कस्टम हायरिंग सैंटर के लिए 14 अगस्त तक करें आवेदन

धार : किसानों को किराए पर कृषि यंत्र उपलब्ध करा कर सेवाएं देने के मकसद से बैंक ऋण के आधार पर कस्टम हायरिंग सैंटर लगाने के इच्छुक व्यक्तियो से औनलाइन माध्यम से संचालनालय कृषि अभियांत्रिकी के पोर्टल www.chc.mpdage.org पर 14 अगस्त, 2024 तक आमंत्रित किए जा रहे हैं.

प्रत्येक कस्टम हायरिंग सैंटर के लिए जरूरी ट्रैक्टर एंव कृषि यंत्रों के क्रय की लागत पर आवेदकों को 40 फीसदी या अधिकतम 10 लाख रुपए तक का क्रेडिट लिंक्ड बैंक एंडेड (Credit Linked Back Ended) अनुदान दिया जाएगा.

अनुदान की गणना सब मिशन औन एग्रीकल्चर मेकैनाइजेशन (SMAM) योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा जारी परिपत्र 1 दिसंबर, 2023 में उल्लेखित प्रत्येक यंत्र के लिए दिए गए प्रावधान के अनुसार अधिकतम सीमा तक की जाएगी.

इस के साथ ही हितग्राही भारत सरकार के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के भी पात्र होंगे. धार जिले में कुल 19 (सामान्य-11, अनुसूचित जाति-03, अनुसूचित जनजाति-03, एसआरएलएम के कृषक समूह-01, एफपीओ-01) लक्ष्य संचालनालय कृषि अभियांत्रिकी द्वारा प्रदाय किए गए हैं.

प्रत्येक आवेदक को आवेदन के लिए धरोहर राशि 10,000 रुपए बैंक ड्राफ्ट सहायक कृषि यंत्री इंदौर के नाम से बनवा कर औनलाइन आवेदन के समय अपलोड करना होगा. 16 अगस्त, 2024 कंप्यूटराइज्ड लौटरी संचालनालय कृषि अभियांत्रिकी भोपाल मे संपादित की जाएगी, जिस की प्राथमिकता सूचियां शाम तक पोर्टल www.chc.mpdage.org पर देखी जा सकेंगी.

लौटरी में चयनित आवेदकों को बैंक ड्राफ्ट की मूल प्रति अभिलेखों के सत्यापन के समय संभागीय कृषि यंत्री कार्यालय इंदौर में जमा कराया जाना अनिवार्य होगा. विस्तृत विवरण संचालनालय की वेबसाइट www.chc.mpdage.org पर देखा जा सकता है. साथ ही, जिले के नोंगाव स्थित कार्यालय यांत्रिकीय सहायक पंकज पाटीदार से कार्यालयीन समय पर और मोबाइल नंबर 7974045900 पर संपर्क कर विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.

कृषक उत्पादक संगठनों के संवर्धन के लिए बैठक

कटनी : कलक्टर दिलीप कुमार यादव की अध्यक्षता में 10,000 केंद्रीय योजना के अंतर्गत गठित कृषक उत्पादक संगठनों यानी एफपीओ के संवर्धन के लिए महत्वाकांक्षी योजना के संबंध में जिला स्तरीय निगरानी समिति की बैठक कलक्ट्रेट सभागार में आयोजित की गई.

बैठक के दौरान उपसंचालक, कृषि प्रबंधक, लीड बैंक, जिला प्रबंधक नाबार्ड, परियोजना संचालक आत्मा, उपसंचालक पशु एवं चिकित्सा डा. आरके सिंह, सहायक संचालक, उद्यानिकी, सचिव, कृषि उपज मंडी केपी चौधरी एवं संबंधित एफपीओ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और मानव जीवन विकास समिति के सचिव निर्भय सिंह उपस्थित रहे.

बैठक में जिला प्रबंधक नाबार्ड विकास जैन द्वारा अवगत कराया गया कि जिले में केंद्रीय योजना के अंतर्गत 7 एफपीओ का गठन किया जा चुका है. वर्तमान में एफपीओ को विभिन्न लाइसैंस जैसे कि बीज, उर्वरक, कीटनाशक, मंडी लाइसैंस लेने के लिए मुहिम चलाई जा रही है. इन गठित एफपीओ में 2 एफपीओ द्वारा बीज, उर्वरक, कीटनाशक लाइसैंस लिए जा चुके हैं. एफपीओ के प्रतिनिधियों को विभागीय योजनाओं के बारें में भी अवगत कराया गया है.

कलक्टर दिलीप कुमार यादव द्वारा एफपीओ को लाइसैंस लेने संबंधी आ रही समस्या का तत्काल निराकरण कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए.

मुरगीपालन (Poultry Farming) से 5 माह में ही 13 लाख कमाए

पन्ना : जिला प्रशासन पन्ना के नवाचार से एमपीडब्ल्यूपीसीएल संस्था के सहयोग से मनरेगा योजना और डीएमएफ मद से फरवरी, 2024 से कल्दा पठार क्षेत्र की गरीब आजीविका मिशन समूह की आदिवासी महिलाओं के लिए मुरगी शेड बनवा कर मुरगीपालन की गतिविधि शुरू की गई थी, जिस से उन्होंने 13 लाख रुपए से अधिक की आमदनी प्राप्त की.

पहले इन महिलाओं की आजीविका का मुख्य साधन वनोपज व मजदूरी थी. प्रत्येक महिला सदस्य को 500 मुरगी की क्षमता का शेड बनवाया जा रहा है. अभी तक 100 शेड पूरे हो कर 88 शेड में मुरगीपालन शुरू किया जा चुका है.

महिला सदस्य द्वारा केवल 35 दिन के चक्र में प्रतिदिन 3 बार मुरगी को दानापानी खिला कर साफसफाई की जाती है. मुरगी खरीदने एवं बेचने का काम संस्था द्वारा किया जाता है. गतिविधि के सफल क्रियान्वयन के लिए महिलाओं द्वारा संयुक्त रूप से श्यामगिरी पोल्ट्री प्रोड्यूसर कंपनी खोली गई है. वर्ष के अंत में कंपनी को हुए मुनाफे को बोनस के रूप में भी सभी सदस्यों में बांटा जाएगा.

मुरगीपालन गतिविधियों के तहत अब तक 88 महिलाओं को 5 माह में 13 लाख, 28 हजार 144 रुपए प्राप्त हो चुके हैं. प्रत्येक महिला को एक 35 दिन के चक्र में मुरगियों के वजन के अनुसार 5,000 से 9,000 रुपए की बचत हो रही है. महिलाएं मुरगीपालन गतिविधि के संचालन से काफी खुश हैं. अब उन्हें जंगल मे लकड़ी इकट्ठा करने एवं महुआ एकत्र करने की जरूरत नहीं पड़ रही है.

गतिविधि के निरंतर विस्तार के लिए दूसरे चरण में 107 मुरगी शेड बनाने का काम अंतिम चरण में है. सितंबर माह तक 200 महिलाओं द्वारा मुरगीपालन शुरू कर दिया जाएगा. इस के अलावा 100 नवीन महिला सदस्यों का चिन्हांकन किया जा चुका है, जिन के मुरगी शेड निर्माण का काम शुरू किया जाएगा.

आगामी 2 साल में कल्दा क्षेत्र की कुल 500 आजीविका मिशन समूह महिलाओं को मुरगीपालन गतिविधियों से लाभ दिया जाएगा. प्रत्येक महिला एक साल में 250 दिन प्रत्येक दिन 3 घंटे काम कर गतिविधि से साल में 50,000 से 70,000 रुपए तक की बचत कर सकेंगी.

दूध मिलावटी तो नहीं,  दूध वाहन (Milk Van) से लिए गए सैंपल

ग्वालियर : कलक्टर रुचिका चौहान के निर्देशानुसार खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा जिले में दूध एवं दूध से बने खाद्य पदार्थों में होने वाली मिलावट को रोकने एवं मिलावटखोरों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही के क्रम में खाद्य प्रतिष्ठानों की जांच एवं सैंपलिंग की कार्यवाही जारी है.

हाल ही में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने मोहनुपर हाइवे पुल के नीचे मुरार, ग्वालियर पर दूध वाहनों के लिए चैकिंग पौइंट लगा कर वाहनों से ला रहे दूध की मोबाइल फूड लैब से मौके पर जांच की गई. चलित खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला की सहायता से मौके पर ही दूध के सैंपल चैक किए गए, जिन में चलित खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला की सहायता से दूध में यूरिया, डिटर्जेंट, स्‍टार्च, न्‍यूट्रेलाइजर जैसे हानिकारक कैमिकलों की जांच की गई.

इस मौके पर अक्षय कुमार निवासी तोर हस्तिनापुर एवं बालकिशन गुर्जर निवासी जंगीपुरा के दूध में फैट कम मिलने पर इन के दूध के नमूने लिए, जो फूड लैब भोपाल भेजे जाएंगे. जांच रिपोर्ट प्रात होने पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी.

इसी प्रकार खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने जिले के खाद्य प्रतिष्‍ठानों के निरीक्षण कर दूध एवं दूध से बने खाद्य पदार्थों के सैंपल जांचे. जांच के लिए गई टीम में खाद्य सुरक्षा अधिकारी बृजेश शिरोमणि, सतीश धाकड़ और सतीश शर्मा सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी शामिल रहे.

ग्वालियर में उच्‍च न्‍यायालय खंडपीठ ग्‍वालियर में विचारा‍धीन अवमानना प्रकरण में पारित आदेश के पालन की समीक्षा के लिए गठित 2 सदस्‍यीय समिति द्वारा सीएमएचओ कार्यालय ग्‍वालियर में ग्‍वालियर एवं चंबल संभाग के मुख्‍य चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी और खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की बैठक ली गई, जिस में समिति द्वारा विभागीय अधिकारियों को अवमानना याचिका में पारित आदेश बिंदुओं का कड़ाई से पालन करने के लिए निर्देशित किया गया है.

समिति द्वारा खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को ग्‍वालियर एवं चंबल संभाग में दूध एवं दूध से बने खाद्य पदार्थों में होने वाली मिलावट को रोकने एवं मिलावटखोरों के विरुद्ध सख्‍त कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए, जिस के संबंध में जिला प्रशासन गुना ने खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों को कार्यवाही के निर्देश दिए.

चैकिंग के दौरान 20 दूध वालों के लगभग 37 सैंपल चैक किए गए. इसी प्रकार खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम द्वारा जिले के खाद्य प्रतिष्‍ठानों के निरीक्षण कर दूध एवं दूध से बने खाद्य पदार्थों के सैंपल जांचे गए, जिन में पाराशर डेयरी मावा भंडार, जय स्‍तंभ चौराहा गुना से मावा, विजय मिष्‍ठान भंडार, पुरानी गल्‍ला मंडी से मावा, मदन दूध डेयरी कैंट गुना से दूध, दही एवं मधु दूध डेयरी म्‍याना से दूध के सैंपल जांचने हेतु लिए गए.

उक्‍त सभी सैंपल जांच हेतु राज्‍य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला को भेजे गए हैं, जिन की जांच रिपोर्ट आने पर आगे की वैधानिक कार्यवाही की जाएगी.

दूध वाहन (Milk Van)

उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में विचाराधीन अवमानना प्रकरण में पारित आदेश के पालन की समीक्षा हेतु 2 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जिस के सदस्य बीएम शर्मा और संजय चतुर्वेदी हैं, जो सेवानिवृत आईएएस और सेवानिवृत जिला न्यायाधीश हैं.

उक्त 2 सदस्यीय समिति के द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के पालन की समीक्षा की जाएगी और दूध व दूध से बने उत्पादों में अपमिश्रण को रोकने के लिए राज्य और जिला प्रशासन के द्वारा उठाए गए कदमों पर किए जा रहे कामों की निगरानी भी इस समिति के द्वारा की जाएगी.

जिला प्रशासन अशोक नगर ने खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी को कार्यवाही के निर्देश जारी किए हैं. कलक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी के निर्देशानुसार दूध और दूध से बने उत्पादों एवं आगामी रक्षाबंधन के त्योहार को दृष्टिगत रखते हुए लगातार खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच के लिए लगातार कार्यवाही की जा रही है.

खाद्य सुरक्षा अधिकारी लीना नायक द्वारा ग्राम राजपुर स्थित गोवर्धन दूध डेयरी से भैंस का दूध, गायभैंस का मिश्रित दूध, मावा, पनीर, ग्राम सहराई स्थित कृष्णा दूध डेयरी से गायभैंस का मिश्रित दूध, पनीर एवं दूध  विक्रेता राजेंद्र यादव से गायभैंस के मिश्रित दूध का नमूना जांच के लिए लिया गया है. सभी नमूने जांच के लिए राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला भेजे गए हैं, जिन में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार वैधानिक कार्यवाही की जाएगी.

खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा बताया गया कि यदि किसी भी उपभोक्ता को खाद्य पदार्थों में मिलावट संबंधी जानकारी प्राप्त होती है, तो वह खाद्य सुरक्षा अधिकारी अथवा अभिहित अधिकारी खाद्य सुरक्षा प्रशासन जिला अशोक नगर को इस संबंध में लिखित में शिकायत कर सकते हैं.

ड्रोन (Drone) उड़ा कर भगवती को मिली पहचान

दतिया : दतिया जिले की बसई ग्राम की निवासी भगवती अहिरवार के पति सुनील अहिरवार मजदूरी करते हुए परिवार का पालनपोषण कर रहे थे, जबकि भगवती घर पर ही रह कर सिलाई का काम करती थी. उन की आय कम होने के कारण परिवार की छोटीछोटी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही थीं. उन्हें आय का कोई रास्ता भी नजर नहीं आ रहा था. एक दिन उन्हें स्वसहायता समूह के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने आजीविका मिशन से संपर्क किया और समूह से जुड़ने के लाभ की जानकारी प्राप्त की.

जानकारी मिलने पर पूरे उत्साह से समूह बनाया और धीरेधीरे समूह से अपने क्षेत्र की महिलाओं को जोड़ना प्रारंभ किया और देखते ही देखते आज भगवती स्वसहायता समूह की अध्यक्ष बन गईं. उन्होंने समूह में छोटीछोटी बचत करते हुए समूह को सशक्त करने के प्रयास प्रारंभ किए.

स्वसहायता समूह से जुड़ कर भगवती को शासकीय योजनाओं की जानकारी भी मिलने लगी पर अभी भी उन की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था. इसी दौरान ‘नमो ड्रोन’ योजना की जानकारी प्राप्त कर उन्होंने उस की ट्रेनिंग ली और खुद का एक ड्रोन खरीदा. उस ड्रोन से धीरेधीरे खेतों में खड़ी फसलों में स्प्रे करना प्रारंभ किया. जब किसानों ने देखा कि एक एकड़ में इसी काम को करने के लिए साढ़े 3 घंटे लेते हैं और वही ड्रोन एक एकड़ में 7 मिनट में स्प्रे कर देता है. इस से भगवती के ड्रोन की मांग स्प्रे करने के लिए और बढ़ने लगी और उन की आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आने लगा.

भगवती सौ एकड़ से भी ज्यादा खेतों में लगी फसलों पर ड्रोन से स्प्रे कर चुकी हैं. आज वे  ‘ड्रोन दीदी’ के नाम से जानी जाती हैं. ‘ड्रोन दीदी’ भगवती प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करने के लिए 350 रुपए लेती हैं. ड्रोन पायलट के रूप में सफल होने के साथ ही भगवती यही नहीं रुकीं, उन्होंने अपने क्षेत्र में 1,000 महिलाओं को स्वसहायता समूह से जोड़ कर नए रोजगार के लिए गाइड भी किया.

आज वे किसान उत्पाद संगठन बना कर भी काम कर रही हैं. कलक्टर संदीप कुमार माकिन के निर्देशानुसार मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत दतिया कमलेश भार्गव खुद समूह के सदस्यों को प्रोत्साहित कर रहे हैं. आज कई महिलाएं समूह से जुड़ कर आत्मनिर्भर हो गई हैं.

समूह से जुड़ने के बाद से वे शासन की विभिन्न योजनाओं से जुड़ कर आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रही हैं. वे ‘लखपति दीदी’ की श्रेणी में आ कर आत्मनिर्भर बनने के साथसाथ माली  रूप से सशक्त बन रही हैं. भगवती दीदी को परिवार के साथसाथ महिलाओं के समूह में एक नई पहचान भी मिल रही है.

जिले में उर्वरक (Fertilizer) की कमी नहीं

कटनी : जिले में खरीफ सीजन में किसानों के लिए उर्वरक का जिले में पर्याप्त स्टाक उपलब्ध है. जिले की सहकारी समितियों, विपणन संघ, एमपी एग्रो और निजी विक्रेताओं को मिला कर 14,568 मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक की उपलब्धता मौजूद है. किसानों को उन की मांग और जरूरत के मुताबिक पर्याप्त उर्वरक दिया जाएगा.

इस संबंध में उपसंचालक, कृषि, मनीष मिश्रा ने बताया कि जिले में सर्वाधिक मात्रा में 7 हजार, 20.23 मीट्रिक टन यूरिया, एसएसपी उर्वरक 4,392.1 मीट्रिक टन और इस के अलावा डीएपी उर्वरक 1,188.51 मीट्रिक टन और एनपीके रासायनिक उर्वरक 1,967.8 मीट्रिक टन उपलब्ध है.

उपसंचालक, कृषि, मनीष मिश्रा द्वारा दी गई जानकारी अनुसार, जिले के डबल लौक केंद्र कटनी एवं बहारीबंद में 785.7 मीट्रिक टन यूरिया, 61.5 मीट्रिक टन डीएपी, 310.8 मीट्रिक टन एनपीके और 59.7 मीट्रिक टन एसएसपी उपलब्ध है. इसी तरह एमपी एग्रो कटनी में 55.65 मीट्रिक टन डीएपी, 136.5 मीट्रिक टन एनपीके और 48.3 मीट्रिक टन एसएसपी उपलब्ध है, जबकि निजी विक्रेताओं के पास 5,680 मीट्रिक टन यूरिया, एसएसपी उर्वरक 3,436 मीट्रिक टन और डीएपी उर्वरक 690 मीट्रिक टन और एनपीके रासायनिक उर्वरक 989 मीट्रिक टन उपलब्ध है.

जिले के 54 प्राथमिक कृषि शाख सहकारी समितियों के पास 544.27 मीट्रिक टन यूरिया, एसएसपी उर्वरक 848 मीट्रिक टन और इस के अलावा डीएपी उर्वरक 381.36 मीट्रिक टन और एनपीके रासायनिक उर्वरक 530.7 मीट्रिक टन उपलब्ध है.

अधिक वर्षा (Excessive Rainfall) से फसल को कैसे करें सुरक्षित

हरदा : जिले में पिछले कई दिनों से निरंतर बारिश हो रही है. इस वजह से कहींकहीं फसलों में पानी भराव की स्थिति एवं कीटव्याधियों और पौधों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई देने की सूचनाएं मिल रही हैं.

कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों ने किसानों को अपनी फसलों को सुरक्षित रखने एवं उत्पादन अधिक लेने के लिए सलाह दी है कि बारिश की अधिकता के कारण जल भराव वाले खेतों से जल निकासी की समुचित व्यवस्था करें. वर्तमान स्थिति में खेती की लगातार निगरानी करें.

किसानों को यह भी सलाह दी गई है कि फसलों में तना मक्खी, गर्डल वीटल अर्थात रिंग कटर, सेमीलूपर का प्रकोप होने पर उचित सलाह के मुताबिक दवाओं का चयन कर फसलों में अनुशंसित पानी की मात्रा एवं कीटनाशक की मात्रा का समयसमय पर छिड़काव करें.

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा है कि थायोमेथोक्साम आसोसाइक्लोसरम, 600 मिलीलिटर  प्रति हेक्टयर, सायहेलोथ्रिन 125 मिलीलिटर प्रति हेक्टेयर या इमिडाक्लोप्रिड, बीटा सायफ्लूथ्रिन 350 मिलीलिटर प्रति हेक्टरेयर का 500 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें.

अगर खेत में केवल गर्डल वीटल का प्रकोप हो, तो थियाक्लोप्रिड 650 मिलीलिटर का 500 लिटर पानी के साथ घोल बना कर एक हेक्टयर खेत में छिड़काव करें. वर्तमान मौसम की स्थिति को देखते हुए अधिक आर्द्रता एवं कम तापमान होने के कारण फफूंदजनित रोगों का प्रकोप भी होने की संभावना बनी रहती है. ऐसी स्थिति में कार्बनडाजिम व मैंकोजेब 1.25 किलोग्राम अथवा टेबुकोनाजोल व सल्फर 1.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर को 500 लिटर पानी के साथ घोल बना कर एक हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करें.

फसल 35 से 40 दिन अवस्था की होने पर नींदानाशक दवा का उपयोग न करें. जरूरत होने पर मजदूर लगा कर खरपतवार का नियंत्रण करें. उर्वरक का उचित उपयोग न होने के कारण वृद्धि एवं बढ़वार सही न होने पर तरल व घुलनशील उर्वरक जैसे एनपीके (19:19:19) का 2.5 ग्राम प्रति लिटर के हिसाब से उपयोग करें. साथ ही, सूक्ष्म तत्व तरल 500 मिलीलिटर प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बना कर उपयोग करें.

जल भराव की स्थिति में फसल अगर पीली पड़ रही है, तो अमोनियम सल्फेट उर्वरक का उपयोग करें. उपसंचालक, कृषि, संजय यादव ने किसानों को सलाह दी है कि कीटनाशी के मिश्रण का प्रयोग वैज्ञानिक की सलाह के अनुसार ही करें.

बीएयू ने मनाया अपना 15वां स्थापना दिवस (Foundation Day)

भागलपुर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय अपना 15वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस अवसर पर आयोजित 2 दिवसीय सम्मलेन “कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में जमीनी स्तर पर नवाचार और नव प्रवर्तक” का पिछले दिनों समापन हो गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवन कुमार ने हिस्सा लिया.

समापन समारोह के शुरू होने से पूर्व मंत्री श्रवन कुमार ने वृक्षारोपण किया एवं लैग्वेज लैब का उद्घाटन किया. उन्होंने नवाचारी किसानों द्वारा लगाए गए स्टाल का भ्रमण किया एवं कृषि और इस से संबंधित उद्यम के लिए किए गए कई तरह के नवाचारों का अवलोकन किया.

इस समारोह में अन्य अतिथि के तौर पर गोपालपुर के विधायक नरेंद्र कुमार नीरज, पीरपैंती के विधायक ललन कुमार, सुल्तानगंज के विधायक ललित नारायण मंडल, विधान पार्षद डा. एनके यादव के अलावा और भी अतिथियों ने हिस्सा लिया.

अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति डा. डीआर सिंह ने विश्वविद्यालय के 15वें स्थापना दिवस पर सभी वैज्ञानिकों और कर्मियों को बधाई देते हुए विश्वविद्यालय के उत्थान में पूर्व के सभी कुलपतियों के योगदानों की सराहना की. उन्होंने प्रथम कुलपति डा. मेवालाल चौधरी को याद करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना और इस विशाल संरचना के पीछे कोई एक व्यक्ति प्रथम कुलपति डा. मेवालाल चौधरी ही हैं. साथ ही, कुलपति ने विश्वविद्यालय को अस्तित्व में लाने से ले कर इस ऊंचाई पर पहुचाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री का आभार जताया. उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को देश और दुनिया में पहुंचाने के लिए पत्रकारों और मीडिया वालों का भी आभार जताया.

कुलपति डा. डीआर सिंह ने कहा कि बीएयू ने पिछले 16 से 18 माह के भीतर ही 14 पेटेंट हासिल किए हैं, जो कि अपनेआप में गर्व का विषय है. विश्वविद्यालय रोजगार सृजन में विशेष योगदान दे रहा है. यहां से उत्तीर्ण विद्यार्थी तुरंत बेहतर रोजगार पा रहे हैं, वहीँ युवाओं को स्वावलंबी बना कर भी विश्वविद्यालय निरंतर रोजगार सृजन कर रहा है. इस प्रकार विश्वविद्यालय नौकरी खोजने की मानसिकता से उबार कर युवाओं को नौकरी देने वाली स्थिति तक खड़ा कर रहा है.

उन्होंने बागबानी के क्षेत्र में समूचे देश में सबौर के योगदानों की चर्चा की. उन्होंने कहा कि बिहार के किस जिले में कौन सी खेती सही से हो सकती है, इस का पूरा डाटा बीएयू के पास है और इस के अनुरूप ही नई किस्मों को विकसित किया जा रहा है.

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय की शोध, शिक्षा और प्रसार गतिविधियों से आज पूरा राज्य लाभान्वित हो रहा है. उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा किसानों में नवाचार को प्रोत्साहन देने की सराहना की.

पीरपैंती के विधायक ललन कुमार ने प्राकृतिक और जैविक खेती में नवाचार और उद्यम के अवसरों पर प्रकाश डाला. साथ ही, उन्होंने भागलपुर के आसपास की क्षेत्रों में आर्सेनिक और फ्लोराइड के बढ़ते प्रभाव पर ध्यान दिलाया और इस से निबटने के उपाय खोजने का सुझाव दिया.

उन्होंने कहा कि अब सिर्फ फूड पार्क की आवश्यकता है, जिस से किसानों को अपना फल और सब्जियों की प्रोसैसिंग करने में मदद मिलेगी.

गोपालपुर के विधायक नरेंद्र कुमार नीरज ने कहा किसान आगे बढ़ेगा, तो पूरा समाज, राज्य और देश आगे बढ़ेगा.

सुल्तानगंज के विधायक ललित नारायण मंडल ने बदलते वातावरण में कृषि की चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी शोधों को किसानोपयोगी बनाते हुए जल्द से जल्द किसानों को समर्पित करने का आह्वान किया.

कार्यक्रम में उत्कृष्ट काम करने वाले वैज्ञानिकों, कर्मियों, छात्रों और किसानों को सम्मानित किया गया. विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित कई पुस्तकों का विमोचन किया, जिन में “कृषि खाद्य प्रणाली के प्रवर्तक”, “संकल्प से समृद्धि का आधार”, “बढ़ते कदम” और “कृषक संदेश” प्रमुख है. प्राकृतिक खेती पर आधारित फिल्म का लोकार्पण मंत्री श्रवण कुमार ने किया, जिसे विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा अभिनीत किया गया. इसे बीएयू मीडिया सैंटर द्वारा बनाया गया है.

नवाचारी रेडियो का किया लोकार्पण
विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस के साथसाथ यहां से प्रसारित होने वाले सामुदायिक रेडियो स्टेशन का 5वां स्थापना दिवस भी है. इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में एक बड़े आकर का रेडियो सेट का लोकार्पण किया गया. 5 फुट चौड़े और 3 फुट लंबे इस बड़े रेडियो सेट पर विश्वविद्यालय से प्रसारित सामुदायिक रेडियो स्टेशन से यह कार्यक्रम 24 घंटे चलते रहेंगे. लोग इस के आगे सेल्फी भी ले सकेंगे. इसे परिसर में लगाने का उद्देश्य नई पीढ़ी को रेडियो सुनने के लिए प्रोत्साहित करना है. साथ ही, एक माध्यम के रूप में रेडियो की विश्वसनीयता सब से अधिक होने अवगत कराना है.

गौरतलब है कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत अभी 3 सामुदायिक रेडियो स्टेशन का संचालन हो रह है, वहीँ चौथा रेडियो स्टेशन कृषि विज्ञान केंद्र, कटिहार में अगले माह से शुरू हो रहा है.

बिहार कृषि विश्वविद्यालय को मिले 2 पुरस्कार (Awards)

नई दिल्ली : यहां चल रहे टिकाऊ कृषि सम्मलेन और अवार्ड्स कार्यक्रम में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर को 2 पुरस्कार से नवाजा गया. पहला “प्रसार और प्रशिक्षण में उत्कृष्टता पुरस्कार” (Extension & Training Excellence Award) और दूसरा ‘हरियाली उत्पादन नवाचारी पुरस्कार” (Green Harvest Innovator award) दिया गया.

एग्रीकल्चर पोस्ट डौट कौम और इंडी एग्री संस्था द्वारा दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सैंटर में आयोजित सम्मलेन में यह पुरस्कार विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरके सोहाने और सहनिदेशक, प्रसार शिक्षा, डा. आरएन सिंह ने प्राप्त किया.

“प्रसार और प्रशिक्षण में उत्कृष्टता पुरस्कार” विश्वविद्यालय द्वारा बिहार राज्य में कृषि प्रसार और किसानों के उत्थान के लिए बेहतरीन तरीके से प्रशिक्षण देने के लिए प्रदान किया गया.

गौरतलब है कि विश्वविद्यालय ने अपने विभिन्न इकाइयों के माध्यम से विगत वर्ष 2853 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिस में 1,03,506 पुरुष और महिला किसानों ने हिस्सा लिया है, वहीँ किसान चौपाल और आईसीटी के माध्यम से राज्य में कृषि प्रसार के क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल की है. विश्वविद्यालय के इन प्रयासों से प्रोद्योगिकी हस्तांतरण और अपनाने में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

ग्रीन हार्वेस्ट इनोवेटर अवार्ड विश्वविद्यालय परिसर में सघन हरियाली के आच्छादन, विभिन्न उद्यानों, फूलों के कचरों से विभिन्न उत्पाद बनाने, खाली स्थानों को खेती के उपयोग में लाने रूफ गार्डनिंग, मृदा स्वास्थ्य के लिए किए गए काम, पार्थेनियम जागरूकता, पारिस्थितिकी तंत्र को बरकरार रखने में मधुमक्खियों और मकड़ियों के योगदान पर जागरूकता लाने एवं उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रदान किया गया.

बिहार कृषि विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि पर कुलपति डा. डीआर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने राज्य में कृषि और किसानों के उत्थान के लिए बेहतर काम कर रही है. साथ ही, हम टिकाऊ खेती और हरित आच्छादन (ग्रीन कवरेज) को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं. हमारे इस प्रयास को पुरस्कृत किया जाना खुशी की बात है.

ग्रामीण महिलाएं मधुमक्खी पालन (Beekeeping) को बनाएं रोजगार

हिसार : हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति प्रोफेसर बीआर कंबोज के मार्गदर्शन में मधुक्रांति परियोजना के अंतर्गत मधुमक्खीपालन पर कीट विज्ञान विभाग में 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. प्रशिक्षण एचएयू एवं इंडियन औयल कारपोरेशन लिमिटेड के बीच हुए अनुबंध के तहत दिया गया.

विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. बलवान सिंह मंडल ने बताया कि किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी करने के साथसाथ उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मधुमक्खीपालन का प्रशिक्षण दिया गया. हरियाणा के भूमिहीन बेरोजगार, अशिक्षित ग्रामीण पुरुष व महिला किसानों में मधुमक्खीपालन के प्रति रुचि पैदा करने के साथसाथ छोटी मधुमक्खीपालन की इकाइयां स्थापित करने के लिए उन्हें प्रेरित भी किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि बेरोजगार, अशिक्षित और कम जोत वाले किसान मधुमक्खीपालन को रोजगार के रूप में अपना कर अपनी माली हालत को मजबूत कर सकते हैं. इस योजना का मुख्य उद्देश्य मधुमक्खीपालन को खासकर महिलाओं में लोकप्रिय बना कर उन के लिए स्वरोजगार स्थापित करना है.

प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले किसान न केवल खुद का व्यवसाय स्थापित करेंगे, बल्कि दूसरों को भी रोजगार देने में सक्षम होंगे. मधुमक्खीपालन अपनाने से किसानों और खासतौर से महिलाओं के लिए आजीविका के साधन भी बढ़ेंगे.

कीट विज्ञान विभाग की अध्यक्ष व परियोजना अधिकारी डा. सुनीता यादव ने बताया कि प्रशिक्षकों को मधुमक्खीपालन इकाई की स्थापना के लिए नि:शुल्क मधुमक्खी बक्से एवं आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी.

उन्होंने आगे बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र की देखरेख में प्रशिक्षुओं को उन के उत्पादों की मार्केटिंग करने के बारे में भी मदद की जाएगी. कृषि विज्ञान केंद्र, करनाल के वरिष्ठ संयोजक डा. महा सिंह जागलान ने करनाल जिले के विभिन्न गांवों से इस प्रशिक्षण के लिए 30 प्रतिभागियों का चयन किया.

इंडियन औयल कारपोरेशन लिमिटेड के महाप्रबंधक राजीव रंजन ने कहा कि हरियाणा में मधुमक्खीपालन में रोजगार के बेहतरीन अवसर हैं. विश्वविद्यालय किसानों से सीधेतौर पर जुड़ कर उन के उत्थान में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. महिला किसान मधुमक्खीपालन के व्यवसाय को अपना कर संतुलित आहार में पोषण तत्व सहित अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं.

इस अवसर पर इंडियन औयल कारपोरेशन के उपमहाप्रबंधक विपिन कुमार, प्रबंधक नीतीश कुमार सिंह, प्रशिक्षण कार्यक्रम के सहसंयोजक डा. सुरेंद्र सिंह यादव, डा. मनोज कुमार व हरीश कुमार भी मौजूद रहे.