कृषि शिक्षा पर केंद्र सरकार का फोकस : शिवराज सिंह चौहान, कृषि मंत्री

 नई दिल्ली :  14 अगस्त, 2024. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि और संबद्ध विज्ञान में उच्च शिक्षा के लिए आसियानभारत फैलोशिप लांच की. आईसीएआर कन्वेंशन सैंटर, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर, पूसा, नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर और भागीरथ चौधरी भी उपस्थित थे.

यहां केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आसियान देशों का जिक्र करते हुए कहा कि हम सब एक हैं और एकदूसरे के बिना हमारा काम नहीं चल सकता. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. आज भी हमारी एक बड़ी आबादी खेती से ही रोजगार प्राप्त करती है. आज कृषि के सामने जलवायु परिवर्तन सहित कई चुनौतियां हैं. भारत ने सदैव कृषि को प्रधानता दी है.

उन्होंने आगे कहा कि समस्याओं के समाधान में कृषि शिक्षा की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. सरकार ने पिछले समय में कृषि शिक्षा पर बहुत ध्यान दिया है, फोकस किया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद इस काम में गंभीरता से लगी हुई है. देश में 66 राज्य कृषि विश्वविद्यालय, 4 डीम्ड विश्वविद्यालय, 3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और कृषि संकाय वाले 4 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं, जिन की देखरेख आईसीएआर द्वारा की जाती है.

उन्होंने कहा कि ये संस्थान स्नातक से ले कर डाक्टरेट तक कई तरह के पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं, जिन में कृषि, बागबानी, पशुपालन, मत्स्यपालन, पशु चिकित्सा, कृषि इंजीनियरिंग आदि शामिल हैं. वे कृषि विज्ञान में महत्वपूर्ण शोध भी करते हैं और किसानों व हितधारकों को सेवाएं प्रदान करते हैं. उच्च कृषि शिक्षा के लिए छात्रों को आकर्षित करने व कृषि और संबद्ध विज्ञान विषयों में शिक्षण और अनुसंधान में शैक्षिक उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए, आईसीएआर यूजी, पीजी और पीएचडी के छात्रों को परिषद द्वारा विकसित निर्धारित मानदंडों के आधार पर विभिन्न छात्रवृत्ति प्रदान कर के सहायता करता है.

ये छात्रवृत्ति आईसीएआर कोटा सीटों, आईसीएआर प्रवेश परीक्षा द्वारा कृषि विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले छात्रों को प्रदान की जाती हैं. आईसीएआर एयू प्रणाली की क्षमता और योग्यता को अब दुनियाभर में मान्यता मिल चुकी है. कई विकासशील देशों के छात्र भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों में विकसित अनुसंधान और शिक्षण सुविधाओं से आकर्षित हो कर लाभान्वित हो रहे हैं.

उन्होंने बताया कि भारत सहित विकासशील देशों में निजी क्षेत्र में अधिक नौकरियां पैदा हो रही हैं, इसलिए विकासशील देशों के छात्रों में भारतीय कृषि को समझने के लिए भारत आ कर अध्ययन करने की रुचि बढ़ रही है. भारत में उन के उच्च अध्ययन का समर्थन करने के लिए, आईसीएआर द्वारा नेताजी सुभाष फैलोशिप, भारतअफ्रीका फैलोशिप, भारतअफगानिस्तान फैलोशिप, बिम्सटेक फैलोशिप जैसे कई कार्यक्रम/फैलोशिप शुरू किए गए हैं.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आसियानभारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और उस के बाद इस पर निर्मित ‘इंडोपैसिफिक विजन’ की आधारशिला है. भारत आसियान एकता, आसियान केंद्रीयता, इंडोपैसिफिक पर आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन करता है. हमारे लिए आसियान के साथ राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा सहयोग सर्वोच्च प्राथमिकता है. भारत आसियान और पूर्वी एशिया शिखर मंचों को जो प्राथमिकता देता है, वह पिछले साल हमारे जी-20 शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी की जकार्ता यात्रा से साफ है. उन्होंने 12 सूत्रीय योजना की घोषणा की थी, जिस पर काफी हद तक अमल किया गया है.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत और आसियान के सदस्य देशों के बीच कृषि सहयोग की अपार संभावनाएं हैं, क्योंकि आसियान व भारत कृषि जलवायु क्षेत्रों के मामले में बहुत समानताएं साझा करते हैं. अब कृषि और वानिकी में आसियानभारत सहयोग के लिए कृषि व संबद्ध विज्ञान में उच्च शिक्षा के लिए आसियानभारत फैलोशिप आरंभ की जा रही है. फैलोशिप विशेष रूप से कृषि और संबद्ध विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में शक्तियों की पूर्ति और क्षमता का दोहन करने के लिए साझा हितों के नए और उभरते क्षेत्रों में स्नातकोत्तर कार्यक्रम के लिए है. इस से आसियान सदस्य देशों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शोध आधारित शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिस से भारत और आसियान समुदाय एकदूसरे के करीब आएंगे व आसियान देशों से आने वाले छात्रों के बीच जानकारी के अंतर-सांस्कृतिक और अंतर्राष्ट्रीय आदानप्रदान के लिए मंच प्रदान होगा.

फैलोशिप से आसियान राष्ट्रीयता के छात्रों को आईसीएआर व कृषि विश्वविद्यालय प्रणालियों के तहत सर्वश्रेष्ठ भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों में, जरूरत अनुसार, पहचाने गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कृषि व संबद्ध विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के लिए सहायता प्रदान की जाएगी.

इस के अलावा भाग लेने वाले संस्थानों के भारतीय संकाय सदस्यों की आसियान सदस्य देशों में परिचयात्मक यात्राओं के माध्यम से आसियान क्षमता निर्माण में सहायता प्रदान की जाएगी. इस से कृषि और संबद्ध विज्ञान क्षेत्र के विकास के लिए आसियान में विशेषज्ञ मानव संसाधन के एक पूल के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा.
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा पेश किए जाने वाले मास्टर्स प्रोग्राम छात्रों को अत्याधुनिक शोध से परिचित कराएंगे, उन्हें भविष्य के नवाचारों के लिए तैयार करेंगे. साथ ही, देश में दीर्घकालिक डिगरी कोर्स शोधकर्ताओं को लंबे समय तक जुड़े रहने में मदद कर सकता है और आसियान व भारत को कृषि से संबंधित मुद्दों को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकता है. शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से कृषि और संबद्ध विज्ञान में मास्टर डिगरी के लिए आसियान सदस्य देशों के छात्रों को 50 फैलोशिप (प्रति वर्ष 10) प्रदान की जाएंगी. परियोजना 5 साल के लिए आसियानभारत कोष के तहत वित्त पोषण के लिए मंजूर की गई है, जिस में फैलोशिप, प्रवेश शुल्क, रहने का खर्च व आकस्मिकता शामिल है.

विज्ञान का फायदा तुरंत किसानों को मिले

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में निमंत्रित किसानों से संवाद और राष्ट्रीय नाशीजीव (कीट) निगरानी प्रणाली के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी जानते हैं कि आजादी हमें चांदी की तस्तरी पर भेंट नहीं की गई है. हजारों लोग फांसी के फंदे पर हंसतेहंसते झूल गए थे. हमारे अमर क्रांतिकारी आजादी के तराने गाया करते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज देश के लिए मरने की नहीं, जीने की आवश्यकता है. आजादी के महोत्सव में देश के गांवगांव से किसान पधारे हैं. किसान देश की धड़कन हैं और जनता के दिल की धड़कन हैं. किसान जो पैदा करते हैं, उस से सभी के दिल धड़क रहे हैं. किसान हमारे लिए बहुमूल्य हैं. हमें अन्नदाता को सुखी और समृद्ध बनाना है.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 6 तरह के काम करेंगे – उत्पादन बढ़ाना. हमें उत्पादन बढ़ाना है, उस के लिए बीज, अभी प्रधानमंत्री मोदी ने 109 प्रकार के ज्यादा उपज देने वाले बीज किसानों को समर्पित किए. वैज्ञानिकों के अनुसंधान की जानकारी किसानों को होनी चाहिए. हमारा काम किसानों और वैज्ञानिकों को जोड़ना है. कई बार किसानों को जानकारी नहीं होती, तो वे गलत कीटनाशक का प्रयोग करते हैं, इस की जानकारी होना जरूरी है. विज्ञान का फायदा तुरंत किसानों को मिले, इस के लिए हम महीने में एक दिन किसानों की बात कार्यक्रम शुरू करेंगे. रेडियो पर ये कार्यक्रम होगा, इस में वैज्ञानिक बैठेंगे, कृषि विभाग के अधिकारी बैठेंगे, मैं भी बैठूंगा और किसानों को जोजो जरूरी है, उस के बारे में जानकारी दी जाएगी. कृषि विज्ञान केंद्र को पूरी तरह से किसानों से जोड़ने की जरूरत है. वैज्ञानिक लाभ को तुरंत किसानों तक पहुंचाने का काम होगा. अब जल्दी ही किसानों के बीच चर्चा होगी, विचारविमर्श होगा, जिस से खेती से हम फूड बास्केट बनने का चमत्कार कर सकें.

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कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जानकारी देते हुए कहा कि किसानों का बजट एक समय 27 हजार करोड़ रुपए था, प्रधानमंत्री मोदी ने इस बजट को बढ़ा कर 1.52 लाख करोड़ रुपए कर दिया. किसानों को सब्सिडी पर खाद मिलती है. आजकल वे लोग किसानों की बात करते हैं, जिन का खेती से कोई लेनादेना ही नहीं है. उन्होंने खेत नहीं देखे, खेत की फसल नहीं देखी, उन को पता ही नहीं है कि गेहूं की बाली कैसी होती है.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान जितना भी तुअर, मसूर, उड़द उगाएंगे, वो सब सरकार खरीदेगी. पहले के जमाने में तो खरीद ही नहीं होती थी. पुरानी सरकार में दाल की खरीदी केवल 6 लाख मीट्रिक टन की गई थी. मोदी सरकार ने 1.70 करोड़ मीट्रिक टन दाल खरीदी. उत्पादन की लागत घटाने के प्रयास भी जारी हैं. पीएम किसान सम्मान निधि के तहत अब तक 3.24 लाख करोड़ रुपए डाल दिए गए हैं किसानों के खातों में.

उन्होंने कहा कि पीएम फसल बीमा योजना आज दुनिया की सब से बड़ी फसल बीमा योजना है. हम निरंतर प्रयत्न करेंगे कि उस में सुधार करते रहें. कृषि का विविधीकरण हमें करना है. इस से किसान को ज्यादा फायदा होगा.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से आग्रह किया कि वे मृदा का स्वास्थ्य ठीक करने के लिए अपने खेत के कुछ हिस्से में प्राकृतिक खेती करें. इस के लिए मिशन बहुत जल्दी आने वाला है. इस की रूपरेखा बन गई है. एफपीओ और बनने चाहिए. इस से हम कई तरह के काम कर के अपनी आय बढ़ा सकते हैं.

गत वर्ष के मुकाबले गुलाबी सुंडी (Pink bollworm) का प्रकोप कम

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कपास अनुभाग के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा कपास की फसल का फील्ड में लगातार सर्वे किया जा रहा है. सर्वे के दौरान गुलाबी सुंडी के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए किसानों को प्रशिक्षण के द्वारा जागरूक भी किया जा रहा है.

यह जानकारी देते हुए कपास विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डा. करमल सिंह ने बताया कि हिसार व फतेहाबाद जिलों के विभिन्न गांवों में सर्वे कर के उस पर आधारित कपास में गुलाबी सुंडी व अन्य बीमारियों से बचाने के लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है. अब तक किए गए सर्वे में यह पाया गया है कि राजस्थान से सटे हुए गांवों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप 10 से 35 फीसदी तक का असर देखा गया है, वहीं भिवानी व हिसार जिलों में गुलाबी सुंडी का असर 10 फीसदी तक है.

कपास अनुभाग व कृषि विभाग द्वारा किसानों को जागरूक करने के लिए विभिन्न गांवों में कृषि मेले भी आयोजित किए गए हैं. गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष कपास की फसल अच्छी है और इस बार पहले के मुकाबले कपास की अधिक पैदावार और मुनाफे की संभावना है.

डा. करमल सिंह ने बताया कि गत एक माह से कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एडीओ, बीएओ, एसडीएओ, एटीएम, बीटीएम और सुपरवाइजर को हरियाणा एग्रीकल्चरल मैनेजमेंट एंड एक्सटेंशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, जींद में प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

उन्होंने आगे बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों को विश्वविद्यालय में कपास अनुभाग में कपास के खेतों का भ्रमण भी करवाया जा रहा है. कपास अनुभाग द्वारा महीने में 2 बार कपास की उन्नत खेती करने के लिए एडवाइजरी भी जारी की जाती है.

आने वाले एक महीने में गुलाबी सुंडी से बचाव के लिए करें ये उपाय

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक सभी किसानों को कपास की अधिक पैदावार लेने के लिए आगामी एक महीने तक सजग रहते हुए विश्वविद्यालय के कपास अनुभाग द्वारा बनाई गई सिफारिश के अनुसार काम करने की सलाह दे रहा है. पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष गुलाबी सुंडी का प्रकोप कम है. अगले एक महीने तक किस गुलाबी सुंडी से बचाव के लिए 10 दिन के अंतराल पर इस प्रकार बताए गए कीटनाशकों का स्प्रे करें :

प्रोपेनोफोस 50 ईसी 3 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी, क्विनालफास 20 एएफ 4 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी, थायोडीकार्ब 75 डब्ल्यूपी 1.5 ग्राम प्रति लिटर पानी के साथ. जड़ गलन रोग के लिए प्रभावित पौधों के आसपास स्वस्थ पौधों में एक मीटर तक कार्बन्डजिम 2 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल बना कर 100-200 मिलीलिटर प्रति पौध जड़ों में डालें. वहीं पैराविल्ट रोग के लिए किसान लक्षण दिखाई देते ही 24-48 घंटों के अंदर 2 ग्राम कोबाल्ट क्लोराइड 200 लिटर पानी में घोल बना कर छिडक़ाव करें.

किसान नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी का करें ज्यादा उपयोग

जयपुर : प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी वैभव गालरिया की अध्यक्षता में पिछले  दिनों पंत कृषि भवन के समिति कक्ष में उर्वरकों की मांग, आपूर्ति एवं उपलब्धता की समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया, जिस में उर्वरकों व संभावित आपूर्ति के संबंध में कंपनीवार समीक्षा की गई. बैठक में उर्वरक निर्माता एवं आपूर्तिकर्ता फर्मों के प्रतिनिधियों द्वारा भाग लिया गया.

बैठक में वैभव गालरिया ने बताया कि डीएपी, यूरिया, एमपीके, एसएसपी उर्वरकों का मासिक आवंटन, जो कि केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है, उस की शतप्रतिशत आपूर्ति होना सुनिश्चित किया जाए.

प्रमुख शासन सचिव ने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी को किसानों द्वारा ज्यादा प्रयोग में लेने के लिए विभाग द्वारा इन का प्रचारप्रसार करने के लिए भी कहा. साथ ही, उर्वरकों की हो रही कालाबाजारी की रोकथाम और कालाबाजारी करने वाले आदान विक्रेताओं पर कार्यवाही की जाए.

बैठक में कृषि आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) के विनिर्माता एवं आपूर्तिकर्ताओं को निर्देशित किया कि उर्वरकों की गुणवत्तापूर्वक एवं मांग के अनुरूप आपूर्ति प्राथमिकता से करें.

उन्होंने संयुक्त निदेशक (गुण नियंत्रण) को निर्देशित किया कि विशेष गुण नियंत्रण अभियान चला कर आदान विक्रेताओं के पोस मशीन एवं वास्तविक भौतिक स्टाक का निरीक्षण करें. कृषि आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने एसएसपी व यूरिया को मिला कर डीएपी की जगह विकल्प के रूप में उपयोग करने का भी सुझाव दिया.

बैठक में अतिरिक्त निदेशक (आदान) डा. सुवालाल, संयुक्त निदेशक (आदान) लक्ष्मण राम, संयुक्त निदेशक (गुण नियंत्रण) गजानंद सहित विभागीय अधिकारी और उर्वरक विनिर्माता एवं आपूर्तिकर्ता कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे.

‘गायपालन’ (Cow husbandry) विषय पर पांचदिवसीय प्रशिक्षण

भागलपुर : कृषि विज्ञान केंद्र, सबौर के प्रशिक्षण कक्ष में ‘गायपालन’ विषय पर पांचदिवसीय प्रशिक्षण का उद्घाटन केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान, डा. राजेश कुमार द्वारा किया गया. प्रशिक्षण के उद्घाटन के अवसर उन्होंने कहा कि पशुपालन का काम छोटे किसान से ले कर बड़े किसान तक करते हैं. इस प्रशिक्षण के माध्यम से गायपालन की विभिन्न तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी, जिस का उपयोग कर के आप एक सफल पशुपालक बन  सकते हैं और इसे स्वरोजगार के रूप में अपना कर आर्थिक लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं.

प्रशिक्षण के तकनीकी सत्र में बिहार कृषि महाविद्यालय के सस्य वैज्ञानिक डा. संजीव गुप्ता ने हाइड्रोपोनिक्स के माध्यम से सालभर पौष्टिक चारा उत्पादन संबंधी जानकारी दी

केंद्र के पशु वैज्ञानिक डा. मो. ज्याउल होदा द्वारा गायपालन से संबंधित विभिन्न आयामों की तकनीकी जानकारी जैसे गाय के रहने के लिए जगह का चयन एवं बनावट, उस के खाने के लिए उचित सामग्री एवं मात्रा संबंधी जानकारी उपलब्ध कराई गई. साथ ही, समेकित कृषि प्रणाली, कृषि विज्ञान केंद्र एवं प्रक्षेत्र, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर का दुग्ध उत्पादन इकाई/बकरीपालन इकाई एवं अन्य इकाई का परिभ्रमण कराया गया.

इस अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिक ई. पंकज कुमार, डा. पवन कुमार, डा. मनीष राज, रूबी कुमारी, ईश्वर चंद्र सहित जिले के 25 गायपालक और किसानों ने भाग लिया.

अंजीर का रस (Fig juice) पोलैंड को निर्यात

नई दिल्ली : कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीई‍डीए यानी एपीडा) ने जीआई टैग वाले पुरंदर अंजीर से बने भारत के प्रथम पीने के लिए तैयार अंजीर के रस को पोलैंड को निर्यात के लिए सुगम बनाया. अंजीर के रस की यह खेप सभी हितधारकों की उपस्थिति में एपीई‍डीए के अध्यक्ष अभिषेक देव द्वारा हरी झंडी दिखा कर 1 अगस्त, 2024 को जर्मनी के हैम्बर्ग बंदरगाह से होते हुए रवाना हुई. यह आयोजन वैश्विक मंच पर भारत के विशिष्ट कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

इस अभिनव अंजीर के रस की यात्रा ग्रेटर नोएडा, नई दिल्ली में आयोजित एसआईएएल 2023 के दौरान कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण मंडप में शुरू हुई. यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला ने प्रदर्शित उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहचान के लिए एक मंच प्रदान किया. पुरंदर हाईलैंड्स फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड द्वारा उत्पादित अंजीर के रस ने सभी का ध्यान आकर्षित किया और इस कार्यक्रम में एक पुरस्कार जीता, जिस ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस की क्षमता को विशिष्ट रूप से दर्शाया.

इस उत्पाद के विकास और निर्यात में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के निरंतर समर्थन और सहायता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वर्ष 2022 में हैम्बर्ग को ताजा जीआई टैग वाले पुरंदर अंजीर के पहले निर्यात के बाद से एपीई‍डीए ने छोटे किसानों के साथ पूरे सहयोग से काम किया है. यह उत्पाद, जिसे एक अनंतिम पेटेंट दिया गया है, कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नवाचार का प्रतिनिधित्व करता है.

एपीई‍डीए के समर्थन से इटली के रिमिनी में मैकफ्रूट वर्ष 2024 में अंजीर के रस का प्रदर्शन भी किया गया, जिस से इस की वैश्विक पहुंच का और अधिक विस्तार हुआ. इस आयोजन में खरीदारों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी गई, जिस में पोलैंड के व्रोकला में एमजी सेल्स एसपी द्वारा की गई पूछताछ भी शामिल थी, जिस के फलस्‍वरूप यह ऐतिहासिक निर्यात प्रक्रिया संपन्‍न हुई.

यह उपलब्धि न केवल भारतीय कृषि उत्पादों की क्षमता को प्रदर्शित करती है, तथापि कृषि निर्यात के मूल्य को बढ़ाने में अनुसंधान और विकास के महत्व को भी रेखांकित करती है. यह उपलब्धि भारतीय कृषि उत्पादों की क्षमता के साथ किफायती कृषि प्रणालियों और निर्यात को बढ़ावा देने में एफपीसी की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है.

पालतू भेड़ और बकरियों (Pet Sheep and Goats) को एफएमडी (FMD) से बचाने के लिए होगा टीकाकरण (Vaccination)

नई दिल्ली : केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने टीकाकरण के जरीए वर्ष 2030 तक एफएमडी मुक्त भारत (एफएमडी खुरपरा एवं मुंहपका रोग) के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में विभाग द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा की.

उन्होंने कहा कि पशुधन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाता है. यह क्षेत्र पशुधन की देखभाल करने वाले किसानों, विशेषकर ग्रामीण परिवारों और महिलाओं की आजीविका में योगदान देने वाला एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल जागरूकता, पहुंच और रुचि चिंता का विषय है, जिस के कारण आजीविका में भारी नुकसान हो रहा है. बैठक में मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल और पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय भी उपस्थित थीं.

बैठक में भारत को वर्ष 2030 तक एफएमडी मुक्त बनाने की कार्ययोजना पर चर्चा की गई. बैठक के दौरान यह बताया गया कि देश में, विशेष रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में सीरो सर्विलांस के आधार पर जोन बनाने के लिए सभी आकलन किए गए हैं, जहां टीकाकरण अग्रिम चरण में है, उन्हें एफएमडी मुक्त क्षेत्र घोषित करने के लिए प्राथमिकता दी जा सकती है. इस से निर्यात के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने बताया कि पशुओं में होने वाले रोग, पशुधन क्षेत्र के विकास में एक गंभीर बाधा है. अकेले एफएमडी के कारण, प्रति वर्ष लगभग 24,000 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है. इस बीमारी के नियंत्रण और उन्मूलन के परिणामस्वरूप दूध उत्पादन में वृद्धि होगी, लाखों किसानों की आजीविका सुदृढ़ होगी और उन की आय में वृद्धि होगी. इतना ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी आवश्यकताओं के अनुसार दूध और पशुधन उत्पादों के निर्यात में वृद्धि होगी.

भारत सरकार ने 2 प्रमुख बीमारियों एफएमडी और ब्रुसेलोसिस की रोकथाम के उद्देश्य से टीकाकरण के लिए एनएडीसीपी की प्रमुख योजना शुरू की. कार्यक्रम के तहत मवेशियों और भैंसों में एफएमडी की रोकथाम के लिए 6 मासिक टीकाकरण भेड़ और बकरियों में शुरू किया जाता है. देश के 21 राज्यों में पशुओं में एफएमडी की रोकथाम हेतु टीकाकरण का चौथा दौर पूरा हो चुका है. अब तक कुल मिला कर लगभग 82 करोड़ टीकाकरण किए गए हैं. कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में राउंड 5 पहले ही पूरा हो चुका है.

कार्यक्रम के तहत टीकाकरण के माध्यम से देश से एफएमडी के उन्मूलन के उद्देश्य को पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2030 है. इस समय टीकाकरण के माध्यम से मिलने वाले लाभों को सुरक्षित और कारगर बनाने के लिए एफएमडी मुक्त क्षेत्र बनाने की दिशा में संबंधित राज्यों के साथसाथ पशुओं की आवाजाही का पता लगाने, रोग की निगरानी, जैव सुरक्षा संबंधी उपायों आदि जैसे क्षेत्रों में समन्वित प्रयासों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने की आवश्यकता है.

इस पहल को तेज करने के उद्देश्य से केंद्रीय मंत्रियों ने जमीनी स्तर पर जोनिंग की अवधारणा को लागू करने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करने के क्रम में समर्थन और मार्गदर्शन दिया है. जोनिंग की अवधारणा और जोन को एफएमडी मुक्त बनाए रखने की पूर्व शर्तों और जरूरतों के बारे में चर्चा की गई.

यह देखा गया कि इस के लिए न केवल संबंधित राज्यों के साथ गहन सूक्ष्म नियोजन की आवश्यकता है, बल्कि टीकाकरण के माध्यम से वर्ष 2030 तक इस बीमारी को खत्म करने के अंतिम उद्देश्य को निर्धारित करने के लिए एक विस्तृत रोडमैप की भी आवश्यकता है.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि इस बृहद क्रियाकलाप में राज्यों को गुणवत्तापूर्ण वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित करना शामिल है. उन्होंने यह भी बताया कि यह गर्व की बात है कि सभी पशु टीके आईसीएआर संस्थानों द्वारा विकसित किए गए हैं और घरेलू स्तर पर उत्पादित किए जा रहे हैं. भारत अब अन्य चुनिंदा एशियाई देशों को टीके निर्यात करने में सक्षम है.

विभाग की ओर से राज्य सरकारों को सहायक उपकरण, टीका लगाने वालों को पारिश्रमिक, जागरूकता पैदा करने और अपेक्षित कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना आदि के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है. एफएमडी टीकाकरण की प्रभावकारिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए गतिविधियों की निगरानी अत्यधिक वैज्ञानिक तरीके से सीरो मौनिटरिंग और सीरो सर्विलांस के माध्यम से की जाती है, जो दुनिया में पशुधन में सब से बड़ा अभियान है.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह के निर्देशों के तहत एफएमडी के खिलाफ चरने वाले भेड़ और बकरियों के टीकाकरण का निर्णय देश की ऐसी सभी आबादी तक बढ़ा दिया गया है. टीके की आपूर्ति शुरू हो गई है और लद्दाख ने पहले ही झुंडों का टीकाकरण शुरू कर दिया है. यह सरकार द्वारा प्रतिबद्ध सौ दिवसीय कार्ययोजना में से एक है. अतिसंवेदनशील और चरने वाले झुंडों में टीकाकरण की बारीकी से निगरानी की जाती है. इस का एक कारण यह भी है कि कई क्षेत्रों में भेड़बकरियों को पर्यावरण में संक्रामक वायरस की अनुपस्थिति स्थापित करने के लिए प्रहरी जानवरों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाना है.

मंत्री राजीव रंजन ने प्रतिभागियों से एफएमडी मुक्त भारत की इस चुनौती को स्वीकार करने की अपील करते हुए पशुपालन क्षेत्र के गैरसरकारी संगठनों सहित सभी हितधारकों से एफएमडी मुक्त भारत के लक्ष्य में योगदान देने को कहा. उन्होंने पशुओं में टीकाकरण की सख्त निगरानी और पर्यवेक्षण में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला.

कृषि अधोसंरचना निधि संबंधी कार्यशाला में किसानों को मिली जानकारी

हरदा : प्रदेश में भारत सरकार की योजना ‘कृषि अधोसंरचना निधि’ की विशेषताओं व एमपी फार्मगेट एप के प्रचारप्रसार करने और किसानों, व्यापारियों, उद्यमियों व विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों को इन योजनाओं की जानकारी देने के लिए पिछले दिनों मंडी बोर्ड, भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में माहेश्वरी मांगलिक भवन में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.

कार्यशाला में कलक्टर आदित्य सिंह ने ‘कृषि अधोसंरचना निधि’ योजना की तारीफ करते हुए इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों से अपील की. उन्होंने बताया कि देश में कृषि अधोसंरचना सुधार के लिए वित्तीय सहायता देने के उद्देश्य से कृषि अधोसंरचना निधि योजना चलाई जा रही है. योजना के तहत, भारत सरकार द्वारा एक लाख करोड़ रुपए का कोष बनाया गया है. इस योजना में किसानों व कृषि उद्यमियों को 2 करोड़ रुपए तक का लोन मुहैया कराया जाता है, जिस पर 3 फीसदी ब्याज अनुदान दिया जाता है.

उन्होंने कहा कि जिले में कुल 61 हितग्राहियों के वेयरहाउस इसी योजना के तहत बने हुए हैं. वहां मौजूद किसानों से उन्होंने अपील की कि वे ही कृषि अधोसंरचना निधि योजना के लिए आवेदन कर दें और योजना का लाभ उठाएं.

कार्यशाला में कलक्टर आदित्य सिंह ने किसानों से कहा कि वे खेती के साथसाथ उस से जुड़े फूड प्रोसैसिंग उद्योग इस योजना के तहत शुरू कर सकते हैं, जिस में खेती से अधिक लाभ किसानों को होता है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि मिर्ची की फसल से उतना लाभ नहीं होगा, जितना मिर्ची का पाउडर तैयार कर के बेचने में होगा. इस से पूर्व उपसंचालक, कृषि, संजय यादव ने उपस्थित समस्त अतिथियों का स्वागत किया. इस दौरान उपसंचालक, कृषि, संजय यादव, मंडी सचिव, हरदा, एमएस चौहान, सहायक उपनिरीक्षक आदित्य राज सिंह चौहान, सहायक उपनिरीक्षक राहुल कुमार देवहारे सहित कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, नाबार्ड बैंक व मंडी समितियों के सचिव एवं कर्मचारी और मीडिया प्रतिनिधि व किसान एवं व्यापारी प्रतिनिधि उपस्थित थे.

कार्यशाला के दूसरे चरण में गोविंद प्रसाद शर्मा, कृषि नोडल कृषि अधोसंरचना निधि योजना ने पावर पौइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी. साथ ही, योजना के तहत वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज, राइपनिंग चेंबर, प्राइमरी प्रोसैसिंग यूनिट, दाल मिल, फ्लोर मिल, आटा मिल, कस्टम हायरिंग सैंटर, मसाला उद्योग, बांस प्रोसैसिंग उद्योग इत्यादि के लिए लोन लिया जा सकता है. इस दौरान कृषि अधोसंरचना निधि योजना पोर्टल का तकनीकी प्रशिक्षण भी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिया गया.

कार्यशाला में बताया गया कि कृषि अधोसंरचना निधि योजना के तहत अभी तक जिले में 127 आवेदनों में 78 करोड़ रुपए की राशि बैंकों द्वारा स्वीकृत की जा चुकी है. कार्यशाला में चीफ प्रोग्रामर, मंडी बोर्ड, भोपाल, संदीप चौबे ने एमपी फार्मगेट एप विषय पर विस्तार से प्रस्तुतीकरण दिया.

उन्होने इस दौरान अपने घर खलिहान से अपनी कृषि उपज को अपने मनपसंद दाम पर विक्रय करने की सुविधा, कृषि विक्रय में होने वाले खर्चों में कटौती, मंडी में होने वाली भीड़ से बचत आदि सुविधाओं के संबंध में एमपी फार्मगेट ऐप की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी.

उन्होने उपस्थित किसानों को एमपी फार्मगेट ऐप को एंड्राइड मोबाइल पर गूगल प्ले स्टोर पर जाकर डाउनलोड करने तथा ऐप का इस्तेमाल करने के संबंध में भी जानकारी दी. कार्यशाला में जिले की मंडियों से आए हुए व्यापारियों तथा कृषकों ने अपनी जिज्ञासा अनुरूप प्रश्न पूछे, जिसका समाधान कारक उत्तर उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा दिया गया.

87 गांवों में पटवारी से प्रमाणित नक्शे (Maps) ही मान्य

हरदा : जिले के भूअभिलेखों के अवलोकन से यह तथ्य सामने आया है कि कुल 87 गांवों के गलत नक्शे भूअभिलेख के डिजिटलाइजेशन के दौरान अपलोड किए गए हैं. इन 87 गांवों के सही नक्शे की नकल पटवारी नक्शे के आधार पर दी जा रही है और सही नक्शों को औनलाइन अपलोड करने की कार्यवाही जारी है.

कलक्टर आदित्य सिंह ने बताया कि अभी इन 87 गांवों के डिजिटल रूप से प्राप्त किए गए नक्शों का उपयोग कानूनी दस्तावेज के रूप में नहीं किया जा सकेगा, बल्कि इन गांवों के मामले में केवल पटवारी द्वारा भौतिक रूप से जारी प्रमाणित प्रतिलिपि ही कानूनी दस्तावेज के रूप में मान्य की जाएगी.

यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. इन 87 गांवों में हरदा तहसील के 5, खिरकिया तहसील के 27, टिमरनी तहसील के 2, रहटगांव तहसील के 7, सिराली तहसील के 36 और हंडिया के 10 गांव शामिल हैं. इन में हरदा तहसील के ग्राम छुरीखाल, लालपुरा, पीपल्या, घोघड़ामाफी व बुंदड़ा शामिल हैं.

इसी प्रकार खिरकिया तहसील के गांव नगावा माल, पाहनपाट, सारंगपुर, चौकड़ी, कुड़ावा, नीमसराय, छीपाबड़, खिरकिया, पोखरनी, कानपुरा, टेमलावाड़ीमाल, गोपालपुरा, प्रतापपुरा, भवरदा माफी, भवरदी माल, मोरगढ़ी, रूनझुन, जादोपुरा, प्रतापपुरा, महलपुरा माल, महलपुरा दमामी, सारसूद, सोनपुरा, पड़वा, लोनी, अजरूद माल, सांगवा सरकुलर और टिमरनी तहसील के गौसर व नौसर शामिल हैं. रहटगांव तहसील के गांव उसकल्ली, कपासी, गाड़ामोड़ खुर्द, छिदगांव तमोली, इकडालिया, सिंदखेड़ा व झाड़बीड़ा शामिल हैं.

इसी तरह से सिराली तहसील के गांव भीमपुरा, कालकुंड, मरदानपुर, बेड़ियाकला, विक्रमपुर, पंधान्या, रहटाकला, दीपगांव कला, जिनवान्या, मड़ीसेल, रामपुरा, मालापुर, गोमगांव वली, सिराली, मुहाड़िया, चौकड़ी, खुटवाल, बिचपुरी रैयत, हसनपुरा रैयत, बहाड़ा माल, रकट्या, चौकी, मुहाल सरकुलर, सांवलखेड़ा रैयत, रामटेक रैयत, अजरूद रैयत, चिकलपाट, कुकड़ापानी, लफांगढाना, जुनापानी, सोनपुरा, नानी मकड़ाई, रिछाड़िया, लाल्याचापड़, दुगाल्या व मगरया शामिल है. हंडिया तहसील के गांव पांचातलाई, बेसवा, हंडिया, अजनास रैयत, छिड़गांव, उंडावा, डोमनमऊ, बूंदड़ा, सुरजना व इकडालिया शामिल हैं.

मोबाइल एप (Mobile App) द्वारा किसान बेच सकेंगे अपनी उपज

भोपाल : किसानों को कृषि उपज विपणन के क्षेत्र में अभिनव कदम उठाते हुए मोबाइल एप के माध्यम से अपनी कृषि उपज का विक्रय अपने घर, खलिहान, गोदाम से कराने की सुविधा प्रदान की गई है. सब से पहले किसान अपने एंड्राइड मोबाइल पर प्ले स्टोर में जा कर मंडी बोर्ड भोपाल का मोबाइल एप एमपी फार्म गेट एप  (MP FARM GATE APP) डाउनलोड करना होगा और एप इंस्टाल कर कृषक पंजीयन पूर्ण करना होगा. फसल विक्रय के समय किसानों को अपनी कृषि उपज के संबंध में मंडी फसल, ग्रेड किस्म, मात्रा एवं वांछित भाव की जानकारी दर्ज करना होगा.

किसानों द्वारा अंकित की गई समस्त जानकारियां चयनित मंडी के पंजीकृत व्यापारियों को प्राप्त हो जाएगी और प्रदर्शित होगी. व्यापारी द्वारा फसल की जानकारी एवं बाजार की स्थिति के अनुसार अपनी दरें औनलाइन दर्ज की जाएगी, जिस का किसान को एप में मैसेज प्राप्त होगा. इस के उपरांत आपसी सहमति के आधार पर चयनित जगह पर कृषि उपज का तौल कार्य होगा. कृषि उपज का तौल कार्य होने के बाद औनलाइन सौदा पत्रक एवं भुगतान पत्रक जारी किया जाएगा और शासन, मंडी बोर्ड के नियमानुसार नगर या बैंक खाते में भुगतान किया जाएगा.

इस प्रकार किसान एमपी फार्म गेट एप (MP FARM GATE APP) मोबाइल एप के माध्यम से मंडी में आए बिना अपने घर, गोदाम, खलिहान से भी अपनी कृषि उपज का विक्रय कर सकते हैं. इस एप से किसान प्रदेश की मंडियों में विक्रय की जाने वाली उपजों के दैनिक भाव की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं.

किसानों से इस एप को अपने एंड्राइड मोबाइल में इंस्टाल कर राज्य शासन एवं मंडी बोर्ड की इस अभिनव पहल का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की गई है.