आज चीनी मिलें चीनी के साथ एथेनाल भी बना रहीं

लखनऊ : 10 जून, 2023. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विगत 6 वर्षों में प्रदेश के गन्ना विभाग ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं. उत्तर प्रदेश देश के सब से बड़े गन्ना उत्पादक राज्य से सब से अधिक चीनी उत्पादन करने वाले राज्य में बदल गया है. साथ ही, सब से बड़े एथेनाल उत्पादक राज्य और खांडसारी की सर्वाधिक यूनिट वाला राज्य भी उत्तर प्रदेश है. उत्तर प्रदेश की मिठास को गन्ने ने दुनिया में पहुंचाया है.

मुख्यमंत्री लोक भवन में राज्य गन्ना उत्पादन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाणपत्र वितरण, 25 सहकारी गन्ना और चीनी मिल समितियों के नवनिर्मित भवनों का डिजिटली लोकार्पण करने के बाद आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने 4 गन्ना समितियों के प्रतिनिधियों, 8 चीनी मिलों के प्रतिनिधियों और प्रगतिशील गन्ना किसानों को सम्मानित किया.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मांग और पूर्ति बाजार का नियम है. जब चीनी ज्यादा होती है, तो इस की मांग कम होती है और बाजार में उचित दाम नहीं मिलता है. चीनी मिल मालिकों ने सरकार से एथेनाल बनाने की अनुमति मांगी, जिस से वे समय पर किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान कर सकें. आज ज्यादातर चीनी मिलें चीनी के साथ एथेनाल भी बना रही हैं. एथेनाल के माध्यम से उत्तर प्रदेश ग्रीन एनर्जी का केंद्र भी बन रहा है.

उत्तर प्रदेश की धरती में एक एकड़ में 1,000 क्विंटल गन्ना उत्पादन की क्षमता है. इन किसानों ने एक एकड़ में 1,000 क्विंटल गन्ना उत्पादन के हमारे सपने को सच किया है. ‘प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्’.

आज यहां इस कार्यक्रम में 2,640 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गन्ना उत्पादन करने वाले किसान भी मौजूद हैं. हमारे अन्नदाता किसानों ने अपनी सामर्थ्य और परिश्रम से यह सिद्ध किया है कि यदि हम थोड़ा सा भी प्रयास करें, तो उत्तर प्रदेश की धरती से इतना गन्ना उत्पादन हो सकता है.

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आज यहां सहकारी गन्ना समितियों के भवनों का लोकार्पण भी किया गया है. यह भवन इन समितियों के कामों को व्यवस्थित बनाने के साथ ही खाद और चीनी के गोदाम के रूप में भी प्रयोग किए जा सकते हैं.

गन्ना विभाग ने पिछले 6 वर्षों में हर क्षेत्र में कुछ नया कर के दिखाया है. इस का परिणाम है कि वर्ष 2007 से वर्ष 2017 के बीच कुल गन्ना मूल्य का भुगतान 1 लाख करोड़ के लगभग हुआ था, जबकि वर्ष 2017 से वर्ष 2023 के 6 वर्षों में गन्ना किसानों को 2 लाख, 13 हजार, 400 करोड़ रुपए के गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है. साथ ही, अन्नदाता किसानों के खातों में डीबीटी के माध्यम से यह राशि चीनी मिल मालिकों द्वारा भेजी गई है. खांडसारी उद्योग में हुई अतिरिक्त गन्ना पेराई का नकद भुगतान किया गया है. एथेनाल उत्पादन का भी अतिरिक्त मूल्य मिल रहा है.

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने चीनी मिलों द्वारा 14 दिनों में गन्ना मूल्य का भुगतान किए जाने की व्यवस्था की है, जबकि लगभग 100 चीनी मिलें एक सप्ताह से 10 दिनों के भीतर गन्ना मूल्य का भुगतान कर रही हैं, शेष चीनी मिलें भी धीरेधीरे यह काम करने लगेंगी. हमारी सरकार ने 4 बंद चीनी मिलों को चलाया है और इस दौरान 2 नई चीनी मिलें भी स्थापित की गई हैं. चौधरी चरण सिंह किसानों के मसीहा थे. उन्होंने छपरौली की चीनी मिल का पुनरुद्धार किए जाने की बात कही थी. पिछली सरकारों ने इस विषय में कोई काम नहीं किया. यह गर्व का विषय है कि हमारी सरकार ने छपरौली में नई चीनी मिल स्थापित की.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बस्ती की मुंडेरवा में चीनी मिल बंद होने पर आंदोलन हुआ था. हमारी सरकार ने वहां एक नई चीनी मिल की स्थापना की. वह अपनी पूरी क्षमता से चल रही है. ये चीनी मिलें किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने और विकास का प्रतीक बनी हैं. इस से अनेक लोगों को रोजगार मिला है और गन्ना किसानों के गन्ना मूल्य का भुगतान हो रहा है.

उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयास से बंद चीनी मिलें चलाई जा रही हैं, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से विगत 6 वर्षों में प्रदेश में लगभग 23 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई की सुविधा मिली है. इस से गन्ना खेती का दायरा बढ़ा है और गन्ना किसानों की तादाद 45 लाख से बढ़ कर 60 लाख हुई है.

कई चीनी मिलें टिश्यू कल्चर के माध्यम से किसानों को अच्छा गन्ना बीज समय से उपलब्ध करा रही हैं. ये खेती की उत्पादकता और गन्ना किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जीडीपी में गन्ना और चीनी का सम्मिलित योगदान लगभग 9 फीसदी है. आज जिन किसानों, चीनी मिलों के प्रतिनिधियों और महिला स्वयंसेवी सहायता समूहों के सदस्यों को सम्मानित किया गया है, उन का उत्तर प्रदेश की प्रगति में बड़ा योगदान है.

इस अवसर पर चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास राज्य मंत्री संजय सिंह गंगवार, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास संजय आर. भूसरेड्डी सहित गन्ना विभाग के अधिकारी, चीनी मिलों एवं सहकारी समितियों के प्रतिनिधि और तमाम किसान उपस्थित थे.

राजस्थान किसान महोत्सव : कृषि मेले में उन्नत कृषि तकनीकों से किसान होंगे रूबरू

जयपुर : कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों को नवीनतम तकनीकों से रूबरू करवाने के लिए राज्य सरकार 16 जून से 18 जून को किसान मेले का आयोजन कर रही है. कृषि, प्रौद्योगिकी और व्यापार के क्षेत्र में लोगों को एक मंच पर लाने और कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों में समावेशित विकास सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के मेलों की महत्वपूर्ण भूमिका है. इस तरह के कृषि मेलों के जरीए किसानों को एक ही मंच पर कृषि से जुड़ी ढेरों जानकारियां मिल जाती हैं.

राज्य व संभाग स्तरीय मेलों का आयोजन

कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि 16 जून से 18 जून को जेईसीसी, सीतापुरा, जयपुर में ‘राजस्थान किसान महोत्सव’ का आयोजन किया जाएगा. साथ ही, 23-24 जून को उदयपुर एवं 30 जून-01 जुलाई को जोधपुर में संभाग स्तरीय किसान मेलों का आयोजन किया जा रहा है. राज्य स्तरीय किसान मेले में लगभग 50 हजार और संभाग स्तरीय मेले में लगभग 20-20 हजार किसान हिस्सा लेंगे.

उन्होंने बताया कि मेले में कृषि से जुड़ी नई कृषि तकनीकें किसानों को बताई जाएंगी, जिस से खेती में कम लागत में अधिक आमदनी मिल सके और किसानों की माली हालत मजबूत बन सके.

मेले में क्या होगा विशेष

कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि किसान महोत्सव में स्मार्ट फार्म, कृषि, बागबानी, पशुपालन, डेरी, मत्स्यपालन व कृषि विपणन की विश्वस्तरीय तकनीकों का प्रदर्शन किया जाएगा. साथ ही, कृषि उत्पाद, औजार, बीज आदि की वृहद प्रदर्शनी लगाई जाएगी और अत्याधुनिक कृषि मशीनरी का प्रदर्शन भी किया जाएगा.

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि मेले में किसानों के लिए जाजम चौपाल भी रखी गई है, जिस में किसान विषय विशेषज्ञों से संवाद कर खेती की अनेक जानकारी ले सकेंगे. कार्यक्रम में किसानों के लिए विषयवार सेमिनार और कृषक गोष्ठियों का कार्यक्रम भी रखा गया है.

मेला युवाओं के लिए खास होगा

युवाओं के रोजगार को ले कर कृषि मेले में स्टार्टअप्स से मुलाकात करवाई जाएगी, जिस से युवा कृषि के क्षेत्र में उद्यमी बन कर नए रोजगारों का सृजन कर सकेंगे और नए लोगों को भी मौका दे सकेंगे. इस के अलावा मेले में मनोरंजन का विशेष ध्यान रखा जाएगा. इस के लिए फिल्म, साहित्य व सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रखे जाएंगे.

किसान सम्मान निधि योजना, समस्या का समाधान शिविर

समस्त किसान भाइयों को सूचित किया जाता है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत जिन किसानों को कोई समस्या है इस के निवारण हेतु अंतिम अवसर प्रदान किया जा रहा है, जिस के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में दिनांक 22.05.2023 से 10.06.2023 तक शिविर लगना प्रारंभ है जिस में चौदहवीं किस्त प्राप्त करने हेतु यह अनिवार्य है कि किसान पोर्टल पर भूमि का विवरण दर्ज करवाना ई-केवाईसी, बैंक खाते में आधार सीडिंग/एनपीसीआई में लिंक करवाना आदि. यदि उपरोक्त उल्लिखित कार्य नहीं कराए जाते तो चौदहवीं किस्त नहीं जाएगी.

उक्त योजना में पात्र किसानों को लाभ देने का अभियान चलाया जा रहा है जिस में प्रत्येक शिविर में ग्राम प्रधान कृषि विभाग के प्राविधिक सहायक, लेखपाल, जन सेवा केंद्र के प्रतिनिधि एवं इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे जिस में भूलेख अंकन, ई-केवाईसी कराने अथवा बैंक खाते की आधार सीडिंग युक्त बैंक खाता पोस्ट औफिस के माध्यम से खुलवाने के लिए अपने आधार एवं खतौनी की नकल सहित ग्राम पंचायत में आयोजित शिविर में उपस्थित हो कर समस्या का समाधान अवश्य करावें. कृषक स्वयं भी भारत सरकार के पीएम किसान मोबाइल एप डाउनलोड कर फेसियल ई-केवाईसी कर सकते है या अपने नजदीकी जन सेवा केंद्र पर भी खाते की आधार सीडिंग एवं एनपीसीआई लिंकिंग करा सकते हैं. यदि किसी ने जन सेवा केंद्र के माध्यम से नया पंजीकरण कराया गया है एवं पंजीकरण किसी भी स्तर पर निरस्त है तो पुन: अपने अभिलेख अपडेट करावें. आधार के अनुसान नाम नहीं दर्ज है तो पीएम किसान पोर्टल पर ओटीपी आधारित प्रक्रिया से नाम सही कराएं. यदि किसी कृषक का एनपीसीआई खाते से लिंक नहीं है अपना बैंक खाता पोस्ट औफिस के माध्यम से खुलवा लें.

(अनिल कुमार)

उप कृषि निदेशक,बस्ती

सरकार ने वर्ष 2023-24 की मूल्य समर्थन योजना के तहत अरहर, उड़द और मसूर की खरीद की सीमा हटाई

नई दिल्ली : दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सरकार ने वर्ष 2023-24 की मूल्य समर्थन योजना यानी पीएसएस के तहत अरहर यानी तुअर, उड़द और मसूर पर लगी 40 फीसदी की खरीद सीमा को हटा दिया है.

सरकार के इस फैसले से बिना किसी सीमा के किसानों से एमएसपी पर इन दालों की खरीद की जा सकती है. सरकार द्वारा लाभकारी कीमतों पर इन दालों की सुनिश्चित खरीद से किसानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए आगामी खरीफ और रबी बोआई के मौसम में अरहर, उड़द और मसूर के बोआई क्षेत्र को बढ़ाने के लिए प्रेरित करने में मदद मिलेगी.

सरकार ने 2 जून, 2023 को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 को लागू करते हुए अरहर और उड़द पर स्टाक सीमा लगा दी थी, ताकि जमाखोरी और अनैतिक व्यापार गतिविधियों को रोका जा सके और इस तरह उपभोक्ताओं को राहत दी जा सके.

यह स्टाक सीमा थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं, मिल मालिकों (चक्की वालों) और आयातकों के लिए लागू की गई है. इन सब के के लिए उपभोक्ता मामलों के विभाग के पोर्टल (https://fcainfoweb.nic.in/psp) पर अपने स्टाक की स्थिति घोषित करना भी अनिवार्य कर दिया गया है.

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने अरहर और उड़द पर लगाई गई स्टाक सीमा पर अगली कार्यवाही के तहत राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे अपनेअपने राज्यों में इस सीमा का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें. इस के लिए राज्यों को विभिन्न गोदाम संचालकों के साथ सत्यापन कर के कीमतों और स्टाक की स्थिति की निगरानी करने के लिए भी कहा गया है. इस के साथसाथ विभाग ने सेंट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन (सीडब्ल्यूसी) और स्टेट वेयरहाउसिंग कारपोरेशन (एसडब्ल्यूसी) को भी उन के गोदामों में रखी अरहर और उड़द से संबंधित विवरण उपलब्ध कराने को कहा है.

भाकृअनुप- भाकृअनुसं (एनआईआरएफ) : कृषि विज्ञान में उत्कृष्टता के शिखर पर

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, जिसे पूसा संस्थान और हरित क्रांति के अग्रदूत के रूप में जाना जाता है, वर्ष 2023 के लिए राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) द्वारा कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की श्रेणी के अंतर्गत की गई रैंकिंग में सर्वोच्च शिखर पर पहुंच गया है. नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के 8वें संस्करण की घोषणा 5 जून, 2023 को भारत सरकार के विदेश और शिक्षा राज्य मंत्री डा. राजकुमार रंजन सिंह द्वारा की गई थी.

एनआईआरएफ ने लगभग 8,686 उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग जारी की, जिन्होनें रैंकिंग कवायद में भाग लिया. पूर्व में 4 श्रेणियां और 7 विषय क्षेत्र थे. कृषि और संबद्ध क्षेत्र को पहली बार एक विषय क्षेत्र के रूप में जोड़ा गया है.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार में उत्कृष्टता के लिए अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखा है. संस्थान पहले से ही एक वैश्विक विश्वविद्यालय के रूप में विकसित होने के मार्ग पर चल पड़ा है. इस ने कृषि, सामुदायिक विज्ञान, बी. टैक (इंजीनियरिंग) और बी. टैक (जैव प्रौद्योगिकी) के 4 विषयों में स्नातक कार्यक्रम शुरू किए हैं. नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप व्यावसायिक शिक्षा पर जोर देने के लिए कई डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू करने की योजना है.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के संकाय की कड़ी मेहनत और प्रतिभा के अलावा संस्थान के निदेशक और कुलपति डा. अशोक कुमार सिंह की योजना और मार्गदर्शन, और अधिष्ठाता और संयुक्त निदेशक (शिक्षा) डा. अनुपमा सिंह एवं सहअधिष्ठाता डा. अतुल कुमार के समर्पित प्रयासों से संस्थान को रैंकिंग में पहला स्थान प्राप्त करने में सफलता मिली है. संस्थान भाकृअनुप के महानिदेशक एवं सचिव डेयर, डा. हिमांशु पाठक के साथसाथ उपमहानिदेशक (शिक्षा), डा. आरसी अग्रवाल और उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान), डा. टीआर शर्मा को उन के प्रेरणा, समर्थन और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त करता है.

डा. राजकुमार रंजन सिंह, विदेश और शिक्षा राज्यमंत्री, भारत सरकार ने भाकृअनुसं को पुरस्कार प्रदान किया.

एमपीयूएटी के संघटक डेरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में

‘विश्व दुग्ध दिवस’ सप्ताह का समापन समारोह और कार्यक्रम के अंतिम दिन ‘वैश्विक डेरी उद्योग: अवसर और चुनौतियां’ पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हुआ. राष्ट्रीय सेमिनार में डा. अजीत कुमार कर्नाटक, एमपीयूएटी के कुलपति, विजय सरदाना, तकनीकी कानूनी विशेषज्ञ, भारत सरकार और कौशलेश वार्ष्णेय, तकनीकी निदेशक, सोशियो हजूरी प्राइवेट लिमिटेड जैसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय वक्ता शामिल हुए और 350 छात्रों ने भाग लिया.

विजय सरदाना ने बताया कि दूध में मौजूद तमाम पौष्टिक तत्वों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन ने विश्व दुग्ध दिवस मनाने का फैसला किया, ताकि दूध के तमाम महत्वों की जानकारी से आम जनजीवन को अवगत कराया जा सके, वहीं कौशलेश वार्ष्णेय ने कहा कि इस का मुख्य उद्देश्य जनजन को दूध में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों के प्रति जागरूक करना, डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और आर्थिक विकास को मजबूत बनाना था. इस दिवस की महत्ता को देखते हुए प्रत्येक वर्ष दुग्ध दिवस मनाने वाले देशों की संख्या में वृद्धि हो रही है.

महाविद्यालय के डीन डा. लोकेश गुप्ता ने बताया कि विश्व दुग्ध दिवस वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन यानी एफएओ द्वारा एक वैश्विक आहार के रूप में दूध के महत्त्व को रेखांकित करने के लिए स्थापित किया गया.

डा. अजीत कुमार कर्नाटक, एमपीयूएटी, कुलपति ने बताया कि इस दिन का उद्देश्य डेरी क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों पर ध्यान आकर्षित करने का अवसर प्रदान करना है.

डा. एसआर मालू, सदस्य बीओएम, एमपीयूएटी ने बताया कि डेरी भारत में सब से बड़ी कृषि जिंस है. यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5 फीसदी का योगदान देता है और 80 मिलियन डेरी किसानों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है. आर्थिक गतिविधियों में सुधार, दुग्ध और दुग्ध उत्पादों की प्रति व्यक्ति खपत में वृद्धि, आहार संबंधी प्राथमिकताओं में बदलाव और भारत में बढ़ते शहरीकरण ने डेरी उद्योग को वर्ष 2021-22 में 9-11 फीसदी की वृद्धि के लिए प्रेरित किया है.

संगठित डेरी खंड, जिस का उद्योग (मूल्य के आधार पर) में 26-30 फीसदी हिस्सा है, में असंगठित क्षेत्र की तुलना में तेजी से विकास देखा गया है.

प्रशिक्षण आयोजक सचिव डा. कमलेश मीना ने बताया कि महाविद्यालय में ‘विश्व दुग्ध दिवस’ सप्ताह में विविध प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ.

पहले दिन की शुरुआत पोस्टर प्रस्तुति प्रतियोगिता से हुई, जिस में 60 छात्रों ने भाग लिया. दूसरे दिन निबंध लेखन प्रतियोगिता हुई, जिस में मौके पर ही विषय उपलब्ध कराया गया. कार्यक्रम के तीसरे दिन एक्सटेंपोर प्रतियोगिता हुई, जिस में 35 छात्रों ने भाग लिया. साथ में छात्रों के लिए सीनियर अलुमनी के साथ संवाद व अनुभव आदा प्रदान का सत्र भी चालू करवाया गया. प्रतियोगिता के परिणाम घोषित कर उन्हें पुरस्कृत किया गया.

 इफको द्वारा जिला सहकार सम्मेलन का आयोजन 

दिनाँक 02 जून 2023 को किसानों की संस्था “इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड” द्वारा उदयपुर मे जिला सहकार सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिस में मुख्य अतिथि  सुधीर मान, राज्य विपणन प्रबंधक इफको राजस्थान, एवं बी.एल. पाटीदार, अतिरिक्त निदेशक कृषि,  माधव सिंह चंपावत, संयुक्त निदेशक कृषि,  सुधीर वर्मा, परियोजना निदेशक आत्मा, उदयपुर,  श्याम सिंह, सहायक निदेशक,  प्रवीण लाम्बा, क्षेत्रीय अधिकारी इफको उदयपुर सहित 40 सहकारी समितियो के व्यवस्थापको ने कार्यक्रम में भाग लिया.

सुधीर मान , राज्य विपणन प्रबंधक इफको राजस्थान, ने यूरिया एवं डीएपी की आपूर्ति के बारे मे जानकारी दी. नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के उपयोग बढ़ाने का आग्रह किया तथा उपस्थित व्यवस्थापको को किसानों से सही समन्वय बनाकर कार्य करने तथा नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के उपयोग एवं कार्यविधि को साझा करके ही नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी की बिक्री करने की सलाह दी, जिससे किसानों के आर्थिक एवं समय की बचत के साथ-साथ उनकी पैदावार बढ़े एवं नैनो यूरिया और नैनो डीएपी की अधिक से अधिक बिक्री से समिति का भी लाभांश बढ़ाया जा सकता है. सुधीर मान ने बताया की किसानों को कृषि जगत की नई तकनीकों की जानकारी एवं उपलब्धता सहकारिता के माध्यम से बहुत ही कम समय में एवं समय की आवश्यकता अनुसार मिलती है  और बताया कि किस प्रकार से यूरिया व डीएपी की सप्लाई में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

माधव सिंह चंपावत, संयुक्त निदेशक कृषि ने नैनो यूरिया व नैनो डीएपी के लाभ को बताते हुए उर्वरको का एडवांस स्टॉक करने की बात कही जिससे सीजन में समस्याओं का सामना ना करना पड़े. यूरिया, डीएपी व एनपीके को निरंतर रूप से पोस मशीन के माध्यम से बिक्री की जानी चाहिए.

सुधीर वर्मा जी, परियोजना निदेशक  आत्मा, उदयपुर ने बताया कि नैनो यूरिया एवं सागरिका का सकारात्मक एवं उत्कृष्ट परिणाम है, इसे आप सभी प्रयोग करें उपयोग में लें तथा किसानों को समझा कर बिक्री करें. जिससे किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य एवं वातावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बी.एल. पाटीदार, अतिरिक्त निदेशक कृषि, ने सहकारी समितियो के व्यवस्थापको को बताया कि किसानों को उचित गुणवत्ता की सही खाद उपलब्ध करवानी चाहिए। नवाचारों को किसानों तक पहुंचाए जाने चाहिए व नैनो यूरिया व नैनो डीएपी का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार करना चाहिए और किसानो को उत्पाद के साथ उसको प्रयोग करने की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवानी चाहिए.

प्रवीण लाम्बा, क्षेत्रीय अधिकारी इफको उदयपुर  द्वारा नैनो यूरिया तथा नैनो डीएपी के उपयोग एवं कार्य विधि के बारे में पीपीटी के माध्यम से विस्तृत जानकारी साझा की व बयाया कि बुवाई के समय दी जाने वाली डीएपी की मात्रा आधी कर 5ml प्रति किलोग्राम नैनो डीएपी से बीज उपचार कर बुवाई करें 25 से 35 दिन के पश्चात 2-4 ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें जिससे फसल का उत्पादन व उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ेगी.  नैनो यूरिया के बारे में जानकारी दी व बताया कि फसल को पहले पानी में यूरिया आधी मात्रा दे ताकि फसल के अच्छी पत्तियां आ जाए. उसके बाद में बुवाई के 35-40 दिन बाद यूरिया दानेदार की जगह इफको नैनो यूरिया तरल 2-4 मिली लीटर प्रति लीटर पानी मे घोलकर फसल पर स्प्रे करें जिससे खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य तथा पर्यावरण को बचाते हुए कम लागत में अधिक उत्पादन लिया जा सके.

उत्तर प्रदेश में मत्स्य विभाग की योजनाओं के लिए आवेदन शुरू

लखनऊ : मछुआ समाज व बेरोजगार युवाओं के लिए उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग द्वारा तमाम तरह की अनुदान योजनाएं चलाई जा जा रही हैं, जिस के लिए आवेदक को उत्तर प्रदेश के मत्स्य विभाग के पोर्टल से औनलाइन आवेदन करना अनिवार्य है. मत्स्य विभाग की तरफ से विभागीय योजनाओं के लिए लाभार्थियों के आवेदन की तारीख तय हो गई है. कोई भी व्यक्ति जो विभाग के अनुदान योजनाओं का लाभ लेना चाहता है, वह 30 मई, 2023 से विभागीय पोर्टल वैबसाइट http://fisheries.up.gov.in पर औनलाइन आवेदन कर सकता है.

इन योजनाओं में मिलेगा सहायता अनुदान

विभाग के औनलाइन पोर्टल का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मत्स्य विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री डा. संजय कुमार निषाद द्वारा किया गया.

इस अवसर पर उन्होंने मत्स्य विकास से संबंधित कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत निजी भूमि पर तालाब बनाने, मत्स्य बीज हैचरी बनाने, बायोफ्लाक पौंड, रियरिंग तालाब बनाने, रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, इंसुलेटेड व्हीकल्स, मोटरसाइकिल विद आइसबौक्स, थ्रीव्हीलर विद आइसबौक्स, साइकिल विद आइसबौक्स, जिंदा मछली विक्रय केंद्र, मत्स्य आहार प्लांट, मत्स्य आहार मिल, केज संवर्धन, पेन संवर्धन, सजावटी मछली रियरिंग यूनिट, कियोस्क निर्माण, शीतगृह निर्माण, मनोरंजन मात्स्यिकी, डाइग्नोस्टिक मोबाइल लैब, मत्स्य सेवा केंद्र एवं सामूहिक दुर्घटना बीमा सहित कुल 30 योजनाओं के लिए औनलाइन आवेदन 30 मई से 15 जून, 2023 तक आमंत्रित किया जा सकेगा.

मछलीपालन पर होगा जोर

मंत्री डा. संजय निषाद ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त (अल्ट्रामौडर्न) फिश मार्केट की स्थापना की जा रही है. वर्तमान में जनपद चंदौली में अल्ट्रामौडर्न फिश मंडी निर्माणाधीन है.

उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मात्स्यिकी सैक्टर के संगठित विकास के लिए केंद्र प्रायोजित परियोजना के अंतर्गत जनपद गोरखपुर एवं मथुरा में इंटीग्रेटेड एक्वापार्क बनाए जाने की परियोजना का प्रावधान हैं, जिस की लागत प्रति इकाई सौ करोड़ रुपए है. वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए जनपद गोरखपुर एवं मथुरा में इंटीग्रेटेड एक्वापार्क की स्थापना का प्रस्ताव राज्य स्तरीय अनुश्रवण एवं अनुमोदित समिति द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है.

एक ट्रिलियन इकोनौमी में मत्स्य विभाग का होगा महत्वपूर्ण योगदान

मंत्री डा. संजय निषाद ने बताया कि उत्तर प्रदेश की एक ट्रिलियन इकोनौमी में मत्स्य विभाग का महत्वपूर्ण योगदान होगा. योजना की शुरुआत से ले कर अब तक 18,951.20 लाख रुपए का अनुदान लाभार्थियों को वितरित किया गया है. योजना के तहत 1,794 (क्षेत्रफल 1386.12 हेक्टेयर) निजी भूमि पर तालाबों, 59 (क्षेत्रफल 73.21 हेक्टेयर) खारे भूमि पर तालाबों, 176 (क्षेत्रफल 165.632 हेक्टेयर) रियरिंग यूनिट, 661 बायोफ्लाक, 32 मत्स्य बीज उत्पादन हैचरी, 660 रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, 19 इंसुलेटेड व्हीकल्स एवं मोबाइल लैब, 143 मोटरसाइकिल विद आइसबौक्स, 50 थ्रीव्हीलर विद आइसबौक्स, 1379 साइकिल विद आइसबौक्स, 34 जिंदा मछली विक्रय केंद्र, 45 मत्स्य आहार मिल, 29 कियोस्क, 1 बैकयार्ड आर्नामेंटल फिश रियरिंग यूनिट, 85 केज सहित कुल 6904 परियोजनाएं पूरी कराई गईं, जिस की कुल परियोजना लागत 33173.0425 लाख रुपए है. 11513 परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है, जिस की कुल परियोजना लागत 32050.517 लाख रुपए है.

मत्स्य विकास मंत्री डा. संजय निषाद ने कहा कि रिवर रैचिंग कार्यक्रम के तहत नदियों में मत्स्य संरक्षण के लिए 188.15 लाख बड़े आकार के मत्स्य बीज (मत्स्य अंगुलिकाएं) गंगा नदी प्रणाली में बहाई जा चुकी है, जिस पर 488.90 लाख रुपए की धनराशि खर्च हुई.

उन्होंने आगे कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के साथ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 107015.42 लाख रुपए की कार्ययोजना का अनुमोदन राज्य स्तरीय अनुमोदन एवं अनुश्रवण समिति से प्राप्त करते हुए उक्त कार्ययोजना का अनुमोदन राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड को प्रेषित करते हुए भारत सरकार से 44260.63 लाख रुपए का केंद्रांश अवमुक्त किए जाने के लिए अनुरोध किया गया है, जबकि सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत अब तक 102840 मछुआरों/मत्स्यपालकों को आच्छादित किया गया है.

डा. संजय निषाद ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत ग्राम समाज के पट्टे पर आवंटित तालाबों में मत्स्यपालन हेतु निवेश और मत्स्य बीज बैंक की स्थापना हेतु सुविधा प्रदान की जा रही है. परियोजना की इकाई लागत 4 लाख रुपए पर 40 फीसदी 1.60 लाख रुपए का अनुदान दिया जा रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत अब तक 849.78 लाख रुपए का अनुदान 648 लाभार्थियों को दिया गया है, जिस से 612.50 हेक्टेयर जलक्षेत्रों में मत्स्यपालन हेतु निवेश के लिए अनुदान की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 में 10.00 करोड़ का बजट प्रावधान कराया गया है, जिस के अंतर्गत 625 हेक्टेयर जलक्षेत्रों में मत्स्यपालन निवेश एवं मत्स्य बीज बैंक की स्थापना के लिए लगभग 700 लाभार्थियों को लाभान्वित किया जाएगा.

मछली पकड़ने के साजोसामान पर मिलेगा अनुदान

मंत्री डा. संजय निषाद ने बताया कि निषादराज बोट सब्सिडी योजना के अंतर्गत मत्स्यपालकों/मछुआरों को मछली पकड़ने एवं नौकायन हेतु नाव, जाल, लाइफ जैकेट, आइसबौक्स आदि क्रय करने की सुविधा प्रदान करने हेतु आवेदनपत्र लिया जा रहा है. योजना की इकाई लागत 67,000 रुपए पर 40 फीसदी 26,800 रुपए का अनुदान दिया जाएगा. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 5.00 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान कराया गया है, जिस के अंतर्गत नाव, जाल आदि खरीदने के लिए 1865 मछुआरों को लाभान्वित किया जाएगा.

ट्रेनिंग के साथ मिलेगी सुरक्षा

मत्स्य मंत्री डा. संजय निषाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष के अंतर्गत मत्स्यपालकों/मछुआरों के आर्थिक/सामाजिक उत्थान एवं स्वरोजगार हेतु मत्स्यपालक/मछुआरा बाहुल्य ग्रामों में अवसंरचनात्मक सुविधाओं का निर्माण, दैवीय आपदाओं से हुई किसी क्षति में वित्तीय सहायता, चिकित्सा सहायता, मछुआ आवास निर्माण सहायता, मत्स्यपालकों एवं मछुआरों के प्रशिक्षण, महिला सशक्तिकरण सहित कुल 6 योजनाएं चलाई जा रही हैं. योजना में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 25 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान कराया गया है. योजना के अंतर्गत सामुदायिक भवन निर्माण, मछुआ आवास निर्माण, दैवीय आपदा में चिकित्सा सहायता, प्रशिक्षण एवं महिला सशक्तिकरण के माध्यम से मत्स्यपालकों एवं मछुआरों को लाभान्वित किया जाएगा.

मछुआरों को बिना जमानत के मिलेगा बैंक ऋण

इस अवसर पर मत्स्य विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे ने बताया कि मंत्री डा. संजय कुमार निषाद के दिशानिर्देशन में मत्स्य विकास विभाग द्वारा मत्स्यपालकों एवं मत्स्य गतिविधियों में लगे हुए व्यक्तियों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है. बैंकों के माध्यम से किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दिलाई जा रही है, जिस के अंतर्गत 1.60 लाख रुपए तक का बैंक ऋण बिना किसी जमानत के दिया जाता है. अब तक 13,788 मत्स्यपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराया गया है.

कार्यक्रम में मत्स्य विकास विभाग के विशेष सचिव एवं निदेशक प्रशांत शर्मा ने मत्स्य विभाग की उपलब्धियों एवं आगामी योजनाओं के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मत्स्यपालकों और मत्स्य गतिविधियों से जुड़े लोगों को विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए विभाग द्वारा हर संभव काम किया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में मशरूम प्रशिक्षण केंद्र

बस्ती : उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में उद्यान विभाग के औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र में स्थित मशरूम प्रशिक्षण इकाई द्वारा साल 2023 के लिए ट्रेनिंग शेड्यूल जारी कर दिया गया है. इस के जरीए बेरोजगार नौजवानों को मशरूम उत्पादन से जुड़ी तकनीकी और व्यावहारिक जानकारियां प्रदान की जाएगी. इस केंद्र पर बस्ती जिले के अलावा प्रदेश के किसी भी जनपद के प्रतिभागी ट्रेनिंग में हिस्सा ले सकते हैं.

मशरूम प्रशिक्षण इकाई के प्रभारी विवेक ने बताया कि वर्तमान वर्ष 2023-24 में औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती में मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम की तिथियां निर्धारित की गई हैं.

उन्होंने यह भी बताया है कि मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम 6 जून से 8 जून, 11 सितंबर से 13 सितंबर, 10 अक्तूबर से 12 अक्तूबर, 16 नवंबर से 18 नवंबर एवं 12 दिसंबर से 14 दिसंबर तक तीनदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम होना है.

उन्होंने आगे बताया कि दूरदराज के प्रशिक्षणार्थियों के लिए कृषक छात्रावास में एकसाथ 25 किसानों के ठहरने की निःशुल्क व्यवस्था है. परंतु भोजनबोर्डिंग एवं जलपान की व्यवस्था प्रशिक्षणार्थियों को स्वयं करना होगा.

उन्होंने जानकारी देते हुए यह भी बताया कि प्रत्येक प्रशिक्षण सत्र के लिए प्रति प्रशिक्षणार्थी 50 रुपए पंजीकरण शुल्क भी जमा करना होगा.

इस प्रशिक्षण में शामिल होने वाले लोगों को मशरूम की विभिन्न प्रजातियों को मौसम के अनुसार उगाने के बारे में विस्तृत ट्रेनिंग दी जाएगी. इसी के साथ प्रशिक्षणार्थियों को न केवल मशरूम उत्पाद बनाने व उस के विपणन की भी जानकारी दी जाएगी. इस टेनिंग में अलगअलग तापमान के अनुसार विभिन्न प्रजातियों का चयन कर वर्षभर उत्पादन लेने की तकनीकी भी बताई जाएगी, जिस में बटन मशरूम, दूधिया या पराली मशरूम के उत्पादन के सभी विधियों पर जानकारी दी जाएगी.

मशरूम प्रभारी विवेक ने बताया कि इस केंद्र से बटन, ढिंगरी व दूधिया प्रजाति के मशरूम स्पान तैयार कर शासकीय दर पर उत्पादकों को दिए जाते हैं. ट्रेनिंग से जुड़ी विशेष जानकारी या आवेदन के लिए कार्यालय संयुक्त निदेशक, औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती के टेलीफोन नंबर 05542-246843 या मशरूम प्रभारी विवेक के मोबाइल नंबर 8840536039 पर संपर्क किया जा सकता है.

नमो चौपाल के जरीए कृषि वैज्ञानिक देंगे खेतीकिसानी की जानकारी

मध्य प्रदेश में किसानों की सहायता के लिए प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कृषि मेले आयोजित करने का निर्णय लिया है. किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने उज्जैन में आयोजित हुए एग्री एक्सपो (कृषि मेले) का शुभारंभ किया.

इस अवसर पर किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने जानकारी दी कि हर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर नमो चौपाल बनाई जाएगी. इस चौपाल पर किसान, ग्रामीण और कृषि वैज्ञानिक सभी मिल कर खेतीकिसानी पर आपस में चर्चा करेंगे. इस के साथ ही उन्होंने एग्री एक्सपो में स्थापित किए गए विभिन्न स्टालों का भी दौरा किया.

जानें नमो चौपाल क्या है?

यह एक प्रशासनिक और सामाजिक पहल है, जो ग्राम पंचायतों में अपनाई जाएगी. इस का मुख्य उद्देश्य किसानों, ग्रामीणों और कृषि वैज्ञानिकों को एकसाथ आ कर खेतीकिसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और चर्चा करना है.

इस मंच पर किसानों को नवीनतम खेती की तकनीकें, उन्नत खेती के तरीके, जैविक खेती, बीज और उर्वरकों आदि के बारे में जानकारी मिलेगी.

कहां होंगी नमो चौपाल?

नमो चौपालों को ग्राम पंचायत की जमीन पर बनाया जाएगा, जहां किसान कृषि से जुड़ी बातों की चर्चा करेंगे व अपनी समस्याओं का समाधान और विकास करने की योजना बनाएंगे, जिन का समाधान कृषि विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा.

इस तरह की चर्चा से ग्रामीण क्षेत्रों में खेतीकिसानी में सुधार को ले कर बेहतर माहौल बनेगा और खेती के काम भी आसान होंगे.

मिलेगी जैविक खेती की जानकारी

विश्वविद्यालयों में किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती के बारे में पढ़ाया जाएगा. कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि किसानों के लिए आधुनिक खेती, उन्नत खेती और जैविक खेती आदि पर चर्चा करने के लिए कृषि मेलों का भी आयोजन किया जा रहा है. किसानों के फायदे के लिए मंडियों को मजबूत बनाया गया है, जहां उन्हें अपनी उपज का बेहतर दाम मिलेगा.

उन्होंने कृषि से संबंधित योजनाओं के विस्तार के साथ किसानों को आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक योजनाओं का लाभ उठाएं.

पहले आमतौर पर कृषि विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती और जैविक खेती से संबंधित विषयों को पढ़ाने की प्रथा नहीं थी, लेकिन अब किसानों को इस तरह की भी जानकारी मिलेगी.