आलू बीज (Potato Seed) के दाम हुए कम

लखनऊ : प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि योगी सरकार में किसान हित के दृष्टिगत विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अनुदान देने की व्यवस्था की गई है. प्रदेश के किसानों एवं आलू उत्पादकों के हित को देखते हुए वर्ष 2024-25 के लिए आलू बीज (Potato Seed) वितरण व विक्रय की दरें निर्धारित करने में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है.

उन्होंने बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में राजकीय आलू बीज की उपलब्धता किसानों को सुगम बनाए जाने के उद्देश्य से प्रदेश के किसानों को बीजोत्पादन के लिए विक्रय हेतु विभागीय दरों में 500 रुपए प्रति क्विंटल दर में कमी कर के विक्रय दर (शोध संस्थाओं एवं सरकारी संस्थाओं को छोड़कर) निर्धारित कर दी गई है.

उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि निर्धारित दरों के अनुसार अब आधारित प्रथम आलू 2,995 रुपए प्रति क्विंटल, आधारित द्वितीय आलू 2,595 रुपए प्रति क्विंटल, ओवर साइज (आधारित प्रथम) 2,270 रुपए प्रति क्विंटल, ओवर साइज (आधारित द्वितीय) 2,210 रुपए प्रति क्विंटल और आधारित प्रथम आलू ट्रूथफूल 2,180 रुपए प्रति क्विंटल बीज हो गया है. सफेद एवं लाल आलू प्रजातियों के बीज की विक्रय दरें एकसमान हैं. इन दरों पर प्रदेश के किसान अपने जनपदीय उद्यान अधिकारी से नकद मूल्य पर बीज प्राप्त कर आलू बीज का उत्पादन कर सकते हैं.

उन्होंने बताया कि उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश के किसानों को नकद मूल्य पर आधारित प्रथम, द्वितीय और प्रमाणित आलू बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. इस से पहले आलू बीज की विक्रय दर आधारित प्रथम 3,495, आधारित द्वितीय 3,095, ओवर साइज (आधारित प्रथम) 2,770, ओवर साइज (आधारित द्वितीय) 2,710 और आधारित प्रथम ट्रुथफूल 2,680 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित की गई थी.

उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि प्रदेश में लगभग 6.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की बोआई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिस के लिए लगभग 24- 25 लाख मीट्रिक टन आलू बीज की आवश्यकता होगी. उद्यान विभाग लगभग 40- 45 हजार क्विंटल आधारित श्रेणी का आलू बीज किसानों में बीज उत्पादन के लिए वितरित करेगा, जिस से किसानों द्वारा अग्रेतर श्रेणी का बीज उत्पादन कर प्रदेश में गुणवत्तायुक्त बीज की कमी को पूरा करने में सहभागी हो सकते हैं. गुणवत्तायुक्त प्रमाणित आलू बीज से प्रदेश के आलू उत्पादन में वृद्धि होगी.

निदेशक उद्यान डा, विजय बहादुर द्विवेदी ने बताया कि मार्च, 2023 में प्रदेश के राजकीय प्रक्षेत्रों पर उत्पादन के लिए सीपीआरआई, भारत सरकार से 9214.94 क्विंटल जनक (ब्रीडर) आलू बीज प्राप्त कर राजकीय प्रदेश के 21 राजकीय प्रक्षेत्रों पर कुल 224.83 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू बीज का उत्पादन कराया गया, जिस से 45168.50 क्विंटल आधारीय एवं टीएल श्रेणी के आलू बीज (कुफरी बहार, कुफरी चिप्सोना-1 एवं 3, कुफरी आनंद, कुफरी पुखराज, कुफरी सूर्या, कुफरी ख्याति, कुफरी सिंदूरी, कुफरी फ्राईसोना, कुफरी मोहन, कुफरी गंगा, कुफरी नीलकंठ, कुफरी लवकार एवं कुफरी बादशाह) का उत्पादन प्राप्त हुआ, जिसे राजकीय शीतगृह अलीगंज, लखनऊ व मोदीपुरम, मेरठ में भंडारित किया गया. भंडारित आलू बीज का प्रदेश के समस्त जनपदों को आवंटित कर किसानों के मध्य नकद मूल्य पर वितरण किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि प्रसंस्कृत प्रजातियों के लिए उत्तर प्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था से पंजीकरण के बाद आलू बीज उत्पादन की बैगिंग, टैगिंग कराने पर किसानों को 25,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान की व्यवस्था है. आलू बीज की प्रसंस्कृत प्रजातियां कुफरी चिप्सोना-1 एवं 3, कुफरी फ्राईसोना और कुफरी सूर्या हैं.

6 महीने में 6 लाख से अधिक पशुओं का टीकाकरण (Vaccination)

देवास : उपसंचालक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, देवास के डा. सीएस चौहान ने बताया कि केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा पशु कल्याण के लिए संचालित विभिन्न कार्यक्रमों में से मुख्य रूप से टीकाकरण, उपचार, चलित चिकित्सा इकाइयां संचालन, गौशाला संचालन एवं राजमार्गों से पशु हटाना आदि कार्य पशुपालन विभाग के अमले द्वारा जिले में किया जा रहा है.

उन्‍होंने आगे यह भी बताया कि विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष में 1 अप्रैल से अब तक टीकाकरण में 6 लाख, 32 हजार, 619 पशुओं में विभिन्न टीका किया गया. 1 लाख, 38 हजार, 815 पशुओं का उपचार संस्थाओं द्वारा किया गया. चलित चिकित्‍सा इकाई का साल 1962 से संचालन किया जा रहा है, जो घरघर पहुंच कर पशुओं में उपचार करती है. इस में 4377 पशुपालकों को घर पहुंच कर सेवाएं दी गईं.

जिले के मुख्य राजमार्गों पर गौ पैट्रोलिंग द्वारा पशुओं को सड़क हादसों से बचाने के लिए सड़क से गौशाला पहुंचाया जा रहा है. जिले में 84 गौशाला संचालित हैं, जिस में 10 हजार, 845 गौवंश संरक्षित हैं, जिन को इस वर्ष वर्तमान तक 491.04 लाख का अनुदान सहायता दी गई है.

पशुओं का रेस्क्यू (Rescuing Animals) कर के हो रहा प्राथमिक उपचार

शहडोल : मध्य प्रदेश सरकार द्वारा निराश्रित मवेशियों के लिए निरंतर काम कर रही है. शहडोल में निराश्रित पशुओं का जीवन बचाने के लिए अटल कामधेनू गौ संस्थान द्वारा निरंतर काम किया जा रहा है. अटल कामधेनू गौ संस्थान के सदस्यों द्वारा प्रतिदिन 10 से 12 निराश्रित पशुओं का रेस्क्यू कर प्राथमिक उपचार किया जाता है.

अटल कामधेनू गौ संस्थान के सदस्य गौरव राल्ही मिश्रा ने बताया कि मुख्य मार्गों में रात के समय मवेशियों को सड़क हादसे से बचाने के लिए रेडियम बेल्ट बांधने का अभियान चलाया जाता है. उन्होंने बताया कि अभी तक तकरीबन 3,000 से अधिक जानवरों को रेडियम बेल्ट बांध कर उन का जीवन बचाया गया है.

उन्होंने यह भी बताया कि गरमी के दिनों में मवेशियों के लिए सार्वजनिक स्थलों में समुचित पेयजल, खाने के लिए चाराभूसा इत्यादि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है. गौरव राल्ही मिश्रा ने आगे बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा मवेशियों के उपचार के लिए डाक्टर्स, पुलिस विभाग द्वारा मवेशियों के लाने व ले जाने के लिए वाहन जैसी अन्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराई गईं.

उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव, जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन को डाक्टर्स, वाहन जैसी अन्य व्यवस्थाएं प्रदान करने के लिए तहेदिल धन्यवाद दिया.

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पशुपालक, किसान घर बैठे पशुओं के लिए इलाज के लिए टोल फ्री नंबर 1962 पर फोन करने, एंबुलेंस, पशुओं के टीकाकरण जैसी अन्य सुविधाएं प्रदान की गई हैं.

नरवाई प्रबंधन के लिए जागरूकता रथ

खंडवा : नरवाई प्रबंधन जागरूकता रथ को कलक्टर अनूप कुमार सिंह एवं अपर कलक्टर केआर बडोले द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर से हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया. नरवाई प्रबंधन जागरूकता रथ का उद्देश्य ऐसे ग्रामों में जागरूकता फैलाना है, जिन में पिछले वर्ष खरीफ सीजन में फसल अवशेष जलाने की घटना घटित हुई थी. इस दौरान उपसंचालक, कृषि, केसी वास्केल, उपसंचालक कृषि (आत्मा) एएस सोलंकी, सहायक संचालक कृषि एलएस निगवाल सहित विभिन्न अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे.

सहायक कृषि यंत्री अमित सोलंकी ने बताया कि रथ के द्वारा नरवाई प्रबंधन से संबंधित आधुनिक कृषि यंत्रों की उपयोगिता के बारे में सूचना दी जाएगी.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल खंडवा जिले में 63 घटनाएं दर्ज की गई थीं. प्रचार रथ के द्वारा आगामी रबी सीजन के लिए प्रमुख फसलों के उचित प्रबंधन के लिए प्रचारप्रसार किया जाएगा. नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के अंतर्गत फसलों की कटाई के उपरांत फसल अवशेष को जलाए जाने को प्रतिबंधित किया गया है.

फसल अवशेष जलाए जाने पर व्यक्ति या निकाय को नोटिफिकेशन प्रावधान के अनुसार, पर्यावरण क्षति पूर्ति राशि दंडस्वरूप संबंधित व्यक्ति या निकाय से वसूल की जाएगी. उन्होंने बताया कि कृषि भूमि 2 एकड़ से कम को 2500 रुपए, कृषि भूमि 2 एकड़ से 5 एकड़ को 5,000 रुपए, कृषि भूमि 5 एकड़ से अधिक को 15,000 रुपए वसूल किए जाएंगे.

आत्मा सर्वोत्तम कृषक अवार्ड के लिए करें आवेदन

कटनी : राज्य शासन द्वारा कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम ‘आत्मा’ आगामी 26 जनवरी, 2025 को जिले के सभी विकासखंडों से 5-5 सर्वोत्तम किसानों को पुरस्कृत करने की योजना प्रसारित की गई है. इस पुरस्कार के लिए सर्वोत्तम किसान के चयन का आधार उन के द्वारा मूल्यांकन वर्ष 2023-24 में अपनाई गई कृषि तकनीक, उपज एवं उत्पादकता के आधार पर निर्धारित प्रक्रिया के तहत किया जाएगा. इस में विकासखंड स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार के लिए प्रति विकासखंड 5 किसान, जो कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन, कृषि अभियांत्रिकी से संबंधित है, को 10,000 रुपए से पुरस्कृत किया जाएगा. जिला स्तरीय 5 सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार के लिए 25,000 रुपए से सर्वोत्तम कृषक को पुरस्कृत और सर्वोत्तम समूह पुरस्कार राशि 20,000 रुपए प्रत्येक समूह को (कुल 5 समूह) पुरस्कृत किया जाएगा.

इस पुरस्कार के लिए निर्धारित प्रपत्र में किसानों से प्रविष्टियां 14 अक्तूबर, 2024 तक आमंत्रित की गई हैं. किसान आवेदनपत्र अपने विकासखंड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेजर से प्राप्त कर आवेदनपत्र भर कर विकासखंड स्तरीय कार्यालय में जमा कर सकते हैं.

किसानों की प्रविष्टियों का मूल्यांकन कलक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा. सर्वोत्तम अंक पाने वाले किसानों का चयन किया जाएगा. राज्य स्तरीय पुरस्कार का चयन राज्य स्तर से होगा और विकासखंड के लिए चयनित सर्वोत्तम किसान का आवेदन राज्य स्तर पर भेजा जाएगा.

इसी प्रकार आत्मा अंतर्गत कार्यरत कृषक रुचि समूह एवं कमोडिटी रुचि समूहों को भी जिला स्तर पर पुरस्कृत करने के लिए प्रविष्टियों के आवेदनपत्र विकासखंड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेजर से प्राप्त कर निर्धारित समयसीमा में जमा किए जा सकते हैं.

आवेदनपत्र भरने में यदि कोई कठिनाई आए, तो कृषि विभाग, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य, कृषि अभियांत्रिकी के कर्मचारियों, अधिकारियों का निष्पक्ष सहयोग प्राप्त किया जा सकता है. सर्वोत्तम कृषक एवं समूहों के चयन में पूर्ण निष्पक्षता एवं पारदर्शिता बरती जाएगी.

उन्होंने किसानों से अपील की है कि वर्ष 2023-24 में अर्जित प्रगति अपनाई गई तकनीक व प्राप्त उत्पादन एवं उपज की सहीसही जानकारी आवेदनपत्र में भर कर लिफाफाबंद कर 14 अक्तूबर, 2024 तक विकासखंड स्तरीय कार्यालय में जमा किए जा सकते हैं. जिन कृषकों, समूहों को गत वर्ष ऐसे पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, वे आगामी 7 वर्षों तक आवेदन करने के पात्र नहीं रहेंगे.

फूलों की खेती ( Flower Farming) कर लाभ कमा रहे हैं ललित कुमावत

नीमच : फूलों की मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, इसलिए आज फूलों की खेती किसानों को अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है. अगर फूलों की खेती को वैज्ञानिक तरीके से किया जाए, तो मुनाफा कहीं और अधिक बढ़ जाता है. इसी काम को अंजाम दिया है नीमच के एक किसान ललित कुमावत ने.

नीमच जनपद के ग्राम निपानिया के किसान ललित कुमावत, पिता सुरेश कुमावत ने परंपरागत खेती के बजाय उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में फूलों की खेती कर खेती को लाभ का धंधा बना लिया है. ललित कुमावत ने 0.400 हेक्टेयर में गैंदा फूलों की खेती करना प्रारंभ किया और 50,000 रुपए खर्च हुए. गैंदा फूल 40 से 50 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव से बिक रहे हैं. इस से ललित कुमावत को अच्‍छी आय प्राप्‍त हो रही है.

गैंदा फूलों की खेती से ललित कुमावत को कुल 2 लाख रुपए की आय होने की संभावना है. खर्च निकाल कर उन्हें शुद्ध 1.50 लाख रुपए की आय होगी. इस तरह ललित कुमावत ने परंपरागत खेती के बजाय उन्‍नत तकनीकी से गैंदा फूलों की खेती कर खेती को लाभ का धंधा बना लिया है.

खेती के साथ गौपालन: आत्‍मनिर्भर बने किसान निर्मल

नीमच: आचार्य विद्या सागर गौसंवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्‍नत नस्‍ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं. इस योजना ने उन का जीवनस्‍तर काफी बदल दिया है. वे अब प्रगतिशील किसान के रूप में पहचाने जाते हैं.

परंपरागत रूप से खेती करने वाले नीमच जिले की मनासा जनपद के ग्राम चुकनी निवासी निर्मल पाटीदार पहले कृषि‍ कार्य से बमुश्किल अपने परिवार का खर्च चला पाते थे. वर्ष 2005 में निर्मल के पिता रतनलाल पाटीदार की एक प्रगतिशील पशुपालक से मुलाकात हुई और उन से प्रेरित हो कर रतनलाल ने बैंक ऋण ले कर 2 संकर नस्‍ल की गाएं खरीदीं, जिस से उन्‍हें 300 रुपए रोज की आमदनी होने लगी. अपने पिता रतनलाल पाटीदार के पशुपालन कार्य में निर्मल ने भी हाथ बंटाना प्रारंभ किया.

निर्मल कुमार ने वर्ष 2017-18 में पशुपालन अधिकारी डा. राजेश पाटीदार से मार्गदर्शन प्राप्‍त कर आचार्य विद्या सागर गौसंवर्धन योजना के तहत 10 क्रासब्रीड गायों को पालने के लिए ऋण लिया और राजस्‍थान से गाएं खरीद कर, पशुपालन कार्य करने लगे.

पशुपालक निर्मल पाटीदार कहते हैं कि वर्ष 2018 से उनके पास उन्‍नत नस्‍ल की 10 गाएं हो गई हैं. इस से उन्‍हें 900 रुपए प्रतिदिन आय होने लगी और जीवनयापन में सुधार होने लगा. वर्ष 2020-21 में उन्होंने 30 लिटर सुबह व 40 लिटर दूध शाम को कुल 70 लिटर दूध प्रतिदिन सांची दुग्‍ध संघ की डेयरी पर बिक्री किया, जिस से उन्‍हें 1500 रुपए रोजाना की आय हुई. इस प्रकार मासिक रुपए 45,000 और साढ़े 4 लाख से 5 लाख रुपए तक की सालाना आय हुई.

पशुपालन से अरिरिक्‍त (दूध व गोबर की खाद) की आय से वर्ष 2019 में निर्मल ने ट्रैक्टर खरीदा, जिस की किस्त भी दूध बेच कर होने वाली आय से चुका रहे हैं. वर्ष 2021 में पशुओं के लिए 1600 वर्ग फीट का शेड, जिस में फर्श सीसी का बनवाया है. इस शेड में पशुओं के लिए पंखे लगे हैं. चारे की कुट्टी बनाने के लिए विद्युतचलित चैफ कटर लगा लिया है.

इसी तरह आचार्य विद्या सागर गौसंवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्‍नत नस्‍ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं और अब वे प्रगतिशील किसान के रूप में पहचाने जाते हैं.

योजना का लाभ ले कर अजहरूद्दीन ने बकरीपालन को बनाया रोजगार

मंदसौर : जिले के तहसील सुवासरा गांव किशोरपुरा के रहने वाले अजहरूद्दीन मोहम्‍मद हुसैन मध्‍यमवर्गीय पशुपालक हैं. उन के परिवार की माली स्थिति ठीक नहीं होने के कारण इन्‍होंने खुद का व्‍यवसाय करने की सोची और उन्होंने पशुपालन विभाग से जानकारी ली.

अजहरूद्दीन को पशुपालक विभाग से बकरीपालन योजना की जानकारी मिली और इन्‍होंने खुद का बकरीपालन व्‍यवसाय शुरू किया. अजहरूद्दीन ने बकरीपालन योजना के अंतर्गत देशी नस्‍ल की 10 बकरी और एक बकरे को 77,456 रुपए में खरीदा. अजहरूद्दीन को बकरीपालन योजना में खुद का व्‍यवसाय करने के लिए पशुपालन विभाग से 30,982 रुपए का अनुदान मिला. बकरीपालन व्‍यवसाय करने के बाद हर महीने के 8,000 रुपए से अधिक कमा रहे हैं और अब वे अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

डा. आरएल सोनी ने निदेशक प्रसार शिक्षा का कार्यभार संभाला

उदयपुर : डा. आरएल सोनी ने अपने पूरे सर्विस काल में कृषि प्रसार क्षेत्र में रहते हुए कृषि एवं किसानों के उत्थान के लिए काम किया. उन के कुशल नेतृत्व के द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र, बांसवाड़ा को 2 बार उत्कृष्ट केंद्र का पुरस्कार भी मिला. साथ ही, नीति आयोग द्वारा बांसवाड़ा केंद्र को अतुलनीय कार्यों के लिए ‘ए’ रेटिंग भी मिला.

कृषि विज्ञान केंद्र, वल्लभनगर के प्रथम प्रभारी रहते हुए केंद्र के भवन, किसानघर, प्रदर्शन इकाइयों की स्थापना की. इस के अलावा किसानों को सर्वोच्च मानते हुए उन की खेती को विज्ञान एवं तकनीकी से जोड़ कर अधिक उत्पादन, लाभकारी व टिकाऊ बनाने के लिए भी जमीनी स्तर पर काम किया. किसान और कृषि क्षेत्र से जुड़ी तकनीकियों को लोगों तक पहुंचाया.

दक्षिणी राजस्थान के अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों की छोटी जोत के लिए संबंधित कृषि प्रणाली के माध्यम से आय में बढ़ोतरी की. साथ ही, प्रसार शिक्षा निदेशालय के अतंर्गत कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्रों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. इस के अलावा उन्होंने लघु व सीमांत किसानों के लिए कम लागत की खेती जैसे जैविक खेती, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया.

डा. आरएल सोनी का कहना है कि किसानों की आय में अधिक वृद्धि करने व कृषि तकनीकियों की अधिक जानकारी दिलाने के लिए आईटी व एआई तकनीकियों के उपयोग को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. किसानों के खेतों को यंत्रीकरण व सौर ऊर्जा के अधिक उपयोग से कृषि लागत में कमी लाने पर जोर दिया जाएगा.

नैशनल फिशरीज डिजिटल प्‍लेटफार्म पर करें पंजीयन

मंदसौर : एसके महाजन, सहायक संचालक, मत्‍स्‍योद्योग द्वारा बताया गया कि भारत सरकार के मत्स्यपालन विभाग द्वारा मत्स्यपालन व्यवसाय से जुड़े मत्स्यपालकों, मत्स्य सहकारी समितियों, मछुआरा समूह के सदस्यों, मत्स्य विक्रेताओं एवं मत्स्य उद्यमियों के लिए नैशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किया गया है, जिस पर मत्स्य व्यवसाय से जुड़े सभी व्यक्तियों का पंजीयन किया जाना है.

नैशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफार्म पर पंजीयन स्वयं के मोबाइल फोन अथवा किसी भी कियोस्क सैंटर, कंप्यूटर सेवा केंद्र से आसानी से कराए जा सकते हैं. पंजीयन करने के लिए आधारकार्ड, बैंक पासबुक, पेनकार्ड, ईमेल आईडी एवं स्वयं का मोबाइल नंबर, जिस पर आधार लिंक हो, की आवश्यकता होगी.

नैशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफार्म पर पंजीयन के लिए वैबसाइट nfdp.dof.gov.in पर पंजीयन कर सकते हैं. व्यक्तिगत पंजीयन के लिए सहकारी समिति/मछुआ समूह के लिए चयन कर सकते हैं. पंजीयन की विस्तृत जानकारी के लिए मोबाइल नंबर 9977442266 या 8349217053 एवं कार्यालय सहायक संचालक, मत्स्योद्योग, पुराना कलेक्ट्रेट खनिज विभाग के पास, मंदसौर मे कार्यालयीन समय में संपर्क कर सकते हैं.