खेतीबारी के साथसाथ किए जाने वाले कामों में पशुपालन भी किसानों को फायदा देने वाला काम है. खेतीबारी करने वाले किसानों को पशुओं के लिए चारा आसानी से उपलब्ध हो जाता है. साथ ही, पशुओं को रखने के लिए भी उन के पास भरपूर जगह होती है. सब से खास तो खुला वातावरण होता है जहां पशुओं की देखभाल आसानी से की जा सकती है.

गरमियों में दुधारू पशु दूध कम देने लगते हैं, इसलिए पशुओं से अच्छी मात्रा में दूध लेने के लिए जरूरी है कि उन्हें आरामदायक जगह में रखा जाए, संतुलित आहार दिया जाए, अनेक रोगों से रक्षा की जाए और मौसम के हिसाब से उस की देखरेख की जाए.

गरमी की शुरुआत होने पर जरूरी है कि पशुओं को गरमी के प्रकोप से बचाया जाए.

ध्यान रखें कि पशु धूप में बंधा न रह जाए, उसे छाया में पेड़ के नीचे बांधें या पशुशाला के अंदर रखें. पशुशाला के आसपास छायादार पेड़ लगे हों तो इस से पशुशाला ठंडी रहेगी. पशुशाला में फर्श आरामदायक रखें. अधिक गरमी होने पर पानी का छिड़काव करें. छत की ऊंचाई 10 फुट से ऊपर रखें. यदि छत टीन या सीमेंट चादर की है तो उस के ऊपर ज्वार, बाजरा के पूले या छप्पर बना कर रखें. ऐसा करने से पशुघर ठंडा रहता है.

पशुओं को ताजा पानी पिलाएं, दिन में 3 से 4 बार ताजा पानी पिलाना जरूरी है. ज्यादा गरमी होने पर पशु को कम से कम 1-2 बार नहलाएं. भूसे व दानों को खिलाने से पहले भिगो कर रखें. ऐसा करने से भोजन आसानी से पच जाएगा और गरमी का असर कम रहेगा.

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