान को यह सुविधा उपलब्ध करवाई गई है कि वे अपने खेत से ही स्वयं फसल की जानकारी एमपीकिसान एप पर दर्ज कर अपनेआप को रजिस्टर सकते हैं. इस एप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है.

किसान एप पर लौग इन कर फसल स्वघोषणा, दावा आपत्ति औप्शन पर क्लिक कर अपने खेत को जोड़ सकते हैं. खाता जोड़ने के लिए प्लस औप्शन पर क्लिक कर जिला/तहसील/ग्राम/खसरा आदि का चयन कर एक या अधिक खातों को जोड़ा जा सकता है. खाता जोड़ने के बाद खाते के समस्त खसरा की जानकारी एप में उपलब्ध होगी. उपलब्ध खसरा की जानकारी में से किसी भी खसरे पर क्लिक करने पर एआई के माध्यम से जानकारी उपलब्ध होगी.

किसान के सहमत होने पर एक क्लिक से फसल की जानकारी को दर्ज किया जा सकेगा. संभावित फसल की जानकारी से असहमत होने पर खेत में बोई गई फसल की जानकारी खेत में उपस्थित हो कर लाइव फोटो के साथ दर्ज की जा सकती है.

फसलों में कीटरोग नियंत्रण के लिए अपनाएं एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन तकनीक

शिवपुरी : भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, मुरैना द्वारा दोदिवसीय आईपीएम ओरिएंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम पिछले दिनों कृषि विज्ञान केंद्र, शिवपुरी में आयोजित किया गया.

कार्यक्रम का उद्घाटन वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र, शिवपुरी के डा. पुनीत कुमार, अतिथि के रूप में उपसंचालक, कृषि, यूएस तोमर और केंद्र के प्रभारी अधिकारी सुनीत कुमार कटियार द्वारा किया गया.

केंद्र के प्रभारी अधिकारी सुनीत कटियार द्वारा आईपीएम की विभिन्न तकनीक जैसे सस्य, यांत्रिक, जैविक और रासायनिक विधियों का क्रमिक उपयोग और महत्ता के बारे में बताया. आईपीएम के महत्व, आईपीएम के सिद्धांत एवं उस के विभिन्न आयामों सस्य, यांत्रिक जैसे येलो स्टिकी, ब्लू स्टिकी, फैरोमौन ट्रैप, फलमक्खी जाल, विशिष्ट ट्रैप, ट्राइकोडर्मा से बीजोपचार के उपयोग के बारे में और जैविक विधि, नीम आधारित एवं अन्य वानस्पतिक कीटनाशक और रासायनिक आयामों के इस्तेमाल के विषय में विस्तार से बताया गया.

उन्होंने आगे कहा कि किसान फसलों में रासायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं, जिस से मनुष्यों में तमाम तरह की बीमारियां जैसे कैंसर इत्यादि बहुत तेजी से बढ़ी है. इसलिए हमें किसानों को जागरूक करना है कि रासायनिक कीटनाशकों को अनुशंसित मात्रा में ही उपयोग करें.

वनस्पति संरक्षण अधिकारी प्रवीण कुमार यदहल्ली द्वारा जिले में चूहे का प्रकोप एवं नियंत्रण और फौलआर्मी वर्म के प्रबंधन, मित्र एवं शत्रु कीटों की पहचान के बारे में बताया गया.

सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी अभिषेक सिंह बादल द्वारा जिले की प्रमुख फसलों के रोग और कीट व प्रबंधन, मनुष्य पर होने वाले कीटनाशकों का दुष्प्रभाव और कीटनाशकों का सुरक्षित और विवेकपूर्ण उपयोग, साथ ही साथ केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति द्वारा अनुमोदित रसायन का कीटनाशकों के लेवल एवं कलर कोड पर आधारित उचित मात्रा में ही प्रयोग करने का सुझाव दिया. साथ ही, भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के एनपीएसएस (नेशनल पेस्ट सर्विजिलेंस सिस्टम) एप के उपयोग एवं महत्व की जानकारी दी गई.

कार्यक्रम के दौरान केंद्र के अधिकारियों द्वारा आईपीएम प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया. जागरूकता के लिए किसानों को फैरोमौन ट्रैप, ल्यूर, जैविक कीटरोग नियंत्रण के लिए उपयोगी सामग्री जैसे ब्यूवेरिया बेसियाना, माइकोराइजा, ट्राइकोडरमा, फल छेदक कीट नियंत्रण के लिए विशेष फैरोमौन ट्रैप इत्यादि भी सैंपल के रूप में दिए गए.

प्रशिक्षण समन्वयक डा. एमके भार्गव, वरिष्ठ वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान) द्वारा समन्वित कीटरोग नियंत्रण के आयामों के साथसाथ प्राकृतिक खेती की ओर भी जागरूकता के बारे में बतलाया गया. वैज्ञानिक (पौध संरक्षण) जेसी गुप्ता द्वारा भी प्राकृतिक खेती में फसल सुरक्षा घटकों की जानकारी दी गई, जिस में आईपीएम के विभिन्न आयामों का प्रदर्शन किया गया.

कार्यक्रम के दूसरे दिन किसानों को खेत भ्रमण करा कर कृषि पारिस्थितिकी तंत्र विश्लेषण के बारे में बताया गया. कार्यक्रम में 70 से अधिक प्रगतिशील किसानों और राज्य कृषि कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया.

29 अगस्त को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में कृषि विज्ञान केंद्र, शिवपुरी पर वृक्षारोपण भी किया गया, जिस में आंवला, नीम एवं बकाइन के पौधे रोपित किए गए.

गौपालन किसानों के लिए लाभकारी

झाबुआ : महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने पिछले दिनों ग्राम पंचायत बलोला के ग्राम मातासुला बारिया में 23.32 लाख रुपए की लागत से बन रही “श्री कृष्ण गोशाला” का शुभारंभ किया. उन्होंने गोशाला परिसर में संचालक व अन्य नागरिकों के साथ “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के अंतर्गत पौध रोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया.

महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि गाय हर किसान को पालनी चाहिए. वह हम सब की पालक है. वह पौष्टिक दूध तो देती ही है, साथ ही साथ उस का गोबर भी हमारे लिए उपयोगी होता है. वह जहां बैठती है, उस के आसपास का वातावरण भी शुद्ध कर देती है.

उन्होंने आगे कहा कि गाय को प्राचीन भारत और वर्तमान समय में भी समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. प्रदेश सरकार गोशालाओं का निर्माण करा कर गायपालन को बढ़ावा दे रही है.

मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि कृषि क्षेत्र में किसानों के लिए गौपालन लाभदायक माना जाता है. गाय के गोबर का उपयोग खेतों में उर्वरक के रूप में भी किया जाता है. इस के अलावा गोबर को सुखाया जाता है और ईंधन के काम में लाया जाता है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि फसलों के लिए गोमूत्र सब से अच्छा उर्वरक है. गाय का घी और गोमूत्र का उपयोग कई आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में भी किया जाता है.

इस अवसर पर वरिष्ठ जनप्रतिनिधि छीतु सिंह मेड़ा, जिला पंचायत सदस्य वालसिंह मसानिया, ओंकार डामोर, चेनसिंह बारिया, किरन बेन, सरपंच हिंगली बाई, किशोर शाह सहित बड़ी संख्या में गांव वाले और अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे.