उत्तरप्रदेश में हाईटैक नर्सरी बढ़ाएगी किसानों की आमदनी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में किसानों को विभिन्न प्रजातियों के उच्च क्वालिटी के पौधे उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इजराइली तकनीक पर आधारित हाईटैक नर्सरी तैयार की जा रही है. यह काम मनरेगा अभिसरण के तहत उद्यान विभाग के सहयोग से कराया जा रहा है और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की दीदियां भी इस में हाथ बंटा रही हैं. इस से स्वयं सहायता समूहों को काम मिल रहा है.

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि इस योजना के क्रियान्वयन से कृषि और औद्यानिक फसलों को नई ऊंचाई मिलेगी. विशेष तकनीक का प्रयोग कर के ये नर्सरी तैयार की जा रही हैं. सरकार की मंशा है कि प्रदेश का हर किसान समृद्ध बने और बदलते समय के साथ किसान हाईटैक भी बने.

उन्होंने आगे बताया कि सरकार पौधरोपण को बढ़ावा देने के साथ ही बागबानी से जुड़े किसानों को भी माली रूप से मजबूत बनाने का काम कर रही है. मनरेगा योजना से 150 हाईटैक नर्सरी बनाने के लक्ष्य के साथ तेजी से काम किया जा रहा है.

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश व पहल पर ग्राम्य विकास विभाग ने इस को ले कर प्रस्ताव तैयार किया था, जिस को ले कर जमीनी स्तर पर युद्धस्तर पर काम हो रहा है. हाईटैक नर्सरी से किसानों की माली हालत भी मजबूत हो रही है.

प्रदेशभर में 150 हाईटैक नर्सरी बनाने का लक्ष्य रखा गया है. बुलंदशहर के दानापुर और जाहिदपुर में हाईटैक नर्सरी बन कर तैयार भी हो चुकी है. 32 जिलों की 40 साइटों पर ऐसी नर्सरी बनाने का काम किया जा रहा है.

कन्नौज के उमर्दा में स्थित सैंटर औफ एक्सीलेंस फौर वेजिटेबल की तर्ज पर प्रदेश के सभी जनपदों में 2-2 मिनी सैंटर स्थापित करने की कार्यवाही जारी है. किसानों को उन्नत किस्म के पौध के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.

समूह के सदस्यों को रोजगार

नर्सरी की देखरेख करने के लिए स्वयं सहायता समूह को जिम्मेदारी दी गई है. समूह के सदस्य नर्सरी का काम देखते हैं, जो पौधों की सिंचाई, रोग, खादबीज आदि का जिम्मा संभालते हैं. इस के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है.

किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए सरकार उच्च क्वालिटी व उन्नत किस्म के पौधों की नर्सरी को बढ़ावा देने के लिए तेजी से काम कर रही है. प्रत्येक जनपद में पौधशालाएं बनाने का काम किया जा रहा है. इन में किसानों को फूल और फल के साथ सर्पगंधा, अश्वगंधा, ब्राह्मी, कालमेघ, कौंच, सतावरी, तुलसी, एलोवेरा जैसे औषधीय पौधों को रोपने के लिए जागरूक किया जा रहा है. किसानों को कम लागत से अधिक फायदा दिलाने के लिए पौधरोपण की नई तकनीक से जोड़ा जा रहा है.

अब तक 7 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि हाईटैक नर्सरी के निर्माण में अब तक 7 करोड़ से ज्यादा की धनराशि खर्च की जा चुकी है. बुलंदशहर में 2, बरेली, बागपत, मुजफ्फरनगर, मेरठ, महोबा, बहराइच, वाराणसी, बलरामपुर समेत 9 जनपदों में हाईटैक नर्सरी की स्थापना के लिए अब तक 7 करोड़ रुपए की धनराशि का भुगतान किया जा चुका है.

ग्राम्य विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने बताया कि प्रदेश में 150 हाईटैक नर्सरी के निर्माण की कार्यवाही मनरेगा कन्वर्जेंस के अंतर्गत की जा रही है, जिस के सापेक्ष 125 हाईटैक नर्सरी की स्वीकृति जनपद स्तर पर की जा चुकी है.

कृषि वैज्ञानिक प्रो. रवि प्रकाश मौर्य हुए डाक्टरेट औफ साइंस से सम्मानित

नई दिल्ली : देवरिया जनपद के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र मल्हनी भाटपार रानी से प्राथमिक से इंटरमीडिएट (कृषि) की शिक्षा प्राप्त कर बाबा राघवदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, देवरिया से स्नातकोत्तर (कृषि) की उपाधि प्राप्ति के बाद प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने नौकरी की प्रारंभिक सेवा मई, 1985 से कृषि विज्ञान केंद्र, सुल्तानपुर से की.

साल 1992 से 5 मार्च, 1998 तक केवीके, कैमूर, बिहार में प्रिंसिपल के पद पर रहे. उस के बाद आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारग़ंज, अयोध्या में असिस्टेंट प्रोफैसर से सेवा प्रारंभ कर विभिन्न पदों पर रहे और नवंबर, 2021में प्रोफैसर/वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए.

इन की 36 वर्षों से अधिक की कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा कार्यों, अनुभवों, प्रकाशनों आदि को देखते हुए वर्ल्ड पीस औफ यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली ने डाक्टरेट इन साइंस इन एग्रीकल्चर ( डीएससी, कृषि विज्ञान) विशेषज्ञता पौध स्वास्थ्य ( हानिकारक कीट) प्रबंधन मानद उपाधि से सम्मानित किया गया.

यह उपाधि दिल्ली के अशोक होटल में प्रदान की. यह उपाधि पीएचडी के बाद होती है. सेवानिवृत्त के बाद प्रो. मौर्य ने एक प्रोफैसर रवि सुमन कृषि एवं ग्रामीण विकास ( प्रसार्ड) ट्रस्ट की स्थापना फरवरी, 2022 में अपने पैतृक गांव मल्हनी (भाटपार रानी देवरिया) में की है, जिस के निदेशक/ अध्यक्ष हैं, जिस के माध्यम से कृषि एवं ग्रामीण विकास से संबंधित नई तकनीक क्षेत्र के किसानों, ग्रामीणों के बीच विभिन्न माध्यमों से पहुंचाने का प्रयास करते हैं.

64 वर्ष की उम्र में भी वे काफी सक्रिय भूमिका ग्रामीणों के बीच निभा रहे हैं.

जलवायु परिवर्तन में उन्नत कृषि तकनीकें अपनाएं

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के इंदिरा गांधी सभागार में “21वीं शताब्दी में कृषि का भविष्य” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिस में मुख्य वक्ता के रूप में यूनिवर्सिटी औफ इलिनोईस, यूएसए के चांसलर डा. रोबर्ट जे. जौंस रहे, जबकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.

इस व्याख्यान का आयोजन चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी औफ इलिनोईस, यूएसए द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.

मुख्य वक्ता डा. रोबर्ट जे. जौंस ने जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा व सतत कृषि विकास जैसे मुद्दों को चुनौतीपूर्ण बताया.

उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर जोर देते हुए कहा कि विश्व में बढ़ती आबादी के लिए जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव चिंतनीय हो सकते हैं. जलवायु परिवर्तन से हो रहे दुष्प्रभावों से निबटने के लिए न केवल पौलिसी प्लानर, बल्कि किसानों व आम जनता को भी सतर्क रहने की जरूरत है. कृषि क्षेत्र में उपयुक्त फसल, किस्म का चुनाव, कृषि पद्धतियों का सही इस्तेमाल व नवीनतम तरीके जलवायु परिवर्तन से निबटने में बेहतर भूमिका निभा सकते है. जलवायु परिवर्तन के परिवेश में छोटी जोत वाले किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए खाद्यान्न एवं पोषण की सुरक्षा व स्थिरता को बनाए रखना जरूरी है.

Climate Changeउन्होंने आगे बताया कि जलवायु परिवर्तन किसानों व वैज्ञानिकों के लिए एक चिंता का विषय बन गया है. जलवायु परिवर्तन अब ग्लोबल वार्मिंग तक सीमित नही रहा, इस के मौसम में आने वाले अप्रत्याशित बदलाव जैसे आंधी, तूफान, सूखापन, बाढ़ इत्यादि शामिल है. असमय तापमान का बढऩा कृषि उत्पादन में प्रभाव डालता है, इसलिए जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निबटने के लिए अनुकूल रणनीतियों जैसे कि बढ़ते तापमान व सूखापन के अनुकूल किस्में, मिट्टी की नमी का संरक्षण, पानी की उपलब्धता, रोगरहित किस्में, फसल विविधीकरण, मौसम का भविष्य आकंलन, टिकाऊ फसल उत्पादन प्रबंधन को अपनाने की आवश्यकता है.

आधुनिक तकनीकों से खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिकता

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या की भोजन और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन बढ़ाना 21वीं सदी की एक प्रमुख चुनौती है. वैश्विक जलवायु परिवर्तन के खतरे ने वैज्ञानिकों में चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि इस से फसल उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित होता है.

उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश में कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाता है, क्योंकि यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 14.1 फीसदी का योगदान देता है. यह क्षेत्र राज्य की लगभग 51 फीसदी कामकाजी आबादी को रोजगार भी प्रदान करता है. कृषि क्षेत्र की इस स्थिति में हरियाणा सरकार की किसान हितैषी नीतियों, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से तकनीकी सहायता और नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रदेश के किसानों की इच्छा का बहुत बड़ा योगदान है.

उन्होंने कृषि विकास के लिए भविष्य की योजना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारा दृष्टिकोण पर्यावरण को संरक्षित करते हुए प्रति इकाई क्षेत्र में उत्पादकता क्षमता को बढ़ाने का है.

उन्होंने आधुनिक तकनीकों एवं नवाचारों का प्रयोग करते हुए खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना विश्वविद्यालय की प्राथमिकता बताया.

यूनिवर्सिटी औफ इलिनोईस के कृषि उपभोक्ता एवं पर्यावरण विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता जर्मन बालेरो ने कृषि से जुड़ी चुनौतियों जैसे फसल विविधीकरण, सतत कृषि विकास, उत्पादन में वृद्धि व पर्यावरण परिवर्तन पर चर्चा करते हुए कहा कि इन समस्याओं को प्राकृतिक खेती, कृषि से जुड़ी उच्च स्तरीय तकनीकें, उन्नत किस्में व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर हल किया जा सकता है.

उन्होंने आगे कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय व यूनिवर्सिटी औफ इलिनोईस द्वारा संयुक्त रूप से शोध कार्य कर भविष्य में कृषि के क्षेत्र में बदलाव लाया जा सकता है.

Climate Changeकृषि एवं जैविक इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. विजय सिंह ने बताया कि विश्व के सतत विकास के लिए पौष्टिक अनाज व नवीनीकरणीय ऊर्जा पर काम करने की जरूरत है. वहीं स्नाकोत्तर शिक्षा के अधिष्ठाता एवं आईडीपी के प्रमुख अन्वेशक डा. केडी शर्मा ने सभी का स्वागत किया, जबकि मंच संचालन डा. जयंति टोकस ने किया.

इस अवसर पर मुख्य वक्ता डा. रोबर्ट जे. जौंस के साथ शिष्टमंडल में यूनिवर्सिटी औफ इलिनोईस के वरिष्ठ कार्यकारी सहकुलपति शोध एवं नवाचार मेलैनी लूट्स, कारपोरेट एवं आर्थिक विकास मामलों के कार्यकारी सहकुलपति प्रदीप खन्ना, वाइस प्रोवोस्ट फौर ग्लोबल अफेयर एंड स्ट्रेटजी रिटूमेटसे, कृषि एवं उपभोक्ता अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. मधु खन्ना, कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रोफेसर
एवं एसोसिएट हेड महेश विश्वनाथन और ग्लोबल रिलेशन, इलिनोईस इंटरनेशनल के निदेशक समर जौंस मौजूद रहे.

कृषि मेले में कृषि योजनाओं की जानकारी

वाराणसी : कृषि सूचना तंत्र सुदृढ़ीकरण एवं कृषक जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद वाराणसी में विकासखंड स्तरीय कृषि निवेश मेला/गोष्ठी का आयोजन पिछले दिनों बलदेव इंटर कालेज, बड़ागांव पर किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पिंडरा विधानसभा के विधायक डा. अवधेश सिंह ने किसानों को सरकार के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

विधायक डा. अवधेश सिंह ने बताया कि पीएम कुसुम योजना बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है, जिस में किसान 10 फीसदी मार्जिन मनी देख कर सोलर पैनल लगवा सकते हैं, जिस से किसानों को फ्री में बिजली प्राप्त होगी.

Krishi Melaविधायक डा. अवधेश सिंह द्वारा किसानों को बताया गया कि खरीफ मौसम की धान की फसल की कटाई चालू हो गई है. किसान अपना धान सरकारी क्रय केंद्र पर ही बेचें, जिस से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें. साथ में फसल बीमा करने का आह्वाहन भी किया.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला कृषि अधिकारी संगम सिंह मौर्य के द्वारा किसानों को रबी फसल गेहूं चना, मटर, सरसों की बोआई के बारे में विस्तार से बताया गया.

उन्होंने आगे कहा कि किसान बोआई करने से पहले बीज का उपचार अवश्य करें. उन्होंने 1.5 फीसदी प्रीमियम दे कर फसल बीमा कराने के लिए किसानों से आग्रह भी किया.

सहायक निदेशक मृदा परीक्षण, वाराणसी, राजेश कुमार राय के द्वारा किसानों को मिट्टी में जीवांश बढ़ाने के लिए आग्रह किया गया, जिस से मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें.

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक राहुल सिंह के द्वारा समसामयिक खेती की तकनीकी जानकारी दी गई. इस के साथ ही मत्स्य विभाग, पशुपालन विभाग, उद्यान विभाग, नेडा विभाग, जिला अग्रणी प्रबंधक, मंडी, निर्यात एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी द्वारा अपने विभाग की योजनाओं के बारे में विस्तृत चर्चा किया गया.

Krishi Melaकार्यक्रम के अंत में विधायक द्वारा ड्रोन से नैनो यूरिया के छिड़काव किए जाने की तकनीकी का आरंभ किया गया और लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड एवं सरसों की मिनीकिट वितरित की गई, जिस में किसान कृष्ण कुमार, तूफानी यादव, नंदलाल मिश्रा, सुरेश कुमार सभाजीत, कल्लू वर्मा, लाल बहादुर सिंह इत्यादि किसान उपस्थित रहे.

कार्यक्रम का संचालन सहायक विकास अधिकारी, कृषि, अशोक पाल के द्वारा किया गया, साथ में विभाग के सभी कर्मचारी उपस्थित रहे. गोष्ठी में कृषि विभाग, स्वास्थ्य विभाग, यूनियन बैंक औफ इंडिया, उद्यान विभाग, पशुपालन विभाग, मत्स्य विभाग, मंडी / निर्यात , इफको, कानपुर फर्टिलाइजर, कलश सीड, वीएनआर सीड, सौलिडेरिड, बायोशर्ट इंटरनेशनल एवं अन्य प्रमुख कंपनियों के द्वारा स्टाल का प्रदर्शन भी किया गया था.

हरियाणा दिवस आयोजन : फसल उत्पादन में अग्रणी

हिसार: प्रदेश में हरित क्रांति की सफलता व खाद्यान्न उत्पादन में अपार वृद्धि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा अधिक पैदावार वाली विभिन्न फसलों की किस्में विकसित करना, नईनई तकनीकें ईजाद करना और प्रदेश के किसानों की कड़ी मेहनत का परिणाम है.

हरियाणा प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत ही छोटा प्रदेश है, जबकि देश के खाद्यान्न भंडारण व फसल उत्पादन में अग्रणी प्रदेशों में शामिल है.

हकृवि के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने हरियाणा दिवस के मौके पर बोलते हुए प्रदेशवासियों को हरियाणा दिवस की हार्दिक बधाई दी और कहा कि यह बड़े गर्व का विषय है कि आज चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हरियाणा प्रदेश के साथ नए संकल्पों व लक्ष्यों के साथ नए वर्ष में प्रवेश कर रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा प्रदेश का 1 नवंबर, 1966 को जब अलग राज्य के रूप में गठन हुआ था, उस समय खाद्यान्न उत्पादन मात्र 25.92 लाख टन था, जोकि वर्ष 2022-23 में बढ़ कर 323 मिलियन टन होने की उम्मीद है.

उन्होंने आगे कहा कि आज हरियाणा की गेहूं की औसत पैदावार 46.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं सरसों की औसत पैदावार 20.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

60 प्रतिशत से अधिक बासमती चावल का निर्यात केवल हरियाणा से

खाद्यान्नों के अधिक उत्पादन के चलते हरियाणा राज्य केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में योगदान देने वाला दूसरा सब से बड़ा राज्य है. उन्होंने कहा कि हरियाणा बासमती चावल के लिए भी विशेष रूप से विख्यात है और देश के 60 फीसदी से अधिक बासमती चावल का निर्यात केवल हरियाणा से ही होता है.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने सम्मेलन में यह भी कहा कि यह विश्वविद्यालय आज सफलता से भरा वर्ष पीछे छोड़ रहा है. मैं इन सफलताओं के पीछे रीढ़ की तरह काम करने वाले अपने शिक्षक व गैरशिक्षक कर्मचारियों का धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने अधिकार व दायित्व में सामंजस्य बनाए रख कर विश्वविद्यालय के शिक्षा, अनुसंधान व विस्तार कार्यक्रमों में अनेक उपलब्धियां हासिल करने के साथ विश्वविद्यालय में विभिन्न कार्यक्रमों के सफल आयोजन में योगदान दिया.

सरसों की आरएच 1975, आरएच 1424 व आरएच 1706 नामक 3 नई उन्नत किस्में विकसित

प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के बाजरा और चारा अनुभागों को इन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों के परिणामस्वरूप दूसरी बार राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र अवार्ड प्रदान किया गया. इसी प्रकार, विश्वविद्यालय को सरसों में उत्कृष्ट अनुसंधानों के लिए सर्वश्रेष्ठ केंद्र अवार्ड से नवाजा गया. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सरसों की आरएच 1975, आरएच 1424 व आरएच 1706 नामक 3 नई उन्नत किस्में विकसित करने में सफलता प्राप्त की है.

कृषि शोध संस्थानों में 10वां स्थान

Haryana Diwas

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने जानकारी देते हुए कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने देशभर में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2023 के लिए जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में कृषि शोध संस्थानों में 10वां स्थान प्राप्त किया है. विश्वविद्यालय में संरचनात्मक सुविधाओं में विस्तार करते हुए प्रशासनिक भवन में आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित नया सम्मेलन कक्ष भी बनाया गया है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय का नाम आज विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों में शुमार है. यहां के छात्रों का न केवल देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए चयन हो रहा है अपितु विदेशों में भी फैलोशिप पर जा रहे हैं और दूसरे देशों के छात्र भी यहां पढ़ने आ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने बीते अप्रैल माह में 25वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया, जिस में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिरकत कर विश्वविद्यालय का मान बढ़ाया. वहीं देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का भी हकृवि में आयोजित तीनदिवसीय कृषि विकास मेला-2023 के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि आगमन हुआ. इस कृषि विकास मेला में हरियाणा व पड़ोसी राज्यों से तकरीबन 2 लाख किसान शामिल हुए, जिन्होंने 2.02 करोड़ रुपए के रबी फसलों के बीज खरीदे.

उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नूंह में खुलने वाले विश्वविद्यालय के नए कृषि विज्ञान केंद्र का शिलान्यास किया. यह विश्वविद्यालय भविष्य में भी तरक्की के नए मुकाम बनाता रहेगा और किसानों की इसी प्रकार से सेवा करता रहेगा.

‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित हुए डा. राजाराम त्रिपाठी

पिछले 30 सालों से अधिक समय से हर्बल कृषि के क्षेत्र में नित नएनए शोध एवं प्रयोगों की वजह से हर्बल कृषि में वैश्विक स्तर पर लगातार कई कीर्तिमान स्थापित करते हुए कृषि को फायदे का सौदा बना कर उस से लाभ प्राप्त करने वाले बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले के प्रसिद्ध हर्बल किसान डा. राजाराम त्रिपाठी को थिंक मीडिया, बालाजी समूह ने उद्यानिकी विभाग, छत्तीसगढ़ शासन की सहभागिता में छत्तीसगढ़ व बस्तर की कृषि के ज्वलंत मुद्दों पर जीवंत चर्चापरिचर्चा आयोजित की एवं बस्तर के प्रगतिशील किसानों को मंच से सम्मानित किया.

इस आयोजन का प्रमुख आकर्षण था बस्तर के डा. राजाराम त्रिपाठी के द्वारा अंचल की खेतीकिसानी और मुख्य रूप से जनजातीय समुदाय की 30 वर्षों से की गई अनवरत सेवा के लिए ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित करना. उन को यह सम्मान बस्तर के अंचल के लोकप्रिय जननायक केबिनेट मंत्री एवं पूर्व पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम और वरिष्ठ पत्रकार एएन द्विवेदी के द्वारा प्रदान किया गया.

इस कार्यक्रम में प्रदेश में सब से कम उम्र में मंत्री बनाए गए और 15 वर्षों तक लगातार मंत्री रहे कद्दावर नेता केदार कश्यप, शाकंभरी बोर्ड के सदस्य रितेश पटेल, जनप्रतिनिधि तरुण गोलछा, जिजप सदस्य बाल सिंह बघेल, उद्यानकी व कृषि विभाग के उच्चाधिकारी गौतम, ध्रुव, समाजसेवी यतीद्र छोटू सलाम, मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के निदेशक अनुराग कुमार, बलई चक्रवर्ती, शंकर नाग, कृष्णा नेताम, मेंगो नेताम और अनुज नाहरिया, अजय यादव सहित मीडिया जगत के साथियों की मौजूदगी रही.

इस आयोजन में सम्मानित होने वाले प्रगतिशील किसान महिला समूहों ने भी सैकड़ो की संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. इस अवसर पर डा. राजाराम त्रिपाठी ने उन्हें सम्मानित करने वाली संस्थाओं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों, स्थानीय प्रशासन और स्थानीय मीडिया के साथियों को हमेशा सहयोग देने और हौसला बढ़ाने के लिए विशेष रूप से धन्यवाद दिया.

उन्होंने कहा कि यह सम्मान दरअसल उन का सम्मान नहीं है, यह तो बस्तर की माटी का सम्मान है और उन्होंने अपने सम्मान को मां दंतेश्वरी हर्बल समूह परिवार के सभी सदस्यों को सादर समर्पित किया.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि मां दंतेश्वरी, बस्तर की माटी के प्रताप एवं मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के साथियों के कठोर परिश्रम से उन्हें देशविदेश में सैकड़ों अवार्ड और पुरस्कार मिले हैं, किंतु अपनी कर्मभूमि में अपने क्षेत्र के जननायकों के हाथों सम्मानित होना मेरे जीवन का सब से बड़ा सम्मान है.

गौरतलब है कि डा. राजाराम त्रिपाठी द्वारा “मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सैंटर” के जरीए विगत 3 दशकों से कई प्रकार के देशविदेश में भारी मांग वाली हर्बल फसलों जैसे सफेद मूसली, स्टीविया, काली मिर्च, आस्ट्रेलियन टीक आदि फसलों की गुणवत्ता, उत्पादकता और लाभदायकता बढ़ाने के दृष्टिकोण से इन पर निरंतर शोध का काम करते हुए कई हर्बल फसलों की उन्नत किस्में भी डा. राजाराम त्रिपाठी के द्वारा विकसित की गई हैं. इन नई किस्मों की अंकुरण दर और उन की उत्पादन क्षमता में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज हुई है. इन के द्वारा विकसित की गई उन्नत किस्म की काली मिर्च “मां दंतेश्वरी काली मिर्च-16” और ‘आस्ट्रेलियन टीक’ की सफल जुगलजोड़ी ने कृषि जगत में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय खबरों में भी धूम मचाई है. हाल में ही इन्हें 40 लाख रुपए में बनने वाले 1 एकड़ के “पौलीहाउस” का मात्र डेढ़ लाख रुपए में सस्ता टिकाऊ और ज्यादा लाभ देने वाला नैसर्गिक विकल्प “नेचुरल ग्रीनहाउस” के सफल मौडल के लिए देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के हाथों देश के सर्वश्रेष्ठ किसान का अवार्ड भी प्रदान किया गया है.

बीएससी (गणित), एलएलबी, कार्पोरेट- ला एवं 5 अलगअलग विषयों में स्नातकोत्तर की डिगरियों और डाक्टरेट की उपाधि के साथ डा. राजाराम त्रिपाठी देश के सब से ज्यादा पढ़ेलिखे अग्रिम पंक्ति के किसान नेता के रूप में भी जाने जाते हैं.

सब से बड़ी बात यह है कि इन के इन रिसर्च एवं नवाचारों के फायदे बस्तर, छत्तीसगढ़ में ही नहीं, बल्कि पूरे देश के किसान उठाने लगे हैं.

कृषि मंत्रालय ने किया 8वें रोजगार मेले का आयोजन

नई दिल्ली/भोपाल : 28 अगस्त 2023, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोजगार मेले में वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा नवनियुक्त भरती के 51,000 से अधिक नियुक्तिपत्र वितरित किए. देशभर में यह मेला 45 जगह आयोजित किया गया.

रोजगार मेले का आयोजन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आतिथ्य में हुआ, जहां उन्होंने युवाओं को सरकारी नौकरी से आगे बढ़ कर सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से निरंतर बढ़ रहे रोजगार के अपार अवसरों का लाभ उठाने का आह्वान किया.

इस बार रोजगार मेले का आयोजन ऐसे माहौल में हो रहा है, जब देश गर्व व आत्मविश्वास से भरा हुआ है. हमारा चंद्रयान व रोवर,  प्रज्ञान लगातार चंद्रमा से ऐतिहासिक तसवीरें भेज रहा है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि सेना और पुलिस सेवा में आ कर सुरक्षाबलों के साथ जुड़ कर हर युवा का सपना होता है कि वो देश की रक्षा का प्रहरी बने और इसलिए आप पर बहुत बड़ा दायित्व होता है. आप की जरूरतों के प्रति भी सरकार बहुत गंभीर है.

बीते कुछ वर्षों में अर्धसैनिक बलों की भरती प्रक्रिया में कई बड़े बदलाव किए गए हैं. आवेदन से ले कर चयन तक की प्रक्रिया में तेजी लाई गई है. अर्धसैनिक बलों में भरती के लिए परीक्षा अब 13 स्थानीय भाषाओं में भी कराई जा रही है, जबकि पहले सिर्फ हिंदी या अंगरेजी चुनने का ही विकल्प होता था, अब मातृभाषा का मान बढ़ा है. इस बदलाव से लाखों युवाओं के लिए रोजगार के रास्ते खुल गए हैं.

Farmingपिछले वर्ष भी छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में सैकड़ों आदिवासी युवकों को नियमों में छूट दे कर सुरक्षाबल में भरती पाने का अवसर दिया, ताकि विकास की मुख्यधारा से जुड़े रहे. इसी तरह बौर्डर डिस्ट्रिक्ट व उग्रवाद प्रभावित जिलों के युवाओं के लिए कांस्टेबल भरती परीक्षा में कोटा बढ़ाया गया है. सरकार के प्रयासों से अर्धसैनिक बलों को लगातार मजबूती मिल रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सुरक्षा का वातावरण, कानून का राज, विकास की रफ्तार को तेज कर देता है. आप उत्तर प्रदेश का उदाहरण ले सकते हैं. कभी उत्तर प्रदेश विकास के मामले में बहुत पीछे था और अपराध के मामले में बहुत आगे, लेकिन अब कानून का राज स्थापित होने से उत्तर प्रदेश विकास की नई ऊंचाई छू रहा है. कभी गुंडोंमाफिया की दहशत में रहने वाले उत्तर प्रदेश में आज भयमुक्त समाज की स्थापना हो रही है. कानून व्यवस्था का ऐसा शासन लोगों में विश्वास पैदा करता है और जब अपराध कम हुआ है, तो उत्तर प्रदेश में निवेश भी बढ़ रहा है. इस के उलट हम ये भी देखते हैं कि जिन राज्यों में अपराध चरम पर है, वहां निवेश उतना कम हो रहा है, रोजीरोटी के सारे काम ठप पड़ जाते हैं. अर्थव्यवस्था की वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हर क्षेत्र बढ़े. विस्तार के साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुनियादी ढांचा विकास का जिक्र करते हुए बताया कि पिछले 9 साल में केंद्र सरकार ने बुनियादी ढांचे पर 30 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए हैं, इस से कनेक्टिविटी के साथ पर्यटन आतिथ्य को बढ़ावा मिल रहा है, नई नौकरियां भी पैदा हो रही हैं. भारत द्वारा रिकौर्ड निर्यात करना वैश्विक बाजार में, भारत में बने सामानों की बढ़ती मांग का संकेत है. परिणामस्वरूप उत्पादन बढ़ा है, रोजगार बढ़ा है व परिवारों की आय भी बढ़ रही है.

उन्होंने आगे कहा कि वो दिन दूर नहीं, जब मोबाइल की तरह ही भारत में बने एक से बढ़ कर एक लैपटौप, टैबलेट व कंप्यूटर दुनिया में हमारी शान बढ़ाएंगे. ‘वोकल फौर लोकल’ के मंत्र पर चलते हुए सरकार मेड इन इंडिया लैपटौप, कंप्यूटर जैसे अनेक प्रोडक्ट्स खरीदने पर जोर दे रही है. इस से मैन्युफैक्चरिंग बढ़ी है, युवाओं के लिए रोजगार के नए मौके भी बन रहे हैं. योजना में 9 वर्षों में 50 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले हैं. योजना ने गरीबों और वंचितों तक सीधे लाभ पहुंचाने में मदद की है. साथ ही, आदिवासियों, महिलाओं, दलितों व अन्य वंचित वर्गों के रोजगारस्वरोजगार में मदद की है. 21 लाख से अधिक युवा बैंक मित्र या बैंक सखी रूप में कार्यरत हैं. जनधन खातों ने गांवों में महिला स्वयंसहायता समूहों को मजबूत किया है.

सशस्त्र सीमा बल अकादमी (एसएसबी) द्वारा बैरागढ़, भोपाल में आयोजित मेले में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि हम इस वर्ष 10 लाख युवाओं को शासकीय रोजगार से जोड़ेंगे, प्रसन्नता है कि अभी तक तकरीबन 5 लाख युवाओं को रोजगार मिल चुका है.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह भी कहा कि तकनीक व जनधन खातों का कमाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 2.61 लाख करोड़ रुपए किसानों के खातों में जमा कराए हैं. विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों की योजनाओं में 9 वर्षों में डीबीटी के माध्यम से 25 लाख करोड़ रुपए देश की जनता तक शतप्रतिशत पहुंचे हैं, न कोई बिचौलिया और न कमीशन एजेंट, यह देश की बड़ी सफलता है. पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए बड़ीबड़ी बातें नहीं, नीति और नीयत का ठीक होना जरूरी होता है.

Farmingभोपाल में एसएसबी के निदेशक संजीव शर्मा, इंदौर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा सहित अन्य जनप्रतिनिधि, केंद्र व प्रदेश सरकार के अधिकारी व नवनियुक्ति कार्मिक उपस्थित थे.

एमपीयूएटी की अकादमिक परिषद की 62वीं बैठक

उदयपुर : 18 जुलाई,2023. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की 62वीं वीसी बैठक कुलपति सचिवालय में संपन्न हुई.

कुलपति सचिवालय में आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने की. बैठक में कुलसचिव सुधांशु सिंह, वित्त नियंत्रक विनय भाटी, सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक अनुसंधान, निदेशक प्रसार शिक्षा, छात्र कल्याण अधिकारी, ओएसडी, डा. विरेंद्र नेपालिया एवं चयनित सदस्य उपस्थित थे.

सब से पहले बैठक के एजेंडे पर प्रकाश डाला. बैठक में निम्न बिंदुओं पर चर्चा हुई और सहमति के पश्चात अनुमोदन किया गया.

MPUT

– बैठक में विगत 15 दिसंबर को आयोजित अकादमिक परिषद में लिए गए निर्णयों एवं मिनिट्स का अनुमोदन किया गया.

– विश्वविद्यालय के स्ववित्तपोषित बजट हेड में अभियांत्रिकी महाविद्यालय के चयनित विभागों, जिन में डिपार्टमेंट औफ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रानिक्स एवं कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग, माइनिंग इंजीनियरिंग, इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग एवं सिविल इंजीनियरिंग विभाग आते हैं, में पीएचडी स्कालर को मैरिट के आधार पर लेक्चर आधारित टीचिंग असिस्टेंटशिप का अवसर दिया जाएगा. उन्हें अन्य गेस्ट लेक्चर फैकल्टी के अनुरूप प्रति लेक्चर पारिश्रमिक राशि का भुगतान किया जाएगा.

– अभियांत्रिकी महाविद्यालय में अकादमिक सत्र 2023-24 के लिए एम. टैक एवं पीएचडी की विभिन्न ब्रांच में सीट मैट्रिक्स निर्धारित की गई और सदन द्वारा प्रस्तावित सीट मैट्रिक्स का अनुमोदन किया गया.

इसी प्रकार सभी संकायों में यूजी एवं पीजी और पीएचडी की सीटों के लिए आईसीएआर की संशोधित सीट मैट्रिक्स का अनुमोदन किया गया.

– विश्वविद्यालय में विभिन्न कंसल्टेंसी प्रोजैक्ट के सफल संचालन के लिए एक विस्तृत नियमावली बनाई गई और बैठक में इस नियमावली पर चर्चा के पश्चात इसे विश्वविद्यालय की फाइनेंस कमेटी एवं प्रबंध मंडल के समक्ष अप्रूवल के लिए सदन के पटल पर रखे जाने का प्रस्ताव पारित किया गया.

5. अभियांत्रिकी महाविद्यालय के बोर्ड औफ स्टडीज के प्रस्ताव पर विभिन्न विभागों एवं विषयों में आवश्यकतानुसार संशोधन का अनुमोदन किया गया.

– बैठक में अधिष्ठाता अभियांत्रिकी के प्रस्ताव पर विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त और उदयपुर में रह रहे प्राध्यापकों एवं आचार्यों को पीजी विधार्थियों के अनुसंधान और थीसिस गाइड करने के बिंदु पर सभी अधिष्ठाता और डीन पीजी की एक समिति बना कर प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति प्रदान की गई.

– निदेशक, आवासीय निर्देशन निदेशालय के प्रस्ताव पर विश्वविद्यालय के अनुभवी प्राध्यापकों को एमएससी, एम. टैक एवं पीएचडी अनुसंधान गाइडेंस के लिए अनुमति प्रदान करते हुए अनुमोदन किया गया.

– बैठक में विश्वविद्यालय की विभिन्न संस्थाओं में यूजी एवं पीजी की संशोधित फीस स्ट्रक्चर का अनुमोदन भी किया गया.

– बैठक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रस्ताव पर परिषद ने अनुमोदन किया कि इग्नू के सहयोग से एमपीयूएटी में रेगुलर लर्निंग सपोर्ट सैंटर की स्थापना की जाएगी. इस विद्यार्थी सहायता केंद्र के माध्यम से सीटीएई, आरसीए, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय, डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालयों में एक पीजी डिप्लोमा, 4 विषयों में डिप्लोमा, 4 विषयों में सर्टिफिकेट कोर्स एवं एक नौन क्रैडिट प्रोग्राम संचालित किया जाएगा. प्रोग्राम को संचालित करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया.

मात्स्यिकी महाविद्यालय में मनाया मत्स्य कृषक दिवस

उदयपुर : 10 जुलाई, 2023. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक मात्स्यकी महाविद्यालय, उदयपुर में 23वां भारतीय मत्स्य कृषक दिवस मनाया गया. इस अवसर पर मात्स्यिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. बीके शर्मा, पूर्व अधिष्ठाता डा. एसके शर्मा व सहप्राध्यापक डा. एमएल ओझा, महाविद्यालय केे कर्मचारी व छात्रछात्राएं उपस्थित रहे.

इस अवसर पर अधिष्ठाता डा. बीके शर्मा ने बताया कि देश में पहली बार 10 जुलाई ,1957 को मत्स्य वैज्ञानिक प्रोफैसर हीरालाल चौधरी व सहयोगी डा. केएच अलीकुन्ही ने ओडिशा के अंगुल में भारतीय प्रमुख कार्प मछली को पिट्युटरी हार्मोन की मदद से सफल प्रेरित प्रजनन करवाया था.

उन्होंने कहा कि डा. हीरालाल चौधरी व डा. केएच अलीकुन्ही के इस महत्वपूर्ण सहयोग की याद में हर साल भारत में मत्स्य किसान दिवस मनाया जाता है. सब से पहले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस 10 जुलाई, 2001 को मनाया था एवं आज हम 23वां मत्स्य किसान दिवस मना रहे हैं. साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि मत्स्यपालन में किसानों के योगदान, मत्स्यपालन में रोजगार व भविष्य के बारे मे भी छात्रछात्राओं को इस क्षेत्र के अवसरों के बारे में अवगत कराया.

पूर्व अधिष्ठाता डा. एसके शर्मा ने कहा कि मत्स्य किसान दिवस का उद्देश्य एक्वाकल्चर में शामिल लोगों जैसे मछुआरे भाईबहन, मत्स्य कृषक, मत्स्य वैज्ञानिक, विषय विशेषज्ञ और अन्य हितधारकों के प्रति सम्मान व्यक्त करना है. साथ ही, डा. एसके शर्मा ने मत्स्यपालन में छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के अवसरों और आर्थिक क्षेत्र में प्रगति के बारे में बताया गया.

डा. एमएल ओझा ने प्रजनन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार प्रेरित प्रजनन से हमारे देश में मछलीपालन में क्रांति आई व उस की वजह से आज विश्व में मत्स्य उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है.

उन्होंने प्रेेरित प्रजनन के इतिहास और वैज्ञानिक पद्धति पर जानकारी प्रदान की. इस अवसर पर महाविद्यालय के विद्यार्थियों रामजस चौधरी, विकास कुमार और लक्ष्य ने अपने विचार व्यक्त किए. काव्य ने समाचार संकलन में सराहनीय सहयोग दिया.

मात्स्यिकी महाविद्यालय के छात्र थाईलैंड में लेंगे प्रशिक्षण

उदयपुर : 11 जुलाई, 2023. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक मात्स्यिकी महाविद्यालय के 2 छात्र मोनिका कुमावत बीएफएससी तृतीय वर्ष एवं अनिल सिंह शेखावत, बीएफएससी द्वितीय वर्ष भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम इंटरनेशनल डवलपमेंट प्रोग्राम, राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (आईडीपी/एनएएचईपी) के अंतर्गत 60 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण के लिए प्रिंस औफ सोंगकला कृषि उद्योग विश्वविद्यालय (पीएसयू), थाईलैंड गए हैं.
यह प्रशिक्षण 10 जुलाई से 10 सितंबर, 2023 तक आयोजित किया जाएगा.

यह प्रशिक्षण अंतर्राष्ट्रीय केंद्र पर समुद्री उत्पाद विज्ञान एवं खोज, प्रिंस औफ सोंगकला कृषि उद्योग विश्वविद्यालय, थाईलैंड में होगा.

परियोजना प्रभारी डा. पीके सिंह ने बताया कि इस प्रशिक्षण के दौरान ये विद्यार्थी मत्स्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन के अलावा मत्स्य विज्ञान के अन्य विषयों पर गहन प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे, जिस से राजस्थान में उस का लाभ मिल सकेगा.

यहां यह बताना प्रासंगिक है कि छात्रा मोनिका कुमावत एक छोटे से गांव हिंगोनीया, जोबनेर की रहने वाली है, जबकि छात्र अनिल सिंह शेखावत गांव बनगोठड़ी कलां, झुंझुनूं के रहने वाले हैं.

मात्स्यिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. बीके शर्मा ने बताया कि महाविद्यालय के छात्र अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण के लिए पहली बार गए हैं एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद इन दोनों विद्यार्थियों से दूसरे छात्रों को भी इस तरह का प्रशिक्षण प्राप्त करने की जिज्ञासा बढ़ेगी एवं वे भी अपनी पढ़ाई के प्रति सजग रह कर अपने मातापिता, समाज, विश्वविद्यालय एवं गांव का नाम रोशन करेंगे. उन्होंने यह भी बताया कि उपरोक्त छात्रों का पूरा खर्च (आईडीपी/एनएएचईपी) के द्वारा वहन किया जाएगा.