पशुपालक रामरतन यादव कर रहे अच्छी कमाई

कटनी : आचार्य गौ संवर्धन योजना से लाभान्वित गांव बड़खेड़ा के बाशिंदे पशुपालक रामरतन यादव की डेयरी का भ्रमण उपसंचालक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा किया. रामरतन यादव द्वारा वर्ष 2018 में योजनान्तर्गत स्टेट बैंक औफ इंडिया बहोरीबंद बैंक से 5 पशु के लिए लोन ले कर डेयरी व्यवसाय शुरू किया गया. इस व्यवसाय से इन्हें लगभग 30,000 रुपए प्रतिमाह की आय हो रही है.

व्यवसाय अच्छा चलने के कारण रामरतन द्वारा बैंक का लोन भी समय पर चुका दिया है. समय पर बैंक लोन चुका दने के कारण अब इन्हें बैंक से 1 लाख, 63 हजार रुपए का केसीसी भी लिया गया है, जिस का भुगतान भी रामरतन द्वारा समय पर किया जा रहा है.

पशुओं की संख्या बढ़ने के कारण 60 से 70 लिटर दूध प्रतिदिन उत्पादन होने से डेयरी का व्यवसाय अच्छा चलने के परिणामस्वरूप प्राप्त हाने वाली आय से ही रामरतन द्वारा ढाई एकड़ जमीन भी खरीद ली है और पशुओं की खुराक के लिए इन्हें चारा काटने की मशीन भी पशुपालन विभाग से प्रदान की गई है.

किसानों की सुविधा को देखते हुए उपार्जन केंद्र (Procurement Center) बनाएं

जबलपुर : कलक्‍टर दीपक सक्‍सेना की अध्‍यक्षता में खरीफ फसलों के पंजीयन के संबंध में खाद्य विभाग की बैठक आयोजित की गई. उन्‍होंने कहा कि खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्‍य पर धान, ज्‍वार एवं बाजरा उपार्जन के लिए किसानों के पंजीयन समय पर सुनिश्चित किए जाएं.

बैठक में कहा गया कि धान उपार्जन पंजीयन 19 सितंबर से शुरू हो जाएंगे. बैठक में कहा गया कि ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, तहसील कार्यालय, सहकारी समितियों एवं सहकारी विपणन संस्‍थाओं द्वारा संचालित पंजीयन केंद्र और एमपी किसान एप पर यह सुविधा नि:शुल्‍क रहेगी.
साथ ही, एमपी औनलाइन कियोस्‍क, सीएससी कियोस्‍क, लोक सेवा केंद्र और निजी व्‍यक्तियों द्वारा संचालित साइबर कैफे पर पंजीयन की सशुल्‍क व्‍यवस्‍था रहेगी.

कलक्‍टर दीपक सक्‍सेना ने कहा कि धान पंजीयन में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो, इस की सतत निगरानी भी की जाए. पूरा उपार्जन पारदर्शी तरीके से हो.

उन्‍होंने यह भी कहा कि इस बार वेयरहाउस का चयन लौटरी सिस्‍टम से हो, साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि एक क्षेत्र विशेष में कितने लोग के बीच में एक खरीदी केंद्र हो. यह पहले से ही तय कर लें कि हर विकासखंड में कितने और कौनकौन से केंद्र होंगे. इस में किसानों की आपत्तियों को भी ध्‍यान में रखा जाएगा.

कलक्‍टर दीपक सक्सेना ने कहा कि किसानों की सुविधा को देखते हुए उपार्जन केंद्र बनाएं, धान पंजीयन में उन्‍होंने विशेष रूप से कहा कि बिना एग्रीमेंट के सिकमी पंजीयन नहीं होगा.

सरकारी पोर्टल ‘मेरा युवा भारत’ युवाओं के स्टार्टअप (Startup) के लिए खास

उदयपुर : 10 सितंबर, 2024 को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण निदेशालय द्वारा भारत सरकार युवा मामलात एवं खेल मंत्रालय के सुयंक्त तत्वावधान में आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक कार्यक्रम के अधिकारियों का प्रशिक्षण का शुभारंभ कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक एवं क्षेत्रीय निदेशक राष्ट्रीय सेवा योजना राजस्थान के डा. सिंधु प्रकाश भटनागर ने किया. उस के बाद छात्र कल्याण अधिकारी डा. मनोज कुमार महला ने अतिथियों का स्वागत किया.

डा. सिंधु प्रकाश ने अपने स्वागत उद्बोधन में प्रशिक्षण के लिए राजस्थान के विभिन्न जिलों के महाविद्यालयों में कार्यरत कार्यक्रम अधिकारी, राष्ट्रीय सेवा योजना का स्वागत किया. साथ ही, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक, डा. अनुपम भटनागर, अधिष्ठाता, सीटीएई डा. लोकेश गुप्ता, अधिष्ठाता, सीडीएफटी का स्वागत किया.

उन्होनें उक्त प्रशिक्षण शिविर के संदर्भ में युवाओं में राष्ट्रीय जागरण एवं युवाओं की ऊर्जा का राष्ट्रहित में उपयोग करने की बात कही. डा. अनुपम भटनागर, अधिष्ठाता, सीटीएई ने अपने भाषण में कहा कि भारत के युवाओं के हितार्थ सरकार का पोर्टल ‘मेरा युवा भारत’ युवाओं के स्टार्टअप एवं युवाओं के उत्थान के लिए राष्ट्र के लिए उपयोगी सिद्ध होगा.

उन्होनें महाविद्यालय द्वारा संचालित गतिविधियों के साथ सेवा योजना एवं आवश्यकतानुरूप महाविद्यालय की उपयोगिता का उपयोग किए जाने की बात कही. कार्यक्रम में क्षेत्रीय निदेशक राष्ट्रीय सेवा योजना, जयपुर से आए डा. सिंधु प्रकाश भटनागर ने सरकार द्वारा संचालित ‘मेरा भारत’ पोर्टल की गतिविधियों एवं उक्त प्रशिक्षण के उद्देश्यों एवं क्रियान्वयन की परिणती पर प्रकाश डाला.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति ने अपने वक्तव्य से पूरे कार्यक्रम एवं भारत के युवाओं को उत्प्रेरक बताते हुए 2047 के विकसित भारत के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने वाला बताते हुए युवाओं में निहित ऊर्जा शक्ति को स्वामी विवेकानंद के द्वारा बताए गए व्यक्तित्व निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण में युवाओं के महत्व को उजागर करते हुए राष्ट्र की प्रगति में योगदान को सही दिशा प्रदान करने के उद्देश्य को निर्धारित करेगा.

उन्होनें विश्वविद्यालय की ओर से सभी आगुंतक कार्यक्रम अधिकारियों, मेहमानों का स्वागत किया. कार्यक्रम के समापन में सभी मेहमानों एवं अतिथियों का आभार एवं धन्यवाद डा. लोकेश गुप्ता, अधिष्ठाता, डेयरी विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय ने व्यक्त किया और कहा कि प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान को छात्रछात्राओं में अवश्य वितरित करेंगे, जो राष्ट्र के विकास के लिए पथ प्रदर्शक का काम करेगा.

आयोजित कार्यक्रम का संचालन उपआचार्य सामुदायिक एवं व्यवहारिक विज्ञान महाविद्यालय की डा. गायत्री तिवारी ने किया. इस अवसर पर डा. कोमल सिंह, डा. दिनेश गुप्ता, डा. सौरभ, जयपुर से उपस्थित थे, वहीं भारत सरकार युवा मामलात एवं खेल मंत्रालय के डा. जुनेद खान एवं मीनाक्षी, ट्रेनर ने सभी प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षण दिया.

राजस्थान के उदयपुर संभाग के विभिन्न जिलों के सरकारी व गैरसरकारी महाविद्यालयों के 61 कार्यक्रम अधिकारियों ने भाग लिया. इस अवसर पर डा. मनोज कुमार महला, कार्यक्रम निदेशक राष्ट्रीय सेवा योजना, छात्र कल्याण निदेशालय, सोम शेखर व्यास, डा. केवल चंद आदि भी उपस्थित रहे.

मधुमक्खीपालन (Beekeeping) व शहद प्रसंस्करण (Honey Processing) करना हुआ आसान

बालाघाट : जिले में शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार का अवसर दिलाने के लिए जिला खादी ग्रामोद्योग द्वारा एक नई पहल शुरू की गई है, जिस में मधुमक्खी पालन व शहद प्रसंस्करण जैसा कार्य सुनिश्चित किया जा सकता है. हम जानते हैं कि बालाघाट जिले के अधिकांश भूभाग पर वनांच्छादित क्षेत्र उपलब्ध है. ऐसे में यहां मधुमक्खीपालन प्रोजैक्ट सुगमता के साथ संचालित किया जा सकता है. इस के लिए जिला पंचायत द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) योजना के अंतर्गत बैंक से ऋण ले कर मधुमक्खीपालन/शहद प्रसंस्करण की इकाई स्थापित की जा सकती है.

ज्ञात हो कि उत्पादित शहद की बिक्री के लिए मध्य प्रदेश खादी बोर्ड, भोपाल की विन्याश वेली योजना में विक्रय किया जा सकेगा, वहीं योजना में आवश्यकता होने पर शासन द्वारा हितग्राही को मधुमक्खीपालन/शहद प्रसंस्करण के लिए प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव प्रेषित किया जा सकेगा.

आवेदक की अर्हताएं
योजना में आवेदन करने के लिए आवेदक/हितग्राही की उम्र 18 वर्ष से 45 वर्ष तक होनी चाहिए. वहीं आवेदक बालाघाट का मूल निवासी होने के अलावा कम से कम 8वीं या 10वीं पास होना चाहिए. आवेदक द्वारा पूर्व में शासन की किसी भी योजना के अंतर्गत अनुदान राशि का लाभ न लिया हो एवं परिवार का कोई भी सदस्य बैंक का ऋणी नहीं होना चाहिए.

इस योजना में किसी भी वर्ग का हितग्राही आवेदन कर सकता है. योजना से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए जिले में पदस्थर प्रभारी प्रबंधक मध्य प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड जिला पंचायत बालाघाट (9685972679) से प्राप्त की जा सकती है.

खड़ी फसल में करें रोगिंग, मिलेगी अच्छी पैदावार

टीकमगढ़ : कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ के डा. बीएस किरार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख के मार्गदर्शन में केंद्र के वैज्ञानिक डा. सुनील कुमार जाटव, डा. आईडी सिंह एवं बीज प्रमाणीकरण अधिकारी अजय पाटीदार द्वारा ग्राम पठा खास, मोखरा, बडोरा घाट, शिवराजपुर, वीरऊ एवं गोपालपुरा में निरीक्षण किया गया.

केंद्र के वैज्ञानिक डा. सुनील कुमार जाटव द्वारा उड़द फसल का निरीक्षण करते समय किसानों को बताया गया कि रोगिंग क्या होता है, इस से फसल को क्या नुकसान होता है. खड़ी फसल में रोगिंग का मतलब होता है कि अनचाहे पौधों या दोषपूर्ण पौधों को फसल से हटाना. इसे मुख्य रूप से फसल की गुणवत्ता बनाए रखने और रोग या कीट फैलाव को रोकने के लिए किया जाता है.

रोगिंग करने की प्रक्रिया सब से पहले फसल में दोषपूर्ण पौधों, अवांछित किस्मों, रोगग्रस्त पौधों या अन्य अनावश्यक पौधों की पहचान करनी होगी. इस के बाद इन पौधों को जड़ से उखाड़ कर खेत से बाहर निकालें. ध्यान रखें कि हटाए गए पौधे वापस खेत में न गिरें, ताकि वे फिर से जड़ न पकड़ लें.

वैज्ञानिकों ने बताया कि रोगिंग का सब से सही समय तब होता है, जब फसल के पौधे स्पष्ट रूप से पहचाने जा सकते हैं, लेकिन वे परिपक्व नहीं हुए होते. इस से यह सुनिश्चित होगा कि दोषपूर्ण पौधों का प्रभाव न्यूनतम हो.

रोगिंग की प्रक्रिया को एक बार करने के बाद इसे बारबार दोहराना चाहिए, ताकि नए उगे हुए दोषपूर्ण पौधों को भी हटाया जा सके. पौधों को उखाड़ कर हटाना आवश्यक है, ताकि वे किसी भी तरह से वापस खेत में न पहुंच सकें और अन्य पौधों को नुकसान न पहुंचा सकें.

रोगिंग एक महत्वपूर्ण कृषि प्रक्रिया है, जो बीजों की गुणवत्ता को बनाए रखने और उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है.

जबलपुर मंडी में हाथोंहाथ बिक रहे हैं छिंदवाड़ा केले (Chhindwara Bananas)

छिंदवाड़ा : जिले के हर्रई विकासखंड के ग्राम भुमका के आदिवासी किसान पूरनलाल इनवाती प्राकृतिक खेती से एक ओर जहां रसायनमुक्त फल सब्जी मार्केट में पहुंचा रहे हैं, तो वहीं लाखों रुपए का शुध्द मुनाफा भी कमा रहे हैं. किसान पूरनलाल इनवाती ने इस वर्ष एक एकड़ में प्राकृतिक पद्धति से केले की खेती कर 4 लाख रुपए का शुध्द मुनाफा कमाया है.

प्राकृतिक पद्धति से उन के द्वारा उगाए गए केले “छिंदवाड़ा केले” के नाम से जबलपुर मंडी में हाथोंहाथ बिक रहे हैं. केले के अलावा उन के द्वारा प्राकृतिक पद्धति से बैगन, टमाटर, मक्का की फसल भी लगाई गई है और आम, कटहल, आंवला, सेब, एप्पल बेर, ड्रैगन फ्रूट, नीबू, संतरा, काजू के पौधों का रोपण भी किया गया है.

किसान पूरनलाल इनवाती द्वारा ड्रिप पद्धति एवं फसल अवषेश का प्रबंधन कर पूरी तरह प्राकृतिक रूप से केले की टिशु कल्चर के द्वारा तैयार किस्म जी-9 लगाई गई है. साथ ही, फसल अवषेश प्रबंधन कर के मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारा जा रहा है. पिछले वर्ष आधा एकड में केले की प्राकृतिक खेती कर 2 लाख, 7 हजार रुपए का शुध्द मुनाफा प्राप्त किया गया था.

इस वर्ष एक एकड से 4 से 5 लाख रुपए का शुध्द मुनाफा प्राप्त होना बताया है. एक एकड़ में 800 पौधे लगाए हैं, प्रत्येक पौधे से औसतन 45 किलोग्राम फल प्राप्त हो रहे हैं, जिसे किसान द्वारा जबलपुर मंडी में औसतन 25 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव से विक्रय किया जा रहा है.

किसान द्वारा बताया गया कि हमारा प्राकृतिक केला जबलपुर मंडी में छिंदवाड़ा के केले के नाम से प्रसिद्ध है एवं व्यापारियों द्वारा हाथोंहाथ उचित दाम दे कर खरीद लिया जाता है. सामान्यतः जहां सामान्य केले की 15 से 18 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मंडी में खरीदी होती है, वहीं हमारा प्राकृतिक केला 25 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से हाथोंहाथ बिक रहा है.

किसान द्वारा प्राकृतिक विधि से बैगन, टमाटर एवं मक्का की फसल भी लगाई गई हैं, साथ ही आम, कटहल, आंवला, सेब, एप्पल बेर, ड्रेगन फ्रूट, नीबू, संतरा, काजू के पौधों का भी रोपण किया गया है. किसान द्वारा कड़कनाथ मुरगीपालन, बकरीपालन एवं मछलीपालन इकाई भी स्थापित कर समन्वित खेती की जा रही है.

इस प्रकार कुल लगभग 6 एकड़ जमीन से किसान द्वारा वर्ष में लगभग 10 लाख रुपए का शुध्द लाभ प्राप्त किया जा रहा है. इस से प्रेरणा ले कर जिले के अन्य किसान भी प्राकृतिक खेती को अपना कर एवं समन्वित खेती कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं.

किसान द्वारा की जा रही समन्वित खेती के इस उत्कृष्ट उदाहरण का अवलोकन पिछले दिनों जिले के अधिकारियों द्वारा भी किया गया. कलक्टर छिंदवाड़ा शीलेंद्र सिंह के निर्देशानुसार उपसंचालक, कृषि, जितेंद्र कुमार सिंह ने उद्यानिकी महाविद्यालय के डीन एवं सहसंचालक आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र, चंदनगांव के डा. आरसी शर्मा के साथ किसान पूरनलाल इनवाती के खेत मे पहुंच कर प्राकृतिक पद्धति से एक एकड़ में की जा रही केले की खेती का अवलोकन किया. भ्रमण के दौरान सचिन जैन अनुविभागीय कृषि अधिकारी अमरवाड़ा एवं स्थानीय किसान भी उपस्थित थे.

उचित दाम के लिए फसलों की ग्रेडिंग (Grading of Crops) जरूरी

जबलपुर : कलक्टर दीपक सक्सेना की अध्यक्षता में पिछले दिनों आत्मा गवर्निंग बोर्ड की बैठक आयोजित की गई. बैठक में कृषि विस्तार एवं सुधार कार्यक्रम के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई, जिस में कृषि, उद्यानिकी, मत्स्य और पशुपालन विभाग से संबंधित विषयों पर चर्चा कर आवश्यक निर्देश दिए.

बैठक में कलक्‍टर दीपक सक्‍सेना ने कहा कि किसानों को उन की फसल का उचित दाम मिले, इस के लिए फसलों की ग्रेडिंग की व्‍यवस्‍था हर ब्लौक में सुनिश्चित की जाए. मोबाइल ग्रेडिंग के माध्‍यम से किसानों को यह सुविधा उपलब्‍ध हो, ताकि वे अपनी फसल की ग्रेडिंग करें और फसल का सही दाम लें.

उन्‍होंने आगे कहा कि किसानों को एक फसल के बाद दूसरी फसल के लिए राशि की बहुत जरूरत पड़ती है, ऐसी स्थिति में यह बड़े कारगर सिद्ध होंगे. उन्‍होंने यह भी कहा कि किसान भ्रमण व प्रशिक्षण की जगह किसानों की फसल के मार्केटिंग किस प्रकार की जाए, इस बात पर विशेष ध्‍यान दें और अधीनस्‍थ अमला को भी इस बात की प्रशिक्षण दी जाए. सोरटेक्‍स मशीनों का प्रदर्शन करें और इस में वेयरहाउस वालों को भी जोड़ने के लिए कहा. बैठक में खरीफ के रकबा व उत्‍पादन लक्ष्‍य के बारे में भी जानकारी ली गई.

कलक्‍टर दीपक सक्‍सेना ने जानकारी देते हुए कहा कि मध्‍य प्रदेश में सोरटेक्‍स मशीनों के उपयोग की बहुत संभावनाएं हैं, यह मशीन पैट्रोल पंप की भांति जगहजगह होने से किसानों को अपनी फसल की ग्रेडिंग व मार्केटिंग के लिए उपयोगी सिद्ध होगा.

बैठक में उद्यानिकी, मत्‍स्‍य व पशुपालन आदि विषयों पर भी विस्‍तार से चर्चा की गई. बैठक में उपसंचालक, कृषि, एसके निगम, रवि आम्रवंशी, उपसंचालक उद्यानिकी नेहा पटेल, उप चालक पशुपालन मून, कृषि अभियांत्रिकी से एलएन मेहरा सहित अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद थे.

अनाज भंडारण क्षमता (Grain Storage Capacity) बढ़ाए जाने के लिए किया जा रहा प्रोत्साहित

बालाघाट : प्रभारी मंत्री उदय प्रताप सिंह ने 30 अगस्त, 2024 को जिला अधिकारियों के साथ सामूहिक रूप से बैठक आयोजित की. बैठक में उन्होंने जिले में धान भंडारण क्षमता बढ़ाने के निर्देश दिए.

कलक्टर मृणाल मीणा के निर्देशन में जिला पंचायत सभागृह में जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरसवार, उपाध्यक्ष योगेश राजा लिल्हारे एवं जिला पंचायत सीईओ डीएस रणदा द्वारा जिला आपूर्ति अधिकारी, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक नाबार्ड, कृषि विभाग, नागरिक आपूर्ति विकास निगम, मार्कफेड वेयरहाउस कारपोरेशन, एनआरएलएम, विपणन अधिकारी एवं जिले के राइस मिलर्स और वेयरहाउस संचालकों से चर्चा की गई, वहीं वेयरहाउस संचालकों व राइस मिलर्स व्यापारियों से उन के काम में आ रही समस्याओं की जानकारी ली गई, ताकि समस्याओं का जिले एवं शासन स्तर से निदान किए जाने के प्रयास किए जा सकें.

इस दौरान बताया गया कि जिले में अनाज भंडारण क्षमता बढ़ाए जाने के लिए वेयरहाउस निर्माण की आवश्यकता है, जिस के संबंध में बैंक लोन एवं नाबार्ड द्वारा दी जाने वाली अनुदान की जानकारी भी दी गई. जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वार ने कहा कि अधिकारियों एवं व्यापारियों को समन्वय कर अच्छी प्लानिंग करने की आवश्यकता है, जिस से दोनों को लाभ मिल सके.

भंडारण क्षमता बढ़ाना जरूरी
जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वार ने कहा कि भंडारण क्षमता कम होने के कारण अनाज दूसरे जिलों में भी भंडारित किया जाता है, जिस से शासन को ट्रांसपोर्ट का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है. यदि जिले में भंडारण क्षमता बढ़ जाती है, तो राइस मिलर्स को भी साल में 7 महीने मिलिंग का काम समय पर मिलेगा. साथ ही, शासन एवं व्यापारियों को भी नुकसान नहीं होगा.

इस दौरान व्यापारियों द्वारा बताया गया कि जब सोसाइटी में नई धान खरीदी की जाती है, तो उस समय धान उठाव के लिए दबाव रहता है, जबकि उस धान को मापदंड से अधिक नमी होते हुए भी उठाना पड़ता है. बाद में नमी कम होने से धान उठाने से व्यापारियों को नुकसान होता है. बैठक में ऐसे कई विषयों पर चर्चा की गई.

15 राज्यों में 17 लाख से अधिक औयल पाम पौधे (Oil Palm Saplings) रोपे गए

नई दिल्ली : राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-औयल पाम के तहत आयोजित मेगा औयल पाम प्लांटेशन ड्राइव के तहत भारत के 15 राज्यों में 12,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में 17 लाख से अधिक औयल पाम पौधे रोपे गए, जिस से 10,000 से अधिक किसान लाभान्वित हुए.

15 जुलाई, 2024 को शुरू किए गए इस अभियान ने देश में औयल पाम की खेती के विस्तार की दिशा में भारत सरकार, राज्य सरकारों और औयल पाम प्रसंस्करण कंपनियों के सामूहिक प्रयासों को प्रदर्शित करते हुए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. यह अभियान 15 सितंबर, 2024 तक चलेगा. इस में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा सहित कई राज्यों की भागीदारी देखी गई है.

पतंजलि फूड प्राइवेट लिमिटेड, गोदरेज एग्रोवेट और 3एफ औयल पाम लिमिटेड जैसी प्रमुख औयल पाम प्रोसैसिंग कंपनियों के सहयोग से राज्य सरकारों द्वारा आयोजित इस पहल में कई जागरूकता कार्यशालाएं, वृक्षारोपण अभियान और प्रचार कार्यक्रम शामिल हैं. इन गतिविधियों ने सफलतापूर्वक जागरूकता बढ़ाई है और किसान समुदाय को शामिल किया है. इस मिशन को महत्व देने वाले प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों और राजनीतिक नेताओं की उपस्थिति से और अधिक समर्थन मिला है.

भारत सरकार द्वारा अगस्त 2021 में शुरू किए गए खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन-औयल पाम (एनएमईओ-ओपी) का उद्देश्य व्यवहार्यता मूल्य समर्थन सहित औयल पाम क्षेत्र के विकास के लिए एक मूल्य श्रंखला पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित कर के औयल पाम की खेती का विस्तार करना और कच्चे पाम तेल (सीपीओ) के उत्पादन को बढ़ावा देना है. मेगा औयल पाम प्लांटेशन ड्राइव खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने, आयात निर्भरता को कम करने और भारतीय किसानों की आय बढ़ाने के लिए इस व्यापक रणनीति का एक प्रमुख घटक है.

सोयाबीन (Soybean) का भाव 5,000 रुपए से पार

नीमच : कृषि उपज मंडी समिति, नीमच में गांव निलीया (जावद) के किसान रामकिशन (मोबाइल नंबर 9907777510) की कृषि उपज सोयाबीन 5011 रुपए प्रति क्विंटल की दर से विक्रय हुई है, वहीं उपमंडी जीरन के किसान संदीप (मोबाइल नंबर 9770499259) की फसल सोयाबीन 5000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से विक्रय हुई है, जो कि अब तक पिछले 15 दिनों में विक्रय हुई सोयाबीन का सर्वाधिक मूल्य है, जिस से किसानों में प्रसन्नता देखी गई है.

मंडी समिति, नीमच और उपमंडी जीरन में 6 सितंबर, 2024 को कुल 221 किसानों द्वारा कुल 3666.57 क्विंटल सोयाबीन अधिकतम भाव 5011 रुपए और पशु आहार श्रेणी (NON-EAQ) न्यूनतम भाव 3420 रुपए से विक्रय की गई. 1 अप्रैल, 2024 से विगत माह तक लगभग 25,000 किसानों द्वारा 4 लाख क्विंटल सोयाबीन विक्रय की जा चुकी है.

नीमच मंडी सचिव उमेश बसेड़ि‍या ने उक्‍त जानकारी देते हुए बताया कि मंडी समिति, नीमच द्वारा निरंतर किसानों के हित में काम किए जा रहे हैं. अनेकों सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं. अधिक सुविधा के लिए नवीन मंडी डुंगलावदा में वर्तमान में गेहूं एवं प्याज की नीलामी करवाई जा रही हैं और जल्दी ही अन्य उपजों लहसुन, मक्का, सोयाबीन आदि की नीलामी करवाने की प्रक्रिया भी की जाएगी. नवीन मंडी में शेष काम भी शीघ्र ही पूर्ण कराते हुए किसानों और कारोबारियों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रयास कि‍ए जा रहे हैं.

सोयाबीन (Soybean)

कलक्‍टर ने किया जीरन मंडी का औचक निरीक्षण

जिले की कृषि‍ उपज मंडी में विक्रय के लिए आने वाले किसानों की सुविधाओं का पूरा ध्‍यान रखा जाए. उपज विक्रय में कोई असुविधा न हो. किसानों को उन की उपज का वाजिब दाम मिले. इस का मंडी प्रशासन विशेष ध्‍यान रखे.

यह निर्देश कलक्‍टर हिमांशु चंद्रा ने पिछले दिनों जीरन उपमंडी के निरीक्षण दौरान मंडी सचिव उमेश बसेड़िया को दिए. कलक्‍टर ने निर्देश दिए कि मंडी परिसर में स्‍वीकृत काम तेजी से पूरे करवाएं.

उन्‍होंने जीरन मंडी के लहसुन शेड में जा कर लहसुन की नीलामी की प्रक्रिया का अवलोकन भी किया. नीलामी में लहसुन का विक्रय 17,800 रुपए के भाव से होना पाया गया. कलक्‍टर ने मंडी सचिव से मंडी में विक्रय के लिए आने वाली सोयाबीन, लहसुन एवं अन्‍य जिंसों की दैनिक आवक, उन के भाव आदि की जानकारी ली.

कलक्‍टर हिमांशु चंद्रा ने जीरन मंडी के परिसर से लगी अतिरिक्‍त जमीन का अवलोकन किया और मंडी के विस्‍तार के लिए उपयोग करने का प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत करने के निर्देश भी दिए. साथ ही, मंडी में स्‍वीकृत निर्माण कार्यों की जानकारी भी ली.