ड्रोन से होगा नैनो यूरिया का छिड़काव

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने किसान हित में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए यूरिया के छिड़काव में ड्रोन तकनीक उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है. कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि हर किसान के खेत तक यह सुविधा पहुंचनी चाहिए.

यहां यह गौरतलब है कि सरकार नैनो यूरिया के छिड़काव के लिए किसानों की राह आसान बना रही है.
प्रदेश में ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर वर्ष 2023-24 के अगस्त माह तक खरीफ फसल के लिए 8.87 लाख किसानों द्वारा पंजीकरण करवाया गया है. प्रदेश की 60.40 लाख एकड़ भूमि का पोर्टल पर पंजीकरण हो चुका है.

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक को बढ़ावा दे रहे हैं. साथ ही, महिलाओं को भी ड्रोन तकनीक में प्रशिक्षित किया जा रहा है. नैनो यूरिया का छिड़काव ड्रोन से करने की सुविधा सभी को उपलब्ध करवाने का फैसला लेते हुए उसे किसानों को बड़े पैमाने पर उपलब्ध करवाने की सरकार ने तैयारी कर ली है. यह आवेदन औनलाइन पंजीकरण से ही हो पाएगा. इस के लिए किसान को अपने मोबाइल या फिर सीएससी सैंटर से ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ के पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा. इस पंजीकरण के दौरान ही उसे नैनो यूरिया के लिए भी आवेदन करना होगा और औनलाइन आवेदन के साथ ही फीस भी जमा करनी होगी.

प्रति एकड़ सौ रुपए ही देना होगा शुल्क

प्रवक्ता के अनुसार, किसान को ड्रोन से छिड़काव के लिए प्रति एकड़ सौ रुपए का शुल्क देना होगा. उदाहरण के लिए किसान अगर 5 एकड़ में छिड़काव करना चाहता है, तो उसे 500 रुपए का शुल्क देना होगा. ड्रोन कृषि विभाग की ओर से फ्री उपलब्ध करवाया जा रहा है. इस समय किसानों द्वारा सरसों व गेहूं में यूरिया का छिड़काव किया जा रहा है. किसान बड़ी संख्या में नैनो यूरिया का प्रयोग भी कर रहे हैं. विभाग की ओर से नैनो यूरिया भी किसानों को उपलब्ध करवा जा रहा है. सरकार ने इस तकनीक को जल्द ही किसान तक पहुंचाने के लिए प्रत्येक जिले का लक्ष्य निर्धारित किया है.

जागरूकता के लिए किसानों के बीच जाएंगे अधिकारी

प्रवक्ता ने बताया कि इस योजना को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी कृषि विभाग को सौंपी गई है. विभाग के अधिकारी हर गांव तक किसानों को जानकारी उपलब्ध करवांएगे और उन्हें कम समय में यूरिया के छिड़काव व नैनो यूरिया के लाभ बताएंगे. इस से किसान का छिड़काव में लगने वाला समय कम होगा. प्रत्येक जिले में किसानों को जागरूक करने के लिए गांव स्तर पर तैनात एडीओ इस का प्रचार कर रहे हैं.

ड्रोन से किसानों को मिलेंगे कई फायदे

उक्त प्रवक्ता ने बताया कि एक बारी में ड्रोन 10 लिटर तक लिक्विड ले कर उड़ सकता है और इस से आसानी से खेतों में स्प्रे किया जा सकता है. फसल में यूरिया के छिड़काव को एक जगह खड़े हो कर ड्रोन की सहायता से कम समय में अधिक दूरी तक पहुंचाया जा सकता है. अहम बात यह है कि स्प्रे का दुष्प्रभाव भी इनसान के शरीर पर नहीं पड़ेगा. एक दिन में आसानी से 20 से 25 एकड़ में किसान कीटनाशक स्प्रे का छिड़काव भी ड्रोन की मदद से कर सकता है. खेतों में स्प्रे करते समय जहरीले जीवजंतु के काटने का डर भी नहीं रहेगा. साथ ही, किसान को खेत में फसल के बीच नहीं जाना पड़ेगा और फसल के टूटने का खतरा भी नहीं रहेगा.

मक्का उत्पादन बढ़ाने पर जोर

नई दिल्ली : कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने नई दिल्ली के पूसा में ‘मक्का उत्पादन बढ़ाने’ पर एक प्रभावशाली कार्यशाला का आयोजन किया. यह कार्यक्रम नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद की अध्यक्षता में आयोजित किया गया.

प्रो. रमेश चंद ने इथेनाल उत्पादन की लक्षित मांग को पूरा करने के लिए मक्का उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए बताया कि देश में मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए उच्च मक्का उत्पादकता हासिल करना महत्वपूर्ण है.

सचिव मनोज आहूजा ने कार्यशाला का प्रासंगिक अवलोकन प्रस्तुत किया गया और मक्के को अवसर की फसल के रूप में स्थापित करते हुए, मक्का क्षेत्र के लिए प्रगतिशील रणनीति तैयार करने में निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया.

सचिव मनोज आहूजा ने चर्चा से मुख्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए अपनी समापन टिप्पणियां साझा की. उन्होंने उच्च उपज देने वाली बीज की किस्मों, क्लस्टर प्रदर्शन, खरीद नीति और मक्का उत्पादन को प्रोत्साहन देने और किसानों के लिए बेहतर पारिश्रमिक सुनिश्चित करने के लिए किसानों के साथ सहयोग करने के लिए उद्योग की आवश्यकता सहित विशेष क्षेत्रों पर प्रकाश डाला.

Makkaकृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में अपर सचिव शुभा ठाकुर ने मक्का उत्पादन के प्रति कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की पहल के बारे में जानकारी दी और मक्के से इथेनाल उत्पादन के लिए एकीकृत कृषि मूल्य श्रंखला विकास के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी का लाभ उठाने के लिए निजी क्षेत्र के अवसरों पर प्रकाश डाला.

शुभा ठाकुर ने सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता पर बल देते हुए राज्य सरकारों से अपेक्षाएं भी साझा की.

दूसरे सत्र में राज्य सरकार, अनुसंधान और निजी क्षेत्र के उल्लेखनीय हितधारकों की प्रस्तुतियां सम्मिलित थीं.

पंजाब सरकार के विशेष मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने राज्य में धान/गेहूं से मक्का तक विविधता लाने से संबंधित चुनौतियों को साझा किया. साथ ही, उन्होंने मक्का उत्पादन इकोसिस्टम को सक्षम करने के लिए बुनियादी ढांचे, मशीनरी, किसानों को प्रोत्साहन और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर खरीद की आवश्यकता पर बल दिया.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर), लुधियाना के निदेशक ने मक्का अनुसंधान और विकास में उल्लेखनीय काम साझा किए.

Makkaकृषि विभाग, बिहार सरकार के सचिव संजय अग्रवाल ने बिहार में मक्का उत्पादन का अनुभव साझा किया. उन्होंने राज्य सरकार के हस्तक्षेपों पर प्रकाश डाला, जिस ने मक्का उत्पादन में वृद्धि और किसानों से सुनिश्चित खरीद के लिए अनाज आधारित भट्टियों के साथ उपयोग में योगदान दिया.

बाद में कार्यशाला के दौरान आल इंडिया डिस्टिलर्स एसोसिएशन (एआईडीए) और नेशनल सीड एसोसिएशन औफ इंडिया (एनएसएआई) ने मक्के से इथेनाल उत्पादन और इकोसिस्टम के समर्थन में निजी क्षेत्र की भूमिका पर अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत किए. इस से खुली चर्चा के दौरान विभिन्न विचारों का आदानप्रदान हुआ. इस से हितधारकों को अपनी राय जाहिर करने व राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए संभावित समाधानों पर सहयोग करने के लिए एक मंच प्रदान हुआ.

किसानों की तरक्की के लिए पायलट परियोजनाएं

चंडीगढ़: हरियाणा में कृषि व किसानों की प्रगति के लिए प्रदेश सरकार अब क्लस्टर मोड पर पायलट परियोजनाओं की रूपरेखा बना रही है, जिस से फसल विविधीकरण, सूक्ष्म सिंचाई योजना, पशु नस्ल सुधार व अन्य कृषि संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. इस के अलावा जैविक खेती, प्राकृतिक खेती व सहकारी खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ाने के लिए भी हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण नई योजनाएं तैयार करेगा.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण की जनरल बौडी की तीसरी बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. बैठक में ऊर्जा मंत्री रणजीत सिंह, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल, सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल, विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली और हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो व हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण की कार्यकारी समिति के चेयरमैन सुभाष बराला उपस्थित रहे.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि चूंकि आज के समय में जोत भूमि छोटी होती जा रही है, इसलिए छोटे व सीमांत किसानों की आय में वृद्धि व प्रगति के लिए परंपरागत खेती के साथसाथ नए दौर की कृषि प्रणाली अपनाने की जरूरत है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि पशुपालन के क्षेत्र में आज अपार संभावनाएं हैं, जिस से किसान व पशुपालक बेहतर आय प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही, किसानों को सहकारिता खेती अवधारणा की ओर बढ़ने की आवश्यकता है, जिस से कई किसान मिल कर एकसाथ खेती करें, इस से छोटी जोत भूमि की समस्या भी खत्म होगी और किसान खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की दिशा में भी बढ़ सकेंगे. इसलिए प्राधिकरण संबंधित विभागों के साथ मिल कर पायलट योजनाएं तैयार करे. इजराइल की तर्ज पर सहकारिता खेती के लिए अधिक से अधिक किसानों को प्रेरित करें.

समेकित खेती के लिए तैयार करें डेमोस्ट्रेशन फार्म

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार फसल विविधीकरण व जल संरक्षण के लिए ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना व डीएसआर तकनीक से धान की बिजाई के साथसाथ विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन दे रही है, ताकि किसान परंपरागत खेती से हट कर अन्य फसलों की ओर जाएं.

उन्होंने आगे कहा कि विभाग समेकित खेती के लिए भी डेमोस्ट्रेशन फार्म तैयार करे और किसानों को ऐसे फार्म का दौरा करवा कर इस विधि की विस्तृत जानकारी दें.

उन्होंने यह भी कहा कि भूजल स्तर निरंतर कम हो रहा है. कई जगह यह स्तर 100 मीटर से भी गहरा चला गया है और हर वर्ष लगभग 10 मीटर नीचे जा रहा है. इसलिए ऐसे क्षेत्रों में सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाएं स्थापित करने पर जोर दिया जाए. जहां पर भूजल स्तर 30 मीटर है, वहां पर भी कृषि नलकूपों को शतप्रतिशत सौर ऊर्जा पर लाया जाए, राज्य सरकार इस के लिए नई सब्सिडी देने को भी तैयार है. पानी और बिजली पर जितना भी खर्च होगा, सरकार उसे वहन करने के लिए तैयार है.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि शिवालिक व अरावली पर्वत श्रृंखला में बरसात के पानी के संरक्षण के लिए रिजर्वायर बनाया जाना चाहिए, ताकि पहाड़ों से आने वाले पानी को जमा किया जा सके और बाद में इसे सिंचाई व अन्य आवश्यकताओं के लिए उपयोग किया जा सके.

उन्होंने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस के लिए पायलट परियोजना तैयार करें.

मनोहर लाल ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य के साथसाथ अनाज की गुणवत्ता की जांच भी जरूरी है. आज उर्वरकों व कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न होने वाले अनाज से कई गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं. इसलिए हमें कैमिकलरहित अनाज पैदा करने की ओर बढ़ना होगा. इस का उपाय प्राकृतिक खेती ही है. जो पंचायत अपने गांव को कैमिकल फ्री खेती वाला गांव घोषित करेगी, उस के लिए हर प्रकार की फसल की खरीद सरकार सुनिश्चित करेगी, इस के लिए एमएसपी के अलावा 10 से 20 फीसदी से अधिक मूल्य पर खरीद होगी. साथ ही, फसल की ब्रांडिंग और पैकेजिंग खेतों में ही होगी.

गोबरधन योजना : “कचरे से कंचन”

नई दिल्ली : गैल्वनाइजिंग और्गेनिक बायो एग्रो रिसोर्सेज धन (गोबरधन) भारत सरकार की एक प्रमुख बहुमंत्रालयी पहल है, जिस का उद्देश्य मवेशियों के गोबर और कृषि अवशेषों और अन्य बायोमास सहित भारत सरकार ने गोबरधन पहल के कार्यान्वयन की गति को बढ़ाने के साथसाथ उस की व्यापकता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिस में अन्य बातों के साथसाथ चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार द्वारा की गई जिस में सीबीजी को द्विपक्षीय/सहकारी दृष्टिकोण के तहत कार्बन क्रेडिट के व्यापार के लिए गतिविधियों की सूची में 17 फरवरी, 2023 को शामिल किया गया. इस से सीबीजी संयंत्र मालिकों को कार्बन क्रेडिट बायोडिग्रेडेबल/जैविक कचरे को बायोगैस, कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी), और जैविक खाद जैसे मूल्यवान संसाधनों में परिवर्तित करना और “संपूर्ण सरकार” के एक नवीन दृष्टिकोण के माध्यम से चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है.

बजट घोषणा 2023 ने 10,000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ 500 नए “कचरे से कंचन” संयंत्रों की स्थापना की घोषणा कर के इस परिवर्तनकारी पहल को एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान किया. वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 198 संयंत्र लगाए गए, जिन में 12 कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र और 186 बायोगैस संयंत्र शामिल हैं. इस के अलावा 556 संयंत्र बन रहे हैं, जिन में 129 सीबीजी संयंत्र और 427 बायोगैस संयंत्र शामिल हैं.

भारत सरकार ने गोबरधन पहल के कार्यान्वयन की गति को बढ़ाने के साथ ही उस की व्यापकता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिस में अन्य बातों के साथसाथ चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार द्वारा की गई, जिस में सीबीजी को द्विपक्षीय/सहकारी दृष्टिकोण के तहत कार्बन क्रेडिट के व्यापार के लिए गतिविधियों की सूची में 17 फरवरी, 2023 को शामिल किया गया. इस से सीबीजी संयंत्र मालिकों को कार्बन क्रेडिट के व्यापार के माध्यम से अतिरिक्त राजस्व में मदद मिलेगी.

इस के अलावा दोहरे कराधान को रोकने के लिए 2 फरवरी, 2023 से सीबीजी के साथ मिश्रित सीएनजी पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में छूट प्रदान की गई है.

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ) संशोधन अधिसूचना जारी की गई है और एलएफओएम/एफओएम के उपभोग को बढ़ावा देने के लिए 3 वर्ष की अवधि के लिए फर्मेंटेड जैविक खाद (एफओएम)/तरल फर्मेंटेड जैविक खाद (एलएफओएम) (गोबरधन संयंत्रों से उत्पादित जैविक खाद) की बिक्री के लिए प्राधिकरणपत्र की आवश्यकता से छूट प्रदान करना है. साथ ही, एफओएम में नमी की मात्रा को 30-40 फीसदी से बढ़ा कर 30-70 फीसदी करना है. इस के अलावा सीसीएन अनुपात को “20 से कम” से “30” तक और एलएफओएम/एफओएम में पीएच सामग्री को “6.5-8.0” से “6.5-8.4” तक बढ़ाना भी है.

Gober Dhan

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने मृदा स्वास्थ्य और कृषि उत्पादकता पर एफओएम/एलएफओएम के लाभों के प्रचार के लिए “विभिन्न फसल प्रणालियों में बायोस्लरी के उपयोग” के साथसाथ विभिन्न फसलों के लिए एफओएम/एलएफओएम के इस्तेमाल के लिए कार्य प्रणालियों के पैकेज पर एक रिपोर्ट तैयार की है. साथ ही, बाजार विकास सहायता (एमडीए) योजना को मंजूरी दे दी गई और जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथसाथ एफओएम/एलएफओएम (गोबरधन पौधों से एक उपउत्पाद) की बिक्री और विपणन को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यान्वयन शुरू हो गया. सीबीजी के उत्पादन और खपत को मजबूत करने के लिए एमओपीएनजी की सीबीजी-सीजीडी सिंक्रनाइजेशन योजना का 10 साल यानी 2024 तक विस्तार दिया जा रहा है.

सीबीजी संयंत्र संचालकों द्वारा एफओएम/एलएफओएम के विपणन को आसान बनाने और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एफओएम/एलएफओएम की थोक बिक्री की अनुमति देने वाली अधिसूचना जारी की गई है.

और राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (एनबीसीसी) ने सीबीजी के उत्पादन और खपत को मजबूत करने के लिए अनिवार्य 5 फीसदी सीबीजी मिश्रण की चरणबद्ध शुरुआत को मंजूरी दी है.

पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा एकीकृत पंजीकरण पोर्टल गोबरधन विकसित किया गया है और देशभर में सीबीजी और बायोगैस संयंत्रों के पंजीकरण को सुव्यवस्थित करने और उन की स्थिति की निगरानी करने के लिए 1 जून, 2023 को लौंच किया गया है. हितधारकों के परामर्श पर पोर्टल का विस्तार किया गया है, जिस में संयंत्रों की कार्य क्षमता की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए “कार्य क्षमता मूल्यांकन मौड्यूल”, ऋण आवेदन की स्थिति को ट्रैक करने और बैंकों से सुझाव प्राप्त करने के लिए “बैंक ऋण मौड्यूल” जैसी विभिन्न महत्वपूर्ण कार्य क्षमताएं शामिल की गई हैं. बायोगैस/सीबीजी क्षेत्र में मौजूदा और आगामी नीति प्रवर्तकों के माध्यम से, सरकार का अंतिम लक्ष्य बायोगैस/सीबीजी संयंत्रों की पहुंच, जागरूकता और कार्यान्वयन का विस्तार करना और उद्योग को निजी क्षेत्र के निवेश के लिए आकर्षक बनाना है.

अधिक जानकारी के लिए www.gobardhan.co.in पर विजिट किया जा सकता है

छत्तीसगढ़ में किसान धान खरीदी को ले कर हलकान

रायपुर: 25 जनवरी. खरीफ सीजन 2023-24 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद में अब कुछ ही दिन बचे हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ में कई लाख किसान अब तक अपना धान बेच नहीं पाए हैं. विपक्षी दल कांगे्रस ने राज्य में धान खरीद अभियान को एक मार्च तक बढ़ाने की मांग की है. एक नवंबर, 2023 को शुरू हुई धान की खरीद 31 जनवरी, 2024 को पूरी होने वाली है.

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद दीपक बैज ने कहा कि धान खरीद अभियान को एक मार्च तक बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि खरीद का लक्ष्य हासिल किया जा सके और किसान अपनी उपज बेच सकें.

उन का यह भी कहना है कि राज्य में चुनाव होने के चलते कई किसानों ने धान नहीं बेचा था. अभी भी 5 लाख से ज्यादा किसानों का धान बेचना बाकी है. दिसंबर, 2023 में नई बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदने का आदेश दिया था. लेकिन इस से पहले बड़ी तादाद में किसान पिछली सरकार द्वारा निर्धारित प्रति एकड़ 20 क्विंटल के हिसाब से धान बेच चुके थे. ऐसे किसानों को अतिरिक्त एक क्विंटल धान बेचना बाकी है.

छत्तीसगढ़ में पिछली कांगे्रस सरकार ने खरीफ सीजन 2023-24 में 135 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा था. प्रति एकड़ 21 क्विंटल खरीद के फैसले के बाद खरीद लक्ष्य बढ़ जाएगा. राज्य में कम से कम 150 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद होनी चाहिए.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बैज ने धान खरीद केंद्रों पर बदइंतजामी का आरोप लगाते हुए दावा किया कि किसानों को टोकन जारी करने और उपज की तौल की प्रक्रिया धीमी हो गई है. भाजपा ने किसानों को धान का भाव 3100 रुपए प्रति क्विंटल देने का वादा किया था. किसानों को अभी तक यह भाव नहीं मिला है. धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है जो कि सामान्य ग्रेड धान के लिए 2183 रुपए प्रति क्विंटल और ग्रेड ए धान के लिए 2203 रुपए है. कांगे्रस ने किसानों को धान का भाव 3100 रुपए प्रति क्विंटल दिए जाने की मांग की है.

गौशालाओं के लिए तीन सौ करोड़ और ग्रीन कलर योजना

चंडीगढ़ : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पशुपालन एवं डेयरी और विकास एवं पंचायत विभाग, सामाजिक संस्थाएं व गौ सेवा आयोग नई गौशालाएं खोलने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौता करे. जहांजहां पंचायती विभाग की जमीन उपलब्ध है, वहां पर नई गौशालाएं खोली जाएं. आधारभूत ढांचा उपलब्ध करवाया जाएगा और सामाजिक संस्थाओं को गौशालाएं संचालित करने के लिए आगे आना होगा.

उन्होंने कहा कि गौ वंश के संरक्षण व गौ धन की देखभाल के लिए गौ सेवा आयोग का बजट 40 करोड़ रुपए से बढ़ा कर 400 करोड़ रुपए है. इस में 300 करोड़ रुपए नई गौशालाएं स्थापित करने के लिए आवंटित किया गया है.

उन्होंने कहा कि सांझी डेयरी अवधारणा के तहत भी पशुपालक डेयरी व्यापार करने के लिए आगे आएं.

ग्रीन कवर योजना

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार ने ग्रीन कवर को बढ़ावा देने के लिए भी योजना बनाई है, जिस के तहत स्थानीय युवा 3 वर्ष तक वन विभाग द्वारा लगाए गए पौधे की देखभाल करेगा. इन्हें वन मित्र कहा जाएगा. इस के लिए विभाग हर गांव में 500 से 700 पेड़ों को चिह्नित कर वन मित्रों को सौंपे. हर पेड़ की देखभाल के लिए वन मित्र को 10 रुपए प्रति पेड़ प्रोत्साहन स्वरूप दिया जाएगा.

उन्होंने निर्देश दिए कि वन विभाग के अधिकारी वन मित्र के लिए एसओपी भी तैयार करे.

बैठक में मुख्य सचिव संजीव कौशल, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और वित्त आयुक्त, राजस्व टीवीएसएन प्रसाद, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अंकुर गुप्ता, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण, सहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजा शेखर वुंडरू, पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विनीत गर्ग, विकास एवं पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनिल मलिक और मुख्यमंत्री की अतिरिक्त प्रधान सचिव आशिमा बराड़ सहित वर्किंग ग्रुप के सदस्य उपस्थित रहे.

किसान मेले में आधी से अधिक महिलाएं

आणंद : कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक ने 22 जनवरी, 2024 को गुजरात के आणंद में किसान मेले का उद्घाटन किया. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-औषधीय और सुगंधित पौधे अनुसंधान निदेशालय (आईसीएआर-डीएमएपीआर), आणंद, गुजरात ने 22 से 24 जनवरी, 2024 के दौरान तीनदिवसीय किसान मेला, हर्बल ऐक्सपो, किसान प्रशिक्षण और अवसर प्रदान करने वाली यात्रा का आयोजन किया.

डा. हिमांशु पाठक ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सब से अच्छे विकल्पों में से एक होगी, क्योंकि आधुनिक चिकित्सा और फार्मास्युटिकल उद्योग में प्रगति के बावजूद औषधीय और सुगंधित पौधों की मानव की प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है.

उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि देश में जड़ीबूटी आधारित उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, जिस के परिणामस्वरूप औषधीय और सुगंधित पौधों की मांग बढ़ रही है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि औषधीय पौधों की उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आईसीएआर-डीएमएपीआर द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों, किस्मों को अपना सकते हैं.

किसान मेले में 2000 से अधिक किसानों की भारी उपस्थिति की सराहना की और मेले के सफल आयोजन के लिए निदेशालय को बधाई दी.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-औषधीय और सुगंधित पौधे अनुसंधान निदेशालय (आईसीएआर-डीएमएपीआर) के निदेशक डा. मनीष दास ने किसान मेले और अनुसंधान गतिविधियों और निदेशालय द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के महत्व के बारे में जानकारी दी, जिन्हें किसानों के लाभ के लिए प्रदर्शनों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से बढ़ावा दिया गया है.

किसान मेले के दौरान, वडोदरा के मैसर्स वासु रिसर्च सैंटर एंड हेल्थकेयर के साथ 2 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए और सेंट जेवियर्स कालेज (एसएक्ससीए)-लोयोला सैंटर औफ रिसर्च एंड डेवलपमेंट-जेवियर रिसर्च फाउंडेशन, अहमदाबाद के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालय (एसएयू), कृषि विज्ञान केंद्र और हर्बल उद्योगों के कुल 30 प्रदर्शनी स्टाल इस किसान मेले में तीन दिनों यानी 22 से 24 जनवरी, 2024 तक प्रदर्शित किए गए.

Kisan Melaइस तीनदिवसीय मेले के दौरान 2,000 से अधिक किसानों ने भाग लिया, जिन में से आधी महिला किसान थीं. किसान मेले में 500 से अधिक स्कूली बच्चे भी आए. 30 स्टालों में से 3 सर्वश्रेष्ठ स्टाल को पुरस्कार भी दिया गया.

मेले के दौरान मोनोअमोनियम फास्फेट (एमएपी) के उत्पादन, सुरक्षा, सुधार, संरक्षण और फसल कटाई के बाद प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए गए. 24 जनवरी को किसानों के लिए एक अवसर प्रदान करने के लिए एक दौरे का भी आयोजन किया गया था, जहां खेती और मोनोअमोनियम फास्फेट के संरक्षण को सजीव दिखाया गया था.

मेले में महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, बिहार, झारखंड और गुजरात जैसे राज्यों के किसानों ने भाग लिया. किसानों के लाभ के लिए ड्रोन प्रदर्शन का एक विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किया गया.

कार्यक्रम में महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात के तीन-तीन किसानों को सम्मानित किया गया. तीन दिवसीय मेले के दौरान लगभग 5,000 पर्यटक आए.

इस अवसर पर आणंद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, डा. केबी कथीरिया और अपर महानिदेशक (एफवीएसएम), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) डा. सुधाकर पांडे सम्मानित अतिथि थे. उन्होंने मोनोअमोनियम फास्फेट के महत्व के बारे में जानकारी दी और बताया कि यह किसानों को लंबी अवधि में उन की आय दोगुनी करने में कैसे मदद करेगा.

Kisan Melaक्यूआरटी अध्यक्ष, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-औषधीय और सुगंधित पौधे अनुसंधान निदेशालय (आईसीएआर-डीएमएपीआर), आणंद प्रोफेसर एनसी गौतम और अपर महानिदेशक (एनएएसएफ), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) डा. जितेंद्र कुमार विशेष अतिथि थे. इन्होंने किसानों द्वारा खेती के लिए मोनोअमोनियम फास्फेट की भूमिका और इस के संरक्षण पर प्रकाश डाला.

गणमान्य व्यक्तियों ने किसानों से औषधीय पौधों की खेती, प्रसंस्करण, व्यापार और विपणन का लाभ उठाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-औषधीय और सुगंधित पौधे अनुसंधान निदेशालय (आईसीएआर-डीएमएपीआर) से जुड़े रहने का आग्रह किया. साथ ही, उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए औषधीय और सुगंधित पौधों को पारंपरिक फसलों के साथसाथ खेती की जानी चाहिए.

छह करोड़ की कृषि की आधुनिक प्रयोगशाला से किसानों को फायदा

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के बायोटैक्नोलौजी महाविद्यालय में सैंटर फौर माइक्रोप्रोपेगेशन एंड डबल हेपलोड उत्पादन की अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अत्याधुनिक प्रयोगशाला का उद्घाटन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वर्चुअल माध्यम से किया.

विश्वविद्यालय में मुख्य अतिथि के रूप में हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा रहे व विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने अध्यक्षता की.

हरियाणा के डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशाला का स्थापित होना खुशी की बात है. इस के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार प्रकट किया.

उन्होंने कहा कि इस प्रयोगशाला से किसानों को सीधे रूप से फायदा होगा, जहां से तैयार किए पौधे हरियाणा ही नहीं, अपितु उत्तर भारत के किसानों को उपलब्ध करवाए जा सकेंगे.

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि वे किसानों के हित में शोध कर कृषि क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि इस प्रयोगशाला का कृषि क्षेत्र में बहुत योगदान रहेगा. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, जो कि किसानों की सेवा के लिए हमेशा से तत्पर रहते हैं. इसी दिशा में विश्वविद्यालय में माइक्रोप्रोपेगेशन एंड डबल हेपलोड उत्पादन की अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित की गई है.

उन्होंने बताया कि यह प्रयोगशाला तकरीबन 6 करोड़ रुपए में तैयार किया गया है. इस प्रयोगशाला में टिशू कल्चर विधि से विभिन्न पौध तैयार करने की विधियां विकसित की गई हैं, जहां तकरीबन 20 लाख उच्च गुणवत्ता, रोगरहित एवं आनुवांशिक रूप से एकजैसे पौधे हर साल तैयार किए जा सकेंगे.

उन्होंने आगे बताया कि इस प्रयोगशाला में गन्ना, केला, ब्रह्मी, एलोविरा, औषधीय पौधे एवं अन्य कृषि उपयोगी पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा. भविष्य में भी हमारी कोशिश यह रहेगी कि हम ज्यादा से ज्यादा पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवा सकें.

Farming

बायोटैक्नोलौजी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. सुधीर शर्मा ने कहा कि यह प्रयोगशाला ढाई एकड़ में फैली हुई है, जोकि 3 भागों में विभाजित है. पहला भाग प्रयोगशाला है, जो कि 6500 स्क्वायर फीट में है, जिस में पौधे परखनलियों में प्रयोगशाला में नियंत्रित तापमान एवं प्रकाश के अंदर विकसित किए जाते हैं. दूसरा भाग ग्रीनहाउस है, जो कि 1041 स्क्वायर फीट में बना हुआ है, जहां पर पौधों को नियंत्रित तापमान एवं आर्द्रता में विकसित किया जाता है. इस ग्रीनहाउस में टिशू कल्चर विधि का इस्तेमाल कर 5 लाख पौध को रखने की क्षमता होगी.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि तीसरा भाग नेटहाउस है, जोकि एक एकड़ में बना हुआ है, जिस में पौधों को रख कर किसानों को उपलब्ध करवाए जाएंगे.

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिकारियो सहित इस से जुड़े समस्त महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं गैर-शिक्षक भी उपस्थित रहे.

गणतंत्र दिवस परेड को देखने के लिए 1500 से अधिक किसान आमंत्रित

नई दिल्ली : भारत के 76वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित अतिथि गणतंत्र दिवस परेड देखने के लिए कर्तव्य पथ पर एकत्र होंगे. केंद्र सरकार की योजनाओं के कई लाभार्थियों को इस महत्वपूर्ण परेड को देखने के लिए आमंत्रित कर के सम्मानित करने की सरकार की योजना है.

सम्मानित अतिथि की सूची में एक उल्लेखनीय वृद्धि के रूप में, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय 1500 से अधिक किसानों को गणतंत्र दिवस परेड को देखने के लिए आमंत्रित कर रहा है, जो विभिन्न केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना आदि के लाभार्थी हैं.

इस उत्सव के एक भाग के रूप में 25 जनवरी, 2024 को किसानों के लिए एआईएफ, एमएंडटी, राष्ट्रीय बीज सहयोग और प्रति बूंद अधिक फसल जैसी प्रमुख सरकारी पहलों पर एक व्यापक प्रशिक्षण सत्र के साथ ही पूसा परिसर के एक क्षेत्र के दौरे का आयोजन किया जाएगा. वहीं 26 जनवरी, 2024 को विशेष आमंत्रित लोग कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड देखेंगे.

परेड के बाद किसान केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा की उपस्थिति में एक विशेष कार्यक्रम के लिए सुब्रमण्यम हाल, पूसा में एकत्र होंगे, जो किसानों को उन की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें समर्थन देने की सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए आभार व्यक्त करेंगे.

संबोधन के बाद किसानों को मंत्रियों और गणमान्य व्यक्तियों के साथ एक फोटो सत्र का अवसर मिलेगा और दोपहर के भोजन के साथ दिन का समापन होगा.

यह उत्सव कृषि समुदाय के अथक प्रयासों को पहचानने और सराहना करने, विकास के प्रति कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के समर्पण को उजागर करने के लिए आयोजित किया गया है.

प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के अध्यक्ष और उन के परिजन भी बनेंगे साक्षी देशभर के 24 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के तकरीबन 250 लाभार्थी प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के अध्यक्ष और उन के परिजन भारत सरकार के “विशेष अतिथि” के रूप में इस बार कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड के साक्षी बनेंगे. रक्षा मंत्रालय के सहयोग से सहकारिता मंत्रालय गणतंत्र दिवस परेड में विशेष अतिथियों की मेजबानी करेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “सहकार से समृद्धि” की परिकल्पना को साकार करने के लिए गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में सहकारिता मंत्रालय ने बहुत ही कम समय में 54 से अधिक महत्वपूर्ण पहल की हैं. “पीएसीएस का कंप्यूटरीकरण” इन में से एक प्रमुख पहल है, जिस के तहत 2,516 करोड़ रुपए के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ 63,000 पीएसीएस को कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है. अब तक 28 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 12,000 से अधिक पैक्स को कंप्यूटरीकृत किया जा चुका है और वे राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक यानी नाबार्ड द्वारा विकसित ईआरपी यानीएंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग सौफ्टवेयर पर औनबोर्ड किए जा चुके हैं.

राजधानी नई दिल्ली में अपने प्रवास के दौरान विशेष अतिथि 25 जनवरी को सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा के साथ मुलाकात और रात्रि भोज करेंगे. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड देखने के बाद शाम को वे “भारत पर्व” में शामिल होंगे.

सहकारिता मंत्रालय गणतंत्र दिवस पर आमंत्रित इन विशेष अतिथियों के दिल्ली प्रवास को एक यादगार अनुभव बनाने और पीएसीएस कंप्यूटरीकरण परियोजना की सफलता को प्रदर्शित करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह आयोजन सहभागी पैक्स को ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक नए जोश के साथ काम करने के लिए प्रेरित करेगा.

फसल बीमा क्लेम का होगा तुरंत भुगतान

जयपुर: 23 जनवरी, 2024. कृषि मंत्री डा. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को बीमा कंपनी के माध्यम से मुआवजे के भुगतान के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा समान अनुपात में राशि वहन किए जाने का प्रावधान है.

मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने बताया कि योजना के तहत मेड़ता विधानसभा में 7 किसानों को क्लेम के लिए राज्य सरकार द्वारा राशि जारी की जा चुकी है, लेकिन केंद्र की राशि प्रकियाधीन है.

उन्होंने सदन में आश्वस्त किया कि जैसे ही इस संबंध में कंेद्र सरकार द्वारा प्रकिया पूरी हो जाएगी, लंबित बीमा क्लेमों का भुगतान कर दिया जाएगा.

कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों पर जवाब दे रहे थे. इस से पहले विधायक लक्ष्मण राम के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में कृषि मंत्री ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र मेड़ता में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमित किसानों की फसलों का बीमा किया गया है. उन्होंने खरीफ 2020 से रबी 2022-23 तक रिलांयस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा किसानों की संख्या में फसलों के बीमे का वर्षवार विवरण सदन के पटल पर रखा.

उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 में 29 हजार, 992 किसान, वर्ष 2021-22 में 27 हजार, 454 और वर्ष 2022-23 में 32 हजार, 164 किसानों की फसलों का बीमा दिया गया है.
कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने बताया कि मेड़ता विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधानों के अनुसार दर्ज की गई उपज नुकसान के आधार पर खरीफ 2020 से रबी 2022-23 तक पात्र बीमित फसल के किसानों को 85.98 करोड रुपए के बीमा क्लेम बीमा कंपनी द्वारा जारी किए गए हैं एवं 7 किसानों के फसल बीमा क्लेम लंबित हैं. लंबित बीमा क्लेमों का भुगतान प्रक्रियाधीन है.