Potato Digger : पोटैटो डिगर से करें आलुओं की खुदाई

Potato Digger : आलू की फसल तैयार होने के बाद आलू की खुदाई करने का काम भी काफी मशक्कत वाला होता है, क्योंकि खेतिहर मजदूरों की कमी हर तरफ हो रही है. अगर मजदूर मिलते भी हैं, तो उन में ज्यादातर अकुशल होते हैं. अकुशल मजदूर आलू की खुदाई ठीक से नहीं कर पाते, जिस से काफी आलू कट जाते हैं और मंडी में आलू की कीमत अच्छी नहीं मिलती .

इसी काम को अगर आलू खोदने वाली मशीन (Potato Digger) से किया जाए तो कम समय और कम खर्च में, अधिक जमीन से आलू की खुदाई कर सकते हैं. मशीन के द्वारा आलू खुदाई करने पर आलू साफसुथरा भी निकलता है. उस के बाद आने वाली फसल की बोआई भी समय पर कर सकते हैं. आलू खुदाई यंत्र को पोटैटो डिगर भी कहते हैं.

जब किसान को लगे कि आलू की फसल खुदाई करने लायक हो गई है, तो आलू के पौधों को ऊपर से काट दें या उस तैयार आलू फसल पर खरपतवारनाशी दवा का छिड़काव कर दें, ताकि पौधों के पत्ते सूख जाएं और फसल खुदाई करने लायक हो जाए.

Potato Digger

आलू खुदाई यंत्र

केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान द्वारा तैयार आलू खुदाई यंत्र (Potato Digger)  एक साथ 2 लाइनों की खुदाई करता है. यंत्र में 2 तवेदार फाल लगे होते हैं, जो मिट्टी को काटते हैं. इस में नीचे एक जालीदार यंत्र भी लगा होता हैं, जो मिट्टी में घुस कर आलू को मिट्टी के अंदर से निकाल कर बाहर करता है. इस के साथ ही इस यंत्र पर एक बेड लगा होता है, जिस पर आलू जाल के घेरे से निकल कर गिरते हैं. यह बेड लगातार हिलता रहता है. इस बेड के हिलने से मिट्टी के ढेले टूट कर गिरते रहते हैं और साफ आलू खेत में मिट्टी की सतह पर गिरते हुए निकलते हैं. इस के बाद मजदूरों की सहायता से आलुओं को बीन कर खेत में जगहजगह इकट्ठा कर लिया जाता है और आखिर में सभी ढेरों से आलू इकट्ठा कर के एक जगह बड़ा ढेर बना लिया जाता है.

संस्थान द्वारा निर्मित पोटैटो डिगर (Potato Digger) की कीमत तकरीबन 40,000 रुपए है, जिस पर सरकार द्वारा 25 फीसदी तक का अनुदान भी मिलता है. इस के बाद यह यंत्र मात्र 30,000 रुपए में पड़ता है. इस यंत्र को 35 हार्स पावर के ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर चलाया जाता है. 1 हेक्टेयर जमीन की आलू खुदाई में 3 घंटे का समय लगता है और 12 लीटर डीजल की खपत होती है. इस यंत्र की अधिक जानकारी के लिए आप केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, नवी बाग भोपाल से संपर्क कर सकते हैं या अपने नजदीकी कृषि विभाग से भी आलू खुदाई यंत्र के बारे में जानकारी ले सकते हैं. अनेक अन्य कृषि यंत्र निर्माता भी यह मशीन बना रहे हैं. इस बारे में अपने इलाके में पता किया जा सकता है.

प्रकाश पोटैटो डिगर

नवभारत इंडस्ट्रीज की प्रकाश आलू खुदाई मशीन (Potato Digger) भी भारत की श्रेष्ठ मशीन है.

यह मशीन सभी प्रकार के आलुओं की खुदाई के लिए उत्तम है. यह 1 बार में 2 मेड़ों की ही खुदाई करती है. इसे 35 एचपी या उस से अधिक शक्ति वाले ट्रैक्टर के साथ चलाया जाता है. मशीन में डबल जाल लगा होने के कारण आलू भी साफ निकलते हैं.

प्रकाश आलू खुदाई यंत्र के सभी कलपुर्जे सीएनसी द्वारा बने होने के कारण लंबे समय तक चलते हैं और मशीन पर उत्तम क्वालिटी का पेंट भी किया होता है.

यंत्र की कीमत तकरीबन 65,000 रुपए है. नवभारत इंडस्ट्रीज के प्रकाश ब्रांड के कृषि यंत्र आज कृषि के क्षेत्र में अच्छी पकड़ बना रहे हैं.

आप भी अगर इन के यंत्र खरीदना चाहते हैं, तो इन के मोबाइल नंबर 09897591803 या कंपनी के फोन नंबर 0562-4042153 पर बात कर सकते हैं.

Potato Digger

स्वान एग्रो का पोटैटो डिगर

स्वान एग्रो का भी पोटैटो डिगर बाजार में मौजूद है,  इस कंपनी से जुड़े सुनील राठी ने हमें बताया कि इस मशीन में 56 इंच और 42 इंच के बैड लगे होते हैं. इस से 2 लाइनों में आलुओं की खुदाई होती है. इस यंत्र को 45 एचपी के ट्रैक्टर से जोड़ कर चलाया जा सकता है. इस यंत्र की कीमत 85,000 रुपए है.

इस यंत्र के बारे में आप कंपनी के फोन नंबरों 91-161-2533186, 4346000-10 या सुनील राठी के मोबाइल नंबर 09050137100 पर फोन कर के जानकारी ले सकते हैं.

महेश एग्रो वर्क्स, झज्जर से महेश कुमार ने बताया कि यह पोटैटो डिगर उन के पास भी मौजूद है. वे ठेके पर भी आलू की खुदाई करते हैं.

अगर कोई उन से मशीन खरीदना चाहे या आलू खुदवाना चाहे तो उन के मोबाइल नंबरों 08901534610 या 9991534610 पर संपर्क कर सकता है.

आलू के पौधों पर मिट्टी चढ़ाने वाली मशीन

(डोरा या कुल्पा मशीन)

अगर आलू के पौधों पर मिट्टी चढ़ाने का समय है, तो इस काम को भी आप मशीन से कर सकते हैं.

इंदौर के श्री बजरंग मशीन शाप के ऋषभ चौहान ने बताया कि वे आलू की फसल पर मिट्टी चढ़ाने वाली मशीन पिछले कई सालों से बना रहे हैं, जिसे 6 हार्स पावर के जर्मन इंजन के साथ करीब 70,000 रुपए में बेचते हैं. इस कीमत में 35,000 रुपए तो इंजन की कीमत के ही शामिल हैं. बिना इंजन के यह मशीन 45,000 में मिलती है. कीमत में उतारचढ़ाव भी हो सकता है. इंजन में 1 घंटे में तकरीबन 3 लीटर तेल की खपत होती है. अधिक जानकारी के लिए आप मोबाइल नंबर 08817073746 पर बात कर सकते हैं.

potato

ग्रेडिंग मशीन से करें आलू छंटाई

* आलुओं के अलगअलग साइजों की छंटाई कर के उन्हें अलग कर लें. बीज के लिए भी आलू अलग छांट लें. आलुओं को शुगर फ्री चैंबर में भंडारित करें. शुगर फ्री आलू का बाजार मूल्य अधिक मिलता है.

* आलुओं की छंटाई का काम आप ग्रेडिंग मशीन से भी कर सकते हैं. महावीर जांगड़ा ने एक ग्रेडिंग मशीन बनाई है, जो आलू के अलावा किन्नू व संतरा जैसे फलों की भी ग्रेडिंग करती है. गे्रडिंग मशीन की जानकारी के लिए महावीर जांगड़ा के मोबाइल नंबर 09896822103 पर भी संपर्क कर सकते हैं.

Agricultural Machines : कृषि मशीनों का करें इस्तेमाल

Agricultural Machine: गाजर बिजाई के लिए मजदूरों की कमी से परेशान किसानों के लिए खुशखबरी है कि अब उन्हें गाजरमूली और दूसरी सब्जियों की बिजाई के लिए अधिक समय और पैसा नहीं खर्च करना पड़ेगा. इस के लिए तमाम कृषि यंत्र बाजार में मौजूद हैं. हरियाणा के अमन विश्वकर्मा इंजीनियरिंग वर्क्स के मालिक महावीर प्रसाद जांगड़ा ने खेती में इस्तेमाल की जाने वाली तमाम मशीनें बनाई हैं, जिन में गाजर बोने के लिए गाजर बिजाई मशीन भी शामिल है.

बैड प्लांटर व मल्टीक्रौप बिजाई मशीन

यह मशीन बोआई के साथसाथ मेंड़ भी बनाती है. इस मशीन से गाजर के अलावा मूली, पालक, धनिया, हरा प्याज, मूंग, अरहर, जीरा, गेहूं, लोबिया, भिंडी, मटर, मक्का, चना, कपास, टिंडा, तुरई, फ्रांसबीन, सोयाबीन, टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, सरसों, राई और शलगम जैसी तमाम फसलें बोई जा सकती हैं.

मशीन से करें गाजर की धुलाई

खेत से निकालने के बाद गाजरों की धुलाई का काम भी काफी मशक्कत वाला होता है, जिस के लिए मजदूरों के साथसाथ ज्यादा पानी की जरूरत भी होती है. जिन किसानों के खेत किसी नहर आदि के किनारे होते हैं, उन्हें गाजर की धुलाई में आसानी हो जाती है. इस के लिए वे लोग नहर के किनारे मोटर पंप के जरीए पानी उठा कर गाजरों की धुलाई कर लेते हैं. लेकिन सभी को यह फायदा नहीं मिल पाता. महावीर जांगड़ा ने जड़ वाली सब्जियों की धुलाई करने के लिए भी मशीन बनाई है. इस धुलाई मशीन से गाजर, अदरक व हलदी जैसी फसलों की धुलाई आसानी से की जाती है. इस मशीन से कम पानी में ज्यादा गाजरों की धुलाई की जा सकती है. इस मशीन को ट्रैक्टर से जोड़ कर आसानी से इधरउधर ले जाया जा सकता है.

लोगों में इंजीनियर के नाम से चर्चित महावीर प्रसाद जांगड़ा को राह ग्रुप बेस्ट इंजीनियर का अवार्ड मिल चुका है. कृषि विभाग, हरियाणा सरकार व दूसरी सामाजिक संस्थाओं की ओर से वे कई बार सम्मानित हो चुके हैं.

इस मशीन के बारे में यदि आप ज्यादा जानना चाहते हैं, तो अमन विश्वकर्मा इंजीनियरिंग वर्क्स के फोन नंबरों 09896822103, 09813048612, 01693-248612 व 09813900312 पर बात कर सकते हैं.

Rice Planter : बड़े काम का धान रोपने का यंत्र

Rice Planter: आमतौर पर धान की खेती करने के लिए धान पौध की रोपाई परंपरागत तरीकों से की जाती है. हाथ से रोपाई करने का काम बहुत थकाने वाला होता है. धान की रोपाई में कई घंटों तक झुक कर रोपाई करनी होती है, जिस से बहुत परेशानी होती है. दूसरी तरफ आजकल मजदूरों की भी काफी कमी है. इन सब परेशानियों से बचने के लिए अब ज्यादातर किसान धान की रोपाई हाथ की जगह मशीनों से कर रहे हैं.

धान की रोपाई के लिए कई तरह के रोपाई यंत्र बाजार में मौजूद हैं. इन में हाथ से ले कर पैट्रोलडीजल से चलने वाले प्लांटर तक मौजूद हैं, जो 4, 6 और 8 कतारों में धान की रोपाई करते हैं. इन से रोपाई करने पर समय की बचत होती है और लागत भी कम आती है. रोपाई यंत्र एक निश्चित दूरी पर पौधों की रोपाई करता है, जिस से पैदावार अच्छी मिलती है.

धान रोपाई की सेल्फ प्रोपैल्ड

मशीन (चीनी डिजाइन)

आज के समय में किसानों में यह यंत्र खास पसंद किया जा रहा है. यह 8 कतारों में धान की बोआई करता है. यह धान की पौध को उठा कर बोआई करता है. इस में 3 एचपी का डीजल इंजन लगा होता है.

इस से कतार से कतार की दूरी 10-12 सेंटीमीटर रखी जा सकती है. साथ ही, मशीन के हैंडल को दाएंबाएं भी घुमाया जा सकता है व पौध रोपने के लिए यंत्र की गहराई को भी बढ़ायाघटाया जा सकता है.

1 दिन में यह 1 हेक्टेयर खेत में धान की रोपाई कर सकता है. इस की कीमत करीब 1,25,000 रुपए के आसपास है.

जापानी पैडी प्लांटर

इस जापानी पैडी प्लांटर से मात्र 1 लीटर पैट्रोल से महज डेढ़ घंटे में 1 एकड़ खेत में धान की रोपाई की जा सकेगी. इस मशीन की खासीयत यह है कि अकेला किसान ही इस मशीन को चला सकता है.

मध्य प्रदेश सरकार ने पैडी प्लांटर मशीन के जरीए धान की रोपाई करने को बढ़ावा देने के लिए खास योजना भी बनाई है. मध्य प्रदेश के कृषि विभाग द्वारा इस मशीन का डेमो भी दिया जा रहा है.

मध्य प्रदेश के कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अभी पैडी प्लांटर की कीमत 2 लाख, 50 हजार रुपए है. सरकार किसानोें को 1 लाख, 44 हजार रुपए तक की अधिकतम सब्सिडी देगी. किसानों को महज 1 लाख, 06 हजार रुपए ही देने होंगे.

पैडी प्लांटर से संबंधित अधिक जानकारी के लिए कुबोटा स्वप्निल से उन के मोबाइल नंबर पर 08754569228 पर बात कर सकते हैं.

महेंद्रा एंड महेंद्रा का पैडी प्लांटर

कृषि यंत्रों को बनाने वाली इस कंपनी की भी धान रोपाई की स्वचालित मशीन मौजूद है. यह मशीन 1 घंटे में 1 एकड़ खेत में धान की रोपाई करती है, जिस में 2 लीटर पैट्रोल की खपत होती है. इस मशीन को चलाने के लिए 2 व्यक्तियों की जरूरत होती है.

आरसी एग्रो का पैडी प्लांटर

इस कंपनी में काम करने वाले आशीष गुप्ता ने बताया कि उन के पास इस धान रोपाई यंत्र के 2 मौडल मौजूद हैं.

पहला मौडल 6 लाइनों में धान की रोपाई करता है. रोपाई करते समय पौधे से पौधे की दूरी घटाईबढ़ाई जा सकती है, जो अधिकतम 12 इंच तक कर सकते हैं. इस मौडल में 4 स्पीड गियर हैं. इस मशीन में 6.5 हार्सपावर का डीजल इंजन लगा होता है. मशीन से काम करने के लिए 3 लोगों की जरूरत होती है. एक मशीन को चलाता है और उस के सहयोगी रोपाई की देखभाल के लिए साथ रहते हैं. तीनों के लिए प्लांटर पर बैठने की जगह भी होती है. मशीन की कीमत 1 लाख, 60 हजार रुपए से ले कर 1 लाख, 80 हजार रुपए तक है.

दूसरा मौडल 8 लाइनों में रोपाई करता है. इस मौडल में भी पौधे से पौधे की दूरी घटाईबढ़ाई जा सकती है. इस मशीन की कीमत 1 लाख, 85 हजार रुपए है. मशीन में हाइड्रोलिक सिस्टम होने के कारण कीमत में उतारचढ़ाव होता है.

आरसी एग्रो कंपनी पारंपरिक खेती को आधुनिक खेती की ओर अग्रसर करने की दिशा में काम कर रही है. यह कंपनी किसानों के लिए कंबाइन हार्वेस्टर, हैंड हार्वेस्टर व बेलर (बंडल बनाने की मशीन) जैसे कृषि यंत्र बनाती है. अधिक जानकारी के लिए किसान कंपनी के फोन नंबरों 91-7714062177, 2582431 व मोबाइल नंबर 9425513061 पर बात कर सकते हैं या कंपनी के कर्मचारी आशीष गुप्ता से उन के मोबाइल नंबर 09827162692 पर संपर्क कर सकते हैं.

लहसुन (Garlic) उखाड़ने की मशीन से काम हुआ आसान

Garlic : राजस्थान के जोधपुर जिले का मथानिया गांव उम्दा खेतीकिसानी के लिए जाना जाता है. मथानिया की लाल मिर्च के नाम से इस गांव के खेतों में उपजी मिर्च की मांग विदेशों तक थी. फिर किसानों द्वारा फसलचक्र को तवज्जुह न देने की वजह से यहां की मिर्ची की खेती तमाम रोगों का शिकार हो गई. लेकिन धीरेधीरे किसान जागरूक हुए हैं और कुदरत के नियमों का पालन कर रहे हैं. अब इस इलाके में मिर्च के अलावा गाजर, पुदीना और लहसुन की खेती भी जोरों पर है.

लहसुन (Garlic) की खेती में यहां के किसानों को शिकायत थी कि जब वे लहसुन (Garlic) को खेत में से उखाड़ने का काम करते हैं, तो उन के हाथ खराब हो जाते हैं. हाथ फटने और नाखूनों में मिट्टी चले जाने के कारण अगले दिन खेत में जा कर मेहनत करना कठिन होता था.

किसान मदन सांखला ने इस समस्या को चैलेंज के रूप में स्वीकारते हुए लहसुन की फसल निकालने के लिए एक मशीन बनाने की सोची. मदन को किसान होने के साथसाथ अपने बड़े भाई अरविंद के लोहे के यंत्र बनाने के कारखाने में मिस्त्री के काम का अनुभव भी था. उस ने अपने अनुभव के आधार पर जो मशीन बनाई, उसे काफी बदलावों के बाद कुली मशीन नाम दिया, चूंकि लहसुन में कई कुलियां होती हैं.

लहसुन (Garlic) की खेती में 1 मजदूर दिन भर में 100 से 200 किलोग्राम लहसुन ही खेत से उखाड़ (निकाल) पाता है. दिन भर की मेहनत के बाद अगले दिन खेत में मजदूरी करना सब के बस की बात नहीं रहती थी. इस तरह से लागत बढ़ने लगी और हम लोग लहसुन को कम महत्त्व देने लगे.

‘समस्या के हल के लिए हम ने लहसुन (Garlic) को लोहे की राड या हलवानी से निकालना शुरू किया. इस से हमें काम में थोड़ीबहुत आसानी जरूर हुई, पर यह समस्या का अंत नहीं था. मुझे अंत तक पहुंचने की जल्दी थी.

‘तब मैं ने एक मशीन बनाई. नालीदार शेप वाले मजबूत ऐंगल से बनी हल जितनी ऊंची यह मशीन खूब लोकप्रिय हो रही है. इसे ट्रैक्टर के पीछे टोचिंग कर के इस्तेमाल किया जाता है. यह एक एडजस्टेबल मशीन है. खेत में मिट्टी के हिसाब से लहसुन की गांठें कम या ज्यादा गहराई तक बैठती हैं, लिहाजा ट्रैक्टर से जोड़ कर इसे हल की तरह मनचाहे एंगल पर खेत में उतारा जा सकता है. जमीन के भीतर रहने वाले हिस्से में एक आड़ी पत्ती (ब्लेड) लगी रहती है, जिसे जमीनतल के समानांतर न रख कर थोड़ा टेढ़ा रखा गया है. यह आड़ी पत्ती मजबूत लोहे की बनी होती है.

मशीन की पत्ती जमीन में 7-8 इंच या 1 फुट तक गहरी जाती है और मिट्टी को नरम कर देती है. इस से फायदा यह होता है कि लहसुन को ढीली पड़ चुकी मिट्टी से बाद में आसानी से इकट्ठा किया जा सकता है. लहसुन रहता मिट्टी के अंदर ही है, बाहर निकलने और धूप में खराब होने का अब डर नहीं है.

पहले हाथ से लहसुन (Garlic) निकालने पर पूरे दिन में 1 लेबर 5 क्यारियों से लहसुन निकाल पाता था. गौरतलब है कि 1 बीघे में 100 क्यारियां होती हैं. इस मशीन के नतीजे चौंकाने वाले हैं. इसे ट्रैक्टर से जोड़ कर 1 बीघे का लहसुन महज 15 मिनट में उखाड़ लिया जाता है.

(Garlic)

हाथ से लहसुन उखाड़ने के दौरान करीब 3 से 4 फीसदी लहसुन जमीन में ही रह जाता था. किसान या मजदूर चाहे कितना भी अनुभवी क्यों न हो, लहसुन टूट कर जमीन में रह ही जाता था. इस के अलावा पत्तों समेत उखाड़े जाने वाले लहसुन की कुलियों (गांठों) को खराब होने से बचाने के लिए तुरंत ही इकट्ठा कर के छाया में सुखाना पड़ता था. इस काम की मजदूरी भी देनी पड़ती थी.

अब 1 लेबर 1 दिन में 1 बीघे यानी 100 क्यारियों में से लहसुन उखाड़ सकता है. इस मशीन से वक्त की बचत हुई है और दाम भी अच्छे मिलने लगे हैं. राजस्थान के कोटा में लहसुन ज्यादा होता है, इसलिए वहां इस मशीन की मांग ज्यादा है.

पहले हाथ से लहसुन निकालने पर उसे खराब होने से बचाने के लिए बोरी से ढक कर रखना पड़ता था. अब यह फायदा है कि लहसुन रहता तो जमीन में ही है, बस मिट्टी नर्म हो जाती है, इसलिए इसे जरूरत के मुताबिक निकाला जा सकता है. इस मशीन की लागत 13000 से 15000 रुपए के बीच आती है.

ज्यादा जानकारी के लिए किसान निम्न पते पर संपर्क कर सकते हैं:

मदन सांखला, मार्फत विजयलक्ष्मी इंजीनियरिंग वर्क्स, राम कुटिया के सामने, नयापुरा, मारवाड़ मथानिया 342305, जिला जोधपुर, राजस्थान. फोन : 09414671300.

सोर्फ मशीन (Machine) से गन्ने (sugarcane) की अच्छी पैदावार

गन्ना उगाने के मामले में भारत पहले नंबर पर है, ऐसा माना जाता है. पर इसे पूरी दुनिया में उगाया जाता है. वैसे, इसे उगाने की शुरुआत ही भारत से मानी गई है और देश में गन्ना पैदा करने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है. गन्ने की फसल को आम बोलचाल की भाषा में ईख भी कहा जाता है. इस फसल को एक बार बो कर इस से 3 साल तक उपज ली जा सकती है.

तकरीबन 50 मिलियन गन्ना किसान और उन के परिवार अपने दैनिक जीवनयापन के लिए इस फसल पर ही निर्भर हैं या इस से संबंधित चीनी उद्योग से जुड़े हुए हैं. इसलिए पेड़ी गन्ने की पैदावार में बढ़ोतरी करना बेहद जरूरी है, क्योंकि भारत में इस की औसत पैदावार मुख्य गन्ना फसल की तुलना में 20-25 फीसदी कम है. हर साल गन्ने के कुछ रकबे यानी आधा रकबा पेड़ी गन्ने की फसल के रूप में लिया जाता है.

गन्ने से अधिक उपज लेने में किल्ले की अधिक मृत संख्या, जमीन में पोषक तत्त्वों की कमी होना, ट्रेश यानी गन्ने की सूखी पत्तियां जलाना वगैरह खास कारण हैं.

इन बातों को ध्यान में रखते हुए गन्ना पेड़ी प्रबंधन के लिए ‘सोर्फ’ नाम से एक खास बहुद्देशीय कृषि मशीन मौजूद है. इस के इस्तेमाल से गन्ना पेड़ी से अच्छी फसल ली जा सकती है.

मशीन (Machine)

मशीन की खूबी : यह मशीन एकसाथ 4 काम करने में सक्षम है.

  1. पोषक तत्त्व प्रबंधन : सोर्फ मशीन गन्ने की सूखी पत्तियों वाले खेत में भी कैमिकल उर्वरकों को जमीन के अंदर पेड़ी गन्ने की जड़ों तक पहुंचाने में सहायक है.
  2. ठूंठ प्रबंधन : गन्ना फसल कटने के बाद खेत में जो ठूंठ रह जाते हैं या ऊंचेनीचे होते हैं, उन असमान ठूंठों को जमीन की सतह के पास से बराबर ऊंचाई पर काटने के लिए भी इस मशीन का इस्तेमाल किया जा सकता है.
  3. मेंड़ों का प्रबंधन : गन्ने की पुरानी मेंड़ों की मिट्टी को अगलबगल से आंशिक रूप से काट कर यह मशीन उस को 2 मेंड़ों के बीच पड़ी सूखी पत्तियों पर डाल देती है, जिस से पत्तियां गल कर खाद का काम करती हैं.
  4. जड़ प्रबंधन : ‘सोर्फ’ मशीन द्वारा गन्ने की पुरानी जड़ों को बगल से काट दिया जाता है, जिस से नई जड़ें आ जाती हैं और पेड़ी गन्ने में किल्ले की संख्या में बढ़ोतरी होती है.

सोर्फ मशीन से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय अजैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान, (समतुल्य विश्वविद्यालय), मालेगाव, बासमती 413115, पुणे (महाराष्ट्र) फोन : 02112-254057 पर जानकारी ले सकते हैं.

पावर वीडर यंत्र ( Power Weeder): निराईगुड़ाई करे आसान

खेत में खरपतवार उग जाने की समस्या सालोंसाल ही बनी रहती है, लेकिन बरसात के दिनों में खरपतवार की अधिकता हो जाती है. अगर समय रहते इसे फसल में से नहीं हटाया गया तो फसल की पैदावार में कमी आने लगती है.

जब भी किसान फसल में बेहतर पैदावार लेने के लिए खादपानी देते हैं, तो वह फसल के साथसाथ खरपतवारों की बढ़त में काफी मददगार हो जाते हैं, जो आगे चल कर उपज पर खासा असर डालता है, इसलिए जरूरी है कि समय रहते खेत की निराईगुड़ाई कर उन्हें खत्म कर दिया जाए. इस के लिए अनेक कृषि यंत्र मौजूद हैं, जो किसान की सुविधानुसार काम करते हैं.

पावर वीडर

निराईगुड़ाई के लिए पावर वीडर यंत्र (Power Weeder) लाइनों में बोई गई फसल में अच्छा काम करते हैं और इन्हें चलाने के लिए केवल एक ही आदमी की जरूरत होती है.

इस तरह के यंत्र पैट्रोल व डीजल दोनों से चलते हैं. चयन आप को करना है, जो आप की सुविधा और पहुंच में हो.

सीएएम 1जी-4.1ए पावर वीडर

कौंपीटैंट एग्रीकल्चर मशीनरी द्वारा बनाए गए इस पावर वीडर यंत्र (Power Weeder) में 196सीसी का पैट्रोलचालित 4 स्ट्रोक इंजन लगा है. बैक साइड में 24 ब्लेड के साथ 2एच रोटरी है, जिस की चौड़ाई 32 इंच तक है. 2 गियर आगे और एक गियर पीछे के लिए काम करता है.

यह पावर वीडर यंत्र (Power Weeder) 175 से 350 मिलीमीटर की गहराई तक काम करता है. इस के द्वारा जुताई का दायरा 480 मिलीमीटर तक है और यंत्र का कुल वजन 75 किलोग्राम है.

सीएएम 1डी-105 पावर वीडर

डीजल से चलने वाला यह हैवी ड्यूटी इंजन वाला पावर वीडर (Power Weeder) है, जो 9 हौर्सपावर, 4 स्ट्रोक डीजल इंजन के साथ तैयार किया गया है. डबल डीजल फिल्टर, इलैक्ट्रिक स्टार्ट, साथ ही खेती की जुताई के लिए 40 ब्लेड और डिस्क के साथ 3+1+1 रोटरी से लैस है. यह यंत्र 48 इंच तक खेती की जुताई करने में सक्षम है.

2 गियर आगे चलने के लिए और एक गियर पीछे चलने के लिए दिए गए हैं. इस यंत्र का कुल वजन 120 किलोग्राम है.

पावर वीडर यंत्र ( Power Weeder)

सीएएम 1जी-3.5ए (मिनी पावर वीडर)

कम जमीन, छोटे खेत या बागबानी के लिए यह मिनी पावर वीडर बहुत ही काम का कृषि यंत्र है. 63 सीसी 2 स्ट्रौक, एयरकूल्ड पैट्रोल से चलने वाला यंत्र है.

2.4 किलोवाट/6500 आरपीएम पर काम करने वाले इस वीडर यंत्र में 16 ब्लेड लगे हैं, जो निराईगुड़ाई और जुताई के काम को 35 सैंटीमीटर की चौड़ाई में करते हैं और काम करने की, (जुताई) गहराई 15 से 20 सैंटीमीटर तक करने में सक्षम है.

छोटी क्यारियों, कम जगह व अनेक ऐसी फसलें हैं, जिन में यह निराईगुड़ाई का काम अच्छा करता है.

सीएएम बीटी-740 पावर वीडर

10 हौर्सपावर के साथ पैट्रोल से चलने वाला 4 स्ट्रोक एयरकूल्ड इंजन से तैयार यह पावर वीडर यंत्र (Power Weeder) खेती की जुताई के लिए काफी अच्छा यंत्र है. इस में 3 गियर आगे की ओर चलने के लिए दिए गए हैं और 3 रिवर्स गियर दिए गए हैं. इस के रोटोवेटर की चौड़ाई 85 सैंटीमीटर है. इस का कुल वजन 159 किलोग्राम है. इस का रखरखाव आसान है. पावर ट्रांसमिशन के लिए बैल्ट या चेन का कोई उपयोग नहीं है.

ये सभी यंत्र किसानों के लिए खेत में खासा मददगार हैं. अधिक जानकारी के लिए नजदीक के कृषि यंत्र निर्माता से संपर्क करें या फोन नंबर 91-8650010808 पर बात की जा सकती है.

आलू की खेती और बोआई मशीन (Planting Machine)

हमारे देश में आलू की अच्छीखासी पैदावार होती है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार व गुजरात जैसे राज्य आलू की खेती करने में आगे हैं. उत्तर प्रदेश राज्य में सब से ज्यादा आलू की खेती की जाती है. कई बार आलू की खेती से किसान अच्छाखासा मुनाफा कमाते हैं, लेकिन कभीकभी यही ज्यादा पैदावार किसानों के लिए घाटे का सौदा भी बन जाती है. किसानों को चाहिए कि वे आलू की खेती करने के लिए अपने इलाके के हिसाब से बेहतर बीज का चुनाव करें और फसल समय पर बोएं. आलू की अधिकता होने पर प्रोसेसिंग की जानकारी ले कर आलू के उत्पाद बनाने की कोशिश करें. अगेती फसल बोने पर भी किसानों को मंडी से अच्छे दाम मिल जाते हैं.

उत्तर प्रदेश की जलवायु के हिसाब से आलू की तकरीबन 35 किस्में हैं, जिन में कुछ खास किस्मों के बीजों की जानकारी और फसल तैयार होने की जानकारी बाक्स में दी गई है.

खेत की तैयारी : फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए जमीन समतल और पानी के अच्छे निकास वाली होनी चाहिए. आलू की खेती के लिए अधिक उर्वरायुक्त बलुई दोमट व दोमट मिट्टी ठीक रहती है. खेत की 2-3 बार जुताई करें और पाटा चला कर खेत को समतल करें.

बोआई का समय : आलू की अगेती बोआई के लिए 15 सितंबर से मध्य अक्तूबर तक का समय ठीक होता है. बोने के 70-80 दिनों बाद आलू खोदने लायक हो जाते हैं. सामान्य फसल की बोआई के लिए मध्य अक्तूबर से 15 नवंबर तक का समय सही रहता है.

बोआई करने से पहले बीजोपचार जरूर करें. इस से जड़ वाली बीमारियों से छुटकारा मिलता है. इस के लिए बोरिक एसिड 3 फीसदी का घोल यानी 30 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाएं.

उर्वरकों का इस्तेमाल : आलू की फसल के लिए 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 100 किलोग्राम फास्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश की जरूरत प्रति हेक्टेयर होती है. अच्छी पैदावार के लिए गोबर की खाद भी डालें. यदि आप ने फसल बोने से पहले मिट्टी की जांच कराई हो और उस में जस्ता व लोहा जैसे सूक्ष्म तत्त्वों की कमी हो, तो 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 50 किलोग्राम फेरस सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से उर्वरकों के साथ बोआई से पहले खेत में डालें.

बोआई मशीन (Planting Machine)

बीजों की मात्रा : बोआई के लिए आलू के रोगरहित बीज भरोसे की जगह से खरीदें. वैसे सरकारी संस्थानों, राज्य बीज निगमों या बीज उत्पादन एजेंसियों से ही बीज खरीदना चाहिए. आमतौर पर 1 हेक्टेयर फसल बोने के लिए 30 से 35 क्विंटल बीजों की जरूरत होती है.

बोआई : आलू की बोआई करने के लिए मेंड़ से मेंड़ की दूरी 50-60 सेंटीमीटर रखें और पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखें. कई बार आलू के आकार के हिसाब से यह दूरी कम या ज्यादा भी की जाती है. आमतौर पर आलू को 8 से 10 सेंटीमीटर की गहराई पर खुरपी की सहायता से बोया जाता है, ताकि अंकुरण के लिए मिट्टी में सही नमी बनी रहे. इस के अलावा आलू बोने की मशीन पोटैटो प्लांटर से भी आलू को बोया जाता है.

पोटैटो प्लांटर से आलू की बोआई : मोगा पौटेटो प्लांटर के बारे में अमनदीप सिंह ने बताया कि मोगा इंजीनियरिंग वर्क्स के पोटैटो प्लांटर मैन्यूअल और आटोमैटिक दोनों तरह के बाजार में मौजूद हैं. पोटैटो प्लांटर 2, 3 व 4 लाइनों में आलू की बोआई करता है, लेकिन सामान्यतया 85 फीसदी लोग 2 लाइनों में बोआई करने वाले पोटैटो प्लांटर को अधिक पसंद करते हैं.

बोआई मशीन (Planting Machine)

2 लाइनों में बोआई करने वाले मैन्यूअल पोटैटो प्लांटर की कीमत तकरीबन 38000 3 लाइनों में बोआई करने वाले प्लांटर की कीमत तकरीबन 48000 और 4 लाइनों में बोआई करने वाले प्लांटर की कीमत तकरीबन 58000 रुपए होती है.

आटोमैटिक पोटैटो प्लांटर की कीमत तकरीबन 1 लाख, 20 हजार रुपए है, जिस की रोजाना आलू बोआई करने की कूवत 35 बीघे से 50 बीघे तक है. इस के अलावा 2 से 4 लाइनों तक में बोआई करने वाले आटौमेटिक प्लांटर भी मौजूद हैं.

आलू बोने की इस मशीन के बारे में आप अमनदीप सिंह से उन के मोबाइल नंबर 08285325047 पर बात कर के अधिक जानकारी ले सकते हैं.

खरपतवार नियंत्रण और मिट्टी

चढ़ाना : आलू बिजाई के 20 से 25 दिनों बाद जब पौधे 8 से 10 सेंटीमीटर ऊंचाई के हो जाएं, तो लाइनों के बीच स्प्रिंग टाइन कल्टीवेटर या खुरपी से खरपतवार निकालने का काम करें.

इसी दौरान नाइट्रोजन की शेष मात्रा डाल कर खुरपी या ट्रैक्टर चालित रिजर से मिट्टी चढ़ा दें.

मैदानी इलाकों में आलू की फसल में खरपतवार का प्रकोप बिजाई के 4 से 6 हफ्ते बाद ज्यादा होता है यानी इस विधि से फसल को खरपतवार से मुक्त रखा जा सकता है. खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण के लिए फ्यूक्लोरेलिन, मैट्रीव्यूजीन, पैराक्लोट और प्रोपिनल खरपतवारनाशी रसायनों को 1000 लीटर पानी में घोल कर आवश्यकतानुसार दी गई विधियों को अपना कर छिड़काव करें.

उपज : जल्दी तैयार होने वाली किस्मों की पैदावार कुछ कम होती है, जबकि लंबी अवधि वाली किस्में ज्यादा उपज देती है. सामान्य किस्मों के मुकाबले संकर किस्मों से ज्यादा पैदावार (600 से 800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर) मिलती है.

सिंचाई : फसल की पहली सिंचाई बोआई के 15-20 दिनों के अंदर कर लेनी चाहिए. सिंचाई करते समय ध्यान रखें कि मेंड़ें पानी में आधे से अधिक नहीं डूबनी चाहिए.

इस के बाद तकरीबन 15 दिनों के अंतराल पर दोबारा सिंचाई करें. आलू की फसल में तकरीबन 8 से 10 बार सिंचाई की जरूरत होती है. आलू तैयार होने पर जब उस की खुदाई करनी हो तो तकरीबन 10 दिन पहले ही उस की सिंचाई बंद कर दें.

फसल सुरक्षा : आलू की फसल को अनेक रोग व कीटों से बचाने के लिए बीमारी के हिसाब से दवाओं का इस्तेमाल करें. आलू में अनेक तरह की बीमारयिं जैसे अगेती झुलसा और पछेती झुलसा होने पर पौधे की पत्तियों पर गोल आकार के भूरे धब्बे बनने शुरू हो जाते हैं.

इन की रोकथाम के लिए 2 से ढाई किलोग्राम डाइथेन जेड 78 या डाइथेन एम 45 का 1000 लीटर पानी में घोल बना कर फसल पर छिड़काव करें. जरूरत पड़े तो 15 दिनों बाद फिर यह क्रिया अपनाएं.

आलू की दूसरी बीमारी है आलू का कोढ़ (कौमन स्कैब) इस रोग से फसल की पैदावार में तो कमी नहीं आती, लेकिन आलू भद्दे हो जाते हैं, जिस से बाजार में उन का सही दाम नहीं मिल पाता. आलू के कंदों के छिलकों पर लाल या भूरे रंग के छोटेछोटे धब्बे बन जाते हैं. इस बीमारी से बचाव के लिए बीजोपचार सब से अच्छा तरीका है.

बोआई मशीन (Planting Machine)

कीट नियंत्रण

एपीलेक्ना विटिल : इस कीट की सूंड़ी व वयस्क दोनों ही पत्तियां खाते हैं, जिस से पत्तियों में केवल नसें बचती हैं. यह कीट पीले रंग के होते हैं. इन की रोकथाम के लिए इंडोसल्फान 35 ईसी 1.25 लीटर या कार्बरिल 5 फीसदी घुलनशील चूर्ण की 2 किलोग्राम मात्रा 800 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें.

कटवर्म  : यह जमीन के अंदर रहने वाला कीट है, इस की सूंड़ी रात के समय छोटेछोटे पौधों के तनों को काट देती है. इस की रोकथाम के लिए एल्ड्रिन 5 फीसदी चूर्ण अंतिम जुताई के समय मिट्टी में मिला दें.

आलू का माहूं : यह हरे रंग का कीट होता है, जो विषाणु फैलाता है. बचाव के लिए डाइमेथेएट 30 ईसी की 1 लीटर मात्रा 600 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.

सफेद लट या गुबरेला : यह कीट जमीन के अंदर फसल को नष्ट कर देता है. फोरेट 10 जी या काबोफ्यूराल 3 जी 15 किलोग्राम बोआई से पहले इस्तेमाल करें.

खुदाई : अगेती फसल से ज्यादा कीमत हासिल करने के लिए बिजाई के 60-70 दिनों के बाद खुदाई की जा सकती है. मुख्य फसल की खुदाई तापमान 20-30 डिगरी सेंटीग्रेड तक पहुंचने से पहले कर लें, ताकि फसल ज्यादा तापमान पर मृदुगलन और काला गलन जैसे रोगों से ग्रसित न होने पाए.

मशीनों (Machines) की जरूरत, इस्तेमाल व रखरखाव

भारत में बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं, जहां कृषि से जुड़े विभिन्न यंत्र व मशीनें बनाई जाती हैं या फिर दूसरी जगह से ला कर बेची जाती हैं. किसानों की कोशिश हमेशा यही होनी चाहिए कि यंत्र किसी नजदीकी कारखाने से जांचपरख कर खरीदें, ताकि टूटफूट होने पर जल्दी से मरम्मत कराई जा सके. इस से फसल के काम प्रभावित हुए बिना समय पर पूरा कर सकते हैं.

इस के अलावा कृषि यंत्र खरीदने के बाद उन के उपयोग करने के तरीके समझ लेने चाहिए, ताकि कृषि यंत्र से आप आसानी से काम ले सकें. मशीनों के उपयोग के बाद उन का रखरखाव भी ठीक तरह से करना चाहिए, अन्यथा कृषि यंत्र खराब हो सकते हैं या उन की कार्यक्षमता पर असर पड़ सकता है.

यंत्रों के उपयोग में सावधानियां

* अगर आप के पास पोटैटो प्लांटर है, तो बिजाई के समय प्लांटर की सैटिंग इस तरह करें, ताकि बीज कम से कम 4-5 इंच मिट्टी में गहरा चला जाए. इस से आलू हरा नहीं होगा. बिजाई के समय हर 2-3 घंटे बाद मेंड़ खोद कर 8-10 आलुओं की गहराई और आपस की दूरी मापें और जरूरत हो, तो मशीन को दोबारा सैट करें.

* गुड़ाई के काम में आलू बिजाई के बाद 21-25 दिनों से ज्यादा देरी न करें.

* हमेशा साफ पानी में दवा घोलें, ताकि स्प्रे मशीन की नोजल बंद न हो और सही फव्वारे से सभी पत्तियां दवा से तर हो जाएं.

* कीटनाशक दवाओं का उपयोग फसल को बचाने के लिए किया जाता है. परंतु इस से पहले जरूरी है अपनेआप को इन से बचाना, इसलिए छिड़काव करते समय आंखों पर चश्मा, हाथों में दस्ताने व नाक पर मास्क अवश्य लगाएं और हवा की दिशा में स्प्रे करते हुए आगे बढ़ें.

* गुड़ाई, मिट्टी चढ़ाई और ट्रैक्टर से दवाओं का छिड़काव करते समय कम चौड़े (9-10 इंच) टायरों का प्रयोग करें. इस से मेंड़ टूटने से फसल को नुकसान नहीं पहुंचता है.

* खुदाई से 14-15 दिन पहले लताएं काट दें. इस से आलू का छिलका पक जाता है और खुदाई के समय मशीनों से आलू कम छिलता है. ज्यादा नमी वाले खेतों में छिलका आमतौर पर कच्चा रह जाता है. ऐसे में आलू की खुदाई सावधानी से करें.

* डिगर ब्लेड की गहराई चैक कर के इस तरह से सैट करें कि न तो यह आलुओं को काटे और न ही अधिक गहरा चले. ज्यादा गहराई करने से अधिक मिट्टी जाल के ऊपर आने के कारण आलू ठीक से बाहर नहीं निकलते और मिट्टी में ही दबे रह जाते हैं.

* ट्रैक्टर की स्पीड कम या ज्यादा कर के ऐसे सैट करें, ताकि ज्यादा आलू छन कर मिट्टी के बाहर निकल आएं. अगर मिट्टी बहुत हलकी और भुरभुरी हो और जल्दी छनने से आलू डिगर के लोहे के जाल में लगने से छिलता है, तो ऊपरी लिंक लंबी कर के आलू के नुकसान को कम करें. ट्रैक्टर की स्पीड बढ़ा कर जाल के ऊपर ज्यादा मिट्टी आने से भी आलू का नुकसान कम किया जा सकता है.

* खुदाई के तुरंत बाद आलू उठाना शुरू न करें. 3-4 घंटे सूखने दें. इस से आलू के साथ मिट्टी कम आती है.

* श्रमिकों को विशेष ट्रेनिंग दें, ताकि आलू उठाते समय और बालटी/बोरी/ट्रे में भरते समय व ढेर बनाते समय आलुओं को पटकने से कम से कम नुकसान हो.

* सभी मशीनों को सावधानी और सुरक्षापूर्वक चलाएं, क्योंकि जिंदगी बहुत अनमोल है.

कृषि यंत्र का रखरखाव

* मशीनों में तेल व ग्रीस समयसमय पर डालते रहें. इस से घिसाव कम होता है और मशीन अपनी पूरी क्षमता से अधिक समय तक काम करती है.

* चलते समय अगर यंत्र में से कोई अलग तरह की आवाज सुनाई दे, तो तुरंत काम रोक कर मुआयना करें और जरूरत हो तो मरम्मत करवाएं.

* मशीनों की टूटफूट की साथ ही साथ रिपेयर करते जाएं, अन्यथा मशीन और आलू दोनों का नुकसान बढ़ सकता है.

* भंडारण से पहले यंत्रों को जंगरोधी रोगन या तेल लगा कर किसी ऐसी जगह पर रखें, जहां आसपास उर्वरक न हों. ये लोहे को नुकसान पहुंचाते हैं.

फसल कटाई व थ्रैशिंग (Harvesting and Thrashing) यंत्र महिंद्रा हार्वेस्टर

फसल की कटाई व थ्रैशिंग का काम अब कृषि यंत्रों से होने लगा है. ज्यादातर किसानों द्वारा ट्रैक्टर का इस्तेमाल करना सामान्य सी बात हो गई है और लगता है कि इसी बात को ध्यान में रखते हुए महिंद्रा कृषि यंत्र निर्माता कंपनी ने ट्रैक्टर के सहयोग से चलने वाला हार्वेस्टर बनाया है, जो फसल की कटाई और थ्रैशिंग का काम आसानी से करता है.

महिंद्रा बैक पैक हार्वेस्टर

यह यंत्र ट्रैक्टर पर लगा होता है. बैक पैक हार्वेस्टर गेहूं, चावल, जई और इसी तरह की दूसरी फसलों की कटाई करता है. यह यंत्र छोटे और मध्यम दर्जे के किसानों के लिए बड़े ही काम का है. इस के इस्तेमाल से किसान खुद अपनी फसल की कटाई, गहाई के अलावा दूसरे किसानों की फसल कटाई वगैरह का भी काम कर सकता है, जिस में अतिरिक्त आमदनी हो सकती है.

इस यंत्र की खूबी : यह बैक पैक हार्वेस्टर दमदार, मजबूत और खेती के काम के लिए भरोसेमंद है. इसे खास तरीके से बनाया गया है, जो ट्रैक्टर पर आसानी से रखा जा सकता है. छोटे खेतों में भी इसे आसानी से मोड़ा जा सकता है. इस के कटर बार 7 फुट के बने हैं. कम पुरजे और आसान तकनीक से बनाए गए इस हार्वेस्टर को इस्तेमाल करना आसान है.

चूंकि यह हार्वेस्टर ट्रैक्टर से संचालित होता है, इसलिए किसानों को जरा भी कठिनाई नहीं आती.

महिंद्रा ट्रैक्टर के साथ फायदे : 540 आरपीएम पर ज्यादा पीटीओ शक्ति (पावर) मौजूद होने के चलते ईंधन की खपत कम होती है. ड्रम में फंसी सामग्री अवशेषों को आसानी से बाहर फेंक देता है.

ट्रैक्टर माउंटेड कंबाइन हार्वेस्टर

गेहूं, धान जैसी फसलों की कटाई और उन की थ्रैशिंग के लिए महिंद्रा कंबाइन हार्वेस्टर बेहतर काम करता है. फसल काटते समय ट्रैक्टर हार्वेस्टर पर माउंटेड होता है, जिस के द्वारा ही हार्वेस्टर सही दिशा में चलता है.

फसल कटने के दौरान अनाज यंत्र में लगे टैंक में इकट्ठा होता जाता है और शेष भूसा व अवशेष खेत में ही रह जाते हैं. जब टैंक अनाज से भर जाता है, तो हार्वेस्टर में लगे पाइप के जरीए इसे किसी दूसरे ट्रैक्टरट्रौली में भर लिया जाता है.

यह कंबाइन हार्वेस्टर फसल की कटाई, थ्रैशिंग व अनाज की सफाई करता है. साथ ही, अनाज को बोरों में भी भरता है. हार्वेस्टर का मौडल बी. 525 है.

जब फसल की कटाई का काम नहीं है, उस दौरान ट्रैक्टर से कंबाइन हार्वेस्टर को उतार लिया जाता है और ट्रैक्टर से खेती के दूसरे काम किए जा सकते हैं.

इस हार्वेस्टर का महिंद्रा के ट्रैक्टर अर्जुन (नोवो) 605 के साथ बेहतर तालमेल है, जिस में 57 एचपी की शक्ति (पावर) है. इस में ईंधन की खपत कम होती है और इसे ट्रैक्टर के साथ जोड़ना और हटाना भी आसान है.

अधिक जानकारी के लिए आप ट्रोल फ्री नंबर 18004256576 पर बात कर सकते हैं.

आलू की ग्रेडिंग मशीन (Potato Grading Machine)

वर्गीकरण एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है. वर्गीकृत आलू के बाजार में अपेक्षाकृत अच्छे दाम मिल जाते हैं. विभिन्न प्रकार के जालीनुमा ग्रेडर उपलब्ध हैं, जिन से आलू की ग्रेडिंग की जा सकती है. रबड़ बैल्ट की जालीनुमा ग्रेडर बहुत ही प्रचलित उपकरण है, जिस में रबड़ बैल्ट पर अलगअलग आकार के गड्ढे बने होते हैं, जिस से आलू आकार के अनुसार वर्गीकृत किए जाते हैं.

खयाल रहे कि गे्रडिंग से पहले आलू के ढेरों को अच्छी तरह ढक कर 15-20 दिनों के लिए रखा जाना जरूरी है. इस से छिलका पक जाता है और ग्रेडिंग के समय आलू छिलने से नुकसान नहीं होता. यह मशीन एक घंटे में तकरीबन 40-60 क्विंटल आलू का वर्गीकरण कर सकती है.

मजदूरों द्वारा छंटाई करने पर ज्यादा समय लगता है. बीज के लिए अलग, बाजार के लिए अलग और स्टोरेज के लिए अलग आलू की छंटाई करनी होती है. अगर हम आलू के ढेर को ज्यादा समय तक खेत में खुला छोड़ देंगे, तो उन पर सूरज की रोशनी पड़ने से वे हरे हो जाते हैं, इसलिए आलू के ढेर को कपड़े, टाट या बोरी से ढक देना चाहिए, जिस से हवा तो पास हो, लेकिन धूप न लगे. हवा लगने के बाद जब आलू की मिट्टी सूख जाए, तो उन की छंटाई करनी चाहिए. बड़े, मध्यम व छोटे आलू को बाजार में भेज दिया जाता है. बीज के लिए मध्यम आकार के आलू ठीक रहते हैं. उन्हें अगले साल के बीज के लिए कोल्ड स्टोर में रख लिया जाता है.

अमन विश्वकर्मा की आलू ग्रेडिंग मशीन

आलू छंटाई मशीन को ट्रैक्टर से जोड़ कर एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से ले जाया जा सकता है. आलू छंटाई मशीन के काम करने की कूवत 40 से 50 क्विंटल प्रति घंटा है. यह मशीन आलू की 4 साइजों में छंटाई करती है. पहले भाग में 20 से 35 मिलीमीटर, दूसरे भाग में 35 से 45 मिलीमीटर, तीसरे भाग में 45 से 55 मिलीमीटर और चौथे व आखिरी भाग में सब से बड़े आकार के आलू छंटते हैं.

इस मशीन की खास बात यह है कि ग्रेडिंग करते समय आलू को किसी तरह का नुकसान नहीं होता. जैसा आलू डालोगे, वैसा ही निकलेगा. आलू छंटाई के दौरान ही सीधे बोरे में भरा जाता है. बोरों को मशीन से लगा दिया जाता है, जिस की सुविधा मशीन में की गई है.

इस मशीन के बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए आप मोबाइल नंबर 09813048612 व 09896822103 पर बात कर सकते हैं.