योजना का लिया लाभ , बनाया प्याज भंडारगृह (Onion Warehouse)

देवास : केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजनाओं का लाभ पा कर किसान बड़ी तादाद में फसलों का उत्पादन कर रहे हैं, वहीं अच्छी आमदनी भी ले रहे हैं. किसानों की अच्छी आमदनी होने से वे माली तौर पर भी सुदृढ़ हो रहे हैं. इन्हीं किसानों में विकासखंड कन्‍नौद के गांव कोथमीर के रहने वाले किसान ओमप्रकाश हैं और उन के पिता का नाम रामगोपाल हैं, जिन्होंने उद्यानिकी विभाग महती योजना का लाभ लिया है.

किसान ओमप्रकाश बताते हैं कि पहले प्याज की उत्पादित फसल को निकालते ही बाजार में बेचना पड़ता था, जिस से प्याज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था. उद्यानिकी विभाग से जुड़ कर ओमप्रकाश ने अपने खेत पर उद्यानिकी विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में साढ़े 3 लाख रुपए की लागत से 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनवाया है, जिस से उत्पादित प्याज को 4 से 5 माह तक भंडारित कर रख सकते हैं और बाजार में प्याज की उचित कीमत मिलने पर ही बेचते है. प्याज भंडारगृह बनाने में योजनानुसार पौने 2 लाख रुपए की अनुदान सहायता भी प्राप्त होगी.

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग (Micro Food Industry) उन्नयन योजना : 10 लाख रुपए तक लें सब्सिडी

रतलाम : प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के अंतर्गत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां जैसे आलू से बने खाद्य पदार्थ, चिप्स, पाउडर, फ्लैक्स, स्टार्च आदि, लहसुन एवं प्याज पेस्ट पाउडर, टमाटर केचप, सौस, अचार, पापड़, मुरब्बा, जैम, जैली जूस, चौकलेट, बेकरी, मसाला, आटा चक्की, नमकीन, डेयरी उत्पाद, फ्रोजन उत्पाद, दाल उत्पाद, औयल, सोयाबीन एवं समस्त प्रोसैस्ड खाद्य पदार्थों के नवीन उद्योगों की स्थापना और पहले से स्थापित इकाइयों के उन्नयन और पैकेजिंग के सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना पर प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन के तहत इकाई लागत का 35 फीसदी यानी अधिकतम 10 लाख रुपए तक सब्सिडी लाभ दिए जाने का प्रावधान किया गया है.

इस में एकल उद्योगों एवं समूहों की डीपीआर तैयार करने, बैंक से ऋण लेने, एफएसएसआई के खाद्य मानकों, उद्योग आधार, जीएसटी आदि सहित आवश्यक पंजीकरण एवं लाइसैंस प्राप्त करने के लिए हैंड होल्डिंग सेवाएं प्रदान किए जाने के लिए विभाग द्वारा अधिकृत रिसोर्स पर्सन द्वारा निःशुल्क सेवाएं प्रदान की जाएगी.

योजना की विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित रिसोर्स पर्सन एवं वैबसाइट mofpi.nic.in पर देख सकते हैं या जिला कार्यालय, उपसंचालक, उद्यान विकासखंड स्तर पर पदस्थ वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारियों/ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारियों से संपर्क कर योजना का लाभ ले सकते हैं. कलक्टर राजेश बाथम ने जिले के अधिक से अधिक किसानों एवं उद्यमियों से योजना का लाभ लेने की अपील की है.

खरीफ फसल बीमा प्रीमियम (Insurance Premium) की आखिरी तारीख नजदीक

उमरिया : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ 2024 में योजना का बड़े पैमाने पर प्रचारप्रसार कर अधिक से अधिक ऋणी/अऋणी किसानों का फसल बीमा कराने के बारे में जिक्र किया गया है.

उक्तानुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ 2024 सीजन के लिए किसानों  से बीमा प्रीमियम काटने की अंतिम तिथि 16 अगस्त, 2024 की गई है एवं बीमा कंपनी को प्रीमियम भेजने के साथ बीमित किसानों की नैशनल क्राप इंश्योरेंस पोर्टल पर प्रविष्टि की अंतिम तिथि 16 अगस्त, 2024 निर्धारित की गई है.

जिले के अधिसूचित फसल एवं क्षेत्र और अधिसूचित फसलों का स्केल औफ फाइनेंस निर्धारित किया गया है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ 2024 सीजन में राज्य शासन के निर्देशानुसार अधिसूचित फसलों के लिए जारी अधिसूचना के आधार पर ऋणी व अऋणी किसानों का पोर्टल में बीमा करते समय आ रही समस्याओं (अधिसूचित फसलें ग्रामवार एवं हलकावार प्रदर्शित हो रही हैं की नहीं) के विवरण के साथ दिए गए मेल आईडी पर प्रेषित करें.(help.agri-insurance@gov.in, dagcropins@mp.gov.in, ro. bhopal@aicofindia.com , mukesh.idea01@rediffmail.com ).

बीमा कंपनी के प्रतिनिधि (ब्लौक समन्वयक) से तालमेल बना कर योजना का प्रचारप्रसार कर अधिक से अधिक ऋणी/अऋणी किसानों का डाटा शतप्रतिशत फसल बीमा पोर्टल पर 9 अगस्त, 2024 तक फसल बीमा किया जाना सुनिश्चित करें एवं 9 अगस्त, 2024 को सायं 5 बजे तक किसानों की प्रीमियम राशि की कटौती करते हुए प्रीमियम राशि बैंक शाखा के लोकल आइटम इन ट्रांजिट एकाउंट में रखा जाना है.

इस के पश्चात शाखा आईडी से चालान जनरेट करते हुए कुल प्रीमियम राशि एआईसी बीमा कंपनी को आरटीजीएस के माध्यम से प्रेषित किए जाने की कार्यवाही 9 अगस्‍त, 2024 तक किया जाना सुनिश्चित करें एवं समितिवार सूची और प्रमाणपत्र के माध्यम से बैंक मुख्यालय को अवगत करावें.

बीमा कंपनी पोर्टल पर किसी भी किसान का डाटा पोर्टल में प्रविष्टि नहीं हो पाता है या प्रीमियम राशि एआईसी बीमा कंपनी को प्रेषित नहीं हो पाती है. 2 संबंधित शाखा प्रबंधक/रामिति प्रबंधक पूरी तरह से व्यक्तिगत जवाबदेह होंगे.

‘संपूर्णता अभियान’ के तहत किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित

दमोह : नीति आयोग द्वारा जिला एवं आकांक्षी विकास खंड जबेरा के अंतर्गत ग्राम नोहटा में कृषि विभाग ‘संपूर्णता अभियान’ के तहत प्रदेश के संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी ने किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किया.

राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि किसान समृद्ध हो, आधुनिक रूप से खेती करे, किसान को मालूम होना चाहिए कि अपने खेत में कौन सी फसल बोएंगे तो और अच्छे भो अच्छे नतीजे प्राप्त होंगे. इस के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने पहल शुरू की है. कृषि विभाग किसान के खेत की मिट्टी ले कर उस मिट्टी की जांच करेंगे और उस मिट्टी में कौनकौन से पोषक तत्व हैं, उस के बारे में भी बताएंगे और उस मिट्टी में कौनकौन से तत्वों की कमी है, उस के बारे में भी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड में बताने का काम किया जाएगा.

राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि किसानों के खेत की मिट्टी में जो तत्व हैं, उस के आधार पर किसानों को यह बताने का प्रयास किया जाएगा कि आप कौन सी फसल अपने खेत में बोएंगे तो अच्छी पैदावार होगी और जिन तत्वों की कमी है, उन तत्वों के बारे में बताया जाएगा कि जब फसल बोते हैं, तो वह तत्व फसल में डालेंगे तो अच्छी पैदावार होगी.

उन्होंने कहा कि पीएच मान 6.92 है, यह 5.5 से 8.5 के बीच में होना चाहिए, मतलब पीएच मान आप के खेत में सही है. सल्फर 19 है, जो कि 10 से ज्यादा होना चाहिए, सल्फर भी ठीक है. आयरन की मात्रा 4.86 पीपीएम है, जबकि 4.5 से ज्यादा होनी चाहिए तो यह भी ठीक है.

उन्होंने कहा कि आप सभी किसान सुखी हों, समृद्ध हों और उन्नति करें. कार्यक्रम में उपसंचालक, कृषि, जितेंद्र सिंह राजपूत, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी जबेरा एमएल अहिरवार एवं विकासखंड के समस्त कृषि विस्तार अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में किसानों की सहभागिता रही.

संस्थान द्वारा विकसित कमलम फल पाउडर बनाने की तकनीक एमएसएमई के लिए भी अपनाने और व्यावसायीकरण के लिए उपयुक्त है. भाकृअनुप द्वारा इस की मंजूरी के बाद यह तकनीक जल्द ही व्यावसायीकरण के लिए उपलब्ध होगी.

ऊंची कीमत पर बिकता है ड्रैगन फ्रूट का पाउडर (Dragon Fruit Powder)

बेंगलुरु  : ड्रैगन फ्रूट यानी कमलम फल को उच्च मात्रा में एंटीऔक्सीडेंट, फाइबर और अन्य पोषक तत्वों के कारण सुपर फ्रूट माना जाता है. इस फल का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है और 5-7 सालों के भीतर यह कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, ओड़िसा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह जैसे कई राज्यों में फैल गया है.

भारत में लाल गूदा प्रकार (हाइलोसेरेस पोलिरिज़स) और सफेद गूदा प्रकार (हाइलोसेरेस उंडाटस) अधिक लोकप्रिय हैं. इस फल के बढ़ते महत्व को देखते हुए, भारत सरकार ने एकीकृत बागबानी विकास मिशन के तहत भाबाअनुसं.- सीएचईएस, हिरेहल्ली में कमलम यानी ड्रैगन फल पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने को मंजूरी दी है. क्षेत्र में इस के तेजी से प्रसार और अधिक उत्पादन की स्थिति में मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर इसे अपनाए जाने को देखते हुए, भाकृअनुप-भाबाअनुसं. ने कमलम फल के संरक्षण, प्रसंस्करण यानी प्रोसैसिंग, मूल्य संवर्धन की विधियों के विकास पर अनुसंधान शुरू किया.

बाजार में उपलब्ध कमलम (ड्रैगन) फल के मूल्यवर्धित उत्पादों में पाउडर सब से ऊपर है, जिस का उपयोग विभिन्न उत्पाद बनाने में किया जाता है, जैसे आइसक्रीम, मिल्कशेक, जूस, केक, पुडिंग, कुकीज आदि. बाजार में स्प्रे ड्राइड ड्रैगन फ्रूट पाउडर तकरीबन 4,000 रुपए प्रति किलोग्राम और फ्रीज ड्राइड पाउडर 12,000/- से 15,000/- रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहा है.

इतनी ऊंची कीमत वाणिज्यिक स्प्रे या फ्रीज ड्राइंग सुविधाओं की स्थापना में आवश्यक उच्च निवेश के कारण है. मुक्त प्रवाह वाला पाउडर प्राप्त करने के लिए 20 फीसदी से 40 फीसदी तक की उच्च मात्रा में योजकों का उपयोग किया जाता है, जो पाउडर में फलों के गूदे की मात्रा को कम कर देते हैं.

बेंगलुरु के हेसरघट्टा में स्थित भाकृअनुप-भाबाअसं, ने लाल कमलम (ड्रैगन) फल पाउडर बनाने की एक लागत प्रभावी विधि विकसित की है, जिस से उत्पादन की लागत में 50 फीसदी से अधिक की कमी आई है और उत्पाद में व्यावसायिक नमूनों की तुलना में बेहतर पोषण गुणवत्ता है. पाउडर के गहरे मैजेंटा/गुलाबी रंग का उपयोग विभिन्न खाद्य उत्पादों को प्राकृतिक रंग देने के लिए किया जा सकता है.

हेसरघट्टा स्थित भाकृअनुप-भाबाअसं, परिसर में आयोजित संस्थान स्तरीय प्रौद्योगिकी पहचान प्रक्रिया के दौरान कुकीज, केक, मफिन, डिप टी और मिल्कशेक जैसे विभिन्न प्रकार के मूल्यवर्धित उत्पाद बनाए गए और परोसे गए.

समुद्री मछली पकड़ने वाले जहाजों पर 1,00,000 ट्रांसपोंडर (Transponders) लगाए जाएंगे

नई दिल्ली : भारत सरकार ने 23 अगस्त “राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस” घोषित किया है, क्योंकि इस दिन भारत को एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई थी. इसी दिन चंद्रयान-3 मिशन ने विक्रम लैंडर की सुरक्षित और सौफ्ट लैंडिंग पूरी की और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास प्रज्ञान रोवर को तैनात किया. इस उपलब्धि ने भारत को चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बना दिया है.

इस ऐतिहासिक उपलब्धि की याद में मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने मात्स्यिकी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई सैमिनार और प्रदर्शनियां आयोजित कर रहा है.

ये कार्यक्रम विभिन्न तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, इसरो और मत्स्यपालन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों के सहयोग से आयोजित किए जा रहे हैं. अब तक विभिन्न तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हाइब्रिड मोड में 4000 से अधिक प्रतिभागियों के साथ 11 सैमिनार और कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं.

इन आयोजनों के एक भाग के रूप में मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने 13 अगस्त, 2024 को कृषि भवन, नई दिल्ली में “मात्स्यिकी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग” विषय पर एक सैमिनार का आयोजन किया. राजीव रंजन सिंह, केंद्रीय मंत्री, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इस आयोजन में जार्ज कुरियन, राज्यमंत्री, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के साथसाथ अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति थी.

राजीव रंजन सिंह ने चंद्रयान-3 मिशन की शानदार सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी. केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने मत्स्यपालन क्षेत्र, विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र के साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के लिए मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों और महत्वपूर्ण उपायों पर प्रकाश डाला.

इस प्रणाली का उपयोग फिशिंग वेसल्स की मौनिटरिंग, कंट्रोल और सरवेलेंस के लिए किया जाता है, जो समुद्र में उन की सुरक्षा के लिए आवश्यक है. 13 तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मेकैनाइज्ड और मोटोराइज्ड दोनों तरह के फिशिंग वेसल्स पर 1,00,000 ट्रांसपोंडर लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जिस के लिए 364 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है.

जार्ज कुरियन ने मात्स्यिकी क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों, उपग्रह प्रौद्योगिकियों और वेसल्स  कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम में युवा पीढ़ी को शामिल करने के महत्व पर प्रकाश डाला. राज्य मंत्री ने राष्ट्रीय रोलआउट प्लान के तहत निःशुल्क ट्रांसपोंडर प्रदान कर के मछुआरों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्धता पर जोर दिया.
इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सैंटर के वैज्ञानिक डा. चंद्र प्रकाश ने मात्स्यिकी क्षेत्र में कम्यूनिकेशन एंड नेविगेशन सिस्टम्स का अवलोकन प्रस्तुत किया, जिस में विभिन्न अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों की विशेषताएं और अनुप्रयोग शामिल थे.

डा. अभिलक्ष लिखी, सचिव, मत्स्यपालन विभाग ने वेसल्स कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम और ओशनसैट -3 जैसी कुछ प्रमुख परियोजनाओं पर इसरो और मत्स्यपालन विभाग के बीच सहयोगात्मक प्रयासों पर प्रकाश डाला. केंद्रीय सचिव ने मात्स्यिकी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग को बढ़ाने पर भी जोर दिया.

सागर मेहरा, संयुक्त सचिव, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने सभी गणमान्य व्यक्तियों और अन्य प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और मत्स्यपालन विभाग विभाग, भारत सरकार और इसरो के बीच सफल सहयोग की सराहना की.

मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार की संयुक्त सचिव नीतू प्रसाद ने मात्स्यिकी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग पर मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न पहलों जैसे वेसल्स कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम के लिए नैशनल रोलआउट प्लान, ओशनसैट का अनुप्रयोग, पोटेंशियल फिशिंग जोन्स (पीएफजेड) आदि के बारे में जानकारी दी.

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि वेसल्स कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम, जिसे भारत सरकार ने साल 2023 में अनुमोदित किया था, एक महत्वपूर्ण पहल है.

मत्स्यपालन विभाग, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के मात्स्यिकी विभाग, इसरो, आईएनसीओआईएस, आईएमएसी, आईसीएआर, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के अधिकारी और अन्य हितधारकों ने कृषि भवन में प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया.

इस कार्यक्रम में लगभग 1,000 मछुआरे, छात्र, राज्य मात्स्यिकी विभाग और मत्स्यपालन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों, आईसीएआर आदि के अधिकारियों ने वर्चुअल मोड द्वारा शामिल हुए.

कृषि भवन में आयोजित कार्यक्रम के बाद महाराष्ट्र के मात्स्यिकी विभाग के सहयोग से एफएसआई मुख्यालय, मुंबई में एक सैमिनार और कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिस में मछुआरों, छात्रों, अधिकारियों और नाव मालिकों आदि सहित तकरीबन 300 लोग शामिल हुए.

कृषि छात्र (Agriculture Students) किसान परिवारों से सीखेंगे खेती के गुण

उदयपुर : 12 अगस्त. 2024. राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के बीएससी (कृषि) चतुर्थ वर्ष के छात्रों को ग्रामीण कृषि कार्यानुभव कार्यक्रम हेतु विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक एवं महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. आरबी दुबे ने हरी झंडी दिखा कर बसों को रवाना किया.

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने छात्रों को संबोधित करते हुए बताया कि रावे कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालय के विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों पर रहते हुए ग्रामीण किसान समुदाय से कृषि की नवीनतम प्रौद्यागिकी से रूबरू हो कर प्रायोगिक अनुभव प्राप्त करेंगे. साथ ही, उन्होंने विद्यार्थियों को सीख दी कि प्रत्येक विद्यार्थी कम से कम किसान के खेत पर 5 पौधे लगावे और राज्य व केंद्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कृषि उन्नयन परियोजनाओं के बारे में किसानों को बताए.

महाविद्यालय के अधिष्ठाता ने विद्यार्थियों को अनुशासित रहते हु किसान परिवारों के साथ कृषि के बारे में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने की सलाह दी. उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों के लिए किसान परिवारों के साथ रह कर उन के द्वारा अपनाई जा रही समन्वित कृषि तकनीकी, विभिन्न फसलों की पारंपरिक एवं उन्नत खेती और पशुपालन तकनीकी के बारे में बारीकी से देख कर सीखने का सुअवसर है.

डा. आरए कौशिक, निदेशक, प्रसार शिक्षा ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि यदि ईमानदारी से रावे कार्यक्रम के अंतर्गत  प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे, तो भविष्य में कृषि आधारित उद्योग लगा कर स्वरोजगार शुरू कर सकते हैं. साथ ही, सभी कृषि विज्ञान केंद्रों पर लगी हुई विभिन्न प्रदर्शन इकाइयों का अवलोकन करें एवं कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसान समुदाय को प्रदान की जा रही सेवाओं का निकटता से अवलोकन करें.

इस कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. एसएस सिसोदिया, विभागाध्यक्ष, प्रसार शिक्षा विभाग ने अतिथियों का स्वागत करते हुए रावे कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी एवं उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों का समिति द्वारा नियमित निरीक्षण किया जाएगा.

रावे कार्यक्रम के प्रभारी डा. आरएस राठौड़ ने बताया कि इस सत्र के102 विद्यार्थियों में से 34 छात्राएं व 68 छात्र हैं, जो कि बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, शाहपुरा, राजसमंद एवं वल्लभनगर कृषि विज्ञान केंद्रों पर भेजे जा रहे हैं. ये विद्यार्थी 9 सप्ताह तक इन जिलों में किसानों से संवाद कर उन के द्वारा अपनाई जा रही कृषि की नवीनतम विधाओं के बारे में अनुभव हासिल करेंगे.

इस अवसर पर डा. राम हरी मीणा, डा. सुभाष मीणा, डा. कपिल देव आमेटा, डा. शालिनी पिलानिया, डा. हरी सिंह, डा. राम नारायाण कुम्हार, डा. चंद्र प्रकाश नामा, संकाय सदस्यों एवं तमाम कर्मचारी उपस्थित रहे.

भारत और न्यूजीलैंड के बीच बागबानी (Horticulture) क्षेत्र को मिलेगी मजबूती

नई दिल्ली : 12 अगस्त 2024. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान और न्यूजीलैंड के कृषि, वानिकी, व्यापार और विदेश मामलों के एसोसिएट मंत्री टौड मैक्ले के बीच कृषि भवन, नई दिल्ली में उच्चस्तरीय द्विपक्षीय बैठक हुई.

इस बैठक में दोनों देशों के आपसी हितों के प्रमुख क्षेत्रों व सहयोग के अवसरों पर चर्चा की गई. यह चर्चा दोनों देशों की कृषि प्राथमिकताओं के बारे में जानकारी साझा करने और बागबानी पर प्रस्तावित मैमोरेंडम औफ कौपरेशन (एमओसी) सहित साझेदारी के लिए नए रास्ते तलाशने पर केंद्रित थी.

मंत्रियों ने कृषि साझेदारी को और मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिस में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है.

बैठक में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत के साथ संबंध सुदृढ़ करने में न्यूजीलैंड के सक्रिय प्रयासों की सराहना की व इस संबंध के लिए न्यूजीलैंड सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता के महत्व को स्वीकार किया. उन्होंने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों पर प्रकाश डाला.

साथ ही, न्यूजीलैंड में भारतीय प्रवासियों के महत्वपूर्ण योगदान और दोनों देशों के बीच बढ़ते शैक्षिक आदानप्रदान का उल्लेख किया. बैठक के मुख्य निष्कर्षों में व्यापार और बाजार पहुंच में सकारात्मक विकास शामिल है. भारतीय अनार के आयात और आम के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के लिए न्यूजीलैंड के समर्थन को गर्मजोशी से स्वीकार किया गया.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लखनऊ और दिल्ली में नए औडिट की गई वीएचटी सुविधाओं को शीघ्र अनुमोदन मिलने की भी उम्मीद जताई, जिस से न्यूजीलैंड को भारतीय आमों का निर्यात और बढ़ेगा.
इस के अलावा न्यूजीलैंड के मंत्री मैक्ले ने न्यूजीलैंड से भारत को पाइन लौग निर्यात की हाल ही में पुनः शुरुआत करने के लिए धन्यवाद दिया, जिस से उन्हें पिछली चुनौतियों से उबरने में मदद मिली.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस क्षेत्र में सहयोग जारी रखने के लिए भारत के समर्थन को दोहराया और संतरे व केले जैसे ताजे और सूखे फलों सहित अन्य कृषि उत्पादों में व्यापार के विस्तार की संभावना पर जोर दिया.

उन्होंने विशेष रूप से न्यूजीलैंड को अंगूर निर्यात करने के लिए भारतीय निर्यातकों को शीघ्र बाजार पहुंच प्रदान करने पर विचार करने का उल्लेख किया. दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार व निवेश को और बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की.

बैठक में विशेष रूप से बागबानी और मछलीपालन में सहयोग की संभावनाओं को देखते हुए अनुसंधान एवं विकास के लिए तकनीकी सहयोग के महत्व पर भी चर्चा की गई. मंत्रियों ने दोनों देशों के किसानों, उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं को लाभान्वित करने के लिए आर्थिक और व्यापार संबंधों को मजबूत बनाने के लिए मिल कर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मैक्ले और उन के प्रतिनिधिमंडल को भारत में उपयोगी एवं सुखद प्रवास के लिए शुभकामनाएं दी. बैठक में भारत में न्यूजीलैंड के हाई कमिश्‍नर पैट्रिक राटा के अलावा दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.

ढिंगरी और दूधछाता मशरूम (Mushroom) पर ट्रेनिंग

उदयपुर : 8 अगस्त, 2024. अखिल भारतीय समन्वित मशरूम अनुसंधान परियोजना, अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के तत्वावधान में अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) के अंतर्गत ग्राम पंचायत कोचला, पंचायत समिति झाड़ोल (फ.) में एकदिवसीय मशरूम प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. मशरूम प्रशिक्षण में पंचायत समिति झाड़ोल (फ.) आसपास के गांवों के किसानों एवं महिलाओं ने प्रशिक्षण में भाग लिया.

प्रशिक्षण में परियोजना प्रभारी डा. एनएल मीना ने मशरूम के महत्वपूर्ण गुणों, ढिंगरी व दूधछाता मशरूम की खेती के बारे में विस्तार से व्याख्यान दिया. ग्राम पंचायत, कोचला व कंथारिया के सरपंच भगवतीलाल व ख्यालीलाल ने मशरूम की खेती की तकनीकी को अपना कर ज्यादा से ज्यादा आमदनी करने पर जोर दिया. अविनाश कुमार नागदा एवं किशन सिंह राजपूत ने प्रशिक्षण में भाग लेने वाले प्रशिक्षणार्थियों को मशरूम की प्रायोगिक जानकारी दी गई और प्रशिक्षण के अंत में अनुसूचित जाति उपयोजना के कुल 30  प्रशिक्षणार्थियों को सामग्री बांटी गई.

कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector) में अनुसंधानों को बढ़ावा देना जरूरी

हिसार : पिछले दिनों चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ‘रिसर्च मैनेजमेंट’ विषय पर 21दिवसीय रिफ्रैशर कोर्स संपन्न हुआ. विश्वविद्यालय के मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय द्वारा आयोजित किए गए इस रिफ्रैशर कोर्स में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय व लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार के वैज्ञानिकों ने भाग लिया. कार्यक्रम में कुलपति प्रो. बीआर कंबोज मुख्यातिथि के तौर पर उपस्थित रहे.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने रिफ्रैशर कोर्स के समापन अवसर पर वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए नए अनुसंधानों को बढ़ावा देना जरूरी है. कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए तापमान रोधी नईनई किस्में व नई तकनीक विकसित करने के लिए और अधिक बेहतर ढंग से काम करना होगा.

उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन के दौर में असमय तापमान की बढ़ोतरी से निबटने के लिए कृषि वैज्ञानिकों को शोध कार्यों एवं अनुसंधानों के लिए महत्वाकांक्षी योजना बना कर काम करना होगा. इस के साथसाथ नए उत्पादों को विकसित करने वाले अनुसंधान और नई प्रौद्योगिकियों के माध्यम से छोटे किसानों को नवीनतम तकनीकों के माध्यम से कम लागत में अधिक पैदावार की ओर अग्रसर कर के उन की माली हालात को मजबूत करना है.

उन्होंने वैज्ञानिकों से कृषि क्षेत्र में आने वाली मुख्य चुनौतियों पर अधिक से अधिक शोध करने एवं किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम करने की हिदायत दी. साथ ही, शोध कार्यों, नई कृषि तकनीकों, नवाचारों के साथसाथ कृषि क्षेत्र में आने वाली समस्याओं का निराकरण करने पर ज्यादा से ज्यादा काम करें.

रिफ्रेशर कोर्स में सभी वैज्ञानिकों ने अपना एकएक रिसर्च प्रोजैक्ट प्रस्तुत किया. कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने वैज्ञानिकों को 15 दिन के अंदर इस रिसर्च प्रोजैक्ट को संबंधित एजेंसी को सौंपने के निर्देश दिए. उन्होंने कार्यक्रम के समापन अवसर पर कोर्स में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र बांटे.

मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डा. अतुल ढींगड़ा ने अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया. उन्होंने रिफ्रेशर कोर्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उपरोक्त निदेशालय की संयुक्त निदेशक एवं कोर्स समन्वयक डा. रेणु मुंजाल ने प्रशिक्षण अवधि के दौरान किए गए विभिन्न विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जबकि प्रशिक्षण सहसमन्वयक डा. जितेंद्र भाटिया ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया.

मंच का संचालन डा. जयंती टोकस ने किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी एवं शिक्षक उपस्थित रहे.