सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार 2023-24 के लिए 20 सितंबर तक करें आवेदन

देवास : कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम “आत्मा”  के अंतर्गत सर्वोत्तम कृषक समूह एवं सर्वोत्तम कृषक कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, कृषि अभियांत्रिकी एवं मत्स्य में पुरस्कार के लिए आवेदन 20 सितंबर तक आमंत्रित किए गए हैं.

परियोजना संचालक, आत्मा, मथुरालाल सोलंकी ने बताया कि जिला स्तरीय सर्वोत्तम कृषक समूह, जिला स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार एवं विकासखंड स्तरीय कृषक पुरस्कार निर्धारित आवेदन फार्म विकासखंड के ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेजर/असिस्टेंट टैक्नोलौजी मैनेजर (आत्मा), ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं संबंधित विभाग से प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही, वर्ष 2023-24 पुरस्कार के लिए किसानों द्वारा अपनाई गई कृषि तकनीकी, उपज एवं उत्पादकता के आधार पर इच्छुक किसानों से पुरस्कार के लिए बंद लिफाफे में प्रविष्टि विकासखंड के ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेजर/असिस्टेंट टैक्नोलौजी मैनेजर (आत्मा) को 20 सितंबर तक प्रस्तुत करें.

परियोजना संचालक, आत्मा, मथुरालाल सोलंकी ने बताया कि विकासखंड स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार (प्रत्येक विकासखंड से 5 किसान) के लिए 10,000 रुपए की राशि, जिला स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार (जिले से 5 किसान, कृषि एवं अनुशांगिक क्षेत्र में) 25,000 रुपए, राज्य स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार के लिए 50,000 रुपए की राशि निर्धारित की गई है और जिला स्तरीय सर्वोत्तम कृषक समूह पुरस्कार (जिले से 5 किसान समूह कृषि एवं अनुशांगिक क्षेत्र में) के लिए 20,000 रुपए की राशि निर्धारित है.

अधिक जानकारी के लिए विकासखंड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी/ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेज, आत्मा/ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.

किसानों ने सीखी उन्नत बीज उत्पादन तकनीक

मऊ : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – भारतीय बीज विज्ञान संस्थान, कुशमौर, मऊ में 2 सितंबर से 6 सितंबर, 2024 तक पांचदिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. यह कार्यक्रम कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (ATMA), भोजपुर, बिहार द्वारा प्रायोजित था.

निदेशक डा. संजय कुमार के मार्गदर्शन में 3 सितंबर, 2024 को इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रधान वैज्ञानिक डा. अंजनी कुमार सिंह से किसानों ने गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन के सामान्य सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्राप्त की. किसानों ने वैज्ञानिक डा. बनोथ विनेश से संकर बीज उत्पादन तकनीक के गुर सीखे.

संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र बेंगलुरु से वैज्ञानिक डा. मंजनगौड़ा ने औनलाइन माध्यम से प्रमुख फसलों के गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन के लिए कृषि संबंधी पद्धतियों के बारे में किसानों को बताया. वैज्ञानिक डा. कल्याणी कुमारी ने बीज के गुणवत्ता निर्धारण के लिए प्रायोगिक तकनीकें जैसे भौतिक शुद्धता, नमी, व्यवहार्यता आदि की जानकारी दी. किसानों ने बीज प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला में बीज गुणवत्ता निर्धारण की प्रायोगिक तकनीकें सीखीं.

वैज्ञानिक डा. आलोक कुमार ने किसानों को बीज गुणवत्ता अवलोकन, बीज प्रबंधन के विभिन्न चरणों के दौरान प्रभावित करने वाले घटक, कारक और इस के रखरखाव के बारे में बताया. संस्थान के अन्य वैज्ञानिकों के साथ किसानों ने चर्चा की और लाभान्वित हुए.

विकसित भारत का निर्माण विकसित खेती के बिना नहीं

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूसा, नई दिल्ली में एग्रीश्योर फंड और कृषि निवेश पोर्टल का शुभारंभ किया. शिवराज सिंह चौहान ने विभिन्न श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बैंकों और राज्यों को उन के प्रयासों की सराहना करते हुए एआईएफ उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किए. इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी और राम नाथ ठाकुर और सचिव देवेश चतुर्वेदी भी मौजूद थे.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, तो किसान उस के प्राण है. देश की जीडीपी में 18 फीसदी योगदान आज भी कृषि का है. किसान सब से बड़ा उत्पादक भी है और उपभोक्ता भी है. 50 फीसदी से ज्यादा लोग खेती पर जिंदा हैं.

कृषि मंत्री और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने खेती में आय दोगुनी करने का अभियान शुरू किया है और उन के पास किसानों के लिए 6 सूत्र हैं, जिन पर वे काम कर रहे हैं. पहला, उत्पादन बढ़ाना, जिस के लिए अच्छे बीज जरूरी हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने 65 फसलों के बीजों की 109 प्रजातियां किसानों को दी हैं.

उन्होंने बताया कि चावल की एक किस्म ऐसी है, जिसे 30 फीसदी कम पानी की जरूरत होती है. बाजरा की एक किस्म ऐसी है, जिस की फसल 70 दिन में तैयार हो जाती है. ये ऐसे बीज हैं, जो जलवायु के अनुकूल हैं और बढ़ते तापमान में भी बेहतर उत्पादन देते हैं.

शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि उत्पादन की लागत कम करना प्रधानमंत्री मोदी का दूसरा संकल्प है, वहीं तीसरा संकल्प उपज की वाजिब कीमत दिलाना है.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि का विविधीकरण सरकार के रोडमैप में है और हम परंपरागत फसलों के साथसाथ अधिक आय वाली फसलों को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. हम नए विचारों के साथ किस तरह से खेती में प्रयोग कर सकते हैं, हम कब तक रासायनिक खाद का उपयोग करते रहेंगे? इस से उर्वराशक्ति भी कम होती है और उत्पादन व इनसान के शरीर पर प्रतिकूल असर पड़ता है.

उन्होंने आगे कहा कि दूसरा उत्पादन की लागत कम करना. कम लागत कर के किसान को फायदा होगा और उस दिशा में सरकार कदम उठा रही है. अलगअलग तरह की कृषि पद्धतियों में लागत कम करने के लिए ही सब्सिडी बैंकों को दी जा रही है. किसान को यूरिया की एक बोरी खरीदने पर 2,100 रुपए की सब्सिडी मिलती है. 2,125 करोड़ रुपए का एक स्पैशल पैकेज दिया गया, जिस से खाद की कीमत न बढ़े और लागत कम हो.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तीसरा, किसान को अच्छे दाम मिल जाए, एमएसपी की बेहतर व्यवस्था हो और उस पर खरीद के इंतजाम के लिए कुछ योजनाएं हैं. चौथा, फसल का विविधीकरण अलगअलग तरह की खेती कैसे हो सकती है, उस में पशुपालन छोड़ दो, मधुमक्खीपालन छोड़ दो, अनेकों प्रकार के प्रयास किए जा सकते हैं, ताकि किसान कम जमीन में भी ज्यादा आमदनी प्राप्त कर सके.

फसल काटने के बाद हम उस का प्रबंध ठीक प्रकार से कैसे कर पाएं, जिस से किसान अपना अनाज रोक पाए और वह उस की अच्छी कीमत ले पाए. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना दुनिया की सब से बड़ी फसल बीमा योजना है. 7 योजनाओं के लिए हजारों करोड़ रुपए दिए गए हैं.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एग्रीश्योर, एग्रीश्योर निधि का शुभारंभ हुआ है. हमारा 750 सौ करोड़ रुपए का फंड है. प्रधानमंत्री का संकल्प है विकसित भारत और विकसित भारत का निर्माण विकसित खेती के बिना नहीं हो सकता, समृद्धि किसान के बिना नहीं हो सकती और खेती में निवेश की जरूरत है, इसीलिए केवल सरकारी नहीं, बल्कि हमें प्राइवेट निवेश भी करना पड़ेगा. कृषि निवेश पोर्टल पर अब आ पको एक ही जगह सारी जानकारी मिलेगी.

आजीविका मिशन के स्वसहायता समूह की रामलली हुईं आत्मनिर्भर

निवाड़ी : मध्य प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजनाओं से जुड़ कर एवं लाभ पा कर महिलाएं सशक्त हो कर सफलता की नई इबारत लिख रही हैं. इन्हीं महिलाओं में एक निवाड़ी जिले की रामलली हैं. समूह से जुड़ने से पहले रामलली की स्थिति काफी खराब थी, केवल आय का जरीया खेती थी, सालभर में लगभग 30,000 रुपए की आय होती थी, जिस से केवल घर का खर्च ही चल पाता था.

रामलली ने कहा कि समूह से जुड़ कर उन्होंने 10 रुपए साप्ताहिक बचत से शुरुआत की एवं समूह से छोटेबड़े लोन ले कर अपने परिवार की जरूरत पूरी की. समूह से जुड़ने के पश्चात समूह उन्हें प्रथमवार 1000 रुपए की आरएफ राशि मिली, जो उन्होंने तुरंत एक माह के बाद चुका दिया. इस के बाद उन्होंने समूह से 20,000 रुपए लिए और उन रुपयों से सर्वप्रथम जैविक खाद उपयोग कर खेत की उर्वराशक्ति बढ़ाई गई. इस के बाद उन्होंने समूह का बैंक लिंकेज करवाया, जिस में उन्होंने 20,000 रुपए लिए.

इन पैसों का उपयोग उन्होंने अचार बनाने के काम में किया. अच्छी क्वालिटी का अचार होने के कारण आमदानी होने लगी, जिस के चलते उन्होंने राशि जल्द चुका दी. इस के बाद उन्होंने पुनः सीसीएल करवाया, जो 2 लाख रुपए का हुआ, उस में मैं ने 50,000 रुपए लिए, जिस से उन्होंने अपनी गतिविधि को बड़े स्तर पर करना शुरू कर दिया.

रामलली ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2019 में अचार बनाने का काम शुरू किया. रामलली ने अपने परिवार के साथ मिल कर आम, मिर्च, आंवला, अदरक, नीबू, मिक्स अचार इत्यादि बना कर मार्केट की दुकानों में बेचा जा रहा है एवं मिशन द्वारा समयसमय पर लगाए मेलों एवं कार्यक्रमों में स्टाल लगा कर प्रचारप्रसार किया जा रहा है. लगभग 500-600 प्रतिदिन की बचत हो जाती है. रामलली की माली एवं सामाजिक स्थिति में सुधार हो गया. उन्होंने बताया कि मुझे साल में लगभग डेढ़ लाख रुपए से अधिक की आय हो रही है.

मसालों की पिसाई (Grinding Spices) से 40 हजार की कमाई

धनिया व मिर्च की प्रोसैसिंग कर प्रतिमाह कमा रहे हैं 40 हजार रुपए

नीमच : प्रधानमंत्री सूक्ष्‍म खाद्य उद्यम उन्‍नयन (पीएमएफएमई) योजना का लाभ ले कर अपना खुद का लघु उद्योग स्‍थापित कर नीमचमनासा के ग्राम मालखेड़ा के किसान रणजीत पिता भीमा कछावा एवं उन का परिवार आत्‍मनिर्भर बन गया है. मसालों की पिसाई व क्‍लीनिंग, ग्रेडिंग का लघु उद्योग स्‍थापित कर किसान रणजीत कछावा आज 40 हजार रुपए की मासिक आमदनी प्राप्‍त कर रहे हैं.

किसान रणजीत कछावा निवासी मालखेड़ा (मनासा) पहले धनिया एवं मिर्च बाजार से और किसानों से सीधे खरीद कर बगैर प्रोसैसिंग के ही अपनी उपज को बेचते थे, जिस से उन्हें काफी कम आय होती थी. फिर उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा उन्हें पीएमएफएमई योजना के बारे में बताया. पीएमएफएमई योजना के तहत रणजीत कछावा ने मसाला पिसाई, क्‍लीनिंग, मसाला फसलों की ग्रेडिंग का लघु प्लांट लगाया.

इस उद्योग स्‍थापना के लिए उन्हें  6.71 लाख रुपए के लोन पर 35 फीसदी, 2.35 लाख रुपए का अनुदान मिला. अपना खुद का मसाला पिसाई का लघु उद्योग स्‍थपित कर, रणजीत प्रतिमाह 40 हजार रुपए का लाभ अर्जित कर रहे हैं. रणजीत अपने मसाला उद्योग में अन्‍य 5 से 6 युवाओं को रोजगार भी उपलब्‍ध करा रहे हैं.

मिलेट्स मिशन के तहत मोटे अनाजों को बढ़ावा

बालाघाट: कलक्‍टर मृणाल मीना ने पिछले दिनों खरीफ 2024-25 की प्रगति एवं जिला स्‍तरीय कृषि उत्‍पादन समीक्षा बैठक की. समीक्षा बैठक में कलक्‍टर मृणाल मीना ने विभाग में संचालित समस्‍त योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए खरीफ 2024 में बोई गई फसलवार व विकासखंडवार रकबे की जानकारी ली. साथ ही, जिले की 09 विकासखंडों में नवनिर्मित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में लैब चालू करने के लिए समिति का गठन करने के निर्देश दिए गए.

फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिए जाने के संबंध में विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए राज्‍य मिलेट्स मिशन के अंतर्गत कोदो, कुटकी, रागी एवं मोटे अनाज वाली फसलों का अधिक उत्‍पादन लिए जाने के लिए कार्ययोजना तैयार करने व किसानों को जागरूक करने के लिए निर्देशित किया गया.

उपसंचालक, कृषि, राजेश खोबरागढ़े ने बताया कि वर्तमान खरीफ सीजन में नवाचार के अंतर्गत सोलर लाइट ट्रैप एवं रागी बीज वितरण कार्यक्रम लिया गया है. जिले में नवाचार के अंतर्गत रागी फसल के उत्‍पादन के लिए 1500 हेक्‍टेयर का लक्ष्‍य रखा गया है.

30 अगस्‍त को ग्राम नेवरगांव कला विकासखंड किरनापुर में आयोजित कार्यशाला में ग्रामीण किसानों को लगभग 50 सोलर लाइट ट्रैप वितरण किए गए, जिस में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि वर्तमान में खरीफ सीजन में धान की फसलों में तनाछेदक, चने की इल्‍ली, माहू, जैसिड, माइट, बीटल, ग्रासहौपर, ब्राउन हायर, मांथकीट आदि बहुतायत मात्रा में इन का प्रकोप होता है, जिस में उन के द्वारा धान की फसल व अन्‍य फसलों के कीटों के नियत्रंण के लिए सौर ऊर्जा पर आधारित नियत्रंण तकनीक सोलर लाइट ट्रैप का उपयोग लाभकारी सिद्ध हो रहा है. जिले में कृषि विभाग की नई पहल राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत समन्वित कीट प्रबधंन घटक के तहत सोलर लाइट ट्रैप का उपयोग किसानों के द्वारा कराया जा रहा है.

परंपरागत कृषि, मिट्टी नमूना परिणाम, जैविक खेती, कृषि यंत्रों पर अनुदान, भूमि उपयोग स्थिति, फसल क्षेत्राच्‍छादन कार्यक्रम, खरीफ फसलवार क्षेत्रफल की प्रगति, उर्वरकवार लक्ष्‍य उपलब्‍धता, उर्वरक व्‍यवस्‍था, राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना, बीज ग्राम योजना, राज्‍य मिलेट मिशन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्‍यम से संचालित गतिविधियों एवं लक्ष्‍य पूर्ति की जानकारी की कलक्‍टर मृणाल मीना के द्वारा समीक्षा की गई.

कृषि विभाग के माध्‍यम से जिले के किसानों को अधिक से अधिक संख्‍या में विभिन्‍न योजनांतर्गत लाभांवित करने के संबंध में कलक्‍टर मृणाल मीना द्वारा आवश्‍यक सुझाव दिए गए.

बैठक में परियोजना संचालक आत्‍मा अर्चना डोंगरे व समिति, अधिष्‍ठाता कृषि महाविद्यालय वारासिवनी बिसेन, वरिष्‍ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र के आरएल राउत, प्राचार्य कृषि विस्‍तार एवं प्रशिक्षण केंद्र वारासिवनी, सचिव कृषि उपज मंडी बालाघाट, सहायक कृषि अभियांत्रिकी, सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी, सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी, अनुविभागीय कृषि अधिकारी, वरिष्‍ठ कृषि विकास अधिकारी, प्रक्षेत्र अधीक्षक शासकीय कृषि प्रक्षेत्र पिपरझरी, गढ़ी, किन्‍ही, एमपी एग्रो. बालाघाट एवं बीज निगम बालाघाट के साथसाथ कृषि विभाग के अन्‍य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे.

किसानों को जरूरत के मुताबिक मिलेगी खाद (fertilizer)

कटनी : जिले में वर्तमान में खरीफ फसलों के लिए सर्वाधिक मांग वाली उर्वरक यूरिया खाद की पिछले दिनों एक और रैक झुकेही रैक पाइंट पर आ गई है. इस रैक के आने से जिले में यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता हो गई है. इस से किसानों को स्थानीय लैवल पर ही उन की मांग के अनुरूप खाद मिल सकेगी.

कलक्टर दिलीप कुमार यादव द्वारा जिले में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे निरंतर प्रयासों की वजह से कटनी जिले के लिए एक हजार 10 मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया की रैक आ गई है.

नीम कोटेड यूरिया उर्वरक की रैक झुकेही रैक पाइंट पर पिछले लग गई है. यहां से परिवहन कर यूरिया जिले में लाई जा रही है.

कलक्टर दिलीप कुमार यादव ने किसानों के हितों और उन से सीधे सरोकार रखने वाले खाद एवं बीज की उपलब्धता जैसे विषयों के प्रति पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ काम करने कृषि, सहकारिता, मप्र विपणन संघ एवं एमपी एग्रो के अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया है.

ज़िले के उपसंचालक, कृषि, ने बताया कि रैक से आई नीम कोटेड यूरिया में से कटनी डबल लाक केंद्र के लिए 350 मीट्रिक टन, बहोरीबंद डबल लाक केंद्र के लिए 350 मीट्रिक टन और सीएमएस मार्केटिंग सोसायटी कृषि उपज मंडी, कटनी को 60 मीट्रिक टन और सहकारी समितियों को 200 मीट्रिक टन एवं एमपी एग्रो कटनी को 50 मीट्रिक टन यूरिया आवंटित की जाएगी. इस के चलते यहां के किसानों को पर्याप्त मात्रा में उन की जरूरत के मुताबिक उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी.

उपसंचालक, कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग ने बताया कि जिले में पहले से ही 3759 मीट्रिक टन यूरिया, 1535 मीट्रिक टन डीएपी, 1319 मीट्रिक टन एनपीके और 3306 मीट्रिक टन एसएसपी उर्वरक की उपलब्धता मौजूद हैं.

खाद बिक्री केंद्रों में लगवाएं दर सूची का बोर्ड

कलक्टर दिलीप कुमार यादव ने सभी खाद की दुकानों के बाहर सूचना बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं. इस बोर्ड में प्रत्येक उर्वरक की उपलब्ध मात्रा का विवरण और इसी के सामने उर्वरक की दर लिखवाने की हिदायत कलक्टर दिलीप कुमार यादव ने अधिकारियों को दी है.

यहां दें सूचना

कलक्टर दिलीप कुमार यादव ने किसानों से आग्रह किया है कि वे खादबीज से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या और शिकायत या खाद ,बीज मिलने में असुविधा संबंधी सूचना कलक्ट्रेट कार्यालय में बने जिला स्तरीय कंट्रोलरूम के टेलीफोन नंबर 07622-220071 पर दे सकते हैं.

धान से अधिक उत्पादन लेने के लिए करें ये काम

जबलपुर : धान का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा जिले के किसानों को फसल की देखभाल से संबंधित महत्वपूर्ण सलाह दी है. साथ ही, धान की फसल में लगने वाले विभिन्न रोगों से अवगत कराते हुए उन की रोकथाम के उपायों को भी बताया गया है.

सहायक संचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास, रवि आम्रवंशी ने बताया कि किसानों को धान की प्रारंभिक अवस्था में 25 से 30 दिनों तक फसल को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए. धान की फसल में फूल निकलते एवं बालियां बनते समय खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखना चाहिए और आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए.

उन्होंने किसानों को एक सिंचाई के बाद खेत का पानी सूखने के 2-3 दिन बाद दूसरी सिंचाई करने की सलाह दी है. साथ ही, किसानों को धान की फसल में नाइट्रोजन की तीसरी और अंतिम मात्रा टौप ड्रैसिंग के रूप में 55 से 60 दिन के बाद बाली बनने की प्रारंभिक अवस्था में देने को कहा है.

उन्होंने अधिक उपज देने वाली उन्नतशील प्रजातियों के लिए 30 किलोग्राम एवं सुगंधित बासमती प्रजातियों के लिए 15 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने की सलाह दी है.

सहायक संचालक, कृषि, ने किसानों को धान की फसल में जीवाणु झुलसा रोग की जानकारी देते हुए बताया कि पौधों की छोटी अवस्था से ले कर परिपक्व अवस्था तक यह रोग धान की फसल में कभी भी देखा जा सकता है. इस रोग में पत्तियों के किनारे ऊपरी भाग से शुरू हो कर मध्य भाग तक सूखने लगते हैं और सूखे पीले पत्तों के साथसाथ आंख के आकार के चकत्ते भी दिखाई देते हैं. जीवाणु झुलसा रोग में संक्रमण की उग्र अवस्था में पूरी पत्ती सूख जाती है.

जीवाणु झुलसा रोग से फसल की सुरक्षा के उपायों की जानकारी देते हुए रवि आम्रवंशी ने बताया कि किसानों को बीज उपचारित करने के बाद ही बोना चाहिए. इस के लिए उन्हें 2.5 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन एवं 25 ग्राम कौपर औक्सीक्लोराइड का प्रति 10 लिटर पानी में घोल बना कर बीजों को घोल में 12 घंटे तक डुबो कर रखना चाहिए. इस के उपरांत बीजों को निकाल कर छांव में सुखाने के बाद ही नर्सरी में बोआई करनी चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि किसानों को नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग कम करना चाहिए और जिस खेत में रोग लगा हो, उस का पानी दूसरे खेत में नहीं जाने देना चाहिए, ताकि रोग का फैलाव न हो. खेत में जीवाणु झुलसा रोग को फैलने से रोकने के लिए किसानों को समुचित जल निकास की व्यवस्था करनी चाहिए और 75 ग्राम एग्रीमाइसिन एवं 100 -500 ग्राम कौपर औक्सीक्लोराइड को 500 से 600 लिटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर की दर से 3-4 बार छिड़काव करना चाहिए.

सहायक संचालक, कृषि, रवि आम्रवंशी के मुताबिक, किसानों को पहला छिड़काव रोग प्रकट होने पर और इस के बाद आवश्यकता के अनुसार 10-10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए. साथ ही, किसानों को रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग ही करना चाहिए. इस के अलावा उन्होंने धान की फसल में लगने वाले अन्य रोगों की जानकारी भी दी.

उन्होंने फाल्स स्मर्ट रोग के बारे में किसानों को बताया कि इस रोग से धान की उपज पर बुरा प्रभाव पड़ता है. रोग ग्रस्त दाने आकार में सामान्य दानों से दोगुने या 4 से 5 गुना बड़े होते हैं. फाल्स स्मर्ट रोग की रोकथाम के लिए किसानों को 12 सौ ग्राम मैनकोजेब या कौपर औक्सीक्लोराइड का 500 लिटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए.

रवि आम्रवंशी ने भूरा धब्बा रोग की रोकथाम के लिए किसानों को जिंक मैंगनीज कार्बोनेट 75 फीसदी की 2 किलोग्राम मात्रा 800 लिटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने की सलाह दी है.

19 सितंबर से 22 सितंबर तक लगेगा वर्ल्ड फूड इंडिया 2024

नई दिल्ली : केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने आज आगामी मेगा फूड इवेंट- वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 की तैयारियों की समीक्षा के लिए नई दिल्ली में स्थित ‘भारत मंडपम’ का दौरा किया. इस का कार्यक्रम का आयोजन 19 सितंबर से ले कर 22 सितंबर, 2024 तक होना है.

इस यात्रा के दौरान चिराग पासवान के साथ मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, कार्यक्रम के आयोजन में शामिल भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) व इन्वेस्ट इंडिया के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे. इस दौरे में प्रदर्शनी हाल, सम्मेलन क्षेत्र और अन्य सुविधाओं का विस्तृत निरीक्षण शामिल था, जिन का उपयोग कार्यक्रम के दौरान किया जाएगा.

इस के अलावा चिराग पासवान ने कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा के लिए अधिकारियों और आयोजकों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की. इस में उन्होंने गुणवत्ता और दक्षता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने पर जोर दिया.world food india 1

वर्ल्ड फूड इंडिया, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की ओर से आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है. इस का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में नवीनतम नवाचारों, प्रौद्योगिकियों और रुझानों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए पूरे विश्व के हितधारकों को एक अनोखा अवसर प्रदान करना है. इस में ज्ञान सत्रों, पैनल चर्चाओं और नेटवर्किंग अवसरों की एक श्रंखला शामिल होगी, जो सहभागिता को बढ़ावा देने और खाद्य प्रसंस्करण के भविष्य को आगे बढ़ाने के लिए डिजाइन की गई है.

इस कार्यक्रम में अत्याधुनिक प्रदर्शनी स्थल, विशेष मंडप होंगे, जो भारत की समृद्ध क्षेत्रीय खाद्य विविधता को प्रदर्शित करेंगे. साथ ही, स्टार्टअप्स और नवप्रवर्तकों के लिए समर्पित क्षेत्र भी होंगे. ये तत्व भारत के डायनमिक खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र और वैश्विक मंच पर इस के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करते हैं.

इस आयोजन की तैयारी में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों सहित संबद्ध मंत्रालयों व विभागों के साथ सक्रिय रूप से तालमेल कर रहा है. मंत्रालय, वर्ल्ड फूड इंडिया- 2024 को एक ऐतिहासिक आयोजन बनाने और वैश्विक खाद्य उद्योग में अग्रणी रूप में भारत की उभरती भूमिका को प्रदर्शित करने के लिए अपने प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने एग्रीश्योर फंड लौंच किया

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण विकास के क्रम में आज नई दिल्ली में एग्रीश्योर योजना का शुभारंभ किया.

एग्रीश्योर स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यमों के लिए कृषि फंड एक अभिनव फंड है, जो भारत में खेती के परिदृश्य में क्रांति लाने की दिशा में एक अग्रणी कदम है. प्रौद्योगिकी संचालित, उच्च जोखिम, उच्च प्रभाव वाले उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एग्रीश्योर को कृषि और ग्रामीण स्टार्टअप इकोसिस्टम में विकास को बढ़ावा देने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है.

सेबी द्वारा पंजीकृत श्रेणी II का 250 करोड़ रुपए मिश्रित पूंजी कोष, वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के साथ भारत सरकार का योगदान 250 करोड़ रुपए है, नाबार्ड का 250 करोड़ रुपए है और बैंकों, बीमा कंपनियों और निजी निवेशकों से 250 करोड़ रुपए जुटाए जा रहे हैं.

फंड के शुभारंभ के लिए आयोजित कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित अतिथियों ने भाग लिया, जिन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, रामनाथ ठाकुर और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव डा. देवेश चतुर्वेदी शामिल थे.

सभा में कृषि मंत्रालय, वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, प्रमुख बैंकों के प्रतिनिधि, राज्य सरकार के अधिकारी और कृषि समुदाय के प्रमुख हितधारक भी शामिल थे.

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अपने मुख्य भाषण में मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई लौंच की गई पहलों की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि एग्रीश्योर फंड का शुभारंभ सरकार के पिछले प्रयासों का ही एक हिस्सा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत में हर किसान को फलनेफूलने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता मिले.

उन्होंने आगे कहा कि किसानों की समृद्धि से समृद्ध अर्थव्यवस्था बनेगी, क्योंकि किसान अपनी किस्मत को उपभोग पर खर्च करना शुरू कर देंगे और खेती देश की रीढ़ है और किसान ही इस का आधार है.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषक समुदाय को समर्थन देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में विस्तार से बताया कि हमारा लक्ष्य हर किसान को सशक्त बनाना है और एग्रीश्योर फंड का शुभारंभ कृषि क्षेत्र के प्रति हमारे अटूट समर्पण का प्रमाण है. सरकार उत्पादन में वृद्धि, किसानों के लिए उत्पादन की लागत में कमी, किसानों के लिए लाभकारी मूल्य, फसल विविधीकरण, कटाई के बाद होने वाले नुकसान को रोकना और फसल बीमा के माध्यम से फसल के नुकसान के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास करेगी.

कार्यक्रम में एग्रीश्योर ग्रीनथान पुरस्कार प्रदान किए गए, जो इनपुट के चयन से ले कर विपणन और मूल्य संवर्धन तक कृषि मूल्य श्रंखला के विभिन्न चरणों में किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए तकनीक केंद्रित समाधान विकसित करने वाले सब से नवीन स्टार्टअप को दिए गए.

ग्रीनथान 12 जुलाई, 2024 को मुंबई में लौंच किया गया था और लौंच से पहले 10 फाइनलिस्ट के साथ इस का ग्रैंड फिनाले आयोजित किया गया. 2000 उभरते एग्री स्टार्टअप में से 500 से अधिक प्रोटोटाइप की स्क्रीनिंग की गई, जिस में 10 फाइनलिस्ट ने अपने विचार प्रस्तुत किए. शीर्ष 3 स्टार्टअप – ग्रीन्सैपियो, कृषि कांति और एम्ब्रोनिक्स को कुल 10 फाइनलिस्ट में से क्रमशः विजेता, उपविजेता और द्वितीय उपविजेता के रूप में चुना गया. 6 लाख रुपए की राशि वाले ग्रीनथान ने न केवल उत्कृष्टता को पुरस्कृत किया, बल्कि भविष्य में सहयोग के लिए हितधारकों के व्यापक नेटवर्क के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए स्टार्टअप्स को एक मंच भी प्रदान किया.

कार्यक्रम के दौरान देवेश चतुर्वेदी ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कृषि के क्षेत्र में स्टार्टअप की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर बल दिया. यह कार्यक्रम राज्य सरकारों, बैंकों, निवेश समुदाय और स्टार्टअप के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न हितधारकों का एक संगम था, जो एग्रीश्योर के शुभारंभ के अवसर पर एकसाथ आए, जो स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यमों के लिए एक मिश्रित पूंजी कोष है. यह भारत में कृषि स्टार्टअप इकोसिस्टम में अपनी तरह का पहला उत्पाद है.

एग्रीश्योर फंड की शुरुआत के साथ सरकार का लक्ष्य कृषि क्षेत्र में निवेश को और आगे बढ़ाना है. यह किसानों को सशक्त बनाएगा और सुलभ एवं किफायती अभिनव समाधानों को गति दे कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा.