घीया (Sponge Gourd) की खास किस्म ‘एचबीजीएच हाईब्रिड-35’

हिसार: चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित घीया की संकर किस्म ‘एचबीजीएच हाईब्रिड-35’ किस्म ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है, जिस से कि किसान न केवल इस किस्म की अच्छी पैदावार पा सकते हैं, अपितु अच्छी आमदनी प्राप्त कर अपनी माली हालत को मजबूत भी कर सकते हैं. इसी कड़ी में चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और इंडियन फार्म फारेस्ट्री डवलपमैंट कोऔपरेटिव लिमिटेड (आईएफएफडीसी), हिसार के बीच एमओयू हुआ है.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज की उपस्थिति में विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा और इंडियन फार्म फारेस्ट्री डवलपमैंट कोऔपरेटिव लिमिटेड, दिल्ली के एमडी एसपी सिंह ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. इस दौरान इंडियन फार्म फारेस्ट्री डवलपमेंट कोऔपरेटिव लिमिटेड, हिसार के डीजीएम मांगेराम भी मौजूद रहे.

इस अवसर पर इंडियन फार्म फौरेस्ट्री डवलपमैंट कोऔपरेटिव लिमिटेड, दिल्ली के एमडी एसपी सिंह ने कहा कि चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय किसानों से सीधेतौर से जुड़ कर उन के उत्थान में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा विकसित घीया की किस्म ‘एचबीजीएच हाईब्रिड-35’ के बीजों को खेत में बोने के बाद इस के फल पहली तुड़ाई के लिए तकरीबन 55 दिन बाद मंडी में आ जाती है. खास बात यह है कि इस किस्म के फलों का आकार बेलनाकर होने के कारण इसे काफी पसंद किया जाता है.

किस्म की खूबियां:

सब्जी विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. एसके तेहलान ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित घीया की ‘एचबीजीएच हाईब्रिड-35’ की औसतन पैदावार बारिश एवं गरमी के मौसम में 300-310 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आंकी गई है.

इस किस्म की घीया लंबाई में मध्यम, फलों का छिलका पतला एवं मुलायम होता है. साथ ही, इस के फल हलके हरे रंग में बेलनाकार आकार के होते हैं और इन्हें पकाने में भी कम समय लगता है. इसलिए किसान इस किस्म को उगाना अधिक पसंद करते हैं. घीया की एचबीजीएच हाईब्रिड-35 बरसात एवं गरमी की फसल दोनों में प्रमुख बीमारियों जैसे कि पत्ती का धब्बा रोग एवं एंथेक्नोज नामक बीमारी का प्रकोप भी कम मात्रा में होता है.

इस संकर किस्म में कीटों की शुरुआती अवस्था में लालड़ी नामक कीट का कम आक्रमण होता है, जिस को कीट विभाग द्वारा अनुमोदित कैमिकल से आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है.

सब्जी विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक टीम द्वारा विकसित घीया की ‘एचबीजीएच हाईब्रिड-35’ को गरमी व बारिश के दिनों में उगाया जा सकता है. घीया की ‘एचबीजीएच हाईब्रिड-35’ पर बीते 3 सालों तक परीक्षण किए गए, जिन में बारिश के मौसम में इस किस्म की अधिकतम पैदावार 355 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और गरमी के मौसम में इस की पैदावार 260 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई.

इन्हीं मौसमों में इस किस्म के साथ उगाए गए चेक संकर किस्मों से इस किस्म की पैदावार लगभग 25 फीसदी अधिक आंकी गई.

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से ओएसडी डा. अतुल ढींगड़ा, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डा. मंजू महता, मीडिया एडवाइजर डा. संदीप आर्य, एसवीसी कपिल अरोड़ा, डा. धर्मबीर मौजूद रहे.

कृषि यंत्रों (Agricultural Equipment) की लगी प्रदर्शनी

हिसारः चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के फार्म मशीनरी एवं पावर इंजीनियरिंग व नवीकरणीय और जैव ऊर्जा इंजीनियरिंग विभाग के अंतर्गत चल रही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की कृषि उपकरण एवं मशीनरी, कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों में ऊर्जा परियोजना के तहत गांव आर्य नगर में तकनीकी एवं मशीनरी प्रदर्शनी मेला-2024 का आयोजन किया गया.

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डा. जीतराम शर्मा मुख्य अतिथि रहे. उन्होंने आधुनिक युग में कृषि तकनीकों एवं मशीनरी की विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए उन के महत्व को बताया. कृषि यंत्रों व मशीनों के जरीए खेती को न केवल आसान बनाया जा सकता है, बल्कि समय व मेहनत की बचत के साथसाथ फसल उत्पादन को भी बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने किसानों से कहा कि वे कृषि से संबंधित समस्या के निवारण के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की मदद ले सकते हैं.

मेले में कृषि महाविद्यालय एवं कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा ने किसानों से संवाद कर कृषि संबंधित समस्याएं सुनीं और सुझाव दिए. फार्म मशीनरी एवं पावर इंजीनियरिंग विभाग की विभागाध्यक्ष डा. विजया रानी ने सभी का स्वागत कर किसानों को खेती की तैयारी से ले कर फसल की कटाई के लिए उपलब्ध मशीनें, खेती में उपयोगी नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

उन्होंने आगे कहा कि तकनीकी एवं मशीनरी प्रदर्शनी मेला-2024 में कृषि मशीनीकरण के अंतर्गत छोटी जोत वाले किसानों के लिए मशीनों व तकनीकों की प्रदर्शनी लगाई गई, जिस में किसानों के लिए छोटे ट्रैक्टर इंजनचालित जुताई व निराईगुड़ाई यंत्र, फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपयोगी मशीनें जैसे सुपर सीडर, मल्चर व बेलर आदि यंत्रों को प्रदर्शित किया गया. साथ ही, किसानों को इन उपरोक्त विषयों पर जानकारी दे कर इन्हें अपनाने के लिए प्रेरित किया.

इस अवसर पर मेले में विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय से इंजीनियर स्वाप्रिल चैधरी, डा. गणेश उपाध्याय, इंजीनियर नरेश, भारत पटेल एव अमित कुमार सहित अन्य वैज्ञानिक उपस्थित रहे और अपनेअपने विषयों पर व्याख्यान दिए.

मेले में आर्य नगर सहित आसपास के गांवों के काफी तादाद में किसानों ने हिस्सा लिया. इस के अलावा आर्य नगर के स्कूलों के विद्यार्थियों के बीच कृषि यंत्रीकरण विषय पर भाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई और विजेताओं को पुरस्कृत किया गया. किसानों के मनोरंजन के लिए हरियाणा कला परिषद की ओर से विकास सातरोड़ सहित कलाकारों ने सुंदरसुंदर प्रस्तुतियां दीं.

कृषि निर्यात (Agricultural Exports) के लिए एपीईडीए है खास

नई दिल्ली: वर्ष 1987-88 में 0.6 बिलियन अमेरिकी डालर के सालाना निर्यात की मामूली शुरुआत से कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के सक्रिय सहयोग द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 में कृषि निर्यात (Agricultural Exports) में 26.7 बिलियन अमेरिकी डालर की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इस वृद्धि की यात्रा को 200 से अधिक देशों में निर्यात के विस्तार द्वारा रेखांकित किया गया है, यह 12 फीसदी की सराहनीय चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) को दर्शाता है.

वर्ष 2022-23 की अवधि में भारत का कृषि निर्यात 53.1 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच गया. भारत के इस कृषि निर्यात में एपीईडीए का योगदान 51 फीसदी रहा. अप्रैलदिसंबर, 2023 की अवधि में एपीईडीए के निर्यात समूह में 23 प्रमुख वस्तुओं में से 18 ने सकारात्मक वृद्धि का प्रदर्शन किया.

विशेष रूप से 15 बड़ी प्रमुख वस्तुओं में से 13, जिन का निर्यात पिछले वर्ष 100 मिलियन अमेरिकी डालर से अधिक था, इन्होंने 12 फीसदी की औसत वृद्धि दर के साथ सकारात्मक वृद्धि की. वहीं ताजा फलों ने 29 फीसदी की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज करते हुए उत्कृष्टता प्राप्त की.

इस के अलावा इस अवधि में प्रसंस्कृत सब्जियों के निर्यात में 24 फीसदी की वृद्धि हुई. इस के बाद विविध प्रसंस्कृत वस्तुओं, बासमती चावल और ताजी सब्जियों के निर्यात में भी पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में पर्याप्त वृद्धि हुई. ताजा फलों के निर्यात में भारत ने उल्लेखनीय रूप से वृद्धि की. यह पिछले वर्ष के 102 गंतव्य देशों की तुलना में आज 111 देशों को अपनी सेवाएं दे रहा है.

एपीईडीए ने 13 फरवरी, 2024 को अपने 38वें स्थापना दिवस के अवसर पर कृषि निर्यात के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अद्वितीय वृद्धि और प्रगति का उत्सव मनाया. कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ वर्ष 1986 में स्थापित एपीईडीए भारत के कृषि निर्यात को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभर कर आया है.

अप्रैलनवंबर 2023 के दौरान कई प्रमुख वस्तुओं में पिछले वर्ष की तुलना में पर्याप्त वृद्धि देखी गई, जैसे केले में 63 फीसदी, दालें (सूखे और छिलके वाले) में 110 फीसदी, ताजे अंडे में 160 फीसदी और केसर व दशहरी आम में क्रमशः 120 फीसदी और 140 फीसदी रहा.

अप्रैल से दिसंबर, 2023 की अवधि के दौरान बासमती चावल के निर्यात मूल्य में 19 फीसदी की वृद्धि देखी गई, जो पिछले वर्ष के 3.33 बिलियन अमेरिकी डालर की तुलना में 3.97 बिलियन अमेरिकी डालर तक पहुंच गया. साथ ही, निर्यात की मात्रा में 11 फीसदी की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो समान समयसीमा में 31.98 लाख मीट्रिक टन से बढ़ कर 35.43 लाख मीट्रिक टन हो गई.

बासमती चावल ने शीर्ष बाजारों तक अपनी पहुंच बना ली है. ईरान, इराक, सऊदी अरब, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात इन निर्यातों के लिए शीर्ष 5 गंतव्यों के रूप में उभर कर आए हैं.

निर्यात का यह दमदार प्रदर्शन बासमती चावल की स्थायी लोकप्रियता और वैश्विक मांग की पुष्टि करता है, जिस से भारत के निर्यात क्षेत्र में एक प्रमुख कृषि उत्पाद के रूप में इस की स्थिति और अधिक मजबूत हो गई है.

किसान बना निर्यातक (Exporter) : आस्ट्रेलिया भेजा मोटा अनाज

नई दिल्ली: कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने मोटा अनाज आधारित मूल्यवर्धित उत्पादों के विपणन और निर्यात में तकरीबन 500 स्टार्टअप को सुविधा प्रदान की है. संगरूर के किसान दिलप्रीत सिंह निर्यातक बन गए हैं. उन्होंने 803 अमेरिकी डालर कीमत की 14.3 मीट्रिक टन मोटा अनाज की पहली खेप निर्यात की. एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने उन की पहली खेप को हरी झंडी दिखा कर भेजा.

इस खेप में कोदो मिलेट, फौक्सटेल मिलेट, लिटिल मिलेट, ब्राउनटौप मिलेट और बार्नयार्ड मिलेट से बने रेडी टू कुक मोटा अनाज शामिल हैं. इस के अलावा रागी, ज्वार, बाजरा, फौक्सटेल, कोदो, बार्नयार्ड, ब्राउनटौप, लिटिल और प्रोसो मोटा अनाजों से तैयार आटा भी इस अद्वितीय निर्यात खेप में शामिल है.

सिडनी स्थित आयातक जसवीर सिंह ने भी वर्चुअल फ्लैगऔफ समारोह में भाग लिया.

उन्होंने इस सहकार्य को आसान बनाने में भरपूर मदद के लिए एपीडा के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया. वह मोटा अनाज को ले कर आगे व्यापार के अवसरों को बढ़ाने को ले कर आशावादी हैं. उन्होंने भविष्य में इस तरह की और खेपों का आयात जारी रखना सुनिश्चित किया है. किसान के पास शुरू से अंत तक संपूर्ण मूल्य श्रंखला नियंत्रण होता है, जो खरीदारों के लिए आवश्यक होता है. किसान अपने खेतों में बाजरा उगाते हैं, अपनी इकाई में वे इन का प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण करते हैं, जिस में अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता की पैकेजिंग भी शामिल है.

सफलता की यह कहानी इस बात का उदाहरण है कि कृषि क्षेत्र को कैसे बदला जा सकता है. दिलप्रीत जैसे किसान कृषि निर्यात में प्रमुख योगदानकर्ता बन सकते हैं. यह अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में उतरने वाले स्थानीय किसानों के सशक्तीकरण का प्रतीक है.

साल 2021-22 में मोटा अनाज निर्यात 62.95 मिलियन अमेरिकी डालर से बढ़ कर साल 2022-23 में 75.45 मिलियन अमेरिकी डालर और अप्रैलनवंबर, 2023 तक 45.46 मिलियन अमेरिकी डालर के वर्तमान निर्यात के साथ मोटा अनाज वैश्विक बाजार में लोकप्रियता हासिल कर रहा है. मूल्यवर्धित मोटा अनाज उत्पादों सहित अन्य अनाज के निर्यात में यह उल्लेखनीय वृद्धि है. यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 12.4 फीसदी की वृद्धि है.

किसान ‘ई-उपार्जन पोर्टल’ (e-procurement portal) पर करें पंजीयन

रायसेन: किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री ऐदल सिंह कंषाना ने चना, मसूर एवं सरसों उत्पादक किसानों से अपील की है कि वे उपज के उपार्जन के लिए ‘ई-उपार्जन पोर्टल’ पर अपना पंजीयन जरूर कर लें.

उन्होंने बताया कि रबी वर्ष 2023-24 (विपणन वर्ष 2024-25) में ई-उपार्जन पोर्टल पर 20 फरवरी से 10 मार्च, 2024 तक पंजीयन की कार्यवाही होगी. मंत्री ऐदल सिंह कंषाना ने बताया कि भारत सरकार की प्राइस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत रबी वर्ष 2023-24 (विपणन वर्ष 2024-25) में ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन के लिए खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने विस्तृत निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि चना, मसूर एवं सरसों की फसलों के www.mpeuparjan.nic.in  पर किसानों को पंजीयन कराना होगा.

मंत्री एदल सिंह कंषाना ने यह भी बताया कि पंजीयन की व्यवस्था, पंजीयन केेद्रों के निर्धारण, पंजीयन केेद्रों पर अन्य व्यवस्थाओं के लिए निर्देश दे दिए हैं. उन्होंने आगे बताया कि चने की फसल का पंजीयन प्रदेश के समस्त जिलों में होगा. मसूर की फसल का पंजीयन 37 जिलों में एवं सरसों की फसल का पंजीयन प्रदेश के 40 जिलों में होगा.

इन जिलों में समर्थन मूल्य पर मसूर का पंजीयन

मसूर का पंजीयन भिंड, दतिया, शिवपुरी, अशोक नगर, सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दमोह, सतना, रीवां, सीधी, सिंगरौली, उमरिया, शहडोल, अनूपपुर, मंडला, डिंडोरी, जबलपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, कटनी, राजगढ़, विदिशा, रायसेन, सीहोर, नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा, उज्जैन, मंदसौर, आगर, शाजापुर, रतलाम, नीमच एवं धार में किया जाएगा.

इन जिलों में समर्थन मूल्य पर सरसों का पंजीयन भिंड, मुरैना, श्योपुर कला, गुना, अशोक नगर, शिवपुरी, ग्वालियर, दतिया, सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, रीवां, सीधी, सिंगरौली, सतना, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, जबलपुर, कटनी, डिंडोरी, मंडला, सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, शाजापुर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, नीमच, देवास, आगर, विदिशा, राजगढ़, रायसेन, नर्मदापुरम, बैतूल, एवं हरदा में किया जाएगा.

किसानों को मिलेगा इजराइली तकनीक ( Israeli Technology) का लाभ

जयपुर: राजस्थान में इजराइल के कृषि एवं उद्यानिकी में तकनीकी सहयोग हेतु कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री डा. किरोड़ी लाल मीणा ने पिछले दिनों सचिवालय में इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन और इजराइली प्रतिनिधिमंडल के साथ विस्तृत चर्चा की. बैठक में प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी वैभव गालरिया और उद्यानिकी आयुक्त लक्ष्मण सिंह कुड़ी भी उपस्थित रहे.

राज्य में अंगूर व खजूर की खेती की संभावना और उच्च विद्युत चालकता (ईसी) एवं पीएच के जल से कृषि उत्पादन पर नवीन तकनीकी सहयोग के संबंध में डा. किरोड़ी लाल मीणा ने इजराइल के राजदूत के साथ विस्तृत चर्चा की. कृषि मंत्री ने सवाई माधोपुर में उत्पादित किए जा रहे अमरूद की प्रोसैसिंग हेतु सहयोग की संभावना पर काम करने के लिए कहा. इजराइल के राजदूत द्वारा इस पर आश्वस्त किया गया कि वे इस पर काम कर शीघ्र ही अवगत कराएंगे.

बैठक के दौरान प्रमुख शासन सचिव ने इजराइल के तकनीकी सहयोग से स्थापित किए गए बस्सी एवं जयपुर में अनार, कोटा में सिट्रस व जैसलमेर में खजूर के उत्कृष्टता केंद्रों की प्रगति से अवगत कराया. उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर इजराइल के तकनीकी विशेषज्ञों की देखरेख में तकरीबन 2,500 हेक्टेयर क्षेत्र में उन्नत कृषि तकनीक के माध्यम से अनार, संतरा एवं खजूर की खेती की. तकरीबन 15,000 किसानों को प्रशिक्षित किया गया और 7 लाख, 70 हजार किसानों को पौध रोपण सामग्री उपलब्ध कराई गई.

Israeli Technology

उत्कृष्टता केंद्रों पर अपनाई जा रही तकनीक पर इजराइली प्रतिनिधिमंडल ने संतोष जाहिर कर बताया कि इजराइल के सहयोग से स्थापित तीनों उत्कृष्टता केंद्र किसानें के हित में काम कर रहे हैं और इन केंद्रों पर किसानों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जा रहा है. साथ ही, उच्च गुणवतायुक्त पौध रोपण सामग्री किसानों को उपलब्ध कराई जा रही है.

इजराइल के राजदूत ने कृषि मंत्री को आमंत्रित किया कि वे एक तकनीकी दल एवं किसानों के साथ इजराइल का भ्रमण करें, ताकि वे फल, फूल, सब्जी और अन्य बागबानी फसलों पर इजराइल द्वारा किए गए कामों का अवलोकन कर सकें, जिस से कृषि क्षेत्र में उन्नत तकनीकी की कार्ययोजना बनाई जा सके.

भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) की बढ़ी पूंजी

नई दिल्लीः कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने और संपूर्ण देश में किसान कल्याण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार ने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारतीय खाद्य निगम की अधिकृत पूंजी 10,000 करोड़ रुपए से बढ़ा कर 21,000 करोड़ रुपए करने का ऐतिहासिक फैसला किया है. यह रणनीतिक कदम किसानों को समर्थन देने और भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) देश की खाद्य सुरक्षा के स्तंभ के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खाद्यान्न की खरीद, रणनीतिक खाद्यान्न भंडार के रखरखाव, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को वितरण और बाजार में खाद्यान्न की कीमतों को स्थिर रखने सहित विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों में उल्लेखनीय भूमिका निभाता है.

अधिकृत पूंजी में वृद्धि अपने अधिदेश को प्रभावी ढंग से पूरा करने में भारतीय खाद्य निगम की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. पूंजी की आवश्यकता के अंतर को पूरा करने के लिए एफसीआई नकद ऋण, अल्पावधि ऋण, अन्य तरीकों और साधन आदि का माध्यम अपनाता है.

अधिकृत पूंजी में वृद्धि और आगे निवेश से ब्याज का बोझ कम होगा, आर्थिक लागत कम होगी और अंततः भारत सरकार की सब्सिडी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. पूंजी के इस प्रवाह के साथ भारतीय खाद्य निगम अपनी भंडारण सुविधाओं का आधुनिकीकरण, परिवहन नैटवर्क में सुधार और उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर भी काम करेगा. ये उपाय न केवल फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करेंगे, बल्कि उपभोक्ताओं को खाद्यान्न का कुशल वितरण भी सुनिश्चित करेंगे.

सरकार, कार्यशील पूंजी की आवश्यकता और पूंजीगत संपत्ति के लिए एफसीआई को इक्विटी प्रदान करती है. एफसीआई मौजूदा आंतरिक प्रणालियों (एफएपी, एचआरएमएस) और बाहरी प्रणालियों (राज्य खरीद पोर्टल, सीडब्ल्यूसी व एसडब्ल्यूसी) का लाभ उठाते हुए एक एकीकृत सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) प्रणाली बनाने के लिए पहल कर रहा है. ईऔफिस प्रणाली लागू करने से यह कागजों का कम प्रयोग करने वाला संगठन बन गया है. एकीकृत सूचना प्रौद्योगिकी समाधानों की यह पहल सूचना का एकल स्रोत प्रदान करेगी और एक सामान्य डिजिटल कार्यों को सुव्यवस्थित करेगी.

भारतीय खाद्य निगम अपनी दक्षता बढ़ाने के लिए सीमेंट सड़क, छत के रखरखाव, रोशनी और वेटब्रिज अपग्रेड, खाद्य सुरक्षा वृद्धि सुनिश्चित करने जैसे कार्यों को निष्पादित कर रहा है. प्रयोगशाला उपकरणों की खरीद और क्यूसी प्रयोगशालाओं के लिए एक सौफ्टवेयर प्लेटफार्म के विकास का उद्देश्य गुणवत्ता जांच में सुधार करना है.

‘आउटटर्न रेशियो‘, ‘शेल्फलाइफ‘ और ‘‘फोर्टिफाइड चावल के लिए कीट प्रबंधन‘‘ पर अध्ययन एक कुशल और खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के निर्माण के लिए भारतीय खाद्य निगम की प्रतिबद्धता दर्शाता है. स्वचालित डिजिटल उपकरणों के एकीकरण का लक्ष्य पारदर्शी खरीद तंत्र के लिए मानवीय हस्तक्षेप को दूर करना और कर्मचारियों के लिए आधारभूत संरचना ढांचे का विस्तार करना, किराए पर बचत करना और एफसीआई के लिए संपत्ति अर्जित करना है.

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) आधारित खरीद और भारतीय खाद्य निगम की परिचालन क्षमताओं में निवेश के लिए सरकार की दोहरी प्रतिबद्धता किसानों को सशक्त बनाने, कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ करने और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक सहयोगात्मक प्रयास का प्रतीक है. इन उपायों का मुख्य लक्ष्य किसान कल्याण है और कृषि क्षेत्र का समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करना है.

सरकार खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में भारतीय खाद्य निगम की उल्लेखनीय भूमिका को देखते हुए समयसमय पर एफसीआई और नामित केंद्रीय पूल (डीसीपी) राज्यों द्वारा बनाए जाने वाले खाद्यान्न भंडार के रणनीतिक स्तर को निर्दिष्ट करती है. यह भविष्य की किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निबटने के लिए इन मानदंडों का पालन करता है, जिस से देश की खाद्य संबंधी चुनौतियों के प्रति लचीला दृष्टिकोण सुनिश्चित होता है.

‘सुफलम 2024’ में नवाचार (Innovation) पर जोर

नई दिल्ली: स्टार्टअप फोरम फौर एस्पायरिंग लीडर्स एंड मेंटर्स (सुफलम) 2024 का समापन इस संदेश के साथ हुआ कि खाद्य प्रसंस्करण के विभिन्न पहलुओं में नवाचार, सहयोग और उन्नत प्रौद्योगिकियां खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में स्टार्टअप को स्थापित खाद्य व्यवसायों में बदलने में प्रमुख प्रेरक की भूमिका निभाती हैं.

13 फरवरी और 14 फरवरी को नई दिल्ली में आयोजित इस दोदिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कृषि एवं किसान कल्याण एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में सचिव अनीता प्रवीण, कुंडली स्थित एनआईएफटीईएम के निदेशक डा. हरिंदर ओबेराय और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में अपर सचिव मिन्हाज आलम की गरिमामयी उपस्थिति में किया.

इस आयोजन में 250 से अधिक हितधारकों की भागीदारी देखी गई, जिस में स्टार्टअप, खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी, एमएसएमई व वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधि, उद्यम पूंजीपति और शिक्षाविद शामिल थे.

2 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में 3 ज्ञान सत्र, 2 पिचिंग सत्र, 2 पैनल चर्चा, नैटवर्किंग सत्र और एक प्रदर्शनी शामिल थी. स्टार्टअप सिंहावलोकन एवं लाभों से जुड़े ज्ञान सत्र के दौरान प्रतिभागियों को स्टार्टअप इंडिया की भूमिका, स्टार्टअप इंडिया के तहत मैंटरशिप एवं नवाचारों से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों और इस पहल द्वारा देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने में मदद करने के बारे में बताया गया.

खाद्य विनियमों से जुड़े अन्य ज्ञान सत्र के दौरान प्रतिभागियों को एफएसएसएआई एवं ईआईसी नियमों के अनुसार, विभिन्न खाद्य उत्पादों के घरेलू उपयोग, आयात और निर्यात में विभिन्न नियमों, प्रमाणपत्रों और अनुपालनों के बारे में उचित जानकारी दी गई. ताजा और प्रोसैस्ड खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एपीडा के तहत विभिन्न योजनाओं के बारे में नई जानकारी स्टार्टअप के लिए व्यवसाय और वित्तीय मौडलिंग थी, जिस में व्यवहार्यता और स्थिरता दिखाने वाली व्यवसाय योजना की तैयारी और किसी भी व्यवसाय की वित्तीय योजना में मुक्त नकदी प्रवाह के महत्व एवं उचित नकदी प्रवाह प्रबंधन पर स्टार्टअप को विभिन्न सुझाव दिए गए.

खाद्य प्रणालियों को बदलने से जुड़ी पैनल चर्चा कच्चे माल के विविधीकरण, शैवाल एवं मिलेट्स जैसे जलवायु अनुकूल विकल्पों और उद्यमिता में रचनात्मकता पर केंद्रित थी. खाद्य सुरक्षा मानकों को पूरा करने एवं आपूर्ति श्रंखलाओं को अनुकूलित करने के लिए प्रोसैसिंग मशीनरी, कच्चे माल और नवीन कृषि तकनीकी उपायों की डिजाइनिंग पर प्रकाश डाला गया. कच्चे माल की सोर्सिंग में हस्तक्षेप, प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों और टिकाऊ पैकेजिंग में अवसरों की खोज और निरंतर नवाचारों के लिए सहयोग पर भी चर्चा की गई.

फूड प्रोसैसिंग से जुड़े उद्यमियों के लिए स्टार्टअप कौन्क्लेव पर सत्र के दौरान खाद्य नवाचार केंद्र के रूप में भारत की क्षमता, उद्योग, स्टार्टअप और संस्थानों के बीच तालमेल की जरूरत पर बल देते हुए चर्चा की गई. मुख्य चर्चाएं उपभोक्ता प्राथमिकताओं और अनुपालन मानकों के अनुरूप टिकाऊ पैकेजिंग के महत्व पर केंद्रित थीं. स्टार्टअप से गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल की सोर्सिंग, किसानों के साथ सहयोग करने और प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों और किफायती पोषण आधारित उत्पादों में उद्यम करने में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया गया. यह सत्र निरंतर नवाचार के लिए सभी क्षेत्रों में विशेष रूप से क्रेडिट नवाचार और क्रौस उद्योग साझेदारी के माध्यम से सहयोग पर जोर देने के साथ संपन्न हुआ.

दोनों ही दिन निर्धारित 2 पिचिंग सत्रों में 12 चयनित स्टार्टअप ने खाद्य प्रौद्योगिकीविदों, एसबीआई और एचडीएफसी बैंक के शीर्ष बैंकिंग अधिकारियों, वीसी, एनआईएफटीएम के संकाय और उद्योग पेशेवरों के एक पैनल के सामने अपने विचार पेश किए. 6 स्टार्टअप को उत्पाद परिशोधन, बाजार लिंकेज के साथसाथ निवेशक जुड़ाव के बारे में सलाह एवं सहायता की पेशकश की गई.

पैनलिस्टों ने इस पहल का स्वागत किया और उभरते छोटे उद्यमों को मार्गदर्शन एवं मार्गदर्शन के लिए भविष्य में ऐसे प्रयासों के लिए समर्थन की पेशकश की. इस दोदिवसीय कार्यक्रम के दौरान 26 स्टार्टअप, 9 पीएमएफएमई लाभार्थियों और 3 सरकारी एजेंसियों सहित कुल 38 प्रदर्शकों ने अपने उत्पादों, योजनाओं और प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया. इस के अलावा स्टार्टअप और उद्योग के बीच अलगअलग नैटवर्किंग सत्र भी हुए, जहां स्टार्टअप को मदद और तकनीकी सहायता देने पर चर्चा हुई.

‘सुफलम 2024’ ने परिवर्तनकारी चर्चाओं के एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया है और इन चर्चाओं ने नवाचार संचालित विकास की दिशा में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का मार्ग प्रशस्त किया है और स्टार्टअप, उद्योग और शिक्षाविदों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया है.

एपीडा 38वां स्थापना दिवस: कृषि आय (Agricultural Income) बढ़ाने में सक्षम

मिर्जापुर: पूर्वी उत्तर प्रदेश, जिसे पूर्वांचल भी कहा जाता है, से कृषि और प्रोसैस्ड फूड प्रोडक्ट्स की निर्यात क्षमता का लाभ उठाने के लिए एपीडा यानी कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ने 14 फरवरी, 2024 को मिर्जापुर में ‘कृषि निर्यात: क्षमता निर्माण और क्रेताविक्रेता बैठक‘ का आयोजन किया.

इस कार्यक्रम में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल मुख्य अतिथि रहीं. राज्यसभा सांसद राम शकल की अगुआई में कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, निर्यातक संघों के प्रतिनिधि, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), हितधारकों और क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने भी इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई. इस कार्यक्रम को किसानों से बहुत उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली और 1500 से अधिक किसानों ने कार्यक्रम में भाग लिया.

अपने मुख्य भाषण में अनुप्रिया पटेल ने कृषि निर्यात बढ़ाने के महत्व पर जोर देते हुए न केवल देश की विदेशी मुद्रा में योगदान देने की उन की क्षमता पर प्रकाश डाला, बल्कि रोजगार के मामले में सब से बड़ा क्षेत्र होने के नाते किसानों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि की भी चर्चा की.

उन्होंने भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का हवाला देते हुए किसानों की आय बढ़ाने में भारत सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई और वैश्विक बाजारों तक उन की पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए वाणिज्य विभाग के संकल्प को रेखांकित किया.

उन्होंने बागबानी, मसालों और समुद्री उत्पादों जैसे विभिन्न कृषि क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार के फोकस को भी रेखांकित किया. उन्होंने ऐसी ही एक आगामी महत्वपूर्ण परियोजना, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में चुनार उपमंडल में बनने वाली ‘सरदार वल्लभभाई पटेल निर्यात सुविधा केंद्र‘ पर प्रकाश डाला, जो निकट अवधि में पूरा होने पर इस क्षेत्र से कृषि निर्यात को काफी बढ़ावा देगा, जिस से पूर्वांचल देश का एक कृषि निर्यात हब बन जाएगा.

एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने बाजार संबंधों पर ध्यान केंद्रित कर के और निर्यात बुनियादी ढांचे को बढ़ा कर एफपीओ और किसानों के लिए निर्यात के अवसरों को बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की.

उन्होंने आगे बताया कि एपीडा, जिस ने 13 फरवरी, 2024 को अपना 38वां स्थापना दिवस मनाया, कृषि निर्यात मूल्य श्रंखला में सभी हितधारकों, विशेषकर किसानों को उभरते बाजार के अवसरों के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और जोखिम प्रदान कर के उन की आय बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. उन्होंने दोहराया कि एपीडा सभी हितधारकों के लाभ के लिए निकट भविष्य में भी ऐसे आयोजन करना जारी रखेगा.

Agricultural Income

‘सरदार वल्लभभाई पटेल निर्यात सुविधा केंद्र‘ कृषि और इस से जुड़े क्षेत्र के निर्यात को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. इस नए विकासशील बुनियादी ढांचे की कल्पना एफपीओ, किसानों, निर्यातकों और अन्य हितधारकों की जरूरतों को पूरा करने वाली एक व्यापक सिंगल विंडो सिस्टम के रूप में की गई है. मिर्जापुर जिले के चुनार उपमंडल में 5 एकड़ क्षेत्र में फैली इस परियोजना में सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ एक आधुनिक पैकहाउस की भी सुविधा है. इस के अलावा परियोजना में एक प्रशिक्षण सुविधा भी है, जिस से क्षेत्र के सभी किसानों और एफपीओ और एफपीसी को लाभ होगा.

अंत में इस परियोजना में प्रमुख निर्यात उन्मुख सरकारी निकायों जैसे एमपीईडीए, मसाला बोर्ड, आईआईपी, ईआईसी के कार्यालय भी होंगे, जो क्षेत्र के कृषि निर्यात ईकोसिस्टम के लिए सेवाएं देंगे.
एपीडा के प्रयासों के साथ अब पूर्वांचल क्षेत्र के वाराणसी हवाईअड्डे पर कोल्डरूम, क्वारंटीन और कस्टम क्लीयरेंस सेवाओं और कृषि एयर कार्गो के लिए हवाईअड्डे की सक्रियता जैसी महत्वपूर्ण निर्यात सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जिन में से सभी में वर्ष 2019 से पहले कुछ न कुछ कमी थी.

वाराणसी हवाईअड्डे द्वारा दिसंबर, 2023 तक 702 मीट्रिक टन जल्दी खराब होने वाले माल की हैंडलिंग हुई, जो पिछले साल के 561 मीट्रिक टन के आंकड़े के मुकाबले काफी ज्यादा रही और वास्तव में यह क्षेत्र की कृषि निर्यात क्षमताओं में उल्लेखनीय प्रगति को दर्शाता है. एपीडा ने पूरे भारत से अग्रणी खरीदारों को आमंत्रित करने, एफपीओ और किसानों को सीधे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने के लिए क्रेताविक्रेता बैठकें आयोजित करने में भी मदद की.

इस बात पर जोर दिया जा सकता है कि एपीडा की पहल ने उत्तर प्रदेश को वित्त वर्ष 2023-24 (23 अप्रैल से 23 नवंबर) में केवल गुजरात और महाराष्ट्र को पीछे छोड़ते हुए तीसरा सब से बड़ा निर्यातक राज्य बनने के लिए प्रेरित किया है.

Agricultural Incomeएपीडा द्वारा गंगा क्षेत्र की क्षमता के सफल दोहन ने एफपीओ और निर्यातकों को क्षेत्र से कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सशक्त बनाया है. लगभग 50 एफपीओ को कृषि निर्यात के लिए निर्यातकों के रूप में बढ़ावा दिया गया है, जिन में से 20 से अधिक सक्रिय रूप से प्रत्यक्ष और डीम्ड निर्यात दोनों में लगे हुए हैं. हरी मिर्च, आम, टमाटर, भिंडी, आलू, सिंघाड़ा, क्रैनबेरी, केला, जिमीकंद, लौकी, परवल, अरवी, अदरक, ताजा गेंदा जैसे ताजे फल और सब्जियों और चावल सहित कृषि उत्पादों की एक बड़ी रेंज का निर्यात किया गया है, जो वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए क्षेत्र की क्षमता को रेखांकित करता है.

पिछले दस वर्षों में दालों का उत्पादन (Pulses Production) 60 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण व वस्त्र और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने और 50 अरब डालर से अधिक के कृषि संबंधी उत्पादों के निर्यात को सक्षम बनाने के लिए कृषि उत्पादों के उत्पादन एवं गुणवत्ता में बढ़ोतरी होने पर प्रसन्नता व्यक्त की.

मंत्री पीयूष गोयल ने सहकारी प्रमुख भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) के सहयोग से वैश्विक दलहन परिसंघ द्वारा आयोजित ‘नेफेड: पल्स 2024 सम्मेलन’ में अपने संबोधन के दौरान यह बात कही. इस कार्यक्रम का आयोजन सहकारी क्षेत्र के प्रमुख राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) के सहयोग से किया गया.

मंत्री पीयूष गोयल ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने और देश को खाद्यान्न, दलहन, मसूर, सब्जियों व फलों के एक बड़े उत्पादक राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में उन के योगदान के लिए भारत के किसानों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि इस से विभिन्न खाद्य उत्पादों के उत्पादन एवं गुणवत्ता दोनों में विस्तार हुआ है, जिस से भारत 50 अरब डालर से अधिक के कृषि और संबंधित उत्पादों का निर्यातक बन गया है.

उन्होंने कहा कि पिछले दशक में किसानों की प्रतिबद्धता व क्षमताओं के कारण दालों का उत्पादन साल 2014 में 171 लाख टन से 60 फीसदी बढ़ कर साल 2024 में 270 लाख टन हो गया है. दालों को न केवल भारत का, बल्कि दुनिया का एक प्रमुख आहार बनाने के लिए राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और वैश्विक दलहन परिसंघ के बीच साझेदारी बढ़ती रहेगी.

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आगे कहा कि सरकार ने देश के किसानों का सहयोग करने और भारतीय नागरिकों के लिए उचित मूल्य वाली दालों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के मकसद से भारत दाल की शुरुआत की है. ‘भारत‘ ब्रांड के तहत खुदरा बिक्री के लिए सरकार द्वारा खरीदी गई चना दाल ने बाजार में उतरने के 4 महीनों में ही दलहन के क्षेत्र में 25 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर ली है.

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि विभिन्न ई-कौमर्स साइटों पर ग्राहक समीक्षाओं से ‘भारत दाल’ को मिली उच्च रेटिंग किसानों की उच्च गुणवत्ता वाली दालों का उत्पादन करने की क्षमता को दर्शाती है और सरकार के सहयोग से यह आम आदमी के लिए सहजता से उपलब्ध भोजन बन सकता है. पिछले एक दशक में दालों की सरकारी खरीद 18 गुना बढ़ चुकी है.

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि साल 2015 में सरकार ने मध्यम कीमतों और मूल्य स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए बफर स्टाक की शुरुआत की थी, जिस से उपभोक्ताओं को खाद्य मुद्रास्फीति से बचाया जा सके. इस के असर से विकसित दुनिया सहित कई देश 40 साल की उच्च मुद्रास्फीति से जूझ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि भारत सब से कम मुद्रास्फीति दर के साथ एक प्रमुख देश था और पिछले दशक में मुद्रास्फीति को दोहरे अंक में 5-5.5 फीसदी तक लाने में सक्षम रहा है.

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बारे में उन्होंने कहा कि एमएसपी आज हमारे किसानों को उत्पादन की वास्तविक लागत से 50 फीसदी अधिक कीमत का आश्वासन देती है, जिस से निवेश पर आकर्षक रिटर्न मिलता है.

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि एक दशक पहले प्रदान की गई राशि की तुलना में मसूर में 117 फीसदी, मूंग में 90 फीसदी, चना दाल में 75 फीसदी अधिक, तुअर और उड़द में 60 फीसदी अधिक वृद्धि के साथ एमएसपी आज सब से अधिक है.

मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि नेफेड व एनसीसीएफ किसानों को दलहन व मसूर में विविधता लाने के मकसद से प्रोत्साहित कर रहे हैं और सरकारी खरीद के लिए 5 साल के अनुबंध के लक्ष्य के साथ सुनिश्चित मूल्य प्रदान करने के इच्छुक हैं, जो भारत सरकार का एक बड़ा महत्वपूर्ण कदम है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि भारत दुनिया में मोटे अनाज का सब से बड़ा उत्पादक और 5वां सब से बड़ा निर्यातक है. सरकार श्रीअन्न की तरह ही दलहन और मसूर पर भी समान रूप से ध्यान केंद्रित कर रही है.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कार्यक्रम में उपस्थित उद्योग जगत के प्रमुखों से उत्पादकता में सुधार लाने और दलहन उद्योग को बढ़ाने के लिए सुझाव देने एवं मार्गदर्शन प्रदान करने का आग्रह किया.