High-Yielding Varieties : बिहार की खाद्यान्न, तिलहन और प्रोटीन सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर में राज्य समन्वित किस्म परीक्षण (SCVT), रबी 2025-26 की संयुक्त समीक्षा बैठक आयोजित हुई. बैठक की अध्यक्षता बीएयू सबौर के निदेशक अनुसंधान डा. अनिल कुमार सिंह ने की.
बैठक का उद्देश्य था बिहार के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में परखी गई प्रविष्टियों के बहुवर्षीय एवं बहुस्थलीय आंकड़ों का विश्लेषण कर किसानों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त उच्च उत्पादक एवं जलवायु अनुकूल किस्मों का चयन करना.
बिहार के लिए अनुशंसित फसल किस्में
गेहूं बीआरडब्ल्यू 3954 (बीएयू सबौर)
इस किस्म से देरी से भी बोआई (दिसंबर अंत) करने पर भी अच्छी पैदावार मिलती है.
बिहार में औसत उपज 37 क्विंटल/हेक्टेयर से अधिक, जो एचआई 1621 और एचआई 1563 से लगभग 6 फीसदी अधिक है.
राष्ट्रीय विलंबित बोआई परीक्षण में 46.2 क्विंटल/हेक्टेयर उपज.
आरएयूडब्ल्यू 120 (डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा)
यह किस्म समय पर सिंचित परिस्थितियों के लिए विकसित की गई है. इस से 60 क्विंटल/हेक्टेयर उपज क्षमता तथा औसतन 45 क्विंटल/हेक्टेयर उत्पादन मिलेगा. यह सभी प्रमुख गेहूं रोगों के प्रति व्यापक प्रतिरोधी किस्म है.
डीबीडब्ल्यू 303 (आईसीएआर–आईआईडब्ल्यूबीआर, करनाल)
इस किस्म का 3 वर्षों का औसत उत्पादन 45 क्विंटल/हेक्टेयर से अधिक है, जो श्रेष्ठ 5 किस्मों से 8–10 फीसदी अधिक है.
एचडी 2967 से 30 फीसदी और एचडी 3086 से 11 फीसदी अधिक उपज मिलती है.
यह किस्म गुणवत्ता में श्रेष्ठ, चपाती और ब्रैड के लिए गुणवत्तायुक्त किस्म है.
सरसों
बीआरबीजे 02 (बीएयू सबौर, पूसा बोल्ड×क्रांति)
इस किस्म से औसत उपज 1672 किलोग्राम/हेक्टेयर, जो राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और नवीनतम किस्मों से 5.36–13.13 फीसदी अधिक है.
41 फीसदी तेल अंश, लगभग 687 किलोग्राम/हेक्टेयर तेल उपज और बड़े दाने वाली किस्म है.
अल्टरनेरिया ब्लाइट व प्रमुख कीटों के प्रति सहनशील, देर से बोआई वाली सिंचित भूमि के लिए भी आदर्श किस्म है.
देशी चना
डीबीजीसी 1 (आईसीएआर–आरसीईआर, पटना; बीजीडी 256×डब्ल्यूआर 315)
चना की 18–20 क्विंटल/हेक्टेयर उपज और लगभग 130 दिन में पक कर तैयार होती है.
25–26 ग्राम/100 दाने का बड़ा दाना, उच्च प्रोटीन, दाल और बेसन निर्माण हेतु उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली किस्म है.
इस के अलावा फ्यूजेरियम विल्ट रोग के प्रति मजबूत प्रतिरोधक किस्म है.
विशेषज्ञों की राय
ये जलवायु अनुकूल एवं उच्च उत्पादक किस्में बिहार की खाद्यान्न और पोषण सुरक्षा को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगी और किसानों की आय में प्रत्यक्ष वृद्धि करेंगी. – डा. डीआर सिंह, कुलपति, बीएयू सबौर.
इन अनुशंसित किस्मों का कठोर बहुवर्षीय व बहुस्थलीय परीक्षण किया गया है और ये बिहार की विविध कृषि जलवायु परिस्थितियों के लिए अत्यंत उपयुक्त हैं.-डा. अनिल कुमार सिंह, निदेशक, अनुसंधान एवं बैठक अध्यक्ष, बीएयू सबौर.
संयुक्त मूल्यांकन से यह सुनिश्चित हुआ है कि केवल सब से अधिक उत्पादक, रोग प्रतिरोधी और बाजारोन्मुख किस्में ही किसानों तक पहुंचें.-डा. एके सिंह, निदेशक, अनुसंधान, डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (डीआरपीसीएयू), पूसा.