फसल विविधिकरण (Crop Diversification) है लाभकारी

बीजोलिया, भीलवाड़ा में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय के अंतर्गत फसल विविधीकरण परियोजना के तहत दो दिवसीय विस्तार अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. यह कार्यक्रम ‘दक्षिणी राजस्थान में फसल विविधिकरण के माध्यम से कृषि स्थिरता और लाभप्रदता बढ़ाना’ शीर्षक के तहत पायलट प्रोजैक्ट के रूप में आयोजित किया जा रहा है.

इस कार्यक्रम का उद्देश्य अधिकारियों को फसल विविधिकरण के नवीनतम तरीकों और तकनीकों से अवगत कराना है, ताकि वे किसानों को बेहतर कृषि स्थिरता और आर्थिक लाभ प्राप्त करने में सहायता कर सकें. कार्यक्रम में उपस्थित विशेषज्ञों ने फसल विविधिकरण के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान दिए और बताया कि किस प्रकार यह रणनीति दक्षिणी राजस्थान के किसानों को बेहतर लाभप्रदता और दीर्घकालिक कृषि स्थिरता प्राप्त करने में मदद कर सकती है.

परियोजना प्रभारी डा. हरि सिंह ने फसल विविधिकरण को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निबटने और मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए आवश्यक बताया. उन्होंने सफल मामलों के अध्ययन प्रस्तुत किए और जमीनी स्तर पर इन रणनीतियों को लागू करने के व्यावहारिक सुझाव दिए.

उदय लाल कोली, कृषि अधिकारी ने फसल विविधिकरण के आर्थिक लाभों पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि किस प्रकार किसान संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग कर सकते हैं और एकल फसल प्रणाली से जुड़े जोखिमों को कम कर सकते हैं. उन्होंने विस्तार अधिकारियों को किसानों को एक अधिक विविधीकृत फसल प्रणाली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिस से उन की आय और बाजार के उतारचढ़ाव के खिलाफ स्थिरता बढ़ सके.

कृषि अधिकारी सोनिया सिलवाटिया ने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों, विस्तार अधिकारियों और किसानों के बीच सहयोग किस प्रकार फसल विविधिकरण के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त करने में मदद कर सकता है.

लक्ष्मी लाल ब्रह्मभट्ट ने फसल विविधिकरण के कार्यान्वयन के लिए एक विस्तृत योजना प्रस्तुत की. उन्होंने किसानों की मदद के लिए उपलब्ध सरकारी योजनाओं पर जानकारी प्रदान दी.

फसल विविधिकरण (Crop Diversification)

यह कार्यक्रम अत्यंत जानकारीपूर्ण रहा और प्रतिभागियों ने अपनेअपने क्षेत्रों में इस ज्ञान को लागू करने की उत्सुकता व्यक्त की, ताकि फसल विविधिकरण के माध्यम से कृषि स्थिरता और लाभप्रदता में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके.

राजधानी लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों का सम्मान

लखनऊ : ‘फार्म एन फूड’ पत्रिका द्वारा पहली बार बड़े लेवल पर राज्य स्तरीय ‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया. इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से 200 से ज्यादा किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार व तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय ‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ से सम्मानित किया गया.

इस कार्यक्रम में डा. पूजा गौड़, डा. हिरेशा वर्मा, वंदना सिंह, कर्नल हरिश्चंद्र सिंह, राम मूर्ति मिश्र, अचल मिश्र, मिलन शर्मा, अरविंद सिंह सहित खेती में खास करने वाले तकरीबन 40 किसान शामिल रहे.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिनेश प्रताप सिंह, राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि ने कहा, “मेरी सभी विजेताओं को बधाई. मैं ‘फार्म एन फूड’ पत्रिका के इस कदम को सराहनीय मानता हूं, जिस ने किसानों को सम्मानित किया है. खेती के क्षेत्र में बड़ी संभावना है. इसी वजह से उत्तर प्रदेश का आम विदेशों में जा रहा है. हम दूसरे उत्पादों को भी दुनियाभर में भेज रहे हैं. इस से हमारे किसानों का उत्साह बढ़ रहा है. आज के नौजवान अपने कृषि उत्पादों को ग्लोबल बना सकते हैं. आगरा में ऐसा नवीनतम अनुसंधान केंद्र बनने जा रहा है, जो देश में कृषि जगत में क्रांति ला सकता है. परंपरागत खेती के साथसाथ हमें खेती में नवाचार भी अपनाना चाहिए, जो किसान की आमदनी बढ़ा सकती है.”

Farm n Food Award

इस पर मौके पर जल संरक्षण पर काम करने वाले ‘पद्मश्री’ अवार्डी उमाशंकर पांडेय ने कहा कि वातावरण में मौजूद अधिकांश पानी प्रदूषित हो गया है, अशुद्ध हो गया है. उन्होंने यह भी कहा कि किसान अन्नदाता है, स्वराज्य का मुखिया है. हमें किसानों के लिए, उन की आवश्यकताओं के लिए तैयार रहना चाहिए. हमारा देश कृषि प्रधान है. मैं दिल्ली प्रैस को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने लखनऊ में राज्य स्तरीय पुरस्कार दे कर किसानों को सम्मानित किया है. किसानों का सम्मान करना गौरव की बात है.

दिल्ली प्रैस के कार्यकारी प्रकाशक अनंत नाथ ने कहा, “मेरे लिए खेती के बारे में जानना और समझना एक छात्र के जैसा है, जो मुझ में इस क्षेत्र को ले कर उत्सुकता पैदा करता है. यहां उपस्थित हर किसान ने बहुत ज्यादा मेहनत कर के अपनेआप को दूसरों से अलग बनाया है और वे सभी बधाई के पात्र हैं. अभी यह शुरुआत है और हम आगे भी अन्य राज्यों में इस पुरस्कार को ले जाएंगे और किसानों के भले के लिए ‘फार्म एन फूड’ पत्रिका अपना योगदान देती रहेगी.

“‘फार्म एन फूड’ पत्रिका द्वारा खेती में नवाचार अपनाने वाले किसानों से विभिन्न श्रेणियों में आवेदन आमंत्रित किए गए थे, जिस में जैविक खेती, खेती में नवाचार, उत्कृष्ट महिला कृषक, उत्कृष्ट युवा किसान, उत्कृष्ट एफपीओ, उत्कृष्ट कृषि विज्ञान केंद्र, मार्केटिंग में उत्कृष्ट किसान, उत्कृष्ट डेयरी व पशुपालक, उत्कृष्ट गन्ना उत्पादक किसान, समेकित खेती अपनाने वाले उत्कृष्ट कृषक, उत्कृष्ट कृषि वैज्ञानिक, खेती में मशीनीकरण अपनाने वाले उत्कृष्ट किसान और हार्वेस्टिंग प्रोसैसिंग श्रेणियां निर्धारित की गई थीं.”

Farm n Food Award

इन श्रेणियों में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से 300 से भी अधिक नोमिनेशन कृषि विज्ञान केंद्रों व कृषि संस्थानों के संस्तुति सहित प्राप्त हुए थे. विभिन्न श्रेणियों में प्राप्त इन नोमिनेशन का 4 सदस्यीय जूरी द्वारा मूल्यांकन किया गया, जिस में सर्वश्रेष्ठ नोमिनेशन को पुरस्कार के लिए चुना गया है. पुरस्कार जूरी में ‘पद्मश्री’ किसान उमाशंकर पांडेय, सैंटर फौर एग्रीकल्चर टैक्नोलौजी अस्सेस्मेंट एंड ट्रांसफर, आईसीएआर–आईएआरआई, नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक (कृषि विस्तार) डा. नफीस अहमद, गोवंश पोषण एवं प्रबंधन प्रभाग, भाकृअनुप–केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ के प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण) डा. संजीव कुमार वर्मा व एसवी पटेल कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय मेरठ, उत्तर प्रदेश के निदेशक ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट प्रो. आरएस सेंगर का नाम शामिल हैं.

इस सम्मान समारोह में पुरस्कृत किसानों के साथसाथ कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों और अन्य कृषि संस्थानों के वैज्ञानिक, अन्य शासकीय और प्रशासनिक अधिकारी, जूरी सदस्य भी उपस्थित रहे.

‘मशरूम उत्पादन तकनीक’ पर ट्रेनिंग के अवसर का लाभ उठाएं

बस्ती : औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती द्वारा बेरोजगार नौजवानों, युवतियों, किसानों और बागबानों को गांव स्तर पर स्वरोजगार सृजन के उद्देश्य से केंद्र के मशरूम अनुभाग द्वारा मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘‘मशरूम उत्पादन तकनीक’’ विषय पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन आगामी महीनों की विभिन्न तारीखों में किया जाना है, जिस में बस्ती, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, देवरिया, कुशीनगर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, बाराबंकी, अयोध्या, सुल्तानपुर, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र, बलिया, गाजीपुर, मऊ, आजमगढ, जौनपुर, प्रतापगढ, कौशांबी, चंदौली, अंबेडकरनगर, गोरखपुर जिलों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं.

औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती के संयुक्त निदेशक, उद्यान, वीरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि 3 दिवसीय प्रशिक्षण में भाग लेने के इच्छुक नौजवान, युवती, किसान और बागबान अपने जिले के जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर प्रशिक्षण के लिए अपना नाम केंद्र को भिजवा सकते हैं.

उन्होंने बताया कि औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती में स्थित मशरूम अनुभाग की मंशा है कि गांव स्तर पर मशरूम के जरीए रोजगार उपलब्ध कराए जाएं, जिस से कि उन के शहरों की ओर बढ रहे पलायन को रोका जा सके.

इसी उद्देश्य के तहत आम लोगों को मशरूम उत्पादन तकनीक का प्रशिक्षण औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती में स्थित मशरूम अनुभाग द्वारा आगामी महीनों के विभिन्न तिथियों में किया जा रहा है, क्योंकि यह भूमिहीन व गरीब किसानों की आमदनी का जरीया है, इसे अपना कर वे स्वरोजगार सृजन कर सकते हैं.

संयुक्त निदेशक, उद्यान, वीरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान मशरूम की खेती से ले कर कंपोस्ट बनाने, प्रोसैसिंग और मशरूम के विभिन्न उत्पादों का निर्माण कर आमदनी बढ़ाने के सभी पहलुओं पर जानकारी दी जाएगी.

मशरूम अनुभाग प्रभारी विवेक वर्मा ने बताया कि साल 2024-25 में केंद्र के मशरूम अनुभाग द्वारा मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन साल 2024 में 19 नवंबर से 21 नवंबर, 17 दिसंबर से 19 दिसंबर प्रस्तावित है, जबकि साल 2025 में 7 जनवरी से 9 जनवरी व 20 फरवरी से 22 फरवरी में प्रस्तावित है.

उन्होंने आगे बताया कि दूरदराज के प्रशिक्षणार्थियों के लिए कृषक छात्रावास में एकसाथ 50 किसानों के ठहरने की निःशुल्क व्यवस्था है, परंतु भोजन/बोर्डिंग एवं जलपान की व्यवस्था प्रशिक्षणार्थियों को स्वयं करनी होती है. प्रत्येक प्रशिक्षण सत्र के लिए प्रति प्रशिक्षणार्थी 50 रुपए पंजीकरण शुल्क जमा करना होगा.

एमपीयूएटी ने 2 सालों में अर्जित की दर्जनों उपलब्धियां

उदयपुर : 15 अक्तूबर को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौघोगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि उत्तरोत्तर प्रगति के लिए उन्होंने हमेशा टीम वर्क की अवधारणा में विश्वास रख कर काम किया है. आप चाहे कितने ही विद्वान हों, साधनसंपन्न हों, ऊंचे पद पर हों, अकेले कुछ भी हासिल नहीं कर सकते.

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक पिछले दिनों यहां सीडीएफटी सभागार में अपने कार्यकाल के 2 साल पूरे होने पर आयोजित अभिनंदन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हम सभी एकदूसरे को सम्मान दे कर ही कार्यस्थल को घर जैसा बना सकते हैं. किसी ने सच कहा है, “अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग आते गए, कारवां बनता गया”.

उन्होंने कहा कि जब मैं इस विश्वविधालय में पहली बार आया था, तब अकेला ही था, आज 2 साल बाद 4,000 लोगों का साथ मिल गया और एक पूरा एमपीयूएटी परिवार हो गया है, मेरे साथ.

इस मौके पर कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने विगत 2 साल में विश्वविद्यालय द्वारा अर्जित उपलब्धियों का जिक्र किया. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय अधिकारियों व कार्मिकों के समग्र प्रयासों से ही एमपीयूएटी का परचम राष्ट्रीय स्तर पर फहरा रहा है. विश्वविद्यालय के अधीन आज 7 महाविद्यालय, 2 क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, 2 उपक्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, एक बारानी अनुसंधान केंद्र और 8 कृषि विज्ञान केंद्र दक्षिणी राजस्थान को कृषि क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर अग्रसर कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि राज्यपाल की ’स्मार्ट विलेज इनीशिएटिव’ योजना के तहत राजस्थान के सभी राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में एमपीयूएटी सालों से पहले स्थान पर है और आगे भी पहले स्थान पर रहेगा, यह प्रयास जारी है. इस के लिए विगत एक साल में राजभवन से 2 बार प्रशंसापत्र भी प्राप्त हुए. स्मार्ट गांव के रूप में छाली, मदार व ब्राह्णों की हुंदर इस का जीताजागता उदाहरण है. राज्यपाल ने स्वयं अन्य विश्वविद्यालय के कुलपतियों को इन गांवों का अवलोकन करने की सलाह भी दी. इसी क्रम में अब विश्वविद्यालय 5 गांवों को गोद ले कर स्मार्ट विलेज बनाने को तत्पर है.

उन्होंने इस बात की भी खुशी जाहिर की कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मक्का की नई किस्म प्रताप संकर मक्का- 6 को राष्ट्रीय स्तर पर चिन्हित व अनुमोदित किया गया. इस के लिए 8 कंपनियों से एमओयू किया गया, जिस से विश्वविद्यालय के रेवेन्यू में बढोतरी होगी. साथ ही, 5 किस्में इसबगोल, असालिया, अश्वगंधा, ज्वार एवं मंगफूली की भी रिलीज के लिए चिन्हित की गई. यही नहीं, पिछले दो वर्षो में विश्वविद्यालय ने 54 पेटेंट व 77 एच इंडेक्स हासिल किए है, जो विश्वविद्यालय के मौलिक और नवाचारी शोध क्षमताओं का परिचायक है.

MPUAT

अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष मनाने में भी विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है. मिलेट्स पर सचित्र मार्गदर्शिका, जागरूकता रैलियां, कार्यशालाएं आयोजित की गईं. 4 किसान मेलों का आयोजन किया गया. साथ ही, मिलेट हट की स्थापना के अलावा कृषि महाविद्यालयों, अनुसंधान केंद्रों और केवीके में मिलेट वाटिकाएं विकसित की गईं.

विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध शिक्षाविद पूर्व कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा ने डा. अजीत कुमार कार्नाटक की कुशल नेतृत्व क्षमता और दूरदृष्टि की सराहना करते हुए कहा कि मात्र 2 सालों में एमपीयूएटी ने जो उपलब्धियां अर्जित की हैं, प्रशंसनीय है. धरातल पर रह कर काम करना डा. अजीत कुमार कर्नाटक की प्रवृत्ति है. इसी कारण एक बेहतर टीम बन कर उम्मीद से कहीं ज्यादा अच्छे परिणाम सामने रख देती है.

उन्होंने कहा कि आगामी सालों में कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक के नेतृत्व में और भी अविस्मरणीय उपलब्धियां हासिल होंगी, इस में कोई अतिशयोक्ति नही है. प्रो. उमाशंकर शर्मा ने कहा कि नए जिले सलुंबर में केवीके की स्थापना के लिए काम किए जा रहे हैं.

शुरू में कार्यक्रम के आयोजक व डेयरी एंव खाद्य प्रौद्योगिकी महाविघालय अधिष्ठाता डा. लोकेश गुप्ता ने अतिथि स्वागत में कुलपति के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुधांशु सिंह, वित्त नियंत्रक विनय भाटी सहित विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, वरिष्ठ वैज्ञानिक, परिषद सदस्यों ने अतिथियों का स्वागत किया. छात्र कल्याण अधिकारी डा. मनोज महला ने कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद दिया व मंच संचालन डा. निकिता वधावन ने किया.

बढ़ेगी दुग्ध उत्पादन (Milk Production) क्षमता

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया है कि दुग्ध उत्पादन 3.5 लाख लिटर प्रतिदिन किया जाए और तरल दुग्ध बिक्री 2 लाख लिटर प्रतिदिन किए  जाने के प्रयास किए  जाएं. प्रत्येक दुग्ध संघ कम से कम 5 मिल्क बूथ बनाने का लक्ष्य निर्धारित कर उसे पूरा करे. दुग्ध संघों में कार्यरत डेयरी प्लांट की क्षमता उपयोगिता को बढ़ा कर 50 फीसदी किया जाए.

दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने पिछले दिनों विधान भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में विभागीय कार्यों के पिछले  एक सप्ताह में क्रियान्वयन की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि दुग्ध विकास विभाग का लक्ष्य प्रदेश की जनता को शुद्ध दूध उपलब्ध कराना है और दुग्ध उत्पादन से जुड़े किसानों, पशुपालकों को दुग्ध मूल्य का नियमित रूप से भुगतान कराना प्राथमिकता है.

उन्होंने विभागीय अधिकारियों को बंद पड़ी दुग्ध समितियों को पुनः चालू किए जाने और वर्तमान में संचालित समितियां किसी भी कारण से बंद न किए जाने पर विशेष बल दिया.

मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि नंद बाबा एवं गोकुल पुरस्कार के वित्तीय वर्ष 2023-24 के लाभार्थियों की चयन सूची तैयार कर उन्हें पुरस्कृत करने की कार्यवाही शीघ्र पूरी की जाए. दुग्ध विकास मंत्री ने कानपुर, गोरखपुर और कन्नौज डेयरी प्लांट का संचालन एनडीडीबी को दिए जाने के संबंध में हुई प्रगति की भी समीक्षा की और कहा कि जो भी औपचारिकताएं शेष या अपूर्ण हैं, उन्हें शीघ्र पूरा किया जाए. प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए नई समितियों के गठन एवं पुनर्गठन का लक्ष्य निर्धारण किया गया है, उसे सुदृद्ध कार्ययोजना बना कर शीघ्र पूरा किया जाए. साथ ही, उन्होंने कहा कि पराग के उत्पादों की मार्केटिंग कर विशेष ध्यान दिया जाए.

उन्होंने निर्देश दिए कि किसानों एवं पशुपालकों को उन के दुग्ध मूल्य का भुगतान निर्धारित समयावधि में किया जाए और देरी न होने पाए. वर्तमान भुगतान के साथ ही बकाया धनराशि का भी भुगतान कर भुगतान प्रक्रिया को नियमित किया जाए और अवगत कराया गया कि वर्तमान में 18108 निबंधित समितियां हैं, जिस के सापेक्ष 7094 कार्यरत समितियां हैं. प्रत्येक दुग्ध संघ द्वारा 2 दुग्ध समितियों का भ्रमण एवं अनुश्रवण किया जा रहा है. पिछले एक माह में 775 कार्यरत एवं 459 अकार्यरत दुग्ध समितियां कुल 1234 दुग्ध समितियों में भ्रमण किया गया. 169 अकार्यरत समितियों को कार्यरत किया गया.

बैठक में दुग्ध विकास विभाग के प्रमुख सचिव के. रवींद्र नायक ने मंत्री को आश्वस्त करते हुए कहा कि उन से प्राप्त दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा. उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिन दुग्ध संघों द्वारा अभी भी दुग्ध मूल्य भुगतान में उदासीनता बरती जा रही है, उन के द्वारा भुगतान कार्य गंभीरता से किया जाए.

उन्होंने अधिकारियों को समितियों की संख्या बढ़ाए जाने के संबंध में तत्परता से काम किए जाने के निर्देश दिए. बैठक में गठन/पुनर्गठन के सापेक्ष संचालित दुग्ध समितियां, दुग्ध समितियों द्वारा भ्रमण, डेयरी प्लांट की उपयोगिता क्षमता, दुषा उपार्जन, तरल दुग्ध बिक्री, बकाया दुग्ध, मूल्य भुगतान आदि की गहन समीक्षा की गई.

बैठक में पीसीडीएफ के प्रबंध निदेशक आनंद कुमार सिंह, दुग्ध आयुक्त राकेश कुमार मिश्रा, पीसीडीएफ के डा. मनोज तिवारी, नयन तारा सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

दुधवा नैशनल पार्क में मिलेगा कहानियों का आनंद

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण ईको टूरिज्म स्थल दुधवा नैशनल पार्क में शीघ्र ही भ्रमण के साथसाथ रोचक कहानियां सुनने का भी मौका मिलेगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने इस का पूरा खाका खींच लिया है. नेचर गाइड्स का पिछले दिनों प्रशिक्षण शुरू हुआ. 6 दिनों तक प्रतिदिन 10-10 घंटे की ट्रेनिंग दी गई. प्रशिक्षण में मार्निंग वाक से ले कर शाम तक युवाओं को यहां के नैसर्गिक सौंदर्य, वन्यजीव व अन्य विशेषताओं से परिचित कराया गया. साथ ही, स्टोरी टेलिंग की कला भी सिखाई गई. पर्यटकों को यह सुविधा दुधवा के बाद कतर्निया और पीलीभीत टाइगर रिजर्व आदि पर्यटक स्थलों पर भी मिलेगी.

यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश का नैसर्गिक सौंदर्य अद्भुत है. यहां पारिस्थिकीय पर्यटन (इको टूरिज्म) की असीम संभावनाएं हैं. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड का गठन किया गया है. बोर्ड ईको टूरिज्म की संभावनाओं को धरातल पर उतार रहा है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर दुधवा, कतर्निया घाट व पीलीभीत टाइगर रिजर्व आदि स्थलों पर नेचर गाइड की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. इस के 3 महत्वपूर्ण लाभ हैं. पहला, स्थानीय युवाओं की स्किल डेवलप होगी. दूसरा, पर्यटकों को प्रशिक्षित गाइड की सुविधा मिलेगी और तीसरा, स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. नेचर गाइड के लिए उम्र सीमा 18 से 35 वर्ष और न्यूनतम शिक्षा 12 वीं पास निर्धारित की गई है.

मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण पाठ्यक्रम ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड, कांशीराम इंस्टीट्यूट औफ टूरिज्म मैनेजमेंट एमकेआइटीएम और द नेचुरलिस्ट स्कूल द्वारा पाठ्यक्रम तैयार किया गया है. द नेचुरलिस्ट स्कूल आगंतुकों के बीच प्राकृतिक दुनिया के लिए समझ और प्रशंसा पैदा करने में अग्रणी है.

प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों, पक्षियों, तितलियों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी. संचार कौशल और स्टोरी टेलिंग के बारे में बताया जाएगा. प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान आपात स्थिति से निबटने, पर्यावरण हितैषी पर्यटन आदि की जानकारी दी जाएगी.

पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि नेचर गाइड पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वे ज्ञानवर्धक जानकारी, रोचक कहानी और व्यक्तिगत बातचीत के माध्यम से पर्यटकों को गंतव्य के इतिहास, पर्यावरण और स्थानीय परंपराओं से गहराई से जोड़ते हैं.

उन्होंने आगे कहा कि नेचर गाइड प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम उत्तर प्रदेश के प्राकृतिक स्थलों में सतत और जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने के ईको टूरिज्म विकास बोर्ड के व्यापक मिशन के अनुरूप है. नेचर गाइड का प्रशिक्षण न केवल उन के कौशल को निखारता है, बल्कि उन्हें आगंतुकों को प्रकृति के साथ एक स्थायी संबंध बनाने और इस के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करने के लिए सशक्त बनाता है.

पशुपालकों के लिए लाभकारी मोबाइल पशु चिकित्सा

जयपुर: पशुपालन, गोपालन, डेयरी और देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि हमारी सरकार पशुओं व पशुपालकों के विकास के प्रति बहुत ही संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है. उन्होंने आगरा रोड स्थित राजस्थान राज्य पशुधन प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान में पिछले दिनों मोबाइल वेटेरिनरी इकाइयों के लिए काल सैंटर के लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि काल सैंटर का संचालन निश्चित रूप से विभाग के लिए एक बहुत ही सराहनीय कदम है. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्य मंत्री, पशुपालन, गोपालन, मत्स्य एवं गृह विभाग जवाहर सिंह बेढम उपस्थित रहे.

मंत्री जोराराम कुमावत ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को धन्यवाद देते हुए कहा कि मोबाइल पशु चिकित्सा एवं काल सैंटर पशुधन और पशुपालकों के लिए एक बहुत बड़ी सुविधा है. काल सैंटर की सुविधा होने से घर पर ही पशुओं का इलाज मिलना शुरू हो जाएगा, जिस से पशुपालकों के समय और पैसे दोनों की बचत होगी. उन्होंने कहा कि मंगला पशु बीमा योजना की क्रियान्विति भी जल्द शुरू की जाएगी.

पशुपालन, गोपालन, मत्स्य एवं गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा कि किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का एक जरीया पशुपालन है, इसीलिए पशु को पशुधन कहा गया है. पशुपालन के माध्यम से हमारे ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था नियमित रहती है.

उन्होंने आगे कहा कि पशुपालक के घर पर पशुओं के लिए चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराना एक उपयोगी पहल है.

इस अवसर पर शासन सचिव पशुपालन, गोपालन एवं मत्स्य डा. समित शर्मा ने कहा कि काल सैंटर का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करते हुए पशुधन और पशुपालकों को अधिक से अधिक संख्या में लाभ पहुंचाना इस योजना का उद्देश्य है. आने वाले 6 महीनों में पशुपालन विभाग प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ 3 विभागों में होगा, ऐसा हमारा प्रयास है.

उन्होंने काल सैंटर पर वीडियो कालिंग की सुविधा शुरू करने के लिए भी बीआईएफएल के अधिकारियों को सुझाव दिया.

कार्यक्रम के आरंभ में पशुपालन विभाग के निदेशक डा. भवानी सिंह राठौड़ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा द्वारा 1,61,934 शिविरों के माध्यम से 27.48 लाख से अधिक पशुओं का उपचार करते हुए लगभग 6.86 लाख पशुपालकों को लाभान्वित किया गया है.

कार्यक्रम को बीएफआईएल के प्रतिनिधि किशोर संभशिवम ने भी संबोधित किया. अतिरिक्त निदेशक डा. आनंद सेजरा ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम का संचालन डा. हेमंत पंत ने किया.

कार्यक्रम में मोबाइल वेटरिनरी यूनिट की सेवा प्रदाता फर्म से सुनील अग्रवाल और महेश गुप्ता, बीएफआईएल से असद और अमन, प्रहलाद नागा निदेशक गोपालन, डा. प्रकाश भाटी, डा. सुरेश मीना, डा. प्रवीण कुमार, डा. तपेश माथुर सहित बड़ी संख्या में विभाग के अधिकारी और पशुपालक उपस्थित थे.

फ्री में मिलेगा मंगला पशु बीमा योजना का लाभ

जयपुर : पशुपालन, गोपालन एवं डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत ने पिछले दिनों सचिवालय भवन में पशुपालन मंगला बीमा पशु योजना की गाइडलाइन के संबंध में पशुपालन और राज्य बीमा भविष्य निधि विभाग के अधिकारियों की बैठक ली. बैठक में पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि राजस्थान सरकार प्रदेश की बहुमूल्य पशुधन संपदा के विकास एवं पशुधन उत्पादन को बढ़ाकर पशुपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने आगे कहा कि अभी दुर्घटना में मृत पशुओं के लिए पशुपालकों को कोई मुआवजा नहीं मिलता है. मंगला पशु बीमा योजना ऐसे पशुपालकों के लिए आर्थिक संबल बनेगी. उन्होंने जल्द से जल्द इस की गाइडलाइन तैयार कर इसे अमलीजामा पहनाने के निर्देश दिए, जिस से इस घोषणा का उद्देश्य पूरा हो सके.

उन्होंने कहा कि बीमा का लाभ सभी पशुपालकों को मिले, इस के लिए सभी जनाधार कार्डधारक पशुपालक बीमा में आवेदन करने के पात्र होंगे. बीमा का लाभ दिलाने के लिए बीमा विभाग द्वारा एक सौफ्टवेयर तैयार किया. उस पर पशुपालकों से आवेदन मंगवाए जाएंगे. प्राप्त आवेदनों के आधार पर बीमा के लिए पशुपालकों का चयन लौटरी द्वारा किया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2024-25 की बजट घोषणा में मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना की घोषणा की थी. इस योजना में सरकार ने 400 करोड़़ रुपए खर्च कर के 21 लाख पशुओं का बीमा करने का लक्ष्य रखा है. योजना के अंतर्गत 5-5 लाख दुधारू गाय, भैस, बकरी, भेड़ और एक लाख ऊंटनी का बीमा किया जाएगा. प्रत्येक परिवार से एक पशु का बीमा किया जाएगा. इस में पशुपालकों को कोई प्रीमियम नहीं देना होगा. यह पूरी तरह से निःशुल्क है. दुधारू पशुओं की किसी भी प्राकृतिक या आकस्मिक दुर्घटना जैसे आग लगने, सड़क दुर्घटना, आकाशीय बिजली गिरने, जहरीली घास खाने या कीड़ा काटने, किसी बीमारी आदि में मृत्यु होने पर बीमा का क्लेम मिलेगा.

पशुपालन विभाग के निदेशक डा. भवानी सिंह राठौड़़ ने मंगला बीमा पशु योजना की गाइडलाइन के बारे में जानकारी दी.

बैठक में पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डा. आनंद सेजरा, डा. सुरेश मीना सहित राज्य बीमा भविष्य निधि विभाग के अधिकारी उपस्थित थे.

पीएम कुसुम योजना से किसानों को मिल रही दिन में बिजली

जयपुर : प्रदेश में पीएम कुसुम योजना के तहत फीडर लैवल सोलराइजेशन के काम को गति मिल रही है. इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार का वर्ष-2027 तक किसानों को खेतीकिसानी से जुड़े कार्यों के लिए दिन में बिजली देने का लक्ष्य है.

इसी दिशा में योजना के कंपोनेंट-सी के तहत प्रदेश के खैरथलतिजारा एवं कोटपुतलीबहरोड जिले में 5.38 मेगावाट क्षमता के 2 सौर ऊर्जा संयंत्र सोलर पावर जनरेटर हाल ही में स्थापित किए गए हैं और निकटवर्ती ग्रिड से कनैक्ट कर इन से बिजली उत्पादन प्रारंभ कर दिया गया है.

डिस्काम्स चेयरमैन आरती डोगरा ने बताया कि भिवाड़ी सर्किल (खैरथलतिजारा जिले) के जाट बहरोड़ में सोलर पावर जनरेटर मैसर्स सानोली सोलर एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 2.74 मेगावाट क्षमता का सोलर प्लांट सितंबर माह के अंतिम सप्ताह में स्थापित कर दिया गया है. इस प्लांट को 33/11 केवी सबस्टेशन से भी कनैक्ट कर दिया गया है. अब इस सबस्टेशन से जुड़े 238 कृषि उपभोक्ताओं को दिन में बिजली की आपूर्ति की जा रही है.

इसी प्रकार कोटपुतलीबहरोड़ जिले के हुडिया जैतपुर में मैसर्स काठूवास सोलर एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 2.64 मेगावाट के संयंत्र को पिछले दिनों स्थापित कर 33/11 केवी सबस्टेशन से कनैक्ट कर दिया गया है. इस प्लांट के माध्यम से भी अब इस सबस्टेशन से जुड़े 247 कृषि उपभोक्ताओं को दिन में बिजली आपूर्ति होने लगी है.

आरती डोगरा ने बताया कि जयपुर विद्युत वितरण निगम क्षेत्र में कुसुम-सी योजना के तहत 17.29 मेगावाट क्षमता के 7 सोलर संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं. इन के माध्यम से 1981 किसानों को दिन में बिजली मिल रही है.

उल्लेखनीय है कि सितंबर माह में ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री रोजगार उत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रम में पीएम कुसुम-सी योजना के तहत प्रदेश में एकसाथ 608 सोलर प्लांटों का शिलान्यास किया था. इन प्लांटों के जरीए 5 हजार, 254 करोड़ रुपए का निवेश और 1501 मेगावाट बिजली उत्पादन हो सकेगा. साथ ही, किसानों को कृषि कार्य के लिए दिन में बिजली का लक्ष्य भी साकार हो सकेगा.

खादबीज की कालाबाजारी व जमाखोरी पर लगाम

जयपुर : कृषि आदानों जैसे उर्वरकों, बीज एवं कीटनाशी की उपलब्धता एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आयुक्त, कृषि, चिन्मय गोपाल द्वारा सभी जिला एवं खंडीय कृषि अधिकारियों को विभिन्न कृषि आदान निर्माता, विक्रेता एवं खुदरा व्यवसायियों द्वारा की जा रही अनियमिततओं के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए.

कृषि अधिकारियों को दुकानों पर बिना प्राधिकारपत्र या विनिर्माण प्रमाणपत्र के उर्वरकों की कालाबाजारी, जमाखोरी, बिल बुक एवं स्टाफ रजिस्टर निर्धारित प्रारूप में संधारित न करना, अप्रमाणिक स्टाक रजिस्टर उपयोग में लेना व अन्य प्रकार की अनियमितताओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं.

आयुक्त, कृषि, चिन्मयी गोपाल ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा चलाए गए एकदिवसीय विशेष गुण नियंत्रण अभियान के तहत पूरे राज्य में विभागीय अधिकारियों द्वारा 997 निरीक्षण किए गए, जिस में कृषि आदान निर्माता, विक्रेता एवं खुदरा व्यवसायियों के अनियमितता, कालाबाजारी व जमाखोरी पाए जाने पर 506 को ‘कारण बताओ’ नोटिस, 49 के विक्रय पर रोक, 10 के प्राधिकारपत्र निलंबित किए गए. साथ ही, एक उर्वरक जब्ती कार्यवाही के अंतर्गत बिना लाइसैंस के बंसल खाद बीज भंडार, सीकरी, डीग के 7 अवैध गोदामों पर डीएपी के 3639, यूरिया के 7046, एसएसपी के 540 और जिंक सल्फेट के 20 कट्टे जब्त किए गए.

उन्होंने आगे बताया कि कृषि आदान विक्रेताओं एवं निर्माताओं के निरीक्षण के दौरान अनियमितता पाए जाने पर कृषि आदानों से संबंधित नियमों, अधिनियमों व उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत बिक्री पर रोक, जब्ती, लाइसैंस निलंबन या निरस्तीकरण जैसी कार्यवाही की जाएगी.

आयुक्त, कृषि, चिन्मयी गोपाल ने कहा कि रबी सीजन में किसानों को उच्च गुणवत्तायुक्त कृषि आदान एवं कीटनाशक उपलब्ध कराने के लिए समस्त विभागीय अधिकारियों को अपने क्षेत्राधिकार में बीज, उर्वरकों एवं कीटनाशकों की उच्च गुणवत्ता एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

उल्लेखनीय है कि राज्य के सभी जिलों में हर साल रबी व खरीफ फसलों की बोआई से पहले किसानों को गुणवत्तायुक्त कृषि आदानों की उपलब्धता के लिए सितंबर, अक्तूबर और मई, जून माह में विशेष गुण नियंत्रण अभियान चलाए जाते हैं. गुण नियंत्रण अभियान के तहत उर्वरक, बीज एवं कीटनाशी के नमूने लेने की प्रक्रिया राजकिसान पोर्टल के ‘‘RajAgriQC” एप के माध्यम से औनलाइन संपादित की जा रही है.