बकरीपालन (Goat Rearing) केंद्र का लिया जायजा, 536 पशुओं का हो रहा पालन

विदिशा : भोपाल संभागायुक्त संजीव सिंह ने विदिशा प्रवास के दौरान शासकीय योजनाओं से लाभांवित होने वाले हितग्राही के इकाई यूनिट का भ्रमण कर जायजा लिया है. इस दौरान कलक्टर रोशन कुमार सिंह, एसडीएम क्षितिज शर्मा, तहसीलदार डा. अमित सिंह भी साथ मौजूद रहे.

संभागायुक्त संजीव सिंह ने ग्राम अमाछर में राष्ट्रीय पशुधन मिशन (उद्यमिता विकास) योजना से लाभांवित हितग्राही की इकाई का जायजा लिया. लाभांवित हितग्राही अवधेश यादव के द्वारा बकरीपालन इकाई के अंतर्गत 536 पशुओं का पालन किया जा रहा है. उन के द्वारा योजना के अंतर्गत शेड का निर्माण कराया जा चुका है और 500 से अधिक पशुओं का क्रय कर यूनिट का संचालन किया जा रहा है. पशु चिकित्सा विभाग द्वारा अनुदान की पहली किस्त प्रदाय की जा चुकी है.

उन्होंने हितग्राही से संवाद कर बकरीपालन यूनिट के संबंध में जानकारियां प्राप्त की, जिस में मुख्य रूप से बकरियों की देखभाल, चारा और बकरियां कहां से क्रय की गई के संबंध में पूछा है. इस दौरान पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग के उपसंचालक डा. एमके शुक्ला ने योजना के तहत स्वीकृत प्रोजेक्ट व बैंक द्वारा स्वीकृत लोन के संबंध में जानकारी दी है.

दलहनतिलहन (Pulses and Oilseeds) की खरीद को ले कर नैफेड को निर्देश

जयपुर : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने राजस्थान सरकार द्वारा भेजे गए पत्र का संज्ञान लेते हुए दलहनतिलहन की समर्थन मूल्य पर खरीद को ले कर नैफेड (नैशनल एग्रीकल्चरल कोआपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन) के प्रबंध निदेशक दीपक अग्रवाल से फोन पर वार्ता की. उन्होंने राजस्थान में मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीन जैसी फसलों की खरीद सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए.

राजस्थान सरकार ने हाल ही में खरीफ 2024-25 की दलहनतिलहन फसलों की खरीद के लिए पीएसएस योजना (प्राइस सपोर्ट स्कीम) के तहत भारत सरकार से अतिरिक्त समर्थन और खरीद की मांग की थी. राज्य में किसानों को उचित मूल्य दिलाने और उन की उपज की खरीद सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया.

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. उन्होंने नैफेड के अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि राजस्थान में अधिसूचित खरीद केंद्रों पर किसानों से उन की फसलें समर्थन मूल्य पर बिना किसी बाधा के खरीदी जाएं. उन्होंने राजस्थान के मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीन के खरीद लक्ष्य को समय पर पूरा करने पर विशेष जोर दिया.

किसानों को मिलेगा सीधा लाभ

मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही समर्थन मूल्य योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उन की उपज का उचित मूल्य दिलाना और बाजार में मूल्य अस्थिरता से बचाना है. उन्होंने राज्य सरकार के अनुरोध पर तेजी से कार्रवाई करते हुए अतिरिक्त अनुदान और संसाधन आवंटन के लिए भी सहमति जताई.

नैफेड के प्रबंध निदेशक दीपक अग्रवाल को निर्देश देते हुए मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुगमता होनी चाहिए. सभी किसानों को उन की फसल का मूल्य तुरंत उन के खातों में स्थानांतरित किया जाए. साथ ही, खरीद केंद्रों पर किसी भी प्रकार की अनियमितता को सख्ती से रोका जाए.

Awards: मिट्टी से सुपरफूड्स तक अनंत पोद्दार (Anant Poddar) की कहानी

दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकौम औनर्स की डिगरी और सीमेंस में बिजनैस कंट्रोलर के रूप में अनुभव के साथ अनंत पोद्दार ने गुरुग्राम, गोवा, मुंबई और बैंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों में अपना कैरियर बनाया, लेकिन कारपोरेट जीवन में सफल होते हुए भी उन के मन में कृषि क्षेत्र में कुछ अलग करने की चाहत थी. इस चाहत को पूरा करने के लिए अनंत पोद्दार ने उच्च तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ दी और खुद को आधुनिक कृषि क्षेत्र में उतार दिया.

 

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हाइड्रोपोनिक्स खेती से की शुरुआत

अनंत पोद्दार ने बैंगलुरु में हाइड्रोपोनिक्स के क्षेत्र में फार्म मैनेजर के रूप में काम किया और अनुभव हासिल करने के बाद अपने गृहनगर खुर्जा में साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान हाइड्रोपोनिक्स खेती के जरीए पोद्दार फार्म्स की स्थापना की. बुलंदशहर जिले में स्थित खुर्जा शहर शिल्पकला और चीनी मिट्टी की क्रोकरी के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन अनंत पोद्दार का फोकस मिट्टी के बरतनों पर नहीं, बल्कि मिट्टी से जुड़े उन खाद्य उत्पादों पर था, जो सेहत के लिए लाभकारी हों.

किए अनेक नवाचार

अग्रवाल मारवाड़ी व्यापारी परिवार से आने वाले अनंत पोद्दार ने एक ऐसे भविष्य की कल्पना की थी, जहां हमारा भोजन शुद्ध, सेहतमंद और हानिकारक रसायनों से मुक्त हो. चाहे वे ताजा रसायनमुक्त सब्जियां हों, विदेशी जड़ीबूटियां हों, लकड़ी घानी से निकला हुआ तेल हो, पौष्टिक स्नैक्स हो, प्राकृतिक शहद हो या मल्टीग्रेन आटा. अनंत पोद्दार ने इन सभी क्षेत्रों में नवाचार किया और सफल भी रहे. इन्हीं खूबियों के चलते अनंत पोद्दार को दिल्ली प्रैस की पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ द्वारा ‘राज्य स्तरीय बेस्ट फार्मर अवार्ड इन मार्केटिंग’ से सम्मानित किया गया.

अनंत पोद्दार (Anant Poddar)

उत्कृष्टता के लिए सम्मानित

कृषि क्षेत्र में अपने योगदान के लिए पोद्दार फार्म्स को व्यापक रूप से सराहा गया है विशेष रूप से उन्हें “फार्म एन फूड कृषि अवार्ड्स 2024” में “बेस्ट फार्मर अवार्ड इन मार्केटिंग” का पुरस्कार मिला, जिस में उन की प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग में नवाचारी रणनीतियों को सम्मानित किया गया.

इस वर्ष की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राज्यपाल भवन, लखनऊ में आयोजित उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय फल, सब्जी और पुष्प प्रदर्शनी में पोद्दार फार्म्स को सम्मानित किया. इस के अतिरिक्त अनंत पोद्दार को उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री और उद्यान विभाग द्वारा बागबानी, खाद्य प्रसंस्करण और वैज्ञानिक खेती की तकनीकों के प्रति किसानों को शिक्षित करने के लिए कई बार सम्मानित किया गया है.

अनंत पोद्दार के पोद्दार फार्म्स ने उत्तर प्रदेश राज्य उद्यान विभाग का प्रतिनिधित्व करते हुए वर्ल्ड फूड इंडिया और उत्तर प्रदेश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले जैसे प्रमुख राष्ट्रीय आयोजनों में भी हिस्सा लिया है, जहां उन्होंने नवाचार और स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की.

परंपरा और नवाचार का संगम: लकड़ी घानी तेल और जैविक हलदी

भारतीय आहार के आवश्यक तत्व, जैसे तेल और मसाले में भी सुधार की आवश्यकता है. कोई भी भारतीय भोजन इन के बिना अधूरा है. स्वास्थ्य और परंपरा के बीच संतुलन स्थापित करते हुए उन्होंने पारंपरिक लकड़ी घानी को पुनर्जीवित किया और दोगुनी पोषण क्षमता वाले लकड़ी घानी तेल का उत्पादन शुरू किया.

यह तेल न केवल पुरानी भारतीय संस्कृति को बताते हैं, बल्कि उपभोक्ताओं को सेहतमंद उत्पाद भी देते हैं. बाजार में हलदी में मिलावट की व्यापकता को देखते हुए पोद्दार फार्म्स ने नवाचार करने का निर्णय लिया. उन्होंने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के साथ मिल कर ‘केसरी’ नामक जैविक हलदी की खेती की. बाजार में लगभग एक साल के भीतर ‘केसरी’ अपनी शुद्धता और गुणवत्ता के कारण हलदीप्रेमियों की पसंदीदा हलदी बन चुकी है.

विश्व में भारत टमाटर (Tomatoes) का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश

नई दिल्ली : विश्व में टमाटर का दूसरा सब से बड़ा उत्पादक देश भारत है, जो वार्षिक 20 मिलियन मीट्रिक टन का शानदार उत्पादन करता है. हालांकि, अत्यधिक बारिश या अचानक गरमी जैसी प्रतिकूल मौसम की स्थिति उत्पादन और उपलब्धता को प्रभावित करती है. इस के परिणामस्वरूप कीमतों में अत्यधिक उतारचढ़ाव होता है. ये चुनौतियां सीधे किसानों की आय को प्रभावित करती हैं और आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करती हैं एवं बरबादी की वजह बनती हैं. इन महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान और टमाटर की आपूर्ति को स्थिर करने के लिए अभिनव और प्रारूप समाधान खोजने के लिए टमाटर ग्रैंड चैलेंज (टीजीसी) शुरू किया गया है.

ग्रैंड चैलेंज का उद्देश्य टमाटर उत्पादन, प्रसंस्करण और वितरण में प्रणालीगत चुनौतियों का समाधान करने के लिए देश के युवा नवोन्मेषकों और शोधकर्ताओं की प्रतिभा का उपयोग करना था. ये चुनौतियां हैं :
उत्पादन पूर्व : जलवायु अनुकूल बीजों का कम मिलना और खराब कृषि पद्धतियां.
उपज के बाद नुकसान : कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाओं की कमी और अनुचित रखरखाव के कारण फसल की बरबादी.
प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन : टमाटरों के अधिक उपज होने की स्थिति में प्रसंस्करण के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढ़ांचा.
आपूर्ति श्रृंखला : फसल की बाधित आपूर्ति और बिचौलियों का प्रभुत्व मूल्य अस्थिरता का कारण बनता है.
बाजार पहुंच और पूर्वानुमान : फसल की बाधित आपूर्ति और मांग पूर्वानुमान में कमी के कारण मूल्य में गिरावट और बरबादी होती है.
तकनीकी अपनाना : उपयुक्‍त खेती और आईओटी आधारित निगरानी जैसी आधुनिक कृषि तकनीकों के बारे में कम जागरूकता और उपयोग.
पैकेजिंग और परिवहन: फसल को बेहतर और नुकसान को कम करने के लिए नवीन, लागत प्रभावी समाधानों की आवश्यकता.
देशभर के नवोन्मेषकों से कुल 1,376 विचार प्राप्त हुए. उचित मूल्यांकनों के बाद चरण-1 में 423 विचारों को शार्टलिस्ट किया गया. दूसरे चरण में कुल 29 विचार लिए गए, जिस में 28 परियोजनाओं को फंडिंग और मैंटरशिप मिली. परियोजनाओं की समयसमय पर निगरानी की गई, संक्षिप्त दौरे किए गए और एआईसीटीई और डीओसीए की टीजीसी मूल्यांकन समिति द्वारा समीक्षा की गई. विशेषज्ञों के पैनल द्वारा 14-15 अक्तूबर, 2024 को मूल्यांकन को अंतिम रूप दिया गया, जिसे परियोजनाओं को उन की प्रासंगिकता, मापनीयता और नवाचार के आधार पर आंका गया.

टमाटर ग्रैंड चैलेंज ने महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिस के परिणामस्वरूप कई आईपी जिन में 14 पेटेंट, 4 डिजाइन पंजीकरण/ट्रेडमार्क और 10 प्रकाशन दाखिल करने की प्रक्रिया में हैं. कुछ प्रमुख परिणाम ये थे :
– फसल को ज्‍यादा दिन रखने और नुकसान को कम करने के लिए नए पैकेजिंग और परिवहन समाधानों का विकास.
– ऐसे प्रसंस्कृत उत्पादों का निर्माण, जो उपयोगिता को बढ़ाते हैं, बरबादी को कम करते हैं और सालभर उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं.
– टमाटर ग्रैंड चैलेंज से समाधान, टमाटर मूल्य में बदलाव, लचीलापन, बरबादी को कम करने और हितधारकों के लिए लाभप्रदता बढ़ाने का वादा करते हैं. यह पहल भारत में अन्य कृषि वस्तुओं की चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक बेंचमार्क स्थापित करती है.
– टमाटर ग्रैंड चैलेंज सहयोग और नवाचार की शक्ति का एक प्रमाण है. शिक्षा, उद्योग और सरकार को एकसाथ ला कर इस ने भारत की कृषि चुनौतियों के लिए सतत, प्रभावशाली समाधानों का मार्ग प्रशस्त किया है. इस पहल के परिणामों से टमाटर के किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ होगा.

दलहनी रकबे के विकास में अरहर (Arhar) पूसा-16 मील का पत्थर

झाबुआ : कलक्टर नेहा मीना द्वारा कार्यालय कलक्टर सभाकक्ष में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र को पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग उद्धयानिकी विभाग मत्स्यपालन विभाग, कृषि अभियांत्रिकी, सहकारिता विभाग दुग्ध संघ आदि विभागों में संचालित योजनाओं कार्यक्रमों और रबी मौसम 2024-25 में आयोजित होने वाली गतिविधियों के संबंध में गहन समीक्षा बैठक आयोजित हुई.

जिले में दलहनी फसलों के रकबे में विस्तार के लिए अरहर पूसा-16 जैसी किस्में मील का पत्थर साबित हो सकती हैं. अरहर पूसा-16 कम अवधि (लगभग 120 दिन) में पक कर तैयार हो जाती है, जिस से किसान रबी मौसम में गेहू, चना जैसी फसल का उत्पादन भी ले सकते हैं.

कृषि विभाग के अंतर्गत संचालित नवाचारी प्रयासों की विस्तार से समीक्षा के दौरान बायोफोर्टीफाइड किस्मों की संभावनाओं को भी खंगाला जाना जरूरी है. विस्तार से हुई समीक्षा के दौरान जिले के 5 विकासखंडों रामा, रानापुर, थांदला, पेटलावद, मेघनगर के लिए नवीन मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के संचालन के लिए इच्छुक संस्थाओं के पात्रतानुसार चयन के बाद चयनित संस्थाओ को नवीन मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के संचालन की समुचित कार्यवाही करते समय सीमा में कराएं. रबी मौसम के दौरान किसानों की मांग के अनुसार पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तायुक्त बीज, उर्वरक भंडारण एवं किसानों को अच्छी किस्म के बीज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.

उद्यानिकी के अंतर्गत टमाटर प्रसंस्करण के साथ डीहाइड्रेट उत्पाद, सोयाबीन प्रसंस्करण उत्पाद निर्माण और विपणन के संबंध में नियोजन करने के लिए निर्देशित किया गया. जिले में उत्पादित होने वाले खा‌द्यान दलहनतिलहन मसाला जैसे विशिष्टता भरे कृषिगत उत्पादों को जिले के बाहर बेहतर विपणन के अवसर प्रदान करने के लिए काम किया जाए.

पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड समयसीमा में शतप्रतिशत प्रगति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं और किसान क्रेडिट कार्ड के लक्ष्य को विकासखंडवार प्रदाय कर आवेदन को बैंक मे प्रस्तुत किए जाएं एवं स्वीकृति के लिए सतत बैंक से संपर्क कर स्वीकृति प्राप्त कर हितग्राहियों को लाभ दिलाया जाए. मछुआपालक को प्रेरित कर मछलीपालन के साथ कम लागत वाली उन्नत तकनीक को बढावा देने के सबंध मे निर्देशित किया गया.

बैठक के दौरान एनएस रावत, उपसंचालक, कृषि, डा. विल्सन डावर, उपसंचालक, पशुपालन विभाग, जीएस त्रिवेदी, परियोजना संचालक, आत्मा, नीरज सावलिया उद्यानिकी विभाग, दिलीप सोलंकी मत्स्यपालन विभाग, दलोदिया कृषि अभियांत्रिकी, दिनेश भिड़े सहकारिता विभाग, कनेश दुग्ध संघ आदि विभागों के जिला प्रमुख और कृषि विभाग के अनुभाग एवं विकासखंड स्तरीय अधिकारी, सहायक संचालक कृषि आदि उपस्थित रहे.

नरवाई (Stubble) में आग लगाने पर प्रतिबंध दिसंबर माह तक लागू

रायसेन : लोक व्यवस्था को बनाए रखने के उद्देश्य से कलक्टर एवं जिला दंडाधिकारी अरविंद दुबे द्वारा पूरे जिले की भौगोलिक सीमा में खेत में खड़े धान, सोयाबीन के डंठलों (नरवाई) में आग लगाने पर तत्काल प्रभाव से दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगाया गया है. यह प्रतिबंध तत्काल प्रभावशील हो कर आगामी 31 दिसंबर, 2024 की अवधि तक के लिए प्रभावशील रहेगा. इस आदेश का उल्लंघन भादवि की धारा 188 के अंतर्गत दंडनीय होगा.

उल्लेखनीय है कि जिले की राजस्व सीमा में धान, सोयाबीन की फसल की कटाई के बाद अगली फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए बहुसंख्यक किसानों द्वारा अपनी सुविधा के लिए खेत में आग लगा कर धान, सोयाबीन के डंठलों को नष्ट कर खेत साफ किया जाता है. आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिस से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इसे नरवाई में आग लगाने की प्रथा के नाम से भी जाना जाता है.

नरवाई में आग लगाना खेती के लिए नुकसानदायक होने के साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से भी हानिकारक है. इस के कारण विगत वर्षो में गंभीर अग्नि दुर्घटनाएं घटित हुई हैं और बड़े पैमाने पर सम्पत्ति की हानि हुई है. साथ ही, बढ़ते जल संकट में इस से बढ़ोतरी तो होती ही है. कानून, व्यवसायी के लिए भी विपरीत स्थितियां बन जाती हैं. खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जनसम्पत्ति व प्राकृतिक वनस्पति, जीवजंतु आदि नष्ट हो जाते हैं. खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु इस से नष्ट होते हैं, जिस से खेत की उर्वराशक्ति भी धीरेधीरे घट रही है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है.

नरवाई जलाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिस से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. यदि फसल अवशेषों, नरवाई को एकत्र कर जैविक खाद जैसे भूनाडेप वर्मी कंपोस्ट आदि बनाने में उपयोग किया जाए, तो यह बहुत जल्दी सड़ कर पोषक तत्वों से भरपूर खाद बना सकते हैं. इस के अतिरिक्त खेत में कल्टीवेटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो की सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश के रूप में बचत की जा सकती है.

PM Surya Ghar Yojana: पीएम सूर्य घर योजना – मिलेगी मुफ्त बिजली

रायसेन : केंद्र सरकार द्वारा लोगों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पीएम सूर्य घर योजना प्रारंभ की गई है. इस योजना में एक किलोवाट का सोलर संयंत्र लगाने पर 30 हजार रुपए, दो किलोवाट का सोलर संयंत्र लगाने पर 60 हजार रुपए और तीन किलोवाट या उस से ऊपर 10 किलोवाट तक के सोलर संयंत्र लगाने पर 78 हजार रुपए की सब्सिडी केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही है. इस के लिए देशभर के उपभोक्ताओं को इस योजना में शामिल कर के पीएम सूर्य घर योजना से जोड़ने का लक्ष्य केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है.

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा अपने क्षेत्रान्तर्गत पीएम सूर्य घर योजना के शुभारंभ 13 फरवरी, 2024 से अब तक 6 हजार, 377 से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को योजना से जोड़ा गया है. आवेदन के लिए पीएम सूर्य घर योजना की वैबसाइट https://www.pmsuryaghar.gov.in पर जा कर आवेदन किया जा सकता है. इस के अलावा अधिक जानकारी के लिए कंपनी की वैबसाइट www.portal.mpcz.in अथवा उपाय एप, व्हाट्सएप चेटबौट व टोल फ्री नंबर 1912 पर भी संपर्क किया जा सकता है.

प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना में औनलाइन आवेदन करने का तरीका

प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के लिए नागरिक औनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इस के लिए पोर्टल pmsuryaghar.gov.in पर जा कर अपना रजिस्ट्रेशन/पंजीयन करें. राज्य का चुनाव कर के विद्युत वितरण कंपनी चुनें. फिर उपभोक्ता क्रमांक दर्ज करें. इस के बाद अपना मोबाइल नंबर और मेल आईडी डालें. उपभोक्ता नंबर और मोबाइल नंबर से लौगिन कर रूफटाप सोलर के लिए आवेदन करें.

अनुमोदन अर्थात अप्रूवल के लिए थोड़ा इंतजार करें. बिजली वितरण कंपनी में पंजीकृत वेंडर से ही सौर संयंत्र लगवाएं. एक बार इंस्टालेशन पूरा हो जाने पर प्लांट का विवरण जमा करें. नेट मीटर की स्थापना और डिस्काम द्वारा निरीक्षण के बाद पोर्टल से प्रमाणपत्र दिया जाएगा.

कमीशनिंग रिपोर्ट प्राप्त कर आप अपना बैंक खाता विवरण और एक निरस्त चेक पोर्टल के माध्यम से जमा करें. तत्पश्चात 45 दिनों में आप को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सब्सिडी प्राप्त हो जाएगी.

Animal Credit Card Scheme: पशुपालकों को पशु क्रेडिट कार्ड योजना का मिला लाभ

विदिशा : नाबार्ड के सहयोग से बाएफ लाइवलीहूडस द्वारा प्रायोजित करीला एग्रो कृषक उत्पाद संगठन के 233 सदस्य किसानो को पशुपालन के क्षेत्र में बढावा देने के लिए जिला सहकारी बैंक विदिशा के द्वारा पशु क्रेडिट कार्ड वितरण कार्यक्रम का आयोजन पीएनबी प्रशिक्षण संस्थान में किया गया था.

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुनील कुमार ने किसानों से कहा कि पशुपालन को बढ़ावा देने के क्षेत्र में विदिशा जिले में किए जा रहे प्रयासों का संदेश प्रदेश के अन्य जिलों में जाए. उन्होंने पशुपालन के लिए किसान उत्पादक संगठन के जरीए क्षेत्र में विकास के लिए किए जा रहे नवाचारों का स्वागत करते हुए शुभकामनाएं अभिव्यक्त की हैं.

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुनील कुमार ने कहा कि विदिशा जिले में दुग्ध उत्पादन करने वाले किसानों को अधिक से अधिक पशु क्रेडिट कार्ड जारी हो रहे हैं. यह सब आपसी तालमेल का प्रतीक है. उन्होंने केसीसी से होने वाले फायदो को बताया और इस मदद से क्षेत्र में पशुपालकों को पशुओं की संख्या बढाने में मदद मिलेगी.

इस दौरान किसानों को आत्मनिर्भर बनने, आय में वृद्धि करने के क्षेत्र में पशुपालन को महत्वपूर्ण इकाई के रूप में संचालित करने पर विशेष सुझाव साझा किए. कार्यक्रम में लीड बैंक अफसर बीएस बघेल, नाबार्ड के जिला विकास अधिकारी जगप्रीत कौर, सहकारिता बैंक खामखेडा के प्रबंधक लखन भार्गव के अलावा बाएफ लाइवलीहूड्स भोपाल और करीला एग्रो किसान उत्पादक संगठन के बोर्ड डायरेक्टर सदस्य मौजूद रहें.

गेहूं (Wheat) फसल में जड़ माहू कीट लगे तो करें ये काम

सीहोर : वर्तमान मौसम परिर्वतन के कारण गेहूं में जड़ माहू कीट एवं विभूति आदि कीटों का प्रभाव हो सकता है. यदि गेहूं में जड़ माहू कीट का प्रभाव एवं गेहूं में पीलापन दिख जाए, तो दवा का छिड़काव जरूर करें.

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस वर्ष भी गेहूं फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है. गेहूं फसल के खेतों में अनेक स्थानों पर पौधे पीले हो कर सूख रहे हैं. समय पर निदान न किए जाने पर इस कीट द्वारा गेहूं फसल में बड़ी क्षति की संभावना रहती है.

जड़ माहू कीट गेहूं के पौधे के जड़ भाग में चिपका हुआ रहता है, जो रस चूस कर पौधे को कमजोर व सुखा देता है. प्रभावित खेतों में पौधे को उखाड़ कर ध्यान से देखने पर बारीकबारीक हलके पीले, भूरे व काले रंग के कीट चिपके हुए दिखाई देते हैं. मौसम में उच्च आर्द्रता व उच्च तापमान होने पर यह कीट अत्यधिक तेजी से फैलता है. अनुकूल परिस्थिति होने पर यह कीट पूरी फसल को नष्ट करने की क्षमता रखता है.

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, जिन क्षेत्रों में अभी तक गेहूं फसल की बोआई नहीं की गई है, वहां पर बोआई से पहले इमिडाक्लोरोप्रिड 48 फीसदी, एफएस की 01 मिलीलिटर दवा अथवा थायोमेथाक्जाम 30 फीसदी, एफएस दवा की 1.5 मिलीलिटर मात्रा प्रति किलोग्राम की दर से बीजोपचार जरूर करें.

Special ID card: किसानों का बनेगा खास आईडी कार्ड, मिलेगा लाभ

बुरहानपुर : कृषि क्षेत्र के विकास के लिए चलाई जा रही विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्तियों तक समय से पहुंचे, जिस से संसाधनों के समुचित उपयोग से कृषि क्षेत्र का पूर्ण विकास संभव हो सकेगा. एग्रीस्टैक (डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर फौर एग्रीकल्चर) के अंतर्गत फार्मर रजिस्ट्री तैयार के संबंध में निर्देश हैं.

जिले में राजस्व महाअभियान 3.0 के तहत युद्ध स्तर पर राजस्व विभाग द्वारा विभिन्न कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है. अभिलेख दुरस्ती, नक्शा तरमीम, नामांतरण, बंटवारा प्रकरणों के निराकरण, एनपीसीआई सहित अन्य सुविधाएं नागरिकों को दी जा रही हैं. इन्हीं सुविधाओं में फार्मर रजिस्ट्री भी शामिल है.

मध्य प्रदेश फार्मर रजिस्ट्री प्रणाली के तहत प्रत्येक किसान का एक विशिष्ट किसान आईडी कार्ड (फार्मर आईडी) बनाया जाएगा, जिस के माध्यम से किसानों को शासकीय योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा. यह मध्य प्रदेश राज्य के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.

कलक्टर भव्या मित्तल के मार्गदर्शन में राजस्व महाअभियान के अंतर्गत किसानों की फार्मर रजिस्ट्री बनाने का कार्य किया जा रहा है. इस के साथ ही किसानों को फार्मर रजिस्ट्री के फायदे भी बतलाए जा रहे है. ग्राम डवाली रै., रायतलाई, सारोला, टिटगांवकला सहित जिले के अन्य ग्रामों में भी अभियान के तहत कार्य किया जा रहा है. फार्मर रजिस्ट्री का उद्देश्य एवं लाभ –

1. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लिए फार्मर रजिस्ट्री अनिवार्य है. दिसंबर, 2024 के उपरांत केवल फार्मर आईडी उपलब्ध होने पर ही योजना का लाभ हितग्राहियों को प्राप्त हो सकेगा.

2. योजनाओं का नियोजन, लाभार्थियों का सत्यापन, कृषि उत्पादों का सुविधाजनक विपणन.

3. प्रदेश के सभी किसानों को राज्य की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुगम एवं पारदर्शी तरीके से प्रदान करने हेतु लक्ष्य निर्धारण एवं पहचान.

4. किसानों के लिए कृषि ऋण एवं अन्य सेवा प्रदाताओं के लिए कृषि सेवाओं की सुगमता.

5. विभिन्न विभागों द्वारा डाटा का बेहतर उपयोग.

6. फसल बीमा योजना का लाभ प्राप्त करने में सुगमता.

7. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद में किसानों के पंजीयन में सुगमता.

8. विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए बारबार सत्यापन की आवश्यकता नहीं होगी.