गाजर की खेती में  कृषि मशीनों  का इस्तेमाल

हरियाणा के अमन विश्वकर्मा इंजीनियरिंग वर्क्स के मालिक महावीर प्रसाद जांगड़ा ने खेती में इस्तेमाल की जाने वाली तमाम मशीनें बनाई हैं, जिन में गाजर बोने के लिए गाजर बिजाई की मशीन भी शामिल है.

बिजाई की मशीन

बैड प्लांटर व मल्टीक्रौप बिजाई मशीन बोआई के साथसाथ मेंड़ भी बनाती है. इस मशीन से गाजर के अलावा मूली, पालक, धनिया, हरा प्याज, मूंग, अरहर, जीरा, गेहूं, लोबिया, भिंडी, मटर, मक्का, चना, कपास, टिंडा, तुरई, फ्रांसबीन, सोयाबीन, टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, सरसों, राई और शलगम जैसी तमाम फसलें बोई और काटी जा सकती हैं.

मशीन से धोएं गाजर

खेत से निकालने के बाद गाजरों की धुलाई का काम भी काफी मशक्कत वाला होता है, जिस के लिए मजदूरों के साथसाथ ज्यादा पानी की जरूरत भी होती है.

जिन किसानों के खेत किसी नहरपोखर वगैरह के किनारे होते हैं, उन्हें गाजर की धुलाई में आसानी हो जाती है. इस के लिए वे लोग नहर के किनारे मोटर पंप के जरीए पानी उठा कर गाजरों की धुलाई कर लेते हैं. लेकिन सभी को यह फायदा नहीं मिल पाता.

महावीर जांगड़ा ने जड़ वाली सब्जियों की धुलाई करने के लिए भी मशीन बनाई है. इस धुलाई मशीन से गाजर, अदरक व हलदी जैसी फसलों की धुलाई आसानी से की जाती है. इस मशीन से कम पानी में ज्यादा गाजरों की धुलाई की जा सकती है. इस मशीन को ट्रैक्टर से जोड़ कर आसानी से इधरउधर ले जाया जा सकता है.

इस मशीन के बारे में यदि आप ज्यादा जानकारी जानना चाहते हैं, तो आप अमन विश्वकर्मा इंजीनियरिंग वर्क्स के फोन नंबर 09896822103 और 09813048612 पर बात कर सकते हैं.

पावर वीडर : खरपतवार हटाए, पैदावार बढ़ाए

हमारे देश के अनेक इलाकों के किसान गन्ना, कपास, सब्जी या फूलों वगैरह की खेती लगातार करते आ रहे हैं. इन सभी फसलों को ज्यादातर लाइन में बोया जाता है. दूसरी फसलों की तुलना में इन फसलों को बोने वाली लाइनों के बीच की दूरी भी अधिक होती है. इस वजह से लाइनों के बीच वाली जगहों में अनेक खरपतवार आ जाते हैं.

ये ऐसे खरपतवार होते हैं जो बिना बोए ही उपज आते हैं. उर्वरकों को हम अपनी फसल में इसलिए डालते हैं कि हमें अच्छी पैदावार मिल सके. इन उर्वरकों का फायदा ये खरपतवार भी उठाते हैं और तेजी के साथ बढ़ते हैं जिस का सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ता है यानी फसल पैदावार में गिरावट आ जाती है.

खरपतवारों की रोकथाम

सहफसली खेतीबारी : कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खरपतवारों की रोकथाम के लिए फसल चक्र अपनाना एक तरीका है यानी खेत में फसल को बदलबदल कर बोना. इस से खरपतवारों को पनपने का मौका नहीं मिलता.

जैसे, हम अभी गन्ना की फसल ले रहे हैं तो अगली बार उस में गेहूं बोएं, गेहूं कटने के बाद खेत भी कुछ समय खाली रहते हैं. उस समय उस में हरी खाद के लिए ढैंचा वगैरह बोएं. उस के बाद धान लगाएं, फिर गन्ना की बोआई कर सकते हैं. इस तरह बदलबदल कर फसल बोने से खरपतवारों पर रोक लगती है.

करें सहफसली खेती

अगर आप गन्ने की खेती कर रहे हैं तो उस के साथ सहफसली खेती करें. जब गन्ना छोटा होता है उस समय उस की लाइनों के बीच में खाली जगह में आलू, लहसुन, गोभी, भिंडी टमाटर वगैरह की खेती भी करें. इन सब्जियों के अलावा समय के मुताबिक गन्ने के साथ दलहनी फसल उड़द, मूंग, लोबिया वगैरह भी उगा सकते हैं. ऐसा करने से अधिक फायदा होगा. खरपतवारों की रोकथाम तो होगी ही, साथ ही सहफसली खेती में मुनाफा भी होगा.

कहने का सीधा सा मतलब यह है कि दोनों लाइनों के बीच में जो जगह बची है, वहां की मिट्टी की पैदावार कूवत का फायदा खरपतवार उठाते हैं. उसी जगह का इस्तेमाल कर अगर आप ने दूसरी फसल भी ले ली तो खरपतवारों को पनपने का मौका ही नहीं मिला.

खास परिस्थितियों में आप खरपतवारों को खत्म करने के लिए सही खरपतवारनाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं. आजकल रासायनिक खरपतवार के अलावा अनेक जैविक खरपतवारनाशक भी आ रहे हैं, उन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

यंत्रों से करें रोकथाम

इस तरह की फसलों में खरपतवार के सफाए के लिए पावर वीडर एक कारगर यंत्र है. इस खरपतवारनाशक यंत्र से कम समय में अनेक फसलों से खरपतवार निकाले जा सकते हैं. यह यंत्र सभी छोटेबड़े किसानों के लिए अच्छा यंत्र है. साथ ही, पहाड़ी इलाकों के लिए भी उपयोगी है. खरपतवार निकालने के इस तरह के यंत्र खासकर लाइनों में बोई गई फसल के लिए अच्छे रहते हैं.

हौंडा रोटरी टिलर : मौडल एफजे 500 आरडी रोटरी पावर वीडर की कुछ खासीयतें दी गई हैं. इस यंत्र में 5.5 हौर्सपावर का 4 स्ट्रोक एयर कूल्ड इंजन लगा है और धूल से बचाव के लिए इंजन में एयर क्लिनर भी लगा है.

गियर बौक्स जमीन में ऊंचाई पर दिया गया है. इस वजह से यह मिट्टी में नहीं फंसता और बिना रुकावट के चलता है. 2 गियर फौर्वर्ड (सामने की ओर) व 1 गियर रिवर्स (वापसी) के लिए दिया गया है जिस से अपनी सुविधानुसार आगे या पीछे किया जा सकता है.

यह यंत्र खरपतवार को जड़ से खोद कर निकालता है. यह यंत्र पैट्रोल से चलाया जाता है और इस की टीलिंग (खुदाई) चौड़ाई को 18 इंच से 24 इंच, 36 इंच तक कटाव बढ़ाया जा सकता है और टीलिंग यानी खुदाई की गहराई को 3 से 5 इंच तक कम या ज्यादा किया जा सकता है.

इस यंत्र के बारे में अधिक जानकारी के लिए फोन नंबर 0120-2341050-59 पर आप बात कर सकते हैं. यहां से आप को अपने नजदीकी डीलर की जानकारी या फोन नंबर भी मिल सकता है. आप अपनी सुविधानुसार यहां से इस यंत्र के बारे में जानकारी ले सकते हैं.

सबसौयलर मिट्टी को बनाए हवादार

आज भारीभरकम मशीनों को जुताई, फसल की कटाई व दूसरे जरूरी कामों के लिए खेत में चलते देखना आम बात है. इस तरह की खेती में खेत की लगभग 25 सैंटीमीटर से ज्यादा गहराई तक की परत कड़ी बनती जा रही है.

खेत की निचली सतह में इस तरह की कड़ी परत बन जाने की वजह से मिट्टी में पानी व हवा का आनाजाना कम हो जाता है. मिट्टी के कड़ा होने के कारण पानी जमीन में नीचे की ओर नहीं जा पाता और खेतों में पानी भराव जैसी परेशानी पैदा होने लगती है. इतना ही नहीं, इन्हीं सख्त परतों के चलते पौधों की जड़ें भी मिट्टी में ज्यादा गहराई तक नहीं जा पाती हैं. सख्त परतों के नीचे मौजूद पोषक तत्त्वों व पानी का इस्तेमाल भी नहीं कर पाती हैं. नतीजा, पैदावार कम होती है.

खेत में बनी इन सख्त परतों से नजात दिलाने के लिए एक मशीन तैयार की गई है, जिस को सबसौयलर कहते हैं. यह सबसौयलर कई आकार, प्रकार व नामों से बाजार में उपलब्ध हैं. इस मशीन के इस्तेमाल से खेत की निचली सतहों में मौजूद कठोर परतों को तोड़ कर मिट्टी को मुलायम व हवादार बना दिया जाता है, जिस से खेत में पानी भराव जैसी स्थिति पैदा नहीं होती व पैदावार भी अच्छी मिलती है. इस मशीन का इस्तेमाल किसी भी तरह की मिट्टी में हो सकता है, लेकिन हलकी बलुई दोमट, दोमट व चिकनी मिट्टी में इस का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है, क्योंकि इस तरह की मिट्टी में ही ज्यादातर सख्त परतें बनती हैं.

सबसौयलर का इस्तेमाल करते समय कुछ जरूरी बातों का रखें खयाल

इस मशीन को ट्रैक्टर के पीछे लगा कर खेत में चलाया जाता है. हालांकि इस का खास काम मिट्टी की कड़ी परतों को तोड़ना है, लेकिन इस के मूल ढांचे में थोड़ा सा बदलाव कर इस को ज्यादा कारगर बना दिया गया है. अब इस मशीन से परत तोड़ने के साथसाथ खेत में गहराई पर खाद देने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

* सबसौयलर के टाइंस की दूरी ठीक होनी चाहिए.

* खेत में नमी बहुत ज्यादा या बहुत कम नहीं होनी चाहिए.

* सबसौयलर चलाने के बाद खेत में भारी मशीनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

सबसौयलर से जुताई के फायदे

इस मशीन का खास काम मिट्टी में बनी सख्त परतें तोड़ना है व जब ये परतें टूट जाती हैं, तो उस के कई फायदे होते हैं.

* सख्त परतें टूट जाने से मिट्टी में हवा का आवागमन बढ़ता है और मिट्टी में मौजूद फायदेमंद छोटे जीवों की काम करने की ताकत बढ़ जाती है.

* मिट्टी में पानी का आवागमन बढ़ता है, जिस से खेत की पानी सोखने की कूवत बढ़ जाती है व खेत में पानी भराव के हालात पैदा नहीं होते.

* कड़ी परतें टूट जाने के बाद पौधों की जड़ें खेत में ज्यादा गहराई तक जा कर पोषक तत्त्वों व पानी का अवशोषण करती हैं, जिस से उन के विकास में बढ़वार तो होती ही है, साथ ही खेत में मौजूद पोषक तत्त्व व पानी का सही इंतजाम भी होता है.

* इस मशीन के इस्तेमाल से खेत में दीमक का असर भी कम हो जाता है, क्योंकि मशीन चलने से दीमक के घर खत्म हो जाते हैं.

* जब सबसौयलर खेत में चले, तो पौधों की जड़ें ज्यादा गहरी जाती हैं, इसलिए आंधीतूफान व बाढ़ वगैरह की स्थिति आने पर फसल के गिरने की समस्या कम हो जाती है.

* ज्यादा लवण वाली मिट्टी में इस मशीन को चलाने से मिट्टी की ऊपरी सतह में मौजूद लवण की फालतू मात्रा पानी के साथ रिस कर जमीन के काफी नीचे चली जाती है और खेत ऊसर नहीं बनता.

कृषि यंत्रों का उपयोग व रखरखाव

वर्तमान कृषि में उन्नत यंत्र एवं मशीनें जैसे टै्रक्टर एवं हैरो, कल्टीवेटर, रोटावेटर, पैडी पडलर, लेजर लैंड लैवलर, नो टिल ड्रिल मशीन, रेज्ड बैड प्लांटर, आलू बोआई यंत्र, गाजर बोआई यंत्र, लहसुन बोआईयंत्र, गन्ना बोआई यंत्र, स्वचालित धान रोपाई यंत्र, सब्जियों की पौध रोपाई यंत्र, विभिन्न प्रकार के वीडर, स्पेयर्स एवं डस्टर्स, सिंचाई पंप, चारा मशीन, रीपर, कंबाइन, पावर थ्रैशर और बिजली व डीजल से चलने वाले यंत्र किसानों द्वारा अपनाए जा रहे हैं, जो काफी महंगे आते हैं. इन यंत्रों का सही रखरखाव किसानों के हाथों में नहीं रह गया है. इन की मरम्मत कराने के लिए समयसमय पर स्थानीय बाजारों के कारीगरों के पास जाना पड़ता है. इसलिए आज यह आवश्यक हो गया है कि किसान उपलब्ध कृषि यंत्रों एवं मशीनों को ठीक ढंग से रखरखाव एवं प्रयोग करें.

हस्तचालित यंत्रों का रखरखाव

* हस्तचालित औजारों से चोटों और दुर्घटनाओं से बचना चाहिए.

* हस्तचालित औजारों का बच्चों की पहुंच से दूर होना अति आवश्यक है, ताकि उन्हें किसी प्रकार की चोट न लगे.

* अगर हम इन औजारों को किसी खुले स्थान पर छोड़ देते हैं, तो कुछ प्लाटिक के भाग खराब हो जाते हैं और दूसरे लोहे के भागों में जंग लग जाती है.

* अगर हमें इन औजारों को खुले में रखना हो, तो इन की धार कम हो जाएगी और जंग लगने की आशंका बनी रहती है. साथ ही, इन औजारों के काम करने की क्षमता घट जाती है.

बड़ी मशीनों का रखरखाव

कंबाइन हार्वेस्टर, ट्रैक्टर, सुगरकेन, हार्वेस्टर, पावर टिलर, सीड ड्रिल, पोटैटो प्लांटर, सोयाबीन, सिड ड्रिल, लेजर लैवलर, वेल स्नेडर, प्रैशर, कल्टीवेटर, एमबी प्लाऊ, रिजमेकर, डिस्क हैरो इत्यादि मशीनों को अकसर हम बाहर छोड़ देते हैं, जिस से नटबोल्ट पर जंग, मिट्टी और बारिश पड़ने पर मशीनों के हिस्से खराब होने लगते है एवं जंग लगने की आंशका बनी रहती है. कोशिश करें कि काम खत्म करने के बाद इन यंत्रों को अच्छी तरह एक बार साफ पानी से धो कर के धूप में थोड़ी देर रख कर छत के नीचे रखें. अगर हो सके, तो जंग से बचाव वाली जगह का प्रयोग करें. इस से ये यंत्र या मशीन लंबे समय तक काम करेंगे. जहां जगह न हो, जैसे प्लेड डिस्क, चेन पर पुराना तेल या ग्रीस लगा कर छोड़ सकते हैं और इस से इन में जंग से सुरक्षा मिलेगी. मशीनों को रखते समय देख लें कि अगर कोई हिस्सा टूटफूट या निकल गया हो, तो उसे बदल दें. नटबोल्ट, चेन इत्यादि और ढीले होने वाले कलपुरजों को कस दें. अगर वे निकल गए हों, तो लगा दें. इस से अगली बार इस्तेमाल करने में सुविधा होगी और ठीक करने पर समय व पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा.

जुताई यंत्र का रखरखाव

जुताई यंत्रों को रखते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना आवश्यक है. जैसे, खेत की जुताई करने के बाद यंत्रों का अच्छे से साफ एवं स्वच्छ कर के रखना चाहिए. कुछ भागों में मिट्टी लगी रहती है, उस को भी साफ कर दिया जाना चाहिए.

बोआई यंत्रों का रखरखाव

बोआई यंत्रों यानी सीड कम फर्टी ड्रिल को रखते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना है. बीज और खाद दोनों नमी सोख कर लोहे की सीट को गला सकते हैं. बोआई और खाद के बाद इन यंत्रों को अच्छी तरह से साफ पानी से धोएं. अगर हवा मारने का कुछ प्रावधान हो, तो हवा मार सकते हैं. उस के बाद धूप में रख दें. पूरी तरह से सुखाने के बाद कुछ जगह पर जहां आवश्यकता हो, वहां पर ग्रीस या तेल लगा कर, कलपुरजों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है. मीटरिंग यूनिट/प्लोटिड रोलर को सुनिश्चित करें कि वे भी पूरी तरह से साफ हैं या नहीं. अगर इन्हें साफ नहीं किया है तो कर दें. ट्यूब को अलग निकाल कर रख सकते हैं, और ध्यान रखें कि उन में सीड न पड़े रहें, नहीं तो वे खराब हो जाएंगी. अगर कोई बैल्ट हो, तो उस को निकाल कर अलग लटका सकते हैं और चेन इत्यादि पर ग्रीस लगा दें.

हार्वेस्टिंग मशीन का रखरखाव

हार्वेस्टिंग मशीनों को रखते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना पड़ता है. जैसे थ्रैशर को अच्छी तरह साफ कर लें. एक बार थ्रैशर घुमा कर फसल के कुछ अवशेष को अच्छी तरह निकाल लें. इन मशीनों को पूरी तरह से इस के पूरजों को साफ करें और पानी से धोएं कुछ देर तक इन्हें धूप में रख कर सुखा दें. देख ले कि कोई हिस्सा या नटबोल्ट इत्यादि ढीला या पेच गिर तो नहीं गए हैं और इन की मरम्मत कर के रख दें और कुछ जगहों पर चिकना तेल लगा दें. कुछकुछ ग्रीस पोइटों में ग्रीस भर दें और बैल्ट उतार दें. कोशिश करें कि मशीन को उठा कर सपोर्ट लगा कर रखें. टायर ऊपर रहने से खराब नहीं होंगे और छत के नीचे रखें. अगर ये सुविधा नहीं हैं, तो तिरपाल या पौलीथिन की पन्नी से लपेट कर रखें. अगर बिजली का मीटर लगा है, तो ध्यान रहे कि उस में पानी बिलकुल न जाएं मशीन को धोते समय उस को ढक कर रखें और थ्रैशर के पतनाले को सीधा कर दें. उस के फसल डालने वाले हिस्से को कपड़ा बांध दें, जिस से कोई जीवजंतु ड्रम में न जा सके और बिजली के तारों को लपेट कर किसी थैले में बांध कर रख दें.

छिड़काव यंत्र का रखरखाव

फसल छिड़काव यंत्रों का भंडारण करते समय कुछ बातों का ध्यान रखें, जैसे मशीन को छिड़काव करने के बाद अच्छी तरह से धो लें और पानी भर कर मशीन को अच्छी तरह से चलाएं, ताकि जिस से नोजल से पूरा कैमिकल निकल जाए और लीवर इत्यादि भी अच्छी तरह साफ कर लें. कैमिकल छिड़काव करने पर प्लास्टिक या मेटल से प्रतिक्रिया कर के यंत्र को खराब कर सकता है. छिड़काव यंत्रों को बच्चों की पहुंच से दूर रखें. फिल्टर पेपर से लपेट कर या बांध कर रख सकते हैं. जहां भी ओपनिंग होती है, वहीं पर कीटपतंगे के घुसने की संभावना रहती है. इन यंत्रों को रखने से पहले सब जोड़े को, जो पाइप इत्यादि को टाइट कर के रख लें और देख लें कि वे ढीले तो नहीं हैं. उन को या तो कस दें या बदल दें. अगर बैटरी लगी है, तो उसे निकाल दें.

स्वशक्तिचालित उपकरण

स्वशक्तिचालित मशीनों का ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है. ट्रैक्टर महत्त्वपूर्ण ऊर्जा का शक्तिस्रोत है. स्रोत का ध्यान रखें, तो कम खर्च में ज्यादा समय तक चलता रहेगा. प्रतिदिन तेल को चेक करना आवश्यक है और 15 मिनट बंद करने के बाद रेडिएटर का पानी चैक करें और ऐयर क्लीनर को भी साफ करें. यदि तेल कम है, तो भरें. अगर गंदा तेल है, तो साफ तेल से बदल दें और हफ्ते में टायर के प्रैशर भी चेक कर सकते हैं. फेन बेल्ट में 12.16 मिलीमीटर का खिंचाव ज्यादा नहीं होना चाहिए. अगर एयर फिल्टर में पानी भर गया है, तो उसे निकाल दें. बैटरी का लेवल एवं ग्रीस, तेल इत्यादि का नियमित परीक्षण करें.

प्रशिक्षण एवं मशीन चालक

मशीनों को खरीदते समय एक बात का ध्यान रखना आवश्यक होना चाहिए और मशीन के कलपुरजें का निरीक्षण कर लेना आवश्यक है. इस के बाद मशीन की कार्य पुस्तिका को विक्रेता से लेना न भूलें. उस से मशीन का चलाना एवं समझना आसान हो जाता है. मशीन को सही ढंग से बनाए रखने की जानकारी इस पुस्तिका से मिल जाती है. असुविधा होने पर कार्य पुस्तिका का प्रयोग कर सकते हैं.

मशीन का करें परीक्षण

किसी भी प्रकार की मशीन के भाग को सही तरीके से परीक्षण किया जाना चाहिए और समयसमय पर कलपुरजों की जांच कर लेना आवश्यक है. जिस से मशीन चलाते समय घर्षण को कम करें और उस से मशीन का रखरखाव और लंबे समय तक अच्छी रहती है. जांच के पहले देख लें कि पिस्टन पर अतिरिक्त तेल है या नहीें. तेल सील के आसपास लीकेज की जांच करें और सही बिंदु का उपयोग करना सुनिश्चित करें. हर बिंदु के लिए कई प्रकार के तेल और ग्रीस है. चिकनाहट की जांच करना बड़ी मशीनरी के साथ समस्याओं के निदान का एक अच्छा तरीका है और तेल को मशीन में इस्तेमाल करते समय एक बार देख लिया जाना जरूरी है. किसी भी दूषित पदार्थ का इस्तेमाल तो नहीं किया गया है. अगर ऐसा किया गया है, तो उसे तुरंत बाहर निकाल दें.

सभी स्वचालित मशीनों के लिए सफाई महत्त्वपूर्ण

सभी स्वचालित मशीनों पर सफाई का ध्यान रखना आवश्यक है. जैसे कुछ इंजन कंपार्टमेंट हीट एमसी चेजर्स/रेडिएटर एवं नियंत्रण केंद्रों के कुछ क्षेत्र हैं. एक बार उपकरण साफ होने के बाद किसानों को अच्छी तरह से सेवा करनी चाहिए और मशीन को चिकना करना चाहिए. आपरेशन, परफौर्मैंस चैक के अलावा गियर या बैल्ट, लूज नटबोल्ट, औयल लीक और सभी पार्ट्स की जांच करें. खरोंच वाले या खुदरे क्षेत्रों में टचअप पेंट लगाने का भी यह एक अच्छा समय है. उचित रूप से बनाए रखने वाले उपकरण, जो अच्छे लगते हैं, वे एक उच्च व्यापार मूल्य का आदेश देंगे. जब किसान इन मशीनों को बदलने का फैसला करता है, तब कई चालक जंग और आक्लीकरण जैसे तत्त्वों से उपकरणों की रक्षा में मदद करने के लिए एक कर्मचारी एक अच्छे सफाई का पालन करते हैं. सब से महत्त्वपूर्ण बात है, जब यंत्रों की सावधानीपूर्ण जांच की जाती है, तो छोटी समस्याओं की पहचान की जा सकती है और उन्हें अगले सीजन में चलाने से पहले ठीक किया जाता है.

कृषि यंत्रों का उचित चुनाव

कृषि यंत्रों का चुनाव करते समय निम्न बिंदुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए :

* मशीन खेती के काम को करने में पूरी तरह से सक्षम हो.

* मशीन में लगने वाली ऊर्जा या शांति का भरपूर उपयोग कार्य करने के लिए होना चाहिए, जिस से उस की कार्यकुशलता अधिक से अधिक मिल सके.

* मशीन चलाने के प्रशिक्षत व्यक्ति को ही होना चाहिए.

* मशीन के कलपुरजों की बनावट अच्छी तरह से बनी होनी चाहिए, ताकि लंबे समय तक प्रयोग में लाया जा सके.

* यंत्रों की मरम्मत का खर्च कम से कम हो और उसे स्थानीय कारीगर से ठीक कराया जा सके और उस का रखरखाव भी आसान हो.

* मशीन चलाते समय सुरक्षा का ध्यान रखें, ताकि कम से कम दुर्घटना हो.

* मशीन खरीदते समय उस की गुणवत्ता का ध्यान रखें आवश्यक है और निर्माता से पूछ लिया जाना आवश्यक है, उस के बाद ही खरीदी की जानी चहिए.

कृषि यंत्रों का उपयोग व रखरखाव : कुछ खास बातें मशीन के जिन भागों को नुकसान पहुंचने की संभावना हो, उन को निकाल कर अलग सुरक्षित स्थान पर रखें और कृषि यंत्रों एवं मशीनों के नटबोल्ट, वाशर आदि को देखना जरूरी है. यदि कोई नटबोल्ट ढीला मिले तो उन को कस देना चाहिए. मशीन में तेलपानी बदलने का उचित प्रबंध होना चाहिए. ट्रैक्टर, पावर टिलर, कंबाइन आदि में यह अति आवश्यक है. गियर बौक्स, इंजन और एयर क्लीनर में तेल का माप देखते रहना चाहिए. यदि कम हो या बदलना हो, तो उचित प्रकार से तेल से पूर्ति करनी चाहिए. मशीन के रेडिएटर में पानी का उचित प्रबंध रखना चाहिए. इस से मशीन के काम के बीच में रुकावट नहीं आएगी. टायर में हवा का दबाव ठीक रखना चाहिए.? यंत्र का प्रयोग करने के बाद प्रतिदिन ठीक प्रकार से साफ कर लेना चाहिए, ताकि धूलमिट्टी आदि निकल जाए. खासतौर से मोटर, प्रैशर, सीड ड्रिल आदि के लिए यह जरूरी है. सीड ड्रिल आदि के उपयोग के बाद टंकी व अंदरूनी भागों को भी अच्छी तरह साफ करना चाहिए, ऐसा करने से यंत्र की उम्र बढ़ जाती है. बरसात के मौसम में नुकसान से बचने के लिए मशीन में धातु वाले हिस्सों को जंग प्रतिरोधी पेंट से रंग दें. जहां मशीनों में टायर के पहिए हैं, उन्हें जमीन से ऊंचा इस प्रकार रखें, पहिए जमीन के ऊपर रहें और मशीन के नीचे लकड़ी या पत्थर लगा कर रख दें, जिस से उस में गिरने का अंदेशा न रहे और बच्चों व जानवरों के साथ दुर्घटना न हो सके. यदि किसान अपने उपलब्ध कृषि के उन्नत यंत्र एवं मशीनों को कृषि कार्यों के उपरांत या बरसात का मौसम शुरू होने से पूर्व उपरोक्त बातों को अपना कर अमल करें, तो अपने कृषि यंत्रों की उम्र बढ़ा सकते हैं. शीघ्र खराब होने से बचा कर काफी वर्षों तक ये यंत्र प्रयोग कर सकते हैं, जिस से प्रति वर्ष कृषि यंत्रों के ऊपर खर्चों को कम किया जा सके.