बेस प्लांटर विधि से मक्का बोआई को बढ़ावा

मंडला : मक्का मंडला जिले की प्रमुख फसल है. जिले में कृषि विभाग के अमले के द्वारा किसानों को बेस प्लांटर विधि से मक्का की बोआई करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. गांव नेवसा के रहने वाले जागेश्वर राजपूत अपने खेत में मक्का की बोआई कर रहे हैं, जिस से वे मक्का उत्पादन कर सफल किसान बन सकें.

पिछले दिनों कलक्टर डा. सलोनी सिडाना ने गांव नेवसा पहुंच कर मक्का बोआई का निरीक्षण किया. उन्होंने किसान जागेश्वर राजपूत को उच्च किस्म के मक्का बीज की बोआई करने के निर्देश दिए, जिस से मक्का फसल का उत्पादन बढ़ सके.

उन्होंने बताया कि शासन मक्का फसल का समर्थन मूल्य देती है. बाजार में भी मक्का की बहुत मांग है. किसान मक्के को बाजार में बेच कर भी मुनाफा कमा सकता है.

उन्होंने इस अवसर पर किसानों को व्यापारिक फसल की पैदावार करने के निर्देश दिए, जिस के तहत किसान अपने खेतों की पड़त भूमि में फलदार पौधे को लगा कर मुनाफा कमा सकते हैं.

कलक्टर डा. सलोनी सिडाना ने मक्का बोआई पद्धति से आसपास के किसानों को प्रेरित करने के निर्देश दिए, जिस से गांव के किसान भी मक्का की बोआई कर मुनाफा कमा सकें. उन्होंने किसानों से चक्रीय क्रम में फसल बदल कर खेती करने की बात कही, ताकि खेतों में भूमि का उपजाऊपन बना रहे.

उन्होंने किसानों को सब्जी का उत्पादन करने के भी निर्देश दिए, जिस से किसानों को बाजार में बिक रही सब्जी के दामों का लाभ मिल सके. कलक्टर डा. सलोनी सिडाना ने इसी प्रकार की गांव डोंगरा में जा कर बसंत कुमार के खेत में एसआरआई विधि से धान रोपाई का अवलोकन किया.

आइडिया को मिल सकती है 25 लाख तक की ग्रांट

हिसार: अगर आप के पास कोई कृषि व कृषि से संबंधित बिजनेस करने का आइडिया है, तो आप को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से स्थापित एग्रीबिजनेस इंक्यूबेशन सैंटर (एबिक) के माध्यम से 25 लाख रुपए तक की अनुदान राशि दिला सकता है.

यह अनुदान राशि एक प्रक्रिया के तहत एचएयू स्थित एबिक के माध्यम से दी जाएगी. इस के लिए आप को सिर्फ चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की वैबसाइट www.hau.ac.in पर 10 सितंबर, 2024 तक औनलाइन आवेदन करना है.

इस सैंटर के माध्यम से युवा छात्र, किसान, महिला व उद्यमी, मार्केटिंग, नेटवर्किंग, लाइसैंसिंग, ट्रेडमार्क व पेटेंट, तकनीकी व फंडिंग से संबंधित प्रशिक्षण ले कर कृषि क्षेत्र में अपने स्टार्टअप को नया आयाम दे सकते हैं. इस के लिए छात्र कल्याण प्रोग्राम ‘पहल’ एवं ‘सफल’-2024 नाम से 3 प्रोग्रामों का विवरण इस प्रकार हैं :

छात्र कल्याण प्रोग्राम : यह प्रोग्राम छात्रों के लिए पहली बार प्रारंभ किया गया है, जो छात्रों को उद्यमी बनाने में मदद करेगा. इस प्रोग्राम के तहत केवल छात्र ही आवेदन कर सकते हैं चयनित छात्र को एक महीने का प्रशिक्षण व 4 लाख रुपए तक की अनुदान राशि प्रावधान की जाएगी. यह राशि चयनित छात्र को एकमुश्त दी जाएगी.

पहल : इस प्रोग्राम के तहत चयनित उम्मीदवार को एक महीने का प्रशिक्षण व 5 लाख रुपए तक की अनुदान राशि प्रावधान की जाएगी. यह राशि चयनित उम्मीदवार को एकमुश्त दी जाएगी.

सफल : इस प्रोग्राम के तहत चयनित उम्मीदवार को एक महीने का प्रशिक्षण व 25 लाख रुपए तक की अनुदान राशि प्रावधान की जाएगी. यह राशि चयनित उम्मीदवार को 2 किस्तों में दी जाएगी.

उन्होंने बताया कि पिछले 5 सालों में 65 स्टार्टअप्स को केंद्रीय कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्रालय द्वारा लगभग 7 करोड़ की राशि स्वीकृत की जा चुकी है. कुलपति ने उक्त कार्यक्रमों से संबंधित विवरण पुस्तिका का विमोचन किया.

आवेदकों के लिए आयु व शिक्षा नहीं बनेगी बाध्य

आवेदक को अपने आइडिया का प्रपोजल एचएयू की वैबसाइट www.hau.ac.in पर औनलाइन आवेदन करना है, जोकि नि:शुल्क है. इस के बाद उस आइडिया का यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक व इंक्युबेशन कमेटी द्वारा एक महीने के प्रशिक्षण के लिए चयन किया जाएगा.

एक महीने के प्रशिक्षण के बाद भारत सरकार द्वारा गठित कमेटी आवेदक के आइडिया को प्रस्तुत करवाएगी और चयनित आवेदक को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा अनुदान राशि स्वीकृत की जाएगी.

स्वरोजगार के साथसाथ दूसरे लोगों को भी रोजगार दे पाएंगे

कुलपति ने कहा कि युवाओं के लिए कृषि क्षेत्र में अपना व्यवसाय स्थापित करने का एक सुनहारा अवसर है. एबिक सैंटर से प्रशिक्षण व वित्तीय सहायता ले कर युवा रोजगार खोजने के बजाय रोजगार देने वाले बन सकते हैं. सैंटर के माध्यम से स्टार्टअप्स देश को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अहम भूमिका निभाएंगे.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने महिलाओं को उद्यमी बनाने के लिए 10 फीसदी अतिरिक्त अनुदान राशि देने का प्रावधान रखा है. साथ ही, युवा किसान व उद्यमी एबिक सैंटर के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में प्रोसैसिंग, मूल्य संवर्धन, सर्विसिंग, पैकजिंग व ब्रांडिग कर के व्यापार की अपार संभावनाएं तलाश सकते हैं. ये तीनों कार्यक्रम उन को आत्मनिर्भर बनाने में काफी मददगार साबित होंगे. सैंटर से अब तक जुड़े युवा उद्यमी व किसानों ने न केवल अपनी कंपनी का टर्नओवर करोड़ो रुपए तक पहुंचाया है, अपितु उन्होंने दूसरे लोगों को रोजगार भी दिया है.

इस अवसर पर अनुसंधान निदेशक डा. एसके पाहुजा, ओएसडी डा. अतुल ढींगड़ा, प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर डा. राजेश गेरा, मीडिया एडवाइजर डा. संदीप आर्य, एबिक के बिजनेस मैनेजर विक्रम सिंधु व राहुल दुहन मौजूद रहे.

मंडी में गड़बड़झाले पर कृषि सचिव जिम्मेदार, कलक्टर करेंगे निगरानी

कटनी : मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में तुअर के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाए. कोदोकुटकी के रकबे को बढ़ाने से पानीबिजली का उपयोग संतुलित होगा और फसल चक्र में भी सुधार होगा. इसलिए किसानों को कोदोकुटकी की फसल लेने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है. फसल चक्र पर ग्रीष्मकालीन फसल लेने के नकारात्मक प्रभाव से भी किसानों को अवगत कराना जरूरी है.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव कृषक हितग्राही मूलक योजनाओं सहित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और कृषि विविधीकरण के लिए कि जा रहे प्रयासों पर मंत्रालय में आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे. बैठक में किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री ऐदल सिंह कंषाना, मुख्य सचिव मती वीरा राणा उपस्थित थीं.

कृषि उपज मंडी में गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित सचिव होंगे जिम्मेदार

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि कृषि उपज मंडियों की व्यवस्था को चाकचौबंद रखने के लिए वरिष्ठ अधिकारी मंडियों के तौलकांटे, वित्तीय लेनदेन और दूसरी व्यवस्था का आकस्मिक निरीक्षण करें. यह सुनिश्चित किया जाए कि किसानों के हितों से कहीं भी खिलवाड़ न हो और मंडी व्यवस्था के प्रति किसानों का विश्वास बरकरार रहे. कलक्टर कृषि उपज मंडी के संचालन पर भी निगरानी रखें. कहीं पर भी कृषि उपज मंडी में गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित सचिव जिम्मेदार होंगे, उन के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी.

उन्होंने वेयरहाउस निर्माण व उपयोग के प्रावधानों में किसानों के हितों को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक संशोधन करने के निर्देश दिए. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से सीमांत, लघु किसानों को लाभ मिले.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश, जलवायु परिस्थितियों, मिट्टी और फसलों के विविध पैटर्न के साथ संपन्न है. हमारे किसानों की अथक मेहनत से प्रदेश कृषि विकास में सर्वोपरि है. हमारा प्रदेश दलहन व तिलहन के क्षेत्र और  उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है. किसानों की आय में वृद्धि करने और कृषि को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में हम निरंतर प्रयासरत हैं.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से अधिक से अधिक सीमांत व लघु किसानों को लाभ मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुधारात्मक उपाय किए जाएं. रानी दुर्गावती अन्न प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत पौष्टिक अन्न का उत्पादन बढ़ाने और इस की पैदावार करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं.

फसल विविधीकरण को करें प्रोत्साहित

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि धान एवं गेहूं के स्थान पर अन्य लाभकारी फसलें लेने के लिए फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित किया जाए. ऐसी फसलों को बढ़ावा दिया जाए, जो सरकारी खरीद पर निर्भर न हों और जिन का दाम बाजार व निर्यात की मांग से जुड़ा हो.

उन्होंने रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक उर्वरकों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रदेश के सभी क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती को विस्तारित करने संबंधित कार्ययोजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 25 लाख से अधिक किसान हुए लाभान्वित

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में वर्ष 2023-24 में 25 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं. बीमा दावों का भुगतान भी त्वरित किया जा रहा है. अटल कृषि ज्योति योजना में 25 लाख, 61 हजार नि:शुल्क विद्युत प्रदाय योजना में 9 लाख, 21 हजार और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 80 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं.

रानी दुर्गावती अन्न प्रोत्साहन योजना में राज्य मिलेट मिशन में वर्ष 2024-25 में कोदो, कुटकी, रागी और ज्वार के 1166 क्विंटल प्रमाणित बीजों का वितरण किया गया. किसानों को कोदोकुटकी पर 1000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई जा रही है. प्रीपेड वाउचर ई-रूपी से हो रहा है. किसानों को अनुदान भुगतान फसल विविधीकरण में इथेनाल उत्पादन, फसल, सब्जीमसाले आदि के और्गेनिक उत्पादन और अश्वगंधा के उत्पादन में सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं. किसानों को अनुदान भुगतान का क्रियान्वयन प्रीपेड वाउचर ई-रूपी से किया जा रहा है.

किसानों को सस्ते दाम पर कृषि उपकरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश में बनाए जाने वाले 5000 नए कस्टम हायरिंग सैंटर में से 3,964 केंद्र लगाए जा चुके हैं. किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा संचालित अन्य हितग्राही योजनाओं में उपलब्धि संबंधी जानकारी भी दी गई.

बैठक में अपर मुख्य सचिव डा. राजेश राजौरा, कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा, अपर मुख्य सचिव किसान कल्याण अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव वित्त मनीष सिंह और अन्य अधिकारी उपस्थित थे.

किसानों के हित के लिए कलक्टर जमीन पर

खरगोन : पिछले दिनों सनावद में चने की फसल किसानों से खरीद कर उन की राशि न लौटाने वाले व्यापारी अनिल के विरुद्ध प्रशासन ने सख्ती के साथ कार्यवाही की है. जब किसानों का प्रतिनिधिमंडल कलक्टर कार्यालय में ज्ञापन देने पहुंचा, तब कलक्टर कर्मवीर शर्मा स्वयं आ कर जमीन पर बैठे. किसानों से चर्चा करने के लिए बड़वाह विधायक सचिन बिरला और खरगोन विधायक बालकृष्ण पाटीदार के साथ कार्यालय की पैडियों पर नीचे बैठ कर किसानों को प्रशासन की ओर से किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि प्रशासन ने संवेदनशील हो कर किसानों के हित में उक्त प्रकरण को स्वयं संज्ञान में ले कर पीड़ित किसानों की लिस्ट तैयार कर उन की देय राशि की जानकारी प्राप्त की. प्रशासन ने तत्काल संबंधित व्यापारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. व्यापारी व उस के भाई को जेल भेजा गया. उस के बाद संबंधित व्यापारी की संपत्ति कुर्की कर उस की नीलामी कराई जा रही है, जिस से किसानों को उन की राशि का भुगतान किया जा सके. साथ ही, व्यापारी के पिता पर दबाव बना कर उस की शेष संपत्ति बेच कर पैसा लौटाने का प्रयास किया जा रहा है.

व्यापारी की कसरावद, भीकनगांव एवं सनावद की जमीनों की नीलामी की जा कर प्राप्त राशि अनुसार भविष्य में किसानों के खाते में उन की राशि डाली जाएगी. उक्त मामले में जिला प्रशासन ने त्वरित कार्यवाही कर शासन एवं मंडी बोर्ड को भी अवगत कराया है. विधायक बिरला ने कहा कि किसानों का एकएक पैसा उन्हें शीघ्र ही वापस दिलाया जाएगा.

गेंदा का रकबा बढाने के लिए उद्यान विभाग की अनूठी पहल

झाबुआ : कलक्टर नेहा मीना के मार्गदर्शन में उद्यान विभाग द्वारा गेंदे की खेती का रकबा बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिस में विकासखंड थांदला व पेटलावद में ट्रांसफौम रूरल इंडिया फाउंडेशन (टीआरआई) संस्था और कृष्ण संकुल आदिवासी महिला फार्मर प्रोडयुसर कंपनी द्वारा उद्यान विभाग के साथ क्लस्टर तैयार कर गेंदे की खेती को बढ़ावा देने के लिए नवाचार किए गए.

उसी कड़ी में विकासखंड रामा में गेंदे की खेती का रकबा बढ़ाने के लिए विकासखंड अधिकारी मानु चौबे द्वारा इंदौरअहमदाबाद राजमार्ग के आसपास के गांव भंवर पिपलिया, राछवा, कोकावद व भुरा डाबरा के किसानों का चयन कर उन्हें उन्नत किस्म कलकत्ती गेंदे के पौधे किसानों दिए गए.

गेंदे के पौध की कीमत 2.00 रुपए प्रति पौध थी, जिस में से 1.00 रुपए प्रति पौध किसानों के द्वारा व बाकी शेष राशि 1.00 रुपए प्रति पौध विकासखंड अधिकारी मानु चौबे के द्वारा दिए गए. उन्हें बतलाया गया कि विकासखंड रामा में पारंपरिक खेती को छोड़ फूलों की खेती का रकबा बढ़ाने के उदेश्य से किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए मेरे द्वारा प्रति पौधा 1.00 रुपए का सहयोग किया गया. इन किसानों को तकनीकी सहयोग कर गेंदे की खेती करवाई जाएगी और उपज प्राप्त होने पर किसानों से उक्त राशि प्राप्त की जाएगी.

आम की रंगीन किस्में: बढ़े हुए दरों पर मिलेंगे पौधे

बस्ती : देशभर में आम की उन्नत देशी, विदेशी और रंगीन आम की किस्मों के लिए विख्यात उद्यान महकमे के बंजरिया में स्थित ‘इंडोइजरायल औफ एक्सीलेंस फौर फ्रूट’ में तैयार किए जाने वाले कलमी आम के पौधों की दरों में बढ़ोतरी की गई है, वहीँ जिले के बाहर से आने वाले बागबान अब केंद्र में उपलब्ध आम के मदर प्लांट से खरीद कर खुद ही अपने बगीचे में उन्नत किस्मों के पौध तैयार कर सकेंगे. इस के अलावा बंजरिया स्तिथ पौधशाला में पौध उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए भी शासन को प्रस्ताव भेजा गया है.

पौधशाला की क्षमता बढ़ाने के लिए भेजा गया प्रस्ताव

बस्ती के उद्यान महकमे में संयुक्त निदेशक उद्यान वीरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि बंजरिया स्थित इंडोइजरायल औफ एक्सीलेंस फौर फ्रूट आम की उन्नत किस्मों के पौध उत्पादन के उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश में अग्रणी है.

उन्होंने बताया कि केंद्र पर वेंटीलेटेड पौलीहाउस व नेटहाउस तैयार होने वाले पौधों को सरकारी रेट पर उपलब्ध कराया जाता है. उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र के पौध उत्पादन की क्षमता तकरीबन 30,000 पौधों की है, जबकि यहां उत्तर प्रदेश के जिलों के अलावा देश के तमाम हिस्सों से लोग आम के पौधे खरीदने आते हैं. ऐसे में मांग की अपेक्षा अभी भी पौधे तैयार नहीं हो पा रहे हैं. इसीलिए पौधशाला में पौध उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए भी शासन को प्रस्ताव भेजा गया है. अगर शासन द्वारा प्रस्ताव स्वीकार किया गया, तो केंद्र के पौधशाला के पौध उत्पादन की क्षमता दोगुनी हो जाएगी.

संयुक्त निदेशक उद्यान, बस्ती, वीरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि पिछले कई वर्षों से पौधशाला में बहुत कम दाम पर आम के पौधे किसानों और बागबानों को उपलब्ध कराया जा रहा था, जबकि पौधों के तैयार करने की लागत बिक्री दर से दोगुने से भी ज्यादा थी. इसलिए निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, उत्तर प्रदेश ने पत्र प्रेषित कर केंद्र में तैयार होने वाले आम के पौधों की दरों में संशोधन किया है.

संयुक्त निदेशक उद्यान वीरेंद्र सिंह यादव ने कहा कि केंद्र पर तैयार होने वाले आम के रंगीन पौधे जैसे अंबिका, अरुनिका, पूसा सूर्या, पूसा श्रेष्ठ, पूसा लालिमा, पूसा पीतांबर, पूसा प्रतिभा, टौमी एटकिंस, सेंसेशन, पूसा मनोहरी सहित एक्सपोर्ट किस्मों की पौध तैयार करने की लागत दर तकरीबन 120 रुपए आती है, जिसे अब 122 रुपए प्रति पौध की दर से बेचा जाएगा, वहीँ आम की परंपरागत किस्में जैसे दशहरी, वाराणसी लंगड़ा, लखनऊ सफेदा सहित अन्य किस्मों की लागत दर सौ की अपेक्षा 102 रुपए में उपलब्ध होंगी.

बाहर के किसान घर पर तैयार कर सकेंगे पौधे

संयुक्त निदेशक उद्यान वीरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि जिले व राज्य से बाहर के किसानों के लिए यहां से तैयार पौधों को खरीद कर ले जाने में परेशानी होती थी, क्योंकि एक पौध में तकरीबन 6 किलोग्राम मिट्टी का उपयोग होता है. ऐसे में परिवहन के दौरान पौधों के नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती थी. लेकिन अब किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आम के मदर प्लांट से पौधे खरीद कर खुद ही अपने घर पर लगाने की सुविधा प्रदान की गई है.

उन्होंने बताया कि केंद्र द्वारा इस सुविधा के शुरू किए जाने से रंगीन आम की किस्मों के पौधों की डिमांड पूरी करने की समस्या का समाधान किया जा सकेगा.

एक पौध में कई किस्मों के आम का पौध भी होता है तैयार, तय हुआ बिक्री मूल्य

संयुक्त निदेशक उद्यान, बस्ती, वीरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि केंद्र में एक मूलवृंत यानी बीजू पौधे में ग्राफ्टिंग द्वारा 4 से 6 किस्मों के पौधों की कलम बांधी जा रही है, जिस में एक पौधे के वास्तविक बिक्री मूल्य के साथ प्रति ग्राफ्ट 50 रुपया अतरिक्त भुगतान करना होगा.

उन्होंने बताया कि बस्ती के बंजरिया स्थित पौधशाला के पौधों की गुणवत्ता और किस्मों के चलते हर रोज सैकड़ों की संख्या में बाहर से बागबान पौधे खरीदने आते हैं. स्थानीय और बाहर से आने वाले सभी लोगों को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े, इस के लिए महकमा उन का पूरा खयाल रखता है.

उन्होंने बताया कि बस्ती का उद्यान विभाग पौधों की बिक्री से प्रदेश में सब से ज्यादा राजस्व अर्जित करने वाली पौधशालाओं में शामिल है, जिसे दोगुना करने का प्रयास किया जा रहा है.

जैविक उत्पादन में मध्य प्रदेश की 40 फीसदी और उद्यानिकी में  11 फीसदी भागीदारी

ग्वालियर : उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निवेशकों के लिए मध्य प्रदेश के द्वार सदैव खुले हैं. प्रदेश में निवेश के बेहतर माहौल और भौगोलिक परिस्थितियों का लाभ उद्यमी उठा सकते हैं. यह बात उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने भोपाल में आयोजित खाद्य प्रसंस्करण और कृषि व्यवसाय शिखर सम्मेलन के अवसर पर कही.

मंत्री  नारायण सिंह कुशवाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में 27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 400 लाख मीट्रिक टन उद्यानिकी फसलों का उत्पादन होता है. देश में मध्य प्रदेश उद्यानिकी उत्पादन में 11 फीसदी, कृषि उत्पादन में 10 फीसदी और दुग्ध उत्पादन में 9 फीसदी उल्लेखनीय भागीदारी दर्ज करता है. मध्य प्रदेश देश में टमाटर उत्पादन में पहला और मिर्च, प्याज के उत्पादन में दूसरा स्थान रखता है.

उन्होंने आगे कहा कि विश्व बाजार में प्राकृतिक एवं जैविक उत्पादों की अत्यधिक मांग है. देश में कुल जैविक उत्पादन में मध्य प्रदेश की 40 फीसदी हिस्सेदारी है. इस से साफ है कि मध्य प्रदेश उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भागीदारी रखता है.

मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने सम्मेलन में भाग ले रहे व्यवसायियों से अपील की कि वह प्रदेश में उद्यानिकी फसलों पर आधारित व्यावसायिक गतिविधियों में निवेश करें. राज्य सरकार उन की भरपूर मदद करेगी.

उन्होंने आगे कहा कि मध्य प्रदेश में विगत वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में छोटीबड़ी 2400 इकाइयों को राज्य सरकार द्वारा 214 करोड़ की अनुदान सहायता दी गई है.

फूलों की खेती से 8 लाख सालाना कमाई

नालंदा : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के कुलपति डा. डीआर सिंह एवं निदेशक प्रसार, शिक्षा, डा. आरके सोहाने के द्वारा नालंदा जिले के प्रगतिशील किसान आलोक आनंद, पिता बीरेंद्र कुमार सिन्हा, ग्राम- मेद्यी, प्रखंड – बिहारशरीफ में संरक्षित खेती के अंतर्गत तकरीबन 1 एकड़ में जरबेरा फूल एवं 3 पौलीहाउस, रकबा 2 एकड़ में गुलाब फूल की खेती का भ्रमण किया एवं किसान  की दूसरी गतिविधियों से भी रूबरू हुए.

किसान आलोक आनंद से फूलों की मार्केटिंग के बारे में बात की, तो उन्होंने बताया कि हमें जरबेरा फूल की मार्केटिंग में कोई दिक्कत नहीं है, साथ ही, इन के यहां फूलों को स्टोर करने के लिए कूल चैंबर का इंतजाम है.

किसान आलोक आनंद ने बताया कि फूलों की खेती से तकरीबन 7-8 लाख की शुद्ध वार्षिक आमदनी हो जाती है. इस के अलावा वह तकरीबन 6 एकड़ में शिमला मिर्च, 2 एकड़ में केला प्रभेद जी-9 की खेती कर रहे हैं, जिस का कुलपति डा. डीआर सिंह ने अवलोकन किया और अधिक मेहनत कर के नौजवानों के लिए रोल मौडल बने.

इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र, हरनौत, नालंदा के डा. उमेश नारायण ‘उमेश’, वैज्ञानिक, मृदा विज्ञान एवं कुमारी विभा रानी, वैज्ञानिक, उद्यान भी उपस्थित थे.

खरीफ मौसम में बोनी का लक्ष्य तय

ग्वालियर : मौजूदा खरीफ मौसम में जिले में 1 लाख, 81 हजार, 500 हेक्टेयर रकबे में बोनी का लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले साल के खरीफ मौसम से 11 हजार, 778 हेक्टेयर अधिक है.

पिछले साल जिले में 1 लाख, 69 हजार, 722 हेक्टेयर रकबे में बोनी हुई थी. धान, ज्वार, मक्का, बाजरा, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, तिल व सोयाबीन जिले की प्रमुख खरीफ फसलें हैं.

कलक्टर मती रुचिका चौहान ने खरीफ मौसम में किसानों को खादबीज की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश किसान कल्याण व कृषि विकास विभाग के अमले को दिए हैं. उन्होंने कहा है कि किसानों को मानक खाद व बीज मिले, इस के लिए लगातार आदान की दुकानों से सैंपल ले कर जांच कराई जाए. साथ ही, किसानों को निर्धारित दर पर खाद व बीज उपलब्ध कराएं.

उपसंचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास  आरएस शाक्यवार से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मौजूदा खरीफ मौसम में जिले में 90,000 हेक्टेयर रकबे में धान की बोनी का लक्ष्य रखा गया है. इसी तरह 30,000 हेक्टेयर में ज्वार, 35,000 हेक्टेयर में बाजरा, 8,000 हेक्टेयर में मूंग, 12,000 हेक्टेयर में उड़द व 5,000 हेक्टेयर रकबे में तिल की बोनी का लक्ष्य है. खरीफ मौसम में इस साल 600 हेक्टेयर रकबे में सोयाबीन, 300 हेक्टेयर में मूंगफली, 400 हेक्टेयर में अरहर व 200 हेक्टेयर रकबे में मक्का की फसल लेने का लक्ष्य रखा गया है.

खरीफ मौसम में जिले में बोनी के लिए निर्धारित 1 लाख, 81 हजार, 500 हेक्टेयर बोनी के लक्ष्य में से विकासखंड मुरार में 45 हजार, 300, घाटीगांव में 20 हजार, 700, डबरा में 54 हजार, 500 एवं विकासखंड भितरवार में 61 हजार हेक्टेयर रकबे में बोनी प्रस्तावित है.

मेंड़ नाली पद्धति से बोनी

अशोक नगर : उपसंचालक, कृषि, केएस कैन ने बताया कि अशोक नगर विकासखंड के गांव फरदई में नवाचार के रूप में किसान  मेहरबान सिंह रघुवंशी के खेत में सोयाबीन की बोआई की नवीन तकनीकी मेंड़ नाली पद्धति से बोनी का प्रदर्शन किया गया. इस पद्धति में प्रत्येक 2 कतारों के बीच नाली बनती है, जिस से फसल की कतारें मेंड़ पर आ जाती हैं.

इस विधि में अत्यधिक वर्षा की स्थिति में जल भराव की स्थिति नहीं होती है और बोआई के तुरंत बाद तेज वर्षा होने पर बीज अंकुरण प्रभावित नहीं होता. साथ ही, किसानों को दोबारा बोनी नहीं करनी पड़ती है एवं कम वर्षा होने पर भी कोई नुकसान नहीं होता है.

उन्होंने बताया कि इस पद्धति से पौधों को पर्याप्त मात्रा में हवा एवं प्रकाश मिलता है और कीट व रोग भी कम लगते हैं. इस तकनीकी से बोनी करने से लगभग 20 से 25 फीसदी उत्पादन में वृद्धि हो जाती है. जिले के किसानों से अपील है कि मेंड़ नाली पद्धति से बोआई करें और अच्छा उत्पादन प्राप्त करें.

इस अवसर पर सहायक कृषि यंत्री सुखराम उईके, शैलेंद्र यादव और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी मुकेश रघुवंशी एवं अन्य ग्रामीण लोग उपस्थित रहे.