मध्य प्रदेश को फिर मिला “सोया प्रदेश” का ताज

इंदौर : मध्य प्रदेश ने सोयाबीन उत्पान में अपने निकटतम प्रतियोगी राज्यों महाराष्ट्र और राजस्थान को पीछे छोड़ते हुए फिर से ”सोयाबीन प्रदेश” बनने का ताज हासिल कर लिया है. भारत सरकार के जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश 5.47 मिलियन टन सोयाबीन उत्पादन के साथ पहले नंबर पर आ गया है. देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में मध्य प्रदेश का योगदान 41.92 फीसदी है. महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है, जबकि राजस्थान तीसरे नंबर पर.

पिछले 2 सालों में मध्य प्रदेश में सोयाबीन उत्पादन में कमी आने से मध्य प्रदेश पिछड़ गया था. वर्ष 2022-23 में महाराष्ट्र 5.47 मिलियन टन उत्पादन के साथ पहले स्थान पर था और देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में 42.12 फीसदी का योगदान था, जबकि मध्य प्रदेश 5.39 मिलियन टन के साथ दूसरे नंबर पर था.

इस के पहले साल 2021-22 में भी महाराष्ट्र 6.20 मिलियन टन उत्पादन के साथ पहले स्थान पर था और देश के सोयाबीन उत्पादन में 48.7 फीसदी का योगदान था, जबकि मध्य प्रदेश 4.61 मिलियन टन के साथ दूसरे नंबर पर था.

प्रदेश में सोयाबीन का रकबा साल 2022-23 की अपेक्षा साल 2023-24 में 1.7 फीसदी बढ़ा है और क्षेत्रफल पिछले साल 5975 हजार हेक्टेयर से बढ़ कर साल 2023-24 में 6679 हेक्टेयर हो गया है. सोयाबीन का क्षेत्रफल बढ़ने से उत्पादन भी बढ़ा. पिछले साल 2022-23 में सोयाबीन उत्पादन 6332 हजार मीट्रिक टन से बढ़ कर साल 2023-24 में 6675 हजार मीट्रिक टन हो गया.

पिछले कुछ सालों में सोयाबीन उत्पादन और क्षेत्रफल में उतारचढ़ाव होता रहा. सोयाबीन के क्षेत्रफल में साल 2018-19 की तुलना में साल 2019-20 में 14.30 फीसदी की वृद्धि हुई. सोयाबीन क्षेत्रफल साल 2018-19 में 5019 हजार हेक्टेयर था, जो साल 2019-20 में बढ़ कर 6194 हजार हेक्टेयर हो गया. इसी दौरान सोयाबीन का उत्पादन साल 2018-19 में 5809 हजार मीट्रिक टन था, जो बढ़ कर साल 2019-20 में कम हो कर 3856 मीट्रिक टन हो गया.

पशुपालन (Animal husbandry) से मीरा की आमदनी हुई डेढ़ लाख रुपए सालाना

निवाड़ी: शासन द्वारा संचालित एनआरएलएम के अंतर्गत स्वयंसहायता समूह से जुड़ कर अन्य दीदियों के साथ ही निवाड़ी जिल के गांव रामनगर की रहने वाली मीरा अहिरवार की खेती एवं पशुपालन से न्यूनतम आय सालाना लगभग डेढ़ लाख रुपए से अधिक हो गई. आजीविका मिशन से जुड़ने से उन्हें जो सहारा मिला, उस के कारण आज वे इस स्थिति में पहुंच गई हैं कि उन्हें पूरा समाज जानने एवं पहचानने लगा है. आज वे अपने परिवार को एक खुशहाल जिंदगी जीने का अवसर दे पा रही हैं.

पशुपालक मीरा ने बताया कि समूह से जुड़ कर उन्होंने 10 रुपए की साप्ताहिक बचत से शुरुआत की एवं समूह से छोटेबड़े लोन ले कर अपने परिवार की जरूरत को पूरी किया. समूह से जुड़ने के बाद समूह द्वारा उन्हें पहली बार 1000 रुपए की आरएफ राशि मिली, जिसे उन्होंने एक महीने बाद चुका दिया. इस के बाद उन्होंने समूह से 10000 रुपए लिए और उन रुपयों से सब से पहले जैविक खाद उपयोग कर खेत की उर्वराशक्ति बढ़ाई गई.

इस के लिए उन्होंने एक भैंस एवं कुछ बकरियां लीं, जिस से और आमदनी बढ़ी और समूह से लिया गया पैसा समय पर चुका दिया. उन्होंने बताया कि मुझे साल में लगभग डेढ़ लाख रुपए से अधिक आय हो रही है.

आधुनिक तकनीक से रजिस्ट्री सब से पहले मध्य प्रदेश में शुरू

सागर : मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा है कि नागरिकों की सुविधा के लिए प्रांतव्यापी चलाए गए राजस्व महाभियान के 2 चरण कारगर सिद्ध हुए हैं. जमीन संबंधी मामलों के त्वरित निराकरण के उद्देश्य के साथ चलाए गए राजस्व महाभियानों में 80 लाख राजस्व प्रकरणों का निराकरण किया गया है. उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण करने का काम देश में सब से पहले मध्य प्रदेश ने शुरू किया है.

डा. मोहन यादव ने नागरिकों को उत्तम सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों की टीम को बधाई दी और उन सभी नागरिकों को भी बधाई दी है, जिन के लंबित मामलों का निराकरण हुआ है.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार जनसेवा और आमजन की समस्याओं के निराकरण के लिए प्रतिबद्ध है. राजस्व प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए 18 जुलाई से 31 अगस्त तक संचालित राजस्व महाभियान 2.0 में नामांतरण, बंटवारा, अभिलेख दुरुस्ती और नक्शा तरमीम के 49 लाख, 15 हजार, 311 मामलों का निराकरण किया गया. साथ ही, 88 लाख से अधिक ई-केवाईसी पूरी की जा चुकी हैं. इस से पहले राजस्व महाभियान 1.0 में 30 लाख से अधिक राजस्व प्रकरणों का निराकरण किया गया था.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के निर्देश पर राजस्व महाभियान का पहला चरण 15 जनवरी से 15 मार्च, 2024 तक जारी रहा. इस दौरान 30 लाख से ज्यादा राजस्व प्रकरणों का निराकरण हुआ. पहले चरण के राजस्व महाभियान की सफलता एवं जनता की सराहना मिलने पर मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने दूसरे चरण का राजस्व महाभियान शुरू करने के निर्देश दिए. यह अभियान 18 जुलाई से 31 अगस्त, 2024 तक चला. इस में राजस्व न्यायालयों में समयसीमा पर लंबित नामांतरण, बंटवारा, अभिलेख दुरुस्ती के प्रकरणों का सौ फीसदी निराकरण किया गया. साथ ही, नक्शे पर तरमीम उठाना और खसरे की समग्र आधार से लिंकिंग का काम किया गया.

महाभियान में स्वामित्व योजना के तहत आबादी भूमि के सर्वे का काम, फार्मर रजिस्ट्री का क्रियान्वयन और पीएम किसान में सभी हितग्राहियों को शामिल करने का काम भी किया गया. राज्य, संभाग, जिला और तहसील स्तर पर प्रतिदिन प्रकरणों के निराकरण की सतत मौनिटरिंग राजस्व महाभियान डैशबोर्ड के माध्यम से की गई.

36 जिलों में शतप्रतिशत लंबित नामांतरण प्रकरणों का किया गया निराकरण

अलीराजपुर, उज्जैन, उमरिया, खरगौन, गुना, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, झाबुआ, टीकमगढ़, डिंडोरी, दतिया, दमोह, देवास, नर्मदापुरम, निवाडी, नीमच, पन्ना, पांढुरना, बड़वानी, बालाघाट बुरहानपुर, बैतूल, भिंड, भोपाल, मंडला, मऊगंज, मंदसौर, मुरैना, मैहर, रतलाम, राजगढ़, रायसेन, विदिशा, शहडोल, श्योपुर, सतना जिलों में लंबित नामांतरण प्रकरणों का सौ फीसदी निराकरण किया गया है. बाकी जिलों में 99 फीसदी से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया गया है. इस प्रकार कुल 99.98 फीसदी लंबित नामांतरण प्रकरणों का निराकरण राजस्व महाभियान 2.0 में किया गया है.

बंटवारा प्रकरणों का सभी जिलों में शत-प्रतिशत निराकरण

बंटवारा लंबित बंटवारा प्रकरणों का शतप्रतिशत निराकरण समस्त जिलों द्वारा किया गया है. अभिलेख दुरुस्ती लंबित अभिलेख दुरुस्ती प्रकरणों का भी शतप्रतिशत निराकरण समस्त जिलों द्वारा किया गया है. इसी प्रकार बुरहानपुर, खंडवा, पांढुरना, सिवनी, बैतूल, झाबुआ जिलों में लंबित नक्शा तरमीम के 50 फीसदी से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया गया है.

राइस मिल (Rice Mill) से दीपेंद्र तिवारी का सपना हुआ साकार

अनूपपुर : ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासन की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना है. यह योजना स्वयं का उद्योग स्थापित कर लोगों में नई जीवन जीने की प्रेरणा भी देती है.

अनूपपुर जिले के गांव लतार के बाशिंदे दीपेंद्र प्रसाद तिवारी पिता गजेंद्र प्रसाद तिवारी, जिन का राइस मिल खोलने का सपना था, परंतु आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वे यह सपना पूरा नहीं कर पा रहे थे.

उन्होंने बताया कि वे रोजगार के लिए दूसरों के यहां छोटीमोटी नौकरी करते थे और अपने परिवार का पालनपोषण करते थे. नौकरी से उन के परिवार की आवश्यकताएं एवं जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थीं. वे अत्यंत परेशान रहते थे. तब उन के एक दोस्त ने उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के जनहितकारी योजना प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना की जानकारी दी और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से मिल कर योजना का लाभ लेने की सलाह दी.

उस के बाद उन्होंने उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर मिनी राइस मिल खोलने के लिए फार्म भरा और उन्हें बैंक द्वारा योजना के माध्यम से 2 लाख रुपए का लोन प्राप्त हुआ. योजना के तहत उन्हें 70,000 रुपए की अनुदान राशि भी मुहैया कराई गई.

उन्होंने बताया कि उन्हीं पैसों से अपना सपना साकार कर मिनी राइस मिल लगाया और अब हर महीने वे 30 से 40 हजार रुपए की आमदनी ले रहे हैं. उन्होंने 3 लोगों को श्रमिक के रूप में रोजगार भी मुहैया कराया है.

सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार 2023-24 के लिए 20 सितंबर तक करें आवेदन

देवास : कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम “आत्मा”  के अंतर्गत सर्वोत्तम कृषक समूह एवं सर्वोत्तम कृषक कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, कृषि अभियांत्रिकी एवं मत्स्य में पुरस्कार के लिए आवेदन 20 सितंबर तक आमंत्रित किए गए हैं.

परियोजना संचालक, आत्मा, मथुरालाल सोलंकी ने बताया कि जिला स्तरीय सर्वोत्तम कृषक समूह, जिला स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार एवं विकासखंड स्तरीय कृषक पुरस्कार निर्धारित आवेदन फार्म विकासखंड के ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेजर/असिस्टेंट टैक्नोलौजी मैनेजर (आत्मा), ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं संबंधित विभाग से प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही, वर्ष 2023-24 पुरस्कार के लिए किसानों द्वारा अपनाई गई कृषि तकनीकी, उपज एवं उत्पादकता के आधार पर इच्छुक किसानों से पुरस्कार के लिए बंद लिफाफे में प्रविष्टि विकासखंड के ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेजर/असिस्टेंट टैक्नोलौजी मैनेजर (आत्मा) को 20 सितंबर तक प्रस्तुत करें.

परियोजना संचालक, आत्मा, मथुरालाल सोलंकी ने बताया कि विकासखंड स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार (प्रत्येक विकासखंड से 5 किसान) के लिए 10,000 रुपए की राशि, जिला स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार (जिले से 5 किसान, कृषि एवं अनुशांगिक क्षेत्र में) 25,000 रुपए, राज्य स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार के लिए 50,000 रुपए की राशि निर्धारित की गई है और जिला स्तरीय सर्वोत्तम कृषक समूह पुरस्कार (जिले से 5 किसान समूह कृषि एवं अनुशांगिक क्षेत्र में) के लिए 20,000 रुपए की राशि निर्धारित है.

अधिक जानकारी के लिए विकासखंड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी/ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेज, आत्मा/ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.

किसानों ने सीखी उन्नत बीज उत्पादन तकनीक

मऊ : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – भारतीय बीज विज्ञान संस्थान, कुशमौर, मऊ में 2 सितंबर से 6 सितंबर, 2024 तक पांचदिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. यह कार्यक्रम कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (ATMA), भोजपुर, बिहार द्वारा प्रायोजित था.

निदेशक डा. संजय कुमार के मार्गदर्शन में 3 सितंबर, 2024 को इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रधान वैज्ञानिक डा. अंजनी कुमार सिंह से किसानों ने गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन के सामान्य सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्राप्त की. किसानों ने वैज्ञानिक डा. बनोथ विनेश से संकर बीज उत्पादन तकनीक के गुर सीखे.

संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र बेंगलुरु से वैज्ञानिक डा. मंजनगौड़ा ने औनलाइन माध्यम से प्रमुख फसलों के गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन के लिए कृषि संबंधी पद्धतियों के बारे में किसानों को बताया. वैज्ञानिक डा. कल्याणी कुमारी ने बीज के गुणवत्ता निर्धारण के लिए प्रायोगिक तकनीकें जैसे भौतिक शुद्धता, नमी, व्यवहार्यता आदि की जानकारी दी. किसानों ने बीज प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला में बीज गुणवत्ता निर्धारण की प्रायोगिक तकनीकें सीखीं.

वैज्ञानिक डा. आलोक कुमार ने किसानों को बीज गुणवत्ता अवलोकन, बीज प्रबंधन के विभिन्न चरणों के दौरान प्रभावित करने वाले घटक, कारक और इस के रखरखाव के बारे में बताया. संस्थान के अन्य वैज्ञानिकों के साथ किसानों ने चर्चा की और लाभान्वित हुए.

विकसित भारत का निर्माण विकसित खेती के बिना नहीं

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूसा, नई दिल्ली में एग्रीश्योर फंड और कृषि निवेश पोर्टल का शुभारंभ किया. शिवराज सिंह चौहान ने विभिन्न श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बैंकों और राज्यों को उन के प्रयासों की सराहना करते हुए एआईएफ उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किए. इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी और राम नाथ ठाकुर और सचिव देवेश चतुर्वेदी भी मौजूद थे.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, तो किसान उस के प्राण है. देश की जीडीपी में 18 फीसदी योगदान आज भी कृषि का है. किसान सब से बड़ा उत्पादक भी है और उपभोक्ता भी है. 50 फीसदी से ज्यादा लोग खेती पर जिंदा हैं.

कृषि मंत्री और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने खेती में आय दोगुनी करने का अभियान शुरू किया है और उन के पास किसानों के लिए 6 सूत्र हैं, जिन पर वे काम कर रहे हैं. पहला, उत्पादन बढ़ाना, जिस के लिए अच्छे बीज जरूरी हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने 65 फसलों के बीजों की 109 प्रजातियां किसानों को दी हैं.

उन्होंने बताया कि चावल की एक किस्म ऐसी है, जिसे 30 फीसदी कम पानी की जरूरत होती है. बाजरा की एक किस्म ऐसी है, जिस की फसल 70 दिन में तैयार हो जाती है. ये ऐसे बीज हैं, जो जलवायु के अनुकूल हैं और बढ़ते तापमान में भी बेहतर उत्पादन देते हैं.

शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि उत्पादन की लागत कम करना प्रधानमंत्री मोदी का दूसरा संकल्प है, वहीं तीसरा संकल्प उपज की वाजिब कीमत दिलाना है.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि का विविधीकरण सरकार के रोडमैप में है और हम परंपरागत फसलों के साथसाथ अधिक आय वाली फसलों को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. हम नए विचारों के साथ किस तरह से खेती में प्रयोग कर सकते हैं, हम कब तक रासायनिक खाद का उपयोग करते रहेंगे? इस से उर्वराशक्ति भी कम होती है और उत्पादन व इनसान के शरीर पर प्रतिकूल असर पड़ता है.

उन्होंने आगे कहा कि दूसरा उत्पादन की लागत कम करना. कम लागत कर के किसान को फायदा होगा और उस दिशा में सरकार कदम उठा रही है. अलगअलग तरह की कृषि पद्धतियों में लागत कम करने के लिए ही सब्सिडी बैंकों को दी जा रही है. किसान को यूरिया की एक बोरी खरीदने पर 2,100 रुपए की सब्सिडी मिलती है. 2,125 करोड़ रुपए का एक स्पैशल पैकेज दिया गया, जिस से खाद की कीमत न बढ़े और लागत कम हो.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तीसरा, किसान को अच्छे दाम मिल जाए, एमएसपी की बेहतर व्यवस्था हो और उस पर खरीद के इंतजाम के लिए कुछ योजनाएं हैं. चौथा, फसल का विविधीकरण अलगअलग तरह की खेती कैसे हो सकती है, उस में पशुपालन छोड़ दो, मधुमक्खीपालन छोड़ दो, अनेकों प्रकार के प्रयास किए जा सकते हैं, ताकि किसान कम जमीन में भी ज्यादा आमदनी प्राप्त कर सके.

फसल काटने के बाद हम उस का प्रबंध ठीक प्रकार से कैसे कर पाएं, जिस से किसान अपना अनाज रोक पाए और वह उस की अच्छी कीमत ले पाए. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना दुनिया की सब से बड़ी फसल बीमा योजना है. 7 योजनाओं के लिए हजारों करोड़ रुपए दिए गए हैं.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एग्रीश्योर, एग्रीश्योर निधि का शुभारंभ हुआ है. हमारा 750 सौ करोड़ रुपए का फंड है. प्रधानमंत्री का संकल्प है विकसित भारत और विकसित भारत का निर्माण विकसित खेती के बिना नहीं हो सकता, समृद्धि किसान के बिना नहीं हो सकती और खेती में निवेश की जरूरत है, इसीलिए केवल सरकारी नहीं, बल्कि हमें प्राइवेट निवेश भी करना पड़ेगा. कृषि निवेश पोर्टल पर अब आ पको एक ही जगह सारी जानकारी मिलेगी.

आजीविका मिशन के स्वसहायता समूह की रामलली हुईं आत्मनिर्भर

निवाड़ी : मध्य प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजनाओं से जुड़ कर एवं लाभ पा कर महिलाएं सशक्त हो कर सफलता की नई इबारत लिख रही हैं. इन्हीं महिलाओं में एक निवाड़ी जिले की रामलली हैं. समूह से जुड़ने से पहले रामलली की स्थिति काफी खराब थी, केवल आय का जरीया खेती थी, सालभर में लगभग 30,000 रुपए की आय होती थी, जिस से केवल घर का खर्च ही चल पाता था.

रामलली ने कहा कि समूह से जुड़ कर उन्होंने 10 रुपए साप्ताहिक बचत से शुरुआत की एवं समूह से छोटेबड़े लोन ले कर अपने परिवार की जरूरत पूरी की. समूह से जुड़ने के पश्चात समूह उन्हें प्रथमवार 1000 रुपए की आरएफ राशि मिली, जो उन्होंने तुरंत एक माह के बाद चुका दिया. इस के बाद उन्होंने समूह से 20,000 रुपए लिए और उन रुपयों से सर्वप्रथम जैविक खाद उपयोग कर खेत की उर्वराशक्ति बढ़ाई गई. इस के बाद उन्होंने समूह का बैंक लिंकेज करवाया, जिस में उन्होंने 20,000 रुपए लिए.

इन पैसों का उपयोग उन्होंने अचार बनाने के काम में किया. अच्छी क्वालिटी का अचार होने के कारण आमदानी होने लगी, जिस के चलते उन्होंने राशि जल्द चुका दी. इस के बाद उन्होंने पुनः सीसीएल करवाया, जो 2 लाख रुपए का हुआ, उस में मैं ने 50,000 रुपए लिए, जिस से उन्होंने अपनी गतिविधि को बड़े स्तर पर करना शुरू कर दिया.

रामलली ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2019 में अचार बनाने का काम शुरू किया. रामलली ने अपने परिवार के साथ मिल कर आम, मिर्च, आंवला, अदरक, नीबू, मिक्स अचार इत्यादि बना कर मार्केट की दुकानों में बेचा जा रहा है एवं मिशन द्वारा समयसमय पर लगाए मेलों एवं कार्यक्रमों में स्टाल लगा कर प्रचारप्रसार किया जा रहा है. लगभग 500-600 प्रतिदिन की बचत हो जाती है. रामलली की माली एवं सामाजिक स्थिति में सुधार हो गया. उन्होंने बताया कि मुझे साल में लगभग डेढ़ लाख रुपए से अधिक की आय हो रही है.

मसालों की पिसाई (Grinding Spices) से 40 हजार की कमाई

धनिया व मिर्च की प्रोसैसिंग कर प्रतिमाह कमा रहे हैं 40 हजार रुपए

नीमच : प्रधानमंत्री सूक्ष्‍म खाद्य उद्यम उन्‍नयन (पीएमएफएमई) योजना का लाभ ले कर अपना खुद का लघु उद्योग स्‍थापित कर नीमचमनासा के ग्राम मालखेड़ा के किसान रणजीत पिता भीमा कछावा एवं उन का परिवार आत्‍मनिर्भर बन गया है. मसालों की पिसाई व क्‍लीनिंग, ग्रेडिंग का लघु उद्योग स्‍थापित कर किसान रणजीत कछावा आज 40 हजार रुपए की मासिक आमदनी प्राप्‍त कर रहे हैं.

किसान रणजीत कछावा निवासी मालखेड़ा (मनासा) पहले धनिया एवं मिर्च बाजार से और किसानों से सीधे खरीद कर बगैर प्रोसैसिंग के ही अपनी उपज को बेचते थे, जिस से उन्हें काफी कम आय होती थी. फिर उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा उन्हें पीएमएफएमई योजना के बारे में बताया. पीएमएफएमई योजना के तहत रणजीत कछावा ने मसाला पिसाई, क्‍लीनिंग, मसाला फसलों की ग्रेडिंग का लघु प्लांट लगाया.

इस उद्योग स्‍थापना के लिए उन्हें  6.71 लाख रुपए के लोन पर 35 फीसदी, 2.35 लाख रुपए का अनुदान मिला. अपना खुद का मसाला पिसाई का लघु उद्योग स्‍थपित कर, रणजीत प्रतिमाह 40 हजार रुपए का लाभ अर्जित कर रहे हैं. रणजीत अपने मसाला उद्योग में अन्‍य 5 से 6 युवाओं को रोजगार भी उपलब्‍ध करा रहे हैं.

मिलेट्स मिशन के तहत मोटे अनाजों को बढ़ावा

बालाघाट: कलक्‍टर मृणाल मीना ने पिछले दिनों खरीफ 2024-25 की प्रगति एवं जिला स्‍तरीय कृषि उत्‍पादन समीक्षा बैठक की. समीक्षा बैठक में कलक्‍टर मृणाल मीना ने विभाग में संचालित समस्‍त योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए खरीफ 2024 में बोई गई फसलवार व विकासखंडवार रकबे की जानकारी ली. साथ ही, जिले की 09 विकासखंडों में नवनिर्मित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में लैब चालू करने के लिए समिति का गठन करने के निर्देश दिए गए.

फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिए जाने के संबंध में विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए राज्‍य मिलेट्स मिशन के अंतर्गत कोदो, कुटकी, रागी एवं मोटे अनाज वाली फसलों का अधिक उत्‍पादन लिए जाने के लिए कार्ययोजना तैयार करने व किसानों को जागरूक करने के लिए निर्देशित किया गया.

उपसंचालक, कृषि, राजेश खोबरागढ़े ने बताया कि वर्तमान खरीफ सीजन में नवाचार के अंतर्गत सोलर लाइट ट्रैप एवं रागी बीज वितरण कार्यक्रम लिया गया है. जिले में नवाचार के अंतर्गत रागी फसल के उत्‍पादन के लिए 1500 हेक्‍टेयर का लक्ष्‍य रखा गया है.

30 अगस्‍त को ग्राम नेवरगांव कला विकासखंड किरनापुर में आयोजित कार्यशाला में ग्रामीण किसानों को लगभग 50 सोलर लाइट ट्रैप वितरण किए गए, जिस में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि वर्तमान में खरीफ सीजन में धान की फसलों में तनाछेदक, चने की इल्‍ली, माहू, जैसिड, माइट, बीटल, ग्रासहौपर, ब्राउन हायर, मांथकीट आदि बहुतायत मात्रा में इन का प्रकोप होता है, जिस में उन के द्वारा धान की फसल व अन्‍य फसलों के कीटों के नियत्रंण के लिए सौर ऊर्जा पर आधारित नियत्रंण तकनीक सोलर लाइट ट्रैप का उपयोग लाभकारी सिद्ध हो रहा है. जिले में कृषि विभाग की नई पहल राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत समन्वित कीट प्रबधंन घटक के तहत सोलर लाइट ट्रैप का उपयोग किसानों के द्वारा कराया जा रहा है.

परंपरागत कृषि, मिट्टी नमूना परिणाम, जैविक खेती, कृषि यंत्रों पर अनुदान, भूमि उपयोग स्थिति, फसल क्षेत्राच्‍छादन कार्यक्रम, खरीफ फसलवार क्षेत्रफल की प्रगति, उर्वरकवार लक्ष्‍य उपलब्‍धता, उर्वरक व्‍यवस्‍था, राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना, बीज ग्राम योजना, राज्‍य मिलेट मिशन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्‍यम से संचालित गतिविधियों एवं लक्ष्‍य पूर्ति की जानकारी की कलक्‍टर मृणाल मीना के द्वारा समीक्षा की गई.

कृषि विभाग के माध्‍यम से जिले के किसानों को अधिक से अधिक संख्‍या में विभिन्‍न योजनांतर्गत लाभांवित करने के संबंध में कलक्‍टर मृणाल मीना द्वारा आवश्‍यक सुझाव दिए गए.

बैठक में परियोजना संचालक आत्‍मा अर्चना डोंगरे व समिति, अधिष्‍ठाता कृषि महाविद्यालय वारासिवनी बिसेन, वरिष्‍ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र के आरएल राउत, प्राचार्य कृषि विस्‍तार एवं प्रशिक्षण केंद्र वारासिवनी, सचिव कृषि उपज मंडी बालाघाट, सहायक कृषि अभियांत्रिकी, सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी, सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी, अनुविभागीय कृषि अधिकारी, वरिष्‍ठ कृषि विकास अधिकारी, प्रक्षेत्र अधीक्षक शासकीय कृषि प्रक्षेत्र पिपरझरी, गढ़ी, किन्‍ही, एमपी एग्रो. बालाघाट एवं बीज निगम बालाघाट के साथसाथ कृषि विभाग के अन्‍य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे.