खेत में पराली जलाने से जमीन में मौजूद ऐसे मित्र कीट, जो फसल पैदावार बढ़ाने में मददगार हैं, वे जीवजंतु, जीवाणु आदि भी जल कर मर जाते हैं. जिस से जमीन के जीवांश व पोषक तत्वों के जलने से खेत की उर्वराशक्ति कमजोर हो जाती है और फसल पैदावार कम हो जाती है, इसलिए धान की पराली जलाएं नहीं, बल्कि उस का उपयोग करें.

इस के अलावा आजकल अनेक आधुनिक मशीनें, जैसे हैप्पी सीडर, सुपरसीडर, मल्चर, वेलरचापर आदि का प्रयोग किया जा सकता है. इस तरह के कृषि यंत्र पराली को जमीन की मिट्टी में मिला कर खेत में कार्बन की मात्रा बढ़ाने के साथसाथ जल संरक्षण की क्षमता को भी बढ़ाते हैं.

मशरूम उत्पादन में सहायक पुआल

धान के पुआल का उपयोग मशरूम उत्पादन के लिए काफी लाभदायक है. एक क्विंटल पुआल की कुट्टी से 10 किलोग्राम मशरूम उत्पादन होता है.

चारा व खाद में होता है इस्तेमाल

धान का पुआल पशुओं को चारे के रूप में अन्य चारों के साथ मिला कर खिलाया जाता है. खेत के किनारे एक गड्ढा खोद कर उस में पराली डाल कर खाद बनाई जा सकती है.

Parali
Parali

पराली को खाद में बदलने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली ने 20 रुपए की कीमत वाले 4 कैप्सूल का एक पैकेट तैयार किया है. 4 कैप्सूल से छिड़काव के लिए 25 लिटर पानी का घोल बनाया जा सकता है और एक हेक्टेयर में इस का इस्तेमाल कर सकते हैं. सब से पहले 5 लिटर पानी में 100 ग्राम गुड़ उबालना है और ठंडा होने के बाद घोल में 50 ग्राम चने का बेसन मिला कर कैप्सूल घोलना है. इस के बाद घोल को 10 दिन तक एक अंधेरे कमरे में रखना होगा, जिस के बाद पराली पर छिड़काव के लिए पदार्थ तैयार हो जाता है. इस घोल को जब पराली पर छिड़का जाता है, तो 15 से 20 दिन के अंदर पराली गलनी शुरू हो जाती है और किसान अगली फसल की बोआई आसानी से कर सकते हैं, आगे चल कर यह पराली पूरी तरह गल कर खाद में बदल जाती है और खेती में फायदा देती है. एक हेक्टेयर खेत में छिड़काव के लिए 25 लिटर बायोडीकंपोजर के साथ 475 लिटर पानी मिलाया जाता है.

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