कृषि उत्पादन (Agricultural Production) में देशभर में आगे है हरियाणा

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ‘कृषि वैज्ञानिकों का किसानों से संवाद- कृषि विश्वविद्यालय की उपलब्धियां’ विषय पर मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के सभागार में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस गोष्ठी में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने बतौर मुख्यातिथि एवं प्रस्तोता व अध्यक्षता पूर्व अध्यक्ष, हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद, पंचकूला, पूर्व कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल एवं अध्यक्ष, पंचनद शोध संस्थान, चंडीगढ़ के प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की.

विशिष्ट अतिथि हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जगजीत सिंह घनघस रहे. यह गोष्ठी पंचनद शोध संस्थान, अध्ययन केंद्र, हिसार व चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई.

प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा लगातार किए जा रहे शोध कार्यों, उच्च तकनीकों और किसानों की कड़ी मेहनत के कारण प्रदेश के खाद्यान्न उत्पादन में रिकौर्ड बढ़ोतरी हुई है. खाद्यान्न उत्पादन, जो प्रदेश के गठन के समय मात्र 2.59 मिलियन टन था, जो 7 गुना बढ़ कर वर्ष 2022-23 में 18.43 मिलियन टन हो गया है. हरियाणा क्षेत्रफल की दृष्टि से अन्य राज्यों से छोटा है, जबकि केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में योगदान देने वाला दूसरा सब से बड़ा राज्य है. देश के 60 फीसदी से अधिक बासमती चावल का निर्यात केवल हरियाणा से ही होता है. हरियाणा राज्य बाजरा, दलहन व तिलहन के उत्पादन में देशभर में अग्रणी है.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को उच्च गुणवत्ता के प्रमाणित बीज उपलब्ध करवाने के लिए 20 हजार क्विंटल से अधिक विभिन्न फसलों के बीज तैयार कर किसानों को वितरित किए जा रहे हैं. कृषि तकनीकी को किसानों तक पहुंचाना विश्वविद्यालय का एक ध्येय है, इसी कड़ी में विश्वविद्यालय द्वारा 6.50 लाख किसानों को मौसम एवं कृषि संबंधी जानकारी नियमित रूप से उपलब्ध कराई जा रही है. इस के अतिरिक्त प्रदेश के प्रत्येक गांव के 20-20 किसानों का डाटा बेस एकत्रित किया गया है, जिस के माध्यम से कृषि संबंधी जानकारियां प्रदान की जा रही हैं.

कृषि उत्पादन (Agricultural Production)

प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि विकसित भारत के मिशन में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.

उन्होंने किसानों एवं युवाओं से संवाद स्थापित करने के साथसाथ किसानों को कृषि क्षेत्र की ओर आकर्षित करने का भी आह्वान किया और कृषि को आकर्षक बनाने के लिए युवाओं में सामाजिक, आर्थिक व मनौविज्ञानिक बदलाव की जरूरत है.

उन्होंने यह भी कहा कि बड़े हर्ष की बात है कि हकृवि किसानों से सीधे तौर पर जुड़ कर न केवल नईनई तकनीक व किस्में किसानों तक पहुंचा रहा है, बल्कि किसानों की समस्याओं के फीडबैक के आधार पर अपने शोध को गति भी प्रदान कर रहा है.

उन्होंने कहा कि पंचनद हकृवि के माध्यम से किसानों से संवाद शुरू करने की मुहिम को ओर अधिक गति प्रदान करेगा. उन्होंने कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों के संतुलित प्रयोग पर बल दिया.

विशिष्ट अतिथि जगजीत सिंह घनघस ने बताया कि राष्ट्र की प्रगति के लिए कृषि एवं पावर सैक्टर बहुत जरूरी है. प्रदेश में गत 10 सालों से उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मुहैया करवाने के साथसाथ कृषि क्षेत्र को 10 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जा रही है.

उन्होंने बताया कि लगभग 13 हजार लंबित कृषि नलकूप को भी बिजली से जोड़ा गया है. किसानों को सोलर पंप के माध्यम से सिंचाई करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है.

मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता व उपाध्यक्ष डा. नीरज कुमार ने गोष्ठी में आए सभी का धन्यवाद किया और मंच का संचालन सचिव मोहित कुमार ने किया.

इस अवसर पर राज्य सूचना आयुक्त, हरियाणा एवं पंचनद शोध संस्थान, अध्ययन केंद्र, हिसार के अध्यक्ष डा. जगबीर सिंह, मीडिया एडवाइजर डा. संदीप आर्य सहित पंचनद संस्थान के अनेक पदाधिकारी, वैज्ञानिक, किसान व छात्र उपस्थित थे.

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में किसान दिवस का आयोजन

हिसार: किसानों को उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के साथसाथ नवीनतम तकनीकों और मार्केटिंग रणनीतियों पर ध्यान देना होगा, ताकि उन के उत्पादों के बेहतर दाम मिलने के साथ अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में उन की मांग बढ़े.

ये विचार प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जयप्रकाश दलाल ने कहे. वे आज चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित किसान दिवस पर बतौर मुख्यातिथि किसानों को संबोधित कर रहे थे, जबकि समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने की.

कृषि मंत्री जेपी दलाल ने अपने संबोधन में सरकार द्वारा किसानों के हित के लिए चलाई जा रही कृषि योजनाओं को विस्तारपूर्वक बताया. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने कृषि का बजट जो कि पहले 800 करोड़ रुपए था, वह अब बढ़ा कर 3,900 करोड़ रुपए कर दिया है. बाजरे का भाव, जो पहले 800 रुपए होता था, आज 2,500 रुपए प्रति क्ंिवटल दिया जा रहा है. इस के अलावा सरकार ने नहरों, मछलीपालन, बिजली व ट्यूबवैल कनेक्शन के बजट की भी बढ़ोतरी की है.

उन्होंने कहा कि हरियाणा पहला एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां 14 फसलों की एमएसपी पर खरीदारी होती है. सरकार ने फसल बीमा योजना के तहत 9,000 करोड़ रुपए किसानों को वितरित किया है, जबकि फसल बीमा कंपनियों ने किसानों से 1973 करोड़ रुपए ही लिए थे. राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कृषि उत्पादों को बेचने के लिए सरकार द्वारा गन्नौर में विश्वस्तरीय सब से बड़ी मंडी बनाई जा रही है, जहां अंतर्राष्ट्रीय ग्राहक आएंगे. इस के लिए फतेहाबाद, हिसार, करनाल व कुरुक्षेत्र जिलों में उत्पादों की पैंकिग, ग्रेडिंग, सोर्टिंग और कोल्ड स्टोरेज सैंटर बनाए जाएंगे, जहां से उत्पादों को गन्नौर ले जा कर उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मंडियों में बेचा जा सकेगा.

कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी जैसी आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए सरकार 125 किसानों को ड्रोन की ट्रेनिंग दिलवा चुकी है और 13 लाख के इलैक्ट्रिक व्हीकल सहित ड्रोन व नैनो यूरिया भी वितरित किए गए हैं, ताकि कोई भी किसान 100 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करवा सकता है. इस काम में लगी शेष पूंजी का वहन सरकार द्वारा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस स्कीम के तहत एक लाख एकड़ की मंजूरी सरकार द्वारा दे दी गई है.

प्राकृतिक संसाधन नई पीढ़ी की धरोहर, शुद्ध भोजन की शुरुआत अपने परिवार से करें

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने अपने संबोधन में कहा कि हरियाणा प्रदेश देश के कुल अनाज का 7 फीसदी उत्पादन करता है. राज्य में गेहूं का उत्पादन 6 गुना, चावल 8 गुना एवं तिलहनी फसलों का उत्पादन 5 गुना बढ़ा है.

उन्होंने कहा कि ये सब उपलब्धियां हरियाणा सरकार की किसान हितेषी नीतियों और चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा सिफारिश की गई कृषि संबंधी उन्नत व नवीनतम तकनीकों को अपनाने व किसानों की मेहनत का परिणाम है. प्रदेश में उन्नत बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय हर वर्ष विभिन्न फसलों का तकरीबन 22,500 क्ंिवटल से अधिक उन्नत बीज पैदा कर के राज्य के विभिन्न निगमों व किसानों को वितरित करता है. उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश देश के 60 फीसदी से अधिक बासमती चावल का निर्यात केवल हरियाणा से ही होता है.

कुलपति बीआर कंबोज ने कहा कि प्राकृतिक संसाधन नई पीढ़ी की धरोहर है. प्राकृतिक खेती के मौडल को अपनाते हुए पोषणयुक्त खाद्यान्न पैदा करते हुए अपने परिवार से ही शुद्ध भोजन की शुरुआत करें.
उन्होंने किसानों से कहा कि वे कृषि में विविधीकरण को अपनाएं और उत्पादन की क्वालिटी बढ़ाएं, ताकि विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा का मुकाबला किया जा सके. किसानों को कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है.

कुलपति बीआर कंबोज ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि कृषि विज्ञान केंद्रों की मदद से किसानों को प्रेरित करें कि वे नईनई तकनीकों को अपनाएं, ताकि उन की आय बढ़ाई जा सके.

कुलपति बीआर कंबोज ने जल संरक्षण पर उचित उपाय अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि जल का दोहन इसी तरह जारी रहा, तो आने वाले समय में कृषि उत्पादन में 30 फीसदी तक की कमी की संभावना है. जल संसाधनों का बेहतर प्रयोग, वाटरशेड विकास, वर्षा जल संचय और उन्नत तकनीकों को अपना कर पानी का उचित प्रबंध करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि बूंदबूंद पानी का सदुपयोग करें.

शिक्षा, चिकित्सा, कृषि सहित सभी क्षेत्रों में महिलाएं निभा रहीं अग्रणी भूमिका

राज्यसभा सांसद जनरल डीपी वत्स ने अपने संबोधन में समारोह में उपस्थित महिला किसानों की अधिक संख्या पर खुशी जताई और कहा कि महिलाओं की जिस भी क्षेत्र में हिस्सेदारी रही है, वह क्षेत्र हमेशा आगे रहा है. हमारा देश 70 से ज्यादा देशों में खाद्यान्न का निर्यात करता है, जो दर्शाता है कि हमारा देश कृषि के क्षेत्र में कितना अग्रणीय है.

उन्होंने आगे कहा कि हमें जाति से ऊपर उठ कर राष्ट्र हित में अपना योगदान देना चाहिए, ताकि हमारा देश नंबर वन बन सके. साथ ही, उन्होंने समय के साथसाथ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किसान उपयोगी आधुनिक तकनीक व उन्नत किस्में विकसित करने के लिए उन की प्रशंसा की.

विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल ने सभी का स्वागत किया, जबकि कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया.

इस अवसर पर मुख्यातिथि जेपी दलाल ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया. इस अवसर पर मुख्यातिथि जेपी दलाल ने विश्वविद्यालय व कृषि क्षेत्र में स्वरोजगार स्थापित करने वाले किसानों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया.

किसानों की समृद्धि के लिए चैधरी चरण सिंह की नीतियां बहुत कारगर

हिसार: चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आज भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चैधरी चरण सिंह की 121वीं जयंती मनाई गई. इस अवसर पर विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति प्रो. बीआर कंबोज मुख्य अतिथि थे. उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित चैधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि चैधरी चरण सिंह किसान व कमेरा तबके के सच्चे हितैषी थे. स्वयं एक किसान व ग्रामीण परिवेश से होने के चलते वे किसानों की समस्याओं को अच्छी तरह से समझते थे. वे मानते थे कि देश के विकास का रास्ता खेतखलिहानों से हो कर गुजरता है, इसलिए उन्होंने ताउम्र किसानों और गरीबों के उत्थान के लिए संघर्ष किया.

प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह ने देश में किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियां बनाईं. उन्होंने विभिन्न राजनीतिक पदों पर रहते हुए देश में जमींदारी प्रथा समाप्त कराना, भूमि सुधार अधिनियम लागू कराना, ऋण निमोचन विधेयक पारित कराना और केंद्र में ग्रामीण पुनरुत्थान मंत्रालय स्थापित करना जैसे अनेक महत्वपूर्ण काम किए. किसानों के लिए उन के अतुलनीय योगदान के दृष्टिगत वर्ष 2001 से 2023 दिसंबर को उन की जयंती को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है.

उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि इस विश्वविद्यालय का नाम इस महान नेता के साथ जुड़ा हुआ है. हम आज उन की जयंती को किसान दिवस के रूप में मना रहे है. हमारा प्रयास है कि प्रदेश व देश के प्रत्येक किसान को इस विश्वविद्यालय में विकसित कृषि तकनीकों का लाभ पहुंचे. उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षकों, वैज्ञानिकों व विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे किसानों की समृद्धि व कल्याण के लिए सदैव प्रयत्नशील रहें.
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न कालेजों के अधिष्ठाताओं, निदेशकों व अन्य अधिकारियों सहित वैज्ञानिकों, कर्मचारियों व विद्यार्थियों और हौटा एवं हौंटिया के पदाधिकारियों ने भी पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए.

कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जीता प्रथम पुरस्कार

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट, असम में ‘अगली पीढ़ी की खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए तैयारी’ विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है.

इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा. करिश्मा नंदा एवं डा. संदीप आर्य द्वारा ‘मिलिया दुबिया-जौ आधारित कृषि वानिकी प्रणाली के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता’ विषय पर लिखे गए शोधपत्र को ‘जैव विविधता, वानिकी, जैविक और प्राकृतिक खेती’ थीम के अंतर्गत पुरस्कृत किया गया है.

उन्हें इस शोधपत्र की उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए दृष्टिगत प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया.

इस सम्मेलन में विभिन्न प्रदेशों से आए 500 से अधिक वैज्ञानिकों ने भाग लिया, जिस का उद्घाटन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डा. त्रिलोचन मोहपात्रा ने किया था.

ज्ञात रहे कि गत वर्ष भी इन शोधकर्ताओं ने केरल कृषि विश्वविद्यालय, त्रिशूर व शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, श्रीनगर में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में भी पुरस्कार जीते थे.

उपरोक्त वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी. इस मौके पर ओएसडी डा. अतुल ढींगड़ा और कुलसचिव एवं विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल भी उपस्थित रहे.

विदेश में ट्रेनिंग करेंगे छात्र

हिसार: चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के 10 विद्यार्थियों का पौलेंड के वारसा विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण के लिए चयन हुआ है. ये विद्यार्थी उपरोक्त विश्वविद्यालय में कृषि, गृह विज्ञान और मत्स्य विज्ञान के क्षेत्रों में नवीन प्रौद्योगिकियों, नवाचारों आदि बारे व्यावहारिक जानकारी प्राप्त करेंगे.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीार काम्बोज ने पौलेंड में प्रशिक्षण के लिए चयनित विद्यार्थियों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय में शिक्षा व शोध में अपनाए जा रहे उच्च मानकों का परिणाम है. अब तक इस विश्वविद्यालय के अनेक विद्यार्थी उच्च शिक्षा व प्रशिक्षणों के लिए विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में जा चुके हैं.

कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा ने बताया कि विद्यार्थियों का चयन राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी-आईडीपी) के तहत अंतर्राष्ट्रीय संगठन में छात्र विकास कार्यक्रम की प्रक्रिया के अंतर्गत परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर हुआ है.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से प्रशिक्षण अवधि के दौरान वीजा, आनेजाने का किराया, मैडिकल इंश्योरेंस आदि के लिए भत्ता दिया जाएगा. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इन चयनित विद्यार्थियों में कृषि महाविद्यालय, हिसार के तृतीय वर्ष के छात्र सुशांत नागपाल, चतुर्थ वर्ष की छात्रा निधि व विशाल, कृषि महाविद्यालय, बावल से मुनीश व नैनसी, कृषि महाविद्यालय कौल से हरितिमा व अंजू, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय से ममता व मुस्कान और मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय से अमित शामिल हैं.

इस अवसर पर चयनित विद्यार्थियों ने कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज के मार्गदर्शन में चलाई जा रही आईडीपी परियोजना के प्रमुख अन्वेषक व स्नातकोत्तर शिक्षा अधिष्ठाता डा. केडी शर्मा व अंतर्राष्ट्रीय मामलों के संयोजक डा. अनुज राणा का आभार जताया.

इस अवसर पर मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय की निदेशक डा. मंजु मेहता, अंतर्राष्ट्रीय सेल की प्रभारी डा. आशा कवात्रा व मीडिया एडवाइजर डा. संदीप आर्य उपस्थित रहे.

सरसों नई किस्म आरएच 1975 विकसित

हिसार : विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सरसों की यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में समय पर बिजाई के लिए एक उत्तम किस्म है, जो कि मौजूदा किस्म आरएच 749 से लगभग 12 फीसदी अधिक पैदावार देगी.

यह किस्म हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने वर्ष 2013 में विकसित की थी. अब 10 साल बाद सिंचित क्षेत्रों के लिए इस किस्म से बेहतर किस्म आरएच 1975 ईजाद की गई है, जो कि अधिक उत्पादन के कारण किसानों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने बताया कि जम्मू में आयोजित 30वीं वार्षिक सरसों व राई कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (फसल) डा. टीआर शर्मा की अध्यक्षता में गठित पहचान कमेटी द्वारा हाल में आरएच 1975 किस्म को सिंचित परिस्थिति में समय पर बिजाई के लिए चिन्हित किया गया है.

पैदावार के साथ तेल की मात्रा भी अधिक

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि 11-12 क्विंटल प्रति एकड़ औसत उत्पादन और 14-15 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन क्षमता रखने वाली आरएच 1975 किस्म में लगभग 39.5 फीसदी तेल की मात्रा है, जिस के कारण यह किस्म अन्य किस्मों की अपेक्षा किसानों के बीच अधिक लोकप्रिय होगी. इस से तिलहन उत्पादन में वृद्धि के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी.

इन राज्यों के किसानों को होगा लाभ

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने बताया कि आरएच 1975 किस्म हरियाणा सहित पंजाब, दिल्ली, जम्मू व उत्तरी राजस्थान के सिंचित क्षेत्रों में बिजाई के लिए चिन्हित की गई है. इसलिए इन राज्यों के किसानों को इस किस्म का लाभ मिलेगा. साथ ही, उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि किसानों को इस किस्म का बीज अगले साल तक उपलब्ध करवा दिया जाएगा.

बीते वर्ष भी की थी 2 उन्नत किस्में

अनुसंधान निदेशक डा. जीतराम शर्मा के अनुसार, इस किस्म को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सरसों वैज्ञानिकों डा. राम अवतार, डा. नीरज, डा. मंजीत व डा. अशोक कुमार की टीम ने डा. राकेश पूनिया, डा. निशा कुमारी, डा. विनोद गोयल, डा. महावीर एवं डा. राजबीर सिंह के सहयोग से तैयार किया है.

उन्होंने आगे बताया कि इस टीम ने गत वर्ष भी सरसों की 2 किस्में आरएच 1424 व आरएच 1706 विकसित की हैं. ये किस्में भी सरसों की उत्पादकता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होंगी.

उन्होंने यह भी बताया कि सरसों अनुसंधान में उत्कृष्ट काम करने के लिए इस टीम को हाल ही में जम्मू में आयोजित कार्यशाला में सर्वश्रेष्ठ केंद्र अवार्ड से भी नवाजा गया है.

सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्रों में शामिल हकृवि सरसों केंद्र

कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा ने बताया कि हकृवि के सरसों केंद्र की देश के सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्रों में गिनती होती है. उपरोक्त किस्मों से पहले वर्ष 2018 में विकसित की गई सरसों की किस्म आरएच 725 आज के दिन किसानों के बीच सब से अधिक प्रचलित व लोकप्रिय बन चुकी है, जो कि हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश में लगभग 20 से 25 फीसदी क्षेत्रों में अकेली उगाई जाने वाली किस्म है. यह किस्म औसतन 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार आराम से दे रही है व इस की उत्पादन क्षमता भी 14-15 क्विंटल प्रति एकड़ तक है.

मशरूम उत्पादन तकनीक पर प्रशिक्षण

– भानु प्रकाश राणा

हिसार : 21 सितंबर.
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान में मशरूम उत्पादन तकनीक पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ.

इस प्रशिक्षण में हरियाणा के झज्जर, जींद, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, चरखी दादरी व सोनीपत जिलों से प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया.

इस अवसर पर उपरोक्त संस्थान के सहनिदेशक (प्रशिक्षण) डा. अशोक कुमार गोदारा ने कहा कि मशरूम उत्पादन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे कम से कम लागत में शुरू किया जा सकता है और भूमिहीन, शिक्षित एवं अशिक्षित, युवक व युवतियां इसे स्वरोजगार के रूप में अपना कर स्वावलंबी बन सकते हैं. मशरूम उत्पादन के लिए कृषि अवशेषों का इस्तेमाल किया जाता है, जिस से खाद्य सुरक्षा की सुनिश्चितता के साथसाथ वायु प्रदूषण से भी नजात मिलेगी.

उन्होंने आगे बताया कि खासकर भूमिहीन, शिक्षित एवं अशिक्षित युवक व युवतियां इसे स्वरोजगार के रूप में अपना सकते हैं और पूरे साल मशरूम की विभिन्न प्रजातियों, जिन में सफेद बटन मशरूम, ओयस्टर या ढींगरी, मिल्की या दूधिया मशरूम, धान के पुवाल की मशरूम इत्यादि उगा कर पूरे साल मौसम के हिसाब से इस का उत्पादन किया जा सकता है.

प्रशिक्षण के संयोजक डा. सतीश कुमार मेहता ने बताया कि मशरूम की विभिन्न प्रजातियां उगा कर पूरे साल इस का उत्पादन किया जा सकता है. देश व प्रदेश सरकार द्वारा भी किसानों और बेरोजगार युवाओं को मशरूम उत्पादन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है.

इस प्रशिक्षण दौरान डा. संदीप भाकर, डा. जगदीप सिंह, डा. विकास कंबोज, डा. डीके शर्मा, डा. राकेश चुघ, डा. अमोघवर्षा, डा. सरदूल मान, डा. भूपेंद्र सिंह, डा. पवित्रा पुनिया व डा. विकाश हुड्डा ने मशरूम उत्पादन से संबंधित विषयों पर व्याख्यान दिए.