Fennel Cultivation : राजस्थान के जोधपुर जिले के बिलाड़ा क्षेत्र के एक प्रगतिशील किसान कुन्नाराम ने सौंफ की सफल खेती (Fennel Cultivation) कर के अच्छी कमाई की है. कुन्नाराम के पास 10 बीघा जमीन है और वे साल 1982 में 10वीं जमात पास करने के बाद से ही खेतीबारी के काम में जुट गए थे.
कुन्नाराम पिछले तकरीबन 5 साल से सौंफ की खेती (Fennel Cultivation) कर रहे हैं. उन्होंने सौंफ की खेती के लिए उन्नत बीज लिया और अच्छी तरह जुताई कर उस में 2 ट्रॉली प्रति बीघा की दर से गोबर की देशी खाद का इस्तेमाल किया.
कुन्नाराम सौंफ की बोआई जुलाई के आखिरी हफ्ते में करते हैं और जरूरत के मुताबिक फसल की सिंचाई करते हैं. उन्होंने सिंचाई के लिए ‘बूंदबूंद सिंचाई पद्धति’ अपनाई है.
कुन्नाराम सौंफ की फसल में रसायनों का इस्तेमाल बिलकुल नहीं करते हैं. वे सौंफ की पूरी खेती जैविक तरीके से ही करते रहे हैं. वे खेती के साथसाथ पशुपालन भी करते हैं, जिस से उन्हें अपने घर की ही देशी खाद भी मिल जाती है.
कुन्नाराम बताते हैं कि सौंफ की फसल के गुच्छों की कटाई वे 3 बार 7 से 10 दिन के अंतराल पर करते हैं और 3 बार गुच्छों की कटाई करने के बाद चौथी बार में पूरी फसल काट लेते हैं और उस में से सौंफ को अलग कर लेते हैं. इस तरह वे कुल 4 बार सौंफ के गुच्छों की कटाई करते हैं.
कटाई के बाद सौंफ के गुच्छों को छाया में रस्सी पर सूखने से सौंफ का हरापन बना रहता है. इस के बाद पक्के फर्श पर सौंफ को गुच्छों से अलग कर लिया जाता है.
सौंफ मसाला फसल है. इसे औषधीय फसल भी कहा जाता है. इसे मसाले के रूप में और सीधा भी खाने के काम में लिया जाता है.
इस साल कुन्नाराम ने कुल 10 बीघा में सौंफ की खेती (Fennel Cultivation) की, जिस का उत्पादन कुल 150 मन प्राप्त किया यानी एक बीघा में कुल 6 क्विंटल पैदावार हुई. बाजार में बिलाड़ा मंडी में इस बार उन्हें 13,000 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिला, तो एक बीघा में कुल 78,000 रुपए की पैदावार मिली. खेती के सभी खर्च निकाल कर कुल 35 से 50 हजार रुपए की शुद्ध आय प्रति बीघा मिली है. इस प्रकार उन्हें सौंफ की खेती से हर साल साढ़े 3 लाख से 4 लाख रुपए तक का कुल शुद्ध लाभ मिल जाता है. इस फसल को कृषि विभाग के अधिकारियों, वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों ने देखा और सराहा.
कुन्नाराम बताते हैं कि उन्होंने कृषि विभाग के प्रशिक्षणों में नवीन तकनीक को जानने ले लिए भाग लिया. पड़ोसी राज्य गुजरात में भी सौंफ की खेती और नवीनतम तकनीक अपनाई.
कुन्नाराम के पड़ोसी ओमप्रकाश और मांगीलाल ने उन से सीख ले कर सौंफ की अच्छी खेती की है. पिचियाक गांव के बुधाराम, मिश्रीलाल दगलाराम बताते हैं कि सौंफ की खेती (Fennel Cultivation) से उन्होंने भी 30,000 रुपए प्रति बीघा की दर से शुद्ध आय मिल जाती है.
बिलाड़ा क्षेत्र के कृषि अधिकारी भीखाराम बताते हैं कि सौंफ की खेती (Fennel Cultivation) किसानों की अच्छी कमाई दे रही है, इसलिए बिलाड़ा पंचायत समिति में सौंफ की खेती का रकबा बढ़ा है और सौंफ की खेती का कुल रकबा 800 हेक्टेयर तक पहुंच गया है. खरीफ में कपास, मूंग, तिल, ज्वार की खेती करते हैं और रबी में ज्यादातर किसान सौंफ और जीरा की फसल लेते हैं.
कुन्नाराम की जैविक खेती देख कर पड़ोसी गांव के किसानों ने भी इसे अपनाने की सोची. गांव रामपुरिया के किसान चुन्नीलाल बताते है कि सौंफ में बूंदबूंद सिंचाई से कालिया रोग (ब्लाइट) और गूंदिया वोग (गमोसिस) का नियंत्रण हो जाता है. इस प्रकार बिलाड़ा, पिचियाक, खारिया, जेलवा, भानी, उचियाडा रामपुरिचा गांवों में भी सौंफ की खेती (Fennel Cultivation) से किसानों की अच्छी कमाई हो जाती है.
अधिक जानकारी के लिए आप कुन्नाराम के मोबाइल नंबर 941366051 और लेखक के मोबाइल नंबर में 9414921262 पर संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं.