अंजीर का रस (Fig juice) पोलैंड को निर्यात

नई दिल्ली : कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीई‍डीए यानी एपीडा) ने जीआई टैग वाले पुरंदर अंजीर से बने भारत के प्रथम पीने के लिए तैयार अंजीर के रस को पोलैंड को निर्यात के लिए सुगम बनाया. अंजीर के रस की यह खेप सभी हितधारकों की उपस्थिति में एपीई‍डीए के अध्यक्ष अभिषेक देव द्वारा हरी झंडी दिखा कर 1 अगस्त, 2024 को जर्मनी के हैम्बर्ग बंदरगाह से होते हुए रवाना हुई. यह आयोजन वैश्विक मंच पर भारत के विशिष्ट कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

इस अभिनव अंजीर के रस की यात्रा ग्रेटर नोएडा, नई दिल्ली में आयोजित एसआईएएल 2023 के दौरान कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण मंडप में शुरू हुई. यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला ने प्रदर्शित उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहचान के लिए एक मंच प्रदान किया. पुरंदर हाईलैंड्स फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड द्वारा उत्पादित अंजीर के रस ने सभी का ध्यान आकर्षित किया और इस कार्यक्रम में एक पुरस्कार जीता, जिस ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस की क्षमता को विशिष्ट रूप से दर्शाया.

इस उत्पाद के विकास और निर्यात में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के निरंतर समर्थन और सहायता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वर्ष 2022 में हैम्बर्ग को ताजा जीआई टैग वाले पुरंदर अंजीर के पहले निर्यात के बाद से एपीई‍डीए ने छोटे किसानों के साथ पूरे सहयोग से काम किया है. यह उत्पाद, जिसे एक अनंतिम पेटेंट दिया गया है, कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नवाचार का प्रतिनिधित्व करता है.

एपीई‍डीए के समर्थन से इटली के रिमिनी में मैकफ्रूट वर्ष 2024 में अंजीर के रस का प्रदर्शन भी किया गया, जिस से इस की वैश्विक पहुंच का और अधिक विस्तार हुआ. इस आयोजन में खरीदारों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी गई, जिस में पोलैंड के व्रोकला में एमजी सेल्स एसपी द्वारा की गई पूछताछ भी शामिल थी, जिस के फलस्‍वरूप यह ऐतिहासिक निर्यात प्रक्रिया संपन्‍न हुई.

यह उपलब्धि न केवल भारतीय कृषि उत्पादों की क्षमता को प्रदर्शित करती है, तथापि कृषि निर्यात के मूल्य को बढ़ाने में अनुसंधान और विकास के महत्व को भी रेखांकित करती है. यह उपलब्धि भारतीय कृषि उत्पादों की क्षमता के साथ किफायती कृषि प्रणालियों और निर्यात को बढ़ावा देने में एफपीसी की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है.

पालतू भेड़ और बकरियों (Pet Sheep and Goats) को एफएमडी (FMD) से बचाने के लिए होगा टीकाकरण (Vaccination)

नई दिल्ली : केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने टीकाकरण के जरीए वर्ष 2030 तक एफएमडी मुक्त भारत (एफएमडी खुरपरा एवं मुंहपका रोग) के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में विभाग द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा की.

उन्होंने कहा कि पशुधन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाता है. यह क्षेत्र पशुधन की देखभाल करने वाले किसानों, विशेषकर ग्रामीण परिवारों और महिलाओं की आजीविका में योगदान देने वाला एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल जागरूकता, पहुंच और रुचि चिंता का विषय है, जिस के कारण आजीविका में भारी नुकसान हो रहा है. बैठक में मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल और पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय भी उपस्थित थीं.

बैठक में भारत को वर्ष 2030 तक एफएमडी मुक्त बनाने की कार्ययोजना पर चर्चा की गई. बैठक के दौरान यह बताया गया कि देश में, विशेष रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में सीरो सर्विलांस के आधार पर जोन बनाने के लिए सभी आकलन किए गए हैं, जहां टीकाकरण अग्रिम चरण में है, उन्हें एफएमडी मुक्त क्षेत्र घोषित करने के लिए प्राथमिकता दी जा सकती है. इस से निर्यात के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने बताया कि पशुओं में होने वाले रोग, पशुधन क्षेत्र के विकास में एक गंभीर बाधा है. अकेले एफएमडी के कारण, प्रति वर्ष लगभग 24,000 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है. इस बीमारी के नियंत्रण और उन्मूलन के परिणामस्वरूप दूध उत्पादन में वृद्धि होगी, लाखों किसानों की आजीविका सुदृढ़ होगी और उन की आय में वृद्धि होगी. इतना ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी आवश्यकताओं के अनुसार दूध और पशुधन उत्पादों के निर्यात में वृद्धि होगी.

भारत सरकार ने 2 प्रमुख बीमारियों एफएमडी और ब्रुसेलोसिस की रोकथाम के उद्देश्य से टीकाकरण के लिए एनएडीसीपी की प्रमुख योजना शुरू की. कार्यक्रम के तहत मवेशियों और भैंसों में एफएमडी की रोकथाम के लिए 6 मासिक टीकाकरण भेड़ और बकरियों में शुरू किया जाता है. देश के 21 राज्यों में पशुओं में एफएमडी की रोकथाम हेतु टीकाकरण का चौथा दौर पूरा हो चुका है. अब तक कुल मिला कर लगभग 82 करोड़ टीकाकरण किए गए हैं. कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में राउंड 5 पहले ही पूरा हो चुका है.

कार्यक्रम के तहत टीकाकरण के माध्यम से देश से एफएमडी के उन्मूलन के उद्देश्य को पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2030 है. इस समय टीकाकरण के माध्यम से मिलने वाले लाभों को सुरक्षित और कारगर बनाने के लिए एफएमडी मुक्त क्षेत्र बनाने की दिशा में संबंधित राज्यों के साथसाथ पशुओं की आवाजाही का पता लगाने, रोग की निगरानी, जैव सुरक्षा संबंधी उपायों आदि जैसे क्षेत्रों में समन्वित प्रयासों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने की आवश्यकता है.

इस पहल को तेज करने के उद्देश्य से केंद्रीय मंत्रियों ने जमीनी स्तर पर जोनिंग की अवधारणा को लागू करने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करने के क्रम में समर्थन और मार्गदर्शन दिया है. जोनिंग की अवधारणा और जोन को एफएमडी मुक्त बनाए रखने की पूर्व शर्तों और जरूरतों के बारे में चर्चा की गई.

यह देखा गया कि इस के लिए न केवल संबंधित राज्यों के साथ गहन सूक्ष्म नियोजन की आवश्यकता है, बल्कि टीकाकरण के माध्यम से वर्ष 2030 तक इस बीमारी को खत्म करने के अंतिम उद्देश्य को निर्धारित करने के लिए एक विस्तृत रोडमैप की भी आवश्यकता है.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि इस बृहद क्रियाकलाप में राज्यों को गुणवत्तापूर्ण वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित करना शामिल है. उन्होंने यह भी बताया कि यह गर्व की बात है कि सभी पशु टीके आईसीएआर संस्थानों द्वारा विकसित किए गए हैं और घरेलू स्तर पर उत्पादित किए जा रहे हैं. भारत अब अन्य चुनिंदा एशियाई देशों को टीके निर्यात करने में सक्षम है.

विभाग की ओर से राज्य सरकारों को सहायक उपकरण, टीका लगाने वालों को पारिश्रमिक, जागरूकता पैदा करने और अपेक्षित कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना आदि के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है. एफएमडी टीकाकरण की प्रभावकारिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए गतिविधियों की निगरानी अत्यधिक वैज्ञानिक तरीके से सीरो मौनिटरिंग और सीरो सर्विलांस के माध्यम से की जाती है, जो दुनिया में पशुधन में सब से बड़ा अभियान है.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह के निर्देशों के तहत एफएमडी के खिलाफ चरने वाले भेड़ और बकरियों के टीकाकरण का निर्णय देश की ऐसी सभी आबादी तक बढ़ा दिया गया है. टीके की आपूर्ति शुरू हो गई है और लद्दाख ने पहले ही झुंडों का टीकाकरण शुरू कर दिया है. यह सरकार द्वारा प्रतिबद्ध सौ दिवसीय कार्ययोजना में से एक है. अतिसंवेदनशील और चरने वाले झुंडों में टीकाकरण की बारीकी से निगरानी की जाती है. इस का एक कारण यह भी है कि कई क्षेत्रों में भेड़बकरियों को पर्यावरण में संक्रामक वायरस की अनुपस्थिति स्थापित करने के लिए प्रहरी जानवरों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाना है.

मंत्री राजीव रंजन ने प्रतिभागियों से एफएमडी मुक्त भारत की इस चुनौती को स्वीकार करने की अपील करते हुए पशुपालन क्षेत्र के गैरसरकारी संगठनों सहित सभी हितधारकों से एफएमडी मुक्त भारत के लक्ष्य में योगदान देने को कहा. उन्होंने पशुओं में टीकाकरण की सख्त निगरानी और पर्यवेक्षण में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला.

कृषि अधोसंरचना निधि संबंधी कार्यशाला में किसानों को मिली जानकारी

हरदा : प्रदेश में भारत सरकार की योजना ‘कृषि अधोसंरचना निधि’ की विशेषताओं व एमपी फार्मगेट एप के प्रचारप्रसार करने और किसानों, व्यापारियों, उद्यमियों व विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों को इन योजनाओं की जानकारी देने के लिए पिछले दिनों मंडी बोर्ड, भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में माहेश्वरी मांगलिक भवन में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.

कार्यशाला में कलक्टर आदित्य सिंह ने ‘कृषि अधोसंरचना निधि’ योजना की तारीफ करते हुए इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों से अपील की. उन्होंने बताया कि देश में कृषि अधोसंरचना सुधार के लिए वित्तीय सहायता देने के उद्देश्य से कृषि अधोसंरचना निधि योजना चलाई जा रही है. योजना के तहत, भारत सरकार द्वारा एक लाख करोड़ रुपए का कोष बनाया गया है. इस योजना में किसानों व कृषि उद्यमियों को 2 करोड़ रुपए तक का लोन मुहैया कराया जाता है, जिस पर 3 फीसदी ब्याज अनुदान दिया जाता है.

उन्होंने कहा कि जिले में कुल 61 हितग्राहियों के वेयरहाउस इसी योजना के तहत बने हुए हैं. वहां मौजूद किसानों से उन्होंने अपील की कि वे ही कृषि अधोसंरचना निधि योजना के लिए आवेदन कर दें और योजना का लाभ उठाएं.

कार्यशाला में कलक्टर आदित्य सिंह ने किसानों से कहा कि वे खेती के साथसाथ उस से जुड़े फूड प्रोसैसिंग उद्योग इस योजना के तहत शुरू कर सकते हैं, जिस में खेती से अधिक लाभ किसानों को होता है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि मिर्ची की फसल से उतना लाभ नहीं होगा, जितना मिर्ची का पाउडर तैयार कर के बेचने में होगा. इस से पूर्व उपसंचालक, कृषि, संजय यादव ने उपस्थित समस्त अतिथियों का स्वागत किया. इस दौरान उपसंचालक, कृषि, संजय यादव, मंडी सचिव, हरदा, एमएस चौहान, सहायक उपनिरीक्षक आदित्य राज सिंह चौहान, सहायक उपनिरीक्षक राहुल कुमार देवहारे सहित कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, नाबार्ड बैंक व मंडी समितियों के सचिव एवं कर्मचारी और मीडिया प्रतिनिधि व किसान एवं व्यापारी प्रतिनिधि उपस्थित थे.

कार्यशाला के दूसरे चरण में गोविंद प्रसाद शर्मा, कृषि नोडल कृषि अधोसंरचना निधि योजना ने पावर पौइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी. साथ ही, योजना के तहत वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज, राइपनिंग चेंबर, प्राइमरी प्रोसैसिंग यूनिट, दाल मिल, फ्लोर मिल, आटा मिल, कस्टम हायरिंग सैंटर, मसाला उद्योग, बांस प्रोसैसिंग उद्योग इत्यादि के लिए लोन लिया जा सकता है. इस दौरान कृषि अधोसंरचना निधि योजना पोर्टल का तकनीकी प्रशिक्षण भी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिया गया.

कार्यशाला में बताया गया कि कृषि अधोसंरचना निधि योजना के तहत अभी तक जिले में 127 आवेदनों में 78 करोड़ रुपए की राशि बैंकों द्वारा स्वीकृत की जा चुकी है. कार्यशाला में चीफ प्रोग्रामर, मंडी बोर्ड, भोपाल, संदीप चौबे ने एमपी फार्मगेट एप विषय पर विस्तार से प्रस्तुतीकरण दिया.

उन्होने इस दौरान अपने घर खलिहान से अपनी कृषि उपज को अपने मनपसंद दाम पर विक्रय करने की सुविधा, कृषि विक्रय में होने वाले खर्चों में कटौती, मंडी में होने वाली भीड़ से बचत आदि सुविधाओं के संबंध में एमपी फार्मगेट ऐप की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी.

उन्होने उपस्थित किसानों को एमपी फार्मगेट ऐप को एंड्राइड मोबाइल पर गूगल प्ले स्टोर पर जाकर डाउनलोड करने तथा ऐप का इस्तेमाल करने के संबंध में भी जानकारी दी. कार्यशाला में जिले की मंडियों से आए हुए व्यापारियों तथा कृषकों ने अपनी जिज्ञासा अनुरूप प्रश्न पूछे, जिसका समाधान कारक उत्तर उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा दिया गया.

87 गांवों में पटवारी से प्रमाणित नक्शे (Maps) ही मान्य

हरदा : जिले के भूअभिलेखों के अवलोकन से यह तथ्य सामने आया है कि कुल 87 गांवों के गलत नक्शे भूअभिलेख के डिजिटलाइजेशन के दौरान अपलोड किए गए हैं. इन 87 गांवों के सही नक्शे की नकल पटवारी नक्शे के आधार पर दी जा रही है और सही नक्शों को औनलाइन अपलोड करने की कार्यवाही जारी है.

कलक्टर आदित्य सिंह ने बताया कि अभी इन 87 गांवों के डिजिटल रूप से प्राप्त किए गए नक्शों का उपयोग कानूनी दस्तावेज के रूप में नहीं किया जा सकेगा, बल्कि इन गांवों के मामले में केवल पटवारी द्वारा भौतिक रूप से जारी प्रमाणित प्रतिलिपि ही कानूनी दस्तावेज के रूप में मान्य की जाएगी.

यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. इन 87 गांवों में हरदा तहसील के 5, खिरकिया तहसील के 27, टिमरनी तहसील के 2, रहटगांव तहसील के 7, सिराली तहसील के 36 और हंडिया के 10 गांव शामिल हैं. इन में हरदा तहसील के ग्राम छुरीखाल, लालपुरा, पीपल्या, घोघड़ामाफी व बुंदड़ा शामिल हैं.

इसी प्रकार खिरकिया तहसील के गांव नगावा माल, पाहनपाट, सारंगपुर, चौकड़ी, कुड़ावा, नीमसराय, छीपाबड़, खिरकिया, पोखरनी, कानपुरा, टेमलावाड़ीमाल, गोपालपुरा, प्रतापपुरा, भवरदा माफी, भवरदी माल, मोरगढ़ी, रूनझुन, जादोपुरा, प्रतापपुरा, महलपुरा माल, महलपुरा दमामी, सारसूद, सोनपुरा, पड़वा, लोनी, अजरूद माल, सांगवा सरकुलर और टिमरनी तहसील के गौसर व नौसर शामिल हैं. रहटगांव तहसील के गांव उसकल्ली, कपासी, गाड़ामोड़ खुर्द, छिदगांव तमोली, इकडालिया, सिंदखेड़ा व झाड़बीड़ा शामिल हैं.

इसी तरह से सिराली तहसील के गांव भीमपुरा, कालकुंड, मरदानपुर, बेड़ियाकला, विक्रमपुर, पंधान्या, रहटाकला, दीपगांव कला, जिनवान्या, मड़ीसेल, रामपुरा, मालापुर, गोमगांव वली, सिराली, मुहाड़िया, चौकड़ी, खुटवाल, बिचपुरी रैयत, हसनपुरा रैयत, बहाड़ा माल, रकट्या, चौकी, मुहाल सरकुलर, सांवलखेड़ा रैयत, रामटेक रैयत, अजरूद रैयत, चिकलपाट, कुकड़ापानी, लफांगढाना, जुनापानी, सोनपुरा, नानी मकड़ाई, रिछाड़िया, लाल्याचापड़, दुगाल्या व मगरया शामिल है. हंडिया तहसील के गांव पांचातलाई, बेसवा, हंडिया, अजनास रैयत, छिड़गांव, उंडावा, डोमनमऊ, बूंदड़ा, सुरजना व इकडालिया शामिल हैं.

मोबाइल एप (Mobile App) द्वारा किसान बेच सकेंगे अपनी उपज

भोपाल : किसानों को कृषि उपज विपणन के क्षेत्र में अभिनव कदम उठाते हुए मोबाइल एप के माध्यम से अपनी कृषि उपज का विक्रय अपने घर, खलिहान, गोदाम से कराने की सुविधा प्रदान की गई है. सब से पहले किसान अपने एंड्राइड मोबाइल पर प्ले स्टोर में जा कर मंडी बोर्ड भोपाल का मोबाइल एप एमपी फार्म गेट एप  (MP FARM GATE APP) डाउनलोड करना होगा और एप इंस्टाल कर कृषक पंजीयन पूर्ण करना होगा. फसल विक्रय के समय किसानों को अपनी कृषि उपज के संबंध में मंडी फसल, ग्रेड किस्म, मात्रा एवं वांछित भाव की जानकारी दर्ज करना होगा.

किसानों द्वारा अंकित की गई समस्त जानकारियां चयनित मंडी के पंजीकृत व्यापारियों को प्राप्त हो जाएगी और प्रदर्शित होगी. व्यापारी द्वारा फसल की जानकारी एवं बाजार की स्थिति के अनुसार अपनी दरें औनलाइन दर्ज की जाएगी, जिस का किसान को एप में मैसेज प्राप्त होगा. इस के उपरांत आपसी सहमति के आधार पर चयनित जगह पर कृषि उपज का तौल कार्य होगा. कृषि उपज का तौल कार्य होने के बाद औनलाइन सौदा पत्रक एवं भुगतान पत्रक जारी किया जाएगा और शासन, मंडी बोर्ड के नियमानुसार नगर या बैंक खाते में भुगतान किया जाएगा.

इस प्रकार किसान एमपी फार्म गेट एप (MP FARM GATE APP) मोबाइल एप के माध्यम से मंडी में आए बिना अपने घर, गोदाम, खलिहान से भी अपनी कृषि उपज का विक्रय कर सकते हैं. इस एप से किसान प्रदेश की मंडियों में विक्रय की जाने वाली उपजों के दैनिक भाव की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं.

किसानों से इस एप को अपने एंड्राइड मोबाइल में इंस्टाल कर राज्य शासन एवं मंडी बोर्ड की इस अभिनव पहल का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की गई है.

योजना का लिया लाभ , बनाया प्याज भंडारगृह (Onion Warehouse)

देवास : केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजनाओं का लाभ पा कर किसान बड़ी तादाद में फसलों का उत्पादन कर रहे हैं, वहीं अच्छी आमदनी भी ले रहे हैं. किसानों की अच्छी आमदनी होने से वे माली तौर पर भी सुदृढ़ हो रहे हैं. इन्हीं किसानों में विकासखंड कन्‍नौद के गांव कोथमीर के रहने वाले किसान ओमप्रकाश हैं और उन के पिता का नाम रामगोपाल हैं, जिन्होंने उद्यानिकी विभाग महती योजना का लाभ लिया है.

किसान ओमप्रकाश बताते हैं कि पहले प्याज की उत्पादित फसल को निकालते ही बाजार में बेचना पड़ता था, जिस से प्याज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था. उद्यानिकी विभाग से जुड़ कर ओमप्रकाश ने अपने खेत पर उद्यानिकी विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में साढ़े 3 लाख रुपए की लागत से 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनवाया है, जिस से उत्पादित प्याज को 4 से 5 माह तक भंडारित कर रख सकते हैं और बाजार में प्याज की उचित कीमत मिलने पर ही बेचते है. प्याज भंडारगृह बनाने में योजनानुसार पौने 2 लाख रुपए की अनुदान सहायता भी प्राप्त होगी.

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग (Micro Food Industry) उन्नयन योजना : 10 लाख रुपए तक लें सब्सिडी

रतलाम : प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के अंतर्गत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां जैसे आलू से बने खाद्य पदार्थ, चिप्स, पाउडर, फ्लैक्स, स्टार्च आदि, लहसुन एवं प्याज पेस्ट पाउडर, टमाटर केचप, सौस, अचार, पापड़, मुरब्बा, जैम, जैली जूस, चौकलेट, बेकरी, मसाला, आटा चक्की, नमकीन, डेयरी उत्पाद, फ्रोजन उत्पाद, दाल उत्पाद, औयल, सोयाबीन एवं समस्त प्रोसैस्ड खाद्य पदार्थों के नवीन उद्योगों की स्थापना और पहले से स्थापित इकाइयों के उन्नयन और पैकेजिंग के सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना पर प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन के तहत इकाई लागत का 35 फीसदी यानी अधिकतम 10 लाख रुपए तक सब्सिडी लाभ दिए जाने का प्रावधान किया गया है.

इस में एकल उद्योगों एवं समूहों की डीपीआर तैयार करने, बैंक से ऋण लेने, एफएसएसआई के खाद्य मानकों, उद्योग आधार, जीएसटी आदि सहित आवश्यक पंजीकरण एवं लाइसैंस प्राप्त करने के लिए हैंड होल्डिंग सेवाएं प्रदान किए जाने के लिए विभाग द्वारा अधिकृत रिसोर्स पर्सन द्वारा निःशुल्क सेवाएं प्रदान की जाएगी.

योजना की विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित रिसोर्स पर्सन एवं वैबसाइट mofpi.nic.in पर देख सकते हैं या जिला कार्यालय, उपसंचालक, उद्यान विकासखंड स्तर पर पदस्थ वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारियों/ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारियों से संपर्क कर योजना का लाभ ले सकते हैं. कलक्टर राजेश बाथम ने जिले के अधिक से अधिक किसानों एवं उद्यमियों से योजना का लाभ लेने की अपील की है.

खरीफ फसल बीमा प्रीमियम (Insurance Premium) की आखिरी तारीख नजदीक

उमरिया : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ 2024 में योजना का बड़े पैमाने पर प्रचारप्रसार कर अधिक से अधिक ऋणी/अऋणी किसानों का फसल बीमा कराने के बारे में जिक्र किया गया है.

उक्तानुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ 2024 सीजन के लिए किसानों  से बीमा प्रीमियम काटने की अंतिम तिथि 16 अगस्त, 2024 की गई है एवं बीमा कंपनी को प्रीमियम भेजने के साथ बीमित किसानों की नैशनल क्राप इंश्योरेंस पोर्टल पर प्रविष्टि की अंतिम तिथि 16 अगस्त, 2024 निर्धारित की गई है.

जिले के अधिसूचित फसल एवं क्षेत्र और अधिसूचित फसलों का स्केल औफ फाइनेंस निर्धारित किया गया है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ 2024 सीजन में राज्य शासन के निर्देशानुसार अधिसूचित फसलों के लिए जारी अधिसूचना के आधार पर ऋणी व अऋणी किसानों का पोर्टल में बीमा करते समय आ रही समस्याओं (अधिसूचित फसलें ग्रामवार एवं हलकावार प्रदर्शित हो रही हैं की नहीं) के विवरण के साथ दिए गए मेल आईडी पर प्रेषित करें.(help.agri-insurance@gov.in, dagcropins@mp.gov.in, ro. bhopal@aicofindia.com , mukesh.idea01@rediffmail.com ).

बीमा कंपनी के प्रतिनिधि (ब्लौक समन्वयक) से तालमेल बना कर योजना का प्रचारप्रसार कर अधिक से अधिक ऋणी/अऋणी किसानों का डाटा शतप्रतिशत फसल बीमा पोर्टल पर 9 अगस्त, 2024 तक फसल बीमा किया जाना सुनिश्चित करें एवं 9 अगस्त, 2024 को सायं 5 बजे तक किसानों की प्रीमियम राशि की कटौती करते हुए प्रीमियम राशि बैंक शाखा के लोकल आइटम इन ट्रांजिट एकाउंट में रखा जाना है.

इस के पश्चात शाखा आईडी से चालान जनरेट करते हुए कुल प्रीमियम राशि एआईसी बीमा कंपनी को आरटीजीएस के माध्यम से प्रेषित किए जाने की कार्यवाही 9 अगस्‍त, 2024 तक किया जाना सुनिश्चित करें एवं समितिवार सूची और प्रमाणपत्र के माध्यम से बैंक मुख्यालय को अवगत करावें.

बीमा कंपनी पोर्टल पर किसी भी किसान का डाटा पोर्टल में प्रविष्टि नहीं हो पाता है या प्रीमियम राशि एआईसी बीमा कंपनी को प्रेषित नहीं हो पाती है. 2 संबंधित शाखा प्रबंधक/रामिति प्रबंधक पूरी तरह से व्यक्तिगत जवाबदेह होंगे.

‘संपूर्णता अभियान’ के तहत किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित

दमोह : नीति आयोग द्वारा जिला एवं आकांक्षी विकास खंड जबेरा के अंतर्गत ग्राम नोहटा में कृषि विभाग ‘संपूर्णता अभियान’ के तहत प्रदेश के संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी ने किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किया.

राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि किसान समृद्ध हो, आधुनिक रूप से खेती करे, किसान को मालूम होना चाहिए कि अपने खेत में कौन सी फसल बोएंगे तो और अच्छे भो अच्छे नतीजे प्राप्त होंगे. इस के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने पहल शुरू की है. कृषि विभाग किसान के खेत की मिट्टी ले कर उस मिट्टी की जांच करेंगे और उस मिट्टी में कौनकौन से पोषक तत्व हैं, उस के बारे में भी बताएंगे और उस मिट्टी में कौनकौन से तत्वों की कमी है, उस के बारे में भी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड में बताने का काम किया जाएगा.

राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि किसानों के खेत की मिट्टी में जो तत्व हैं, उस के आधार पर किसानों को यह बताने का प्रयास किया जाएगा कि आप कौन सी फसल अपने खेत में बोएंगे तो अच्छी पैदावार होगी और जिन तत्वों की कमी है, उन तत्वों के बारे में बताया जाएगा कि जब फसल बोते हैं, तो वह तत्व फसल में डालेंगे तो अच्छी पैदावार होगी.

उन्होंने कहा कि पीएच मान 6.92 है, यह 5.5 से 8.5 के बीच में होना चाहिए, मतलब पीएच मान आप के खेत में सही है. सल्फर 19 है, जो कि 10 से ज्यादा होना चाहिए, सल्फर भी ठीक है. आयरन की मात्रा 4.86 पीपीएम है, जबकि 4.5 से ज्यादा होनी चाहिए तो यह भी ठीक है.

उन्होंने कहा कि आप सभी किसान सुखी हों, समृद्ध हों और उन्नति करें. कार्यक्रम में उपसंचालक, कृषि, जितेंद्र सिंह राजपूत, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी जबेरा एमएल अहिरवार एवं विकासखंड के समस्त कृषि विस्तार अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में किसानों की सहभागिता रही.

संस्थान द्वारा विकसित कमलम फल पाउडर बनाने की तकनीक एमएसएमई के लिए भी अपनाने और व्यावसायीकरण के लिए उपयुक्त है. भाकृअनुप द्वारा इस की मंजूरी के बाद यह तकनीक जल्द ही व्यावसायीकरण के लिए उपलब्ध होगी.

ऊंची कीमत पर बिकता है ड्रैगन फ्रूट का पाउडर (Dragon Fruit Powder)

बेंगलुरु  : ड्रैगन फ्रूट यानी कमलम फल को उच्च मात्रा में एंटीऔक्सीडेंट, फाइबर और अन्य पोषक तत्वों के कारण सुपर फ्रूट माना जाता है. इस फल का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है और 5-7 सालों के भीतर यह कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, ओड़िसा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह जैसे कई राज्यों में फैल गया है.

भारत में लाल गूदा प्रकार (हाइलोसेरेस पोलिरिज़स) और सफेद गूदा प्रकार (हाइलोसेरेस उंडाटस) अधिक लोकप्रिय हैं. इस फल के बढ़ते महत्व को देखते हुए, भारत सरकार ने एकीकृत बागबानी विकास मिशन के तहत भाबाअनुसं.- सीएचईएस, हिरेहल्ली में कमलम यानी ड्रैगन फल पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने को मंजूरी दी है. क्षेत्र में इस के तेजी से प्रसार और अधिक उत्पादन की स्थिति में मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर इसे अपनाए जाने को देखते हुए, भाकृअनुप-भाबाअनुसं. ने कमलम फल के संरक्षण, प्रसंस्करण यानी प्रोसैसिंग, मूल्य संवर्धन की विधियों के विकास पर अनुसंधान शुरू किया.

बाजार में उपलब्ध कमलम (ड्रैगन) फल के मूल्यवर्धित उत्पादों में पाउडर सब से ऊपर है, जिस का उपयोग विभिन्न उत्पाद बनाने में किया जाता है, जैसे आइसक्रीम, मिल्कशेक, जूस, केक, पुडिंग, कुकीज आदि. बाजार में स्प्रे ड्राइड ड्रैगन फ्रूट पाउडर तकरीबन 4,000 रुपए प्रति किलोग्राम और फ्रीज ड्राइड पाउडर 12,000/- से 15,000/- रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहा है.

इतनी ऊंची कीमत वाणिज्यिक स्प्रे या फ्रीज ड्राइंग सुविधाओं की स्थापना में आवश्यक उच्च निवेश के कारण है. मुक्त प्रवाह वाला पाउडर प्राप्त करने के लिए 20 फीसदी से 40 फीसदी तक की उच्च मात्रा में योजकों का उपयोग किया जाता है, जो पाउडर में फलों के गूदे की मात्रा को कम कर देते हैं.

बेंगलुरु के हेसरघट्टा में स्थित भाकृअनुप-भाबाअसं, ने लाल कमलम (ड्रैगन) फल पाउडर बनाने की एक लागत प्रभावी विधि विकसित की है, जिस से उत्पादन की लागत में 50 फीसदी से अधिक की कमी आई है और उत्पाद में व्यावसायिक नमूनों की तुलना में बेहतर पोषण गुणवत्ता है. पाउडर के गहरे मैजेंटा/गुलाबी रंग का उपयोग विभिन्न खाद्य उत्पादों को प्राकृतिक रंग देने के लिए किया जा सकता है.

हेसरघट्टा स्थित भाकृअनुप-भाबाअसं, परिसर में आयोजित संस्थान स्तरीय प्रौद्योगिकी पहचान प्रक्रिया के दौरान कुकीज, केक, मफिन, डिप टी और मिल्कशेक जैसे विभिन्न प्रकार के मूल्यवर्धित उत्पाद बनाए गए और परोसे गए.