भारत में बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं, जहां कृषि से जुड़े विभिन्न यंत्र व मशीनें बनाई जाती हैं या फिर दूसरी जगह से ला कर बेची जाती हैं. किसानों की कोशिश हमेशा यही होनी चाहिए कि यंत्र किसी नजदीकी कारखाने से जांचपरख कर खरीदें, ताकि टूटफूट होने पर जल्दी से मरम्मत कराई जा सके. इस से फसल के काम प्रभावित हुए बिना समय पर पूरा कर सकते हैं.

इस के अलावा कृषि यंत्र खरीदने के बाद उन के उपयोग करने के तरीके समझ लेने चाहिए, ताकि कृषि यंत्र से आप आसानी से काम ले सकें. मशीनों के उपयोग के बाद उन का रखरखाव भी ठीक तरह से करना चाहिए, अन्यथा कृषि यंत्र खराब हो सकते हैं या उन की कार्यक्षमता पर असर पड़ सकता है.

यंत्रों के उपयोग में सावधानियां

* अगर आप के पास पोटैटो प्लांटर है, तो बिजाई के समय प्लांटर की सैटिंग इस तरह करें, ताकि बीज कम से कम 4-5 इंच मिट्टी में गहरा चला जाए. इस से आलू हरा नहीं होगा. बिजाई के समय हर 2-3 घंटे बाद मेंड़ खोद कर 8-10 आलुओं की गहराई और आपस की दूरी मापें और जरूरत हो, तो मशीन को दोबारा सैट करें.

* गुड़ाई के काम में आलू बिजाई के बाद 21-25 दिनों से ज्यादा देरी न करें.

* हमेशा साफ पानी में दवा घोलें, ताकि स्प्रे मशीन की नोजल बंद न हो और सही फव्वारे से सभी पत्तियां दवा से तर हो जाएं.

* कीटनाशक दवाओं का उपयोग फसल को बचाने के लिए किया जाता है. परंतु इस से पहले जरूरी है अपनेआप को इन से बचाना, इसलिए छिड़काव करते समय आंखों पर चश्मा, हाथों में दस्ताने व नाक पर मास्क अवश्य लगाएं और हवा की दिशा में स्प्रे करते हुए आगे बढ़ें.

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