बढ़ रहा अंडे और ब्रायलर का उत्पादन

नई दिल्लीः पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय की अध्यक्षता में दिल्ली में एक गोलमेज बैठक आयोजित की गई. यह बैठक भारतीय पोल्ट्री तंत्र को मजबूती देने के लिए की गई. इस बैठक में देश की प्रमुख पोल्ट्री कंपनियां, राज्य सरकारें और उद्योग संघ एक मंच पर साथ नजर आए.

बैठक में सचिव अलका उपाध्याय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय पोल्ट्री क्षेत्र, जो अब कृषि का एक अभिन्न अंग है, ने प्रोटीन और पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जहां फसलों का उत्पादन हर साल 1.5 से 2 फीसदी दर से बढ़ रहा है, वहीं अंडे और ब्रायलर का उत्पादन 8 से 10 फीसदी की दर से हर साल बढ़ रहा है.

पिछले 2 दशकों में भारतीय पोल्ट्री क्षेत्र एक विशाल उद्योग के रूप में विकसित हुआ है, जिस ने भारत को अंडे और ब्रायलर मांस के प्रमुख वैश्विक उत्पादक के रूप में स्थापित किया है.

सचिव अलका उपाध्याय ने बताया कि पशुपालन एवं डेयरी विभाग निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलें कर रहा है. विभाग ने हाल ही में उच्च रोगजनकता वाले एवियन इन्फ्लुएंजा से मुक्ति की स्वघोषणा प्रस्तुत की.

निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने 33 पोल्ट्री कंपार्टमेंटों को एवियन इन्फ्लुएंजा से नजात माना है. विभाग ने वैधता के आधार पर विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन को 26 विभाग अधिसूचित किए हैं. 13 अक्तूबर, 2023 को स्वघोषणा को विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुमोदित किया गया था. इस के अलावा विभाग ने पिछले वर्षों में चारे की कमी की समस्या को हल करने के लिए कदम उठाए हैं. साथ ही, विभाग ने पोल्ट्री उत्पादों की खपत के खिलाफ कोविड काल के दौरान देशभर में फैली भ्रामक सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए भी कदम उठाए.

अलका उपाध्याय ने पोल्ट्री निर्यात को बढ़ावा देने, भारतीय पोल्ट्री क्षेत्र को मजबूत करने, व्यापार करने में सुधार करने, पोल्ट्री उत्पाद निर्यात में चुनौतियों का समाधान करने और अनौपचारिक क्षेत्र में इकाइयों के एकीकरण की रणनीति बनाने और विश्व मंच पर पोल्ट्री क्षेत्रों की स्थिति को और मजबूत करने पर बल दिया.

उन्होंने पोल्ट्री और उस से संबंधित उत्पादों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए पोल्ट्री कंपार्टमेंटलाइजेशन की अवधारणा को अपना कर एचपीएआई से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए विभाग के सक्रिय दृष्टिकोण पर अंतर्दृष्टि भी साझा की.

वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत ने वैश्विक बाजार में महत्वपूर्ण प्रगति की. उल्लेखनीय 664,753.46 मीट्रिक टन पोल्ट्री उत्पादों का 57 से अधिक देशों को निर्यात किया, जिस का कुल मूल्य 1,081.62 करोड़ रुपए (134.04 मिलियन अमरीकी डालर).

एक हालिया बाजार अध्ययन के अनुसार, भारतीय पोल्ट्री बाजार ने वर्ष 2024-2032 तक 8.1 फीसदी की सीएजीआर के साथ वर्ष 2023 में 30.46 बिलियन अमेरिकी डालर का उल्लेखनीय मूल्यांकन हासिल किया.

इस गोलमेज बैठक ने गतिशील विचारविमर्श के लिए एक मंच के रूप में काम किया, जिस ने वर्तमान चुनौतियों का समाधान करने और भारतीय पोल्ट्री क्षेत्र के सतत विकास के लिए मजबूत रणनीति तैयार करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों को प्रोत्साहित किया. बैठक में पोल्ट्री क्षेत्र के प्रतिनिधियों, निर्यातकों ने पोल्ट्री निर्यात से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.

वन्यजीव स्वास्थ्य प्रबंधन पर कार्यशाला

नई दिल्लीः केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने नई दिल्ली में दूसरी राष्ट्रस्तरीय हितधारक कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया. कार्यशाला की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (एमओईएफ और सीसी) अश्विनी चैबे ने की और एमओईएफ और सीसी सचिव लीना नंदन, एमओएफएएचडी सचिव अलका उपाध्याय, डीजीएफ और एसएसएमओईएफ और सीसी सीपी गोयल, वन्यजीव एडीजी बिवास रंजन ने सहायता प्रदान की, जिन का उद्देश्य नेशनल रेफरल सैंटर फौर वाइल्डलाइफ (एनआरसी-डब्ल्यू) के विकास को आगे बढ़ाना और वन हेल्थ पहल के लिए सहयोग को बढ़ावा देना है.

इस कार्यक्रम में मानव स्वास्थ्य, पशुधन स्वास्थ्य, वन्यजीव अनुसंधान संस्थानों, राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधकों, चिड़ियाघर निदेशकों आदि के विभिन्न संगठनों के विशेषज्ञों का जमावड़ा देखा गया. सीसीएमबी, आईसीएआर-निवेदी, डब्ल्यूआईआई, एनटीसीए, आईवीआरआई जैसे संस्थानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.

मंत्री अश्विनी कुमार चैबे ने समृद्ध वन्यजीव और जैव विविधता के संबंध में भारत की अद्वितीय स्थिति और हाथियों की श्रेणी में नंबर वन और एशियाई शेर के विशेष घर के रूप में हमारे देश की अद्वितीय स्थिति पर प्रकाश डाला और वन्यजीव स्वास्थ्य और रोग प्रबंधन के लिए समग्र दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया.

Forestउन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मंत्रालय हमेशा इस तरह की पहल का समर्थन करता रहेगा. इसी तरह प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पहल का सक्रिय रूप से समर्थन कर के वन हेल्थ मिशन के लिए समर्थन भी जारी रहेगा. साथ ही, उन्होंने मनुष्यों, पशुधन और वन्यजीवों को शामिल करते हुए एकीकृत निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित किया.

इस के अलावा आकर्षक सत्रों में एनआरसी-डब्ल्यू का विकास, वन्यजीव क्षेत्र में रोग एवं निगरानी की आवश्यकताएं, मानव और पशुधन कार्यक्रमों के साथ जुड़ाव, वन्यजीव क्षेत्र के लिए अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकताएं और एक प्रभावी क्षमता निर्माण ढांचे की आवश्यकता जैसे विषयों को शामिल किया गया.

कार्यशाला एनआरसी-डब्ल्यू के विकास को मजबूत करने के उद्देश्य से हितधारकों के बीच समृद्ध चर्चाओं और सहयोगात्मक रणनीतियों के साथ संपन्न हुई. हितधारकों ने एनआरसी-डब्ल्यू की प्रभावी स्थापना के लिए महत्वपूर्ण नवीन रूपरेखाओं, तकनीकी हस्तक्षेपों और संसाधन जुटाने पर विचारविमर्श किया.

कार्यशाला के मुख्य आकर्षण में प्रभावी वन्यजीव स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए मनुष्यों, पशुधन और वन्यजीवों को एकीकृत करने वाले समग्र दृष्टिकोण पर जोर देना शामिल है. हितधारक संगठनों के विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा एनआरसी-डब्ल्यू के विकास, वन्यजीव क्षेत्र में रोग व निगरानी आवश्यकताओं और मानव और पशुधन कार्यक्रमों के साथ जुड़ाव, वन्यजीव क्षेत्र के लिए अनुसंधान एवं विकास आवश्यकताओं और एक प्रभावी क्षमता निर्माण ढांचे की आवश्यकता जैसे विभिन्न विषयों को शामिल करते हुए आकर्षक सत्र आयोजित किए गए.

हितधारकों ने अपनी प्रतिबद्धता में एकजुट हो कर एनआरसी-डब्ल्यू की प्रभावी स्थापना के लिए महत्वपूर्ण नवीन रूपरेखाओं, तकनीकी हस्तक्षेपों और संसाधन जुटाने पर विचारविमर्श किया.

कार्यशाला का समापन एक साझा दृष्टिकोण के साथ प्रतिध्वनित हुआ, जिस ने हितधारकों को जैव विविधता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लाभ के लिए इस महत्वपूर्ण पहल को आगे बढ़ाने में अपने ठोस प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रेरित किया.

Forestकार्यशाला में वन्यजीवों के लिए प्रस्तावित राष्ट्रीय रेफरल केंद्र के लिए विचारविमर्श किए गए फोकस क्षेत्रों पर जानकारी प्रदान की गई, जिस में शामिल हैं –

– उभरते संक्रामक रोगों के परिप्रेक्ष्य से रोग व प्रजाति आधारित अनुसंधान
– राष्ट्रीय वन्यजीव रोग निगरानी कार्यक्रम
– आपातकालीन स्थितियों में वन्यजीव रोगों की रोकथाम और प्रबंधन
– कौशल आधारित प्रशिक्षण और वन्यजीव पेशेवरों का निरंतर क्षमता निर्माण
– कमांड कंट्रोल डेटा एवं सूचना प्रबंधन (एनालिटिक्स)
– वन्यजीव स्वास्थ्य नीति को आकार देना

इस के अलावा कार्यशाला ने पशुधन रोग निगरानी प्रणाली का एक सिंहावलोकन भी प्रदान किया, जिससे क्षेत्रों के बीच मजबूत सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान का मार्ग प्रशस्त हुआ.

किसानों के काम की ‘पीएम कुसुम योजना’

प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) के तहत कृषि क्षेत्र का डीजल की खपत को कम करने, किसानों को जल एवं ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने, किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगाना शामिल है. इस योजना के 3 घटक हैं, जिन में 34,422 करोड़ रुपए की कुल केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ 31 मार्च, 2026 तक 34.8 गीगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता वृद्धि प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित है.

इस योजना की मुख्य विशेषताएं:

‘पीएम कुसुम योजना’ मांग पर आधारित है और योजना के लिए जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, कार्यान्वयन के लिए देश के सभी किसानों के लिए खुली हुई है. इस के तहत किसानों की बंजर, परती, चारागाह, दलदली व कृषि योग्य भूमि पर 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्रांउड व स्टिल्ट माउंटेड सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करने का प्रावधान किया गया है. ऐसे संयंत्र व्यक्तिगत किसान, सौर ऊर्जा डेवलपर, सहकारी समितियों, पंचायतों और किसान उत्पादक संगठनों द्वारा स्थापित किए जा सकते हैं.

इस के अलावा औफ ग्रिड क्षेत्रों में 14 लाख स्वचालित सौर पंपों की स्थापना भी की जा रही है, जिस के तहत व्यक्तिगत पंप सौरकरण और फीडर स्तर सौरकरण के माध्यम से 35 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सौरकरण किया जाएगा. वहीं इस योजना के तहत लाभार्थी व्यक्तिगत किसान, जल उपयोगकर्ता संघ, प्राथमिक कृषि ऋण समितियां और समुदाय, क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणाली शामिल हो सकते हैं.

इस योजना के अंतर्गत सौर व अन्य नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने के लिए डिस्कौम को खरीद आधारित प्रोत्साहन (पीबीआई) 40 पैसे प्रति किलोवाट या 6.60 लाख प्रति मेगावाट प्रति वर्ष, जो भी कम हो, विद्युत वितरण कंपनियों को संयंत्र की वाणिज्यिक परिचालन तिथि से 5 सालों के लिए पीबीआई दिया जाता है. इसलिए डिस्कौम को देय कुल पीबीआई 33 लाख रुपए प्रति मेगावाट है.

व्यक्तिगत पंप सौरकरण

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी बेंचमार्क लागत का 30 फीसदी सीएफए या निविदा में खोजी गई प्रणालियों की कीमतें, जो भी कम हो, का प्रदान की जाती है. हालांकि, सिक्किम, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह सहित पूर्वोत्तर राज्यों में एमएनआरई द्वारा जारी की गई बेंचमार्क लागत का 50 फीसदी सीएफए अथवा निविदा में खोजी गई प्रणालियों के मूल्य, जो भी कम हो, प्रदान किए जाते हैं.

इस के अलावा संबंधित राज्य व केंद्र शासित प्रदेश को कम से कम 30 फीसदी वित्तीय सहायता प्रदान करनी होगी. शेष लागत का योगदान लाभार्थी द्वारा किया जाएगा. पीएम कुसुम योजना के राज्य की 30 फीसदी हिस्सेदारी के बिना भी लागू किया जा सकता है. केंद्रीय वित्तीय सहायता 30 फीसदी बनी रहेगी और शेष 70 फीसदी किसानों द्वारा वहन किया जाएगा.

कृषि फीडर सौरकरण के लिए 1.05 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट का सीएफए प्रदान किया जाता है. प्रतिभागी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश से वित्तीय सहायता की कोई अनिवार्य आवश्यकता नहीं है. फीडर सौरकरण को कैपेक्स या रेस्को मोड में लागू किया जा सकता है.

पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत राज्यवार लक्ष्य या निधि आवंटन नहीं किया जाता है, क्योंकि यह एक मांग आधारित योजना है. इस के अतिरिक्त कतिपय लक्ष्यों की प्राप्ति करने पर राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को निधियां जारी की जाती हैं. राजस्थान से प्राप्त मांग और पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत हुई प्रगति के आधार पर आज की तारीख में, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने राजस्थान की राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों को 534.55 करोड़ रुपए जारी किए हैं

राज्य व केंद्र शासित प्रदेशवार आवंटित सौर पंप और अब तक प्राप्त प्रतिष्ठापन निम्नलिखित हैं:

पीएम कुसुम के अंतर्गत प्रगति (30 नवंबर, 2023 तक)

पीएम कुसुम योजना को 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया गया है. उत्तरपूर्वी राज्यों, पहाड़ी राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों और द्वीप संघ राज्य क्षेत्रों में व्यक्तिगत किसान और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में उच्च जल स्तर वाले क्षेत्रों में क्लस्टर व सामुदायिक सिंचाई परियोजनाओं में प्रत्येक किसान के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) 15 एचपी (7.5 एचपी से बढ़ा कर) तक की पंप क्षमता के साथ उपलब्ध है.

किसानों को कम लागत पर वित्तपोषण उपलब्ध कराने के लिए बैंकों या वित्तीय संस्थानों के साथ बैठकों का आयोजन. स्वचालित सौर पंपों की खरीद के लिए राज्य स्तरीय निविदा की अनुमति प्रदान की जा रही है.

इस के कार्यान्वयन के लिए समय सीमा प्रारंभिक मंजूरी के दिन से 24 महीने तक बढ़ाई गई है और फीडर स्तर पर सौरकरण के अंतर्गत निष्पादन बैंक गारंटी की आवश्यकता में छूट प्रदान की गई.

योजना के अंतर्गत लाभ प्रदान करने में तेजी लाने के लिए इंस्टालर आधार को बढ़ाने के लिए निविदा शर्तों में संशोधन किया गया है. किसानों को सब्सिडी वाला ऋण प्रदान करने के लिए कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ) के अंतर्गत शामिल योजना के अंतर्गत पंपों का सौरकरण किया जा रहा है.

यह योजना भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) दिशानिर्देशों के अंतर्गत शामिल की गई, जिस से वित्त प्राप्त करने में आसानी हो सके. प्रतिष्ठापनों की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए सौर पंपों की विशिष्टताओं और परीक्षण प्रक्रिया को समयसमय पर संशोधित किया जाता है. इस योजना की निगरानी करने के लिए केंद्र और राज्य स्तरों पर वैब पोर्टल विकसित किए गए हैं. साथ ही, सीपीएसयू सहित प्रचार और जागरूकता को भी बढ़ाया जा रहा है. योजना के बारे में जानकारी प्राप्त करना सुविधाजनक बनाने के लिए टोल फ्री नंबर प्रदान किया गया है.

इस योजना के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं को प्रगति और प्राप्त लक्ष्यों के आधार पर विस्तार दिया गया है.

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में किसान दिवस का आयोजन

हिसार: किसानों को उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के साथसाथ नवीनतम तकनीकों और मार्केटिंग रणनीतियों पर ध्यान देना होगा, ताकि उन के उत्पादों के बेहतर दाम मिलने के साथ अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में उन की मांग बढ़े.

ये विचार प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जयप्रकाश दलाल ने कहे. वे आज चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित किसान दिवस पर बतौर मुख्यातिथि किसानों को संबोधित कर रहे थे, जबकि समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने की.

कृषि मंत्री जेपी दलाल ने अपने संबोधन में सरकार द्वारा किसानों के हित के लिए चलाई जा रही कृषि योजनाओं को विस्तारपूर्वक बताया. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने कृषि का बजट जो कि पहले 800 करोड़ रुपए था, वह अब बढ़ा कर 3,900 करोड़ रुपए कर दिया है. बाजरे का भाव, जो पहले 800 रुपए होता था, आज 2,500 रुपए प्रति क्ंिवटल दिया जा रहा है. इस के अलावा सरकार ने नहरों, मछलीपालन, बिजली व ट्यूबवैल कनेक्शन के बजट की भी बढ़ोतरी की है.

उन्होंने कहा कि हरियाणा पहला एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां 14 फसलों की एमएसपी पर खरीदारी होती है. सरकार ने फसल बीमा योजना के तहत 9,000 करोड़ रुपए किसानों को वितरित किया है, जबकि फसल बीमा कंपनियों ने किसानों से 1973 करोड़ रुपए ही लिए थे. राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कृषि उत्पादों को बेचने के लिए सरकार द्वारा गन्नौर में विश्वस्तरीय सब से बड़ी मंडी बनाई जा रही है, जहां अंतर्राष्ट्रीय ग्राहक आएंगे. इस के लिए फतेहाबाद, हिसार, करनाल व कुरुक्षेत्र जिलों में उत्पादों की पैंकिग, ग्रेडिंग, सोर्टिंग और कोल्ड स्टोरेज सैंटर बनाए जाएंगे, जहां से उत्पादों को गन्नौर ले जा कर उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मंडियों में बेचा जा सकेगा.

कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी जैसी आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए सरकार 125 किसानों को ड्रोन की ट्रेनिंग दिलवा चुकी है और 13 लाख के इलैक्ट्रिक व्हीकल सहित ड्रोन व नैनो यूरिया भी वितरित किए गए हैं, ताकि कोई भी किसान 100 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करवा सकता है. इस काम में लगी शेष पूंजी का वहन सरकार द्वारा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस स्कीम के तहत एक लाख एकड़ की मंजूरी सरकार द्वारा दे दी गई है.

प्राकृतिक संसाधन नई पीढ़ी की धरोहर, शुद्ध भोजन की शुरुआत अपने परिवार से करें

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने अपने संबोधन में कहा कि हरियाणा प्रदेश देश के कुल अनाज का 7 फीसदी उत्पादन करता है. राज्य में गेहूं का उत्पादन 6 गुना, चावल 8 गुना एवं तिलहनी फसलों का उत्पादन 5 गुना बढ़ा है.

उन्होंने कहा कि ये सब उपलब्धियां हरियाणा सरकार की किसान हितेषी नीतियों और चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा सिफारिश की गई कृषि संबंधी उन्नत व नवीनतम तकनीकों को अपनाने व किसानों की मेहनत का परिणाम है. प्रदेश में उन्नत बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय हर वर्ष विभिन्न फसलों का तकरीबन 22,500 क्ंिवटल से अधिक उन्नत बीज पैदा कर के राज्य के विभिन्न निगमों व किसानों को वितरित करता है. उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश देश के 60 फीसदी से अधिक बासमती चावल का निर्यात केवल हरियाणा से ही होता है.

कुलपति बीआर कंबोज ने कहा कि प्राकृतिक संसाधन नई पीढ़ी की धरोहर है. प्राकृतिक खेती के मौडल को अपनाते हुए पोषणयुक्त खाद्यान्न पैदा करते हुए अपने परिवार से ही शुद्ध भोजन की शुरुआत करें.
उन्होंने किसानों से कहा कि वे कृषि में विविधीकरण को अपनाएं और उत्पादन की क्वालिटी बढ़ाएं, ताकि विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा का मुकाबला किया जा सके. किसानों को कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है.

कुलपति बीआर कंबोज ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि कृषि विज्ञान केंद्रों की मदद से किसानों को प्रेरित करें कि वे नईनई तकनीकों को अपनाएं, ताकि उन की आय बढ़ाई जा सके.

कुलपति बीआर कंबोज ने जल संरक्षण पर उचित उपाय अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि जल का दोहन इसी तरह जारी रहा, तो आने वाले समय में कृषि उत्पादन में 30 फीसदी तक की कमी की संभावना है. जल संसाधनों का बेहतर प्रयोग, वाटरशेड विकास, वर्षा जल संचय और उन्नत तकनीकों को अपना कर पानी का उचित प्रबंध करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि बूंदबूंद पानी का सदुपयोग करें.

शिक्षा, चिकित्सा, कृषि सहित सभी क्षेत्रों में महिलाएं निभा रहीं अग्रणी भूमिका

राज्यसभा सांसद जनरल डीपी वत्स ने अपने संबोधन में समारोह में उपस्थित महिला किसानों की अधिक संख्या पर खुशी जताई और कहा कि महिलाओं की जिस भी क्षेत्र में हिस्सेदारी रही है, वह क्षेत्र हमेशा आगे रहा है. हमारा देश 70 से ज्यादा देशों में खाद्यान्न का निर्यात करता है, जो दर्शाता है कि हमारा देश कृषि के क्षेत्र में कितना अग्रणीय है.

उन्होंने आगे कहा कि हमें जाति से ऊपर उठ कर राष्ट्र हित में अपना योगदान देना चाहिए, ताकि हमारा देश नंबर वन बन सके. साथ ही, उन्होंने समय के साथसाथ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किसान उपयोगी आधुनिक तकनीक व उन्नत किस्में विकसित करने के लिए उन की प्रशंसा की.

विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल ने सभी का स्वागत किया, जबकि कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया.

इस अवसर पर मुख्यातिथि जेपी दलाल ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया. इस अवसर पर मुख्यातिथि जेपी दलाल ने विश्वविद्यालय व कृषि क्षेत्र में स्वरोजगार स्थापित करने वाले किसानों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया.

किसानों की समृद्धि के लिए चैधरी चरण सिंह की नीतियां बहुत कारगर

हिसार: चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आज भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चैधरी चरण सिंह की 121वीं जयंती मनाई गई. इस अवसर पर विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति प्रो. बीआर कंबोज मुख्य अतिथि थे. उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित चैधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि चैधरी चरण सिंह किसान व कमेरा तबके के सच्चे हितैषी थे. स्वयं एक किसान व ग्रामीण परिवेश से होने के चलते वे किसानों की समस्याओं को अच्छी तरह से समझते थे. वे मानते थे कि देश के विकास का रास्ता खेतखलिहानों से हो कर गुजरता है, इसलिए उन्होंने ताउम्र किसानों और गरीबों के उत्थान के लिए संघर्ष किया.

प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह ने देश में किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियां बनाईं. उन्होंने विभिन्न राजनीतिक पदों पर रहते हुए देश में जमींदारी प्रथा समाप्त कराना, भूमि सुधार अधिनियम लागू कराना, ऋण निमोचन विधेयक पारित कराना और केंद्र में ग्रामीण पुनरुत्थान मंत्रालय स्थापित करना जैसे अनेक महत्वपूर्ण काम किए. किसानों के लिए उन के अतुलनीय योगदान के दृष्टिगत वर्ष 2001 से 2023 दिसंबर को उन की जयंती को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है.

उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि इस विश्वविद्यालय का नाम इस महान नेता के साथ जुड़ा हुआ है. हम आज उन की जयंती को किसान दिवस के रूप में मना रहे है. हमारा प्रयास है कि प्रदेश व देश के प्रत्येक किसान को इस विश्वविद्यालय में विकसित कृषि तकनीकों का लाभ पहुंचे. उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षकों, वैज्ञानिकों व विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे किसानों की समृद्धि व कल्याण के लिए सदैव प्रयत्नशील रहें.
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न कालेजों के अधिष्ठाताओं, निदेशकों व अन्य अधिकारियों सहित वैज्ञानिकों, कर्मचारियों व विद्यार्थियों और हौटा एवं हौंटिया के पदाधिकारियों ने भी पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए.

राष्ट्रीय किसान संगोष्ठी पर किसान हुए सम्मानित

अविकानगर: 23 दिसंबर. ‘किसान दिवस’ के मौके पर केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर के सभागार में ‘राष्ट्रीय किसान संगोष्ठी‘ का आयोजन किया गया. संगोष्ठी कार्यक्रम के मुख्य अथिति स्थानीय मालपुरा टोड़ाराय सिंह नगर के विधायक कन्हैयालाल चैधरी, विशिष्ट अतिथि के रूप में सुधीर मान स्टेट मार्केटिंग मैनेजर ईफको, डा. नंदलाल, अध्यक्ष फार्मर फोरम व रिटायर्ड प्रोफैसर एग्रोनोमी, खेमाराम महरिया, बीएल मंडीवाल आदि जनप्रतिनिधि और प्रगतिशील किसान उपस्थित रहे.

संस्थान के निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर द्वारा कार्यक्रम की अध्यक्षता की गई. कार्यक्रम में पधारे अतिथियों का निदेशक द्वारा स्वागतसम्मान किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कन्हैयालाल चैधरी ने कार्यक्रम के आयोजक डा. अरुण कुमार तोमर को धन्यवाद देते हुए किसानों को वैज्ञानिक पद्धति से खेती एवं पशुपालन को करते हुए उस की उद्यमिता विकास की ओर ले जाने के लिए प्रेरित किया.

उन्होंने आश्वासन दिया कि हमारी सरकार राजस्थान में ईस्टर्न कैनल नहर परियोजना को जल्दी ही 2 महीने में राष्ट्रीय परियोजना घोषित करेगी, जिस से पूर्व राजस्थान में खेती एवं पशुपालन के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ने से खेती और पशुपालन से रोजगार बढ़ेगा.

Seminarकार्यक्रम में  उपस्थित सभी किसानों, युवाओं से विधायक कन्हैयालाल चैधरी ने निवेदन किया कि कोई भी सरकार कितनी भी योजनाएं लाए, नतीजा आप को धरातल पर नहीं मिलेगा. संस्थान के निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्थान द्वारा राजस्थान एवं देश के विभिन्न हिस्सों में अपने संस्थान के द्वारा किए जा रहे किसानों के प्रयासों को विस्तार से उपस्थित अतिथियों एवं किसानो को बताया.

उन्होंने आगे बताया कि संस्थान खेती व पशुपालन में किसानों को वैज्ञानिक दृष्टि से करने के लिए नित्य प्रशिक्षण कार्यक्रम, उन्नत नस्ल के पशुओं का वितरण, स्वास्थ्य शिविर, गिर गाय मे कृत्रिम गर्भाधान एवं जागरूकता कैंपों का आयोजन मालपुरा सहित डूंगरपुर, दौसा, बीकानेर, हनुमानगढ़, बाड़मेर, उदयपुर आदि क्षेत्रों में कर रहा है.

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि सुधीर मान द्वारा खेती में वैज्ञानिक पद्धति से खाद के उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी किसानों को दी गई. उन्होंने ज्यादा से ज्यादा किसानों को नैनो यूरिया के इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया.

किसानों का हुआ सम्मान

Seminarकार्यक्रम में उपस्थित अन्य विशिष्ट अतिथियों एवं प्रगतिशील किसानों द्वारा भी अपने अनुभवों से उपस्थित किसानों को लाभान्वित किया गया. कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों द्वारा साधना गुलेरिया को समेकित खेती में अच्छे काम के लिए डा. आरएस परोदा किसान रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया, जिस में साधना गुलेरिया को 21,000 रुपया नकद पुरस्कार के साथ प्रशस्तिपत्र दिया गया, साथ में मालपुरा क्षेत्र के साथ अन्य क्षेत्र के 10 प्रगतिशील किसानों को भी प्रशस्तिपत्र के साथ 2,100 रुपए दे कर सम्मानित किया गया.

प्रतियोगिताओं का आयोजन

राष्ट्रीय किसान संगोष्ठी कार्यक्रम के समन्वयक डा. लीलाराम गुर्जर, प्रभारी तकनीकी स्थानांतरण विभाग द्वारा भी स्वर्गीय चैधरी चरण सिंह के जीवन पर आधारित विभिन्न प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन करवा कर विजेता को पुरस्कार अथितियों द्वारा दिलवाया गया. संगोष्ठी कार्यक्रम में  मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों द्वारा फार्मर फस्र्ट प्रोजैक्ट के अंगीकृत गांव के भेड़पालक किसानों के लिए नस्ल सुधार हेतु 5 पाटनवाड़ी और मालपुरा नस्ल की भेंड़ांे का वितरण किया गया.

Seminarसंगोष्ठी कार्यक्रम के समन्वयक डा. लीलाराम गुर्जर द्वारा बताया गया कि कार्यक्रम में पधारे अतिथियों द्वारा संस्थान में आयोजित अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) के 25 किसान को पांचदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के अवसर पर प्रमाणपत्र दिया गया.

अनुसूचित जाति उपयोजना के नोडल अधिकारी डा. अजय कुमार ने बताया कि मालपुरा तहसील के अनुसूचित जाति की 18 किसानों को आजीविका के लिए 2 सिरोही नस्ल की बकरियों का वितरण भी पधारे अतिथियों द्वारा किया गया. राष्ट्रीय किसान संगोष्ठी कार्यक्रम में सभागार में 500 से ज्यादा किसानों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया, जिस में 50 किसान दौसा जिले के अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लाभार्थी भी शामिल रहे.

राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी कार्यक्रम के अवसर पर संस्थान के विभाग अध्यक्ष डा. रणधीर सिंह भट्ट, डा. सुरेश चंद शर्मा, डा. सत्यवीर सिंह डांगी, डा. अजीत महला, डा. अरविंद, डा. रंगलाल, डा. दुष्यंत, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी इंद्र भूषण कुमार, प्रशासनिक अधिकारी भीमसिंह, मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी राजकुमार, पिल्लू मीना, लोकेश मीना, डा. अमर सिंह आदि कर्मचारी उपस्थित रहे.

बहुपयोगी कैक्टस पर कार्यशाला

नई दिल्ली: ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने वीडियो कौंफ्रेंस के माध्यम से नई दिल्ली में ‘‘वाटरशेड परियोजनाओं में हरित अर्थव्यवस्था के लिए कैक्टस‘‘ विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित किया.

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सभी प्रतिनिधियों से कैक्टस पौधा रोपने और इस के आर्थिक उपयोग पर आधारित इकोसिस्टम को वजूद में लाने के लिए इस अवसर का उपयोग करने की अपील की.

भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) के सचिव, अजय तिर्की ने किसानों की आय बढ़ाने और इकोलोजिकल मुद्दों के समाधान के लिए इस तरह के एक अभिनव विचार की अवधारणा के लिए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का आभार माना. उन्होंने राष्ट्रीय कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए वाटरशेड डिवीजन के प्रयासों की भी सराहना की. उन्होंने राज्यों को समयबद्ध तरीके से सभी हितधारकों को शामिल करते हुए राज्य स्तर पर एकसमान कार्यशाला आयोजित करने का सुझाव दिया.

कार्यशाला ने कैक्टस की खेती और इस के आर्थिक उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए बैकवर्ड और फौरवर्ड लिंकेज की सुविधा प्रदान करने के लिए विशेषज्ञों, उद्यमियों, नवप्रवर्तकों, थिंकटैंक के प्रतिनिधियों और सरकार के विभिन्न विचारों को एकसाथ लाने में सहायता की.

भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) एक केंद्र प्रायोजित योजना है अर्थात प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) के वाटरशेड विकास घटक को कार्यान्वित कर रहा है. योजना का मुख्य उद्देश्य देश में वर्षा आधारित व ऊबड़खाबड़ भूमि का सतत विकास करना है. डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई का दायरा विभिन्न प्रकार के उपयुक्त पौधा रोपण की अनुमति देता है, जो वर्षा आधारित व ऊबड़खाबड़ भूमि की बहाली में सहायता करता है. कैक्टस सब से कठोर पौधों की प्रजाति है, जिस के विकास और अस्तित्व के लिए बहुत ही कम वर्षा की आवश्यकता होती है. इस के अनुसार, भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) देश के व्यापक लाभ और किसानों की आय बढ़ाने के लिए ईंधन, उर्वरक, चारा, चमड़ा, भोजन आदि उद्देश्यों के लिए लाभ प्राप्त करने के लिए वर्षा आधारित व निम्नीकृत भूमि पर कैक्टस की खेती करने के लिए विभिन्न विकल्पों की खोज कर रहा है.

इस अवसर पर, भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) ने डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 के अंतर्गत स्पाइनलेस कैक्टस की खेती और इस के आर्थिक उपयोग को प्रोत्साहन देने में सहयोग पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), शुष्क क्षेत्रों में कृषि अनुसंधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (आईसीएआरडीए) और राजस्थान राज्य सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए.

वर्तमान में, देश में कैक्टस की खेती चारे के उद्देश्य तक ही सीमित है. कैक्टस के विभिन्न अन्य आर्थिक और इकोलौजिकल उपयोगों के लिए जागरूकता, प्रचार और गुणवत्तापूर्ण पौध रोपण सामग्री की उपलब्धता, आदर्श इकोसिस्टम और विपणन मार्गों पर प्रथाओं के पैकेज की सुविधा के माध्यम से इस के प्रचार की आवश्यकता है. कार्यशाला ने विभिन्न हितधारकों के बीच जागरूकता लाने और उन्हें एकदूसरे से जोड़ने में काफी सहायता की है.

भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) ने पहले ही ‘डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई के अंतर्गत वाटरशेड परियोजनाओं में स्पाइनलेस कैक्टस की खेती व पौध रोपण को बढ़ावा देने‘ के लिए दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं और बायोगैस के उत्पादन और अन्य उपयोग के लिए कैक्टस की खेती के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश जम्मूकश्मीर और लद्दाख को प्रसारित कर दिया है.

कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी प्रतिनिधियों को दिशानिर्देशों की एक प्रति भी प्रदान की गई.

राष्ट्रीय अंतःविषय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईआईएसटी), तिरुवनंतपुरम, केरल ने कार्यशाला स्थल पर प्रतिनिधियों के लाभ के लिए कैक्टस चमड़े से तैयार विभिन्न वस्तुओं जैसे जूते, बैग, जैकेट, चप्पल आदि का प्रदर्शन किया. सभी प्रतिनिधियों के लिए कैक्टस फल से तैयार जूस और कैक्टस सलाद भी परोसा गया.

कार्यशाला का उद्देश्य केंद्र सरकार, राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों, उद्योगों, विशेषज्ञों जैसे सभी हितधारकों को एकसाथ लाना और इस के विभिन्न आर्थिक उपयोगों का लाभ लेने के लिए शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों और कैक्टस आधारित उद्योगों में कैक्टस की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए सहयोग करना और एक रूपरेखा तैयार करना है.

कैक्टस आधारित सीबीजी पौधों को व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए एमओपीएनजी की एसएटीएटी, सीबीओ योजनाओं का उपयोग करने के लिए एकसाथ लाने के दृष्टिकोण पर भी बल दिया गया. प्राकृतिक गैस में सीबीजी के अनिवार्य मिश्रण के बारे में 25 नवंबर, 2023 को घोषित भारत सरकार की नीति से देश में सीबीजी के उत्पादन और खपत को भी प्रोत्साहन मिलेगा.

राज्य सरकारों ने इस बात पर भी बल दिया कि बड़े पैमाने पर कैक्टस के वृक्षारोपण के लिए एमजीएनआरईजीएस योजना निधि को प्रभावी ढंग से एकत्रित किया जा सकता है.

15 राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 200 प्रतिनिधि, पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी), एमओए-एफडबल्यू, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ-सीसी), डीओआरडी, खाद्य प्रसंस्करण जैसे केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, संबंधित उद्योग प्रतिनिधि और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), आईजीएफआरए, आईसीएआरडीए जैसे अन्य प्रतिष्ठित अनुसंधान संगठन व संस्थान, सीएजेडआरआई, एनआरएए ने कार्यशाला में भाग लिया. कार्यशाला में भूमि संसाधन विभाग के सचिव, संयुक्त सचिव (वाटरशेड प्रबंधन) और वाटरशेड प्रभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.

प्रतिनिधियों ने प्रस्तुतियां दीं और कैक्टस की खेती और इस के आर्थिक और पारिस्थितिक उपयोग जैसे संपीड़ित बायोगैस, जैव उर्वरक, जैव चमड़ा, चारा, भोजन, फार्मास्युटिकल लाभ, कार्बन क्रेडिट आदि के उत्पादन के विभिन्न मुद्दों पर विचारविमर्श किया.

प्रतिभागी राज्यों ने भी अपनेअपने राज्यों में कैक्टस की खेती के बारे में अपनी प्रारंभिक तैयारी प्रस्तुत की. कार्यशाला के दौरान उपस्थित उद्योग प्रतिनिधियों ने भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) के प्रयासों की सराहना की और कैक्टस की खेती और कैक्टस आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने में गहरी रुचि दिखाई.

खुदरा उर्वरक विक्रेता किसानों के हित का ध्यान रखें

उदयपुर : 20 दिसंबर, 2023. प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर द्वारा आयोजित 15 दिवसीय खुदरा उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण (6 दिसंबर से 20 दिसंबर) के अवसर पर मुख्य अतिथि निदेशक प्रसार, डा. आरए कौशिक, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि वे सच्ची लगन व निष्ठा से अपने व्यवसाय के साथ किसानों के हित में काम करें.

उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण को प्राप्त करने के उपरांत सभी उर्वरक विक्रेताओं को किसानों से सीधा संपर्क स्थापित कर विभिन्न प्रकार की नवीनतम एवं आधुनिक कृषि तकनीकियों को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए और उन की आमदनी को बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए. ज्ञान को सीखने की कोई उम्र नहीं होती है. इसलिए प्रतिभागियों को कृषि संबंधित नवीनतम साहित्य एवं विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के संपर्क में रहना चाहिए, ताकि कृषि में हो रहे नवाचारों द्वारा आप किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित कर सकते हैं.

इस अवसर पर प्रशिक्षण समन्वयक डा. लतिका व्यास, प्राध्यापक, प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर ने उर्वरकों के संतुलित उपयोग एवं मृदा परीक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पोषक तत्व प्रबंधन, समन्वित पोषक तत्व के लाभ, जैविक खेती और उस के लाभ, कार्बनिक खेती आदि के बारे में भी चर्चा की.

इस प्रशिक्षणार्थियों को उर्वरक उपयोग दक्षता बढ़ाने के उपाय सुझाए और टिकाऊ खेती समन्वित कृषि पद्धति की फसल विविधीकरण आदि विषयों पर जानकारी दे कर उन का ज्ञानवर्धन किया.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि नीरज यादव, जिला विकास प्रबंधक, नाबार्ड ने किसानों के लिए चलाई जा रही विभिन्न नाबार्ड योजनाओं की जानकारी दी.

आदर्श शर्मा ने बताया कि इस प्रशिक्षण में राज्य के विभिन्न जिलों उदयपुर, राजसमंद, बांसवाड़ा व डूंगरपुर आदि से 31 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया, जिन्हें उर्वरक सर्टिफिकेट कोर्स संबंधी सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारियां विश्वविद्यालय के विभिन्न कृषि वैज्ञानिकों एवं राज्य सरकार के कृषि अधिकारियों द्वारा प्रदान की गई. साथ ही, अपने विचार व्यक्त करते हुए इस प्रशिक्षण का लाभ किसानों तक पहुंचाने की अपील की. प्रशिक्षण के समापन समारोह में खुदरा उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी प्रशिक्षणार्थियों को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि द्वारा प्रमाणपत्र एवं प्रशिक्षण संबंधी साहित्य प्रदान किए गए.

आयुष्मान भारत योजना : जिला स्तर पर काम

नई दिल्ली : 20 दिसंबर, 2023. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने पिछले दिनों नई दिल्ली में प्रेस वार्ता में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की जनहितकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी व कुशल नेतृत्व में सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शुमार है.

उन्होंने बताया कि देश में एम्स की संख्या बढ़ कर 23 हो गई है, जो कि मोदी सरकार के पूर्व सिर्फ 6 ही थी, वहीं आरोग्य मंदिर (स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों) की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है, जो अब करीब 1.63 लाख हो चुके हैं.

प्रेस वार्ता में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के साथ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा व इंदुबाला गोस्वामी भी उपस्थित थीं.

अर्जुन मुंडा ने पीएम मोदी के ‘सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज-किसी को पीछे न छोड़ने’ के दृष्टिकोण के साथ ही प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से जनसामान्य को हो रहे स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताया कि 23 सितंबर 2018 को रांची (झारखंड) से प्रारंभ यह लगभग 55 करोड़ लाभार्थियों को लक्षित करने वाला दुनिया का सब से बड़ा सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है. आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में पात्र लोगों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपए का बीमा कवर प्रदान करने का प्रावधान है.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन कार्यक्रम के शुभारंभ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विशेष रूप से आदिवासी आबादी के बीच सिकल सेल रोग से उत्पन्न महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियों का इस के माध्यम से निदान संभव होगा.

उन्होंने आगे कहा कि देश में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र ने पिछले 70 वर्षों की तुलना में पिछले साढ़े 9 वर्षों में अत्यधिक उपलब्धियां हासिल की हैं. हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत आयुष्मान भारत योजना, जिला स्तर पर आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं तैयार कर रही है, क्योंकि सरकार की मंशानुरूप नए भारत को फिट भारत बनाने के लिए एक स्वस्थ व्यक्ति, एक स्वस्थ परिवार और एक स्वस्थ समाज आवश्यक है. मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव की क्रांति देखी गई है, जिसका कारण सरकार की इच्छाशक्ति है. देश में पहली बार स्वास्थ्य को डेवलपमेंट के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है और आज देश में एक ऐसा माहौल बना है, जब हम “हेल्दी नेशन, वेल्दी नेशन” की बात को स्वीकार कर रहे हैं.

केंद्र के स्वास्थ्य बजट को देखें या फिर केंद्र द्वारा राज्यों को स्वास्थ्य सेवा के लिए दिए जा रहे बजट की आवंटित राशि को देखें, तो निश्चित ही काफी बदलाव दिखाई देगा. अब इतिहास का सब से बड़ा हेल्थ बजट आवंटित हो रहा है व साल दर साल यह बजट राशि अधिकाधिक बढ़ाई जा रही है.

मंत्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गई विकसित भारत संकल्प यात्रा के माध्यम से भी स्वास्थ्य सेवाओं की योजनाओं से जनसामान्य को जोड़ कर लाभ पहुंचाया जा रहा है. प्रधानमंत्र मोदी की भारत को संपूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने की जो संकल्पना है, उसी दिशा में सरकार ने हेल्थ के सभी पहलुओं पर काम किया है. प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कालेज के लक्ष्य के साथ पिछले 9 वर्षों में इन की संख्या 350 से बढ़ा कर 700 से ज्यादा की गई है. पिछले 9 वर्षों में एमबीबीएस सीटों की संख्या 52 हजार से बढ़ा कर 1 लाख, 8 हजार से अधिक की गई है. साथ ही, पीजी की सीटों की संख्या 32 हजार से बढ़ा कर 70 हजार से अधिक की गई है. देश में पिछले 9 वर्षों में 10 हजार से ज्यादा जन औषधि स्टोर खोले गए और अब इन की संख्या को 10,000 से बढ़ा कर 25,000 से अधिक किया जा रहा है.

मंत्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन गरीबों तक दवाई पहुंचाई है, जो एक समय में दवाओं की पहुंच से बाहर थे. जन औषधि योजना के माध्यम से गरीबों को अभी तक 25,000 करोड़ से अधिक रुपए की बचत हो गई है. उन्होंने कहा कि पीएम के प्रयासों से देश में “स्वस्थ राष्ट्र, धनवान राष्ट्र” की व्यापक भावना बन चुकी है.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासी क्षेत्रों में 360 डिगरी विकास लाने के लिए सरकार की एक विशाल पहल, प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान (पीएम जनमन) के बारे में भी जानकारी दी. पीएम जनमन मिशन का लक्ष्य विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की योजनाओं के माध्यम से विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के विकास का है.

उन्होंने बताया कि इस मिशन का वित्तीय परिव्यय लगभग 24,000 करोड़ रुपए और 9 प्रमुख मंत्रालयों से संबंधित 11 महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों पर केंद्रित है. जनजातीय स्वास्थ्य, पीएम जनमन के तहत प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक है.

17वा दीक्षांत समारोह : शिक्षा और कृषि पर विशेष ध्यान देना होगा

उदयपुर : 20 दिसंबर, 2023. प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विवेकानंद सभागार में आयोजित महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया. उन्होंने दीक्षांत समारोह में 864 स्नातक (बीएससी), 201 स्नातकोत्तर (एमएससी) व 74 विद्या वाचस्पति छात्रछात्राओं को दीक्षा प्रदान करने के साथ ही उपाधियां 42 स्वर्ण पदक से नवाजा.

राज्यपाल ने इस वर्ष का कुलाधिपति स्वर्ण पदक दीक्षा शर्मा, एमएससी, कृषि (सस्य विज्ञान) को प्रदान किया.

इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि शिक्षा और कृषि पर विशेष ध्यान दे कर ही हम सही माने में राष्ट्र को समृद्ध बना सकते हैं. राष्ट्र की प्रगति का मूल आधार खाद्य और पोषण सुरक्षा ही है. हरित क्रांति और दुग्ध क्रांति के बाद देश खाद्य व पोषण सुरक्षा में आज आत्मनिर्भर जरूर बन गया है, लेकिन यह अंत नहीं है. हमें अभी विकसित भारत के स्वप्न को साकार करना है. इस के लिए हमें कृषि निर्यात को बढ़ाना होगा. यह भी ध्यान रखना होगा कि भूमि की उर्वर शक्ति और जैव विविधता पर खतरा न मंडराए.

उन्होंने आगे कहा कि प्रति व्यक्ति खाद्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि के उपरांत भी आबादी का एक बड़ा तबका अभी भी अल्पपोषण व कुपोषण की विपदा झेल रहा है.

कृषि में महिलाओं की खास भूमिका

राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि कृषि में महिलाओं की भूमिका आज भी महत्वपूर्ण है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के शोध से पता चलता है कि प्रमुख फसलों के उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी 75 फीसदी, बागबानी में 79 फीसदी, फसल कटाई के उपरांत के कामों में 51 फीसदी और पशुपालन व मत्स्यपालन में 95 फीसदी है. इसी के मद्देनजर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 15 अक्तूबर को महिला कृषक दिवस मनाने की पहल की है.

दुग्ध उत्पादन में अव्वल

कार्यक्रम में डा. आरसी अग्रवाल, उपमहानिदेशक, कृषि शिक्षा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने कहा कि भारतीय कृषि विविधतापूर्ण है. इस में जलवायु, मृदा, भूगर्भीय पारिस्थितिकी व वनस्पति तंत्र सम्मिलित हैं, जो सहस्त्राब्दियों से विकसित प्राकृतिक आवास, फसलों व पशुधन की विविधता तय करता है. भारत फसली पौधों की उत्पत्ति के विश्व के 8 केंद्रों में से एक है. तकरीबन 166 फसल प्रजातियां व फसलों की 320 जंगली प्रजातियों की उत्पत्ति यहां हुई.

उन्होंने आगे कहा कि देश में इस समय कुल 76 विश्वविद्यालय और 732 केवीके हैं. 8 वर्ष पूर्व तक 23 फीसदी छात्राएं कृषि शिक्षा ग्रहण कर रही थीं, जो आज बढ़ कर 50 फीसदी हो चुकी है. कृषि में महिलाओं की भागीदारी के अच्छे संकेत हैं. वर्ष 2040 तक 9.50 लाख कृषि स्नातकों की आवश्यकता होगी, जो आज 50 फीसदी ही है.

Doctorateडा. आरसी अग्रवाल ने बताया कि पशुपालन भारतीय अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है. पशु आनुवांशिक संसाधन राष्ट्र की पारंपरिक शक्ति है. आज 221 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन के साथ हम विश्व पटल पर प्रथम पायदान पर है. दुग्ध उत्पादन में राजस्थान ने उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ते हुए सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन वाले राज्य का गौरव पाया है.

उन्होंने खुशी जाहिर की कि एमपीयूएटी ने भी बकरी की 3 प्रजातियों के पंजीकरण में महती भूमिका निभाई है.

डा. आरसी अग्रवाल ने कहा कि वर्ष 1960 से आरंभ हुए कृषि विश्वविद्यालयों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिल कर कृषि को नई दिशा दी है. हम ने फसलों के क्षेत्र में हरित, दुग्ध में श्वेत, मत्स्य में नीली, तिलहन में पीली, उद्यानिकी व मधुमक्खीपालन में स्वर्णिम, अंडा उत्पादन में रजत, कौफी में भूरी व ऊन उत्पादन में स्लेटी क्रांतियों से एक इंद्रधनुषी परिक्रमण का निर्माण किया है. भारत की 1950-51 से अब तक की यात्रा उत्कृष्ट रही है. इस काल में हम ने उत्पादन की दृष्टि से खाद्यान्न में 6.46, उद्यानिकी में 14.36, दुग्ध में 13.06, अंडे में 76.87 व मत्स्य उत्पादन में 22 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है. यही नहीं, वर्ष 2010 तक हम खाद्यान्न सुरक्षित राष्ट्र की श्रेणी में आ गए.

उन्होंने आगे कहा कि आज हमारी आबादी 142 करोड़ है. अनुमान के अनुसार, वर्ष 2023 तक भारत की आबादी 150 करोड़ और वर्ष 2040 तक 159 करोड़ पहुंचने की संभावना है. चिंता इस बात की है कि शहरीकरण औद्योगिकीकरण के कारण ग्रामीण श्रेत्रों में फसली क्षेत्रफल में कमी आ रही है. हम जल की दृष्टि से भी असमृद्ध देखा हैं. विश्व के ताजा पानी का मात्र 4 फीसदी हिस्सा ही हमारे पास है. ऐसे में चुनौतियों को ध्यान में रख कर योजनाएं बनानी होंगी.

उपलब्धियों में शीर्ष पर विश्वविद्यालय

Doctorateकुलपति अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि विगत एक वर्ष में विश्वविद्यालय ने अनुसंधान के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं. विराट परिसर, श्रेष्ठ अकादमिक स्तर व शैक्षणिक गुणवत्ता के कारण आज विश्वविद्यालय की भूमिका अद्वितीय है.

प्राकृतिक खेती पर डिगरी कोर्स होगा शुरू

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि प्राकृतिक खेती पर आगामी वर्ष से विश्ववि़द्यालय कृषि स्नातक कार्यक्रम का एक कोर्स चलाएगा. साथ ही, एक प्रथम डिगरी कार्यक्रम आरंभ करने का भी विचार चल रहा है.

12 भारतीय व विदेशी पेटेंट हासिल

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने प्रमुख उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पहली बार अभिन्न तकनीक विकसित कर विगत एक वर्ष में 12 भारतीय व विदेशी पेटेंट हासिल किए. इन में प्रमुख है, बायोचार निर्माण, सौर ऊर्जा चलित आइसक्रीम गाड़ी का निर्माण, कृषि अवशेषों से हाइड्रोजनयुक्त सिनगैस का निर्माण व स्वचालित सब्जी पौध रोपण तकनीक आदि.

ड्रोन के उपयोग में प्रथम विश्वविद्यालय

उन्होंने बताया कि भारतीय विश्वविद्यालय कृषि में ड्रोन के उपयोग में राज्य का प्रथम विश्वविद्यालय है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा उपलब्ध 2 ड्रोन खरीद कर किसानों के खेतों पर छिड़काव के लिए सब से पहले उपयोग में लाना शुरू किया.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो करनाल में बकरी की 3 प्रजातियां सोजत, गूजरी व करौली का पंजीकरण कराया गया, जबकि चैथी प्रजाति नैनणा के पंजीकरण की कार्यवाही अंतिम चरण में है.

Milletsमिलेट्स वर्ष में भी पहचान बनाई

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष में भी विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है. मिलेट्स पर सचित्र मार्गदर्शन, जागरूकता, रैलियां व कार्यशालाएं आयोजित की गईं. छात्रों द्वारा मिलेट्स केक ने तो राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की. मिलेट्स को भोजन में शामिल करने व मिलेट्स पर किए गए कामों के संबंध में एक कौफी टेबल बुक भी तैयार की गई.

अनेक उन्नत बीज किस्में भी रिलीज

अनुसंधान के क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मक्का की किस्म प्रताप संकर मक्का-6 को राष्ट्रीय स्तर पर चिन्हित व अनुमोदित किया गया. वर्ष 2022-23 में ज्वार, मूंगफली, चना, अश्वगंधा, असालिया, इसबगोल, एवं अफीम फसलों की 8 किस्में यथा प्रताप ज्वार-2510, प्रताप मूंगफली-4, प्रताप चना-2, प्रताप चना-3, प्रताप अश्वगंधा-1, प्रताप असालिया, प्रताप इसबगोल-1 एवं चेतक अफीम राज्य स्तरीय किस्म रिलीज समिति को अनुमोदन हेतु भेजी गई है. विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं द्वारा वर्ष 2023 में 76 तकनीकों का विकास कर किसानों के उपयोग के लिए सिफारिश की गई. वर्ष 2022-23 में हमारे प्रक्षेत्रों पर 4105.71 क्विंटल गुणवत्ता बीज का उत्पादन किया गया और 7.35 लाख पादप रोपण सामग्री तैयार की. साथ ही, मछली के 125 लाख स्पान, 3.20 लाख फ्राई और 1.95 लाख फिंगरलिंग का उत्पादन कर किसानों को वितरित किए गए.