Livestock : मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत पशुपालन और डेयरी विभाग ने पिछले दिनों पशुधन (Livestock) उत्पादकता बढ़ाने हेतु वर्चुअल जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में देशभर के 2000 कौमन सर्विस सैंटर से 1 लाख से अधिक पशुपालक किसान जुड़े. इन में छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे राज्य और केंद्रशासित प्रदेश शामिल रहे.

इस बैठक की अध्यक्षता नई दिल्ली से केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी एवं पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने की. इस अवसर पर विभाग की अतिरिक्त सचिव वर्षा जोशी, राम शंकर सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री प्रो. बघेल ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में पशुपालक किसानों के अमूल्य योगदान की सराहना की. उन्होंने बताया कि पिछले 10 सालों में देश में दूध उत्पादन की सालाना वृद्धि दर 5.7 फीसदी रही है, जबकि दुनियाभर में यह केवल 2 फीसदी सालाना है.

इस उपलब्धि का श्रेय उन्होंने देश के पशुपालक किसानों को दिया. उन्होंने विभागीय पहलों जैसे टीकाकरण कार्यक्रम और सैक्स सौर्टेड सीमेन के उपयोग की भी प्रशंसा की, जिन से देश में पशुधन उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिली है. उन्होंने आगे किसानों से बातचीत की और पशु चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली, जिस में इलाज संबंधी मदद के लिए टोलफ्री नंबर 1962 का उपयोग शामिल है. उन्होंने पशुपालक किसानों से पशु बीमा को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और पशुओं का समयसमय पर टीकाकरण कराने का महत्त्व भी बताया.

इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों में पशुपालन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं  जैसे नस्ल सुधार, जूनोटिक रोग नियंत्रण, जैव सुरक्षा और विभागीय योजनाओं के द्वारा उद्यमिता विकास पर जागरूकता फैलाना था. इस में कई विषयों पर जागरूकता वीडियो और विशेषज्ञ सत्र प्रस्तुत किए गए, जिस से पशुधन उत्पादकता बढ़ाने के उपायों पर विस्तार से चर्चा हुई. यह सत्र ज्ञान आदानप्रदान, नीति जागरूकता और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने का मंच भी बना, जिस ने ग्रामीण विकास और आर्थिक वृद्धि में पशुपालकों की प्रमुख भूमिका को और मजबूती दी.

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