फसल विविधीकरण, जल प्रबंधन पर पंजाब को मदद   

नई दिल्ली : 18 जुलाई, 2024. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ क्रमवार बैठकों की कड़ी में पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में पंजाब के कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन, डेयरी विकास और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां के साथ बैठक हुई. इस दौरान राज्य में खेतीकिसानी के विकास को ले कर विविध विषयों पर सकारात्मक चर्चा हुई.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब द्वारा रखे गए राज्य कृषि सांख्यिकी प्राधिकरण से संबंधित प्रस्ताव पर मंत्रालय की ओर से मंजूरी का पत्र पंजाब के मंत्री को बैठक में दिया. बैठक में पंजाब को राज्य कृषि सांख्यिकी प्राधिकरण (एसएएसए) संबंधित स्वीकृति का जो पत्र केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से दिया गया है, उस के अनुसार कृषि सांख्यिकी में सुधार (आईएएस) योजना में पंजाब को भी शामिल करते हुए एसएएसए के तहत परियोजना निगरानी इकाई (पीएमयू) स्थापित करने की अनुमति दी गई है.

इस योजना के अंतर्गत आईएएस के कार्यों में शामिल कर्मचारियों के लिए सौ फीसदी वित्तीय सहायता के साथ धनराशि जारी की जाती है. यह पहल कृषि सांख्यिकी प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

बैठक में फसल अवशेष प्रबंधन योजना के कार्यान्वयन को ले कर चर्चा हुई और इस बात पर जोर दिया गया कि पर्यावरण के हित में इस दिशा में और भी गंभीरता से काम किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि किसानों को ड्रेगन फ्रूट, कीनू आदि उगाने सहित बागबानी एवं अन्य फसलों के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि पराली की समस्या कम हो और किसानों की आमदनी भी बढ़ सके.

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के संबंध में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र सरकार की ओर से पूरी मदद का भरोसा दिलाया, वहीं अन्य राज्यों की तरह पंजाब को भी पर्याप्त खादबीज की आपूर्ति होती रहेगी.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस संबंध में पूरी तरह गंभीरता से काम कर रहा है. हम मिलजुल कर खेतीकिसानी के विकास के लिए लगातार काम करते रहेंगे. बैठक में कृषि सचिव संजीव चोपड़ा सहित वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.

कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना के शानदार 50 साल

उदयपुर : 19 जुलाई. कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना के शानदार 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पुडुचेरी से आंरभ हुई मशाल यात्रा (गोल्डन जुबली टौर्च) प्रदेश के विभिन्न केवीके से होती हुई पिछले दिनों केवीके, वल्लभनगर पंहुची. इस मौके पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर (राजुवास) के कुलपति डा. एसके गर्ग और वल्लभनगर केंद्र के अधिष्ठाता डा. आरके नागदा ने मशाल महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्ववि़द्यालय को सौंपी. एमपीयूएटी की ओर से निदेशक प्रसार शिक्षा निदेशालय डा. आरए कौशिक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्यक्ष, उदयपुर द्वितीय डा. आरएल सोनी ने यह मशाल ग्रहण की.

एमपीयूएटी के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि देश में पहला केवीके 21 मार्च, 1974 को पुडुचेरी (पांडिचेरी) में स्थापित किया गया और विगत 5 दशक में उपादेयता और आवश्यकता के आधार पर आज देश में केवीके की संख्या बढ़ कर 731 हो गई है. केवीके का यह मजबूत नैटवर्क खेती की चुनौतियों के लिए अनुकूल है.

उन्होंने बताया कि केवीके योजना भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित है. केवीके कृषि विश्वविद्यालय, आईसीएआर, संस्थानों, संबंधित सरकारी विभागों और कृषि में काम करने वाले गैरसरकारी संगठनों को स्वीकृत किए जाते हैं. केवीके का उद्देश्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, शोधन और प्रदर्शनों के माध्यम से कृषि व सबद्ध उद्यमों में स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकी मौड्यूल का मूल्यांकन करना है.

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि किसानों को फसल, पशुधन, वानिकी और मत्स्यपालन के क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी तक पहुंच की आवश्यकता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) पूरे भारत में जिला स्तर पर स्थापित केवीके के माध्यम से इस का समाधान करता है. केवीके अनुसंधान और विस्तार प्रणाली के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करते हैं. खेत पर परीक्षण, अग्रिम पंक्ति परीक्षण व किसानों एवं विस्तारकर्मियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करते है.

उन्होंने बताया कि केवीके ने फसलोत्पादन, पशुपालन, कृषि वानिकों और संबद्ध क्षेत्रों में नवीनतम प्रगति के साथ लाखों किसानों को सशक्त बनाया है. केवीके की सब से महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक कृषि उद्यमिता और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने की रही है.

प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरए कौशिक ने बताया कि जम्मूकश्मीर व पंजाब प्रांतों के केवीके से होती हुई यह मशाल यात्रा राजस्थान के बीकानेर पंहुची. अब एमपीयूएटी के अधीन बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, प्रथम व द्धितीय, डूंगरपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ, प्रतापगढ़़ सहित समस्त 8 केवीके पर यह मशाल यात्रा जाएगी, जहां से कोटा कृषि विश्वविद्यालय को सौंपी जाएगी.

21 मार्च, 2024 को पुडुचेरी से आंरभ हुई यह मशाल यात्रा संपूर्ण भारत में भ्रमण करते हुए 21 मार्च, 2025 को पुनः पुडुचेरी पहुंचेगी, जहां इस यात्रा का समापन समारोह होगा.

Krishi Vigyan Kendras

केवीके की परिकल्पना के जनक डा. मोहन सिंह मेहता

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि आईसीएआर ने आज पूरे भारत में 731 कृषि विज्ञान केंद्र का मजबूत नैटवर्क बनाया है और भविष्य में देश के हर जिला मुख्यालय पर केवीके की स्थापना की योजना अमल में ली जानी है. हर्ष और गौरवान्वित करने की इस योजना के जनक उदयपुर के शिक्षाविद डा. मोहन सिंह मेहता रहे हैं. डा. मोहन सिंह मेहता ने केवीके की स्थापना से काफी पहले विद्याभवन (बड़गांव) में वे सारी गतिविधियां आंरभ कर दी, जो आज केवीके में देखने को मिल रही हैं.

उन्होंने बताया कि डा. मोहन सिंह मेहता समिति की रिपोर्ट की सिफारि के आधार पर ही 21 मार्च, 1974 को पुडुचेरी में प्रथम कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना संभव हो सकी. किसानों को फसल, पशुपालन, वानिकी और मत्स्यपालन के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी व तकनीकी हस्तांतरण का कार्य विद्याभवन में वर्षों  से जारी था, लिहाजा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) ने विद्याभवन के बड़गांव केंद्र को भी हाथोंहाथ कृषि विज्ञान केंद्र का दर्जा दे दिया, जो आज एक आदर्श केवीके के रूप में स्थापित है.

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि केवीके ने किसानों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और हितधारकों की जरूरतों को पूरा करने में अपनी योग्यता साबित की है. पिछले 5 सालों में केवीके से जुड़े कई किसानों को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार और जीनोम सेवियर पुरस्कार सहित अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिस में कृषि में उन के असाधारण योगदान को मान्यता दी गई है. यह मान्यता कृषि प्रतिभाओं को प्रेरित करने और कृषक समुदायों के भीतर नवाचार को बढ़ावा देने में केवीके द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है.

उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि परिदृश्य में उत्पादकता बढ़ाने, स्थिरता सुनिश्चित करने और किसानों की आजीविका में सुधार लाने के उद्देश्य से केवीके द्वारा की गई विभिन्न पहलों के माध्यम से महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं. औसतन प्रत्येक केवीके 43 गांवों को कवर करता है और लगभग 4,300 किसानों को अपनी सेवा देता है. इन में से लगभग 80 फीसदी गांव इस के परिसर से 10 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित हैं. केवीके ने खेती के तरीकों को आधुनिक बनाने और अटल टिंकरिंग लैब्स के माध्यम से छात्रों को जानकारी प्रदान करने के लिए ड्रोन तकनीक को अपनाया.

लुवास करेगा राष्ट्रीय पशु चिकित्सा विज्ञान अकादमी  की मेजबानी

हिसार : लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा राष्ट्रीय पशु चिकित्सा विज्ञान अकादमी के साथ मिल कर 29-30 नवंबर, 2024 को “सतत पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन : चुनौतियों एवं प्राथमिकताओं की खोज” विषय पर 22वें राष्ट्रीय दीक्षांत समारोह एवं वैज्ञानिक सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. इस कार्यक्रम का आयोजन कुलपति प्रो. (डा.) विनोद कुमार वर्मा के संरक्षक नेतृत्व में किया जाएगा.

इस विषय पर कुलपति सचिवालय में एक औपचारिक बैठक का आयोजन किया गया, जिस में  कुलपति प्रो. (डा.) विनोद कुमार वर्मा ने राष्ट्रीय दीक्षांत समारोह एवं वैज्ञानिक सम्मेलन की प्रथम सूचना विवरणिका का औपचारिक रूप से विमोचन किया. विमोचन के बाद उन्होंने कहा कि यह आयोजन देश में पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन के विकास में अपनी छाप छोड़ेगा. उन्होंने कहा कि आयोजन के लिए गठित आयोजक टीम समय रहते सारी तैयारी कर लेगी, ताकि इसे योजनाबद्ध तरीके से आयोजित किया जा सके.

सम्मेलन के आयोजन सचिव डा. गुलशन नारंग, अधिष्ठाता, पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय ने बताया कि इस कार्यक्रम में कई जानेमाने पशु चिकित्सा पेशेवर, राष्ट्रीय पशु चिकित्सा विज्ञान अकादमी के सदस्य, विभिन्न विश्वविद्यालयों और देश के विभिन्न हिस्सों से वैज्ञानिक और छात्र भाग लेंगे.

उन्होंने बताया कि सम्मेलन के दौरान पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में 4 तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे. इस मौके पर लुवास के मानव संसाधन एवं प्रबंधन निदेशक डा. राजेश खुराना एवं आयोजक टीम के सदस्य मौजूद रहे.

हकृवि में दूसरे चरण की प्रवेश परीक्षा (Entrance Examination) संपन्न

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में स्नातक व स्नात्तकोतर कोर्स की दूसरे चरण की प्रवेश परीक्षा शांतिपूर्वक संपन्न हुई. यह परीक्षा बीएफएससी चारवर्षीय कोर्स, बीएससी एग्रीकल्चर 6 वर्षीय कोर्स, एमएससी एग्रीकल्चर, एमटैक एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, एमएफएससी कोर्स, एमएससी कम्यूनिटी साइंस कोर्स में दाखिले के लिए आयोजित की गई थी. विश्वविद्यालय की ओर से परीक्षा को सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न करवाने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए थे.

विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. बलवान सिंह मंडल ने परीक्षा केंद्रों का दौरा करते हुए परीक्षार्थियों की सुविधा व परीक्षा के सुचारु संचालन के लिए की गई व्यवस्थाओं का भी जायज़ा लिया. इस अवसर पर ओएसडी डा. अतुल ढींगडा, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय डा. एसके पाहुजा, अधिष्ठाता, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय डा. बीना यादव व एसवीसी कपिल अरोड़ा उपस्थित रहे.

इस परीक्षा के लिए विश्वविद्यालय सहित हिसार शहर में 12 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे. परीक्षा के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से विशेष निरीक्षण दल बनाया गया था, जिन्होनें सभी केंद्रों पर जा कर निरीक्षण किया.

परीक्षा नियंत्रक डा. पवन कुमार ने बताया कि उपरोक्त पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए कुल 4,294 विद्यार्थियों ने औनलाइन आवेदन किया था. सभी परीक्षा केंद्रों में कुल 3,886 परीक्षर्थियों ने परीक्षा दी. इस परीक्षा में परीक्षार्थियों की 90.50 फीसदी उपस्थिति दर्ज की गई. उन्होंने उम्मीदवारों व उन के अभिभावकों से अपील की है कि वे उपरोक्त स्नातक व स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में दाखिला संबंधी नवीनतम जानकारियों के लिए विश्वविद्यालय की वैबसाइट  admissions.hau.ac.in and hau.ac.in पर अवश्य चेक करते रहें.

दूरदर्शन के 2 नए कार्यक्रम ‘खेतखेत में’ और ‘अतुल्य भारत की अमूल्य निधियां’  

दूरदर्शन भारत सरकार द्वारा स्थापित एक स्वायत्त सार्वजनिक सेवा प्रसारक है, जो प्रसार भारती के अहम प्रभागों में से एक है. सालों से दूरदर्शन अपने दर्शकों को जागरूक करने और उन का मनोरंजन करने के उद्देश्य से विशिष्ट  कार्यक्रमों को प्रसारित करता आया है. हमेशा की तरह प्रसार भारती ने आध्यात्मिक, स्वास्थ्य एवं मनोरंजन के विभिन्न कार्यक्रमों के प्रसारण से लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास किया है.

इस कड़ी में दूरदर्शन अब 2 नए कार्यक्रम करने जा रहा है, जिस में खेतखेत में और अतुल्य भारत की अमूल्य निधियां शामिल हैं. इन कार्यक्रमों को दूरदर्शन ने फ्रेम्स और कौम्फेड प्रोडक्शन के सहयोग से तैयार किया है.

‘खेतखेत में’

कार्यक्रम ‘खेतखेत में’ फ्रेम्स प्रोडक्शन कंपनी के साथ साझीदारी में बना एक रियलिटी शो है. यह कार्यक्रम प्रतिभागियों के रूप में अनुभवी किसानों के साथसाथ प्रतिभाशाली युवाओं को एक मंच प्रदान करता है, जिस में प्रतिभागियों को अनुभवी किसानों द्वारा दी गई कठिन चुनौतियों को पूरा करना होता है. साथ ही, इस कार्यक्रम में कुल 10 प्रतिभागी शामिल होंगे, जो चिलचिलाती धूप में अपनी कर्मठता और लगन का परिचय देते नजर आएंगे.

यह कार्यक्रम भारतीय खेती के बदलते परिदृश्य को प्रदर्शित करता है. गरीबी और संघर्ष की सदियों पुरानी छवि से अलग यह शो, देश के मेहनती और काबिल किसानों की कामयाबी को बखूबी दर्शाता है. यह कार्यक्रम भारत के युवाओं की उस सोच का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो कृषि को एक व्यावहारिक व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करता है.

इस कार्यक्रम को भारतीय टैलीविजन और फिल्म उद्योग के जानेमाने हीरो राजेश कुमार संचालित करते नजर आएंगे. इस कार्यक्रम में मनोरंजन के साथसाथ बहुतकुछ नया देखने और सीखने को मिलेगा. यह कार्यक्रम 6 जुलाई से प्रत्येक शनिवार और रविवार को दोपहर साढ़े 12 बजे प्रसारित होगा. इस कार्यक्रम का पुनः प्रसारण उसी दिन रात 11 बजे किया जाएगा.

‘अतुल्य भारत की अमूल्य निधियां’

दूरदर्शन के लोकप्रिय चैनल, डीडी नेशनल पर एक नया शो ‘अतुल्य भारत की अमूल्य निधियांप्रसारित होने जा रहा है. यह शो उन उत्पादों पर केंद्रित है, जिन्हें भारत के विभिन्न राज्यों और स्थानों में जीआई यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग प्राप्त है. इस शो में विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के विशषेज्ञ, किसान और उत्पादक शामिल होंगे, जो इन जीआई टैग वाले उत्पादों की जानकारी साझा करेंगे.

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इस शो का उद्देश्य न केवल इन विशिष्ट उत्पादों की कहानी को दर्शाना है, बल्कि उन किसानों और कारीगरों की मेहनत और लगन को भी सम्मानित करना है, जिन्होंने इन उत्पादों को देशविदेश के कौनेकौने तक पहुंचाया है.

 ‘अतुल्य भारत की अमूल्य निधियां’ में भारतीय टैलीविजन और फिल्म उद्योग के जानेमाने अभिनेता अमन वर्मा होस्ट के रूप में नजर आएंगे. यह शो न सिर्फ दर्शकों का मनोरंजन करेगा, बल्कि उन्हें अपने देश की समद्ध कृषि, हस्तशिल्प और खाद्य जैसी अन्य विरासत और उन अमूल्य निधियों से जोड़ने का भी काम करेगा, जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है.

यह कार्यक्रम 6 जुलाई से प्रत्येक शनिवार सुबह 11 बजे प्रसारित होगा. इस कार्यक्रम का पुनः प्रसारण शाम को 4 बजे किया जाएगा.

बीएयू में आयोजित स्नात्तकोत्तर और पीएचडी की प्रवेश परीक्षाएं

राजभवन द्वारा राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के सत्रों को नियमित करने और परीक्षाएं समय पर संपन्न करने के निर्देशों के अनुरूप 7 जुलाई, 2024 को बिहार कृषि विश्वविद्यालय में स्नात्तकोत्तर और पीएचडी की प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन किया गया.

विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डीआर सिंह के संरक्षण एवं कुलसचिव डा. एम. हक के सफल नेतृत्व में आयोजित परीक्षा में पीएचडी के लिए कुल 162 अभ्यर्थी, जिस में 94 पुरुष एवं 68 महिला अभ्यर्थी शामिल हुए, वहीं एमएससी (एग्री) के लिए कुल 966 अभ्यर्थी, जिस में 621 पुरुष एवं 345 महिला अभ्यर्थी शामिल हुए.

प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा के कुशल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने योगदान दिया. विश्वविद्यालय में नियंत्रण कक्ष बना कर सभी परीक्षाओं को कुशलतापूर्वक संपन्न किया गया और बिहार कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डा. एसएन राय केंद्र अधीक्षक रहे.

कुलसचिव डा. एम. हक ने बताया कि आयोजित हुए परीक्षा का परिणाम इस माह के अंत तक आ जाएगा. विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डीआर सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय अपने सभी महाविद्यालयों के शैक्षणिक सत्र को नियमित करने और सभी परीक्षा को समय पर संपन्न करने के लिए प्रतिबद्ध है. अगले माह तक विश्वविद्यालय की सभी परीक्षाएं संपन्न करा ली जाएगी.

‘राष्ट्रीय मछुआरा दिवस’ का आयोजन

उदयपुर : 10 जुलाई, 2024 को मत्स्य विभाग, उदयपुर द्वारा मत्स्य भवन परिसर में ‘राष्ट्रीय मछुआरा दिवस’ का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत में विभाग के सहायक निदेशक डा. अकील अहमद द्वारा अतिथियों एवं समस्त प्रतिभागियों का स्वागत कर इस कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी.

मात्स्यिकी  महाविद्यालय के पूर्व प्रोफैसर एवं डीन डा. सुबोध शर्मा ने प्रतिभागियों को बताया कि मछुआरा दिवस का आयोजन मत्स्य वैज्ञानिक डा. हीरालाल चौधरी एवं डा. केएच अलीकुन्ही द्वारा वर्ष 1957 में हारमोंस इंजेक्शन से प्रेरित प्रजनन द्वारा भारतीय मेजर कार्प मत्स्य बीज उत्पादन कराने में सफलता प्राप्त करने के उपलक्ष्य में हर साल मनाया जाता है. इस के फलस्वरूप मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति का आगाज हुआ.

वर्तमान में उक्त तकनीक के विकास के साथ मत्स्य वैज्ञानिकों ने भारतीय मेजर कार्प के साथ विदेशी कार्प मछलिया एवं केट फिश के प्रजनन में भी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है. भारतीय मेजर कार्प के साथ इन मछलियों का मत्स्य बीज भी किसानों को उपलब्ध होने लगा है.

पूर्व में मछली का बीज प्राकृतिक स्रोतों से संग्रहित किया जाता था, जिस के विभिन्न प्रजाति का मिश्रित मत्स्य बीज प्राप्त होता था, जबकि मत्स्य बीज उत्पादन की नवीन तकनीक के विकास के साथ किसानों को मनचाही प्रजाति का शुद्ध बीज समय पर उपलब्ध होने लगा है.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मात्स्यिकी महाविद्यालय के पूर्व प्रोफैसर एवं डीन डा. एलएल शर्मा ने राष्ट्रीय मछुआरा दिवस के उपलक्ष्य में मत्स्य किसानों को अपनी बधाई संदेश में मछलीपालन की वैज्ञानिक पद्धती अपनाने एवं नवीन तकनीकों का समावेश करते हुए मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करने का आह्वान किया. साथ ही, राज्य में मत्स्य बीज की उपलब्ता बढाने के लिए भी प्रयास करने पर जोर दिया.

उन्होंने बताया कि 80 के दशक में ही प्रेरित प्रजनन की तकनीक के प्रयोग से स्थानीय मत्स्य प्रजाति सरसी का प्रजनन फतह सागर में सफलतापूर्वक करवाया था. कार्यक्रम में पूर्व उपनिदेशक अरुण कुमार पुरोहित, मत्स्य अधिकारी डा. दीपिका पालीवाल एवं डा. शीतल नरूका सहित उदयपुर क्षेत्र के मत्स्य किसान, मछुआरों एवं प्रगतिशील फिश फार्मर्स ने भाग लिया.

फसल विविधीकरण व प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त अवसर

नई दिल्ली : 10 जुलाई 2024. देश में कृषि क्षेत्र की तीव्र प्रगति के उद्देश्य से केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यवार चर्चाओं की शुरुआत की है, जिस के तहत केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कृषि मंत्रियों की बैठक हुई. उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री ऐंदल सिंह कंषाना के नेतृत्व में उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने अपनेअपने राज्यों में कृषि क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा की.

इस दौरान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि फसल विविधीकरण एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्यों में पर्याप्त अवसर है. केंद्र सरकार के स्तर पर इस के लिए हरसंभव सहायता की जाएगी.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इन विषयों को ले कर प्रधानमंत्री मोदी ने भी जोर दिया है. पीएम मोदी के नेतृत्व में किसानों और कृषि क्षेत्र का हित सर्वोपरि है और केंद्र सरकार राज्यों को हर तरह से पूरी सहायता प्रदान करती रहेगी.

उन्होंने यह भी कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि राज्यों में नवाचार हो रहे हैं, जिसे अन्य राज्यों तक भी पहुंचाना चाहिए, ताकि देशभर के किसानों को इन का ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उत्तर प्रदेश में फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की भरपूर संभावनाएं हैं. औयल पाम की खेती के सहित दलहनतिलहन उत्पादन को और बढ़ावा देने की जरूरत है.

उन्होंने दोहराया कि केंद्र, मध्य प्रदेश सहित सभी राज्यों में उड़द, अरहर और मसूर की शतप्रतिशत खरीद के लिए प्रतिबद्ध है. इस के लिए उन्होंने राज्यों से संबंधित पोर्टल पर पंजीयन करने के लिए किसानों को प्रचारप्रसार कर जागरूक करने को कहा.

बैठक में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने, सूचना प्रौद्योगिकी के अधिकाधिक उपयोग, डिजिटल फसल सर्वे, किसान रजिस्ट्री, ई-नाम, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को मजबूत बनाने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और कृषि यंत्रीकरण सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई.

बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा सहित मंत्रालय और दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. पिछले महीने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद से शिवराज सिंह चौहान ने अपने मंत्रालयों से संबंधित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने और उन्हें शीघ्रता से हल करने के लिए राज्यों के मंत्रियों के साथ बैठकों की श्रृंखला शुरू की है. बता दें कि उन्होंने पिछले दिनों असम और छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्रियों से बैठक कर विस्तृत चर्चा की थी.

पादप स्वास्थ्य हेतु ‘जलवायु स्मार्ट रोग प्रबंधन’ पर गोष्ठी

सबौर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के मुख्य सभागार में इंडियन सोसाइटी औफ माइकोलौजी एवं प्लांट पैथोलौजी, उदयपुर, राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ‘टिकाऊ पादप स्वास्थ्य हेतु जलवायु स्मार्ट रोग प्रबंधन’ विषय पर 3  दिवसीय राष्ट्रीय कृषि संगोष्ठी का 10 जुलाई, 2024 को विधिवत शुभारंभ हुआ.

इस 3 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि डा. जवाहर लाल, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया. इस समारोह के दौरान विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, कृषि, डा. एके साह, निदेशक अनुसंधान डा. एके सिंह, निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डा. फिजा अहमद, कुलसचिव डा. मिजानुल हक और अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं आयोजन सचिव डा. जेएन श्रीवास्तव मंच पर उपस्थित रहे. इस के बाद सफरनामा के माध्यम से बीएयू, सबौर की गतिविधियों की झलक दिखाई गई.

स्वागत भाषण डा. जेएन श्रीवास्तव, निदेशक, छात्र कल्याण एवं सम्मेलन के संयोजक सहआयोजन सचिव ने दिया. उन्होंने सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य साझा करते हुए यह बताया कि इस संगोष्ठी को 10 मुख्य विषयों में बांटा गया है, जिस में अलगअलग व्याख्यान एवं पोस्टर प्रदर्शित किए जाएंगे.

डा. जेएन श्रीवास्तव ने अपने स्वागत भाषण में बदलती जलवायु के बारे में चिंता जताई, जिस से रोग व कीटों की घटनाओं को बढ़ावा मिला है और हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में भी बदलाव आया है. इस परिदृश्य में जलवायु स्मार्ट रोग प्रबंधन का महत्व अत्यंत आवश्यक है. इसी दिशा में यह सम्मेलन इसे पूरा करेगा और वैज्ञानिकों और किसान समुदाय के लिए महत्वपूर्ण होगा.

डा. फिजा अहमद, निदेशक, बीज एवं प्रक्षेत्र, बीएयू सबौर ने अपने उद्बोधन में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का उल्लेख किया और विशेष रूप से बदलती जलवायु के तहत अत्यधिक रोग व कीट की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक अवशेषों के खतरों पर जोर दिया.

डा. मिजानुल हक, कुलसचिव, बीएयू, सबौर ने अपने उद्बोधन में युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित किया और सतत विकास लक्ष्यों और उन्हें प्राप्त करने के तरीकों के महत्व को व्यक्त किया. उन्होंने बढ़ती वैश्विक आबादी को खिलाने के लिए सतत कृषि प्रणालियों और इस उद्देश्य के लिए पारंपरिक ज्ञान के साथ नवीन विचारों के उपयोग पर जोर दिया.

डा. एके सिंह, निदेशक अनुसंधान, बीएयू, सबौर ने सतत कृषि प्रणाली के लिए अंतःविषय अनुसंधान दृष्टिकोणों पर जोर दिया. उन्होंने कृषि प्रणाली में सुधार के लिए विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के समग्र दृष्टिकोण पर जोर दिया.

इसी कड़ी में डा. एके साह, अधिष्ठाता (कृषि), बीएयू, सबौर ने जलवायु स्मार्ट रोग व कीट प्रबंधन पर उत्कृष्ट विचारविमर्श की अपेक्षा व्यक्त की, जो जलवायु स्मार्ट रोग प्रबंधन रणनीतियों के लिए सिफारिशें लाएगी.

उद्घाटन सत्र में सम्मेलन स्मारिका और डा. अभिजीत घटक द्वारा लिखित पुस्तक “अनरेपिंग द वैल्यू फ्राम वेस्ट” का अनावरण किया गया. अध्यक्षीय भाषण डा. जवाहर लाल, कुलपति तिलका मांझी, भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया. सर्वप्रथम उन्होंने बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डा. डीआर सिंह का धन्यवाद किया और विश्वविद्यालय में हो रही एनआईटी की नई गतिविधियों और विकास के लिए उन्हें बधाई दी.

उन्होंने कौशल विकास के लिए बीएयू और टीएमबीयू के बीच सहयोगात्मक पहलों पर जोर दिया. उन्होंने समाज विकास को लक्षित करने वाले अनुसंधान करने का आग्रह किया. साथ ही, उन्होंने ज्ञान अर्थव्यवस्था पर जोर दिया, जो राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए ज्ञान आधारित विकास है. उन्होंने हमारी अगली पीढ़ियों के बारे में सोचने और बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र के लिए फसल उगाने की एक स्थायी प्रणाली अपनाने के लिए कहा.

डा. जवाहर लाल ने इस संगोष्ठी से निकल कर आने वाले मुख्य बिंदुओं के ऊपर नीति निर्धारित करने के लिए आयोजन समिति द्वारा बिहार सरकार के समक्ष आह्वान किया.

इस संगोष्ठी में देश के अन्य भागों से आए हुए डा. दिनेश सिंह, प्रमुख वैज्ञानिक और विभागाध्यक्ष, पौधा संरक्षण, आईआईएसआर, डा. रेखा बलोदी, वैज्ञानिक आईसीएआर-एनआरसीआईपीएम एवं विभिन्न संस्थानों के तकरीबन 170 से अधिक वैज्ञानिक एवं छात्रों ने प्रतिबंधन करवाया गया.

अंत में डा. चंदा कुशवाहा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. उन्होंने सभी प्रतिनिधियों और प्रमुख वक्ताओं का स्वागत किया और धन्यवाद दिया. उन्होंने सम्मेलन के आयोजन में सीधे और परोक्ष रूप से शामिल सभी लोगों का धन्यवाद किया. वर्तमान परिपेक्ष में बदलते जलवायु से उत्पन्न विभिन्न चुनौतियों के प्रबंधन हेतु यह संगोष्ठी विश्वविद्यालय के इस महत्त्वपूर्ण विषय के प्रति संवेदनशीलता एवं प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इस संगोष्ठी में ‘’जलवायु अनुकूल रोग प्रबंधन’ की विभिन्न चुनौतियों व संभावनाओं के दृष्टिगत 10 विषयों पर चर्चा एवं प्रस्तुति दी जाएगी.

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश के छोटे व सीमांत किसानों को सशक्त करेगी सरकार

नई दिल्ली : पिछले दिनों केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश के छोटे व सीमांत किसानों को सशक्त बनाने के लिए कृषक उत्पादक संगठन यानी एफपीओ को एक आंदोलन के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा. इसी कड़ी में केंद्र सरकार द्वारा देशभर में एफपीओ मेले लगाए जाएंगे, जिन के माध्यम से किसानों के एफपीओ को प्रोत्साहन मिलेगा. सरकार का उद्देश्य है कि एफपीओ के माध्यम से हमारे किसान भाईबहन अपने पैरों पर खड़े हों और उन का जीवनस्तर ऊंचा उठे.

यह बात शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली हाट, आईएनए में आयोजित एफपीओ मेल में कही. उन्होंने यहां हर स्टाल पर जा कर एफपीओ संचालकों व किसानों से बात की, एफपीओ के माध्यम से उन की प्रगति पूछी, साथ ही सुझाव भी लिए.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किसान कल्याण सर्वोपरि है. इस दिशा में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देने और देश के छोटे किसानों के बढ़ते हुए सामर्थ्य को संगठित रूप देने में हमारे किसान उत्पाद संगठनों, एफपीओ की बड़ी भूमिका है. सरकार इस बात पर ध्यान दे रही है कि एफपीओ से जुड़े किसानों को भी उन के उत्पाद बेचने के लिए अच्छा प्लेटफार्म मिले, जिस से उन्हें तो अधिक लाभ होगा ही, उपभोक्ताओं को भी गुणवत्तापूर्ण उत्पाद सही दाम पर मिलेंगे.

उन्होंने आगे कहा कि एफपीओ का भविष्य बहुत उज्ज्वल है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हम इस आंदोलन को बहुत आगे ले जाने का प्रयत्न करेंगे. देशभर में 10 हजार नए एफपीओ बनाने की भारत सरकार की योजना बहुत सफलता से आगे बढ़ रही है, जिस के अंतर्गत अभी तक पौने 9 हजार से ज्यादा एफपीओ बनाए जा चुके हैं. एफपीओ का यह बहुत बड़ा एक परिवार है और हम सब मिलजुल कर साथ में आगे बढ़ेंगे. एफपीओ के माध्यम से किसानों को मजबूत बनाने में केंद्र सरकार पूरी ताकत के साथ खड़ी है.

उन्होंने एफपीओ को आर्थिक मजबूती के लिए एक लाख करोड़ रुपए के एग्री इंफ्रा फंड सहित केंद्र की अन्य योजनाओं का लाभ उठाने की अपील की और कहा कि एफपीओ आंदोलन को और ताकत देने के लिए इस योजना की मंत्रालय के स्तर पर समीक्षा भी की जाएगी.

मेले में हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार, हिमाचल, पंजाब, जम्मूकश्मीर के एफपीओ शामिल हुए. सभी एफपीओ को ओएनडीसी से जोड़ा जा रहा है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव फैज अहमद किदवई, मनिंदर कौर, शुभा ठाकुर व अन्य अधिकारी मौजूद थे.