बलराम तालाब योजना के लिए आवेदन आमंत्रित

बड़वानी: कृषि के बेहतर विकास के लिए सतही एवं भूमिगत जल की उपलब्धता को पूरा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत बलराम तालाब निर्माण पर अनुदान दिया जा रहा है. बलराम तालाब किसानों द्वारा स्वयं के खेतों पर बनाए जाते हैं. तालाब निर्माण से फसलों में जीवनरक्षक सिंचाई के साथसाथ भूजल संवर्धन और पास के कुओं और नलकूपों को चार्ज करने के लिए भी ये अत्यंत उपयोगी हैं. इस योजना का लाभ समूचे मध्य प्रदेश में सभी तबके के किसान ले सकते हैं.

इच्छुक किसानों द्वारा ईकृषि यंत्र अनुदान पोर्टल कइज.उचकंहम.वतह पर औनलाइन आवेदन करने के पश्चात कृषि विभाग के क्षेत्रीय भूमि संरक्षण अधिकारी व ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी को तालाब बनाने के लिए दिए गए आवेदन के आधार पर ‘पहले आएं पहले पाएं’ के आधार पर पंजीयन कर पात्रतानुसार अनुदान का भुगतान किया जाता है.

बलराम तालाब के बंधान पर तुअर अथवा अन्य उपयुक्त फसलें लगाई जा सकती हैं, जिस से किसान को कुछ अतिरिक्त लाभ प्राप्त हो सकेगा. साथ ही, तालाब में मछलीपालन और बतखपालन कर के भी किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं.

योजना के अंतर्गत सामान्य किसानों को स्वीकृत लागत पर 40 फीसदी या अधिकतम राशि रुपए 80,000 लघु व सीमांत किसानों को लागत का 50 फीसदी या अधिकतम 80,000 रुपए और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों को 75 फीसदी या अधिकतम रुपए एक लाख रुपए तक का अनुदान प्रावधानित है.

जिले के सामान्य किसानों के लिए 14, अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 17 और अनुसूचित जाति के किसानों के लिए 6. इस प्रकार कुल 37 बलराम तालाब निर्माण के लक्ष्य प्राप्त हुए हैं. इसलिए किसानों से अपील की जाती है कि पात्रता के अनुसार ही बलराम तालाब निर्माण के लिए पंजीयन करा कर योजना का लाभ प्राप्त करें.

अनेक सरकारी पहल और जैविक खेती को बढ़ावा

नई दिल्ली: 75वीं गणतंत्र दिवस परेड 26 जनवरी, 2024 को दिल्ली में कर्तव्य पथ पर भव्यता के साथ आयोजित की गई. इस वर्ष भारत सरकार ने इस महत्वपूर्ण परेड को देखने के लिए देश की प्रगति और एकता का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न क्षेत्रों के 15,000 से अधिक लोगों को विशेष निमंत्रण दिया था.

गणमान्य व्यक्तियों की सूची में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 1500 से अधिक किसानों को निमंत्रण दिया, जो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थी हैं. इस के अलावा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) ने 25 और 26 जनवरी को अपने विशेष आमंत्रित लोगों के लिए 2 दिवसीय कार्यक्रम और प्रशिक्षण भी आयोजित किया.

एक समृद्ध अनुभव के लिए, 25 जनवरी 2024 को किसानों के लिए प्रमुख सरकारी योजनाओं और कृषि अवसंरचना निधि, प्रति बूंद से अधिक फसल, पीएमएफबीवाई आदि जैसी पहलों पर एक व्यापक प्रशिक्षण सत्र और पूसा परिसर के प्रसिद्ध क्षेत्रों का एक फील्ड दौरा आयोजित किया गया था.

कार्यक्रम की शुरुआत केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा की उपस्थिति में एक उद्घाटन समारोह से हुई, जिस में राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे भी शामिल हुईं. गणमान्य व्यक्तियों ने प्रशिक्षण सत्र के संदर्भ और उन के आर्थिक कल्याण के प्रति सरकार की अटूट प्रतिबद्धता और निरंतर समर्थन पर प्रकाश डाला.

26 जनवरी को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के विशेष आमंत्रित लोगों ने कर्तव्य पथ पर शानदार परेड देखी. परेड के बाद सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने राष्ट्र को आकार देने में किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जिन में कृषि बजट में 5 गुना वृद्धि, रिकौर्डतोड़ खाद्यान्न और बागबानी उत्पादन और एमएसपी में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी शामिल है.

पीएम किसान, पीएमएफबीवाई जैसी सरकारी पहल और जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली योजनाएं किसानों के कल्याण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं.

मंत्री अर्जुन मंुडा ने कृषि परिदृश्य को बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति दिखाते हुए ऋण पहुंच, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना और प्राकृतिक खेती के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला.

कार्यक्रम का समापन किसानों को मंत्रियों और गणमान्य व्यक्तियों के साथ एक समूह फोटो सत्र में भाग लेने का अवसर मिलने के साथ हुआ, जिस के बाद दोपहर के भोजन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम स्थल पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की योजनाओं और पहलों को प्रदर्शित करने वाले समर्पित सेल्फी स्टैंड और बैनर थे, जो 2 दिवसीय उत्सव के दौरान उल्लेखनीय आकर्षण के रूप में काम कर रहे थे. किसानों ने निर्दिष्ट स्टैंडों पर सक्रिय रूप से भाग लिया और तसवीरें खिंचवाते हुए अपनी प्रसन्नता व्यक्त की.

समुद्री शैवाल की खेती

कच्छ: केंद्रीय मत्स्यपालन, मछुआरा समाज, मत्स्यपालन स्टार्टअप पूरे भारत में समुद्री शैवाल की खेती को अपनाने और समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने के लिए पशुपालन और डेयरी मंत्री, परषोत्तम रूपाला ने राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की.

कच्छ सीट से मत्स्य विभाग के सचिव डा. अभिलक्ष लिखी, मत्स्य विभाग की संयुक्त सचिव नीतू कुमारी प्रसाद, मत्स्य विभाग के संयुक्त सचिव सागर मेहरा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक डा. जेक. जेना, सीमा सुरक्षा बल के महानिरीक्षक अभिषेक पाठक, राष्ट्रीय मत्स्य विकास परिषद के सीई डा. एलएन मूर्ति, गुजरात सरकार के निदेशक (एफवाई) नितिन सांगवान और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर मौजूद थे.

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री (एफएएचडी) परषोत्तम रूपाला ने प्रतिभागियों, मछुआरों और मछुआरा महिलाओं को संबोधित किया और समुद्री शैवाल की खेती के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने व्यापक उत्पाद अवसरों को ध्यान में रखते हुए मछुआरों और मछुआरा महिलाओं को समुद्री शैवाल की खेती अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया.

मंत्री परषोत्तम रूपाला ने यह भी कहा कि यह समुद्री शैवाल की खेती पर पहला राष्ट्रीय सम्मेलन है, जो समुद्री शैवाल उत्पादों के रोजगार सृजन का एक विकल्प है, क्योंकि यह समुद्री उत्पादन में विविधता लाता है और मछली किसानों की आय बढ़ाने के अवसरों को बढ़ाता है.

Seaweedउन्होंने यह भी कहा कि यह पारंपरिक मछली पकड़ने पर निर्भरता कम करता है और तटीय समुदायों की आजीविका में विविधता लाता है.

केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने यह भी बताया कि कोरी क्रीक का पायलट प्रोजैक्ट समुद्री शैवाल की खेती के लिए गेमचैंजर हो सकता है. इसलिए हम यहां समुद्री शैवाल की खेती स्थल पर एकत्र हुए हैं. समुद्री शैवाल की खेती को सफल बनाने के लिए उन्होंने सभी हितधारकों से अपने सुझाव और इनपुट के साथ आगे आने का आह्वान किया.

मत्स्य विभाग के सचिव डा. अभिलक्ष लिखी ने समुद्री शैवाल की खेती की चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डाला. उन्होंने समुद्री शैवाल मूल्य श्रंखला में चुनौतियों का आकलन करने और समाधान खोजने की आवश्यकता पर जोर दिया.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि सरकार का लक्ष्य समुद्री शैवाल उत्पादन में नवाचार करना, नीतिगत ढांचे, विनियमों पर विचारविमर्श करना, नैटवर्किंग के अवसरों को सुविधाजनक बनाना और रिश्तों को बढ़ावा देना है.

उन्होंने यह भी बताया कि समुद्री शैवाल मूल्य श्रंखला की इंडटूइंड मैपिंग और मूल्य श्रंखला में बाधाओं को संबोधित करना समय की मांग है और हमारा विभाग इस के लिए प्रतिबद्ध है.

केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ मत्स्यपालन स्टार्टअप जैसे कि क्लाइमैक्रू (गुजरात) और पुकाई एक्वाग्री (आंध्र प्रदेश), अनुसंधान संस्थानों अर्थात आईसीएआर- सैंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई), सीएसआईआर – सेंट्रल साल्ट मरीन कैमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, रसायन अनुसंधान संस्थान (सीएसएमसीआरआई) और आईसीएआर-केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईएफटी) और एनएफडीबी (भारत सरकार) द्वारा स्थापित प्रदर्शनी के विभिन्न स्टालों का दौरा किया. स्टालों में समुद्री शैवाल के मूल्यवर्धित उत्पादों और खेती की प्रक्रियाओं और प्रयुक्त सामग्री का प्रदर्शन किया गया.

केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने प्रदर्शनी में भाग लेने वाले उद्यमियों और वैज्ञानिकों से बातचीत की.

केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला को सीमा सुरक्षा बल की हाई स्पीड नौका से कोरी क्रीक परियोजना स्थल पर गए और समुद्री खरपतवार की खेती के विभिन्न तरीकों को देखा. समुद्री शैवाल विकास पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान गुजरात के कच्छ जिले के कोरी क्रीक में सीएमएफआरआई, सीएसएमसीआरआई और एनएफडीबी पायलट परियोजनाओं की ओर से मोनोलिन, ट्यूबनैट और राफ्ट भी प्रदर्शित की गईं.

Seaweedमंत्री परषोत्तम रूपाला ने अत्याधुनिक समुद्री शैवाल खेती देखी, राफ्ट कल्चर और ट्यूबनैट पायलट आईसीएआर-सीएमएफआरआई, सीएसएमसीआरआई और टीएससी-पर्पल टर्टल के साथ समुद्र से पैदा होने वाले भोज्य पदार्थों को अपनाने के बेहतर तरीके प्रदान कर रहे हैं. गणमान्य लोगों ने अनुसंधान संस्थानों और निजी उद्यमियों के प्रतिनिधियों के साथ बात की और प्रगति, चुनौतियों और आगे की योजनाओं को ले कर भी बात की.

आईसीएआर-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) कोच्चि के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. दिवु, सीएसआईआर-केंद्रीय नमक समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान (सीएसएमसीआरआई), भावनगर के वरिष्ठ प्रोफैसर डा. मंगल सिंह राठौड़ और वैज्ञानिकों एवं सीवीड कंपनी, लक्षद्वीप से उद्यमी हरि एस. थिवाकर की ओर से औनफील्ड अनुभव अन्य विवरण प्रस्तुत किए गए.

नीतू प्रसाद ने केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को उन के प्रयासों, उन के मार्गदर्शन और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने समुद्री शैवाल क्षेत्र में हासिल की गई उपलब्धियों और प्रगति पर प्रकाश डाला.

केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने लाभार्थियों को पीएमएमएसवाई की विभिन्न परियोजनाओं के स्वीकृति आदेश भी वितरित किए. इन में नई फिन फिश हैचरी, नया तालाब आदि शामिल थे. इस के अलावा घेड फिश एंड फाम्र्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड को मोनोलाइन के साथ समुद्री शैवाल कल्चर की मोनोलाइन प्रति ट्यूबनैट मेथड इनपुट सहित स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई.

इस मौके पर प्रतिभागी भी शामिल हुए. इन में मत्स्य किसान, मछुआरे, मत्स्यपालन सहकारी समितियां और राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों के मत्स्य प्रबंधन में शामिल सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक और विभिन्न मत्स्यपालन विश्वविद्यालयों और कालेजों आदि के शोधकर्ता शामिल रहे. सम्मेलन में 300 लाभार्थियों ने भाग लिया. इस दौरान सभी प्रतिभागियों को सर्वोत्तम तरीकों आदि के बारे में जानने और समुद्री शैवाल विशेषज्ञों के साथ विचारों का आदानप्रदान करने का अवसर मिला.

सम्मेलन के दौरान पूरे समुदाय के लाभ के लिए मत्स्यपालन क्षेत्र में समुद्री शैवाल की खेती की पहुंच को मजबूत करने और विस्तार देने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया गया.

सम्मेलन के दौरान भिन्नभिन्न हितधारकों के साथ जागरूकता बढ़ा कर मत्स्यपालन समुदाय में अनुभवों और सफलता के विवरण के प्रस्तुत किए गए. इस ने समुद्री शैवाल की खेती को अपनाने के लिए उद्यमियों, प्रसंस्करणकर्ताओं, किसानों के बीच सहयोग और साझेदारी की समझ बढ़ाने और इसे बढ़ावा देने का एक बेहतर अवसर प्रदान किया.

सावधानीपूर्वक किए गए बहुआयामी कार्यक्रमों के माध्यम से देश का मत्स्यपालन क्षेत्र प्रगति के पथ पर है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) मत्स्यपालन विभाग (डीओएफ) की महती योजना है और इस में समुद्री शैवाल की खेती सहित विभिन्न मत्स्यपालन गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता के प्रावधान शामिल हैं. समुद्री शैवाल को विश्व स्तर पर पोषक तत्वों के एक महत्वपूर्ण स्रोत और कार्बन अलग करने वाले घटक के रूप में देखा जाता है, इसलिए इस का विकास और उपयोग पर्यावरण के नुकसान को कम करने, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने और आबादी की खातिर पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है. भारत में समुद्री शैवाल का आर्थिक महत्व, खेती, भोजन, फार्मास्यूटिकल्स, सौंदर्य प्रसाधन, जलीय कृषि और जैव ईंधन उत्पादन की क्षमता में इस के योगदान से निर्मित हुआ है. यह रोजगार उत्पन्न करता है, ब्लू इकोनोमी का समर्थन करता है और निर्यात के अवसर प्रदान करता है.

समुद्री शैवाल के क्षेत्र का विकास, पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी लाभों के साथ मत्स्यपालन विभाग की प्रमुख योजना, पीएमएमएसवाई के लिए प्रमुख क्षेत्रों में से एक है. इस क्षेत्र को विकसित करने की पहल की गई है.

लैवेंडर की खेती व ईट्रैक्टर की झांकी

नई दिल्ली: वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद यानी सीएसआईआर की गणतंत्र दिवस की झांकी ने जम्मू और कश्मीर में लैवेंडर की खेती के माध्यम से शुरू हुई बैंगनी क्रांति की शुरुआत पर प्रकाश डाला. सीएसआईआर के वैज्ञानिक हस्तक्षेपों के कारण लैवेंडर की खेती में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और प्रयोगशाला से बाजार तक लैवेंडर उत्पादों का विकास होने के साथ ही जम्मूकश्मीर में कई कृषि स्टार्टअप्स का निर्माण हुआ है.

झांकी में सीएसआईआर द्वारा विकसित भारत के पहले महिला अनुकूल, कौम्पैक्ट इलैक्ट्रिक ट्रैक्टर का भी प्रदर्शन किया गया. यह आकर्षक झांकी गणतंत्र दिवस परेड 2024 के विकसित भारत विषय के अनुरूप है.

सीएसआईआर ने जम्मूकश्मीर के समशीतोष्ण क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त लैवेंडर की एक विशिष्ट प्रजाति विकसित की और किसानों को निश्चित पौधे और शुरू से अंत तक की सभी कृषि प्रौद्योगिकियां करने के साथसाथ जम्मूकश्मीर के कई क्षेत्रों में आवश्यक तेल निष्कर्षण के लिए आसवन इकाइयां भी स्थापित कीं. जम्मूकश्मीर में लैवेंडर की खेती की सफलता ने इसे ‘बैंगनी क्रांति यानी पर्पल रिवोल्यूशन‘ नाम दिया.

झांकी के सामने वाले हिस्से में लैवेंडर की प्रचुर खेती और जम्मूकश्मीर की 21वीं सदी की एक सशक्त महिला किसान की मूर्ति को प्रदर्शित किया गया है. मध्य खंड में सीएसआईआर के वैज्ञानिकों द्वारा वैज्ञानिक हस्तक्षेप और एक किसान को गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री प्रदान करने का प्रदर्शन किया गया और लैवेंडर फार्म लैंड पर काम करने वाले किसानों को भी दिखाया गया है.

कृषि यांत्रिक प्रौद्योगिकी के अंतर्गत सीएसआईआर, प्राइमा ईटी 11 के स्वदेशी रूप से विकसित भारत के पहले महिला अनुकूल सुगठित (कौम्पैक्ट) इलैक्ट्रिक ट्रैक्टर का प्रदर्शन किया गया. कृषि तकनीकी विकास पर प्रकाश डालते हुए, लैवेंडर फूलों से आवश्यक तेल निकालने के लिए आसवन इकाई भी दिखाई गई.

झांकी का पिछला भाग भारत में कृषि स्टार्टअप की सोच और लैवेंडर आधारित उत्पादों (इत्र, तेल, अगरबत्ती) के निर्यात को दर्शाता है. पूरी तरह से महिला सीएसआईआर झांकी ने किसानों की आय, नारी शक्ति, कृषि स्टार्टअप और वैश्विक व्यापार को बढ़ाने वाले वैज्ञानिक विकास की सरकार की पहल के अंतर्गत मिली उपलब्धियों को प्रदर्शित किया है.

प्रगतिशील किसानों का किया सम्मान

उदयपुर: 26 जनवरी, 2024. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन परिसर के खेल मैदान पर देश का 75वां गणतंत्र दिवस समारोह उत्सापहपूर्वक मनाया गया. इस मौके पर प्रगतिशील किसानों के अलावा उत्कृष्ट काम करने वाले शैक्षिक, तकनीकी, कार्मिकों एवं विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया.

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अधीन 7 जिलों के डीन व डायरैक्टर व कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारियों ने भाग लिया. इस अवसर पर डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि गणतंत्र दिवस स्वतंत्र और एकीकृत भारत की मूल भावना का प्रतीक है. 26 जनवरी, 1950 वह गौरवशाली दिन था, जब हम ने भारत के संविधान को लागू किया. आज भारत हर क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व कर रहा है. हमारा विश्वास है कि प्रत्येक क्षेत्र में आने वाला समय भारत का है.

उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि साल 2023 हमारे विश्वविद्यालय के सफलतम वर्षों में से एक रहा है, जिस में शिक्षण, शोध, प्रसार और उद्यमिता विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं.  उन्होंने वर्षपर्यंत विश्वविद्यालय व संघटक महाविद्यालयों में हुए विविध कार्यक्रमों का हवाला देते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष मनाने में भीे इस विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है.

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि विश्वविद्यालय ने विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं द्वारा साल 2023 में 76 तकनीकों का विकास कर किसानों के उपयोग के लिए सिफारिश की गई है. एमपीयूएटी को विगत एक वर्ष में 13 टैक्नोलौजी और मशीन हेतु प्राप्त करने पर पेटेंट गौरवान्वित करने का अवसर है. इस के अलावा बीजोत्पादन, मत्स्य, मुरगीपालन, मशरूम  उत्पादन, तकनीक हस्तांतरण में भी विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय काम किए. यही नहीं, प्राकृतिक खेती में भी विश्वविद्यालय ने कदम रखा है और अच्छे नतीजे आने की उम्मीद है.

प्रगतिशील किसानों सहित कृषि वैज्ञानिकों व छात्रछात्राओं का सम्मान

कार्यक्रम के आयोजक छात्र कल्याण अधिकारी डा. मनोज महला ने बताया विगत वर्ष में उल्लेखनीय कामों के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों व शैक्षणेत्तर कर्मचारियों को कुलपति ने प्रशस्तिपत्र दे कर सम्मानित किया.

सम्मानित होने वाले प्रगतिशील किसान: हीरालाल चरपोटा, रतन लाल खांट (बांसवाड़ा), अंबालाल जाट, रामेश्वर लाल जाट, परमेश्वर लाल व कालूलाल माली (सभी भीलवाड़ा), राम सिंह मीणा, जगदीश लाल धाकड़ (चित्तौड़गढ़), हितेश पटेल, अमृत लाल परमार (डूंगरपुर), केसूलाल मीणा, भैरूलाल मीणा (प्रतापगढ़), छोगालाल सालवी, महेंद्र प्रताप सिंह पंवार (राजसमंद) और शंकर लाल जणवा, भैरूलाल जाट (उदयपुर).

उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित: डा. पीके सिंह, डा. रतन लाल सौलंकी (चित्तौड़गढ़), डा. पीसी चपलोत, हनुमान सिंह सौलंकी, कौशल सिंह, तुलसीराम डांगी, रमेश कुमावत. इन के अलावा केवीके, भीलवाड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक व हैड डा. सीएम यादव व टीम एआरएसएस, वल्लभनगर के डा. केके यादव व उन की पूरी टीम, प्राकृतिक खेती के लिए भीलवाड़ा के डा. एलएल पंवार व टीम डा. एनएल पंवार व टीम को सम्मानित किया गया. साथ ही, विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों में अध्ययनरत 15 छात्रछत्राओं को भी सम्मानित किया गया.

जनसंपर्क अधिकारी डा. लतिका व्यास ने बताया कि परेड का नेतृत्व अंडर अफसर हर्षवेंद्र सिंह राणावत ने किया. आरंभ में कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक व अतिथियों ने  फूलों  की खेती (फ्लोरल गाइड) पर आधारित निर्देशिका का विमोचन किया. संचालन डा. विशाखा बंसल ने किया.

डा. रेखा व्यास को वरिष्ठ वैज्ञानिक पुरस्कार- 2024

डा. रेखा व्यास, एमेरिटस प्रोफैसर, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर को सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय, तुरा, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंफाल द्वारा उमियाम, मेघालय में 17-19 जनवरी, 2024 को आयोजित 35वें द्विवार्षिक सम्मेलन में होम साइंस एसोसिएशन औफ इंडिया द्वारा वरिष्ठ वैज्ञानिक पुरस्कार 2024 से नवाजा गया. यह पुरस्कार उस वैज्ञानिक को दिया जाता है, जिस ने अनुसंधान के माध्यम से समाज के उत्थान में अपना योगदान दिया.

 

Dr. Rekha Vyas

 

डा. रेखा व्यास ने ‘कार्यस्थल के अप्रकट हत्यारे: स्वास्थ्य जोखिम एवं मांसपेशियों संबंधी विकार’ पर अनुसंधान प्रस्तुति दी, जिस में 7 व्यवसाय करने वाले यानी किसान, सब्जी उत्पादक, डेयरी कर्मचारी, निर्माण श्रमिक, टेलर, दरी बुनकर एवं कार्यालय कर्मचारियों को कार्यस्थल पर होने वाले जोखिम पर किए गए शोध व उन से बचाव की तकनीक व उपाय बताए.

इस सम्मेलन में देश के 27 राज्यों से 400 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. यह पुरस्कार उन्हें नागालैंड की संसद की सदस्या एस. फांगनोन कोन्याक ने कुलपति व अन्य पदाधिकारियों की उपस्थिति में प्रदान किया.

हमारे अन्नदाता देश की शान- अर्जुन मुंडा

नई दिल्ली: 26 जनवरी, 2024. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष पहल पर केंद्र सरकार के आमंत्रण पर विभिन्न राज्यों से देश की राजधानी दिल्ली आए डेढ़ हजार से ज्यादा किसान भाईबहनों ने गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में जोश व उमंग के साथ शिरकत की. इन में से कई किसान पहली बार राजधानी आए थे.

कर्तव्य पथ पर मुख्य समारोह में शामिल होने के बाद ये किसान पूसा परिसर में आए, जहां केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने इन का स्वागत किया. इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री कैलाश चैधरी व शोभा करंदलाजे, डेयर के सचिव व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक और वैज्ञानिक एवं तमाम अधिकारी उपस्थित थे.

पूसा में 2 दिवसीय किसान सम्मेलन के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75वें गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में नारी शक्ति को प्रधानता दी, जिस के लिए उन का हार्दिक धन्यवाद दिया. प्रधानमंत्री मोदी महिलाओं, युवाओं, किसानों व गरीबों के लिए लगातार काम कर रहे हैं और इन तबकों के लिए देश में विकास के नए आयाम स्थापित हो रहे हैं, साथ ही विकसित भारत बनाने में इन सब का अविस्मरणीय योगदान रहेगा.

उन्होंने कहा कि हमारे अन्नदाता, हमारे देश की शान हैं , जो किसी जातिवर्ग से बंधे हुए नहीं हैं, बल्कि समग्र रूप से देश का पेट भर रहे हैं और मुझे खुशी है कि ऐसे अन्नदाताओं के बीच काम करने का मौका मिल रहा है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि किसानों को इस भावना के साथ काम करना चाहिए कि हम किसी से कम नहीं, वहीं अपने लहलहाते खेतों व उर्वरा मिट्टी के माध्यम से विकसित भारत में अपना योगदान देना चाहिए. किसानों की नई पीढ़ी भी इस दिशा में आगे आए.

Farming

मंत्री अर्जुन मुंडा ने जानकारी दी कि देश में रिकौर्ड खाद्यान्न उत्पादन हुआ है, जिस का श्रेय किसानों को जाता है. साल 2013-14 में उत्पादन तकरीबन 265 मिलियन टन था, वहीं 2022-23 में बढ़ कर 329.69 मिलियन टन हो गया. बागबानी उत्पादन भी 351.92 मिलियन टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है.

मोदी सरकार ने किसानों के लिए कई लाभकारी योजनाएं चलाई हैं, साथ ही किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी लाभ पहुंचाया गया है. विशेष रूप से बीते एक दशक में धान एमएसपी में 66.79 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि गेहूं एमएसपी 62.50 फीसदी बढ़ी है, जो किसानों के लिए अनुकूल व सुरक्षित वातावरण बनाती है. इसी तरह केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-औयल पाम के जरीए खाद्य तेल की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. इस का मकसद अतिरिक्त क्षेत्रों को औयल पाम की खेती में शामिल करना है.

उन्होंने बताया कि साल 2019 में पीएम किसान सम्मान निधि की शुरुआत से अब तक 11 करोड़ से अधिक किसानों को हर साल 6 हजार रुपए की अतिरिक्त आय सहायता प्रदान करना भी एक गेमचेंजर साबित हुआ है. इसी तरह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी कृषि मंत्रालय की प्रमुख पहल है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2016 में शुरू किया था.

 

Farming Farming

 

किसान नामांकन के मामले में दुनिया की यह सब से बड़ी फसल बीमा योजना व बीमा प्रीमियम में तीसरे नंबर की यह योजना 22 राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों में लागू जा रही है, जिस में अन्य राज्य जुड़ रहे हैं. इस में किसानों के नामांकन में अत्यधिक वृद्धि के साथ साल 2023 में 2 करोड़ से अधिक का सर्वकालिक उच्च नामांकन हुआ है. बीमित क्षेत्र में भी साल 2022-23 में पिछले साल की तुलना में 12 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो 497 लाख हेक्टेयर से अधिक के व्यापक कवरेज तक पहुंच गई है.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी), मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना जैसी पहलों से किसानों को सशक्त बनाया जा रहा है व खेतीकिसानी को बढ़ावा दिया जा रहा है. जैविक व प्राकृतिक खेती को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने जनांदोलन के रूप में प्राकृतिक खेती पर बल दिया है.

मंत्री अर्जुन मुंडा सम्मेलन के पहले और बाद में किसानों से अलगअलग समूहों के साथ फोटो सैशन में शामिल हुए और उन से अपनेअपने राज्यों में कृषि क्षेत्र से संबंधित चर्चाएं की. दिल्ली प्रवास के दौरान किसानों ने पूसा में प्रशिक्षण लिया.

प्रदेश में लगेंगे तीस हजार सोलर पंप – सूर्य प्रताप शाही

लखनऊ: उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर 24 से 26 जनवरी, 2024 को आयोजित तीनदिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत द्वितीय दिवस में कृषि विभाग द्वारा किसानों को समर्पित कार्यक्रम का आयोजन प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में आयोजित किया गया.

इस कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव (कृषि), डा. देवेश चतुर्वेदी, सचिव कृषि, डा. राज शेखर, कृषि निदेशक डा. जितेंद्र कुमार तोमर के साथसाथ कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक एवं भारी संख्या में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए किसानों ने हिस्सा लिया.

इस अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय प्राकृतिक कृषि गोष्ठी में बोलते हुए कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि सरकार की सभी योजनाएं औनलाइन की जा चुकी हैं, पारदर्शी व्यवस्था के माध्यम से निचले पायदान तक सरकार द्वारा किसानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. सोलर पंप पर छूट बढ़ाते हुए 30,000 सोलर पंप लगाए जाने के लिए व्यवस्था की गई है.

Solar Pump

प्राकृतिक खेती के लिए विभिन्न योजनाओं जैसे परंपरागत कृषि विकास योजना, बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती की योजना, नमामि गंगे जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को सहायता दी जा रही है. प्राकृतिक उत्पादों की टेस्टिंग के लिए मंडल स्तर पर एवं कृषि विश्वविद्यालय में लैब स्थापना की जानकारी दी गई.

अपर मुख्य सचिव (कृषि) डा. देवेश चतुर्वेदी ने कृषि के डिजिटलीकरण के महत्व को देखते हुए सरकार द्वारा एग्री स्टैक, ई खसरा पड़ताल, फार्मर रजिस्ट्री एवं प्वाइंट औफ सेल मशीन के प्रयोग के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि निकट भविष्य में किसानों का डेटाबेस तैयार हो जाने के बाद किसानों को घर बैठे ही समस्त सुविधा एवं लाभ और तमाम तकनीकी जानकारी प्राप्त हो सकेगी.

 

 

 

 

 

प्राकृतिक खेती पर आयोजित संगोष्ठी में सब ट्रापिकल हार्टिकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट, रहमान खेड़ा के वैज्ञानिक डा. सुशील कुमार शुक्ला, कृषि विज्ञान केंद्र, लखनऊ के हेड डा. अखिलेश कुमार दुबे एवं कृषि विभाग की विशेषज्ञ डा. आकांक्षा गुप्ता के द्वारा प्राकृतिक खेती के विषय में तकनीकी जानकारी प्रदान की गई. इस अवसर पर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के 15 किसानों को सम्मानित किया गया.

अपर कृषि निदेशक, प्रसार, राजेंद्र कुमार सिंह द्वारा कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले अतिथियों और अन्य समस्त को धन्यवाद ज्ञापित किया गया. कार्यक्रम का संचालन सहायक निदेशक संजेश कुमार श्रीवास्तव द्वारा किया गया.

प्रसार्ड ट्रस्ट द्वारा गणतंत्रता दिवस पर किसान गोष्ठी का आयोजन

देवरिया: किसानों एवं गांव वालों के उत्थान के लिए समर्पित स्वयं सेवी संस्था प्रो. रवि सुमन, कृषि एवं ग्रामीण विकास (प्रसार्ड) ट्रस्ट मल्हनी, भाटपार रानी, देवरिया के वरिष्ठ सदस्य सुरेश चंद्र मौर्य द्वारा 26 जनवरी को प्रातः 10 बजे राष्ट्रीय ध्वजारोहण ट्रस्ट सैंटर महुआवारी पर किया गया.

इस के उपरांत किसान गोष्ठी आयोजित की गई. बाहर रहने के कारण ट्रस्ट के निदेशक प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने डिजिटल माध्यम से सभी को शुभकामनाएं देते हुए कृषि एवं ग्रामीण विकास के उत्थान पर बल दिया. साथ ही, वर्तमान में पड़ रही शीत लहर एवं ठंड से आमजन, पशुओं एवं फसलों को बचाने के उपाय बताए.

गोष्ठी को संबोधित करते हुए चंद्र प्रकाश मौर्य ने कहा कि इस समय जैविक खेती पर विशेष बल देने की जरूरत है, जो पशुपालन से ही मुमकिन है. रासायनिक खेती से बहुत सी बीमारियां हो रही हैं. कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) का गठन कर उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है.

डा. विकास कुमार मौर्य ने फिजियोथैरेपी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि फिजियोथैरेपी के माध्यम से इनसान की बहुत सी बीमारियों को दूर किया जा सकता है.

नर्सरी उत्पादक ओमप्रकाश ने जायद की सब्जियों की खेती पर प्रकाश डालते हुए बताया कि फरवरी माह में भिंडी, लौकी, कद्दू, तुरई, खीरा, ककड़ी, करेला आदि की बोआई कर सकते हैं.

कार्यक्रम में सेवानिवृत्त लेखाकार, प्रदीप कुमार, सेवानिवृत्त मेजर चंद्र मोहन यादव, ग्राम प्रधान स्वामी प्रसाद, संजय यादव, जयराम, ब्रजेश गुप्ता सहित कई दर्जन वरिष्ठ नागरिक, सेवानिवृत्त लोगों ने भाग लिया.

ड्रोन से होगा नैनो यूरिया का छिड़काव

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने किसान हित में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए यूरिया के छिड़काव में ड्रोन तकनीक उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है. कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि हर किसान के खेत तक यह सुविधा पहुंचनी चाहिए.

यहां यह गौरतलब है कि सरकार नैनो यूरिया के छिड़काव के लिए किसानों की राह आसान बना रही है.
प्रदेश में ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर वर्ष 2023-24 के अगस्त माह तक खरीफ फसल के लिए 8.87 लाख किसानों द्वारा पंजीकरण करवाया गया है. प्रदेश की 60.40 लाख एकड़ भूमि का पोर्टल पर पंजीकरण हो चुका है.

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक को बढ़ावा दे रहे हैं. साथ ही, महिलाओं को भी ड्रोन तकनीक में प्रशिक्षित किया जा रहा है. नैनो यूरिया का छिड़काव ड्रोन से करने की सुविधा सभी को उपलब्ध करवाने का फैसला लेते हुए उसे किसानों को बड़े पैमाने पर उपलब्ध करवाने की सरकार ने तैयारी कर ली है. यह आवेदन औनलाइन पंजीकरण से ही हो पाएगा. इस के लिए किसान को अपने मोबाइल या फिर सीएससी सैंटर से ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ के पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा. इस पंजीकरण के दौरान ही उसे नैनो यूरिया के लिए भी आवेदन करना होगा और औनलाइन आवेदन के साथ ही फीस भी जमा करनी होगी.

प्रति एकड़ सौ रुपए ही देना होगा शुल्क

प्रवक्ता के अनुसार, किसान को ड्रोन से छिड़काव के लिए प्रति एकड़ सौ रुपए का शुल्क देना होगा. उदाहरण के लिए किसान अगर 5 एकड़ में छिड़काव करना चाहता है, तो उसे 500 रुपए का शुल्क देना होगा. ड्रोन कृषि विभाग की ओर से फ्री उपलब्ध करवाया जा रहा है. इस समय किसानों द्वारा सरसों व गेहूं में यूरिया का छिड़काव किया जा रहा है. किसान बड़ी संख्या में नैनो यूरिया का प्रयोग भी कर रहे हैं. विभाग की ओर से नैनो यूरिया भी किसानों को उपलब्ध करवा जा रहा है. सरकार ने इस तकनीक को जल्द ही किसान तक पहुंचाने के लिए प्रत्येक जिले का लक्ष्य निर्धारित किया है.

जागरूकता के लिए किसानों के बीच जाएंगे अधिकारी

प्रवक्ता ने बताया कि इस योजना को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी कृषि विभाग को सौंपी गई है. विभाग के अधिकारी हर गांव तक किसानों को जानकारी उपलब्ध करवांएगे और उन्हें कम समय में यूरिया के छिड़काव व नैनो यूरिया के लाभ बताएंगे. इस से किसान का छिड़काव में लगने वाला समय कम होगा. प्रत्येक जिले में किसानों को जागरूक करने के लिए गांव स्तर पर तैनात एडीओ इस का प्रचार कर रहे हैं.

ड्रोन से किसानों को मिलेंगे कई फायदे

उक्त प्रवक्ता ने बताया कि एक बारी में ड्रोन 10 लिटर तक लिक्विड ले कर उड़ सकता है और इस से आसानी से खेतों में स्प्रे किया जा सकता है. फसल में यूरिया के छिड़काव को एक जगह खड़े हो कर ड्रोन की सहायता से कम समय में अधिक दूरी तक पहुंचाया जा सकता है. अहम बात यह है कि स्प्रे का दुष्प्रभाव भी इनसान के शरीर पर नहीं पड़ेगा. एक दिन में आसानी से 20 से 25 एकड़ में किसान कीटनाशक स्प्रे का छिड़काव भी ड्रोन की मदद से कर सकता है. खेतों में स्प्रे करते समय जहरीले जीवजंतु के काटने का डर भी नहीं रहेगा. साथ ही, किसान को खेत में फसल के बीच नहीं जाना पड़ेगा और फसल के टूटने का खतरा भी नहीं रहेगा.