प्रगतिशील किसान रवि शंकर सिंह : कृषि को बनाया रोजगार 

रविशंकर उत्तर प्रदेश में लखनऊ के एक ऐसे प्रगतिशील किसान हैं, जिन्होंने खेती के साथसाथ अनेक कृषि कार्य किए हैं और नईनई तकनीकों को भी आजमाया है. कृषि यंत्रीकरण के तहत फार्म मशीनरी बैंक बनाया, तो प्रोसैसिंग को भी अपनाया.

नवंबर, 2024 में उन्हें दिल्ली प्रैस द्वारा राज्य स्तरीय फार्म एन फूड कृषि अवार्ड से भी सम्मानित किया गया.

रविशंकर सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट हैं और उन के पास उन की खुद की खेती की जमीन केवल 2 हेक्टेयर है. इस के अलावा वे अन्य किसानों की जमीन लीज पर ले कर खेती करते हैं.

रविशंकर सिंह खासकर धान, मक्का, अरहर, सावा, कोदों, मडुवा, ज्वार, बाजरा, काला नमक धान, गेहूं, गन्ना, मटर, सरसों, जौ, मसूर, आलू, टमाटर, लहसुन, धनिया, रामदाना, अदरक आदि की खेती करते हैं और जायद के मौसम में जायद-मूंग, उड़द, सूरजमुखी, मिर्च और केले की खेती करते हैं.

खेती से जुड़े कामों से ले रहे अधिक मुनाफा:

किसान रविशंकर सिंह खेती के अलावा खेती से जुड़े अनेक काम करते हैं, जिन से वे अच्छा मुनाफा ले रहे हैं और दूसरे लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं.

मछलीपालन और रेशम कीट उत्पादन से कमाई:

रविशंकर सिंह ने बताया कि उन के पास मछलीपालन के लिए 3 हेक्टेयर में तालाब है, जिस में वे बायो फ्लाक्स, फेगेसियस, रोहू कत्ला, ग्रास और सिल्वर किस्म की मछलियां का उत्पादन करते हैं. रेशम कीट पालन के लिए 1 हेक्टेयर में शहतूत के पेड़ और 1 एकड़ में नर्सरी भी है.

डेयरी फार्मिंग से जुड़े कारोबार :

रविशंकर सिंह ने पशुपालन में अच्छा काम किया है. उन के पास पशुपालन के तहत देशी साहिवाल गिर की 10 दुधारू गाय हैं, जिन के दूध की प्रोसैसिंग कर अनेक प्रोडक्ट भी बनाते हैं. इस के अलावा वे गोमूत्र से खेती के लिए वर्मी कंपोस्ट जीवाअमृत बनाने का काम भी करते हैं.

फार्म मशीनरी बैंक से कमाई :

आधुनिकता के इस दौर में रविशंकर सिंह कृषि ने यंत्रों के इस्तेमाल पर खासा जोर दिया है. उन्होंने कृषि यंत्रों को ले कर फार्म मशीनरी बैंक बनाया हुआ है, जिस में अनेक छोटेबड़े अनेक कृषि यंत्र हैं, जिन्हें वे किसानों को किराए पर मुहैया कराते हैं, जो कमाई का अतिरिक्त साधन भी है.

इस के अलावा उन के पास प्रोसैसिंग यूनिट के तहत आटा मिल और दाल मिल भी हैं. इन से वे लोगों को अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद उपलब्ध कराते हैं.

मधुमक्खीपालन भी करते हैं साथसाथ :

रविशंकर सिंह खेती के साथसाथ मधुमक्खीपालन भी करते हैं, जिस के तहत उन के पास 150 मधुमक्खी बौक्स हैं, जिन से वे शुद्ध शहद का उत्पादन भी करते हैं.

खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल :

वे खेती में आधुनिक तकनीकों को भी अपनाते आए हैं, जैसे सिंचाई के साधनों में उन के पास खुद का ट्यूबवैल, 2 सोलर पंप और 2 इंजन पंप हैं, जिन का समय के अनुसार काम लिया जाता है.

मिल चुके हैं अनेक पुरस्कार :

रविशंकर सिंह को उन के कृषि कार्यों में मिली सफलता के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर के अनेक पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

विद्यार्थी पढ़ाई के साथ ही उद्योग लगाने की सोचें

सागर : कलक्टर संदीप जीआर के मार्गदर्शन में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस जागरूकता अभियान 2-11 अक्तूबर के दूसरे दिवस की गतिविधि के रुप में बालिकाओं की जीवन कौशल कार्यशाला आर्ट्स एंड कौमर्स कालेज में आयोजित की गई.

जिला कार्यक्रम अधिकारी बृजेश त्रिपाठी के मुख्य आतिथ्य में कालेज प्राचार्य सरोज गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यशाला में बालिकाओं को जीवन कौशल उन्नयन सबंधी जानकारी दी गई.

इस अवसर पर जिला उद्योग केंद्र के समन्वयक महेश पाल ने उद्योग विभाग की विभिन्न रोजगारमूलक योजनाओं के लाभ की योग्यता आवेदन की प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी गई.

बृजेश त्रिपाठी ने अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस जागरूकता अभियान की जानकारी देते हुए महिला एवं बाल विकास की स्वसहायता समूह एवं कौशल उन्नयन कार्यक्रमों की जानकारी दे कर बेटियों से आह्वान किया कि मोबाइल फोन पर फिल्मों की जानकारी न ले कर एआई से रोजगार की जानकारी मांगें.

प्राचार्य डा. सरोज गुप्ता ने महाविद्यालय की ओर से ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान एवं ‘कौशल उन्नयन शिक्षा’ कार्यक्रमों के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि महिलाओं के लिए रोजगार की अनेक योजनाएं शासन स्तर पर चलाई जा रही हैं और उद्योग विभाग उन्हें ऋण उपलब्ध करा रहे हैं. महाविद्यालय जन भागीदारी समिति’ के अध्यक्ष नितिन शर्मा ने महिला सशक्तीकरण के इस प्रयास को सतत रूप से चलाए जाने पर जोर दिया.

प्रो. अमर कुमार जैन ने अपने संचालन उद्बोधन में महाविद्यालयीन शिक्षा के रोजगारपरक कौशल उन्नयन पाठ्यक्रमों की जानकारी बेटियों को देते हुए कहा कि कौशलयुक्त हाथ कभी बेरोजगार नहीं रहते हैं.

उल्लेखनीय है कि महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, स्थानीय निकायों के समन्वय एवं सहयोग से 2 -11 अक्तूबर तक विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कलक्टर संदीप जीआर के मार्गदर्शन में किया जा रहा है. कार्यक्रम में डा. प्रतिभा जैन, अभिलाषा जैन, दीपक जौनसन, प्रतीक्षा जैन और राखी गौर उपस्थित रहीं.

एचएयू के एबिक सैंटर ने बढ़ाई आवेदन की तिथि

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में स्थापित एग्री बिजनैस इंक्यूबेशन सैंटर (एबिक) ने हरियाणा के छात्रों, उद्यमियों व किसानों से बिजनैस आइडिया मांगे हैं, जो उन को कृषि व्यवसायी बनाने में अहम रोल अदा कर सकते हैं.

अब एबिक ने पहल, सफल व छात्र कल्याण प्रोग्राम, जिस के अंतर्गत व्यवसाय शुरू करने के लिए सरकार की ओर से ग्रांट देने का प्रावधान है, में आवेदन करने की अंतिम तिथि 20 सितंबर, 2024 तक बढ़ा दी है. इस के लिए उम्मीदवार को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की वैबसाइट पर औनलाइन आवेदन करना होगा.

आइडिया को मिल सकती है 4 से 25 लाख तक की ग्रांट

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज के अनुसार, इस सैंटर के माध्यम से युवा छात्र, किसान, महिला व उद्यमी मार्केटिंग, नैटवर्किंग, लाइसैंसिंग, ट्रैडमार्क व पेटेंट, तकनीकी व फंडिंग से संबंधित प्रशिक्षण ले कर कृषि क्षेत्र में अपने स्टार्टअप को नया आयाम दे सकते हैं. इस के लिए ‘छात्र कल्याण प्रोग्राम’, ‘पहल’ एवं ‘सफल’-2024 नाम से 3 प्रोग्रामों का विवरण इस प्रकार हैं:

छात्र कल्याण प्रोग्राम : यह प्रोग्राम छात्रों के लिए पहली बार शुरू किया गया है, जो छात्रों को उद्यमी बनाने में मदद करेगा. इस प्रोग्राम के तहत केवल छात्र ही आवेदन कर सकते हैं. चयनित छात्र को एक महीने का प्रशिक्षण व 4 लाख रुपए तक की अनुदान राशि प्रावधान की जाएगी. यह राशि चयनित छात्र को एकमुश्त दी जाएगी.

पहल : इस प्रोग्राम के तहत चयनित उम्मीदवार को एक महीने का प्रशिक्षण व 5 लाख रुपए तक की अनुदान राशि प्रावधान की जाएगी. यह राशि चयनित उम्मीदवार को एकमुश्त दी जाएगी.

सफल : इस प्रोग्राम के तहत चयनित उम्मीदवार को एक महीने का प्रशिक्षण व 25 लाख रुपए तक की अनुदान राशि प्रावधान की जाएगी. यह राशि चयनित उम्मीदवार को 2 किस्तों में दी जाएगी.

उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 5 सालों में 65 स्टार्टअप्स को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा लगभग 7 करोड़ की राशि स्वीकृत की जा चुकी है. कुलपति प्रो, बीआर कंबोज ने उक्त कार्यक्रमों से संबंधित विवरण पुस्तिका का विमोचन किया.

आवेदकों के लिए आयु व शिक्षा नहीं बनेगी बाध्य

आवेदक को अपने आइडिया का प्रपोजल एचएयू की वैबसाइट पर औनलाइन आवेदन करना है, जोकि नि:शुल्क है. इस के बाद उस आइडिया का यूनिवर्सिटी वैज्ञानिक व इंक्युबेशन कमेटी द्वारा एक महीने के प्रशिक्षण के लिए चयन किया जाएगा. एक महीने के प्रशिक्षण के बाद भारत सरकार द्वारा गठित कमेटी आवेदक के आइडिया को प्रस्तुत करवाएगी और चयनित आवेदक को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा अनुदान राशि स्वीकृत की जाएगी.

प्रशिक्षित युवा स्वरोजगार के साथ-साथ दूसरे लोगों को भी रोजगार दे पाएंगे

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि युवाओं के लिए कृषि क्षेत्र में अपना व्यवसाय स्थापित करने का एक सुनहारा अवसर है. एबिक सैंटर से प्रशिक्षण व वित्तीय सहायता ले कर युवा रोजगार खोजने के बजाय रोजगार देने वाले बन सकते हैं. इस सैंटर के माध्यम से स्टार्टअप्स देश को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अहम भूमिका निभाएंगे. भारत सरकार ने महिलाओं को उद्यमी बनाने के लिए 10 फीसदी अतिरिक्त अनुदान राशि देने का प्रावधान रखा है.

इस के साथ ही युवा, किसान व उद्यमी एबिक सैंटर के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में प्रोसैसिंग, मूल्य संवर्धन, सर्विसिंग, पैकजिंग व ब्रांडिग कर के व्यापार की अपार संभावनाएं तलाश सकते हैं. ये तीनों कार्यक्रम उन को आत्मनिर्भर बनाने में काफी मददगार साबित होंगे. उन्होंने कहा कि इस सैंटर से अब तक जुड़े युवा उद्यमी व किसानों ने न केवल अपनी कंपनी का टर्नओवर करोड़ों रुपए तक पहुंचाया है. अपितु उन्होंने दूसरे लोगों को रोजगार भी प्रदान किया है.

राइस मिल (Rice Mill) से दीपेंद्र तिवारी का सपना हुआ साकार

अनूपपुर : ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासन की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना है. यह योजना स्वयं का उद्योग स्थापित कर लोगों में नई जीवन जीने की प्रेरणा भी देती है.

अनूपपुर जिले के गांव लतार के बाशिंदे दीपेंद्र प्रसाद तिवारी पिता गजेंद्र प्रसाद तिवारी, जिन का राइस मिल खोलने का सपना था, परंतु आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वे यह सपना पूरा नहीं कर पा रहे थे.

उन्होंने बताया कि वे रोजगार के लिए दूसरों के यहां छोटीमोटी नौकरी करते थे और अपने परिवार का पालनपोषण करते थे. नौकरी से उन के परिवार की आवश्यकताएं एवं जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थीं. वे अत्यंत परेशान रहते थे. तब उन के एक दोस्त ने उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के जनहितकारी योजना प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना की जानकारी दी और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से मिल कर योजना का लाभ लेने की सलाह दी.

उस के बाद उन्होंने उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर मिनी राइस मिल खोलने के लिए फार्म भरा और उन्हें बैंक द्वारा योजना के माध्यम से 2 लाख रुपए का लोन प्राप्त हुआ. योजना के तहत उन्हें 70,000 रुपए की अनुदान राशि भी मुहैया कराई गई.

उन्होंने बताया कि उन्हीं पैसों से अपना सपना साकार कर मिनी राइस मिल लगाया और अब हर महीने वे 30 से 40 हजार रुपए की आमदनी ले रहे हैं. उन्होंने 3 लोगों को श्रमिक के रूप में रोजगार भी मुहैया कराया है.

किसानों का दल जाएगा कृषि प्रशिक्षण (Agricultural Training) के लिए

रायसेन : उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की राज्य योजनांतर्गत रायसेन जिले के 30 किसानों का दल नोडल अधिकारी और ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी गैरतगंज सुरेंद्र सिंह रघुवंशी के साथ कृषक प्रशिक्षण सहभ्रमण हेतु सीहोर के लिए भेजा गया. कृषक दल को सहायक संचालक उद्यान रमाशंकर द्वारा हरी झंडी दिखा कर भेजा गया.

इस अवसर पर ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी अंजू शर्मा और शाखा प्रभारी पिंकी गाडगे भी उपस्थित रहीं.

भ्रमण सहप्रशिक्षण के लिए भेजने के पूर्व किसानों को मप्र शासन द्वारा संचालित उद्यानिकी की उन्नतशील विभिन्न योजनाएं जैसे फल क्षेत्र विस्तार योजना, सब्जी क्षेत्र विस्तार योजना, मसाला क्षेत्र विस्तार योजना, ड्रिप, स्प्रिंकलर एवं मिनी स्प्रिंकलर संयंत्र, संरक्षित खेती योजनांतर्गत पौलीहाउस, नैटहाउस निर्माण करना, पौलीहाउस एवं नैटहाउस के अंदर सब्जी एवं फूलों की उच्च तकनीकी से खेती, प्लास्टिक मल्चिंग, जैविक खेती, वर्मी कंपोस्ट यूनिट, पैकहाउस यूनिट, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन एवं अन्य उद्यानिकी की खेती के बारे में अवगत कराया गया.

किसानों के दल को गांव ईटखेडी जिला सीहोर के अंतर्गत फल अनुसंधान केंद्र में खाद्य प्रसंस्करण इकाई पर प्रशिक्षण एवं फलों, सब्जियों, मसाले की खेती पर प्रशिक्षण दिया जाएगा. उस के बाद सीआईएई भोपाल में भ्रमण दल को उन्नत कृषि यंत्रों के बारे में अवगत कराया जाएगा.

भ्रमण दल सीहोर से इछावर में कृषि विज्ञान केंद्र में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा पुष्प फसल, जैविक खेती, सूक्ष्म सिंचाई, सब्जी, मसाला, फलों की उन्नतशील खेती के विषय में अवगत कराया जाएगा. रात्रि विश्राम किया जाएगा. इस के बाद 8   अगस्त को कृषि विज्ञान केंद्र, सीहोर में कृषि मौसम केंद्र का भ्रमण, आईईपीएसआईएनएम पर प्रशिक्षण एवं उद्यानिकी की विशिष्ट तकनीकी के बारे में बताया जाएगा.

मत्स्यपालन की सफलता से बढ़ी आय

सिवनी : प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ ले कर मछलीपालन कर अच्छी आय प्राप्त कर रहे मो. अब्दुल वहाब खान सिवनी में केंद्र व राज्य शासन द्वारा युवाओं के कौशल उन्नयन और उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन कर रहे हैं.

शासन की कल्याणकारी योजनाओं का मैदानी स्तर पर सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहा है. इन योजनाओं का लाभ ले कर बेरोजगार युवकयुवतियां विभिन्न उद्यमों का संचालन करते हुए आत्मनिर्भर हो रहे हैं. साथ ही, अपनी एक अलग पहचान भी बना रहे हैं. आज अनेकों युवा उद्यमी स्वयं बेहतर जीवन जीने के साथ ही अन्य जरूरतमंदों को रोजगार उपलब्ध करवा कर समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन रहे हैं.

ऐसा ही उदाहरण सिवनी जिले के विकासखंड बरघाट के गांव अरी के रहने वाले मो. अब्दुल वहाब खान का भी है, जिन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ ले कर मछलीपालन का काम शुरू किया. आज वे इस काम से बेहतर आय प्राप्त कर रहे हैं.

वे बताते हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ ले कर उपसंचालक, मत्स्य मरावी के मार्गदर्शन में 1.50  हेक्टेयर भूमि में तालाब बनाने का काम कराया, जिस पर मत्स्य विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 में हितग्राही मो. अब्दुल वहाब खान को तालाब निर्माण की इकाई लागत राशि 10.50 लाख रुपए पर 4.20 लाख रुपए एवं इनपुट्स इकाई लागत राशि 6.00 लाख रुपए पर राशि 2.40 लाख रुपए, इस प्रकार कुल 6.60 लाख रुपए का अनुदान दिया गया.

मत्स्य किसान मो. अब्दुल वहाब खान ने बताया कि वे उक्त भूमि में धान की खेती करते थे, जिस में लागत की अपेक्षा मुनाफा कम होता था. उन्होंने तालाब बनाने के बाद साल 2022-23 में 65,000 पंगेशियस मत्स्य बीज का संचयन किया था, जिस से 55 मीट्रिक टन पंगेशियस मछली का उत्पादन हुआ. उत्पादित मत्स्य को हितग्राही द्वारा औसत 90 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बाजार में बेचा गया, जिस से उन्हें शुद्ध आय तकरीबन 9 लाख प्रति हेक्टेयर प्राप्त हुई.

इसी तरह मो. अब्दुल वहाब खान ने साल 2023-24 में 1.00 लाख पंगेशियस मत्स्य बीज का संचयन किया. वर्तमान समय तक उन के द्वारा 5 मीट्रिक टन मछली का विक्रय किया जा चुका है एवं 80-85  मीट्रिक टन पंगेशियस मछली के उत्पादन की उम्मीद है.

चूंकि पंगेशियस मछली के पालन में प्रोटीनयुक्त पूरक आहार का उपयोग किया जाता है एवं एक किलोग्राम मछली के उत्पादन में लगभग 1.50 किलोग्राम पूरक आहार की आवश्यकता होती है.

हितग्राही मो. अब्दुल वहाब खान ने बताया कि मछली के उत्पादन में लगने वाले कुल लागत के बाद उन्हें प्रति हेक्टयर 11-12 लाख का आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है.

किसान सम्मान निधि के तहत 20,000 करोड़  की 17वीं किस्त जारी

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पीएम-किसान के तहत लगभग 20,000 करोड़ रुपए की 17वीं किस्त जारी करने के संबंध में जानकारी दी. प्रधानमंत्री किसानों को पीएम किसान योजना की 17वीं किस्त जारी करने और कृषि सखियों के रूप में 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए 18 जून, 2024 को वाराणसी का दौरा किया.

यह कार्यक्रम केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश सरकार के कई अन्य मंत्री सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित रहे.

अपने संबोधन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभाग का दायित्व सौंपने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विकसित भारत का संकल्प पूरा करने के लिए कृषि सब से महत्वपूर्ण आधार है.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव है. आज भी रोजगार के सब से ज्यादा अवसर कृषि के माध्यम से ही सृजित होते हैं.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज किसान देश के अन्न के भंडार भर रहा है. पहले भी कृषि और किसान प्रधानमंत्री मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है, जिस के चलते किसानों के कल्याण के लिए अनेकों कदम उठाए गए और अभी भी प्रधानमंत्री मोदी ने पद ग्रहण करने के बाद सब से पहले किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त किसानों को जारी करने के लिए हस्ताक्षर किए.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने सब से पहले कार्यक्रम में पीएम किसान की बहुप्रतीक्षित 17वीं किस्त, 20,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि, 9.26 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसानों को प्रधानमंत्री द्वारा वाराणसी से बटन के एक क्लिक से वितरित की गई.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान सम्मान निधि 24 फरवरी, 2019 को शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिस का उद्देश्य उच्च आय की स्थिति के कुछ बहिष्करण मानदंडों के अधीन सभी भूमिधारक किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करना है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि लाभार्थियों के पंजीकरण और सत्यापन में पूरी तरह से पारदर्शिता बनाए रखते हुए, भारत सरकार ने देशभर में अब तक 11 करोड़ से अधिक किसानों को 3.04 लाख करोड़ रुपए से अधिक का वितरण किया है और इस रिलीज के साथ ही, योजना की शुरुआत से लाभार्थियों को हस्तांतरित कुल राशि 3.24 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगी.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 18 जून को अन्नदाताओं की खुशहाली के लिए कई केंद्रीय मंत्री किसानों से बात करने और उन में विभाग की विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 50 केवीके का दौरा करेंगे और वर्चुअली कार्यक्रम से जुड़ेंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि देशभर से लगभग 2.5 करोड़ किसान इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. किसानों में जागरूकता पैदा करने के लिए देशभर से 732 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), 1.0 लाख से अधिक प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां और 5.0 लाख कौमन सर्विस सैंटर (सीएससी) भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री  का संकल्प है 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का, जिस में से लगभग एक करोड़ लखपति दीदी बन चुकी हैं, 2 करोड़ और बनानी हैं. उसी का एक आयाम है कृषि सखी.

उन्होंने कहा कि किसानों की सहायता के लिए कई बहनों को प्रशिक्षण दे कर तैयार किया है, ताकि वे खेती में अलगअलग कामों के माध्यम से किसानों का सहयोग कर सकें और लगभग 60-80 हजार रुपए तक की सालाना अतिरिक्त आय अर्जित कर पाएं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम किसान की किस्त जारी करने के कार्यक्रम के साथसाथ प्रधानमंत्री मोदी 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को कृषि सखियों के रूप में प्रमाणपत्र भी प्रदान करेंगे और एक प्रतीक के रूप में प्रधानमंत्री 5 कृषि सखियों को प्रमाणपत्र वितरित करेंगे.

उन्होंने कहा कि कृषि सखी कार्यक्रम को चरण-1 में 12 राज्यों गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मेघालय में शुरू किया गया है. आज तक, 70,000 में से 34,000 से अधिक कृषि सखियों को पैराएक्सटेंशन वर्कर के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि सखियों को कृषि पैराविस्तार कार्यकर्ताओं के रूप में इसलिए चुना जाता है, क्योंकि वे विश्वसनीय सामुदायिक संसाधन व्यक्ति और अनुभवी किसान हैं. कृषि सखियों को पहले से ही विभिन्न कृषि पद्धतियों में व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त है, जिस से वे साथी किसानों को प्रभावी ढंग से सहायता और मार्गदर्शन देने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए हैं.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से देशभर के किसानों के परिवारों के बैंक खातों में हर 4 महीने में 3 समान किस्तों में 6,000 रुपए हर साल का वित्तीय लाभ हस्तांतरित किया जा रहा है, तो वहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 4 करोड़ से ज्यादा किसानों को आर्थिक सुरक्षा की गारंटी दी गई है.

उन्होंने प्रसन्नता जताई कि वैश्विक कीमतों में उछाल के बावजूद भी किसानों को 11 लाख करोड़ की सब्सिडी उपलब्ध करा कर सस्ती दरों पर खाद उपलब्ध कराने का काम निरंतर जारी है.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण डीडी, डीडी किसान, माय गोव, विकास खंड कार्यालय से ले कर ग्राम पंचायतों, यूट्यूब, फेसबुक, अलगअलग कृषि विज्ञान केंद्रों में और देशभर के 5 लाख से अधिक कौमन सर्विस पर भी किया जाएगा.

उन्होंने किसानों से अपील की कि वे इस कार्यक्रम में किसी भी माध्यम से सीधे भाग ले कर कार्यक्रम से और प्रधानमंत्री मोदी से जुड़ें. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव मनोज आहूजा, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव  हिमांशु पाठक भी उपस्थित रहे.

पशुधन विभाग में मिलेगा सवा लाख लोगों को रोजगार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि राजधानी लखनऊ में आयोजित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के तहत पशुधन विभाग में 2,131.65 करोड़ रुपए की 532 निवेश परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई. इन परियोजनाओं के मूर्तरूप लेने से 1,23,167 लोगों को रोजगार प्राप्त होगा.

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि सेरेमनी में 1250 करोड़ रुपए की परियोजनाओं के आधारशिला का लक्ष्य था, जिस के सापेक्ष 180 फीसदी ज्यादा सफलता प्राप्त हुई है.

मंत्री धर्मपाल सिंह विधानसभा भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के अंतर्गत पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग की निवेश परियोजनाओं की समीक्षा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि 532 निवेशक परियोजनाओं में से अयोध्या मंडल में सर्वाधिक 111 परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई है. क्षेत्रवार इन्वेस्ट उत्तर प्रदेश के अंतर्गत जेबीसी में पूर्वांचल में 229, मध्यांचल में 145, पश्चिमांचल में 114 और बुंदेलखंड में 44 निवेशकों द्वारा विशेष रुचि दिखाई गई है.

उन्होंने आगे बताया कि एनीमल हसबेंडरी इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमैंट फंड, पोल्ट्री सैक्टर और नेशनल लाइव स्टाक मिशन के क्षेत्र में निवेश किया गया है. साथ ही, उत्तर प्रदेश में ब्रीडिंग फाम्र्स के प्रति निवेशकों द्वारा विशेष आकर्षण दिखाया गया है, जिस से प्रदेश में उन्नत नस्ल व प्रजाति के दुधारू पशु प्राप्त होंगे, इस से दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में तीव्र वृद्धि होगी और किसानों एवं पशुपालकों की आय बढ़ेगी.

प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि डेयरी क्षेत्र में 10,021.66 करोड़ रुपए की 253 परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई. परियोजनाओं के पूरे होने पर 25,338 लोगों को रोजगार मिलेगा. उन्होंने कहा कि बरेली में सर्वाधिक 1,002 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है, जो ऐतिहासिक है.

इसी तरह बागपत जिले में 800 करोड़ रुपए का निवेश उल्लेखनीय उपलब्धि है. इन के अलावा जनपद में बाराबंकी में 600 करोड़ रुपए, हापुड़ में 502 करोड़ रुपए, मेरठ में 450 करोड़ रुपए, बुलंदशहर में 422.70 करोड़ रुपए, कानपुर देहात में 410 करोड़ रुपए और शाहजहांपुर में 300 करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है.

मंत्री धर्मपाल सिंह ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में प्रदेश की कानून व्यवस्था सुदृढ़ हुई है, जिस से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है. इसी का परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश में बड़ी तादाद में निवेश हो रहा है. प्रदेश को 01 ट्रिलियन डालर इकोनौमी बनाए जाने एवं आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में जीबीसी का महत्वपूर्ण योगदान है. उन्होंने लक्ष्य से अधिक निवेश प्राप्त करने के लिए विभाग के अधिकारियों की प्रसंशा की और उन्हें प्रोत्साहित किया.

इस अवसर पर पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे ने कहा कि पशुधन मंत्री के मार्गदर्शन में दुग्ध उत्पादन के साथसाथ पशुपालन के क्षेत्र में विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रम क्रियान्वित किए जा रहे हैं, जिस से किसानों एवं पशुपालकों की आय बढ़ रही है. प्रदेश में पशुधन एवं डेयरी क्षेत्र में अपार नई संभावनाएं हैं, जिस से निवेशक आकर्षित हो रहे हैं.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश दुग्ध नीति-2022 के तहत निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, जिस से डेयरी सैक्टर में अधिकाधिक लाभ सुनिश्चित किया जाना संभव हो रहा है और उस में निहित व्यावसायिक लाभों की जानकारी किसानों और पशुपालकों को भी मिल रही है.

बैठक में पशुधन विभाग के विशेष सचिव देवेंद्र पांडेय, अमर नाथ उपाध्याय, रिाम सहाय यादव, दुग्ध आयुक्त शशिभूषण लाल सुशील, पीसीडीएफ के प्रबंध निदेशक आनंद कुमार, निदेशक पशुपालन सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

कृषि क्षेत्र में रोजगार की कमी नहीं

उदयपुर : पाताल से आकाश तक ही नहीं, बल्कि इस से आगे अंतरिक्ष तक कृषि का साम्राज्य है. कृषि वैज्ञानिक दिनरात इस सच को मूर्त रूप देने में जुटे हैं. युवा और कृषि भारत के लिए चुनौती नहीं, बल्कि एक सुअवसर है. शून्य बजट प्राकृतिक कृषि, कार्बनिक कृषि और व्यापारिक कृषि कुछ ऐसे कृषि के चुनिंदा प्रकार हैं, जो युवाओं को खूब आकर्षित कर रहे हैं. युवा इस क्षेत्र में उद्यमशीलता और नवाचार के द्वारा आमूलचूल परिवर्तन ला रहे हैं.

यदि किसान पढ़ेलिखे हों, तो मौसम, मिट्टी, जलवायु, बीज, उर्वरक, कीटनाशक और सिंचाई संबंधी सटीक जानकारी रखते हुए भरपूर पैसा कमा सकते हैं यानी कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जहां रोजगार की कोई कमी नहीं है और नवागंतुक बच्चों को 10वीं-12वीं में ही कृषि विषय ले कर अपनी और अपने देश की तरक्की का रास्ता अपनाना चाहिए.

यह बात पिछले दिनों यहां शेर-ए-कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, जम्मू के पूर्व कुलपति डा. जेपी शर्मा राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में एकदिवसीय कृषि शिक्षा मेले में आए कृषि छात्रों को संबोधित कर रहे थे.

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के तत्वावधान में राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत आयोजित इस मेले में 20 स्कूलों के छात्रछात्राओं के अलावा उन के प्राचार्य व स्टाफ ने भी भाग लिया, ताकि उच्च माध्यमिक स्तर पर विषय चयन में विधार्थियों का बेहतर मार्गदर्शन कर उन्हें कृषि जैसे रोजगारपरक विषय से जोड़ा जा सके.

Agrieducationउन्होंने आगे कहा कि कृषि छात्र आईआईटी, आईआईएम, सिविल सर्विसेज, आईसीएआर, एसएयू, राज्य सरकार एवं बैंकों आदि में अपना भविष्य बना सकते हैं.

उन्होंने कहा कि कोरोना काल हो या आर्थिक मंदी का दौर भारत कृषि आधरित देश होने की वजह से कभी पिछड़ा नहीं, बल्कि इन संकटकालीन स्थितियोें में जहां तकनीकी आधरित देशों में जीडीपी माइनस में चली गई, वहीं भारत ने कृषि में 3.4 फीसदी वृद्धि की.

कृषि में नई क्रांति की जरूरत

उन्होंने कहा कि भारत की 50 फीसदी आबादी कृषि से ही जीविकोपार्जन करती है. कृषि को फिर से एक नई क्रांति की जरूरत है और देश के युवाओं द्वारा कृषि क्रांति का आधार भी तैयार हो चुका है. आज का पढ़ालिखा युवा फूड प्रोसैसिंग, वेल्यू एडिशन, टैक्नोलौजी और मार्केटिंग को भलीभांति जानता है. गांव में ही प्रोसैसिंग हो, पैकेजिंग हो और वहीं से सीधे बाजार तक सामान पहुंचे तो युवाओं को खेतीकिसानी से कोई परहेज नहीं होगा.

अनेक कृषि क्षेत्र हैं युवा किसानों के लिए

युवा किसान ऐसे हैं, जिन का अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लिंक स्थापित है और वे अच्छाखासा मुनाफा कमा रहे हैं. उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे युवा, जो कि आईआईटी, आईआईएम आदि के छात्र भी कृषि आधरित उद्योगों की ओर बढ़ रहे हैं.

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि कृषि में पढ़ेलिखे युवाओं के आने से युवा आत्मनिर्भर बनेंगे, युवाओं के आत्मनिर्भर होने से देश आत्मनिर्भर होगा और अंततः राष्ट्र का कल्याण होगा.

उन्होंने आगे कहा कि फलफूलों की खेती, मशरूम की खेती, पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन, मिल्क प्रोडक्ट तैयार करना, ग्राफ्टेड फलों की पौध तैयार करना, खादबीज की दुकान लगाना, कुक्कटपालन, मधुमक्खीपालन, सजावटी पौधों की नर्सरी खोलना, खाद्य प्रसंस्करण और आंवला, तिलहन, दहलन की प्रोसैसिंग यूनिट लगा कर शिक्षित युवा अपना, परिवार का और देश का भविष्य संवार सकते हैं. यही नहीं, कई लोगों को रोजगार भी मुहैया कर सकते हैं.

कृषि विश्वविद्यालयों की अहम भूमिका

Agrieducationकृषि क्षेत्र में अनुसंधान भी बहुत जरूरी है. युवाओं को कृषि से जोड़ने के लिए देशभर में वर्तमान में 73 कृषि विश्वविद्यालय प्रयासरत हैं, जहां कृषि की पढ़ाई गुणवत्तापूर्ण तरीके से हो रही है. भारत का इजरायल के साथ कृषि शोध को ले कर करार हुआ है.

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि आज भारत की कुल जनसंख्या में 27.3 फीसदी युवा आबादी है यानी 37.14 करोड़ युवाओं के साथ भारत सब से अधिक युवाओं वाला देश है. यदि वैज्ञानिक पद्दति से कालेज स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाए, कुटीर एवं घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिले तो पैसों की चाहत में युवा वर्ग भी कृषि क्षेत्र में पूरे जुनून से जुड़ेगा.

विशिष्ट अतिथि राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उदयपुर की निदेशक कविता पाठक ने भी विधार्थियों को कृषि विषय रोजगारपरक बताते हुए अधिकाधिक विद्यार्थियों को कृषि विषय में अपना भविष्य संवारने का आह्वान किया.

उन्होंने स्कूली पाठ्यक्रम निर्धारण में भी कक्षा-7 व 8 से कृषि संबंधी पाठ का समावेश करने पर जोर दिया, ताकि छात्रछात्राओं को विषय चयन की प्रेरणा शुरू से ही मिल सके.

डा. पीके सिंह, समन्वयक एनएएचईपी ने बताया कि इस वर्ष विश्वविद्यालय के 71 छात्र एवं 11 प्राध्यापकों को प्रशिक्षण हेतु अमेरिका, आस्ट्रेलिया एवं थाईलैंड भेजा गया व दिसंबर, 2023 तक 50 और विद्यार्थियों को भेजा जाएगा.

कार्यक्रम के आरम्भ में डा. मीनू श्रीवास्तव, अधिष्ठाता ने सभी का स्वागत किया और मेले के महत्व को बताया