फूलों की खेती (Flower Farming) से महकी जितेंद्र की जिंदगी

इंदौर : केवल पारंपरिक खेती से परिवार की आजीविका चलाने वाले ग्राम सगदोद देपालपुर निवासी किसान जितेंद्र पटेल हमेशा चिंता से ग्रसित रहते थे. बेमौसम बारिश, पारंपरिक तरीके से खेती के काम करने से लाभ के मुकाबले अधिक लागत से कृषि घाटे का सौदा सिद्ध हो रही थी. ऐसे में किसान जितेंद्र पटेल को एकीकृत बागबानी विकास मिशन के बारे में मालूम हुआ. उद्यानिकी विभाग के मैदानी अधिकारियों ने उन्हें पुष्प क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम के बारे में बताया और योजना से संबंधित समस्त जानकारी दी.

किसान जितेंद्र पटेल ने विभागीय अधिकारियों से चर्चा के पश्चात योजना से जुड़ने का मन बनाया. उन्होंने पुष्प क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम के अंतर्गत गेंदा हाईब्रिड प्रजाति का फूल बीज अपने आधा बीघा खेत में लगाया, जिस से उन्हें 160 क्विंटल गेंदा फूल का उत्पादन मिला. खाद, बीज, दवाई, निंदाईगुड़ाई सहित अन्य खर्च तकरीबन 20 से 25 हजार रुपए हुआ. तकरीबन 75 हजार रुपए का गेंदा फूल बिका.

उन्होंने बताया कि तकरीबन 50 हजार रुपए की उन्हें शुद्ध आय प्राप्त हुई. पूर्व में वे पारंपरिक रूप से सोयाबीन की खेती कर रहे थे. सोयाबीन उत्पादन लेने से कहीं अधिक लाभकारी फूलों की खेती है. उन्होंने बताया कि एकीकृत बागबानी विकास मिशन के अंतर्गत उन्होंने पुष्प क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम का लाभ लिया. उन्हें योजना के अंतर्गत 8 हजार रुपए का अनुदान मिला. उन्होंने योजना का लाभ मिलने पर खुशी व्यक्त की.

उल्लेखनीय है कि संभागायुक्त दीपक सिंह के निर्देशानुसार संभाग के समस्त जिलों में आधुनिक कृषि को अधिक से अधिक किसान अपनाएं और इस के लिए किसानों को ट्रेनिंग और मार्गदर्शन प्रदान करने के साथसाथ योजनाओं के महत्व की जानकारी दी जा रही है.

डीडीए उद्यानिकी विभाग, इंदौर डीएस चौहान ने बताया कि योजना का अधिक से अधिक पात्रताधारी किसान लाभ ले, इस के लिए मैदानी अमला और जिला स्तर से लगातार प्रयास किए जाते हैं. योजना लाभ से कृषि के क्षेत्र में किसान आत्मनिर्भर होने के साथसाथ माली रूप से सक्षम हो रहे हैं.

एकीकृत बागबानी विकास मिशन के अंतर्गत पुष्प क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम

जिस योजना से जितेंद्र की जिंदगी में बदलाव आया, उस योजना का नाम एकीकृत बागबानी विकास मिशन के अंतर्गत पुष्प क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम (लूज फ्लावर की खेती) है. इस योजना का लाभ लेने के लिए औनलाइन पंजीयन एमपीएफएसटीएस (MPFSTS) पोर्टल के माध्यम से https://mpfsts.mp.gov.in पर पंजीयन कराए जाने के उपरांत संचालनालय उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मध्य प्रदेश  भोपाल द्वारा लौटरी के माध्यम से चयनित कर लाभान्वित किया जाता है, जिस में निम्नानुसार दस्तावेज आवश्यक होते हैं :

आवेदक को एक पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, आवेदन की जमीन का खसरा, खतौनी की नकल की छायाप्रति, जाति प्रमाणपत्र (अजा एवं अजजा वर्ग के लिए), बायोमीट्रिक अथवा निटजेन (Nitgen) एवं मोर्फो डिवाइस (Morpho Device) के माध्यम से जिस में बैंक खाता और मोबाइल नंबर के साथ आवश्यक होता है. औनलाइन पंजीयन के बाद लौटरी में चयनित किसानों का संबंधित विकासखंड अधिकारी द्वारा औनलाइन अपलोड दस्तावेजों को सत्यापित कर अग्रेषित किया जाता है.

तदोपरांत जिले के संबंधित किसानों को काम करने के लिए औनलाइन आशयपत्र, कार्यादेश जारी किए जाते हैं. योजना के तहत लूज फ्लावर उत्पादन के लिए 16 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर सभी किसानों के लिए लघु/सीमांत/बड़े  (अजा/अजजा/सामान्य) अधिकतम 2 हेक्टेयर तक लाभ दिया जा सकता है.

संयुक्त संचालक, उद्यान, इंदौर संभाग डीआर जाटव के मार्गदर्शन में विभागीय अमला भी लगातार विशेष प्रयास कर रहा है. उन्होंने बताया कि कृषक उन्नत उद्यानिकी फसलों, योजनाओं की जानकारी के लिए उद्यानिकी विभाग के जिला अथवा विकासखंड कार्यालय पर संपर्क कर सकते हैं.

औषधीय खेती (Medicinal Farming) के लिए प्रोत्साहन, बढ़ेगी आमदनी

भोपाल : औषधीय पौधों की खेती के रकबे को बढ़ाने के लिए देवारण्य योजना पर काम किया जा रहा है. योजना में योजना का मकसद किसानों विशेषकर जनजाति क्षेत्र के किसानों की कृषि आय में बढ़ोतरी करना है. योजना का क्रियान्वयन आयुष विभाग द्वारा किया जा रहा है. जिले के वनों में बड़ी मात्रा में दुर्लभ औषधि पौधे पाए जाते हैं.

देवारण्य योजना के द्वारा प्राकृतिक रूप से उपलब्ध प्रत्येक प्रकार के औषधीय पौधों के संरक्षण और वैज्ञानिक रूप से दोहन और संग्रहण की प्रणाली का विकास किया जा रहा है. योजना में सरकार के विभिन्न विभागों के साथ सामंजस्य स्थापित कर विभिन्न औषधीय पौधों की पैदावार बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं.

योजना का क्रियान्वयन आयुष, जनजातीय कार्य, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, वन, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण और किसान कल्याण एवं कृषि विभाग संयुक्त रूप से कर रहे हैं. औषधीय पौधों खेती का बढ़ावा देने के लिए किसान को 51 प्रकार की औषधीय पौधों की खेती करने के लिए मनरेगा से मदद दी जा रही है.

राज्य औषधीय पादप बोर्ड का गठन किया गया है. जनजातीय क्षेत्रों के किसानों ने योजना का लाभ लेते हुए औषधीय पौधे लगाए हैं. राज्य औषधीय पादप बोर्ड द्वारा औषधीय पौधों के भंडारण और विपणन के लिए आयुष औषधि उत्पादन करने वाली कंपनियों के साथ एमओयू करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

मोटे अनाज (Coarse Grains) की खेती को बढ़ावा

जयपुर : मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए भारत एवं राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है. मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए बजट घोषणानुसार कृषि विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में किसानों को बाजरा के 7 लाख, 90 हजार और ज्वार के 89 हजार बीज मिनी किट का निःशुल्क वितरण किया गया है, जिस से राज्य में मोटे अनाज के उत्पादन में वृद्धि होगी और किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी.

मोटे अनाज की खेती कम सिंचाई एवं कम उपजाऊ भूमि में आसानी से पैदा की जा सकती है. गौरतलब है कि मोटे अनाज को ऐसी फसल माना जाता है, जो कुपोषण, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करती है.

बता दें कि देश के प्रस्ताव के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बाजरा, ज्वार, कोदो समेत 8 मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया गया था.

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है मोटा अनाज

मोटे अनाज में बाजरा, ज्वार, रागी एवं कोदो जैसे धान्य को शामिल किया गया है. इन में पोषक तत्व प्रोटीन व खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. मोटे अनाज में औषधीय गुणों के कारण इन के सेवन से कुपोषण, मोटापा, हार्ट से संबंधित बीमारियों और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि भोजन थाली में मिलेट्स का सेवन उत्तम स्वस्थ शरीर के रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

राज्य में बाजरा और ज्वार की 49.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की गई बोआई

राज्य में खरीफ 2024 में बाजरा और ज्वार की 49.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोआई की गई है, जिस में से बाजरे की 43.04 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में और ज्वार की 6.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोआई की गई है.

राज्य सरकार को मिला राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस (सिल्वर) पुरस्कार

जयपुर : मुंबई में आयोजित 27वीं राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस कौंफ्रैंस में ‘गवर्नमेंट प्रोसैस रि-इंजीनियरिंग फौर ट्रांसफौर्मेशन: स्टेट लैवल इनिशिएटिव’ के तहत उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए राज्य सरकार के ‘राजकिसान साथी फेज 2’ प्लेटफार्म को ई-गवर्नेंस (सिल्वर) पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है. यह कौंफ्रैंस केंद्र सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग की ओर से 3-4 सितंबर को आयोजित की गई.

सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग की शासन सचिव आरती डोगरा ने इस उपलब्धि के लिए विभाग की टीम को बधाई और शुभकामनाएं दीं. आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने यह पुरस्कार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के हाथों लिया. पुरस्कार के साथ ट्रौफी, प्रशस्तिपत्र और 5 लाख रुपए का कैश अवार्ड भी प्रदान किया गया.

यह पुरस्कार कृषि, बागबानी, कृषि विपणन आदि विभागों की विभिन्न सेवाओं को ‘ईज आफ डुइंग फार्मिंग’ का आयाम प्रदान करने के लिए सिंगल विंडो इंटिग्रेटेड प्लेटफार्म ‘राजकिसान साथी फेज 2’ को दिया गया है.

ईज आफ डुइंग फार्मिंगका आयाम
किसानों को कृषि, उद्यानिकी, कृषि विपणन विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि विपणन बोर्ड, बीज निगम, बीज प्रमाणीकरण संस्था आदि द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ त्वरित व पारदर्शी तरीके से प्रदान करने के लिए यह प्लेटफार्म विकसित किया गया है.

इस प्लेटफार्म के माध्यम से किसानों को विभिन्न योजनाओं की जानकारी व लाभ प्राप्त करने के लिए भिन्नभिन्न पोर्टल का प्रयोग कर आवेदन प्रस्तुत करने के स्थान पर सिंगल विंडो के रूप में केवल एक ही पोर्टल के माध्यम से समस्त सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं. एसएसओ आईडी के माध्यम से एक बार तैयार किए गए प्रोफाइल के माध्यम से किसान किसी भी योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं. उन्हें बारबार अपने आधारभूत दस्तावेजों को अपलोड करने की आवश्यकता नहीं है. किसान ई-मित्र केंद्र के माध्यम से भी आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि ई-गवर्नेंस नवाचारों के कार्यान्वयन में उत्कृष्टता को मान्यता देने और प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा प्रति वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं. ये पुरस्कार ई-गवर्नेंस पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान प्रदान किए जाते हैं.

हाइवे पर नहीं दिखेंगे आवारा पशु (Stray Animals)

जयपुर : पशुपालन एवं गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर निराश्रित पशुओं का विचरण करना काफी गंभीर समस्या है. इन से हाइवे पर वाहनों की गति बाधित होती है और दुर्घटना होने का अंदेशा बना रहता है. उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों को राजमार्गों पर पशुओं का विचरण रोकने की दिशा में गंभीरता से काम करने और पैट्रोलिंग की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

मंत्री जोराराम कुमावत पिछले दिनों सचिवालय के मंत्रालयिक भवन स्थित अपने कक्ष में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और लोक निर्माण विभाग (राष्ट्रीय राजमार्ग) के अधिकारियों के साथ इस संबंध में आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आम आदमी हाइवे पर आवागमन के लिए टोल टैक्स चुकाता है. उन्हें सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने में किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जानी चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि हाइवे पर घूमने वाले आवारा पशुओं के कारण आएदिन दुर्घटनाएं होती हैं, जिन में जन हानि के साथसाथ पशु हानि भी होती है. उन्होंने प्राधिकरण के अधिकारियों को हाइवे पर निराश्रित पशुओं का विचरण बंद करने की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

उन्होंने यह भी कहा कि प्राधिकरण द्वारा पैट्रोलिंग व्यवस्था को और भी सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है. पैट्रोलिंग की गाड़ियां केवल दुर्घटना होने पर ही आती हैं, जबकि दुर्घटना को घटने से रोकने के प्रयास किए जाने चाहिए. इस के लिए प्राधिकरण द्वारा नियमित रूप से पैट्रोलिंग की व्यवस्था की जानी सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि राजमार्गों पर संभावित खतरों से आमजन को सुरक्षा मिले.

पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव विकास सीताराम भाले ने कहा कि निराश्रित पशुओं को राजमार्गों पर विचरण से रोकने के लिए की गई व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए नियमित रूप से बैठक आयोजित की जानी चाहिए.

बैठक में प्रतिमा गुप्ता, प्रतिनिधि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, आशाराम सैनी, प्रतिनिधि, लोक निर्माण विभाग (राष्ट्रीय राजमार्ग), डा. भवानी सिंह राठौड़, निदेशक, पशुपालन विभाग, डा. आनंद सेजरा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राजस्थान पशुधन विकास बोर्ड, शालिनी शर्मा, निदेशक, गोपालन विभाग सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे.

रेगिस्तानी खुंबी (Desert Mushroom) अब प्रयोगशाला में उगेगी

उदयपुर : भारत में कृषि विकास हेतु सरकारी संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने मशरूम अनुसंधान के लिए मशरूम निदेशालय चंबाघाट, सोलन (हिमाचल प्रदेश) में संस्थान खोल रखा है. इस के अंतर्गत विभिन्न राज्यों में जंगली खाद्य एवं औषधीय मशरूम के संग्रहण, संवर्धन एवं प्रयोगशाला में उगाने के लिए अनुसंधान हेतु अखिल भारतीय समन्वित मशरूम अनुसंधान परियोजना चलाई जा रही है.

इस के अंतर्ग़त राजस्थान में भी महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के राजस्थान कृषि महाविधालय के पादप रोग विज्ञान विभाग में अखिल भारतीय समन्वित मशरूम अनुसंधान परियोजना संचालित है.

परियोजना के प्रभारी व एसोसिएट प्रोफैसर डा. नारायण लाल मीना ने बताया कि इस वर्ष सरकार के उद्देश्य के अनुसार जून से अगस्त माह तक राजस्थान के विभिन्न जंगलों, वन्य जीव अभ्यारणों और पश्चिम राजस्थान के रेगिस्तान में देसूरी की नाल, पाली जोधपुर, पोकरण, जैसलमेर, तनोट, पाकिस्तान बार्डर, फलोदी, सिवाना, आहोर, बालोतरा, झालोर, सिरोही, सादड़ी, कुंभलगढ़, गोगुंदा एवं रोड साइड एरिया औफ उदयपुर का सर्वे मशरूम की विभिन्न प्रजातियों का पता लगाने एवं संग्रहण करने के लिए अनुसंधान टीम ने किया.

सर्वे के दौरान विभिन्न जेनरा के कुल 100 मशरूम स्पीशीज का संग्रहण किया गया और मशरूम प्रयोगशाला, उदयपुर में विभिन्न मशरूमों का संवर्धन का काम कर दिया गया है. इन में विशेषकर रेगिस्तानी पौष्टिक मशरूम जैसे फेलोरानिया इन्कुइनान्स, पौडाएक्सिस पिस्टीलारिस, टेलोस्टोमा स्पीशीज, ब्लू ओएस्टर ,जंगली दूधछाता, ब्राउन ओएस्टर, सफेद ओएस्टर, ट्राईकोलोमा सल्फुरियम एवं एगेरिकस प्रजाति प्रमुख रूप से है, क्योंकि रेगिस्तानी खुंबी फेलोरानिया इन्कुइनान्स, पौडाएक्सिस पिस्टीलारिस, टेलोस्टोमा स्पीशीज को प्रयोगशाला में अभी तक उगाया नहीं जा सका है.

इस के लिए अनुसंधान टीम के डा. एनएल मीना, अविनाश कुमार नागदा और किसान सिंह राजपूत ने कृत्रिम रूप से उगाने का प्रयास तेज कर दिया है. इन मशरूमों का पौष्टिक एवं औषधीय महत्व अधिक होता है. इस के चलते पश्चिम राजस्थान के व्यक्ति प्रथम वर्षा के उपरांत रेतीले टीलों पर उगी मशरूम संग्रहित कर के बाजार में 400-500 रुपए प्रति किलोग्राम में बेच कर आमदानी प्राप्त करते हैं और व्यक्ति बड़े चाव से खुंबी की सब्जी बना कर खाते हैं और शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों की आपूर्ति करते हैं व अपनी सेहत को दुरुस्त रखते हैं.  अनुसंधान में सफलता से पश्चिम राजस्थान के अलावा पूरे देश में मशरूम उत्पादन की क्रांति आ जाएगी.

मिलेगी 35 रुपए में प्याज (Onion)

नई दिल्ली : केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद वेंकटेश जोशी ने भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नेफेड) की नई दिल्ली में बिक्री के लिए तैनात मोबाइल वैन को झंडी दिखा कर 35 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से प्याज की खुदरा बिक्री की शुरुआत की.

इस कार्यक्रम ने उपभोक्ताओं को सस्ते मूल्य पर प्याज उपलब्ध कराने के लिए सरकारी बफर भंडार से प्याज की कैलिब्रेटेड और लक्षित रिलीज की शुरुआत की.

मंत्री प्रहलाद वेंकटेश जोशी ने कहा कि खाद्य मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में रखना भारत सरकार की प्राथमिकता है और मूल्य स्थिरीकरण उपायों के माध्यम से कई प्रत्यक्ष उपायों ने हाल के महीने में मुद्रा स्फीति की दर को नीचे लाने में अहम भूमिका निभाई है.

केंद्रीय मंत्री मंत्री प्रहलाद वेंकटेश जोशी ने कहा कि हमारे पास रबी फसल से उपलब्ध प्याज का बफर भंडार 4.7 लाख टन है. प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में शुरू किए गए मूल्य स्थिरीकरण कोष का उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं के मूल्य बढ़ने पर बाजार में इस के नियंत्रण के उपाय करना है. प्याज की खुदरा बिक्री से देशभर के उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी.

बफर से प्याज का लक्षित निबटान खाद्य मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने और स्थिर मूल्य व्यवस्था बनाए रखने के केंद्र सरकार के प्रयासों का एक अभिन्न अंग है.

प्याज का लक्षित निबटान प्रमुख उपभोग केंद्रों में भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नेफेड) की दुकानों और मोबाइल वैन, ई-कौमर्स प्लेटफार्म और केंद्रीय भंडार और सफल की दुकानों के माध्यम से खुदरा बिक्री के साथ शुरू किया गया है.

प्याज की कीमतों के रुझान के अनुसार प्याज की मात्रा और निबटान चैनलों को तेज किया जाएगा. भारत सरकार का उपभोक्ता कार्य विभाग देशभर के 550 केंद्रों से आने वाले प्याज समेत 38 वस्तुओं की दैनिक कीमतों की निगरानी कर रहा है. दैनिक मूल्य डेटा और तुलनात्मक रुझान बफर भंडार से प्याज जारी करने की मात्रा और गंतव्यों पर निर्णय के लिए महत्वपूर्ण सुझाव हैं.

प्रासंगिक रूप से पिछले वर्ष की 3.0 लाख टन प्याज की खरीद की तुलना में इस वर्ष रबी फसल से भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नेफेड) के माध्यम से मूल्य स्थिरीकरण बफर स्टाक के लिए 4.7 लाख टन की खरीद की गई है.

प्याज की खरीद महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के प्रमुख रबी प्याज उत्पादक क्षेत्रों में किसानों/किसान संघों से की गई थी और प्याज का भुगतान किसानों के खातों में सीधे हस्तांतरण के माध्यम से किया गया है. गतिविधियों के सभी चरणों को पकड़ने वाली प्रौद्योगिकी को तैनात कर के इस वर्ष प्याज संचालन में खरीद, भंडारण और निबटान की निगरानी के लिए एक एकीकृत प्रणाली अपनाई गई है.

इस रबी सीजन के दौरान किसानों को प्याज की कीमत की प्राप्ति पिछले साल की तुलना में बेहतर रही है, क्योंकि मंडी मौडल कीमतें 1,230 रुपए-2,578 रुपए प्रति क्विंटल के दायरे में बनी हुई हैं, जबकि पिछले साल यह 693 रुपए-1,205 रुपए प्रति क्विंटल थी.

इसी तर्ज पर इस साल औसत बफर खरीद मूल्य 2,833 रुपए प्रति क्विंटल था, जबकि पिछले साल यह 1,724 रुपए प्रति क्विंटल था. चूंकि भंडारण योग्य प्याज को बफर भंडार के लिए खरीदा जाता है, इसलिए प्याज की खरीद कीमतें हमेशा प्रचलित मौडल मूल्य से अधिक रही हैं.

आने वाले महीनों में प्याज की उपलब्धता और कीमतों का दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है, क्योंकि पिछले वर्ष की तुलना में 26 अगस्त, 2024 तक खरीफ बोआई क्षेत्र में 102 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. कृषि विभाग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, 26 अगस्त, 2024 तक 2.90 लाख हेक्टेयर में खरीफ प्याज की बोआई की गई है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 1.94 लाख हेक्टेयर में बोआई की गई थी.

इस के अलावा लगभग 38 लाख टन प्याज अब भी किसानों और व्यापारियों के पास भंडारण में होने की सूचना है.

उपभोक्ता कार्य विभाग उपभोक्ताओं और किसानों दोनों के हित में आवश्यक कदम उठाने के लिए प्याज की फसल की उपलब्धता और कीमतों पर कड़ी नजर रख रहा है. इस संबंध में सरकार उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज उपलब्ध कराते हुए किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करेगी.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और मुंबई में प्याज की खुदरा बिक्री शुरू हो रही है. इस के बाद अगले एक सप्ताह में एजेंसियां कोलकाता, गुवाहाटी, हैदराबाद, चेन्नई, बेंगलुरु, अहमदाबाद, रायपुर और भुवनेश्वर में भी इस की शुरुआत करेंगी. सितंबर के तीसरे सप्ताह तक पूरे भारत में इस प्रकार से प्याज की बिक्री शुरू हो जाएगी. एजेंसियां पूरे भारत में अन्य सहकारी समितियों और बड़ी खुदरा श्रंखलाओं के साथ भी गठजोड़ कर रही हैं.

नई दिल्ली के इन क्षेत्रों में उपलब्ध होगी सस्ती प्याज

35 रुपए किलोग्राम वाली प्याज नई दिल्ली के साउथ एक्स्टेंशन, नेहरू प्‍लेस, सीजीओ, राजीव चौक मैट्रो स्‍टेशन, कृषि भवन, पटेल चौक मैट्रो स्‍टेशन, एनसीयूआई कौम्प्लेक्स, एनसीसीएफ औफिस सैक्‍टर- 4, द्वारका सैक्टर 1, फिल्‍म सिटी नोएडा, रोहिणी सैक्टर 2, गौर सिटी नोएडा, गुरुग्राम सिविल लाइन, सैक्‍टर- 1 , ग्रेटर नोएडा, आरके पुरम सैक्‍टर 10, अशोक नगर,जसोला, सैक्‍टर- 62 , नोएडा, नंद नगरी ब्लौक – बी, बोटैनिकल गार्डन, यमुना विहार, गोल्‍फ कोर्स नोएडा, मौडल टाउन, सैक्‍टर- 50, नोएडा, लक्ष्‍मी नगर, वसुंधरा, गाजियाबाद छतरपुर, इंद्रापुरम, महरौली, साहिबाबाद, त्रिलोकपुरी, सैक्‍टर- 19 नोएडा, ब्रि‍टानिया चौक, सैक्‍टर-58 नोएडा, नजफगढ़, आम्रपाली सैक्‍टर-45 नोएडा, में बिक्री के लिए उपलब्ध होगी.

पीएम आवास योजना के लाखों लाभार्थियों को जारी होगी आखिरी किस्त 

नई दिल्ली : 10 सितंबर, 2024 को  केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में राज्यों के ग्रामीण विकास मंत्रियों की वीडियो कौंफ्रैंसिंग के जरीए बैठक ली. इस दौरान उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जमशेदपुर (झारखंड) में 15 सितंबर को महत्वाकांक्षी पीएम आवास योजना के लाखों लाभार्थियों को 2,745 करोड़ रुपए की आखिरी किस्त जारी करेंगे. साथ ही, वित्तीय वर्ष 2024-25 में सभी लक्षित लाभार्थियों को स्वीकृतिपत्रों का वितरण किया जाएगा. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों की सहभागिता होगी, वहीं लाखों लोग औनलाइन माध्यम से कार्यक्रम से जुड़ेंगे.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे, जिन्हें कार्यक्रम की तैयारी के लिए दिशानिर्देश दिए, वहीं राज्यों के ग्रामीण विकास मंत्रियों ने योजना के कार्यक्रम में पूर्ण सहभागिता का संकल्प जताया.

बैठक में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश के हमारे गरीब भाईबहनों का हर तरह से उत्थान मोदी सरकार का परम लक्ष्य है, जिस की प्राप्ति की दिशा में प्रधानमंत्री आवास योजना एक अहम कदम है. यह योजना काफी सफलता के साथ आगे बढ़ी है.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि पीएम आवास योजना-ग्रामीण में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने लक्ष्य हासिल किया है, साथ ही, योजना की सफलता व ग्रामीण घरों की आवश्यकता को महसूस करते हुए योजना का विस्तार किया गया है और गरीब तबके के लिए अगले 5 वर्षों में 2 करोड़ अतिरिक्त घर मोदी सरकार बनाएगी. प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प है कि हर गरीब का अपना घर हो.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मार्च, 2024 तक 2.95 करोड़ आवासों को बनाने का लक्ष्य था, जिस में से लगभग सभी घर स्वीकृत किए जा चुके हैं, 2.65 करोड़ घर पूरे भी हो चुके हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 के दौरान अब तक पूरे किए गए घर वाले 26 लाख लाभार्थियों का गृहप्रवेश प्रधानमंत्री मोदी के मुख्य आतिथ्य में 15 सितंबर को होगा. साथ ही, इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी पीएमएवाई-जी लाभार्थियों के साथ बातचीत भी करेंगे.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे बताया कि कोई भी पात्र परिवार इस महत्वपूर्ण योजना के लाभ से वंचित न रहे, इसलिए योजना के नियमों को आसान करते हुए संशोधित कर दिया गया है. ऐक्सक्लूशन क्राइटेरिया जैसे मोटरचालित दोपहिया और मछली पकड़ने वाली नाव, रेफ्रिजरेटर, लैंडलाइन फोन को हटा दिया गया है. इस के अलावा परिवार के किसी सदस्य की मासिक आय की सीमा को 10,000 रुपए से बढ़ा कर 15.000 रुपए कर दिया गया है.

साथ ही, भूमि के मालिकाना हक से संबंधित ऐक्सक्लूशन क्राइटेरिया को भी आसान बनाया गया है. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों के विचारों एवं सभी सहभागियों से परामर्श कर के निर्णय लिया है कि गैरजरूरी शर्तों को हटाया जाए, जिस से सभी के लिए आवास के उद्देश्य को सही माने में साकार किया जा सके.

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीण भारत के उत्थान की दिशा में ग्रामीण विकास मंत्रालय का लक्ष्य केवल आवास देना ही नहीं, बल्कि आवास के साथ मूलभूत सुविधाएं भी सुनिश्चित करना है. इस के अंतर्गत लाभार्थियों को मनरेगा के तहत अपने घर बनाने के लिए 90-95 दिनों की मजदूरी का भी लाभ दिया जाता है और अन्य कल्याणकारी योजनाओं जैसे स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला योजना और सौभाग्य योजना से तालमेल कर घरों में शौचालय, रसोई गैस और बिजली की सुविधा सुनिश्चित की जा रही है.

साथ ही, ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर : मुफ्त बिजली’ योजना से समन्वय कर के लाभार्थियों को सोलर रूफ टौप का कनैक्शन दे कर उन के बिजली बिल को कम करने की कोशिश की जा रही है. इस योजना के तहत बनने वाला हर घर एक संपूर्ण आवास है, एक सुविधासंपन्न आवास. सही माने में यह योजना गरीबी मुक्त गांव एवं विकसित भारत की आधारशिला साबित होगी.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय किसी भी तरह की सहायता एवं समस्या के निदान के लिए सतत प्रयासरत है, जिस से राज्य बिना देरी किए कामों को सफलतापूर्वक संपादित कर सके.

ग्रामीण महिलाओं (Rural Women) को पशुपालन पर प्रशिक्षण(Training) , बनेगी आत्मनिर्भर

इंदौर : इंदौर जिले के गांवों में मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित किए गए महिला स्वसहायता समूहों के सदस्यों का निरंतर क्षमतावर्धन व सशक्तीकरण का काम किया जा रहा है. जिले में पूर्व में पशुपालन विभाग व नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड आनंद, गुजरात के सहयोग से 49 महिला समूह सदस्यों को ए-हेल्प (A-Help) पशु सखी का प्रशिक्षण दिया गया था.

उपरोक्त प्रशिक्षण के उपरांत यह महिला समूह सदस्य गांवों में पशु चिकित्सक को आवश्यक सहयोग करने व स्थानीय स्तर पर पुशधन के शुरुआती इलाज के लिए दक्ष है.

गांवों में पशुपालकों को त्वरित सहायता उपलब्ध हो सके व पशु चिकित्सा विभाग से और अधिक समन्वय के उद्देश्य से मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सिद्धार्थ जैन के दिशानिर्देशानुसार समूह द्वारा संचालित देवी अहिल्या सामुदायिक प्रशिक्षण केंद्र में 10 सितंबर को एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में पशुपालन विभाग के उपसंचालक डा. शशांक जुमड़े व अन्य विभागीय चिकित्सकों द्वारा उपस्थित रह कर पशु सखियों को विभागीय योजनाओं को ग्राम स्तर पर संचालित पशु चिकित्सकों की विस्तार से जानकारी दी गई.

उपसंचालक डा. शशांक जुमड़े ने पशु चिकित्सा द्वारा पशु सखियों को अवगत कराया कि विभाग द्वारा ग्राम स्तर पर पशुधन में सालाना किए जाने वाले टीकाकरण, डीवर्मिंग व अन्य कार्यक्रमों की जानकारी दी. पशु सखियां इन आयोजनों से जुड़ कर किस तरह गांव लैवल पर अपनी सेवाएं दे सकती हैं के बारे में बताया गया. साथ ही, भविष्य में शुरू होने वाली पंचवर्षीय पशु गणना के बारे में जानकारी दे कर पशु सखियों को मार्गदर्शित किया गया.

कार्यशाला में जिला परियोजना प्रबंधक, आजीविका मिशन द्वारा समूह से जुड़ कर समूह सदस्यों द्वारा की जा रही गतिविधियों व किस तरह पशु सखी के रूप में सेवाएं दे कर अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकती है के बारे में विस्तार से अवगत कराया गया.

किसान समय पर कराएं पंजीयन (Register)

इंदौर : खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर धान, ज्वार एवं बाजरा उपार्जन के लिए किसान पंजीयन प्रक्रिया का निर्धारण कर दिया गया है. किसान 19 सितंबर से 4 अक्तूबर तक पंजीयन करा सकते हैं. खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने किसानों से आग्रह किया है कि निर्धारित समय में पंजीयन करा लें, जिस से किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं हो.

उन्होंने बताया है कि किसान पंजीयन की व्यवस्था को सहज और सुगम बनाया गया है. किसान स्वयं के मोबाइल से घर बैठे पंजीयन कर सकेंगे. किसानों को पंजीयन केंद्रों में लाइन में लग कर पंजीयन कराने की समस्या से नजात मिलेगी.

पंजीयन की नि:शुल्क व्यवस्था
किसानों के मोबाइल फोन से पंजीयन करने की सुविधा के अतिरिक्त अन्य व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की गई हैं. पंजीयन की निःशुल्क व्यवस्था ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत कार्यालयों में स्थापित सुविधा केंद्र पर, तहसील कार्यालयों में स्थापित सुविधा केंद्र पर सहकारी समितियों एवं सहकारी विपणन संस्थाओं द्वारा संचालित पंजीयन केंद्र पर और एमपीकिसान एप पर भी की गई है.

पंजीयन की सशुल्क व्यवस्था
पंजीयन की सशुल्क व्यवस्था एमपी औनलाइन कियोस्क, कौमन सर्विस सैंटर कियोस्क, लोक सेवा केंद्र और निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित साइबर कैफे पर की गई है. इन केंद्रों पर पंजीयन के लिए शुल्क राशि प्राप्त करने के संबंध में कलक्टर ने निर्देश जारी किए. प्रति पंजीयन के लिए 50 रुपए से अधिक शुल्क निर्धारित नहीं किया जाएगा. किसान पंजीयन के लिए भूमि संबंधी दस्तावेज़ एवं किसान के आधारकार्ड एवं अन्य फोटो पहचानपत्रों का समुचित परीक्षण कर उन का रिकौर्ड रखा जाना अनिवार्य होगा.

सिकमी/बंटाईदार/कोटवार एवं वन पट्टाधारी किसान के पंजीयन की सुविधा केवल सहकारी समिति एवं सहकारी विपणन सहकारी संस्था ‌द्वारा संचालित पंजीयन केंद्रों पर उपलब्ध होगी. इस श्रेणी के शतप्रतिशत किसानों का सत्यापन राजस्व विभाग द्वारा किया जाएगा.

उपार्जित फसल के भुगतान के लिए बैंक खाता
किसान द्वारा समर्थन मूल्य पर विक्रय उपज का भुगतान प्राथमिकता के आधार पर किसान के आधार लिंक बैंक खाते में किया जाएगा. किसान के आधार लिंक बैंक खाते में भुगतान करने में किसी कारण से समस्या उत्पन्न होने पर किसान ‌द्वारा पंजीयन में उपलब्ध कराए गए बैंक खाते में भुगतान किया जा सकेगा.

पंजीयन के समय किसान को बैंक खाता नंबर और आईएफएससी (IFSC) कोड की जानकारी उपलब्ध करानी होगी. अक्रियाशील बैंक खाते, संयुक्त बैंक खाते एवं फिनो, एयरटेल, पेटीएम, बैंक खाते पंजीयन में मान्य नहीं होंगे. पंजीयन व्यवस्था में बेहतर सेवा प्राप्त करने के लिए यह जरूरी होगा कि किसान अपने आधार नंबर से बैंक खाता और मोबाइल नंबर को लिंक करा कर उसे अपडेट रखें.

सभी जिला कलक्टरों को निर्देशित किया गया है कि जिला और तहसील स्तर पर स्थापित आधार पंजीयन केंद्रों को क्रियाशील रखा जाए, ताकि किसान वहां जा कर आसानी से अपना मोबाइल नंबर एवं बायोमेट्रिक अपडेट करा सके.

इस काम के लिए पोस्ट औफिस में संचालित आधार सुविधा केंद्र का भी उपयोग किया जा सकता है. आधार नंबर से बैंक खाता लिंक कराने के लिए बैंकों के साथ भी समन्वय आवश्यक होगा. किसान के आधार लिंक बैंक खाते के सत्यापन के लिए पंजीयन के दौरान ही एक रुपए का ट्रांजेक्शन मध्य प्रदेश राज्य आपूर्ति निगम द्वारा ईउपार्जन/जेआईटी (JIT) पोर्टल के माध्यम से कराया जाएगा.

आधार नंबर का वेरीफिकेशन
पंजीयन कराने और फसल बेचने के लिए आधार नंबर का वेरीफिकेशन कराना अनिवार्य होगा. वेरीफिकेशन आधार नंबर से लिंक मोबाइल नंबर पर प्राप्त ओटीपी (OTP) से या बायोमेट्रिक डिवाइस से किया जा सकेगा. किसान का पंजीयन केवल उसी स्थिति में हो सकेगा, जबकि किसान के भूअभिलेख के खाते एवं खसरे में दर्ज नाम का मिलान आधारकार्ड में दर्ज नाम से होगा. भूअभिलेख और आधारकार्ड में दर्ज नाम में विसंगति होने पर पंजीयन का सत्यापन तहसील कार्यालय से कराया जाएगा. सत्यापन होने की स्थिति में ही उक्त पंजीयन मान्य होगा.

किसानों को करें एसएमएस
विगत रबी एवं खरीफ के पंजीयन में जिन किसानों के मोबाइल नंबर उपलब्ध हैं, उन्हें एसएमएस से सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं. गांव में डोडी पिटवा कर ग्राम पंचायतों के सूचना पटल पर पंजीयन सूचना प्रदर्शित कराने और समिति व मंडी स्तर पर बैनर लगवाने के निर्देश भी दिए गए हैं. किसान पंजीयन की सभी प्रक्रियाएं समयसीमा में पूरे करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं.