गत वर्ष के मुकाबले गुलाबी सुंडी (Pink bollworm) का प्रकोप कम

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कपास अनुभाग के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा कपास की फसल का फील्ड में लगातार सर्वे किया जा रहा है. सर्वे के दौरान गुलाबी सुंडी के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए किसानों को प्रशिक्षण के द्वारा जागरूक भी किया जा रहा है.

यह जानकारी देते हुए कपास विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डा. करमल सिंह ने बताया कि हिसार व फतेहाबाद जिलों के विभिन्न गांवों में सर्वे कर के उस पर आधारित कपास में गुलाबी सुंडी व अन्य बीमारियों से बचाने के लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है. अब तक किए गए सर्वे में यह पाया गया है कि राजस्थान से सटे हुए गांवों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप 10 से 35 फीसदी तक का असर देखा गया है, वहीं भिवानी व हिसार जिलों में गुलाबी सुंडी का असर 10 फीसदी तक है.

कपास अनुभाग व कृषि विभाग द्वारा किसानों को जागरूक करने के लिए विभिन्न गांवों में कृषि मेले भी आयोजित किए गए हैं. गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष कपास की फसल अच्छी है और इस बार पहले के मुकाबले कपास की अधिक पैदावार और मुनाफे की संभावना है.

डा. करमल सिंह ने बताया कि गत एक माह से कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एडीओ, बीएओ, एसडीएओ, एटीएम, बीटीएम और सुपरवाइजर को हरियाणा एग्रीकल्चरल मैनेजमेंट एंड एक्सटेंशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, जींद में प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

उन्होंने आगे बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों को विश्वविद्यालय में कपास अनुभाग में कपास के खेतों का भ्रमण भी करवाया जा रहा है. कपास अनुभाग द्वारा महीने में 2 बार कपास की उन्नत खेती करने के लिए एडवाइजरी भी जारी की जाती है.

आने वाले एक महीने में गुलाबी सुंडी से बचाव के लिए करें ये उपाय

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक सभी किसानों को कपास की अधिक पैदावार लेने के लिए आगामी एक महीने तक सजग रहते हुए विश्वविद्यालय के कपास अनुभाग द्वारा बनाई गई सिफारिश के अनुसार काम करने की सलाह दे रहा है. पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष गुलाबी सुंडी का प्रकोप कम है. अगले एक महीने तक किस गुलाबी सुंडी से बचाव के लिए 10 दिन के अंतराल पर इस प्रकार बताए गए कीटनाशकों का स्प्रे करें :

प्रोपेनोफोस 50 ईसी 3 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी, क्विनालफास 20 एएफ 4 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी, थायोडीकार्ब 75 डब्ल्यूपी 1.5 ग्राम प्रति लिटर पानी के साथ. जड़ गलन रोग के लिए प्रभावित पौधों के आसपास स्वस्थ पौधों में एक मीटर तक कार्बन्डजिम 2 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल बना कर 100-200 मिलीलिटर प्रति पौध जड़ों में डालें. वहीं पैराविल्ट रोग के लिए किसान लक्षण दिखाई देते ही 24-48 घंटों के अंदर 2 ग्राम कोबाल्ट क्लोराइड 200 लिटर पानी में घोल बना कर छिडक़ाव करें.

किसान नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी का करें ज्यादा उपयोग

जयपुर : प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी वैभव गालरिया की अध्यक्षता में पिछले  दिनों पंत कृषि भवन के समिति कक्ष में उर्वरकों की मांग, आपूर्ति एवं उपलब्धता की समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया, जिस में उर्वरकों व संभावित आपूर्ति के संबंध में कंपनीवार समीक्षा की गई. बैठक में उर्वरक निर्माता एवं आपूर्तिकर्ता फर्मों के प्रतिनिधियों द्वारा भाग लिया गया.

बैठक में वैभव गालरिया ने बताया कि डीएपी, यूरिया, एमपीके, एसएसपी उर्वरकों का मासिक आवंटन, जो कि केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है, उस की शतप्रतिशत आपूर्ति होना सुनिश्चित किया जाए.

प्रमुख शासन सचिव ने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी को किसानों द्वारा ज्यादा प्रयोग में लेने के लिए विभाग द्वारा इन का प्रचारप्रसार करने के लिए भी कहा. साथ ही, उर्वरकों की हो रही कालाबाजारी की रोकथाम और कालाबाजारी करने वाले आदान विक्रेताओं पर कार्यवाही की जाए.

बैठक में कृषि आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) के विनिर्माता एवं आपूर्तिकर्ताओं को निर्देशित किया कि उर्वरकों की गुणवत्तापूर्वक एवं मांग के अनुरूप आपूर्ति प्राथमिकता से करें.

उन्होंने संयुक्त निदेशक (गुण नियंत्रण) को निर्देशित किया कि विशेष गुण नियंत्रण अभियान चला कर आदान विक्रेताओं के पोस मशीन एवं वास्तविक भौतिक स्टाक का निरीक्षण करें. कृषि आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने एसएसपी व यूरिया को मिला कर डीएपी की जगह विकल्प के रूप में उपयोग करने का भी सुझाव दिया.

बैठक में अतिरिक्त निदेशक (आदान) डा. सुवालाल, संयुक्त निदेशक (आदान) लक्ष्मण राम, संयुक्त निदेशक (गुण नियंत्रण) गजानंद सहित विभागीय अधिकारी और उर्वरक विनिर्माता एवं आपूर्तिकर्ता कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे.

अंजीर का रस (Fig juice) पोलैंड को निर्यात

नई दिल्ली : कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीई‍डीए यानी एपीडा) ने जीआई टैग वाले पुरंदर अंजीर से बने भारत के प्रथम पीने के लिए तैयार अंजीर के रस को पोलैंड को निर्यात के लिए सुगम बनाया. अंजीर के रस की यह खेप सभी हितधारकों की उपस्थिति में एपीई‍डीए के अध्यक्ष अभिषेक देव द्वारा हरी झंडी दिखा कर 1 अगस्त, 2024 को जर्मनी के हैम्बर्ग बंदरगाह से होते हुए रवाना हुई. यह आयोजन वैश्विक मंच पर भारत के विशिष्ट कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

इस अभिनव अंजीर के रस की यात्रा ग्रेटर नोएडा, नई दिल्ली में आयोजित एसआईएएल 2023 के दौरान कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण मंडप में शुरू हुई. यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला ने प्रदर्शित उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहचान के लिए एक मंच प्रदान किया. पुरंदर हाईलैंड्स फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड द्वारा उत्पादित अंजीर के रस ने सभी का ध्यान आकर्षित किया और इस कार्यक्रम में एक पुरस्कार जीता, जिस ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस की क्षमता को विशिष्ट रूप से दर्शाया.

इस उत्पाद के विकास और निर्यात में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के निरंतर समर्थन और सहायता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वर्ष 2022 में हैम्बर्ग को ताजा जीआई टैग वाले पुरंदर अंजीर के पहले निर्यात के बाद से एपीई‍डीए ने छोटे किसानों के साथ पूरे सहयोग से काम किया है. यह उत्पाद, जिसे एक अनंतिम पेटेंट दिया गया है, कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नवाचार का प्रतिनिधित्व करता है.

एपीई‍डीए के समर्थन से इटली के रिमिनी में मैकफ्रूट वर्ष 2024 में अंजीर के रस का प्रदर्शन भी किया गया, जिस से इस की वैश्विक पहुंच का और अधिक विस्तार हुआ. इस आयोजन में खरीदारों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी गई, जिस में पोलैंड के व्रोकला में एमजी सेल्स एसपी द्वारा की गई पूछताछ भी शामिल थी, जिस के फलस्‍वरूप यह ऐतिहासिक निर्यात प्रक्रिया संपन्‍न हुई.

यह उपलब्धि न केवल भारतीय कृषि उत्पादों की क्षमता को प्रदर्शित करती है, तथापि कृषि निर्यात के मूल्य को बढ़ाने में अनुसंधान और विकास के महत्व को भी रेखांकित करती है. यह उपलब्धि भारतीय कृषि उत्पादों की क्षमता के साथ किफायती कृषि प्रणालियों और निर्यात को बढ़ावा देने में एफपीसी की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है.

पालतू भेड़ और बकरियों (Pet Sheep and Goats) को एफएमडी (FMD) से बचाने के लिए होगा टीकाकरण (Vaccination)

नई दिल्ली : केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने टीकाकरण के जरीए वर्ष 2030 तक एफएमडी मुक्त भारत (एफएमडी खुरपरा एवं मुंहपका रोग) के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में विभाग द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा की.

उन्होंने कहा कि पशुधन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाता है. यह क्षेत्र पशुधन की देखभाल करने वाले किसानों, विशेषकर ग्रामीण परिवारों और महिलाओं की आजीविका में योगदान देने वाला एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल जागरूकता, पहुंच और रुचि चिंता का विषय है, जिस के कारण आजीविका में भारी नुकसान हो रहा है. बैठक में मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल और पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय भी उपस्थित थीं.

बैठक में भारत को वर्ष 2030 तक एफएमडी मुक्त बनाने की कार्ययोजना पर चर्चा की गई. बैठक के दौरान यह बताया गया कि देश में, विशेष रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में सीरो सर्विलांस के आधार पर जोन बनाने के लिए सभी आकलन किए गए हैं, जहां टीकाकरण अग्रिम चरण में है, उन्हें एफएमडी मुक्त क्षेत्र घोषित करने के लिए प्राथमिकता दी जा सकती है. इस से निर्यात के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने बताया कि पशुओं में होने वाले रोग, पशुधन क्षेत्र के विकास में एक गंभीर बाधा है. अकेले एफएमडी के कारण, प्रति वर्ष लगभग 24,000 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है. इस बीमारी के नियंत्रण और उन्मूलन के परिणामस्वरूप दूध उत्पादन में वृद्धि होगी, लाखों किसानों की आजीविका सुदृढ़ होगी और उन की आय में वृद्धि होगी. इतना ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी आवश्यकताओं के अनुसार दूध और पशुधन उत्पादों के निर्यात में वृद्धि होगी.

भारत सरकार ने 2 प्रमुख बीमारियों एफएमडी और ब्रुसेलोसिस की रोकथाम के उद्देश्य से टीकाकरण के लिए एनएडीसीपी की प्रमुख योजना शुरू की. कार्यक्रम के तहत मवेशियों और भैंसों में एफएमडी की रोकथाम के लिए 6 मासिक टीकाकरण भेड़ और बकरियों में शुरू किया जाता है. देश के 21 राज्यों में पशुओं में एफएमडी की रोकथाम हेतु टीकाकरण का चौथा दौर पूरा हो चुका है. अब तक कुल मिला कर लगभग 82 करोड़ टीकाकरण किए गए हैं. कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में राउंड 5 पहले ही पूरा हो चुका है.

कार्यक्रम के तहत टीकाकरण के माध्यम से देश से एफएमडी के उन्मूलन के उद्देश्य को पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2030 है. इस समय टीकाकरण के माध्यम से मिलने वाले लाभों को सुरक्षित और कारगर बनाने के लिए एफएमडी मुक्त क्षेत्र बनाने की दिशा में संबंधित राज्यों के साथसाथ पशुओं की आवाजाही का पता लगाने, रोग की निगरानी, जैव सुरक्षा संबंधी उपायों आदि जैसे क्षेत्रों में समन्वित प्रयासों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने की आवश्यकता है.

इस पहल को तेज करने के उद्देश्य से केंद्रीय मंत्रियों ने जमीनी स्तर पर जोनिंग की अवधारणा को लागू करने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करने के क्रम में समर्थन और मार्गदर्शन दिया है. जोनिंग की अवधारणा और जोन को एफएमडी मुक्त बनाए रखने की पूर्व शर्तों और जरूरतों के बारे में चर्चा की गई.

यह देखा गया कि इस के लिए न केवल संबंधित राज्यों के साथ गहन सूक्ष्म नियोजन की आवश्यकता है, बल्कि टीकाकरण के माध्यम से वर्ष 2030 तक इस बीमारी को खत्म करने के अंतिम उद्देश्य को निर्धारित करने के लिए एक विस्तृत रोडमैप की भी आवश्यकता है.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि इस बृहद क्रियाकलाप में राज्यों को गुणवत्तापूर्ण वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित करना शामिल है. उन्होंने यह भी बताया कि यह गर्व की बात है कि सभी पशु टीके आईसीएआर संस्थानों द्वारा विकसित किए गए हैं और घरेलू स्तर पर उत्पादित किए जा रहे हैं. भारत अब अन्य चुनिंदा एशियाई देशों को टीके निर्यात करने में सक्षम है.

विभाग की ओर से राज्य सरकारों को सहायक उपकरण, टीका लगाने वालों को पारिश्रमिक, जागरूकता पैदा करने और अपेक्षित कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना आदि के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है. एफएमडी टीकाकरण की प्रभावकारिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए गतिविधियों की निगरानी अत्यधिक वैज्ञानिक तरीके से सीरो मौनिटरिंग और सीरो सर्विलांस के माध्यम से की जाती है, जो दुनिया में पशुधन में सब से बड़ा अभियान है.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह के निर्देशों के तहत एफएमडी के खिलाफ चरने वाले भेड़ और बकरियों के टीकाकरण का निर्णय देश की ऐसी सभी आबादी तक बढ़ा दिया गया है. टीके की आपूर्ति शुरू हो गई है और लद्दाख ने पहले ही झुंडों का टीकाकरण शुरू कर दिया है. यह सरकार द्वारा प्रतिबद्ध सौ दिवसीय कार्ययोजना में से एक है. अतिसंवेदनशील और चरने वाले झुंडों में टीकाकरण की बारीकी से निगरानी की जाती है. इस का एक कारण यह भी है कि कई क्षेत्रों में भेड़बकरियों को पर्यावरण में संक्रामक वायरस की अनुपस्थिति स्थापित करने के लिए प्रहरी जानवरों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाना है.

मंत्री राजीव रंजन ने प्रतिभागियों से एफएमडी मुक्त भारत की इस चुनौती को स्वीकार करने की अपील करते हुए पशुपालन क्षेत्र के गैरसरकारी संगठनों सहित सभी हितधारकों से एफएमडी मुक्त भारत के लक्ष्य में योगदान देने को कहा. उन्होंने पशुओं में टीकाकरण की सख्त निगरानी और पर्यवेक्षण में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला.

कृषि अधोसंरचना निधि संबंधी कार्यशाला में किसानों को मिली जानकारी

हरदा : प्रदेश में भारत सरकार की योजना ‘कृषि अधोसंरचना निधि’ की विशेषताओं व एमपी फार्मगेट एप के प्रचारप्रसार करने और किसानों, व्यापारियों, उद्यमियों व विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों को इन योजनाओं की जानकारी देने के लिए पिछले दिनों मंडी बोर्ड, भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में माहेश्वरी मांगलिक भवन में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.

कार्यशाला में कलक्टर आदित्य सिंह ने ‘कृषि अधोसंरचना निधि’ योजना की तारीफ करते हुए इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों से अपील की. उन्होंने बताया कि देश में कृषि अधोसंरचना सुधार के लिए वित्तीय सहायता देने के उद्देश्य से कृषि अधोसंरचना निधि योजना चलाई जा रही है. योजना के तहत, भारत सरकार द्वारा एक लाख करोड़ रुपए का कोष बनाया गया है. इस योजना में किसानों व कृषि उद्यमियों को 2 करोड़ रुपए तक का लोन मुहैया कराया जाता है, जिस पर 3 फीसदी ब्याज अनुदान दिया जाता है.

उन्होंने कहा कि जिले में कुल 61 हितग्राहियों के वेयरहाउस इसी योजना के तहत बने हुए हैं. वहां मौजूद किसानों से उन्होंने अपील की कि वे ही कृषि अधोसंरचना निधि योजना के लिए आवेदन कर दें और योजना का लाभ उठाएं.

कार्यशाला में कलक्टर आदित्य सिंह ने किसानों से कहा कि वे खेती के साथसाथ उस से जुड़े फूड प्रोसैसिंग उद्योग इस योजना के तहत शुरू कर सकते हैं, जिस में खेती से अधिक लाभ किसानों को होता है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि मिर्ची की फसल से उतना लाभ नहीं होगा, जितना मिर्ची का पाउडर तैयार कर के बेचने में होगा. इस से पूर्व उपसंचालक, कृषि, संजय यादव ने उपस्थित समस्त अतिथियों का स्वागत किया. इस दौरान उपसंचालक, कृषि, संजय यादव, मंडी सचिव, हरदा, एमएस चौहान, सहायक उपनिरीक्षक आदित्य राज सिंह चौहान, सहायक उपनिरीक्षक राहुल कुमार देवहारे सहित कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, नाबार्ड बैंक व मंडी समितियों के सचिव एवं कर्मचारी और मीडिया प्रतिनिधि व किसान एवं व्यापारी प्रतिनिधि उपस्थित थे.

कार्यशाला के दूसरे चरण में गोविंद प्रसाद शर्मा, कृषि नोडल कृषि अधोसंरचना निधि योजना ने पावर पौइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी. साथ ही, योजना के तहत वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज, राइपनिंग चेंबर, प्राइमरी प्रोसैसिंग यूनिट, दाल मिल, फ्लोर मिल, आटा मिल, कस्टम हायरिंग सैंटर, मसाला उद्योग, बांस प्रोसैसिंग उद्योग इत्यादि के लिए लोन लिया जा सकता है. इस दौरान कृषि अधोसंरचना निधि योजना पोर्टल का तकनीकी प्रशिक्षण भी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिया गया.

कार्यशाला में बताया गया कि कृषि अधोसंरचना निधि योजना के तहत अभी तक जिले में 127 आवेदनों में 78 करोड़ रुपए की राशि बैंकों द्वारा स्वीकृत की जा चुकी है. कार्यशाला में चीफ प्रोग्रामर, मंडी बोर्ड, भोपाल, संदीप चौबे ने एमपी फार्मगेट एप विषय पर विस्तार से प्रस्तुतीकरण दिया.

उन्होने इस दौरान अपने घर खलिहान से अपनी कृषि उपज को अपने मनपसंद दाम पर विक्रय करने की सुविधा, कृषि विक्रय में होने वाले खर्चों में कटौती, मंडी में होने वाली भीड़ से बचत आदि सुविधाओं के संबंध में एमपी फार्मगेट ऐप की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी.

उन्होने उपस्थित किसानों को एमपी फार्मगेट ऐप को एंड्राइड मोबाइल पर गूगल प्ले स्टोर पर जाकर डाउनलोड करने तथा ऐप का इस्तेमाल करने के संबंध में भी जानकारी दी. कार्यशाला में जिले की मंडियों से आए हुए व्यापारियों तथा कृषकों ने अपनी जिज्ञासा अनुरूप प्रश्न पूछे, जिसका समाधान कारक उत्तर उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा दिया गया.

मोबाइल एप (Mobile App) द्वारा किसान बेच सकेंगे अपनी उपज

भोपाल : किसानों को कृषि उपज विपणन के क्षेत्र में अभिनव कदम उठाते हुए मोबाइल एप के माध्यम से अपनी कृषि उपज का विक्रय अपने घर, खलिहान, गोदाम से कराने की सुविधा प्रदान की गई है. सब से पहले किसान अपने एंड्राइड मोबाइल पर प्ले स्टोर में जा कर मंडी बोर्ड भोपाल का मोबाइल एप एमपी फार्म गेट एप  (MP FARM GATE APP) डाउनलोड करना होगा और एप इंस्टाल कर कृषक पंजीयन पूर्ण करना होगा. फसल विक्रय के समय किसानों को अपनी कृषि उपज के संबंध में मंडी फसल, ग्रेड किस्म, मात्रा एवं वांछित भाव की जानकारी दर्ज करना होगा.

किसानों द्वारा अंकित की गई समस्त जानकारियां चयनित मंडी के पंजीकृत व्यापारियों को प्राप्त हो जाएगी और प्रदर्शित होगी. व्यापारी द्वारा फसल की जानकारी एवं बाजार की स्थिति के अनुसार अपनी दरें औनलाइन दर्ज की जाएगी, जिस का किसान को एप में मैसेज प्राप्त होगा. इस के उपरांत आपसी सहमति के आधार पर चयनित जगह पर कृषि उपज का तौल कार्य होगा. कृषि उपज का तौल कार्य होने के बाद औनलाइन सौदा पत्रक एवं भुगतान पत्रक जारी किया जाएगा और शासन, मंडी बोर्ड के नियमानुसार नगर या बैंक खाते में भुगतान किया जाएगा.

इस प्रकार किसान एमपी फार्म गेट एप (MP FARM GATE APP) मोबाइल एप के माध्यम से मंडी में आए बिना अपने घर, गोदाम, खलिहान से भी अपनी कृषि उपज का विक्रय कर सकते हैं. इस एप से किसान प्रदेश की मंडियों में विक्रय की जाने वाली उपजों के दैनिक भाव की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं.

किसानों से इस एप को अपने एंड्राइड मोबाइल में इंस्टाल कर राज्य शासन एवं मंडी बोर्ड की इस अभिनव पहल का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की गई है.

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग (Micro Food Industry) उन्नयन योजना : 10 लाख रुपए तक लें सब्सिडी

रतलाम : प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के अंतर्गत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां जैसे आलू से बने खाद्य पदार्थ, चिप्स, पाउडर, फ्लैक्स, स्टार्च आदि, लहसुन एवं प्याज पेस्ट पाउडर, टमाटर केचप, सौस, अचार, पापड़, मुरब्बा, जैम, जैली जूस, चौकलेट, बेकरी, मसाला, आटा चक्की, नमकीन, डेयरी उत्पाद, फ्रोजन उत्पाद, दाल उत्पाद, औयल, सोयाबीन एवं समस्त प्रोसैस्ड खाद्य पदार्थों के नवीन उद्योगों की स्थापना और पहले से स्थापित इकाइयों के उन्नयन और पैकेजिंग के सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना पर प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन के तहत इकाई लागत का 35 फीसदी यानी अधिकतम 10 लाख रुपए तक सब्सिडी लाभ दिए जाने का प्रावधान किया गया है.

इस में एकल उद्योगों एवं समूहों की डीपीआर तैयार करने, बैंक से ऋण लेने, एफएसएसआई के खाद्य मानकों, उद्योग आधार, जीएसटी आदि सहित आवश्यक पंजीकरण एवं लाइसैंस प्राप्त करने के लिए हैंड होल्डिंग सेवाएं प्रदान किए जाने के लिए विभाग द्वारा अधिकृत रिसोर्स पर्सन द्वारा निःशुल्क सेवाएं प्रदान की जाएगी.

योजना की विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित रिसोर्स पर्सन एवं वैबसाइट mofpi.nic.in पर देख सकते हैं या जिला कार्यालय, उपसंचालक, उद्यान विकासखंड स्तर पर पदस्थ वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारियों/ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारियों से संपर्क कर योजना का लाभ ले सकते हैं. कलक्टर राजेश बाथम ने जिले के अधिक से अधिक किसानों एवं उद्यमियों से योजना का लाभ लेने की अपील की है.

‘संपूर्णता अभियान’ के तहत किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित

दमोह : नीति आयोग द्वारा जिला एवं आकांक्षी विकास खंड जबेरा के अंतर्गत ग्राम नोहटा में कृषि विभाग ‘संपूर्णता अभियान’ के तहत प्रदेश के संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी ने किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किया.

राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि किसान समृद्ध हो, आधुनिक रूप से खेती करे, किसान को मालूम होना चाहिए कि अपने खेत में कौन सी फसल बोएंगे तो और अच्छे भो अच्छे नतीजे प्राप्त होंगे. इस के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने पहल शुरू की है. कृषि विभाग किसान के खेत की मिट्टी ले कर उस मिट्टी की जांच करेंगे और उस मिट्टी में कौनकौन से पोषक तत्व हैं, उस के बारे में भी बताएंगे और उस मिट्टी में कौनकौन से तत्वों की कमी है, उस के बारे में भी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड में बताने का काम किया जाएगा.

राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि किसानों के खेत की मिट्टी में जो तत्व हैं, उस के आधार पर किसानों को यह बताने का प्रयास किया जाएगा कि आप कौन सी फसल अपने खेत में बोएंगे तो अच्छी पैदावार होगी और जिन तत्वों की कमी है, उन तत्वों के बारे में बताया जाएगा कि जब फसल बोते हैं, तो वह तत्व फसल में डालेंगे तो अच्छी पैदावार होगी.

उन्होंने कहा कि पीएच मान 6.92 है, यह 5.5 से 8.5 के बीच में होना चाहिए, मतलब पीएच मान आप के खेत में सही है. सल्फर 19 है, जो कि 10 से ज्यादा होना चाहिए, सल्फर भी ठीक है. आयरन की मात्रा 4.86 पीपीएम है, जबकि 4.5 से ज्यादा होनी चाहिए तो यह भी ठीक है.

उन्होंने कहा कि आप सभी किसान सुखी हों, समृद्ध हों और उन्नति करें. कार्यक्रम में उपसंचालक, कृषि, जितेंद्र सिंह राजपूत, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी जबेरा एमएल अहिरवार एवं विकासखंड के समस्त कृषि विस्तार अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में किसानों की सहभागिता रही.

संस्थान द्वारा विकसित कमलम फल पाउडर बनाने की तकनीक एमएसएमई के लिए भी अपनाने और व्यावसायीकरण के लिए उपयुक्त है. भाकृअनुप द्वारा इस की मंजूरी के बाद यह तकनीक जल्द ही व्यावसायीकरण के लिए उपलब्ध होगी.

समुद्री मछली पकड़ने वाले जहाजों पर 1,00,000 ट्रांसपोंडर (Transponders) लगाए जाएंगे

नई दिल्ली : भारत सरकार ने 23 अगस्त “राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस” घोषित किया है, क्योंकि इस दिन भारत को एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई थी. इसी दिन चंद्रयान-3 मिशन ने विक्रम लैंडर की सुरक्षित और सौफ्ट लैंडिंग पूरी की और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास प्रज्ञान रोवर को तैनात किया. इस उपलब्धि ने भारत को चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बना दिया है.

इस ऐतिहासिक उपलब्धि की याद में मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने मात्स्यिकी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई सैमिनार और प्रदर्शनियां आयोजित कर रहा है.

ये कार्यक्रम विभिन्न तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, इसरो और मत्स्यपालन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों के सहयोग से आयोजित किए जा रहे हैं. अब तक विभिन्न तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हाइब्रिड मोड में 4000 से अधिक प्रतिभागियों के साथ 11 सैमिनार और कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं.

इन आयोजनों के एक भाग के रूप में मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने 13 अगस्त, 2024 को कृषि भवन, नई दिल्ली में “मात्स्यिकी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग” विषय पर एक सैमिनार का आयोजन किया. राजीव रंजन सिंह, केंद्रीय मंत्री, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इस आयोजन में जार्ज कुरियन, राज्यमंत्री, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के साथसाथ अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति थी.

राजीव रंजन सिंह ने चंद्रयान-3 मिशन की शानदार सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी. केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने मत्स्यपालन क्षेत्र, विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र के साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के लिए मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों और महत्वपूर्ण उपायों पर प्रकाश डाला.

इस प्रणाली का उपयोग फिशिंग वेसल्स की मौनिटरिंग, कंट्रोल और सरवेलेंस के लिए किया जाता है, जो समुद्र में उन की सुरक्षा के लिए आवश्यक है. 13 तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मेकैनाइज्ड और मोटोराइज्ड दोनों तरह के फिशिंग वेसल्स पर 1,00,000 ट्रांसपोंडर लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जिस के लिए 364 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है.

जार्ज कुरियन ने मात्स्यिकी क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों, उपग्रह प्रौद्योगिकियों और वेसल्स  कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम में युवा पीढ़ी को शामिल करने के महत्व पर प्रकाश डाला. राज्य मंत्री ने राष्ट्रीय रोलआउट प्लान के तहत निःशुल्क ट्रांसपोंडर प्रदान कर के मछुआरों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्धता पर जोर दिया.
इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सैंटर के वैज्ञानिक डा. चंद्र प्रकाश ने मात्स्यिकी क्षेत्र में कम्यूनिकेशन एंड नेविगेशन सिस्टम्स का अवलोकन प्रस्तुत किया, जिस में विभिन्न अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों की विशेषताएं और अनुप्रयोग शामिल थे.

डा. अभिलक्ष लिखी, सचिव, मत्स्यपालन विभाग ने वेसल्स कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम और ओशनसैट -3 जैसी कुछ प्रमुख परियोजनाओं पर इसरो और मत्स्यपालन विभाग के बीच सहयोगात्मक प्रयासों पर प्रकाश डाला. केंद्रीय सचिव ने मात्स्यिकी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग को बढ़ाने पर भी जोर दिया.

सागर मेहरा, संयुक्त सचिव, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने सभी गणमान्य व्यक्तियों और अन्य प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और मत्स्यपालन विभाग विभाग, भारत सरकार और इसरो के बीच सफल सहयोग की सराहना की.

मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार की संयुक्त सचिव नीतू प्रसाद ने मात्स्यिकी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग पर मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न पहलों जैसे वेसल्स कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम के लिए नैशनल रोलआउट प्लान, ओशनसैट का अनुप्रयोग, पोटेंशियल फिशिंग जोन्स (पीएफजेड) आदि के बारे में जानकारी दी.

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि वेसल्स कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम, जिसे भारत सरकार ने साल 2023 में अनुमोदित किया था, एक महत्वपूर्ण पहल है.

मत्स्यपालन विभाग, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के मात्स्यिकी विभाग, इसरो, आईएनसीओआईएस, आईएमएसी, आईसीएआर, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के अधिकारी और अन्य हितधारकों ने कृषि भवन में प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया.

इस कार्यक्रम में लगभग 1,000 मछुआरे, छात्र, राज्य मात्स्यिकी विभाग और मत्स्यपालन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों, आईसीएआर आदि के अधिकारियों ने वर्चुअल मोड द्वारा शामिल हुए.

कृषि भवन में आयोजित कार्यक्रम के बाद महाराष्ट्र के मात्स्यिकी विभाग के सहयोग से एफएसआई मुख्यालय, मुंबई में एक सैमिनार और कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिस में मछुआरों, छात्रों, अधिकारियों और नाव मालिकों आदि सहित तकरीबन 300 लोग शामिल हुए.

भारत और न्यूजीलैंड के बीच बागबानी (Horticulture) क्षेत्र को मिलेगी मजबूती

नई दिल्ली : 12 अगस्त 2024. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान और न्यूजीलैंड के कृषि, वानिकी, व्यापार और विदेश मामलों के एसोसिएट मंत्री टौड मैक्ले के बीच कृषि भवन, नई दिल्ली में उच्चस्तरीय द्विपक्षीय बैठक हुई.

इस बैठक में दोनों देशों के आपसी हितों के प्रमुख क्षेत्रों व सहयोग के अवसरों पर चर्चा की गई. यह चर्चा दोनों देशों की कृषि प्राथमिकताओं के बारे में जानकारी साझा करने और बागबानी पर प्रस्तावित मैमोरेंडम औफ कौपरेशन (एमओसी) सहित साझेदारी के लिए नए रास्ते तलाशने पर केंद्रित थी.

मंत्रियों ने कृषि साझेदारी को और मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिस में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है.

बैठक में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत के साथ संबंध सुदृढ़ करने में न्यूजीलैंड के सक्रिय प्रयासों की सराहना की व इस संबंध के लिए न्यूजीलैंड सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता के महत्व को स्वीकार किया. उन्होंने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों पर प्रकाश डाला.

साथ ही, न्यूजीलैंड में भारतीय प्रवासियों के महत्वपूर्ण योगदान और दोनों देशों के बीच बढ़ते शैक्षिक आदानप्रदान का उल्लेख किया. बैठक के मुख्य निष्कर्षों में व्यापार और बाजार पहुंच में सकारात्मक विकास शामिल है. भारतीय अनार के आयात और आम के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के लिए न्यूजीलैंड के समर्थन को गर्मजोशी से स्वीकार किया गया.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लखनऊ और दिल्ली में नए औडिट की गई वीएचटी सुविधाओं को शीघ्र अनुमोदन मिलने की भी उम्मीद जताई, जिस से न्यूजीलैंड को भारतीय आमों का निर्यात और बढ़ेगा.
इस के अलावा न्यूजीलैंड के मंत्री मैक्ले ने न्यूजीलैंड से भारत को पाइन लौग निर्यात की हाल ही में पुनः शुरुआत करने के लिए धन्यवाद दिया, जिस से उन्हें पिछली चुनौतियों से उबरने में मदद मिली.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस क्षेत्र में सहयोग जारी रखने के लिए भारत के समर्थन को दोहराया और संतरे व केले जैसे ताजे और सूखे फलों सहित अन्य कृषि उत्पादों में व्यापार के विस्तार की संभावना पर जोर दिया.

उन्होंने विशेष रूप से न्यूजीलैंड को अंगूर निर्यात करने के लिए भारतीय निर्यातकों को शीघ्र बाजार पहुंच प्रदान करने पर विचार करने का उल्लेख किया. दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार व निवेश को और बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की.

बैठक में विशेष रूप से बागबानी और मछलीपालन में सहयोग की संभावनाओं को देखते हुए अनुसंधान एवं विकास के लिए तकनीकी सहयोग के महत्व पर भी चर्चा की गई. मंत्रियों ने दोनों देशों के किसानों, उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं को लाभान्वित करने के लिए आर्थिक और व्यापार संबंधों को मजबूत बनाने के लिए मिल कर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मैक्ले और उन के प्रतिनिधिमंडल को भारत में उपयोगी एवं सुखद प्रवास के लिए शुभकामनाएं दी. बैठक में भारत में न्यूजीलैंड के हाई कमिश्‍नर पैट्रिक राटा के अलावा दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.