Inspiring Personalities : खेती में रासायनिक खादों के अधाधुंध इस्तेमाल से मिट्टी की घटती उर्वरशक्ति और आमजन की बिगड़ती सेहत को समझते हुए बांदा जिले के अतर्रा गांव के किसान विज्ञान शुक्ला (Vigyan Shukla) ने एक ऐसी राह चुनी जो खुद के लिए तो मील का पत्थर साबित हुई. साथ ही, अन्य किसानों के लिए भी खेती में नई राह दिखाने का काम कर रही है. विज्ञान शुक्ला (Vigyan Shukla) ने अब से 14 साल पहले अकेले जैविक खेती की शुरुआत की और कंपोस्ट खाद बनाने का काम अपने घर से शुरू किया और आज के समय उन से प्रेरणा ले कर जिले के लगभग 300 किसान जैविक खेती को अपना रहे हैं.
विज्ञान शुक्ला (Vigyan Shukla) बांदा जिले के ऐसे प्रगतिशील किसान हैं जिन के साथ आज बुंदेलखंड क्षेत्र के लगभग 15 हजार किसान जुड़े हुए हैं, जो लगातार उन के संपर्क में रह कर जैविक खेती से अच्छा फसल उत्पादन ले रहे हैं और पशुपालन भी कर रहे हैं. विज्ञान शुक्ला (Vigyan Shukla) ने बताया कि उन के खेत पर स्थापित वर्मी कंपोस्ट यूनिट, पशुपालन यूनिट, जैविक आउटलेट पर अभी तक लगभग 4 हजार किसान भ्रमण कर चुके हैं.
उन्होंने बताया कि जैविक खेती की शुरुआत के 2 सालों में फसल उत्पादन में 10 से 12 फीसदी तक की कमी आई थी जो बाद में पूरी हो गई. अब तो रासायनिक खेती की तुलना में 20 से 25 फीसदी अधिक पैदावार मिलती है और कम लागत में गुणवत्ता युक्त फसल उत्पादन भी मिलता है. जिस के बाजार दाम भी अच्छे मिलते हैं.

कैसे करते हैं खेती ?
विज्ञान शुक्ला (Vigyan Shukla) धान,गेहूं, ज्वार, हाइब्रिड ज्वार, मूंग आदि की खेती करते हैं और खेत की एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करते हैं और 3 जुताई कल्टीवेटर से कर मिट्टी की संतुति के अनुसार बीज तय करते हैं.
जुताई के समय गोबर की खाद 6 टन प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालते हैं. खरपतवार की रोकथाम के लिए समय पर निराईगुड़ाई का काम करते हैं और पहली निराई के समय पौधों में विरलीकरण का काम करते हैं. पहली सिंचाई खेती में पुष्पास्था के समय ओर दूसरी सिंचाई पुष्प आने के बाद करते हैं.
फसल सुरक्षा के लिए रस चूसने वाले कीटों और छोटी सुंडी , इल्लियों की रोकथाम के लिए नीमास्त्र का इस्तेमाल और कीटों और बड़ी सुंडियों के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करते हैं. छिड़काव के लिए 100 लीटर पानी में 2.5 मिलीलिटर नीमास्त्र या ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करते हैं.
फसल तैयार होने के बाद फसल काटने पर उसे धूप में सुखाकर 10 से12 फीसदी नमी पर उस का भंडारण करते हैं. सुरक्षित भंडारण के लिए सूखी नीम की पतियों का इस्तेमाल करते हैं.
बीज बोने से पहले उस का बीजशोधन ट्राइकोग्रामा ट्राईकोडर्मा 4 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर के बाद राइजोबियम कल्चर 200 ग्राम प्रति 10 किलोग्राम बीज की दर से करते हैं.
लोगों को मिल रहा रोजगार
विज्ञान शुक्ला (Vigyan Shukla) का कहना है कि उन के प्रक्षेत्र पर 30 वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगी हैं. 13 पशुपालन यूनिट हैं, जैविक आउटलेट हैं जिन के जरिए लगभग 25 से 30 लोगों को रोजगार मिल रहा है.
 विज्ञान शुक्ला (Vigyan Shukla) को उन के द्वारा खेती में किए जा रहे उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रीय स्तर का जगजीवनराम अभिनव पुरस्कार के अलावा ढेरों सम्मान से नवाजा जा चूका है.
विज्ञान शुक्ला (Vigyan Shukla) को उन के द्वारा खेती में किए जा रहे उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रीय स्तर का जगजीवनराम अभिनव पुरस्कार के अलावा ढेरों सम्मान से नवाजा जा चूका है.
विज्ञान शुक्ल (Vigyan Shukla) ने बताया कि स्नातक की पढ़ाई के दौरान परिजनों को रासायनिक खादों से जूझते देखा तो मन दुखी हो गया तभी से मैं कंपोस्ट खाद के निर्माण में जुट गया. इस की शुरूआत के लिए 15×3×2 फीट की चार चरही में गोबर भर कन्नौज से लाए और उस में केंचुआ ला छोड़ा तो अच्छी वर्मी कंपोस्ट खाद बनने की शुरुआत हुई.
फिर कुछ समय बाद खेतों में पैदावार बढ़ने लगी और अच्छे नतीजों से उत्साहित हो कर कृषि एवं उद्यान विभाग से अनुदान ले कर काम को आगे बढ़ाया. जिस से खाद में अच्छा उत्पादन होने लगा तो आमदनी बढ़ने लगी. फिर तीन सालों के बाद इस काम से फसल पैदावार के अलावा खाद बिक्री से सालाना 1 लाख रुपए की आय होने लगी. जिस से मेरी आगे की राह और आसान बन गई. आज विज्ञान शुक्ला के प्रयास से बांदा और चित्रकूट जनपद के 100 से अधिक किसानों को इस तकनीक से जोड़ा गया है.
वर्मी कंपोस्ट तकनीक के बारे में उन्होंने बताया कि 15 फीट लंबी, 3 फीट चौड़ी और 2 फीट ऊंची, चरही में 15 क्विंटल गोबर और 4 क्विंटल केंचुआ की जरूरत पड़ती है. जिस में 11 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार हो जाता है. यह 2 एकड़ खेत के लिए पर्याप्त है. इन में सभी 16 पोषक तत्वों का जमावड़ा होता है. इस के प्रयोग से यूरिया, डीएपी जैसी रासायनिक खादों की आवश्यकता नहीं पड़ती है. छोटे से छोटा किसान भी वर्मी कंपोस्ट खाद का उत्पादन कर सकता है.




 
  
         
    




 
                
                
                
                
                
                
               