17वा दीक्षांत समारोह : शिक्षा और कृषि पर विशेष ध्यान देना होगा

उदयपुर : 20 दिसंबर, 2023. प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विवेकानंद सभागार में आयोजित महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया. उन्होंने दीक्षांत समारोह में 864 स्नातक (बीएससी), 201 स्नातकोत्तर (एमएससी) व 74 विद्या वाचस्पति छात्रछात्राओं को दीक्षा प्रदान करने के साथ ही उपाधियां 42 स्वर्ण पदक से नवाजा.

राज्यपाल ने इस वर्ष का कुलाधिपति स्वर्ण पदक दीक्षा शर्मा, एमएससी, कृषि (सस्य विज्ञान) को प्रदान किया.

इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि शिक्षा और कृषि पर विशेष ध्यान दे कर ही हम सही माने में राष्ट्र को समृद्ध बना सकते हैं. राष्ट्र की प्रगति का मूल आधार खाद्य और पोषण सुरक्षा ही है. हरित क्रांति और दुग्ध क्रांति के बाद देश खाद्य व पोषण सुरक्षा में आज आत्मनिर्भर जरूर बन गया है, लेकिन यह अंत नहीं है. हमें अभी विकसित भारत के स्वप्न को साकार करना है. इस के लिए हमें कृषि निर्यात को बढ़ाना होगा. यह भी ध्यान रखना होगा कि भूमि की उर्वर शक्ति और जैव विविधता पर खतरा न मंडराए.

उन्होंने आगे कहा कि प्रति व्यक्ति खाद्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि के उपरांत भी आबादी का एक बड़ा तबका अभी भी अल्पपोषण व कुपोषण की विपदा झेल रहा है.

कृषि में महिलाओं की खास भूमिका

राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि कृषि में महिलाओं की भूमिका आज भी महत्वपूर्ण है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के शोध से पता चलता है कि प्रमुख फसलों के उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी 75 फीसदी, बागबानी में 79 फीसदी, फसल कटाई के उपरांत के कामों में 51 फीसदी और पशुपालन व मत्स्यपालन में 95 फीसदी है. इसी के मद्देनजर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 15 अक्तूबर को महिला कृषक दिवस मनाने की पहल की है.

दुग्ध उत्पादन में अव्वल

कार्यक्रम में डा. आरसी अग्रवाल, उपमहानिदेशक, कृषि शिक्षा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने कहा कि भारतीय कृषि विविधतापूर्ण है. इस में जलवायु, मृदा, भूगर्भीय पारिस्थितिकी व वनस्पति तंत्र सम्मिलित हैं, जो सहस्त्राब्दियों से विकसित प्राकृतिक आवास, फसलों व पशुधन की विविधता तय करता है. भारत फसली पौधों की उत्पत्ति के विश्व के 8 केंद्रों में से एक है. तकरीबन 166 फसल प्रजातियां व फसलों की 320 जंगली प्रजातियों की उत्पत्ति यहां हुई.

उन्होंने आगे कहा कि देश में इस समय कुल 76 विश्वविद्यालय और 732 केवीके हैं. 8 वर्ष पूर्व तक 23 फीसदी छात्राएं कृषि शिक्षा ग्रहण कर रही थीं, जो आज बढ़ कर 50 फीसदी हो चुकी है. कृषि में महिलाओं की भागीदारी के अच्छे संकेत हैं. वर्ष 2040 तक 9.50 लाख कृषि स्नातकों की आवश्यकता होगी, जो आज 50 फीसदी ही है.

Doctorateडा. आरसी अग्रवाल ने बताया कि पशुपालन भारतीय अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है. पशु आनुवांशिक संसाधन राष्ट्र की पारंपरिक शक्ति है. आज 221 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन के साथ हम विश्व पटल पर प्रथम पायदान पर है. दुग्ध उत्पादन में राजस्थान ने उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ते हुए सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन वाले राज्य का गौरव पाया है.

उन्होंने खुशी जाहिर की कि एमपीयूएटी ने भी बकरी की 3 प्रजातियों के पंजीकरण में महती भूमिका निभाई है.

डा. आरसी अग्रवाल ने कहा कि वर्ष 1960 से आरंभ हुए कृषि विश्वविद्यालयों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिल कर कृषि को नई दिशा दी है. हम ने फसलों के क्षेत्र में हरित, दुग्ध में श्वेत, मत्स्य में नीली, तिलहन में पीली, उद्यानिकी व मधुमक्खीपालन में स्वर्णिम, अंडा उत्पादन में रजत, कौफी में भूरी व ऊन उत्पादन में स्लेटी क्रांतियों से एक इंद्रधनुषी परिक्रमण का निर्माण किया है. भारत की 1950-51 से अब तक की यात्रा उत्कृष्ट रही है. इस काल में हम ने उत्पादन की दृष्टि से खाद्यान्न में 6.46, उद्यानिकी में 14.36, दुग्ध में 13.06, अंडे में 76.87 व मत्स्य उत्पादन में 22 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है. यही नहीं, वर्ष 2010 तक हम खाद्यान्न सुरक्षित राष्ट्र की श्रेणी में आ गए.

उन्होंने आगे कहा कि आज हमारी आबादी 142 करोड़ है. अनुमान के अनुसार, वर्ष 2023 तक भारत की आबादी 150 करोड़ और वर्ष 2040 तक 159 करोड़ पहुंचने की संभावना है. चिंता इस बात की है कि शहरीकरण औद्योगिकीकरण के कारण ग्रामीण श्रेत्रों में फसली क्षेत्रफल में कमी आ रही है. हम जल की दृष्टि से भी असमृद्ध देखा हैं. विश्व के ताजा पानी का मात्र 4 फीसदी हिस्सा ही हमारे पास है. ऐसे में चुनौतियों को ध्यान में रख कर योजनाएं बनानी होंगी.

उपलब्धियों में शीर्ष पर विश्वविद्यालय

Doctorateकुलपति अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि विगत एक वर्ष में विश्वविद्यालय ने अनुसंधान के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं. विराट परिसर, श्रेष्ठ अकादमिक स्तर व शैक्षणिक गुणवत्ता के कारण आज विश्वविद्यालय की भूमिका अद्वितीय है.

प्राकृतिक खेती पर डिगरी कोर्स होगा शुरू

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि प्राकृतिक खेती पर आगामी वर्ष से विश्ववि़द्यालय कृषि स्नातक कार्यक्रम का एक कोर्स चलाएगा. साथ ही, एक प्रथम डिगरी कार्यक्रम आरंभ करने का भी विचार चल रहा है.

12 भारतीय व विदेशी पेटेंट हासिल

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने प्रमुख उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पहली बार अभिन्न तकनीक विकसित कर विगत एक वर्ष में 12 भारतीय व विदेशी पेटेंट हासिल किए. इन में प्रमुख है, बायोचार निर्माण, सौर ऊर्जा चलित आइसक्रीम गाड़ी का निर्माण, कृषि अवशेषों से हाइड्रोजनयुक्त सिनगैस का निर्माण व स्वचालित सब्जी पौध रोपण तकनीक आदि.

ड्रोन के उपयोग में प्रथम विश्वविद्यालय

उन्होंने बताया कि भारतीय विश्वविद्यालय कृषि में ड्रोन के उपयोग में राज्य का प्रथम विश्वविद्यालय है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा उपलब्ध 2 ड्रोन खरीद कर किसानों के खेतों पर छिड़काव के लिए सब से पहले उपयोग में लाना शुरू किया.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो करनाल में बकरी की 3 प्रजातियां सोजत, गूजरी व करौली का पंजीकरण कराया गया, जबकि चैथी प्रजाति नैनणा के पंजीकरण की कार्यवाही अंतिम चरण में है.

Milletsमिलेट्स वर्ष में भी पहचान बनाई

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष में भी विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है. मिलेट्स पर सचित्र मार्गदर्शन, जागरूकता, रैलियां व कार्यशालाएं आयोजित की गईं. छात्रों द्वारा मिलेट्स केक ने तो राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की. मिलेट्स को भोजन में शामिल करने व मिलेट्स पर किए गए कामों के संबंध में एक कौफी टेबल बुक भी तैयार की गई.

अनेक उन्नत बीज किस्में भी रिलीज

अनुसंधान के क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मक्का की किस्म प्रताप संकर मक्का-6 को राष्ट्रीय स्तर पर चिन्हित व अनुमोदित किया गया. वर्ष 2022-23 में ज्वार, मूंगफली, चना, अश्वगंधा, असालिया, इसबगोल, एवं अफीम फसलों की 8 किस्में यथा प्रताप ज्वार-2510, प्रताप मूंगफली-4, प्रताप चना-2, प्रताप चना-3, प्रताप अश्वगंधा-1, प्रताप असालिया, प्रताप इसबगोल-1 एवं चेतक अफीम राज्य स्तरीय किस्म रिलीज समिति को अनुमोदन हेतु भेजी गई है. विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं द्वारा वर्ष 2023 में 76 तकनीकों का विकास कर किसानों के उपयोग के लिए सिफारिश की गई. वर्ष 2022-23 में हमारे प्रक्षेत्रों पर 4105.71 क्विंटल गुणवत्ता बीज का उत्पादन किया गया और 7.35 लाख पादप रोपण सामग्री तैयार की. साथ ही, मछली के 125 लाख स्पान, 3.20 लाख फ्राई और 1.95 लाख फिंगरलिंग का उत्पादन कर किसानों को वितरित किए गए.

‘स्प्रे एप्लीकेशन एवं प्रिसीजन एग्रीकल्चर’ विषय पर प्रशिक्षण

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सस्य विज्ञान विभाग में राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना एनएएचईपी-आईडीपी के तहत ‘स्प्रे एप्लीकेशन एवं प्रिसीजन एग्रीकल्चर’ विषय पर ब्राजील के वैज्ञानिक डा. फ्रांसिस्को फग्गिओ के सहयोग से 7 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

युवा पीढ़ी को कृषि से जोड़े रखने के लिए उपयुक्त मशीनें उपलब्ध करवाना जरूरी

मुख्य वक्ता डा. फ्रांसिस्को फग्गिओ ने बताया कि ब्राजील में बड़ी जोत होने के कारण कृषि कार्य पूरी तरह मशीनों पर आधारित है व बिजाई से ले कर कटाई और प्रसंस्करण के हर आपरेशन के लिए मशीनें उपलब्ध हैं. साथ ही, उन्होंने कहा कि यदि कृषि से जुड़े कामों को सरल व सुगमता से करने के लिए उपयुक्त मशीनें उपलब्ध होंगी, तो युवा पीढ़ी को भी कृषि व्यवसाय से जोड़े रखना व कृषि को मुनाफे का व्यवसाय बनाना संभव है.

कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा ने उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि छोटी जोत वाले किसानों को भी सस्ती व उपयोगी मशीनें कृषि कार्यों के लिए उपलब्ध हों, तो कृषि के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है और किसानों के अधिक मानवीय श्रम के तनाव को भी कम किया जा सकता है.

सस्य विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एसके ठकराल ने बताया कि इस प्रशिक्षण में प्रतिभागी विद्यार्थियों को स्प्रे तकनीक के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारियां दी गईं व मशीनों के रखरखाव व बरतने के बारे में प्रैक्टिकल करवाए गए. सस्य विज्ञान विभाग में आयोजित इस ट्रेनिंग से विद्यार्थियों को लाभ होगा. इस अवसर पर प्रशिक्षण के संयोजक डा. सतपाल के अलावा विभाग के अन्य वैज्ञानिक मौजूद रहे.

कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जीता प्रथम पुरस्कार

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट, असम में ‘अगली पीढ़ी की खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए तैयारी’ विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है.

इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा. करिश्मा नंदा एवं डा. संदीप आर्य द्वारा ‘मिलिया दुबिया-जौ आधारित कृषि वानिकी प्रणाली के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता’ विषय पर लिखे गए शोधपत्र को ‘जैव विविधता, वानिकी, जैविक और प्राकृतिक खेती’ थीम के अंतर्गत पुरस्कृत किया गया है.

उन्हें इस शोधपत्र की उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए दृष्टिगत प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया.

इस सम्मेलन में विभिन्न प्रदेशों से आए 500 से अधिक वैज्ञानिकों ने भाग लिया, जिस का उद्घाटन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डा. त्रिलोचन मोहपात्रा ने किया था.

ज्ञात रहे कि गत वर्ष भी इन शोधकर्ताओं ने केरल कृषि विश्वविद्यालय, त्रिशूर व शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, श्रीनगर में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में भी पुरस्कार जीते थे.

उपरोक्त वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी. इस मौके पर ओएसडी डा. अतुल ढींगड़ा और कुलसचिव एवं विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल भी उपस्थित रहे.

कृषि वैज्ञानिक बनें, मनचाहे विषय में पीएचडी करें

हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय विभिन्न पीएचडी कोर्सेज के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा शांतिपूर्वक व व्यवस्थित ढंग से संपन्न हुई. इस के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने मुख्य परिसर में बने परीक्षा केंद्र पर पुख्ता प्रबंध किए थे. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने परीक्षा केंद्र का दौरा किया और परीक्षार्थियों की सुविधा व परीक्षा के सुचारु संचालन के लिए की गई व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया. उन के साथ दौरे में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. बलवान सिंह मंडल, ओएसडी डा. अतुल ढींगड़ा व परीक्षा नियंत्रक डा. पवन कुमार भी उपस्थित रहे.

जिन पीएचडी कोर्सेज के लिए प्रवेश परीक्षा हुई, उन में विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय में एग्रीकल्चरल इकोनोमिक्स, एग्रोनोमी, एंटोमोलौजी, एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन एजुकेशन, हार्टिकल्चर, नेमाटोलौजी, जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग, प्लांट पेथोलौजी, सीड साइंस एवं टैक्नोलौजी, सायल साइंस, वेजीटेबल साइंस, एग्री. मेटीयोरोलौजी, फोरेस्ट्री, एग्री बिजनेस मैनेजमेंट व बिजनेस मैनेजमेंट; मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय में कैमिस्ट्री, बायोकैमिस्ट्री, प्लांट फिजियोलौजी, इनवायरमेंटल साइंस, माइक्रोबायोलौजी, जूलोजी, सोशियोलौजी, स्टैटिस्टिक्स, फिजिक्स, मैथमेटिक्स व फूड साइंस एंड टैक्नोलौजी, बायोटैक्नोलौजी महाविद्यालय में मोलिक्युलर बायोलौजी एंड बायोटैक्नोलौजी व बायोइन्फर्मेंटिक्स; सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय में फूड्स एंड न्यूट्रीशन, एपिरेल एंड टेक्सटाइल साइंस, एक्सटेंशन एजुकेशन एंड कम्युनिकेशन मैनेजमेंट, ह्यूमन डवलपमेंट एंड फैमिली स्टडीज व रिसोर्स मैनेजमेंट एंड कंज्यूमर साइंस; कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में सायल एंड वाटर कंजर्वेशन इंजीनियरिंग और मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय में एक्वाकल्चर, फिशरीज रिसोर्स मैनेजमेंट, फिश प्रोसैसिंग टैक्नोलौजी व एक्वाटिक एनीमल हैल्थ मैनेजमेंट शामिल हैं.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने बताया कि प्रवेश परीक्षा के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में परिसर में परीक्षा केंद्र बनाया था. इस प्रवेश परीक्षा के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से विशेष निरीक्षण दलों का गठन किया गया था. परीक्षा के दौरान प्रत्येक परीक्षार्थी की फोटोग्राफी भी की गई.

कुल 76 फीसदी परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी, जिन में 65 फीसदी छात्राएं व 35 फीसदी छात्र शामिल रहे.

परीक्षा नियंत्रक डा. पवन कुमार ने बताया कि उपरोक्त पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए कुल 76 फीसदी परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी, जिन में 65 फीसदी छात्राएं और 35 फीसदी छात्र शामिल रहे.

उन्होंने उम्मीदवारों व उन के अभिभावकों से अपील की कि वे उपरोक्त पीएचडी कार्यक्रमों में दाखिला संबंधित नवीनतम जानकारियों के लिए विश्वविद्यालय की वैबसाइट hau.ac.in and admissions.hau.ac.in पर नियमित रूप से चेक करते रहे.

ई-नीलामी से गेहूं और चावल को बाजार में उतारा

नई दिल्ली: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की मांगों को पूरा करने के साथसाथ बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न (गेहूं और चावल) उपलब्ध है, जिस में वर्तमान खरीफ विपणन सीजन 2023-24 में अब तक 237.43 एलएमटी चावल के बराबर 354.22 एलएमटी धान की खरीद की जा चुकी है.

गेहूं और चावल की कीमतों में मुद्रास्फीति के रुझान को कम करने के उद्देश्य से खुले बाजार में गेहूं और चावल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार भारतीय खाद्य निगम साप्ताहिक ई-नीलामी के माध्यम से गेहूं और चावल को बाजार में उतार रहा है. खुले बाजार में गेहूं उतारने का वर्तमान चरण 28.06.2023 से शुरू हुआ.

सरकार ने ओएमएसएस (डी) के तहत उतारने के लिए 101.5 एलएमटी गेहूं आवंटित किया है. एफएक्यू गेहूं और यूआरएस गेहूं के लिए आरक्षित मूल्य क्रमशः 2150 रुपए प्रति क्विंटल और 2125 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है. 14 दिसंबर, 2023 तक कुल 25 ई-नीलामी आयोजित की गई हैं, जिस में 48.12 एलएमटी गेहूं खुले बाजार में बेचा गया है.

इस के अतिरिक्त सरकार गेहूं को आटा में परिवर्तित करने और उस आटे को आम जनता को 27.50 रुपए प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं के एमआरपी पर बेचने के लिए नेफेड/एनसीसीएफ/केंद्रीय भंडार/एमएससीएमएफएल जैसी अर्धसरकारी/सहकारी एजेंसियों को भी 21.50 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं उपलब्ध करा रही है. इन एजेंसियों द्वारा 14 दिसंबर, 23 तक 86,084 एमटी गेहूं का उठाव किया जा चुका है.

एफसीआई के पास उपलब्ध चावल की अच्छी खरीद और स्टाक का उपयोग पीडीएस की आवश्यकता को पूरा करने के साथसाथ बाजार में हस्तक्षेप के लिए भी किया जाएगा.

चावल के लिए सरकार ने ओएमएसएस (डी) के तहत 3,100 रुपए प्रति क्विंटल के आरक्षित मूल्य के साथ 25 एलएमटी आवंटित किया. ई-नीलामी के माध्यम से, मूल्य स्थिरीकरण निधि द्वारा कवर की गई लागत में 200 रुपए प्रति क्विंटल के अंतर के साथ 2,900 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर चावल की पेशकश की जाती है.

उल्लेखनीय रूप से 14 दिसंबर, 23 तक 1.19 एलएमटी चावल खुले बाजार में निजी व्यापारियों और थोक खरीदारों को बेचा गया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में पर्याप्त वृद्धि है. एफसीआई के क्षेत्रीय कार्यालयों ने व्यापक विज्ञापन के माध्यम से इस पहल को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया. यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित विज्ञापन किया जा रहा है कि ओएमएसएस (डी) नीति का लाभ आम जनता को मिल सके. चावल के व्यापार एवं प्रसंस्करण में शामिल सभी व्यापारी और कोई भी व्यवसायी एफसीआई/एम-जंक्शन पोर्टल पर पंजीकरण के बाद ऐसी ई-नीलामी में भाग ले सकते हैं.

हालांकि अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए बोलीदाताओं को अब 1 से 2,000 एमटी तक चावल की किसी भी मात्रा के लिए बोली लगाने की अनुमति है. केंद्रीय पूल के तहत पेश किया जाने वाला चावल उत्कृष्ट गुणवत्ता का है और बाजार में उपभोक्ताओं के लिए आसान एवं किफायती उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए व्यापारियों को ई-नीलामी में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है.

खेती और पशुपालन को बनाएं उद्योग

अविकानगर: केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविका नगर में अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत पांचदिवसीय “उन्नत भेड़बकरी एवं खरगोशपालन” पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस मौके पर डा. अजय कुमार नोडल अफसर एससीएसपी उपयोजना ने संस्थान द्वारा मालपुरा के विभिन्न गांव में किए जा रहे काम के बारे में विस्तार से निदेशक व किसानो को जानकारी दी.

पांचदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत मालपुरा तहसील के बरोल गांव के 25 अनुसूचित जाति समाज के महिला व पुरुषों ने विभिन्न विषय नस्ल चयन, पोषण, स्वास्थ्य, प्रजनन, चारा एवं उत्पादों का बाजार के अनुसार वैल्यू एडिशन पर विस्तार से संबोधन लेक्चर्स के माध्यम से जानकारी प्राप्त की.
निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर ने प्रशिक्षण के समापन अवसर पर सभी से कहा कि आप बाजार की आवश्यकता के अनुसार खेती व पशुपालन करें, जिस से उन से अच्छा मुनाफा मिल सके.

Farmingउन्होंने आगे कहा कि संस्थान में जो यहां सीखा, उस को अपने फार्म पर जा कर धीरेधीरे अपनाना है और भारत सरकार की योजनाओं का लाभ लेते हुए अपनी खेती और पशुपालन को उद्यमिता की ओर ले जाए.
अंत में निदेशक द्वारा सभी किसानों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण समापन पर प्रमाणपत्र का वितरण किया गया. प्रशिक्षण कार्यक्रम समन्वयक डा. लीलाराम गुर्जर प्रभारी तकनीकी स्थानांतरण विभाग एवं समन्वयक डा. रंगलाल मीना द्वारा किया गया.

कृषि के विकास से तरक्की

रांची: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने रांची के गढ़ खटंगा में भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान का दौरा किया. संस्थान में उन के आने पर जनजातीय समुदाय के बच्चों द्वारा उन का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया.

मंत्री अर्जुन मुंडा ने पूर्वी क्षेत्र के लिए आईसीएआर अनुसंधान परिसर का भी दौरा किया और राष्ट्रीय माध्यमिक कृषि संस्थान में कृषि उद्यमियों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की.

भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान में, अर्जुन मुंडा ने रांची लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद संजय सेठ और निदेशक डा. सुजय रक्षित के साथ बेहतर कृषि उत्पादन से संबंधित संस्थान की विभिन्न गतिविधियों की समीक्षा की.

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हमारा देश गांवों में बसता है और खेती करना, ग्रामीणों के लिए आजीविका का एक मुख्य स्रोत है.

उन्होंने आगे कहा कि कृषि के विकास का ग्रामीणों की तरक्की से गहरा संबंध है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि संस्थान देश में कृषि विकास की गति को तेज करने के लिए एकीकृत तरीके से सूक्ष्मजीव जैव प्रौद्योगिकी की क्षमता का दोहन करने की व्यापक रणनीति के साथ काम कर रहा है.

Arjun Mundaअर्जुन मुंडा ने पूर्वी क्षेत्र के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसंधान परिसर में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और स्थानीय किसानों के साथ बातचीत की. इस अवसर पर उन्होंने किसानों के प्रति आभार व्यक्त किया, जो देश की अर्थव्यवस्था में महान योगदान देते हैं.

अर्जुन मुंडा ने कहा कि किसानों की कड़ी मेहनत और कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई प्रौद्योगिकियों जैसे कीटनाशक छिड़काव व फसल निगरानी की अतिरिक्त गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कृषि ड्रोन की शुरुआत के कारण देश खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है.

Arjun Mundaमंत्री अर्जुन मुंडा ने किसान समुदाय से आग्रह किया कि वे सरकार द्वारा शुरू की गई पीएम फसल बीमा और पीएम किसान समृद्धि जैसी विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ उठाएं.

राष्ट्रीय माध्यमिक कृषि संस्थान में कृषि उद्यमियों एवं कृषि वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने लाह की खेती, प्रोसैसिंग और अन्य देशों में निर्यात की चुनौतियों एवं अवसरों को ले कर संस्थान की विभिन्न गतिविधियों के बारे में विस्तृत चर्चा की.

बता दें कि लाह के उत्पादन के मामले में झारखंड राज्य देश में पहले स्थान पर है और लाह की खेती के लिए झारखंड का मौसम भी उपयुक्त है.

घर बैठे होगा पशु टीकाकरण

संत कबीर नगर: पशुपालन विभाग द्वारा संचालित खुरपका, मुंहपका बीमारी के टीकाकरण का शुभारंभ करते हुए पशुपालन विभाग की नव बहुद्देशीय गाड़ियों को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया.

मेहदावल के विधायक अनिल कुमार त्रिपाठी द्वारा बताया गया कि जनपद में कुल लगभग 2,28,000 गोवंश एवं महिषवंशीय पशु हैं, जिन में शतप्रतिशत टीकाकरण किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यकम के अंतर्गत खुरपकामुंहपका टीकाकरण अभियान का तृतीय चरण जनपद में शुरू किया जा रहा है. इस कार्यकम के तहत जनपद में समस्त गोवंशीय पशु एवं महिषवंशीय पशु का टीकाकरण (4 माह से छोटे और 8 माह से ऊपर ग्याबन पशुओं को छोड़ कर) किया जाना है.

जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि खुरपकामुंहपका एवं विषाणुजनित संक्रामक रोग है, जिस के संकमण में आ जाने के उपरांत पशु को तेज बुखार आता है, मुंह से लार गिरती है, मुह एवं पैरों में छाले पड़ जाते है, पशु चारा खाना छोड़ देता है, दूध उत्पादन घट जाता है. गाभिन पशु बच्चा गिरा देता है और सही समय पर उपयुक्त इलाज नहीं दिया गया, तो पशु की मौत भी हो सकती है.

Animal Careउन्होंने बताया कि इस रोग से बचाव के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है. राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यकम, जो केंद्र सरकार द्वारा पोषित है और राज्य सरकार द्वारा संचालित है, में समस्त पशुपालकों के द्वार पर उन के पशुओं में निःशुल्क टीकाकरण किया जाता है. इस कार्यकम में टीकाकरण से पूर्व कान में छल्ला लगवाना (ईयर टैगिंग) अनिवार्य है.

मुख्य पुश चिकित्साधिकारी द्वारा सभी पशुपालकों से अपील की गई है कि पशुपालन विभाग द्वारा चलाए जा रहे 45 दिवसीय अभियान के दौरान टीकाकरण कर्मियों का सहयोग करते हुए अपने समस्त पशुओं में (4 माह से छोटे एवं 8 माह से ऊपर ग्याबन पशुओं को छोड़ कर) टीका अवश्य लगवाएं.

इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. यशपाल सिंह, उपनिदेशक कृषि डा. राकेश कुमार सिंह, जिला कृषि रक्षा अधिकारी शशांक, उपमुख्य पशु चिकित्साधिकारी, मेहदावल और जनपद के समस्त पशु चिकित्सा अधिकारी आदि उपस्थित रहे.

कृषि एवं खाद्य प्रणाली पर कार्यशाला

हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और इन्वेस्ट इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में एग्रीबिजनैस इंक्यूबेशन सैंटर (एबिक) में ‘कृषि एवं खाद्य प्रणाली में समावेशी व्यवसाय’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने इस कार्यशाला की अध्यक्षता की. इस दौरान संयुक्त राष्ट्र की एशिया और प्रशांत क्षेत्रीय आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएनओ) के योजना अधिकारी इग्रनोसियो ब्लैंकों, आर्थिक मामलों के अधिकारी मार्ता पेरेज व परियोजना अधिकारी इशराक फजल मौजूद रहे. इस के अलावा हरियाणा सरकार में विदेशी सहकारिता विभाग के सलाहाकर पवन चौधरी, हैफेड के चेयरमैन कैलाश भगत एवं हरियाणा सरकार में इन्वेस्ट इंडिया एंजेसी के सीनियर असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट शिवम भी उपस्थित रहे.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने अपने संबोधन में समावेशी व्यवसाय विषय पर काम कर रहे उद्यमियों व किसानों के लिए विश्वविद्यालय की ओर से उपलब्ध करवाई जा रही सुविधाओं पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी.

उन्होंने आगे कहा कि एबिक सैंटर न केवल चयनित स्टार्टअप्स को तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है, बल्कि जरूरत के अनुसार उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान करता है. एबिक युवा व किसानों को उन के उत्पाद की प्रोसैसिंग, मूल्य संवर्धन, पैकेजिंग, सर्विसिंग व ब्रांडिंग जैसे महत्वपूर्ण कामों के लिए सहायता प्रदान करता है, ताकि वे अपने व्यवसाय को उच्च स्तर पर स्थापित कर सकें.

Food Processingउन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय हर जिले में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से ग्रामीण व शहरी महिलाओं, युवाओं व प्रदेश के किसानों को स्वावलंबी, समृद्ध और आर्थिक रूप से संपन्न बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है. साथ ही, उन्होंने कहा कि एचएयू प्रदेश के 6 लाख किसानों से सीधेतौर पर जुड़ा हुआ है.

हरियाणा एवं तेलंगाना को समावेशी व्यापार से जोड़ा जाएगा

संयुक्त राष्ट्र की एशिया और प्रशांत क्षेत्रीय आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएनओ) के आर्थिक मामलों के अधिकारी मार्ता पेरेज ने बताया कि यह संगठन हरियाणा व तेलगांना में हकृवि और इन्वेस्ट इंडिया के संयुक्त सहयोग से कृषि एवं खाद्य प्रणाली में समावेशी व्यवसाय विषय पर किसानों के हित और आमदनी बढ़ाने के लिए योजनाएं तैयार करेगा. इस योजना के तहत उपरोक्त दोनों प्रदेशों के किसानों के संसाधनों का खर्चा कम करने व उन को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और उद्यमियों को समृद्ध बनाने के लिए प्रयास किए जाएंगे.

हैफेड के चेयरमैन कैलाश भगत ने कहा कि हकृवि द्वारा तैयार उन्नत फसल किस्मों के माध्यम से किसान लगातार पैदावार बढ़ा रहा है. साथ ही, हैफेड किसानों के बासमती चावल के निर्यात करने में हर संभव प्रयास कर रहा है.

हरियाणा सरकार के विदेशी सहकारिता विभाग के सलाहाकर पवन चौधरी ने कहा कि हरियाणा प्रदेश पूरे भारत में उद्यमियों को समस्त सुविधाएं मुहैया करवाने में अव्वल है.

उन्होंने पीएम कुसुम योजना, मेरी फसल-मेरा ब्यौरा, परिवार पहचानपत्र, किसान उत्पादक संगठन जैसी स्कीमों के बारे में संयुक्त राष्ट्र से आई टीम के सदस्यों को अवगत कराया. साथ ही, उन्होंने हरियाणा में स्थापित 4 फूड पार्क, 3,000 से ज्यादा फूड प्रोसैसिंग यूनिट, 5 कोल्ड चेन के कार्यों के बारे में भी जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश स्ट्राबेरी एवं दुग्ध उत्पादन में भी अव्वल है. हरियाणा का विदेशी सहकारिता विभाग प्रदेश के उद्यमियों के उत्पादों को निर्यात करने पर निरंतर काम कर रहा है.

इस अवसर पर कुलपति के ओएसडी एवं एबिक के डायरेक्टर डा. अतुल ढींगड़ा, प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर (आरकेवीवाई) डा. राजेश गेरा सहित इंटेलिकेप ग्रुप, एफपीओ, नाबार्ड व अन्य बैंकों के अधिकारी, एग्रोनेक्सट एवं एबिक सैंटर के सदस्य भी उपस्थित रहे.

बकरी दुग्ध उत्पादन एवं प्रोसैसिंग पर ट्रेनिंग

उदयपुर : एमपीयूएटी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. लोकेश गुप्ता ने बताया कि महाविद्यालय के द्वारा रोजगारपरक शिक्षण के साथसाथ दुग्ध एवं फूड प्रोसैसिंग और अभिनव दुग्ध एवं खाद्य उत्पाद के बारे में उद्यमियों, किसानों, बेरोजगारों एवं ग्रामीणों को समयसमय पर तकनीकी कौशल प्रदान किया जाता है.

उन्होंने बताया कि इसी क्रम में महाविद्यालय द्वारा ‘बकरी दुग्ध उत्पादन एवं उत्पाद प्रोसैसिंग’ पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम किया गया. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों, बेरोजगारों एवं गांव के लोगों का प्रयोगात्मक प्रशिक्षण के द्वारा स्वकौशल विकसित करना है. साथ ही, उद्यमिता विकास के लिए संपूर्ण तकनीकी सहायता प्रदान करना है.

कौशल विकास कार्यक्रम समन्वयक डा. निकिता वधावन ने बताया कि महाविद्यालय द्वारा भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मंझले उद्यम मंत्रालय द्वारा प्रायोजित उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम वर्षपर्यंत आयोजित किए गए हैं. इन कार्यक्रमों में प्रतिभागियों ने भारी तादाद में उत्साहपूर्वक भाग लिया था.

उन्होंने कहा कि महाविद्यालय के लिए यह गौरव का विषय है कि उन प्रतिभागियों में से कई अब उद्यमी में रूपांतरित हो गए हैं.

डा. निकिता वधावन का कहना था कि उन उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम के प्रतिभागियों का इस तरह से उद्यमियों में रूपांतरण सूक्ष्म, लघु एवं मंझले उद्यम मंत्रालय एवं महाविद्यालय के साझा उद्देश्य का सफल क्रियान्वयन है. महाविद्यालय में अभी ‘बकरी दुग्ध उत्पादन एवं उत्पाद प्रसंस्करण’ पर उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम के पहले दिन से ही प्रतिभागियों को सैद्धांतिक जानकारी के साथसाथ प्रायोगिक जानकारी दी गई. इस के लिए महाविद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न विशेषज्ञों को आमंत्रित कर प्रतिभागियों को विशिष्ट मार्गदर्शन प्रदान किया.

Goatगौरतलब है कि इस कौशल विकास कार्यक्रम के प्रतिभागी ग्रामीण बकरी दुग्ध उत्पादक हैं और वो यहां कौशल विकास एवं ज्ञान उन्नयन के साथसाथ आने वाली समस्याओं के निस्तारण के लिए विषय विशेषज्ञों से जानकारी लेने के उद्देश्य से आए थे. प्रतिभागियों को बकरी दुग्ध उत्पादन एवं संरक्षण की प्रचलित विधियों के साथ आधुनिक विधियों का दृश्य श्रृव्य माध्यम से विश्लेषणात्मक अध्ययन कराया गया और दोनों विधियों के फायदे एवं नुकसान बताए गए. बकरी दुग्ध ग्रामीण स्तर का प्रचलित एवं प्रसिद्ध उत्पाद है एवं पौष्टिकता से भरपूर बकरी दुग्ध में अपार व्यावसायिक संभावनाएं हैं.

इस कार्यक्रम में बकरी दुग्ध एवं उस से बनने वाले उत्पादों की व्यावसायिक संभावनाओं को सरलीकृत तरीके से समझाया जा रहा है, ताकि बकरीपालक व्यावसायिक उपक्रम आरंभ कर सकें. इस कौशल विकास कार्यक्रम में बकरी दुग्ध से पनीर भी विकसित किया गया, जिस पर महाविद्यालय में काफी समय से अनुसंधान चल रहा था.

एमपीयूएटी के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मंझले उद्यम मंत्रालय ने डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अति उत्कृष्ट संसाधन और तकनीकी कौशल पर विश्वास जताते हुए महाविद्यालय को एक बहुत ही बड़ी जिम्मेदारी प्रदान की है.

यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय है. महाविद्यालय ने भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मंझले उद्यम मंत्रालय द्वारा प्रायोजित 7 दिवसीय उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किया था. उस कौशल विकास कार्यक्रम की सफलता से प्रभावित हो कर भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मंझले उद्यम मंत्रालय ने महाविद्यालय को इस तरह के और भी कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित करने की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रदान की है. इस कार्यक्रम में बकरीपालकों का कौशल उन्नयन किया जा रहा है, जो निश्चित रूप से उन के जीवनस्तर को बढ़ाएगा. साथ ही, पौष्टिकता से भरपूर बकरी दुग्ध के उत्पादों को बड़े पैमाने पर पहचान दिलाएगा.