जैविक उत्पादन में मध्य प्रदेश की 40 फीसदी और उद्यानिकी में  11 फीसदी भागीदारी

ग्वालियर : उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निवेशकों के लिए मध्य प्रदेश के द्वार सदैव खुले हैं. प्रदेश में निवेश के बेहतर माहौल और भौगोलिक परिस्थितियों का लाभ उद्यमी उठा सकते हैं. यह बात उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने भोपाल में आयोजित खाद्य प्रसंस्करण और कृषि व्यवसाय शिखर सम्मेलन के अवसर पर कही.

मंत्री  नारायण सिंह कुशवाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में 27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 400 लाख मीट्रिक टन उद्यानिकी फसलों का उत्पादन होता है. देश में मध्य प्रदेश उद्यानिकी उत्पादन में 11 फीसदी, कृषि उत्पादन में 10 फीसदी और दुग्ध उत्पादन में 9 फीसदी उल्लेखनीय भागीदारी दर्ज करता है. मध्य प्रदेश देश में टमाटर उत्पादन में पहला और मिर्च, प्याज के उत्पादन में दूसरा स्थान रखता है.

उन्होंने आगे कहा कि विश्व बाजार में प्राकृतिक एवं जैविक उत्पादों की अत्यधिक मांग है. देश में कुल जैविक उत्पादन में मध्य प्रदेश की 40 फीसदी हिस्सेदारी है. इस से साफ है कि मध्य प्रदेश उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भागीदारी रखता है.

मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने सम्मेलन में भाग ले रहे व्यवसायियों से अपील की कि वह प्रदेश में उद्यानिकी फसलों पर आधारित व्यावसायिक गतिविधियों में निवेश करें. राज्य सरकार उन की भरपूर मदद करेगी.

उन्होंने आगे कहा कि मध्य प्रदेश में विगत वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में छोटीबड़ी 2400 इकाइयों को राज्य सरकार द्वारा 214 करोड़ की अनुदान सहायता दी गई है.

फूलों की खेती से 8 लाख सालाना कमाई

नालंदा : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के कुलपति डा. डीआर सिंह एवं निदेशक प्रसार, शिक्षा, डा. आरके सोहाने के द्वारा नालंदा जिले के प्रगतिशील किसान आलोक आनंद, पिता बीरेंद्र कुमार सिन्हा, ग्राम- मेद्यी, प्रखंड – बिहारशरीफ में संरक्षित खेती के अंतर्गत तकरीबन 1 एकड़ में जरबेरा फूल एवं 3 पौलीहाउस, रकबा 2 एकड़ में गुलाब फूल की खेती का भ्रमण किया एवं किसान  की दूसरी गतिविधियों से भी रूबरू हुए.

किसान आलोक आनंद से फूलों की मार्केटिंग के बारे में बात की, तो उन्होंने बताया कि हमें जरबेरा फूल की मार्केटिंग में कोई दिक्कत नहीं है, साथ ही, इन के यहां फूलों को स्टोर करने के लिए कूल चैंबर का इंतजाम है.

किसान आलोक आनंद ने बताया कि फूलों की खेती से तकरीबन 7-8 लाख की शुद्ध वार्षिक आमदनी हो जाती है. इस के अलावा वह तकरीबन 6 एकड़ में शिमला मिर्च, 2 एकड़ में केला प्रभेद जी-9 की खेती कर रहे हैं, जिस का कुलपति डा. डीआर सिंह ने अवलोकन किया और अधिक मेहनत कर के नौजवानों के लिए रोल मौडल बने.

इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र, हरनौत, नालंदा के डा. उमेश नारायण ‘उमेश’, वैज्ञानिक, मृदा विज्ञान एवं कुमारी विभा रानी, वैज्ञानिक, उद्यान भी उपस्थित थे.

खरीफ मौसम में बोनी का लक्ष्य तय

ग्वालियर : मौजूदा खरीफ मौसम में जिले में 1 लाख, 81 हजार, 500 हेक्टेयर रकबे में बोनी का लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले साल के खरीफ मौसम से 11 हजार, 778 हेक्टेयर अधिक है.

पिछले साल जिले में 1 लाख, 69 हजार, 722 हेक्टेयर रकबे में बोनी हुई थी. धान, ज्वार, मक्का, बाजरा, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, तिल व सोयाबीन जिले की प्रमुख खरीफ फसलें हैं.

कलक्टर मती रुचिका चौहान ने खरीफ मौसम में किसानों को खादबीज की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश किसान कल्याण व कृषि विकास विभाग के अमले को दिए हैं. उन्होंने कहा है कि किसानों को मानक खाद व बीज मिले, इस के लिए लगातार आदान की दुकानों से सैंपल ले कर जांच कराई जाए. साथ ही, किसानों को निर्धारित दर पर खाद व बीज उपलब्ध कराएं.

उपसंचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास  आरएस शाक्यवार से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मौजूदा खरीफ मौसम में जिले में 90,000 हेक्टेयर रकबे में धान की बोनी का लक्ष्य रखा गया है. इसी तरह 30,000 हेक्टेयर में ज्वार, 35,000 हेक्टेयर में बाजरा, 8,000 हेक्टेयर में मूंग, 12,000 हेक्टेयर में उड़द व 5,000 हेक्टेयर रकबे में तिल की बोनी का लक्ष्य है. खरीफ मौसम में इस साल 600 हेक्टेयर रकबे में सोयाबीन, 300 हेक्टेयर में मूंगफली, 400 हेक्टेयर में अरहर व 200 हेक्टेयर रकबे में मक्का की फसल लेने का लक्ष्य रखा गया है.

खरीफ मौसम में जिले में बोनी के लिए निर्धारित 1 लाख, 81 हजार, 500 हेक्टेयर बोनी के लक्ष्य में से विकासखंड मुरार में 45 हजार, 300, घाटीगांव में 20 हजार, 700, डबरा में 54 हजार, 500 एवं विकासखंड भितरवार में 61 हजार हेक्टेयर रकबे में बोनी प्रस्तावित है.

मेंड़ नाली पद्धति से बोनी

अशोक नगर : उपसंचालक, कृषि, केएस कैन ने बताया कि अशोक नगर विकासखंड के गांव फरदई में नवाचार के रूप में किसान  मेहरबान सिंह रघुवंशी के खेत में सोयाबीन की बोआई की नवीन तकनीकी मेंड़ नाली पद्धति से बोनी का प्रदर्शन किया गया. इस पद्धति में प्रत्येक 2 कतारों के बीच नाली बनती है, जिस से फसल की कतारें मेंड़ पर आ जाती हैं.

इस विधि में अत्यधिक वर्षा की स्थिति में जल भराव की स्थिति नहीं होती है और बोआई के तुरंत बाद तेज वर्षा होने पर बीज अंकुरण प्रभावित नहीं होता. साथ ही, किसानों को दोबारा बोनी नहीं करनी पड़ती है एवं कम वर्षा होने पर भी कोई नुकसान नहीं होता है.

उन्होंने बताया कि इस पद्धति से पौधों को पर्याप्त मात्रा में हवा एवं प्रकाश मिलता है और कीट व रोग भी कम लगते हैं. इस तकनीकी से बोनी करने से लगभग 20 से 25 फीसदी उत्पादन में वृद्धि हो जाती है. जिले के किसानों से अपील है कि मेंड़ नाली पद्धति से बोआई करें और अच्छा उत्पादन प्राप्त करें.

इस अवसर पर सहायक कृषि यंत्री सुखराम उईके, शैलेंद्र यादव और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी मुकेश रघुवंशी एवं अन्य ग्रामीण लोग उपस्थित रहे.

छत्तीसगढ़ में मक्का और सोयाबीन को मिलेगा बढ़ावा

नई दिल्ली: 1 जुलाई, 2024. देश में कृषि क्षेत्र की तेजी से प्रगति हो, इस बात को ध्यान में रख कर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यवार चर्चा की पहल की है, जिस के तहत नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रामविचार नेताम सहित आए उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ केंद्रीय मंत्री ने बैठक की.

इस दौरान छत्तीसगढ़ में दलहन, तिलहन, बागबानी आदि को बढ़ावा देने के साथ ही कृषि एवं किसान कल्याण से जुड़े दूसरे अनेक विषयों पर चर्चा हुई. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में किसानों व कृषि क्षेत्र का हित हमारे लिए सर्वोपरि है और इसी के तहत छत्तीसगढ़ को केंद्र सरकार हरसंभव मदद देती रहेगी.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की छत्तीसगढ़ के मंत्री रामविचार नेताम के साथ प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, दलहन, तिलहन, बागबानी, नमो ड्रोन दीदी, औयल पाम मिशम सहित भारत सरकार की दूसरी योजनाओं व कामक्रमों पर चर्चा हुई.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसानों को केंद्र के स्तर पर कोई समस्या नहीं आने दी जाएगी. इस के लिए केंद्र व राज्य सरकार मिलजुल कर काम करते रहेंगे. उन्होंने आश्वासन दिया कि छत्तीसगढ़ के विकास के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग अपने स्तर पर पूरा सहयोग देगा. उन्होंने दलहन व तिलहन को प्रोत्साहित करने की केंद्र सरकार की नीति का उल्लेख भी किया.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में मक्का व सोयाबीन को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध है. खरीफ सीजन में खादबीज आदि आदानों की पर्याप्त उपलब्धता रहेगी. इस के लिए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को दिशानिर्देश दिए. इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण सचिव संजीव चोपड़ा सहित केंद्र व राज्य के कृषि एवं बागबानी विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.

उद्यानिकी विभाग की योजनाओं के लिए करें पंजीयन

अनुपपुर : अनूपपुर जिले में उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्य प्रदेश भोपाल के द्वारा संचालित योजनाओं में प्रदाय लक्ष्यानुसार लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों के पंजीयन के लिए औनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं.

अनूपपुर जिले में वर्ष 2024-25 में फल पौध रोपण योजना, संकर सब्जी क्षेत्र विस्तार, संकर मसाला क्षेत्र विस्तार, संकर पुष्प क्षेत्र विस्तार, संरक्षित खेती एवं ड्रिप, मिनी/माइक्रो स्प्रिंकलर, पोर्टेबल स्प्रिंकलर उद्या निकी विभाग की विभिन्न योजनाओं का लाभ किसान उठा सकते हैं.

जिले के समस्त किसान अपनेअपने विकासखंड अधिकारी से संपर्क कर पंजीयन के लिए के लिए औनलाइन आवेदन कर सकते हैं. वहीं दूसरी ओर विकासखंड, पुष्पराजगढ़ के किसान बिपिन कुमार वर्मा के मोबाइल नंबर 8643048280, विकासखंड, जैतहरी के किसान माखनलाल प्रजापति के मोबाइल नंबर 9424700738, विकासखंड, कोतमा के किसान दीपक कुमार बुनकर के मोबाइल नंबर 7828835021 एवं विकासखंड, अनूपपुर के किसान सरदार सिंह चौहान के मोबाइल नंबर 7000937796 पर पंजीयन के संबंध में बातचीत कर अधिक जानकारी ले सकते हैं.

पंजीयन के लिए mpfsts.mp.gov.in पोर्टल पर किसान खुद या किसी भी औनलाइन सेवा केंद्र में जा कर पंजीयन करा सकते हैं. पंजीयन के लिए बैंक की पासबुक, मोबाइल नंबर, खसरा बी-1, आधारकार्ड, फोटो एवं अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जाति वर्ग के लिए जाति प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है.

Wild Elephants : जंगली हाथियों से सताए गांव वालों को मिली मदद

अनुपपुर : जंगली हाथियों से प्रभावित गांवों के किसानों के मकानों की क्षति होने पर राज्य शासन के प्रावधान अनुसार कलक्टर आशीष वशिष्ठ के दिशानिर्देशानुसार प्रभावित गांव वालों को राजस्व पुस्तक परिपत्र खंड 6 (4) के अनुसार, आर्थिक सहायता राशि स्वीकृत कर प्रदान की गई है. तहसील जैतहरी के प्रभारी तहसीलदार अनुपम पांडे द्वारा बताया गया है कि जंगली हाथी द्वारा ग्राम चोलना के 2 मकान प्रभावित, गांव पगना के 2 मकान, ग्राम ठेही का 1 मकान और गांव गौरेला के 2 मकान प्रभावित हुए. किसानों को कुल 7 मकान क्षति प्रभावित किसानों को 37 हजार, 500 रुपए की राहत राशि उन के बैंक खातों में भेजी गई है.

जंगली हाथी से प्रभावित क्षेत्रों में क्षति के आकलन के संबंध में कलक्टर आशीष वशिष्ठ द्वारा निर्देश दिए गए हैं. इस के परिपालन में राजस्व अधिकारियों द्वारा प्रभावित गांवों में शिविर कर जरूरी जानकारी इकट्ठी की गई. जंगली हाथियों से प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा मानकों का ध्यान रखने और सुरक्षात्मक जरूरी सलाह भी गांव वालों दी गई.

गांव वालों को आश्वस्त किया गया कि किसी भी तरह की जरूरत होने पर जिला प्रशासन द्वारा गांव वालों की हर मुमकिन मदद सुनिश्चित की जाएगी. शिविर के दौरान राजस्व अधिकारियों ने गांव वालों को शासन के निर्देशानुसार हर संभव आर्थिक मदद उपलब्ध कराए जाने की बात कही.

कृषि वैज्ञानिक डा. टीआर शर्मा बने आईएआरआई के निदेशक, मिला अतिरिक्त प्रभार संभाला

नई दिल्ली : आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली को यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान) डा. टीआर शर्मा ने आईएआरआई, नई दिल्ली के निदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभाला है. उन्होंने पूर्व निदेशक डा. अशोक के. सिंह से प्रभार ग्रहण किया.
प्रभार ग्रहण समारोह में आईएआरआई नेतृत्व टीम के प्रतिष्ठित सदस्य, जिन में संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) डा. चिन्नुसामी विश्वनाथन, डीन और संयुक्त निदेशक (शिक्षा) डा. अनुपमा सिंह और संयुक्त निदेशक (प्रसार) डा. आरएन पडारिया सहित संस्थान के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे.

डा. टीआर शर्मा कृषि विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रमुख हस्ती हैं, जिन्होंने फसल विज्ञान और पादप जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन के नेतृत्व में आईएआरआई को कृषि अनुसंधान में नवाचार और उत्कृष्टता के नए आयाम प्राप्त होने की उम्मीद है.

इस अवसर पर डा. टीआर शर्मा ने आईएआरआई का नेतृत्व करने के अवसर के लिए आभार व्यक्त किया. उन्होंने खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि प्रथाओं की बदलती चुनौतियों का सामना करने के लिए कृषि अनुसंधान में सहयोगात्मक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया.

आईएआरआई समुदाय पूर्व निदेशक डा. अशोक के. सिंह को उन की सेवा और कार्यकाल के दौरान कृषि अनुसंधान और नवाचार में उन के उत्कृष्ट योगदान के लिए धन्यवाद किया.
डा. टीआर शर्मा की दृष्टि और विशेषज्ञता से संस्थान के अग्रणी अनुसंधान, शिक्षा और कृषि क्षेत्र में विस्तार के मिशन को आगे बढ़ाने की उम्मीद है. आईएआरआई टीम इस नए अध्याय के प्रति उत्साहित है और डा. टीआर शर्मा के मार्गदर्शन में निरंतर प्रगति और उपलब्धियों की आशा करती है.

‘कृषि कथा’ लौंच : सफलता की कहानियों को मिलेगा बढ़ावा

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ‘कृषि कथा’ लौंच की, जो भारतीय किसानों की आवाज को प्रदर्शित करने के लिए एक डिजिटल प्लेटफार्म के रूप में काम करने वाली एक ब्लौगसाइट है, जो देशभर के किसानों के अनुभवों, अंतर्दृष्टियों और सफलता की कहानियों को बढ़ावा देने के लिए है.
मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारतीय कृषि के विशाल और विविध परिदृश्य में किसानों की आवाज और कहानियां अकसर अनकही रह जाती हैं. हर फसल, हर खेत और हर फसल के पीछे दृढ़ता, संघर्ष, चुनौतियों और विजय की कहानी छिपी होती हैं. ‘कृषि कथा’ का उद्देश्य एक व्यापक और सजीव कथा मंच प्रदान करना है, जहां भारत के कृषि समुदाय की कहानियों को साझा और मनाया जा सके.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘कृषि कथा’ का शुभारंभ हमारे किसानों की आवाज को पहचानने और बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने जोर दे कर कहा कि उन की दृढ़ता और नवाचार की कहानियां हमारे कृषि क्षेत्र की नींव हैं और विश्वास व्यक्त किया कि यह मंच दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा. इस पहल के उद्देश्यों से जागरूकता बढ़ाने, ज्ञान के आदानप्रदान को सुविधाजनक बनाने, सहयोग को बढ़ावा देने और किसानों को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी.

‘कृषि कथा’ पर उजागर किसानों की आवाजें या कहानियां हमें बताती हैं कि कैसे किसानों ने नवीन कृषि विधियों का उपयोग किया है और अपनी कृषि प्रथाओं में सहायता के लिए सरकारी योजनाओं से लाभ उठाया है, साथ ही साथ सामुदायिकचालित कृषि की परिवर्तनकारी शक्ति की कहानियां भी साझा की हैं. इस का उद्देश्य भारतीय किसानों की कहानियों को प्रेरित करना और प्रदर्शित करना, खेती के पेशे में गर्व की भावना पैदा करना और किसानों में दृढ़ता को बढ़ावा देना है. संक्षेप में यह भारत की खेती और किसानों का जश्न मनाने के लिए एक मंच प्रदान करता है.

कृषि अवसंरचना कोष योजना को साल 2020 में शुरू किया गया था, जिस का उद्देश्य फसल कटाई के बाद प्रबंधन अवसंरचना के विकास के लिए नुकसान को कम करना, किसानों को बेहतर मूल्य का एहसास दिलाना, कृषि में नवाचार और कृषि अवसंरचना के निर्माण के लिए निवेश आकर्षित करना है.

इस योजना के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से साल 2025-26 तक 1 लाख करोड़ की कुल राशि उपलब्ध कराई गई है. इस योजना में बैंकों द्वारा दिए गए 2 करोड़ तक के लोन के लिए 3 फीसदी ब्याज अनुदान और बैंकों द्वारा भुगतान की गई क्रेडिट गारंटी शुल्क की अदायगी का प्रावधान है.

किसानों के क्रेडिट दावों के निबटान के लिए पोर्टल शुरू

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) के अंतर्गत बैंकों द्वारा प्रस्तुत ब्याज अनुदान दावों के निबटान की प्रक्रिया को स्वचालित और तेज करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और नाबार्ड द्वारा संयुक्त रूप से विकसित वैब पोर्टल का शुभारंभ किया. इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, नाबार्ड के अध्यक्ष, किसान कल्याण विभाग और बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.

इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है. उन्होंने कहा कि कृषि अवसंरचना कोष को पीएम मोदी द्वारा 1 लाख करोड़ रुपए की फंडिंग के साथ लौंच किया गया था, ताकि फसलों के भंडारण की क्षमता बढ़ाई जा सके और किसानों के नुकसान को कम किया जा सके.

उन्होंने आगे कहा कि नए लौंच किए गए क्रेडिट दावों के स्वचालन से दावों का निबटान एक दिन के भीतर सुनिश्चित हो जाएगा, जो अन्यथा मैन्युअल निबटान के लिए महीनों लगते थे. इस कदम से पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी और भ्रष्ट तरीकों पर रोक लगेगी.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों के अनुभव साझा करने वाले नए पोर्टल से किसान समुदाय एकदूसरे के अनुभवों से लाभान्वित हो सकेगा. उन्होंने कहा कि कई किसान स्वयं प्रयोग कर रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि आज तक कृषि अवसंरचना कोष के तहत 67,871 परियोजनाओं के लिए 43,000 करोड़ रुपए पहले ही स्वीकृत किए जा चुके हैं,₹72,000 करोड़ रुपए के निवेश को जुटाया गया है. इस के अतिरिक्त बैंक ब्याज सबवेंशन दावों के त्वरित निबटान की उम्मीद कर सकते हैं.

शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि स्वचालित प्रणाली पोर्टल के माध्यम से सटीक पात्र ब्याज अनुदान की गणना में मदद करेगी, जिस से मैन्युअल प्रसंस्करण में संभावित मानव त्रुटियों से बचा जा सकेगा और दावों का तेजी से निबटान भी होगा. इस पोर्टल का उपयोग बैंक, कृषि और किसान कल्याण विभाग का केंद्रीय परियोजना प्रबंधन इकाई (CPMU) और नाबार्ड करेंगे. ब्याज अनुदान दावा और क्रेडिट गारंटी शुल्क दावा प्रसंस्करण का स्वचालन सरकार को सटीक ब्याज अनुदान जारी करने, बदलाव का समय कम करने और बदले में किसानों और कृषि उद्यमियों को वित्तीय रूप से मदद करने और उन्हें देश में कृषि के विकास के लिए अधिक परियोजनाएं लेने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद करेगा.