निमेटोड बहुत ही छोटे आकार के सांप जैसे जीव होते हैं, जिन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता. ये माइक्रोस्कोप से ही दिखाई देते हैं. ये अधिकतर मिट्टी में रह कर पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं. इन के मुंह में एक सुईनुमा अंग स्टाइलेट होता है. इस की सहायता से ये पौधों की जड़ों का रस चूसते हैं, जिस के कारण पौधे भूमि से खादपानी पूरी मात्रा में नहीं ले पाते. इस से इन की बढ़वार रुक जाती है और पैदावार में भारी गिरावट आ जाती है.

बीज गाल (पिटिका) निमेटोड (एंगुनिया ट्रिटीसाई) : इस निमेटोड की मादा 6 से 12 दिनों के अंदर 1,000 अंडे नए गाल (पिटिका) के अंदर देती है. जब फसल पकने वाली होती है, तो पिटिका भूरे रंग की हो जाती है. दूसरी अवस्था वाले लार्वे पिटिका में भर जाते हैं.

फसल की कटाई के समय स्वस्थ बीज के साथ पिटिका से ग्रसित बीज भी इकट्ठा कर लिए जाते हैं. जब अगले साल की फसल की बोआई की जाती है, तो अगला जीवनचक्र फिर शुरू हो जाता है.  जब ये लार्वे नमी वाली भूमि के संपर्क में आते हैं, तो नमी सोखने के कारण मुलायम हो जाते हैं. ये पिटिका को फाड़ कर बाहर निकल आते हैं. लार्वे की दूसरी अवस्था हानिकारक होती है इस अवस्था के लार्वे भूमि से 10 से 15 दिनों में बाहर आ जाते हैं और बीज के जमने के समय हमला कर देते हैं.

लार्वे बीज के जमने वाले भाग से ऊपर पौधे के चारों ओर बढ़ने वाले क्षेत्र में और पत्ती की सतह में पानी की पतली परत के सहारे ऊपर चढ़ जाते हैं. ये पत्ती के बढ़ने वाले भाग से पत्ती की चोटी पर चढ़ जाते हैं. पौधे की बढ़वार अवस्था में फूल के बीज बनने वाले स्थान पर निमेटोड हमला करते हैं और लार्वे फूल के अंदर चले जाते हैं. इस अवस्था में निमेटोड बीज बनने वाले भाग में रहते हैं और संख्या बढ़ने के कारण फूल पिटिका में बदल जाते हैं. लार्वे 3 से 5 दिनों में फूलों पर आक्रमण कर के नर व मादा में परिवर्तित हो जाते हैं. बहुत से नर व मादा हरी पिटिका में मौजूद रहते हैं. नुकसान के लक्षण निमेटोड से ग्रसित नए पौधे का नीचे का भाग हलका सा फूल जाता है.

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