कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector) में आईसीएआर का है अहम योगदान

नई दिल्ली : सरकार समयसमय पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अनुसंधान कार्यक्रमों और प्रयासों की समीक्षा करने और आईसीएआर के अनुसंधान परिणामों को बेहतर करने के तरीके सुझाने के लिए जानेमाने कृषि टैक्नोक्रेट और अन्य विशेषज्ञों की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों का गठन करती है. पिछली बार ऐसी समिति साल 2017 में 12वीं पंचवर्षीय योजना की अवधि के लिए आईसीएआर की विभिन्न योजनाओं के नतीजों की समीक्षा करने के लिए बनाई गई थी.

आईसीएआर में 8 क्षेत्रीय समितियां हैं, जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करती हैं. क्षेत्रीय समितियों की बैठकें समयसमय पर आयोजित की जाती हैं. इन बैठकों में राज्य सरकार के अधिकारी और उस क्षेत्र में स्थित आईसीएआर के सभी अनुसंधान संस्थान हिस्सा लेते हैं. इन बैठकों में संबंधित राज्य में किसानों के सामने आने वाली सभी समस्याओं या मुद्दों को राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा उठाया जाता है और आईसीएआर अनुसंधान संस्थानों अपने समाधान सुझाते हैं.

आईसीएआर इन बैठकों में राज्यों द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों/समस्याओं पर शोध भी शुरू करता है. आईसीएआर को जमीनी स्तर पर किसानों की समस्याओं के बारे में कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) से नियमित प्रतिक्रियाएं भी मिलती रहती हैं. शोध और विस्तार के जरीए इन समस्याओं को दूर करने के लिए जरूरी कार्यवाही की जाती है.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) विभिन्न कृषि पारिस्थितिक क्षेत्रों, मिट्टी के प्रकारों, जलवायु के प्रकार और फसल की उपयुक्तता के संबंध में प्रौद्योगिकियों की उपयुक्तता के लिए स्थानीय जलवायु और भूभौतिकीय स्थितियों के खास शोध करता है. इस से क्षेत्र विशिष्ट शोध और प्रौद्योगिकी विकास मुमकिन हो पाता है. आईसीएआर कई राज्यों में क्षेत्रीय कृषि चुनौतियों का समाधान करने के लिए फसलों, पशुधन, मछलीपालन और खेती के तरीकों पर स्थानीय शोध के लिए अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं (एआईसीआरपी) के जरीए राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग करता है.

आईसीएआर जलवायु, कृषि, सूखा प्रतिरोधी फसल किस्मों के विकास, कुशल जल प्रबंधन पद्धतियों और स्थानीय जलवायु संबंधी दबावों में उपयुक्त स्थायी खेती तकनीकों को बढ़ावा देता है. कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) स्थानीय शोध, प्रशिक्षण और विस्तार सेवाएं प्रदान करने वाले जिला स्तरीय केंद्रों के तौर पर काम करते हैं. वे किसानों को विकसित प्रौद्योगिकियों के प्रभावी हस्तांतरण के लिए फ्रंटलाइन प्रदर्शनों, खेत पर परीक्षणों और विस्तार गतिविधियों के जरीए प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन और प्रसार सुनिश्चित करते हैं.

डीएपी पर विशेष पैकेज (Special Package)

नई दिल्ली : फास्फेट और पोटाशयुक्त (पीएंडके) उर्वरकों के लिए सरकार ने 1 अप्रैल, 2010 से पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना लागू की है. एनबीएस योजना के तहत  सब्सिडी प्राप्त पीएंडके उर्वरकों पर डाईअमोनियम फास्फेट (डीएपी) सहित उन में निहित पोषक तत्व के आधार पर वार्षिक/द्विवार्षिक आधार पर तय की गई सब्सिडी की एक निश्चित राशि प्रदान की जाती है.

इस योजना के अंतर्गत उर्वरक कंपनियों द्वारा बाजार की गतिशीलता के अनुसार उचित स्तर पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) तय की जाती है, जिस की निगरानी सरकार द्वारा की जाती है. पीएंडके क्षेत्र नियंत्रणमुक्त है और एनबीएस योजना के अंतर्गत कंपनियां बाजार की गतिशीलता के अनुसार उर्वरकों का उत्पादन/आयात पहल करने के लिए स्वतंत्र हैं.

इस के अलावा किसानों को सस्ते दामों पर डीएपी की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने आवश्यकता के आधार पर एनबीएस सब्सिडी दरों के अलावा डीएपी पर विशेष पैकेज प्रदान किया है. भू राजनीतिक स्थिति के कारण हाल ही में साल 2024-25 में उर्वरक कंपनियों द्वारा डीएपी की खरीद की व्यवहार्यता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कारण सरकार ने किसानों को सस्ती कीमतों पर डीएपी की स्थायी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पीएंडके उर्वरक कंपनियों को 1 अप्रैल, 2024 से 31 दिसंबर, 2024 की अवधि के लिए डीएपी की वास्तविक पीओएस (प्वाइंट औफ सेल) बिक्री 3,500 रुपए प्रति मीट्रिक टन पर एनबीएस दरों से परे डीएपी पर एकमुश्त विशेष पैकेज को मंजूरी प्रदान की है. इस के अलावा पीएंडके उर्वरक कंपनियों द्वारा तय एमआरपी की तर्कसंगतता के मूल्यांकन पर जारी दिशानिर्देश भी किसानों को सस्ते दरों पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं.

किसानों को यूरिया वैधानिक रूप से अधिसूचित एमआरपी पर उपलब्ध कराया जाता है. यूरिया के 45 किलोग्राम बैग की एमआरपी 242 रुपए प्रति बैग है (नीम कोटिंग और लागू करों के शुल्क को छोड़ कर) और यह एमआरपी 1 मार्च, 2018 से ले कर आज तक अपरिवर्तित उतनी ही है. फार्म गेट पर यूरिया की आपूर्ति लागत और यूरिया इकाइयों द्वारा शुद्ध बाजार प्राप्ति के बीच का अंतर भारत सरकार द्वारा यूरिया निर्माता/आयातक को सब्सिडी के रूप में दिया जाता है. तदनुसार सभी किसानों को रियायती दरों पर यूरिया की आपूर्ति की जा रही है.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने प्रमुख फसल प्रणालियों के अंतर्गत विभिन्न मृदा प्रकारों में रासायनिक उर्वरकों के दीर्घावधिक उपयोग के प्रभाव का मूल्यांकन किया है. पिछले कुछ दशकों में की गई जांच से पता चला है कि केवल एनपीके प्रणाली (केवल रासायनिक उर्वरक) में सूक्ष्म और गौण पोषक तत्वों की कमी के संदर्भ में पौषण विकार पाए गए हैं, जो मृदा स्वास्थ्य और फसल उत्पादकता को प्रभावित करते हैं. अनुशंसित खुराक पर अकार्बनिक उर्वरक + जैविक खाद, फसल की उपज और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखते हैं. असंतुलित उर्वरक और केवल यूरिया प्राप्त करने वाले भूखंड में फसल की उपज में सब से अधिक गिरावट देखी गई. इसलिए आईसीएआर अकार्बनिक और जैविक दोनों स्रोतों के संयुक्त उपयोग के माध्यम से मिट्टी परीक्षण आधारित संतुलित और एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन प्रथाओं की सिफारिश करता है.

सरकार ने उर्वरकों के सतत और संतुलित उपयोग को बढ़ावा दे कर, वैकल्पिक उर्वरकों को अपना कर, जैविक खेती को बढ़ावा दे कर और संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियों को लागू कर के धरती के स्वास्थ्य को बचाने के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा शुरू किए गए जन आंदोलन का समर्थन करने के लिए जून, 2023 से “पीएम प्रोग्राम फोर रेस्टोरेशन, अवेयरनेस जनरेशन, नरिशमेंट एंड एमेलियोरेशन औफ मदर अर्थ (पीएम-प्रणाम)” को लागू किया है.

उक्त योजना के तहत पिछले 3 सालों  की औसत खपत की तुलना में रासायनिक उर्वरकों (यूरिया, डीएपी, एनपीके, एमओपी) की खपत में कमी के माध्यम से एक विशेष वित्तीय वर्ष में राज्य व केंद्र शासित प्रदेश द्वारा उर्वरक सब्सिडी का जो 50 फीसदी बचाया जाएगा, उसे अनुदान के रूप में उस राज्य/संघ राज्य क्षेत्र को दिया जाएगा.

इस के अलावा सरकार ने 1,500 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से बाजार विकास सहायता (एमडीए) को मंजूरी दे दी है, ताकि जैविक उर्वरकों को बढ़ावा दिया जा सके. इस का मतलब है गोबरधन पहल के तहत संयंत्रों द्वारा उत्पादित खाद को प्रोत्साहन देना. इस पहल में विभिन्न बायोगैस और सीबीजी समर्थन योजनाएं व कार्यक्रम शामिल हैं. ये सभी हितधारक मंत्रालयों व विभागों से संबंधित हैं, जिन में पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की किफायती परिवहन के लिए सतत विकल्प (एसएटीएटी) योजना, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को शामिल किया गया है. इन का कुल परिव्यय 1451.84 करोड़ रुपए (वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2025-26) है, जिस में अनुसंधान संबंधी वित्त पोषण के लिए 360 करोड़ रुपए की निधि शामिल है.

मोबाइल और वैब एप्लिकेशन पर होगी पशुओं की गणना (Animal counting)

नई दिल्ली : पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी), मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार और मेजबान राज्य जम्मू और कश्मीर ने “जम्मूकश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के राज्य और जिला नोडल अधिकारियों (एसएनओ/डीएनओ) के लिए सौफ्टवेयर (मोबाइल और वैब एप्लिकेशन/डैशबोर्ड) और नस्लों पर 21वीं पशु गणना का क्षेत्रीय प्रशिक्षण” आयोजित किया.

यह कार्यशाला श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर में आयोजित की गई थी, जिस में इन राज्यों के राज्य/जिला नोडल अधिकारियों को 21वीं पशुधन गणना आयोजित करने के लिए नए लौंच किए गए मोबाइल और वैब एप्लिकेशन पर प्रशिक्षण दिया गया, जो सितंबरदिसंबर, 2024 के लिए निर्धारित है.

अलका उपाध्याय ने वर्चुअल माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पशुधन क्षेत्र के प्रभाव और पशुधन क्षेत्र के उत्पादों के वैश्विक व्यापार के संदर्भ में भारत की स्थिति के बारे में जानकारी साझा की, वहीं भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग के सलाहकार (सांख्यिकी) जगत हजारिका ने कार्यशाला का उद्घाटन किया. इस अवसर पर जम्मू और कश्मीर सरकार के कृषि उत्पादन विभाग के सचिव जीए सोफी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के निदेशक डा. बीपी मिश्रा, भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग के सांख्यिकी प्रभाग के निदेशक वीपी सिंह और जम्मू और कश्मीर सरकार के पशुपालन विभाग के निदेशक डा. अल्ताफ अहमद लावे उपस्थित थे.

इस समारोह में गणमान्य व्यक्तियों के संबोधन ने उद्घाटन कार्यक्रम को विशिष्टता प्रदान की और पशुधन गणना के संचालन के लिए जिला और राज्य स्तरीय नोडल कार्यालयों के सफल प्रशिक्षण की दिशा में एक सहयोगी प्रयास के लिए मंच तैयार किया.

जगत हजारिका ने अपने संबोधन में इस कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला, सटीक और कुशल डाटा संग्रह के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए विभाग की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया. उन्होंने 21वीं पशुधन जनगणना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी पर बल दिया, जो पशुपालन क्षेत्र की भविष्य की नीतियों और कार्यक्रमों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और उन से जनगणना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम तकनीकों से लाभ प्राप्त करने का आग्रह किया.

जीए सोफी ने कार्यशाला को संबोधित किया और बुनियादी स्तर पर व्यापक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा के लिए पशुधन क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने एकत्र किए गए डाटा द्वारा भविष्य की पहल को आकार देने और क्षेत्र में चुनौतियों का समाधान करने में इन की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए जनगणना की कुशल योजनाओं और क्रियान्वयन का आह्वान किया.

अपने संबोधन में डा. अल्ताफ अहमद लावे ने पशुधन क्षेत्र में स्थायी अभ्यासों के एकीकरण पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि पशुधन गणना के बाद प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण और तार्किक उपयोग भविष्य की विभागीय नीतियों को तैयार करने और कार्यक्रमों को लागू करने के साथसाथ पशुपालन के क्षेत्र में पशुपालकों के लाभ के लिए नई योजनाएं बनाने और रोजगार सृजन की दिशा में मार्ग प्रशस्त करेगा.

उन्होंने जम्मूकश्मीर सरकार द्वारा पूरे भारत में दुग्ध उत्पादन में सर्वोत्तम अभ्यासों को अपनाने पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे पशुधन किसानों के वित्तीय सशक्तीकरण में योगदान प्रदान करता है, उन की नकदी जरूरतों की प्रभावशाली रूप से पूर्ति करता है.

उन्होंने पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) द्वारा विकसित नवीनतम तकनीकों के बारे में भी बताया, जैसे कि सैक्स-सौर्टेड वीर्य का उपयोग. उन्होंने सभी राज्यों से आए प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें सफल प्रशिक्षण सत्र की शुभकामनाएं दीं.

कार्यशाला में कई सत्रों की सीरीज आयोजित की गई, जिस की शुरुआत पशुपालन सांख्यिकी प्रभाग द्वारा 21वीं पशुधन गणना के संक्षिप्त विवरण के साथ हुई, जिस के बाद बीपी मिश्रा और आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) की टीम ने गणना में शामिल की जाने वाली प्रजातियों की नस्लों के विवरण पर विस्तृत प्रस्तुति दी. सटीक नस्ल की पहचान के महत्व पर जोर दिया गया, जो विभिन्न पशुधन क्षेत्र कार्यक्रमों में उपयोग किए जाने वाले सटीक आंकड़े तैयार करने और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के राष्ट्रीय संकेतक ढांचे (एनआईएफ) के लिए महत्वपूर्ण है.

इस आयोजित कार्यशाला में 21वीं पशुधन गणना के सौफ्टवेयर के तरीकों और लाइव एप्लिकेशन पर विस्तृत सत्र शामिल थे. भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग की सौफ्टवेयर टीम ने राज्य और जिला नोडल अधिकारियों के लिए मोबाइल एप्लिकेशन और डैशबोर्ड सौफ्टवेयर पर प्रशिक्षण दिया. ये नोडल अधिकारी अपनेअपने जिला मुख्यालयों पर गणनाकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण का आयोजन करेंगे.
कार्यशाला का समापन वीपी सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ. अपने संबोधन में उन्होंने सभी गणमान्य व्यक्तियों और हितधारकों के प्रति उन की उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त किया और कार्यशाला का समापन इस आशा के साथ किया कि गणना का काम सफल होगा.

महिला किसान (Women Farmers) खरीफ मौसम का लें फायदा

शहडोल : गृह विज्ञान वैज्ञानिक डा. अल्पना शर्मा ने खरीफ की फसल के लिए महिला किसानों को विषेश सलाह दी. उन्होंने बताया कि महिलाएं खरीफ सीजन में अपने घर के बाड़ी की जमीन में पोषण वाटिका सब्जियों का उत्पादन कर सकती हैं, जिस में खनिज तत्व एवं विटामिन मौजूद रहते हैं, जो हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक होते हैं. इस के साथ ही हरी पत्तेदार सब्जियां एवं कुछ फलियों वाली सब्जियों का भी उत्पादन कर सकते हैं व  इन का उत्पादन भी काफी सरल तरीके से किया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि लौकी, तुरई, खीरा आदि का भी उत्पादन कर सकते हैं. इन में खनिज तत्व एवं विटामिन भी काफी मात्रा में मौजूद होते हैं. बारिश के मौसम में गंदे पानी की वजह से कई तरह की बीमारियां होती हैं, खासतौर से उलटी होना, दस्त लगना आदि. इन से बचने के लिए उन्होंने बताया कि कुएं एवं तालाब का पानी पीने से बचें और हैंडपंप के पानी को छान कर व उबाल कर ही पानी को पीना चाहिए.

उन्होंने बताया कि कुछ जमीन जो खाली रहती हैं, किसी कारण उस में खेती नहीं कर पाते हैं, तो उस जमीन में कोदो या कुटकी की खेती करने का प्रयास करें. कोदोकुटकी में रेशा पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जो हमारे शरीर को कई रोगों से बचाता है. साथ ही, अन्य कई जानकारियों भी दीं.

कस्टम हायरिंग सैंटर के लिए 14 अगस्त तक करें आवेदन

धार : किसानों को किराए पर कृषि यंत्र उपलब्ध करा कर सेवाएं देने के मकसद से बैंक ऋण के आधार पर कस्टम हायरिंग सैंटर लगाने के इच्छुक व्यक्तियो से औनलाइन माध्यम से संचालनालय कृषि अभियांत्रिकी के पोर्टल www.chc.mpdage.org पर 14 अगस्त, 2024 तक आमंत्रित किए जा रहे हैं.

प्रत्येक कस्टम हायरिंग सैंटर के लिए जरूरी ट्रैक्टर एंव कृषि यंत्रों के क्रय की लागत पर आवेदकों को 40 फीसदी या अधिकतम 10 लाख रुपए तक का क्रेडिट लिंक्ड बैंक एंडेड (Credit Linked Back Ended) अनुदान दिया जाएगा.

अनुदान की गणना सब मिशन औन एग्रीकल्चर मेकैनाइजेशन (SMAM) योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा जारी परिपत्र 1 दिसंबर, 2023 में उल्लेखित प्रत्येक यंत्र के लिए दिए गए प्रावधान के अनुसार अधिकतम सीमा तक की जाएगी.

इस के साथ ही हितग्राही भारत सरकार के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के भी पात्र होंगे. धार जिले में कुल 19 (सामान्य-11, अनुसूचित जाति-03, अनुसूचित जनजाति-03, एसआरएलएम के कृषक समूह-01, एफपीओ-01) लक्ष्य संचालनालय कृषि अभियांत्रिकी द्वारा प्रदाय किए गए हैं.

प्रत्येक आवेदक को आवेदन के लिए धरोहर राशि 10,000 रुपए बैंक ड्राफ्ट सहायक कृषि यंत्री इंदौर के नाम से बनवा कर औनलाइन आवेदन के समय अपलोड करना होगा. 16 अगस्त, 2024 कंप्यूटराइज्ड लौटरी संचालनालय कृषि अभियांत्रिकी भोपाल मे संपादित की जाएगी, जिस की प्राथमिकता सूचियां शाम तक पोर्टल www.chc.mpdage.org पर देखी जा सकेंगी.

लौटरी में चयनित आवेदकों को बैंक ड्राफ्ट की मूल प्रति अभिलेखों के सत्यापन के समय संभागीय कृषि यंत्री कार्यालय इंदौर में जमा कराया जाना अनिवार्य होगा. विस्तृत विवरण संचालनालय की वेबसाइट www.chc.mpdage.org पर देखा जा सकता है. साथ ही, जिले के नोंगाव स्थित कार्यालय यांत्रिकीय सहायक पंकज पाटीदार से कार्यालयीन समय पर और मोबाइल नंबर 7974045900 पर संपर्क कर विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.

कृषक उत्पादक संगठनों के संवर्धन के लिए बैठक

कटनी : कलक्टर दिलीप कुमार यादव की अध्यक्षता में 10,000 केंद्रीय योजना के अंतर्गत गठित कृषक उत्पादक संगठनों यानी एफपीओ के संवर्धन के लिए महत्वाकांक्षी योजना के संबंध में जिला स्तरीय निगरानी समिति की बैठक कलक्ट्रेट सभागार में आयोजित की गई.

बैठक के दौरान उपसंचालक, कृषि प्रबंधक, लीड बैंक, जिला प्रबंधक नाबार्ड, परियोजना संचालक आत्मा, उपसंचालक पशु एवं चिकित्सा डा. आरके सिंह, सहायक संचालक, उद्यानिकी, सचिव, कृषि उपज मंडी केपी चौधरी एवं संबंधित एफपीओ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और मानव जीवन विकास समिति के सचिव निर्भय सिंह उपस्थित रहे.

बैठक में जिला प्रबंधक नाबार्ड विकास जैन द्वारा अवगत कराया गया कि जिले में केंद्रीय योजना के अंतर्गत 7 एफपीओ का गठन किया जा चुका है. वर्तमान में एफपीओ को विभिन्न लाइसैंस जैसे कि बीज, उर्वरक, कीटनाशक, मंडी लाइसैंस लेने के लिए मुहिम चलाई जा रही है. इन गठित एफपीओ में 2 एफपीओ द्वारा बीज, उर्वरक, कीटनाशक लाइसैंस लिए जा चुके हैं. एफपीओ के प्रतिनिधियों को विभागीय योजनाओं के बारें में भी अवगत कराया गया है.

कलक्टर दिलीप कुमार यादव द्वारा एफपीओ को लाइसैंस लेने संबंधी आ रही समस्या का तत्काल निराकरण कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए.

थाई अमरूद (Guava) की खेती से रोजगार

खरगोन: कृषि सिंचाई योजना-वाटरशेड विकास के अंतर्गत स्वीकृत परियोजना -1 से गांव विकासखंड की वाटरशेड समिति गंधावड में 2.0 वर्जन की शुरुआत 2 अगस्त, 2024 को शासकीय भूमि पर 2,222 थाई अमरूद के पौधरोपण के साथ हुई. कलक्टर कर्मवीर शर्मा एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आकाश सिंह के मार्गदर्शन में परियोजना क्षेत्र के अंतर्गत शासकीय पड़त भूमि का चयन करते हुए पूरी कार्ययोजना बनाई गई. इस में भूमि की तैयारी, गड्ढा की खुदाई, सुरक्षा के लिए फेंसिंग, खाद, सिंचाई आदि समस्त घटकों को ध्यान में रखते हुए टीम द्वारा योजना बनाई गई.

वाटरशेड के परियोजना अधिकारी रमाकांत पाटीदार ने बताया कि परियोजना क्षेत्र में अमरूद उत्पादन का काम प्राथमिकता से लिया जा रहा है. जिले की जलवायु और अत्यधिक उत्पादन को ध्यान में रखते हुए अमरूद फल का चयन किया गया है. परियोजना में स्वसहायता समूह को जोड़ा जा रहा है. समूह द्वारा पोधों की सुरक्षा, प्रबंधन का काम देखा जाएगा.

इस परियोजना से समूह सदस्यों को आजीविका का साधन मिलेगा. पड़त भूमि को उत्पादक भूमि के रूप में बदला जा सकेगा. साथ ही, मिट्टी कटाव रुक सकेगा. पड़त भूमि पर लगाए गए विदेशी प्रजाति के अमरूद के पौधे कुछ साल में ही फल देने लगेंगे. इस से स्वसहायता समूह के सदस्यों को रोजगार मिलेगा और उन्हें आय का जरीया मिल जाएगा, जिस से उन का जीवन स्तर बेहतर बनेगा.

पौधरोपण काम के शुभारंभ के अवसर पर जिला पंचायत सीईओ आकाश सिंह, सांसद प्रतिनिधि दयाराम पाटीदार, सरपंच जगदीश बडोले द्वारा त्रिवेणी का रोपण भी किया गया. इस अवसर पर वाटरशेड टीम के राकेश बिरले, सौरभ जैन, महेंद्र बिर्ले, एफपीओ सदस्य चंद्रकांत पाटीदार, विशाल पाटीदार, अलकेश पाटीदार एवं आईटीसी सदस्य विकास जोशी उपस्थित रहे.

मुरगीपालन (Poultry Farming) से 5 माह में ही 13 लाख कमाए

पन्ना : जिला प्रशासन पन्ना के नवाचार से एमपीडब्ल्यूपीसीएल संस्था के सहयोग से मनरेगा योजना और डीएमएफ मद से फरवरी, 2024 से कल्दा पठार क्षेत्र की गरीब आजीविका मिशन समूह की आदिवासी महिलाओं के लिए मुरगी शेड बनवा कर मुरगीपालन की गतिविधि शुरू की गई थी, जिस से उन्होंने 13 लाख रुपए से अधिक की आमदनी प्राप्त की.

पहले इन महिलाओं की आजीविका का मुख्य साधन वनोपज व मजदूरी थी. प्रत्येक महिला सदस्य को 500 मुरगी की क्षमता का शेड बनवाया जा रहा है. अभी तक 100 शेड पूरे हो कर 88 शेड में मुरगीपालन शुरू किया जा चुका है.

महिला सदस्य द्वारा केवल 35 दिन के चक्र में प्रतिदिन 3 बार मुरगी को दानापानी खिला कर साफसफाई की जाती है. मुरगी खरीदने एवं बेचने का काम संस्था द्वारा किया जाता है. गतिविधि के सफल क्रियान्वयन के लिए महिलाओं द्वारा संयुक्त रूप से श्यामगिरी पोल्ट्री प्रोड्यूसर कंपनी खोली गई है. वर्ष के अंत में कंपनी को हुए मुनाफे को बोनस के रूप में भी सभी सदस्यों में बांटा जाएगा.

मुरगीपालन गतिविधियों के तहत अब तक 88 महिलाओं को 5 माह में 13 लाख, 28 हजार 144 रुपए प्राप्त हो चुके हैं. प्रत्येक महिला को एक 35 दिन के चक्र में मुरगियों के वजन के अनुसार 5,000 से 9,000 रुपए की बचत हो रही है. महिलाएं मुरगीपालन गतिविधि के संचालन से काफी खुश हैं. अब उन्हें जंगल मे लकड़ी इकट्ठा करने एवं महुआ एकत्र करने की जरूरत नहीं पड़ रही है.

गतिविधि के निरंतर विस्तार के लिए दूसरे चरण में 107 मुरगी शेड बनाने का काम अंतिम चरण में है. सितंबर माह तक 200 महिलाओं द्वारा मुरगीपालन शुरू कर दिया जाएगा. इस के अलावा 100 नवीन महिला सदस्यों का चिन्हांकन किया जा चुका है, जिन के मुरगी शेड निर्माण का काम शुरू किया जाएगा.

आगामी 2 साल में कल्दा क्षेत्र की कुल 500 आजीविका मिशन समूह महिलाओं को मुरगीपालन गतिविधियों से लाभ दिया जाएगा. प्रत्येक महिला एक साल में 250 दिन प्रत्येक दिन 3 घंटे काम कर गतिविधि से साल में 50,000 से 70,000 रुपए तक की बचत कर सकेंगी.

दूध मिलावटी तो नहीं,  दूध वाहन (Milk Van) से लिए गए सैंपल

ग्वालियर : कलक्टर रुचिका चौहान के निर्देशानुसार खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा जिले में दूध एवं दूध से बने खाद्य पदार्थों में होने वाली मिलावट को रोकने एवं मिलावटखोरों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही के क्रम में खाद्य प्रतिष्ठानों की जांच एवं सैंपलिंग की कार्यवाही जारी है.

हाल ही में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने मोहनुपर हाइवे पुल के नीचे मुरार, ग्वालियर पर दूध वाहनों के लिए चैकिंग पौइंट लगा कर वाहनों से ला रहे दूध की मोबाइल फूड लैब से मौके पर जांच की गई. चलित खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला की सहायता से मौके पर ही दूध के सैंपल चैक किए गए, जिन में चलित खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला की सहायता से दूध में यूरिया, डिटर्जेंट, स्‍टार्च, न्‍यूट्रेलाइजर जैसे हानिकारक कैमिकलों की जांच की गई.

इस मौके पर अक्षय कुमार निवासी तोर हस्तिनापुर एवं बालकिशन गुर्जर निवासी जंगीपुरा के दूध में फैट कम मिलने पर इन के दूध के नमूने लिए, जो फूड लैब भोपाल भेजे जाएंगे. जांच रिपोर्ट प्रात होने पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी.

इसी प्रकार खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने जिले के खाद्य प्रतिष्‍ठानों के निरीक्षण कर दूध एवं दूध से बने खाद्य पदार्थों के सैंपल जांचे. जांच के लिए गई टीम में खाद्य सुरक्षा अधिकारी बृजेश शिरोमणि, सतीश धाकड़ और सतीश शर्मा सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी शामिल रहे.

ग्वालियर में उच्‍च न्‍यायालय खंडपीठ ग्‍वालियर में विचारा‍धीन अवमानना प्रकरण में पारित आदेश के पालन की समीक्षा के लिए गठित 2 सदस्‍यीय समिति द्वारा सीएमएचओ कार्यालय ग्‍वालियर में ग्‍वालियर एवं चंबल संभाग के मुख्‍य चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी और खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की बैठक ली गई, जिस में समिति द्वारा विभागीय अधिकारियों को अवमानना याचिका में पारित आदेश बिंदुओं का कड़ाई से पालन करने के लिए निर्देशित किया गया है.

समिति द्वारा खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को ग्‍वालियर एवं चंबल संभाग में दूध एवं दूध से बने खाद्य पदार्थों में होने वाली मिलावट को रोकने एवं मिलावटखोरों के विरुद्ध सख्‍त कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए, जिस के संबंध में जिला प्रशासन गुना ने खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों को कार्यवाही के निर्देश दिए.

चैकिंग के दौरान 20 दूध वालों के लगभग 37 सैंपल चैक किए गए. इसी प्रकार खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम द्वारा जिले के खाद्य प्रतिष्‍ठानों के निरीक्षण कर दूध एवं दूध से बने खाद्य पदार्थों के सैंपल जांचे गए, जिन में पाराशर डेयरी मावा भंडार, जय स्‍तंभ चौराहा गुना से मावा, विजय मिष्‍ठान भंडार, पुरानी गल्‍ला मंडी से मावा, मदन दूध डेयरी कैंट गुना से दूध, दही एवं मधु दूध डेयरी म्‍याना से दूध के सैंपल जांचने हेतु लिए गए.

उक्‍त सभी सैंपल जांच हेतु राज्‍य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला को भेजे गए हैं, जिन की जांच रिपोर्ट आने पर आगे की वैधानिक कार्यवाही की जाएगी.

दूध वाहन (Milk Van)

उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में विचाराधीन अवमानना प्रकरण में पारित आदेश के पालन की समीक्षा हेतु 2 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जिस के सदस्य बीएम शर्मा और संजय चतुर्वेदी हैं, जो सेवानिवृत आईएएस और सेवानिवृत जिला न्यायाधीश हैं.

उक्त 2 सदस्यीय समिति के द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के पालन की समीक्षा की जाएगी और दूध व दूध से बने उत्पादों में अपमिश्रण को रोकने के लिए राज्य और जिला प्रशासन के द्वारा उठाए गए कदमों पर किए जा रहे कामों की निगरानी भी इस समिति के द्वारा की जाएगी.

जिला प्रशासन अशोक नगर ने खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी को कार्यवाही के निर्देश जारी किए हैं. कलक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी के निर्देशानुसार दूध और दूध से बने उत्पादों एवं आगामी रक्षाबंधन के त्योहार को दृष्टिगत रखते हुए लगातार खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच के लिए लगातार कार्यवाही की जा रही है.

खाद्य सुरक्षा अधिकारी लीना नायक द्वारा ग्राम राजपुर स्थित गोवर्धन दूध डेयरी से भैंस का दूध, गायभैंस का मिश्रित दूध, मावा, पनीर, ग्राम सहराई स्थित कृष्णा दूध डेयरी से गायभैंस का मिश्रित दूध, पनीर एवं दूध  विक्रेता राजेंद्र यादव से गायभैंस के मिश्रित दूध का नमूना जांच के लिए लिया गया है. सभी नमूने जांच के लिए राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला भेजे गए हैं, जिन में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार वैधानिक कार्यवाही की जाएगी.

खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा बताया गया कि यदि किसी भी उपभोक्ता को खाद्य पदार्थों में मिलावट संबंधी जानकारी प्राप्त होती है, तो वह खाद्य सुरक्षा अधिकारी अथवा अभिहित अधिकारी खाद्य सुरक्षा प्रशासन जिला अशोक नगर को इस संबंध में लिखित में शिकायत कर सकते हैं.

ड्रोन (Drone) उड़ा कर भगवती को मिली पहचान

दतिया : दतिया जिले की बसई ग्राम की निवासी भगवती अहिरवार के पति सुनील अहिरवार मजदूरी करते हुए परिवार का पालनपोषण कर रहे थे, जबकि भगवती घर पर ही रह कर सिलाई का काम करती थी. उन की आय कम होने के कारण परिवार की छोटीछोटी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही थीं. उन्हें आय का कोई रास्ता भी नजर नहीं आ रहा था. एक दिन उन्हें स्वसहायता समूह के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने आजीविका मिशन से संपर्क किया और समूह से जुड़ने के लाभ की जानकारी प्राप्त की.

जानकारी मिलने पर पूरे उत्साह से समूह बनाया और धीरेधीरे समूह से अपने क्षेत्र की महिलाओं को जोड़ना प्रारंभ किया और देखते ही देखते आज भगवती स्वसहायता समूह की अध्यक्ष बन गईं. उन्होंने समूह में छोटीछोटी बचत करते हुए समूह को सशक्त करने के प्रयास प्रारंभ किए.

स्वसहायता समूह से जुड़ कर भगवती को शासकीय योजनाओं की जानकारी भी मिलने लगी पर अभी भी उन की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था. इसी दौरान ‘नमो ड्रोन’ योजना की जानकारी प्राप्त कर उन्होंने उस की ट्रेनिंग ली और खुद का एक ड्रोन खरीदा. उस ड्रोन से धीरेधीरे खेतों में खड़ी फसलों में स्प्रे करना प्रारंभ किया. जब किसानों ने देखा कि एक एकड़ में इसी काम को करने के लिए साढ़े 3 घंटे लेते हैं और वही ड्रोन एक एकड़ में 7 मिनट में स्प्रे कर देता है. इस से भगवती के ड्रोन की मांग स्प्रे करने के लिए और बढ़ने लगी और उन की आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आने लगा.

भगवती सौ एकड़ से भी ज्यादा खेतों में लगी फसलों पर ड्रोन से स्प्रे कर चुकी हैं. आज वे  ‘ड्रोन दीदी’ के नाम से जानी जाती हैं. ‘ड्रोन दीदी’ भगवती प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करने के लिए 350 रुपए लेती हैं. ड्रोन पायलट के रूप में सफल होने के साथ ही भगवती यही नहीं रुकीं, उन्होंने अपने क्षेत्र में 1,000 महिलाओं को स्वसहायता समूह से जोड़ कर नए रोजगार के लिए गाइड भी किया.

आज वे किसान उत्पाद संगठन बना कर भी काम कर रही हैं. कलक्टर संदीप कुमार माकिन के निर्देशानुसार मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत दतिया कमलेश भार्गव खुद समूह के सदस्यों को प्रोत्साहित कर रहे हैं. आज कई महिलाएं समूह से जुड़ कर आत्मनिर्भर हो गई हैं.

समूह से जुड़ने के बाद से वे शासन की विभिन्न योजनाओं से जुड़ कर आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रही हैं. वे ‘लखपति दीदी’ की श्रेणी में आ कर आत्मनिर्भर बनने के साथसाथ माली  रूप से सशक्त बन रही हैं. भगवती दीदी को परिवार के साथसाथ महिलाओं के समूह में एक नई पहचान भी मिल रही है.