Pro Tray Technology : प्रो ट्रे तकनीक से उगाएं फलसब्जियां

Pro Tray Technology : आमतौर पर खेती जमीन, घर आंगन के बगीचे या गमलों में लोग करते आए हैं. बड़े पैमाने पर खेती करने के लिए बड़े रकबे यानी खेती की जमीन की जरूरत होती ही है. लेकिन घर की सामान्य जरूरत लायक सब्जी की खेती हम घर के आसपास खाली पड़ी जमीन या गमलों में या घर के छज्जे या छत पर भी कर सकते हैं. क्योंकि कुछ फलसब्जियां बिना कृषि रसायनों के घर में भी उगाई जा सकती हैं, जो गुणकारी होने के साथ पौष्टिक भी होती हैं.

इस तकनीक से अलग हट कर कुछ और तरीकों से भी फलसब्जी की खेती की जा सकती है.

प्रो ट्रे तकनीक से फलसब्जियां

हाइड्रोपोनिक और वर्टिकल फार्मिंग की तरह ही प्रो ट्रे तकनीक भी चलन में है और किसानों द्वारा अपनाई जा रही है. इस खास तकनीक के जरीए किसान कम खर्च और कम जगह में सब्जियों की अच्छी पैदावार ले सकते हैं.

प्रो ट्रे में करें नर्सरी तैयार

नर्सरी तैयार करने के लिए प्रो ट्रे तकनीक एक आधुनिक तकनीक है. प्रो ट्रे में फल या सब्जी की नर्सरी तैयार करने के लिए सब से पहले प्रो ट्रे लें , जो आप को खादबीज, नर्सरी या खेती के सामान बेचने वालों के यहां आसानी से मिल जाएगी. वहां से आप ये ट्रे खरीद लें. फिर कंपोस्ट सीओ और कोकोपीट नारियल तेल का बेस तैयार कर लें. इस के लिए सब से पहले कोकोपीट ब्लौक की जरूरत होगी. यह नारियल के बुरादे से बनती है. इस ब्लौक को 5 घंटे तक पानी में भिगो कर रखना है और फिर कोकोपीट ब्लौक की अच्छी तरह से सफाई करनी है, ताकि इस में मौजूद सब गंदगी बाहर निकल जाएं और पौधों को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे और पौध अच्छी गुणवत्ता वाली तैयार हो सके. उस के बाद कोकोपीट ब्लौक को अच्छी तरह सुखा लें.

जब ब्लौक सूख जाए तो 50 फीसदी वर्मी कंपोस्ट और 50 फीसदी कोकोपीट को अच्छी तरह मिक्स कर मिश्रण तैयार करें. अब इस तैयार मिश्रण को प्रो ट्रे में भर लें.

प्रो ट्रे में बीजों की बोआई

प्रो ट्रे के हर खाने में उंगली या किसी लकड़ी की मदद से छेद कर गड्ढा बना लें और अब इस में धीरेधीरे बीज डाल दें. फिर उन्हें हल्के हाथ से ढक दें. हमें यह ध्यान रखना है कि बीजों की बोआई के तुरंत बाद सिंचाई नहीं करनी है. क्योंकि तैयार मिश्रण में नमी होती है, जो बीज अंकुरण के लिए काफी होती है. इस के बाद इन ट्रे को अंधेरे में रख दें.

जब पौधे उग जाएं, तो प्रो ट्रे को निकाल कर बाहर रख देना है और इस के बाद पौधों की पहली सिंचाई करनी है. इन पौधों को सूखने ना दें. इस तरीके से 10 से 15 दिन में एक बेहतरीन नर्सरी तैयार हो जाएगी और सभी पौधे रोपने के लिए तैयार हो चुके होंगे. अब आप इन को अपनी सुविधानुसार बड़े पौट या किसी बोरी या जमीन ,बगीचे में रोप सकते हैं.

इन की करें खेती

प्रो ट्रे तकनीक अपना कर कई तरह के देशी और विदेशी फलों और सब्जियों की खेती की जा सकती है. सब से खास बात यह है कि इस की मदद से किसी भी मौसम में सब्जियों और फल की खेती कर सकते हैं.  आजकल खेती में यह तकनीक बहुत चलन में है और किसान इस में बिना मौसम के भी बहुत सी सब्जियां उगा सकते हैं.

‘जीविका दीदियों’ के लिए दोदिवसीय पोषण वाटिका ट्रेनिंग

सबौर: ‘जीविका दीदियों’ के लिए दोदिवसीय पोषण वाटिका प्रशिक्षण का समापन हो गया. ज्ञात हो कि 1 सितंबर, से 30 सितंबर तक ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ मनाया जाना है.

इस अवसर को ध्यान में रखते हुए ‘जीविका दीदियों’ को पोषण वाटिका की स्थापना कैसे की जाए, ताकि सालभर 5 सदस्यीय परिवार को 1.5 किलोग्राम सब्जी प्रतिदिन प्राप्त हो और महिलाएं अपने परिवार को रसायनमुक्त फलसब्जी खिला सकें.

इस अवसर पर वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डा. राजेश कुमार ने ‘जीविका दीदियों’ के कार्यों की सराहना की और अपना पोषण वाटिका स्थापित कर स्वस्थ परिवार की परिकल्पना को साकार करने का अनुरोध किया. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग का आश्वासन दिया. ‘जीविका दीदियों’ को नारी योजना के अंतर्गत सब्जी की किट, एक सहजन का पौधा और एक पपीते का पौधा प्रदान किया गया.

डा. ममता कुमारी ने ‘किस प्रकार से पोषण वाटिका की स्थापना की जाए’ की विस्तृत जानकारी दी. इस अवसर पर केंद्र के डा. मनीष राज, डा. पवन कुमार और रूबी उपस्थित थे. पिंकी देवी, रूबी देवी इत्यादि ‘जीविका दीदी’ भी वहां उपस्थित रहीं.

घर में उगाएं सब्जियां

सब्जियों का हमारे जीवन में काफी महत्त्व है. आमतौर पर हम बाजार से सब्जियां खरीदते हैं, जो कई बार जहरीले पानी में पैदा होती हैं और कई तरह के कैमिकल भी सब्जी की बढ़वार के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, जिन का खराब असर हमारी सेहत पर पड़ता है.

तो क्यों न हम अपने घर के पिछवाड़े या साथ में खाली पड़ी जमीन में सब्जी की खेती करें. घर के गमलों में भी कुछ सब्जियां बोई जा सकती है. इस से हमें पौष्टिकता के साथसाथ खुशी भी मिलेगी.

मिट्टी व क्यारी की तैयारी : आइए सब से पहले हम मिट्टी की बात करते हैं. सब्जी उगाने के लिए दोमट मिट्टी सब से अच्छी होती है, जिस में चिकनी या काली मिट्टी और रेतीली मिट्टी बराबर मात्रा में होती है.

जहां भी हमें अपनी सब्जी की क्यारी तैयार करनी है, वहां 30-40 सैंटीमीटर गहरी खुदाई फावड़ा, कुदाली वगैरह से करें. कंकड़पत्थर व खरपतवार साफ कर दें और उस में जरूरत के मुताबिक गोबर की सड़ी हुई खाद मिला दें या किसी भी खाद वाली दुकान से केंचुए की खाद खरीद कर डाल दें. अगर दोनों तरह की खाद मिला कर डालें तो सोने पर सुहागा वाली बात होगी.

सीधे बोने वाली सब्जियां : भिंडी, बीन, लोबिया, सेम, तुरई, लौकी वगैरह की बोआई मेंड़ पर या क्यारी में की जाती है. बेल वाली सब्जी के बीज मेंड़ पर बोएं.

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पौध वाली सब्जियां : बैगन, टमाटर, मिर्च जैसी सब्जियों की पहले पौध तैयार की जाती है, फिर उसी पौध को वहां से निकाल कर क्यारी या गमले में लगाया जाता है. पौध तैयार होने में लगभग 1 माह का समय लगता है. वैसे, आजकल खाद व बीज की दुकानों पर सब्जियों की तैयार पौध भी मिलती है, तो आप वहां से भी खरीद कर पौध लगा सकते हैं. पौध को क्यारी या गमले में लगाने के बाद उस में हलकी सिंचाई करें व प्रारंभिक अवस्था में 2 दिनों में 1 दिन पानी दें. जब कुछ दिनों बाद आप के पौधे ठीक तरह से जम जाएं, तब आप अपनी रसोई वगैरह के पानी का बहाव उन क्यारियों में कर सकते हैं. इस से आप के बेकार पानी का भी इस्तेमाल होता रहता है.

गमलों में सब्जी : छोटे पौधों के लिए आमतौर पर 12 इंच चौड़ाईऊंचाई वाले गमले लिए जा सकते हैं. ज्यादा मिट्टी में पौधे की जड़ ठीक से फैलती है और पौधे की बढ़वार अच्छी होती है और भरपूर सब्जी प्राप्त होती है.

गमले में बेल वाली सब्जियां जैसे तुरई, लौकी भी बोई जा सकती हैं, लेकिन गमलों के साथ रस्सी वगैरह बांध कर ऐसा इंतजाम करना चाहिए, जिस से सब्जी की बेल उस के सहारे चढ़ कर ठीक से फैल सके. गमलों को ऐसी जगह रखें, जहां उन पर सीधी धूप न पड़े. उन्हें दीवार की ओट में रख सकते हैं, वहां धूप भी मिलेगी और छांव भी. साथ ही, बेल को दीवार के सहारे पनपने का मौका भी मिलेगा. गमले बालकनी में भी रखे जा सकते हैं और रेलिंग पर बेल को चढ़ाया जा सकता है.

सब्जी के बगीचे में आप अन्य चीजें भी उगा सकते हैं, जैसे धनिया, प्याज, मेथी, पालक, मूली वगैरह. इन में केवल प्याज की पौध रोपी जाती है. मेथी, पालक, सरसों जैसी सब्जियों के लिए बीजों को क्यारी में बिखेर कर बोया जाता है. मेंड़ बना कर उस पर मूली व शलजम के बीज भी बो सकते हैं. ये हरी सब्जियां बहुत जल्दी बढ़ने वाली होती हैं.

इस तरह घर के बगीचे या गमले में सब्जी उगाना बहुत ही आसान काम है. आप इस के बारे में बहुत सी जानकारी आसानी से ले सकते हैं. जिस दुकानदार से आप बीज, पौध वगैरह ले रहे हैं, वह भी आप को काफी जानकारी दे देगा और बता देगा कि किस समय कौन सा बीज कैसे बोना है. ये बहुत ही साधारण सी बातें हैं. इसलिए आज ही बोएं अपने बगीचे व गमलों में सब्जियां और मस्त व स्वस्थ रहें.

पोषण वाटिका में पूरे साल सब्जियां

सब्जियां न केवल हमारे पोषण मूल्यों को बढ़ाती हैं, बल्कि शरीर को शक्ति, स्फूर्ति, वृद्धि और अनेक प्रकार के रोगों से बचाने के लिए महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व जैसे कार्बोहाइडे्रट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिजलवण इत्यादि प्रदान करती हैं. भारतीय मैडिकल अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, प्रतिदिन प्रति व्यक्ति निम्न मात्रा (300 ग्राम) में सब्जी की आवश्यकता पड़ती है:

हरी पत्तेदार सब्जी 115 ग्राम, जड़/कंद वर्गीय सब्जी 115 ग्राम, अन्य सब्जी 70 ग्राम की जरूरत होती है.

उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक परिवार अपनी पोषण वाटिका में सब्जी का उत्पादन कर सकता है, जिस से उसे ताजा, सुरक्षित एवं पोषण से भरपूर सब्जियां मिल सकें. प्राय: एक परिवार को पूरे साल सब्जियां प्राप्त करने के लिए 200 से 250 वर्गमीटर का क्षेत्रफल प्रयाप्त होता है. इस में छोटीछोटी क्यारियां बना कर उस में महंगी एवं परिवार की पसंद की सब्जियों का फसलचक्र अपनाया जा सकता है.

अगर एक जगह पर इतनी भूमि नहीं हो, तो बिखरी हुई वाटिका का निर्माण किया जा सकता है. इस प्रकार पोषण वाटिका में सब्जियों के साथसाथ फलदार वृक्ष जैसे पपीता, नीबू, अनार व अमरूद आदि के अलावा दूसरे फूल वाले पौधे भी लगाए जा सकते हैं. पोषण वाटिका से उत्पादित सब्जियों स्वादिष्ठ, ताजा, कीट व बीमारियों से मुक्त होती है.

किसी एक सब्जी की उपलब्धता का समय बढ़ाने के लिए जल्दी, मध्य व देर से पकने वाली किस्मों को उगाना चाहिए. फलदार वृक्षों जैसे नीबू, अमरूद, केला व अनार को एक तरफ लगाना चाहिए, ताकि क्यारियों की जुताई में बाधा न हो सके. अधिक पानी चाहने वाली सब्जियां (पालक, चोलाई) मुख्य नाली के पास लगानी चाहिए. सब्जियों को हमेशा जगह बदलबदल कर लगाएं, ताकि अधिक उत्पादन के साथसाथ कीट एवं बीमारियों का प्रकोप कम हो सके.

स्थान का चयन

घर का पिछला हिस्सा जहां धूप पर्याप्त मात्रा एवं काफी समय तक रहती हो, उत्तम होता है. इस बात का ध्यान देना चाहिए कि बड़े पेड़ की छाया सब्जियों की पैदावार को प्रभावित न करने पाए. इस के लिए 1 या 2 कंपोस्ट के गड्ढे छाया या कम महत्त्व वाली जगह में बनाने चाहिए. यदि पर्याप्त जगह हो, तो पपीता, नीबू, अंगूर, केला इत्यादि को उत्तर दिशा में लगाया जा सकता है.

आवश्यक  कृषि क्रियाएं
* बीजों/पौधों को हमेशा किसी विश्वसनीय संस्थानों जैसे कृषि विज्ञान केंद्र व अन्य से ही खरीदना चाहिए.
* गोबर की सड़ी हुई अथवा कंपोस्ट खादों का ही ज्यादातर प्रयोग करना चाहिए.
* सिंचाई के लिए रसोईघर या घर के बेकार पानी का उपयोग करना चाहिए.

सब्जी फसल की सुरक्षा
* सब्जी फसल में जैविक कीट व व्याधिनाशियों का उपयोग करें.
* प्रकाश प्रपंच का प्रयोग करें.
* नीमयुक्त कीटनाशक के उपयोग को बढ़ावा दें.
* स्टिकी ट्रैप का उपयोग करें.
कुछ आवश्यक सुझाव
* पोषण वाटिका की कोई भी क्यारी खाली नहीं रखनी चाहिए.
* टमाटर, मटर, सेम, परवल आदि को सहारा दिया जाना चाहिए, ताकि ये फसलें कम से कम जगह घेरें एवं बेल/लत्तेदार सब्जियों जैसे लौकी, तुरई, केला, टिंडा इत्यादि को बाड़ के सहारे उगाना चाहिए.
* जल्दी तैयार होने वाली सब्जियों को देर से तैयार होने वाली सब्जियों के बीच कतारों में लगाते हैं.

पोषण वाटिका से लाभ
* परिवार के सभी सदस्यों के लिए मनोरंजन का एक उत्तम साधन है.
* घर के पास पड़ी खाली भूमि का समुचित उपयोग हो जाता है.
* हर समय ताजा, स्वादिष्ठ व विषरहित सब्जी मिल जाती है.
* पोषण वाटिका में सब्जियों को उगाने पर गृहिणी के बजट में अच्छी बचत हो जाती है.
* घर के फालतू पानी व कूड़ेकरकट का सदुपयोग हो जाता है.
* बच्चों में अच्छी आदतों का विकास होता है और वे श्रमजीवी बनते हैं.
* पोषण वाटिका देख कर आंखों को संतोष एवं आनंद मिलता है.
* खाली समय का सदुपयोग हो
जाता है.

सब्जी फसल और उन्नत प्रजातियां
* हरी मिर्च+सगिया मिर्च- एनपी46ए या पूसा ज्वाला भारत, कैलिफोर्निया वंडर
* प्याज- अर्ली ग्रेनो या वीएल प्याज-3
* प्याज- पूसा रैड
* भिंडी- पूसा सावनी या परभनी क्रांति
* बैगन (लंबा)- पूसा परपल लौंग या पंत सम्राट
* बैगन (गोल)- पूसा क्रांति या पंत ऋतुराज
* फूलगोभी- पूसा क्रांतिकी
* फूलगोभी- पूसा दीपाली
* फूलगोभी- स्नोवाल
* मूली लाल/सफेद- रैफ्ट रैड ह्वाइट, जैपनीज ह्वाइट, पूसा हिमानी, चायनीज पिंक
* आलू- कुफरी अलंकार, सिंदूरी, बहार, चंद्रमुखी
* लोबिया- पूसा फाल्गुनी या पूसा दोफसली
* पत्तागोभी- गोल्डन एंकर, रिया, वरुण, यस ड्रमहैड
* ग्वार- पूसा नवबहार
* फ्रैंचबींस- कंटैंडर या पूसा पार्वती
* गाजर, शलजम- उन्नत प्रबेध
* चुकंदर, गांठगोभी, लेट्यूस- ग्रेट लेकेस
* अरबी- अस्थानीय
* पालक (देशी)- अर्ली स्मूथ लीफ
* पालक (विलायती)- पूसा ज्योति
* चौलाई- कोई भी प्रजाति
* लौकी- पूसा मेघदूत या पूसा मंजरी
* कद्दू- लोकल प्रबेध
* स्पंज ग्राडसेनुआ- पूसा चिकनी
* ग्रिजगार्ड (तोरई)- पूसा नसदार
* खीरा- पौइंसैट, जैपनीज, लौंग ग्रीन
* मटर- अर्केल, पीयसयम-3
* सेम- लोकल प्रबेध
* टमाटर- पूसा-120, पूसा रूबी

प्रत्येक क्यारियों की सब्जियों के लिए फसलचक्र
* पत्तागोभी सहफसल लेट्यूस के साथ ग्वार एवं फ्रास्बीन- नवंबर से मार्च, मार्च से अक्तूबर
* फूलगोभी (पछेती) सहफसल गांठगोभी- सितंबर से फरवरी
* लोबिया (ग्रीष्म ऋतु)- मार्च से अगस्त
* लोबिया (वर्षा ऋतु), फूलगोभी (मध्य मौसमी किस्में)- जुलाई से नवंबर
* मूली- नवंबर से दिसंबर
* प्याज- दिसंबर से जून
* आलू- नवंबर से मार्च
* लोबिया- मार्च से जून
* फूलगोभी (अगेती)- जुलाई से अक्तूबर
* बैगन (लंबा) : फसल पालक के साथ- जुलाई से मार्च
* भिंडी सहफसल चौलाई के साथ- मार्च से जून
* बैगन (गोल) सहफसल पालक के साथ- अगस्त से अप्रैल
* भिंडी सहफसल चौलाई के साथ- मई से जुलाई
* मिर्च+सगिया मिर्च- सितंबर से मार्च
* भिंडी- जून से अगस्त
नोट : बोआई का समय जलवायु विशेष के अनुसार बदल सकता है.