किसानों की आमदनी बढ़ाने पर विशेष जोर

सागर : जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाएं एवं किसानों को उन्नत एवं लाभप्रद खेती के लिए प्रोत्साहित करें. फसलों में विविधता लाएं और ऐसी फसलों को प्राथमिकता दें, जो कम समय में तैयार हो जाती हैं. साथ ही, किसानों को प्रमाणित बीज, संतुलित उर्वरक एवं आधुनकि कृषि यंत्रों के उपयोग के लिए प्रेरित करें, जिस से अधिक उत्पादन हो और किसानों की आमदनी बढ़े.

उक्त निर्देश कृषि उत्पादन आयुक्त  एसएन मिश्रा ने संभागीय समीक्षा बैठक में कृषि एवं उस से जुड़े विभागों की गतिविधियों की समीक्षा के दौरान दिए.

बैठक के पहले चरण में सागर संभाग में गत रबी मौसम में हुए उत्पादन और खरीफ मौसम की तैयारियों की समीक्षा की गई. वहीं दूसरे चरण में पशुपालन, मत्स्यपालन एवं दुग्ध उत्पादन की समीक्षा हुई.

कलक्टर कार्यालय के सभागार में आयोजित हुई बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग  अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव  गुलशन बामरा, प्रमुख सचिव उद्यानिकी  सुखवीर सिंह, संभागीय कमिश्नर डा. वीरेंद्र सिंह रावत, सागर कलक्टर  दीपक आर्य, दमोह कलक्टर  सुधीर कोचर,  सुरेश कुमार,  संदीप जीआर,  अरुण विश्वकर्मा,  अवधेश शर्मा सहित संभाग के सभी जिला उद्यानिकी, सहकारिता, बीज विकास निगम, विपणन संघ, बीज प्रमाणीकरण एवं कृषि से जुड़े अन्य विभागों के राज्य स्तरीय अधिकारी और दोनों संभागों के जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी व संबंधित विभागों के संभागीय अधिकारी मौजूद थे.

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने संभाग के सभी जिलों में खाद व बीज भंडारण की समीक्षा की. साथ ही, सभी जिला कलक्टर को निर्देश दिए कि खरीफ के मौसम में किसानों को खादबीज मिलने में दिक्कत न हो. वितरण केंद्रों का लगातार निरीक्षण कर यह सुनश्चित किया जाए कि किसानों को कोई कठिनाई न हो.

कृषि उत्पादन आयुक्त  एसएन मिश्रा ने कहा कि सागर संभाग में उद्यानिकी अर्थात फल, फूल व सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा देने की बड़ी गुंजाइश है. इसलिए संभाग के हर जिले में स्थानीय परिस्थितियों व जलवायु के अनुसार क्लस्टर बना कर उद्यानिकी फसलों से किसानों को जोड़ें. साथ ही, हर जिले में किसानों के एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) बनाने पर भी बल दिया. उन्होंने कहा कि इस से किसानों की आमदनी बढ़ेगी.

कृषि उत्पादन आयुक्त  एसएन मिश्रा ने कम पानी में अधिक सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने वाली पद्धतियों को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि सागर संभाग में स्प्रिंकलर व ड्रिप सिंचाई पद्धति अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित करें. साथ ही, खेत तालाब बनाने के लिए भी किसानों को बढ़ावा दें.

उन्होंने कहा कि इन सिंचाई पद्धतियों के लिए सरकार द्वारा बड़ा अनुदान दिया जाता है.

मौसम एप का व्यापक प्रचारप्रसार करने पर बैठक में विशेष रूप से निर्देश दिए गए. इस एप पर एक हफ्ते की मौसम की जानकारी उपलब्ध रहती है. यह एप गूगल प्ले स्टोर से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है.

कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव, कृषि, ने कहा कि इस एप के माध्यम से किसानों को मौसम की जानकारी समय से मिल सकेगी और वे मौसम को ध्यान में रख कर अपनी खेती कर पाएंगे. साथ ही, अपनी फसल को भी सुरक्षित कर सकेंगे.

कृषि उपज मंडियों को बनाएं हाईटैक और कैशलेस

कृषि उत्पादन आयुक्त  एसएन मिश्रा ने कृषि उपज मंडियों को हाईटैक, कैशलेस व सर्वसुविधायुक्त बनाने पर विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि इस के लिए शासन से माली मदद दिलाई जाएगी. साथ ही यह भी कहा कि हाईटैक से मतलब यह है कि मंडी में किसान की उपज की तुरंत खरीदी हो जाए, उन के बैठने के लिए बेहतर व्यवस्था हो, कैशलेस भुगतान की सुविधा हो और कृषि उपज की आटो पैकेजिंग व्यवस्था हो.

एसएन मिश्रा ने सभी जिला कलक्टर को सहकारी बैंकों की वसूली करा कर बैंकों को मजबूत करने के निर्देश भी बैठक में दिए. उन्होंने किसान क्रेडिटधारी किसानों के साथसाथ गैरऋणी किसानों की फसल का बीमा कराने के लिए भी कहा.

अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि  अशोक वर्णवाल ने कहा कि कृषि यंत्रों का उपयोग किसानों के लिए हर तरह से लाभप्रद है. उन्होंने कृषि यंत्र एवं उपकरणों का प्रजेंटेशन दिखाया और निर्देश दिए कि अनुदान के आधार पर हर जिले में किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराएं.

उन्होंने सागर संभाग में अरहर की वैरायटी अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए. अरहर की पूसा वैरायटी 6 महीने में तैयार हो जाती है और इस फसल के बाद किसान दूसरी फसल भी ले सकते हैं.

अशोक वर्णवाल ने प्रमाणित बीज व उर्वरकों के संतुलित उपयोग व मिट्टी परीक्षण के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने पर भी विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि मिट्टी परीक्षण के लिए स्थानीय कृषि स्नातक युवाओं के जरीए चलित लैब स्थापित कराई जा सकती है. इस से किसानों की ओर से मिट्टी परीक्षण की मांग बढ़ेगी और किसानों व कृषि स्नातक दोनों को फायदा होगा.

कृषि उत्पादन आयुक्त  एसएन मिश्रा ने बैठक के दूसरे चरण में पशुपालन, मत्स्यपालन एवं डेयरी उत्पादन सहित कृषि से जुड़ी गतिविधियों की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि कृषि आधारित अर्थव्यवस्था बगैर पशुपालन के मजबूत नहीं रह सकती. इसलिए किसानों को उन्नत नस्ल के पशुपालन के लिए प्रोत्साहित करें.

एसएन मिश्रा ने पशु नस्ल सुधार पर विशेष बल दिया. साथ ही, बरसात से पहले सभी जिलों में मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए अभियान बतौर टीकाकरण कराने के निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि हर जिले में गौशालाओं को प्रमुखता दें. अधूरी गौशालाएं जल्द से जल्द पूरी कराई जाएं.  किसानों के दुग्ध व्यवसाय को संस्थागत रूप देने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें दुग्ध समितियों से जोड़ें. बैठक में मत्स्यपालन को बढ़ावा देने और दुग्ध संघ को मजबूत करने के संबंध में आवश्यक दिशानिर्देश दिए गए.

एसएन मिश्रा ने सभी कलक्टरों को निर्देश दिए कि बैंक  अधिक से अधिक शासन की योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को दे कर उन को लाभान्वित करें. उन्होंने समस्त किसानों से अपील की कि अधिक मात्रा में उर्वरक का छिड़काव न करें. सभी जिलों में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक एवं बीज का भंडारण सुनिश्चित किया जाए.

दूसरे चरण की बैठक में प्रमुख सचिव मत्स्यपालन डा. नवनीत कोठारी सहित पशुपालन, डेयरी व मत्स्यपालन विभाग के राज्य स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे.

संभाग आयुक्त डा. वीरेंद्र सिंह रावत ने कहा किसानों को जागरूक करने में सोशल मीडिया का उपयोग करें.

संभाग के आयुक्त डा. वीरेंद्र सिंह रावत ने प्रगतिशील किसानों द्वारा की जा रही उन्नत खेती की वीडियो क्लीपिंग बना कर सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से अन्य किसानों को जागरूक करने का सुझाव दिया. साथ ही कहा कि किसानों को स्वसहायता समूहों में संगठित करें, जिस से वे अधिक लाभ कमा सकें. उन्होंने समय के अनुसार खेती में बदलाव लाने पर भी बल दिया.

सभी जिलों के कलक्टर ने बताई अपनेअपने जिले की कार्ययोजना

खेती को लाभप्रद बनाने के लिए संभाग के सभी जिलों में बनाई गई कार्ययोजना के बारे में सभी कलक्टरों ने अपनेअपने सुझाव दिए. जिले में नैनो यूरिया अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. जिले में ज्वार, मक्का व उड़द और उद्यानिकी फसलों का रकबा बढ़ाया जाएगा.

खादबीज (Fertilizer Seeds) की कालाबाजारी रोकने के लिए अभियान

दमोह: जिले में बीज एवं खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए जिला स्तरीय एवं विकासखंड स्तरीय उड़नदस्ता दल का गठन किया गया है. कलक्टर  कोचर खरीफ वर्ष 2024 में खादबीज व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे.

कलक्टर  कोचर ने कहा कि उर्वरक वितरण के दौरान केंद्रों पर जरूरी प्रसाशनिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. डबल लाक केंद्रों, सहकारी समितियों एवं निजी प्रतिष्ठानों में जरूरत पड़ने पर पर्याप्त पुलिस बल का सहयोग लिया जाए.

उन्होंने कहा कि एनपीके उर्वरक का सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचारप्रसार किया जाए और सार्वजनिक स्थल जैसे कृषि उपज मंडी, तहसील कार्यालय, डबल लाक केंद्र एवं कृषि कार्यालयों में 20 जून तक बैनर्स लगा कर किसानों को जागरूक करने के निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि किसानों को डीएपी उर्वरक के स्थान पर एनपीके उर्वरक के उपयोग के लिए जागरूकता शिविर 20 जून से 15 जुलाई  तक आयोजित करने के साथ कृषक संगोष्ठी करने के निर्देश दिए.

डबल लाक केंद्र से सिंगल लाक केंद्र में लक्ष्यानुसार यूरिया 4091 मीट्रिक टन, डीएपी 4055 मीट्रिक टन, काम्प्लेक्स 446 मीट्रिक टन, पोटाश 42 मीट्रिक टन और  एनपीके पर्याप्त मात्रा में भंडारण करा लिया जाए.

उन्होंने कहा कि डीएपी उर्वरक के स्थान पर नैनो डीएपी, यूरिया, एनपीके, काम्प्लेक्स उर्वरकों का भंडारण, वितरण कराने के निर्देश दिए गए.

कलक्टर  कोचर ने कहा कि डबल लाक केंद्रों, सहकारी समितियों एवं निजी प्रतिष्ठानों में किसानों को ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर कतार एवं टोकन वितरित कर उर्वरक वितरण कराया जाए.

बैठक के दौरान जिले में उर्वरक का वितरण पीओएस मशीन के जरीए कराने और खराब पीओएस मशीनों को तत्काल सुधरवाने के निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि पीओएस मशीन में दर्शित उर्वरकों की मात्रा और वास्तविक उर्वरक भंडारण मात्रा का मिलान एवं कालाबाजारी रोकने के लिए 20 जून से 20 अगस्त  तक नियमित रूप से प्रतिष्ठानों का भ्रमण कर सघन अभियान चलाने के लिए निर्देशित किया गया.

विश्वविद्यालय को मिले 13 वर्षों में 13 पेटेंट (Patents)

भागलपुर : 27वीं शोध परिषद की बैठक 19-20 जून 2024 का उद्घाटन 19 जून, 2024 को बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के मुख्य प्रेक्षागृह में कुलपति डा. डीआर सिंह ने किया. शोध परिषद की बैठक हर साल 2 बार की जाती है – खरीफ और रबी मौसम की शुरुआत में.

इस बैठक में विश्वविद्यालय में चल रही विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा होती है, किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए नई परियोजनाओं का प्रारूप तय होता है और नएनए प्रभेदों और विकसित तकनीकों को किसानों के लिए रिलीज भी किया जाता है.

ये सारे कार्य मुख्य रूप से कुलपति के दिशानिर्देश में निदेशक शोध के कुशल संचालन में होता है. इस बैठक में निदेशक शोध, डा. अनिल कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय में चल रहे शोध कार्यों के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में कुल 390 परियोजनाएं चल रही हैं, जिन में 270 पूरी हो चुकी हैं और इस वर्ष खरीफ में कुल 210 नए प्रोजैक्ट की स्वीकृति मिलने वाली है.

उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय के कुशल निर्देशन के परिणामस्वरूप कतरनी धान एवं लीची उत्पादकों को राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत भी किया गया है. शोध निदेशालय किसानों के हित में निरंतर काम कर रहा है और उसी का परिणाम है कि विश्वविद्यालय के 13 वर्ष की अल्पायु में 13 पेटेंट सहित 5 उत्पादों को जीआई प्रमाणपत्र मिले हैं, 69 तकनीकों को रिलीज किया गया है और मक्का, आम, बैगन, लहसुन के प्रभेद भी रिलीज किए गए.

डा. आरएस सिंह ने अपने उद्बोधन में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, टाल एवं दियारा क्षेत्रों के विकास पर बल दिया और विश्वविद्यालय के द्वारा उन क्षेत्रों में चल रहे कामों की प्रशंसा की.

डा. सीपी सचान ने सुझाव दिया कि पारंपरिक तकनीकी को साथ में ले कर ही नई तकनीकों का विकास करें और नए प्रभेदों को बढ़ाएं. इस काम में सभी विभागों का सामंजस्य एवं सहयोग होना आवश्यक है.

उन्होंने सीड रिप्लेसमेंट को बढ़ावा देने और कम पानी वाली फसलों को फसल विविधीकरण में शामिल करने की सलाह दी और ऐसी तकनीक को विकसित करने पर जोर दिया, जो किसानों के क्रयशक्ति की सीमा में हो और टिकाऊ उत्पादन के लिए अच्छा भी.

अपने उद्बोधन में कुलपति डा. डीआर सिंह मौसम बदलाव को ध्यान में रख कर प्रभेदों और तकनीकों का विकसित करने की सलाह दी. उन्होंने खरीफ मक्का उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए तकनीकों को विकसित करने का सुझाव भी दिया.

कुलपति ने पारंपरिक फसलों और पारंपरिक तकनीकी अनुभवों के संरक्षण पर भी बल दिया.

अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि उसी बीज का उत्पादन करें, जो किसानों की मांग हो. जल संसाधन के लिए फर्टीगेशन तकनीक का प्रत्यक्षण बड़े क्षेत्रफल में कराने, पारंपरिक पौधों एवं औषधीय पौधों से कीटनाशी, रोगनाशक दवा बनाने और अंतःवर्ती फसलों को बढ़ावा देने की भी सलाह दी गई.

उन्होंने एमएससी एवं पीएचडी के छात्रों को अपने समय का 10 फीसदी हिस्सा प्रयोगशाला में बिताने का निर्देश भी दिया. अपने अभिभाषण के अंत में उन्होंने सभी नए वैज्ञानिकों को प्रोजैक्ट लीडर/इन्वेस्टिगेटर बन कर अपने वरीय वैज्ञानिक को साथ ले कर काम करने की सलाह दी.

कृषि सखी (Krishi Sakhi) के जरीए कृषि में महिलाओं की बढ़ रही भागीदारी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 जून, 2024 को वाराणसी में कृषि सखियों के रूप में 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को प्रमाणपत्र प्रदान किया. कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान को महसूस करते हुए और ग्रामीण महिलाओं के कौशल को बढ़ावा देने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 30 अगस्त, 2023 को एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए. इस के तहत कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम एक महत्वाकांक्षी पहल है.

यह है कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम

‘लखपति दीदी’ कार्यक्रम के तहत 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का उद्देश्य है. उसी का एक आयाम है कृषि सखी. कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि सखियों को प्रशिक्षण और सर्टिफिकेट प्रदान करने के साथसाथ “कृषि सखी” को “कृषि पैराएक्सटेंशन सहायक” बनाना है. कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम “लखपति दीदी” कार्यक्रम के उद्देश्यों को भी पूरा करता है.

कृषि सखियों को कृषि पैराएक्सटेंशन कार्यकर्ता प्रशिक्षिण के लिए क्यों चुना गया है?

कृषि सखियों को कृषि पैराएक्सटेंशन कार्यकर्ता प्रशिक्षिण के लिए इसलिए चुना गया है, क्योंकि वे विश्वसनीय सामाजिक कार्यकर्ता और अनुभवी किसान हैं. कृषक समुदाय की उन की गहरी समझ के कारण ही इस समुदाय में उन का स्वागत और सम्मान भी किया जाता है.

कृषि सखियों को इन विषयों पर किया जा रहा है प्रशिक्षित

कृषि सखियों को निम्नलिखित मौड्यूल पर 56 दिनों के लिए विभिन्न विस्तार सेवा पर पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है :

– भूमि की तैयारी से ले कर फसल काटने तक कृषि पारिस्थितिक अभ्यास

– किसान फील्ड स्कूलों का आयोजन

– बीज बैंक की स्थापना एवं प्रबंधन

– मृदा स्वास्थ्य, मृदा और नमी संरक्षण प्रथाएं

– एकीकृत कृषि प्रणाली

– पशुधन प्रबंधन की मूल बातें

– बायोइनपुट की तैयारी, उपयोग एवं बायोइनपुट दुकानों की स्थापना

– बुनियादी संचार कौशल

अभी ये कृषि सखियां मैनेज  और डे-एनआरएलएम के माध्यम से प्राकृतिक खेती और मृदा स्वास्थ्य पर प्रशिक्षण ले रही हैं.

प्रशिक्षण के बाद कृषि सखियों के पास रोजगार के लिए उपलब्ध होंगे यह विकल्प

प्रशिक्षण के बाद कृषि सखियां एक दक्षता परीक्षा देंगी. जो सखियां उत्तीर्ण होंगी, उन्हें पैराविस्तार कार्यकर्ता के रूप में प्रमाणित किया जाएगा, जिस से वे निर्धारित संसाधन शुल्क पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं की गतिविधियां करने में सक्षम होंगी. औसत कृषि सखी एक वर्ष में 60,000 से 80,000 रुपए तक कमा सकती हैं.

कितनी संख्या में कृषि सखियों को किया गया प्रमाणित

आज तक 70,000 में से 34,000 कृषि सखियों को पैराविस्तार कार्यकर्ता के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है.

इन राज्यों में शुरू किया गया ‘कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम’

‘कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम’ के प्रथम चरण में 12 राज्यों को शामिल किया गया है: गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मेघालय.

कृषि सखियां किस प्रकार से किसानों की सहायता कर के कर रही हैं कमाई

वर्तमान में एमओवीसीडीएनईआर (पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन) की योजना के तहत 30 कृषि सखियां लोकल रिसोर्स पर्सन यानी एलआरपी के रूप में काम कर रही हैं, जो हर महीने में एक बार प्रत्येक खेत पर जा कर कृषि गतिविधियों की निगरानी करती हैं और किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझती हैं. वे किसानों को प्रशिक्षित करने, किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों, एफपीओ के कामकाज एवं विपणन गतिविधियों को समझने और किसान डायरी रखने के लिए हर हफ्ते किसान हित समूह (एफईजी) स्तर की बैठकें भी आयोजित करती हैं. उन्हें उल्लिखित गतिविधियों के लिए हर महीने 4,500 रुपए का संसाधन शुल्क मिलता है.

पीएम-किसान सम्मान निधि: 20,000 करोड़ रुपए जारी – किसानों तक पंहुचा पैसा

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में पीएम-किसान सम्मान निधि के तहत लगभग 20,000 करोड़ रुपए की 17वीं किस्त जारी की और कृषि सखियों के रूप में 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को प्रमाणपत्र प्रदान किए.

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं अन्य कई राज्य मंत्री उपस्थित रहे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि करोड़ों किसानों के खाते में 20,000 करोड़ रुपए जमा हुए हैं. उन्होंने कृषि सखी पहल को 3 करोड़ ‘लखपति दीदी’ बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम बताया. उन्होंने कहा कि यह पहल लाभार्थी महिलाओं के लिए गरिमा और आय के स्रोत का आश्वासन सुनिश्चित करेगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, “पीएम किसान सम्मान निधि दुनिया की सब से बड़ी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना के रूप में उभरी है.”

उन्होंने कहा कि करोड़ों किसानों के बैंक खातों में 3.25 लाख करोड़ रुपए से अधिक हस्तांतरित किए गए हैं, जहां अकेले वाराणसी में 700 करोड़ रुपए किसान परिवारों को हस्तांतरित किए गए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाभ को योग्य लाभार्थियों तक पहुंचाने में प्रौद्योगिकी के उपयोग की सराहना की और विकसित भारत संकल्प यात्रा का भी श्रेय दिया, जिस ने एक करोड़ से अधिक किसानों को ‘पीएम किसान योजना’ के तहत खुद को पंजीकृत करने में सक्षम बनाया.  उन्होंने यह भी कहा कि पहुंच बढ़ाने के लिए नियमों और विनियमों को सरल बनाया गया है.

नरेंद्र मोदी ने कहा, “जब इरादे और विश्वास सही जगह पर हों, तो किसान कल्याण से जुड़े काम तेजी से होते हैं.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कृषि सखी कार्यक्रम ड्रोन दीदी कार्यक्रम की तरह ही इस दिशा में एक कदम है. आशा कार्यकर्ताओं और बैंक सखियों के रूप में महिलाओं के योगदान को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्र अब कृषि सखियों के रूप में महिलाओं की क्षमताओं को देखेगा.

कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बन कर पहली बार काशी पधारे हैं. बहुमत से तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना एक इतिहास है. जनता द्वारा दिया गया यह जनादेश अपनेआप में अद्भुत और अभूतपूर्व है.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उस की आत्मा है. हमारे लिए किसान ही भगवान है और किसानों की सेवा भगवान की पूजा के समान है. इसी भाव से भारत सरकार लगातार किसानों के कल्याण के काम में लगी है.

उन्होंने कहा कि ये प्रधानमंत्री मोदी की किसानों और खेती के प्रति प्रतिबद्धता ही है कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद सब से पहले किसान सम्मान निधि अर्थात् किसान के खाते में पैसे डालने वाली फाइल पर साइन किया और आज यहां आ कर अपना पहला कार्यक्रम भी किसानों के बीच में किया.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज प्रधानमंत्री के सिंगल क्लिक से लगभग सवा 9 करोड़ किसानों के खाते में 20,000 करोड़ रुपए डालने के बाद लगभग 3,25,000 करोड़ रुपए अब तक किसानों के खाते में डाल दिए गए हैं. किसानों की आय दोगुनी करने के रोडमैप पर लगातार काम हुआ है. इस के लिए एक और सिंचाई योजनाओं के माध्यम से नई तकनीक का प्रयोग कर उत्पादन बढ़ाने के प्रयास लगातार जारी हैं, तो वहीं दूसरी ओर उत्पादन की लागत घटाने के लिए सरकार अरबों रुपए की सब्सिडी देती है, जिस से किसान को सस्ती खाद मिलती है.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दुनिया में खाद के दाम आसमान पर हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार किसानों को सस्ती खाद उपलब्ध करवा रही है. साथ ही, किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजना ने साहूकारों के चंगुल से किसान को मुक्त किया है. छोटे किसान किसान सम्मान निधि से खाद और बीज की व्यवस्था करते हैं.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लिए गए फैसले के अनुरुप सभी प्रदेशों में किसान को फसलों के बेहतर दाम दिलाने के लिए फसल की लागत पर कम से कम 50 फीसदी का लाभ दे कर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाता है.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्राकृतिक आपदा में अगर फसल को नुकसान होता है, तो भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बनाई गई है, तो वहीं कृषि के विविधीकरण को ले कर भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे फूलों की खेती, फलों की खेती, सब्जियों की खेती, औषधीय खेती, कृषि वानिकी, कृषि के साथ पशुपालन, मधुमक्खीपालन आदि को बढ़ावा मिले, ताकि किसानों की आय दोगुनी हो जाए.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री का मानना है कि यह धरती केवल हमारे लिए नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी है. यदि अनियंत्रित कीटनाशक और खाद के प्रयोग से यह धरती बंजर हो गई, तो आने वाली पीढ़ियां इस धरती पर कैसे रहेंगी.

उन्होंने कहा कि इस से निबटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक खेती का अभियान चलाया है. कृषि विभाग दिनरात मेहनत करेगा और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किसानों की भलाई में कोई कसर नहीं छोड़ेगा.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री का संकल्प है 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का, जिस में से लगभग एक करोड़ लखपति दीदी बन चुकी हैं. उसी का एक आयाम है कृषि सखी, जिन्हें आज प्रमाणपत्र भी वितरित किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि ये हमारी वे बहनें हैं, जिन को किसानों को उन के काम में सहयोग करने के लिए ट्रेनिंग दी गई है. ऐसी 34,000 बहनों को अभी तक ट्रेनिंग दी जा चुकी है. ये कृषि सखियां एक ओर किसान को अच्छी खेती करने में सहयोग करेंगी, तो वहन दूसरी ओर अपनी आय भी बढ़ा पाएंगी.

पद्म पुरस्कार 2025 के लिए नामांकन शुरू, जानें आवेदन की अंतिम तिथि

नई दिल्ली : पद्म पुरस्कार अर्थात पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से हैं. 1954 में स्थापित इन पुरस्कारों की घोषणा हर वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है. यह पुरस्कार ‘विशिष्ट कार्य’ को मान्यता देते हैं और इन्‍हें कला, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, सार्वजनिक मामले, नागरिक सेवा, कृषि, व्यापार और उद्योग जैसे सभी क्षेत्रों/विषयों में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा के लिए दिया जाता है. जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना सभी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिए पात्र हैं. चिकित्‍सकों और वैज्ञानिकों को छोड़ कर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में काम कर रहे सरकारी कर्मचारी पद्म पुरस्कार के लिए पात्र नहीं हैं.

किसान खुद ही भर सकते हैं आवेदन

खेतीबारी में विशिष्ट उपलब्धि रखने वाले किसान अपना आवेदन स्वयं भर सकते हैं. इस के लिए उन्हें आवेदन करते समय अपना फोटो, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, आधारकार्ड नंबर के साथ उपलब्धियों को दर्शाने वाले कागजात पीडीएफ में होने चाहिए.

किसानों को आवेदन करते समय आधार आधारित एक ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड प्राप्त होता है, जिस के आधार पर किसान को अपनी कुछ बेसिक डिटेल्स भर कर आवेदन पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा.

रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक यूजर आईडी और पासवर्ड मिल जाता है, जिस के आधार पर अपने प्रयासों और उपलब्धियों को 800 शब्दों में भरना होगा और कुछ बेसिक जानकारियों के साथ अपनी उपलब्धियों के साक्ष्य वाले कागजात को पीडीएफ में अपलोड करना होगा. इसी के साथ ही आवेदक को अपना पासपोर्ट साइज का फोटो व कुछ अन्य जानकारियों को अपलोड करते हुए आवेदन को सबमिट करना होता है.

किसानों द्वारा किए गए आवेदनों को एक सघन स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरना होता है. अगर निर्णायक मंडल द्वारा आवेदन पुरस्कार योग्य पाया जाता है, तो इस की घोषणा गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है.

पुरस्कार विजेताओं की संख्या

एक वर्ष में दिए जा सकने वाले पुरस्कारों की कुल संख्या (मरणोपरांत मामलों और विदेशियों/एनआरआई/ओसीआई को छोड़ कर) 120 है.

यह है चयन प्रक्रिया

पद्म पुरस्कारों के लिए प्राप्त सभी नामांकन/सिफारिशें पद्म पुरस्कार समिति के सामने रखी जाती हैं, जिस का गठन हर साल प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है. पुरस्कार समिति की सिफारिश के अलावा कोई पुरस्कार नहीं दिया जाता है. समिति की सिफारिशें प्रधानमंत्री और भारत के राष्ट्रपति को अनुमोदन के लिए भेजी जाती हैं.

इस महीने में किया जाता है पुरस्कार वितरण

पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा आमतौर पर हर साल मार्च/अप्रैल के महीने में प्रदान किए जाते हैं, जहां पुरस्कार विजेताओं को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (प्रमाणपत्र) और एक पदक प्रदान किया जाता है. पुरस्कार विजेताओं के नाम प्रस्तुति समारोह के दिन भारत के राजपत्र में प्रकाशित किए जाते हैं.

सब के आवेदन के लिए खुला है पोर्टल

सरकार पद्म पुरस्कारों को “पीपुल्स पद्म” में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए सभी नागरिकों से स्वनामांकन सहित नामांकन/सिफारिशें करने का अनुरोध किया जाता है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, दिव्यांग व्यक्तियों, महिलाओं एवं समाज के अन्य कमजोर तबकों के बीच से समाज के लिए निस्वार्थ सेवा कर रहे प्रतिभाशाली व्यक्तियों की उत्कृष्टता और उपलब्धियों की पहचान करने के लिए ठोस प्रयास किए जा सकते हैं.

राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल (https://awards.gov.in ) पर उपलब्ध प्रारूप में नामांकन/सिफारिशों में निर्दिष्ट सभी प्रासंगिक विवरण शामिल होने चाहिए, जिस में वर्णनात्मक रूप में एक उद्धरण (अधिकतम 800 शब्द) शामिल हों, जो स्पष्ट रूप से संबंधित क्षेत्र/अनुशासन में अनुशंसित व्यक्ति की विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवाओं को सामने ला सकें.

इस संबंध में विवरण गृह मंत्रालय की वैबसाइट ( https://mha.gov.in ) और पद्म पुरस्कार पोर्टल ( https://padmaawards.gov.in) पर ‘पुरस्कार और पदक’ शीर्षक के

अंतर्गत भी उपलब्ध है. इन पुरस्कारों से संबंधित कानून और नियम https://padmaawards.gov.in/AboutAwards.aspx वैबसाइट पर लिंक के साथ उपलब्ध हैं.

कृषि योजनाओं के लिए एमपी किसान पोर्टल पर पंजीयन जरूरी

भोपाल : कृषि विभाग की विभिन्न योजना के अंतर्गत बीज, सिंचाई यंत्र एवं आदान सामग्री का लाभ लेने के लिए जिले के किसान पोर्टल ‘एमपी किसान’ पर औनलाइन पंजीयन कराएं. पंजीयन के लिए वैब ब्राउजर पर kisan.mp.gov.in वैबसाइट के माध्यम से खुद या नजदीकी एमपी औनलाइन पर जा कर आवेदन करें.

कृषि विभाग से संबंधित योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए जिले के किसान वैब ब्राउजर पर जा कर kisan.mp.gov.in यूआरएल के माध्यम से किसान खुद ही पंजीयन कर सकते हैं. किसान पोर्टल पर जाने के लिए दिए गए यूआरएल kisan.mp.gov.in वैब ब्राउजर पर अंकित करें. कृषि योजना में पंजीयन करने के लिए कृषि योजना के लिए पंजीयन पर क्लिक करें.

कृषि योजना के लिए पंजीयन करने के लिए लिंक पर क्लिक करने बाद नए टैब में पंजीयन पेज खुल जाता है और पंजीयन के लिए जरूरी दस्तावेज जो संलग्न होने की जानकारी दी जाती है, जैसे किसान का आधारकार्ड, किसान की भूमि से संबंधित जानकारी, किसान की समग्र आईडी, किसान का जाति प्रमाणपत्र, यदि आवेदक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का हो तो जानकारी ध्यानपूर्वक पढ़ें और आगे बढ़ने के लिए बटन पर क्लिक करने के बाद, किसान पंजीयन फार्म प्रदर्शित हो जाता है, जहां 2 औप्शन दिखाई देते हैं. आधार नंबर द्वारा पंजीयन अथवा भूअभिलेख द्वारा पंजीयन करें. औप्शन में से किसी एक औप्शन के माध्यम से अपना पंजीयन कर सकते हैं अथवा नजदीकी एमपी औनलाइन पर जा कर भी अपना पंजीयन, आवेदन कर सकते हैं.

इस वर्ष कृषि विभाग के औनलाइन पोर्टल ‘एमपी किसान’ पर अपने आवेदन का पंजीयन के उपरांत ही कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सकेगा. किसानों से अपील की जाती है कि औनलाइन पोर्टल ‘एमपी किसान’ पर अपना आवेदन पंजीयन कराएं.

कृषक उत्पादक सेल (Farmer Producer Cell) बनाएगी उप्र सरकार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की कृषि उत्पादकता को नए आयाम देने की दिशा में प्रयासरत योगी सरकार प्रदेश को देश के फूड बास्केट के तौर पर विख्यात करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रदेश के अन्नदाता किसानों को सभी सरकारी योजनाओं का लाभ और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की प्रगति व प्रशस्ति का मार्ग सुनिश्चित कर रही योगी सरकार अगले 3 महीने मिशन मोड में अभियान चलाने जा रही है.

सीएम योगी की मंशा के अनुसार, प्रदेश में सक्रिय एफपीओ के औनलाइन पंजीयन, औनलाइन मार्केटिंग प्लेटफार्म से जोड़ने व लाइसैंसिंग और इक्विटी ग्रांट समेत तमाम प्रक्रियाओं के सरलीकरण की प्रक्रिया को क्रियान्वित कर दिया गया है. इस के अतिरिक्त कृषक उत्पादक सेल का भी गठन किया जाएगा.

3,240 एफपीओ आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के अंतर्गत पंजीकृत

योगी सरकार द्वारा कृषि विभाग को सक्रिय किसान उत्पादक संगठनों को सुदृढ़ करने और उन्हें ओएनडीसी और ई-नाम से जोड़ने की प्रक्रिया को गति देने का निर्देश दिया गया है. इन कार्यों को बढ़ावा देने के लिए कृषक उत्पादक सेल का गठन किया जाएगा, जो इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी के तौर पर काम करेगा.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 3,240 एफपीओ आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के अंतर्गत कार्यरत हैं. जिन को ‘शक्ति पोर्टल’ पर पंजीकृत किया गया है.

कई लक्ष्यों की होगी पूर्ति

सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा अनुरूप तैयार की गई विस्तृत कार्ययोजना के जरीए प्रदेश में एफपीओ को सुदृढ़ बनाने का जो फ्रेमवर्क निर्धारित किया गया है, उस में प्रमोशन, पारदर्शी कृषि बाजार का निर्माण, इनपुट लाइसैंसिंग प्रक्रिया (खाद, बीज, कीटनाशक), मंडी लाइसैंस, जीएसटी लाइसैंस, एफएसएसआई लाइसैंस और मार्केट लिंकेज के लिए ओएनडीसी प्लेटफार्म पर औनबोर्ड कराना शामिल है.

इस प्रक्रिया को ओएनडीसी और ई-नाम पोर्टल से जोड़ कर पूरा कराया जाएगा. इस के अलावा इक्विटी ग्रांट, इनपुट लाइसैंस, बीज लाइसैंस, सीड डीलरशिप लाइसैंस और उर्वरक लाइसेंस जैसी तमाम महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी.

कृषक उत्पादक संगठन सेल का होगा गठन

प्रदेश में एफपीओ फ्रेमवर्क को बढ़ावा देने के लिए अगले 3 महीने बड़े पैमाने पर मुहिम चलाई जाएगी. इस क्रम में कृषक उत्पादक सेल भी बनाया जाएगा, जो इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी के तौर पर काम करेगा.

एफपीओ को प्रोत्साहित करने के लिए इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी शासन के साथ विभिन्न स्तरों की बैठकों का आयोजन करेगी और पूरे अभियान की रूपरेखा समेत विस्तृत प्रगति रिपोर्ट भी तैयार करेगी.

इस रिपोर्ट की विभिन्न स्तर पर मौनिटरिंग संभव हो सकेगी, जिस से पारदर्शिता के साथ ही काम की प्रगति की वस्तुस्थिति स्पष्ट हो सकेगी. राज्य सलाहकार समिति (एसएलसीसी) व जिला स्तरीय मौनिटरिंग कमेटी (डीएमसी) प्रक्रिया से संबंधित अभियान के कार्यों का पर्यवेक्षण करेगी.

अटल मजदूर कैंटीन (Atal Mazdoor Canteen) में 10 रुपए में मिल रहा खाना

हरियाणा : हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा प्रदेश की 40 मंडियों में अटल मजदूर कैंटीन चलाई जा रही है. इन कैंटीनों में कोई भी नागरिक विशेषकर किसान व मजदूर मात्र 10 रुपए में भरपेट भोजन कर सकते हैं. पहले यह कैंटीन सीजन के अनुसार चलाई जाती थी, लेकिन पिछले 4 माह से अब यह कैंटीन सालभर के लिए चलाई जा रही हैं.

अंतर्विभागीय मामलों के समाधान के लिए पीएम गति शक्ति की तर्ज पर बनेगा हरियाणा गति शक्ति

मुख्यमंत्री नायब सिंह ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि कई परियोजनाएं जमीन की उपलब्धता न होने या अन्य विभाग से मंजूरी न मिलने के कारण देरी से क्रियान्वित होती हैं. ऐसे सभी मामलों के समाधान के लिए पीएम गति शक्ति की तर्ज पर प्रदेश में भी हरियाणा गति शक्ति बनाया जाए. सभी विभागों को इसे एक प्लेटफार्म पर लाया जाए, ताकि ऐसी जो भी परियोजनाएं हों, जहां एक से ज्यादा विभाग शामिल हों, वे अपने मामलों का त्वरित समाधान करें. साथ ही, जिला उपायुक्त स्तर के मुद्दों को भी हरियाणा गति शक्ति में सुना जाएगा और उन का हल निकाला जाएगा.

5 करम के सभी रास्तों को एकसाथ किया जाए पक्का

बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में खेतों को जाने वाले 5 करम के अधिकतर रास्तों को पक्का किया जा चुका है. जहां 5 करम के रास्तों की चौड़ाई बीचबीच में कम है, ऐसे लगभग 490 किलोमीटर लंबाई के रास्ते शेष हैं, जिन्हें पक्का किया जाना है.

मुख्यमंत्री नायब सिंह ने निर्देश देते हुए कहा कि एक प्रोजैक्ट बना कर ऐसे बचे हुए सभी 5 करम के रास्तों को पक्का किया जाए. इस के अलावा मंडी बोर्ड की जो भी सड़कें खराब हैं, उन की विशेष मरम्मत कराई जाए. 10 दिनों में समुचित प्लानिंग कर के टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाए.

बैठक में मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव  अंकुर गुप्ता, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव  वी. उमाशंकर, मुख्यमंत्री की अतिरिक्त प्रधान सचिव आशिमा बराड़, हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय बागबानी विपणन निगम गन्नौर के प्रबंध निदेशक  जे. गणेशन, हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के मुख्य प्रशासक मुकेश कुमार आहूजा, कृषि विभाग के निदेशक  राज नारायण कौशिक, बागबानी विभाग के महानिदेशक अर्जुन सिंह सैनी और महाराणा प्रताप बागबानी विश्वविद्यालय, करनाल के कुलपति डा. सुरेश के. मल्होत्रा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.

जीवन सुरक्षा योजना में आयु सीमा समाप्त, मिलेगी 5 लाख तक मदद

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार द्वारा किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री किसान एवं खेतिहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना में आयु सीमा को समाप्त करने का बड़ा फैसला लिया है. अब 10 वर्ष से कम आयु के बच्चे और 65 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों को भी योजना के तहत लाभ मिल सकेगा. इस योजना के अंतर्गत किसानों, खेतिहर मजदूरों, मार्केट यार्ड में काम करने वाले मजदूरों को कृषि मशीनरी पर काम करने के दौरान मृत्यु या अंगहानि होने पर 37,500 रुपए से ले कर 5 लाख रुपए तक की माली मदद प्रदान की जाती है.

यह निर्णय मुख्यमंत्री  नायब सिंह की अध्यक्षता में यहां हुई कृषि एवं किसान कल्याण, बागबानी विभाग और हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड की समीक्षा बैठक में लिया गया. बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  कंवर पाल भी मौजूद रहे.

मुख्यमंत्री नायब सिंह ने बिंदुवार सभी परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए विस्तृत दिशानिर्देश दिए.  उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि सभी परियोजनाओं को तय समय में पूरा किया जाए. किसी भी स्तर पर ढिलाई बरदाश्त नहीं की जाएगी. इस के साथ ही आगामी 15 जुलाई से कालका में सेब मंडी में भी काम शुरू किया जाए.