आज के सघन खेती के युग में जमीन की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने के लिए समन्वित तत्त्व प्रबंधन पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. इस के तहत प्राकृतिक खादों का प्रयोग बढ़ रहा है. इन प्राकृतिक खादों में गोबर की खाद, कंपोस्ट और हरी खाद मुख्य है.

ये खाद मुख्य तत्त्वों के साथसाथ गौण तत्त्वों से भी भरपूर होती हैं. गोबर का प्रयोग ईंधन के रूप में (70 फीसदी) होने के कारण इस से बनी खाद कम मात्रा में उपलब्ध होती है. हरी खाद और अन्य खाद भी कम मात्रा में प्रयोग होती है, इसलिए जैविक पदार्थ का प्रयोग बढ़ाने के लिए खाद बनाने के लिए कंपोस्ट का तरीका अपनाना चाहिए.

कंपोस्ट बनाने के लिए फसलों के अवशेष, पशुशाला का कूड़ाकरकट के अलावा गांव व शहरी कूड़ाकरकरट वगैरह को एक बड़े से गड्ढे में गलाया और सड़ाया जाता है.

जरूरी सामग्री : फसल के अवशेष व कूड़ाकरकर 80 फीसदी, गोबर (10-15 दिन पुराना) 10 फीसदी, खेत की मिट्टी 10 फीसदी, ढकने के लिए पुरानी बोरी या पौलीथिन और पानी. इस के अलावा छायादार जगह पर या पेड़ के नीचे गड्ढा बनाएं.

Compostकंपोस्ट बनाने की विधि : कंपोस्ट बनाने के लिए गड्ढे की लंबाई 1 मीटर, चौड़ाई 1 मीटर और गहराई 1 मीटर होनी चाहिए. गड्ढे की लंबाई, चौड़ाई व गहराई फसल अवशेष पर भी निर्भर है.

* सब से नीचे 12-15 सैंटीमीटर मोटी भूसे की परत लगाते हैं.

* भूसे की परत के ऊपर 10-12 सैंटीमीटर मोटी गोबर की परत लगाई जाती है.

* गोबर की परत के ऊपर 30-45 सैंटीमीटर मोटी फसल अवशेष या कूड़ाकरकट की परत लगाते हैं.

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