Napier Fodder: आधुनिकीकरण के दौर में आज अनेक फसलों की कटाई कृषि यंत्रों से की जा रही है, जिसके चलते पशु चारे की खासी कमी होने लगी है, जो पशुपालकों के लिए एक बड़ी चुनौती है.
पशु चारे की कमी होने का सबसे बड़ा कारण गेहूं, धान जैसी फसलों की कटाई कृषि यंत्रों से किया जाना है, जिससे भूसे की कमी होने लगती है. लेकिन भूसा ही पशुओ के लिए जरूरी नहीं है, बल्कि सूखे चारे के साथसाथ हरे चारे की भी जरूरत होती है. लेकिन हरा चारे का उत्पादन सालोंसाल संभव नही हो पाता है.
ऐसे में किसान क्या करें? इस चुनौती से कैसे निबटे किसान और वह कौन सा चारा उगाए जो पशुओं की सेहत के साथ-साथ किसान के लिए भी लाभकारी हो?
नैपियर चारा (Napier Fodder) क्यों है सबसे बेहतर विकल्प
बरसीम, लोबिया, बाजारा जैसे तमाम हरे चारे की बोआई मौसम और फसल के अनुसार की जाती है. लेकिन ये साल के कुछ माह के लिए ही उपलब्ध हो पाते हैं. ऐसे में सालों-साल चलने वाला नैपियर चारा (Napier Fodder) किसानों और पशुपालकों के लिए अत्यंत लाभकारी है. यह बाजरे की तरह ही हरे चारे की एक फसल है, जो एक बार रोपने के बाद 8 से 10 सालों तक लगातार पशुओं के लिए हरा चारा उपलब्ध कराती है.
प्रमुख उन्नत किस्में
इस बहुवर्षीय हरे चारे की कई वैराइटी उपलब्ध हैं, जो अनेक पोषक तत्त्वों से भरपूर होती हैं. साथ ही पशुओं के लिए स्वादिष्ट चारा है.
-हाईब्रिड नैपियर बाजरा 1
-जी एफ आर आई-6
-जी एफ आर आई-10
-सी ओ-3
नैपियर चारे की यह सभी प्रजातियां स्वाद और सेहत के नजरिए से भी उत्तम हैं.
नैपियर चारा (Napier Fodder) उगाने के लिए उपयुक्त भूमि
हाईब्रिड नैपियर बाजरे की रोपाई के लिए सर्वोत्तम भूमि बलुई दोमट होती है, इसके अलावा इसे अनेक स्थानों जैसे बाग-बगीचों में खाली पड़ी जगह, चकरोड, मेंड़ों पर भी आसानी से उगाया जा सकता है. इसके साथ-साथ खेत में दूसरा चारा भी प्राप्त किया जा सकता है. यह चारा ग्रीष्म ऋतु व वर्षा ऋतु में बड़ी तेजी से बढ़ता हैं. हमारे देश में जिस जमीन पर सरपत या मूंज या कांस उगाया जाता है, उस जगह भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है.
रोपाई की वैज्ञानिक विधि
हाईब्रिड नैपियर बाजरा की रोपाई रूट स्लिप यानी जड़ो तथा इसके तनों द्वारा की जाती है. रोपाई के पहले इसके तनों की कटाई गन्ने की तरह कर दी जाती है. इसके बाद इसे पंक्तियों में पंक्ति से पंक्ति 75 सेंटीमीटर व पौधा से पौधा 60 सेंटीमीटर की दूरी पर रोप देना चाहिए.
कब और कौन सा दें खाद ऊर्वरक
इस चारे से अच्छी पैदावार लेने के लिए गोबर की सड़ी हुई गोबर की खाद, कंपोस्ट खाद बहुत अच्छी वृद्धि करता है. इसे रोपते समय प्रति हेक्टेयर 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम, फास्फोरस व 40 किलोग्राम पोटाश लगाना चाहिए और प्रत्येक कटाई के बाद 30 किलोग्राम नाइट्रोजन को खड़ी फसल में डालना चाहिए. सिंचाई के बाद खाद डालना उपयुक्त होता है.
कब करें सिंचाई
हाईब्रिड नैपियर चारे में नमी अत्यंत आवश्यक है. इसे सालभर में 10-15 सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. इसकी जड़ें लंबे समय तक नमी को बनाए रखती हैं, जिससे यह हर समय हरा-भरा बना रहता है.
अच्छे उत्पादन के लिए कब करें कटाई
इस चारे की पहली कटाई इसकी रोपाई के 75 से 80 दिनों बाद करनी चाहिए. उसके बाद प्रत्येक कटाई लगभग 45 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए. फसल की लंबाई 2-3 फुट की हो जाए तो कटाई करने पर चारे से अच्छी पौष्टिकता प्राप्त होती है.
कितन मिलता है उत्पादन
1 हेक्टेयर भूमि से प्रतिवर्ष 20 से 25 टन यानि 2000-2500 क्विंटल हरा चारा प्राप्त होता है. यदि कोई किसान अपने खेत में 30 पूंजों को अपने खेत की मेड़ों पर रोपता है, तो एक पूंजे से लगभग 15-20 किलोग्राम चारा प्रत्येक दिन प्राप्त होता है. इस प्रकार 1 पूंजा प्रतिदिन भूसे के साथ खिलाने के लिए उपयुक्त होता है.
नैपियर चारा (Napier Fodder) पशुओं के लिए सबसे मुफीद स्वादिष्ट व पौष्टिकता से भरपूर चारा माना जाता है. इसकी ऊंचाई 3 फुट तक होने पर इसमें पौष्टिक तत्त्वों की भरपूर मात्रा उपलब्ध होती है. इसको खिलाने से पशुओं की हड्डियां मजबूत व शरीर गठीला होता है और दुधारू पशुओं के लिए यह सर्वोत्तम है. इसे पशुओं को खिलाने से दूध उत्पादन में 15 से 20 तक की वृद्धि हो सकती है.





